सूर्य ग्रहण 2025: एस्ट्रोसेज एआई हमेशा से यह प्रयास करता है कि हर नए ब्लॉग के माध्यम से अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण और ताजा घटनाओं की जानकारी उपलब्ध कराए।

इसी क्रम में हम आपको साल 2025 के दूसरे सूर्य ग्रहण 2025 के बारे में बता रहे हैं। यह ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब वह सूर्य की रोशनी को रोक देता है और पृथ्वी पर उसकी छाया पड़ती है। इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। साल 2025 का यह दूसरा सूर्य ग्रहण होगा और यह आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा।
इस दौरान सूर्य पूरी तरह से ढका नहीं जाएगा, बल्कि उसका केवल एक हिस्सा ही ढकेगा। इस वजह से सूर्य की रोशनी कुछ समय के लिए कम दिखाई देगी।
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सूर्य ग्रहण क्या है?
सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह न केवल एक धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण घटना है, बल्कि खगोल विज्ञान की दृष्टि से भी बहुत खास मानी जाती है।
जब आकाश में सूर्य ग्रहण लगता है, तो इसका असर केवल मनुष्यों पर ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर मौजूद हर जीव- जंतु और प्राणी पर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सभी जीवों को हल्की-फुल्की बेचैनी या असहजता महसूस होती है, भले ही यह थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो।
ग्रहण के समय पृथ्वी की स्थितियां इतनी तेजी से बदल जाती हैं कि ऐसा लगता है जैसे प्रकृति का स्वरूप ही बिल्कुल अलग हो गया हो। अंधेरा छा जाता है, पक्षी अपने घोंसलों की ओर लौटने लगते हैं और वातावरण सामान्य समय से बिल्कुल भिन्न दिखाई देने लगता है।
दुनिया भर के लोग इस अद्भुत खगोलीय दृश्य, यानी सूर्य ग्रहण, को कैमरे में कैद करने की कोशिश करते हैं। यह वाकई एक बेहद मनमोहक और अद्वितीय दृश्य होता है। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य ग्रहण को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।
ऐसा करना आंखों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। ग्रहण के समय सूर्य की तीव्र किरणें हमारे रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती हैं और कई बार दृष्टि को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
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सूर्य ग्रहण के प्रकार
पूर्ण सूर्य ग्रहण
- यह तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और पृथ्वी से सूर्य बिल्कुल दिखाई नहीं देता।
- ऐसे समय में दिन कुछ क्षणों के लिए रात जैसा अंधेरा हो जाता है।
- इस दौरान सूर्य का बाहरी वायुमंडल जिसे कोरोना कहते हैं, दिखाई देने लगता है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण केवल पृथ्वी के एक बहुत ही संकीर्ण मार्ग से ही देखा जा सकता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण
- जब चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ढकता है, तब इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।
- इस समय सूर्य अर्धचंद्र जैसा दिखाई देता है या ऐसा लगता है जैसे किसी ने उसमें से काटकर एक हिस्सा निकाल दिया हो।
- यह ग्रहण सूर्य ग्रहण की तुलना में काफी बड़े क्षेत्र से देखा जा सकता है।
कंकणाकृति सूर्य ग्रहण
- यह ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य के बिल्कुल सामने होता है, लेकिन अपने दूरी पर होने के कारण छोटा दिखाई देता है।
- इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता और सूर्य चारों ओर से एक चमकदार अंगूठी या आग का छल्ला जैसा दिखाई देता है।
संकर सूर्य ग्रहण
- यह एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का ग्रहण है।
- इसमें कुछ स्थानों से यह ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, जबकि अन्य स्थानों से यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण के रूप में नजर आता है।
- यानी एक ही ग्रहण अलग-अलग जगहों पर अलग प्रकार से देखा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण 2025: दृश्यता और समय
| दूसरा सूर्य ग्रहण 2025 – खण्डग्रास सूर्यग्रहण | ||||
| आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि | दिन तथा दिनांक | सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय(भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) | सूर्य ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
| आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि | रविवार,21 सितंबर, 2025 | रात्रि22:59 बजे से | मध्यरात्रि उपरांत 27:23 बजे तक (22 सितंबर की प्रातः 03:23 बजे तक) | न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया का दक्षिण भाग (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: भारत में इस सूर्य ग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं होगा, क्योंकि यह यहाँ दिखाई ही नहीं देगा। इसलिए सूतक काल भी लागू नहीं होगा। लोग अपने रोज़मर्रा के सभी काम बिना किसी परेशानी के कर पाएंगे।
यह सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगा। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सूर्य का अपना नक्षत्र माना जाता है, इसलिए इसकी स्थिति ज्योतिष के अनुसार और भी खास मानी जाएगी।
ग्रहण के समय शनि देव मीन राशि में रहेंगे। उनकी दृष्टि सीधे सूर्य, चंद्रमा और बुध पर पड़ेगी, और ये तीनों ग्रह उस समय कन्या राशि में मौजूद रहेंगे। इस वजह से ग्रहों के बीच खास प्रकार का प्रभाव बनेगा, जिसका असर अलग-अलग राशियों पर देखने को मिलेगा।
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सूर्य ग्रहण 2025: 12 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं और सूर्य ग्रहण के समय यह कन्या राशि में छठे भाव में रहेगा। इस स्थिति के कारण आर्थिक स्थिरता में गिरावट आ सकती है। अचानक से खर्चे बढ़ सकते हैं या आर्थिक माहौल में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस अवधि में व्यक्ति की चिंता और तनाव का स्तर भी बढ़ सकता है। मन और भावनाओं पर दबाव अधिक महसूस होगा, साथ ही अनजान चीज़ों का डर भी सताएगा।
इसका असर रिश्तों पर भी पड़ेगा, दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों के साथ तनावपूर्ण स्थिति बन सकती है। यह सब इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति खुद को परिस्थितियों को संभालने में कमजोर और असहाय महसूस करता है। ऐसे समय में शेयर बाज़ार से जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चौथे भाव के स्वामी हैं और सूर्य ग्रहण के समय यह पांचवें भाव में रहेंगे। यह स्थिति इनके जीवन में समृद्धि, सफलता और आर्थिक लाभ लाएगा। अचानक से अच्छे अवसर मिल सकते हैं और किस्मत का साथ मिलेगा। इस दौरान करियर में भी उन्नति के योग बनेंगे। व्यक्ति अपनी पेशेवर क्षमता को पूरी तरह से पहचान पाएगा और आगे बढ़ने के मौके मिलेंगे। प्रमोशन, वेतन वृद्धि या अन्य लाभ मिलने की संभावना रहेगी।
संपर्क और जान-पहचान का दायरा भी बढ़ेगा। हालांकि, इस समय कुछ लोग आपका फायदा उठाने की कोशिश भी कर सकते हैं इसलिए सावधानी जरूरी है। कुल मिलाकर यह स्थिति आर्थिक लाभ और करियर में प्रगति दिलाने वाली साबित हो सकती है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए राहु का दसवें भाव में होना सामान्य रूप से शुभ माना जाता है, लेकिन इस स्थिति में यह नकारात्मक असर भी डाल सकता है। सूर्य तीसरे भाव के स्वामी हैं और राहु की मायवी प्रवृत्ति सूर्य के वास्तविक प्रभाव से टकरा सकती है। इसका असर यह हो सकता है कि लोग असंभव लक्ष्यों का पीछा करने लगें या फिर अपनी सामाजिक छवि बनाए रखने में संघर्ष करें। आगे बढ़ने की तीव्र इच्छा व्यक्ति को कभी-कभी गलत रास्ते अपनाने या परिस्थितियों को अपने हिसाब से मोड़ने की ओर प्रेरित कर सकती है। ताकि उसे पहचान मिल सके।
इस दौरान चुनौती यह है कि रचनात्मकता और नए विचारों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ एक व्यावहारिक दृष्टिकोण भी बनाए रखें। राहु मानसिकता को बढ़ा सकता है, जिससे अहंकार और जल्दबाज़ी की प्रवृत्ति आ सकती है, और यही बातें कार्यक्षेत्र में विवाद या टकराव का कारण बन सकती हैं।
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कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव के स्वामी हैं और इस समय यह तीसरे भाव में रहेगा। इस स्थिति के कारण व्यक्ति के भीतर अहंकार या घमंड जैसी प्रवृत्तियां आ सकती हैं, जो सच्चे ज्ञान और गहरी समझ पाने की कोशिश में रुकावट डाल सकती हैं। यह संयोजन नवें भाव पर भी असर डालता है, जिससे व्यक्ति की धार्मिक या बौद्धिक मान्यताओं के प्रति दृष्टि विकृत हो सकती है। ऐसे में सही समझ विकसित करना बहुत जरूरी है।
इस नकारात्मक प्रभाव को संतुलित करने के लिए विनम्रता अपनाना, सच्चे मार्गदर्शकों से सलाह लेना वास्तविक, सार्थक गतिविधियों में शामिल होना फायदेमंद रहेगा। जो लोग पारिवारिक व्यापार कर रहे हैं, उन्हें इस समय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और आर्थिक परेशानियां भी आ सकती हैं।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य पहले भाव के स्वामी हैं और इस समय यह दूसरे भाव में रहेंगे तथा आठवें भाव पर दृष्टि डालेंगे। आठवां भाव परिवर्तन और जीवन में छिपे हुए पहलुओं से जुड़ा होता है इसलिए इस अवधि में गहरे और बदलावकारी अनुभव सामने आ सकते हैं। सूर्य स्पष्टता और जागरूकता देने का काम करता है। लेकिन सूर्य ग्रहण की वजह से इसका पूरा फल नहीं मिल पाएगा। इस समय व्यक्ति के भीतर आत्म-खोज की गहरी इच्छा और गूढ़ ज्ञान पाने की लगातार चाहत जाग सकती है।
इन अदृश्य शक्तियों के असर से रचनात्मकता भी बढ़ेगी, जिससे नए विचारों और रहस्यमय चीज़ों को समझने की जिज्ञासा प्रबल होगी। हालांकि, पारिवारिक जीवन में चुनौतियां आ सकती हैं, घर के भीतर शक्ति संघर्ष, राजदारी या छुपाव की प्रवृत्ति तनाव का कारण बन सकती है। परिवार में विवाद होने की संभावना है और कुछ लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं।
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कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं और इस समय यह पहले भाव में रहेंगे। सूर्य की यह स्थिति आत्म-अभिव्यक्ति में कठिनाई ला सकती है, जिसका सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है। पति-पत्नी के बीच बार-बार तकरार हो सकती है, जिससे रिश्ते में तालमेल बिगड़ने की आशंका है।
घर का तनावपूर्ण माहौल व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। गंभीर परिस्थितियों में यह स्थिति तलाक तक की नौबत ला सकती है। इन बाधाओं से उबरने और रिश्ते को सुखद व स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए दोनों को मिलकर बहुत मेहनत करनी होगी और आपसी समझदारी से समस्याओं का समाधान निकालना होगा।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और इस समय यह बारहवें भाव में रहेंगे। इस स्थिति के कारण व्यक्ति के जीवन में शत्रुओं की संख्या बढ़ सकती है, जिससे मानसिक तनाव बना रहेगा। इस अवधि में व्यक्ति स्वार्थी, अहंकारी और चिड़चिड़ा हो सकता है। आत्मविश्वास की कमी और अंदर ही अंदर डर महसूस करना भी संभव है।
सरकारी मामलों में जैसे टैक्स आदि से परेशानी आ सकती है और उच्च अधिकारियों या बॉस के साथ रिश्ते भी तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से मानसिक तनाव या मनोवैज्ञानिक बीमारियों का खतरा हो सकता है।
स्त्री जातकों के लिए यह समय संतान जन्म में समस्या ला सकता है। प्रसव में देरी, गर्भपात या संतान को बचाने में कठिनाई जैसी स्थितियाँ संभव हैं। पत्नी के स्वास्थ्य में दिक़्क़तें आ सकती हैं और उसके इलाज पर अधिक धन खर्च होने की संभावना है।
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वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य दसवें भाव के स्वामी हैं और इस समय यह ग्यारहवें भाव में रहेंगे। इस स्थिति में व्यक्ति दूसरों को धोका देने या छल-कपट करने की प्रवृत्ति की ओर आकर्षित हो सकता है। पिता से संबंध तनावपूर्ण रह सकते हैं। पिता को भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और उनके स्वास्थ्य में भी समस्याएं आ सकती है। स्वयं व्यक्ति भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझ सकता है। पेट और लीवर की समस्या हो सकती है।
हृदय और पाचन से जुड़ी परेशानियां भी संभव हैं। जीवन की चुनौतियों के कारण व्यक्ति मानसिक तनाव महसूस कर सकता है। कुछ लोग इस समय सट्टेबाजी या गलत तरीकों से धन कमाने की ओर भी बढ़ सकते हैं। टैक्स से जुड़ी सरकारी समस्याएं सामने आ सकती है। स्वभाव के तौर पर व्यक्ति गुस्सैल और उग्र हो सकता है। दूसरों की राय को समझने और स्वीकार करने में कठिनाई हो सकती है।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नवें भाव के स्वामी हैं और इस समय यह दसवें भाव में रहेंगे। इस स्थिति के कारण व्यक्ति का घर परिवार में मन नहीं लगेगा। परिवार के सदस्यों के बीच बार-बार झगड़े हो सकते हैं। माता को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। माता-पिता से संबंध अच्छे न रहने की संभावना है। पिता का परिवार से जुड़ाव कमजोर हो सकता है या फिर माता-पिता से दूरी भी बन सकती है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से व्यक्ति कठोर, स्वार्थी और कभी-कभी छल-कपट करने वाला हो सकता है। गुस्सा अधिक आ सकता है और अहंकार भी बढ़ सकता है। आत्मविश्वास की कमी के कारण सार्वजनिक रूप से अपनी बात रखना मुश्किल हो सकता है। जीवन में कई तरह की चुनौतियां सामने आ सकती हैं। कार्यक्षेत्र में भी अधिकारी या बॉस के साथ संबंध तनावपूर्ण रह सकते हैं।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आठवें भाव के स्वामी हैं और इस समय यह नौवें भाव में रहेंगे। इस स्थिति के कारण सूर्य ग्रहण 2025 में व्यक्ति की कार्यक्षमता पर असर डाल सकता है। इस दौरान चाहे कितनी भी कोशिश करें, काम पूरे होने में दिक्कत आ सकती है। व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास की कमी और स्वयं से डरने जैसी भावना हो सकती है। वरिष्ठ लोगों से तालमेल नहीं बन पाएगा और उनसे विवाद हो सकता है।
भाई-बहनों से भी संबंध अच्छे नहीं रहेंगे या उन्हें समझना मुश्किल होगा। भाई-बहनों के स्वास्थ्य में भी समस्या आ सकती है। पिता से रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं या दूरी बढ़ सकती है। माता-पिता दोनों का स्वास्थ्य भी कमजोर हो सकता है। निर्णय लेने की क्षमता इस समय कमज़ोर पड़ सकती है। कुछ लोग छल-कपट और धोखाधड़ी करने में निपुण हो सकते हैं। अपने स्वार्थ के लिए वे दूसरों को अपनी बातों में फंसाने और मनाने में सफल रह सकते हैं। इस समय व्यक्ति का स्वभाव भी स्वार्थी हो सकता है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं और सूर्य ग्रहण 2025 के समय यह आठवें भाव में रहेंगे। सातवां भाव विवाह, सामाजिक पहचान और व्यापारिक साझेदारी से जुड़ा होता है। इस स्थिति में ग्रहण इच्छाओं और आसक्तियों को बढ़ा सकता है, जबकि सूर्य अधिकार और आत्म-अभिव्यक्ति का प्रतीक है। ऐसे में वैवाहिक जीवन, व्यापारिक संबंधों और आर्थिक मामलों में आंतरिक टकराव देखने को मिल सकता है। व्यक्ति अपने संसाधनों का सही ढंग से प्रबंधन करने में कठिनाई महसूस करेगा, जिसके कारण गलत आर्थिक फैसले लिए जा सकते हैं।
छल या धोखाधड़ी की संभावना भी बढ़ सकती है, जिससे संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। अत्यधिक अहंकारपूर्ण व्यवहार की वजह से व्यक्ति अपने स्वभाव में जरूरी बदलाव नहीं कर पाएगा और परिवार के भीतर रिश्तों में तनाव हो सकता है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी होते हैं और सूर्य ग्रहण 2025 के समय यह सातवें भाव में रहेंगे। इस स्थिति के कारण मीन राशि के लोग छल-कपटपूर्ण व्यवहार कर सकते हैं या फिर उन्हें ऐसे व्यक्तियों से सामना करना पड़ सकता है, जिनका स्वभाव भ्रष्ट या धोखेबाज़ हो। कार्यक्षेत्र में व्यक्ति अधीर हो सकता है और जीवन में अनेक कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
पिता के साथ तालमेल अच्छा नहीं रहेगा। कुछ लोगों का पिता से संपर्क टूट सकता है या पिता की सेहत और जीवनशक्ति कमजोर हो सकती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय कमजोर प्रतिरोधक क्षमता दर्शाता है। बार-बार बीमार पड़ने, बुखार या पेट से जुड़ी दिक्कतें होने की संभावना रहेगी। आंखों की समस्या, मुंह या हड्डियों से जुड़ी तकलीफ़ भी हो सकती है।
सूर्य ग्रहण 2025: उपाय
ज्योतिष में सूर्य ग्रहण 2025 को एक शक्तिशाली खगोलीय घटना माना जाता है। इसका असर अचानक होने वाले बदलावों, छिपे हुए सच और कर्मों के फल में दिखाई देता है। यह समय जीवन में परिवर्तन लाने वाला माना जाता है।
पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। यहाँ सूर्य ग्रहण से जुड़े कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं।
- ग्रहण के दौरान उपवास रखना अत्यधिक शुद्धिकरणकारी माना जाता है।
- गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र जैसे मंत्रों का जाप आध्यात्मिक सुरक्षा को मज़बूत करता है।
- ग्रहण काल आंतरिक चिंतन, ध्यान और उच्च ऊर्जाओं से जुड़ने के लिए आदर्श होता है।
- ग्रहण के बाद जरूरतमंदों को भोजन, अनाज या कपड़े दान करने से कर्म असंतुलन को दूर करने में मदद मिलती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कन्या राशि
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र।
इस बार भारत में कोई सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं दे रहा है।