कृष्ण जन्माष्टमी यानि भगवान विष्णु के आठवें अवतार का जन्मोत्सव। इसे बहुत से जगहों पर गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है। यह एक बेहद ही पावन हिंदू त्यौहार है जो प्रत्येक वर्ष नियम पूर्वक मनाया जाता है। पंचांग या हिंदू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व भाद्रपद महीने के आठवें दिन मनाया जाता है, पश्चिमी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है।
हमारे आज के इस खास ब्लॉग में हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही जानेंगे 2024 में जन्माष्टमी का यह पर्व कब मनाया जाएगा, इस दिन कौन से शुभ योग का निर्माण हो रहा है, भारत के अलग-अलग राज्यों में इस त्यौहार को किस तरह से मनाया जाता है, साथ ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी कुछ बेहद ही रोचक और जानने वाली जानकारियां भी हम आपको यहां पर प्रदान करेंगे।
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तो चलिए बिना देरी के शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी कब पड़ रही है।
वर्ष 2024 कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त और योग
हिंदू पंचांग के अनुसार 2024 में गोकुल अष्टमी या कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। बात करें शुभ पूजा मुहूर्त की तो,
निशीथ पूजा मुहूर्त :24:00:30 से 24:45:02 तक
अवधि :0 घंटे 44 मिनट
जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त :05:56:15 के बाद 27, अगस्त को
दही हांडी उत्सव 27 अगस्त 2024 मंगलवार
अधिक जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ – 26 अगस्त, शाम 3 बजकर 55 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र का समापन – 27 अगस्त, शाम 3 बजकर 38 मिनट पर
इसके अलावा अगर आप आने वाले 5 वर्षों की श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि जानना चाहते हैं तो,
वर्ष 2026 में 4 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी है
2027 में 25 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा
2028 में 13 अगस्त रविवार के दिन कृष्ण जन्माष्टमी पड़ेगी
2029 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी शनिवार 1 सितंबर को रहेगी और
साल 2030 में 21 अगस्त बुधवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाएगा।
जयंती योग में मनेगी कृष्ण जन्माष्टमी
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी इसलिए भी बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन जयंती योग रहने वाला है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जयंती योग में जो कोई भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत करता है उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से उनके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा इस योग में अगर जन्माष्टमी का व्रत या पूजा की जाए तो ऐसे व्यक्ति को बैकुंठ धाम में निवास मिलता है।
अधिक जानकारी: इस वर्ष गृहस्थ जीवन और वैष्णव समुदाय के लोग एक ही दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाने वाले हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार प्रभु श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि या भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मथुरा के शहर में माँ देवकी और वासुदेव के घर हुआ था। मथुरा का राक्षस राजा कंस, देवकी का भाई था। एक बार भविष्यवाणी में कहा गया था कि, कंस को उसके पापों के परिणाम के रूप में देवकी के आठवें पुत्र द्वारा मारा जाएगा इसीलिए कंस ने अपनी मौत के डर से अपनी बहन और उनके पति को कारागार में डाल दिया।
यह भविष्यवाणी सच ना हो इसलिए इसे रोकने के लिए उसने देवकी के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद मार डालने का प्रयास भी किया। जब देवकी ने अपने आठवें बच्चे को जन्म दिया तो वासुदेव ने रात के समय शिशु को वृंदावन में यशोदा और नंदलाल के घर पहुंचा दिया। यह शिशु कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु का आठवां स्वरूप ही था जिन्हें बाद में श्री कृष्ण के नाम से जाना गया और इन्होंने ही कंस को मारकर उसके आतंक के शासन को समाप्त किया था।
ऐसे में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार को देवत्व, प्रेम और धार्मिकता के प्रति के रूप में जाना जाता है। श्री कृष्ण का जीवन और शिक्षाएं भक्तों को धर्म, कर्म और भक्ति के आधार पर जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का ज्योतिषीय महत्व
भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी बेहद ही अविश्वसनीय और खूबसूरत है। उनका जन्म कृष्ण पक्ष या ढलते चंद्रमा चरण की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र के तहत हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म भाद्रपद के महीने में हुआ था इसके परिणाम स्वरुप ज्योतिष गणनाओं का उपयोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथियां और समय को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
प्रभु श्री कृष्ण को रक्षक माना जाता है जो संसार को धर्म और अधर्मियों से बचाते हैं। कंस के कर्म बेहद ही बुरे थे और इसी वजह से प्रभु श्री कृष्ण ने उन्हें मार डाला था। ऐसे में जब भी दुनिया में अराजकता और आतंक बढ़ता है तो धर्म के शासन को बहाल करने के लिए भगवान विष्णु पृथ्वी पर अलग-अलग अवतार लेते रहते हैं।
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कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान
कृष्ण जन्माष्टमी पर तरह-तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि कृष्ण जन्माष्टमी का यह त्यौहार सभी उम्र के लोग मनाते हैं। इस दिन से जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठानों की बात करें तो कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भक्त उपवास करते हैं, पूरा दिन भगवान कृष्ण को याद करते हैं, उनकी पूजा पाठ करते हैं और यह व्रत आधी रात को अर्थात 12:00 बजे कृष्ण जी के जन्म के साथ पूरा होता है।
पूरे दिन भक्त भगवान के नाम का जाप करते हैं, उनकी भक्ति करते हैं, उनके लिए भक्ति गीत गाते हैं, उनके जीवन की कहानी सुनते हैं, लीलाओं को बताते हैं और इन सबके लिए कई बार विस्तृत नाटक भी प्रस्तुत किए जाते हैं। बच्चे कृष्ण और उनकी गोपियों की वेश में रासलीला करते हैं। इसके अलावा चूंकि माखन भगवान श्री कृष्ण को बेहद ही प्रिय है इसलिए इस दिन का एक महत्वपूर्ण भोग माखन को माना गया है।
नन्हे गोपाल को प्रसन्न करने के लिए भक्त दूध, सूखे मेवे, चीनी और खोये से बनी मिठाइयां उन्हें अर्पित करते हैं। कृष्ण की शिक्षाओं और जीवन के अर्थ को याद रखने में हमारी मदद करने के लिए भागवत गीता के अंश का पाठ किया जाता है।
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दुनिया भर में कैसे मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार?
कृष्ण जन्माष्टमी का यह त्यौहार पूरी दुनिया में जोरों शोरों के साथ मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ दुनिया भर के लोग इस त्यौहार का हिस्सा बनते हैं और इस त्यौहार को अलग अलग तरीके से मनाते हैं।
उत्तर भारत
उदाहरण के तौर पर उत्तर भारत की बात करें तो उत्तर भारत का सबसे बड़ा त्योहार जन्माष्टमी ही माना गया है। इस दिन लोग रासलीला मनाते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी पर इस दिन पतंग उड़ना भी एक महत्वपूर्ण आयोजन माना जाता है।
पूर्वोत्तर या पूर्वी भारत
जन्माष्टमी के दिन मणिपुर के लोग प्रेम से प्रेरित नृत्य नाटिका, राधा कृष्ण रासलीला का प्रदर्शन करते हैं, माता-पिता अपने बच्चों को कृष्ण की कहानी सुनाते हैं, उन्हें गोपियों और कृष्ण के रूप में तैयार करते हैं और भागवत गीता के भागवत पुराण के दसवें अध्याय को पढ़ते हैं।
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा
यहां पर कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णा उड़ीसा के नाम से जाना जाता है। जन्माष्टमी के दिन लोग आधी रात तक व्रत करते हैं और पूजा पाठ करते हैं। इस दिन लोग भागवत पुराण के दसवें पुराण का पाठ करते हैं। अगले दिन नंद उत्सव मनाया जाता है जो कृष्ण के पालक माता पिता नंद और यशोदा के सम्मान का एक त्यौहार है।
राजस्थान और गुजरात
मक्खन हांडी यहां पर मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन लोक नृत्य करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाते हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के लोग कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के बाद का दिन दही हांडी या दही उत्सव के लिए समर्पित होता है। इस दिन लोग दही की हांडी फोड़ते हैं। दही की हांडी दरअसल एक मिट्टी का बर्तन होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शिशु कृष्ण माखन और दही चुराया करते थे और इसलिए लोग अपने घर में दूध और दूध से संबन्धित चीजों को कृष्ण की पहुंच से दूर रखते थे और उसे ऊंचा लटका देते थे। इसी उपलक्ष्य में दहीहंडी का त्यौहार मनाया जाता है।
इसमें रस्सी से माखन की मटकी को बांधकर बहुत ऊपर लटका दिया जाता है, फिर लोग मानव पिरामिड बनाकर दही हांडी फोड़ते हैं और फिर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में गोकुलाष्टमी का उत्सवों से मनाया जाता है। कोलम का उपयोग तमिलनाडु में फर्श को सजाने के लिए किया जाता है और इस दिन कृष्ण के सम्मान वाले भक्ति गीत गाए जाते हैं, घर में कृष्ण के आने को या आगमन को दर्शाने के लिए प्रवेश द्वार से पूजा कक्ष तक जाते हुए कृष्ण के पद चिन्ह बनाया जाता है। इस दिन कृष्ण को मक्खन, पान और फल का भोग लगाते हैं।
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सिर्फ इतना ही नहीं विदेश में भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का धूम या उत्सव देखने को मिलता है। जैसे कि नेपाल में, नेपाल के लोग आधी रात तक उपवास रखते हैं, फिर धार्मिक गीत गाते हुए भागवत गीता के श्लोक का जाप करके श्री कृष्ण जन्माष्टमी मानते हैं।
फिजी: फिजी की बात करें तो जन्माष्टमी को कृष्ण अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इन आठ दिनों के दौरान हिंदू अपने घरों और मंदिरों में अपनी मंडलियों के साथ एकत्र होकर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित भजन कीर्तन करते हैं।
यूएस: संयुक्त राज्य अमेरिका में भी जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन हरे कृष्णा मंडली और उनके अनुयायियों द्वारा रंगारंग उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
बांग्लादेश: इसके अलावा बांग्लादेश में जन्माष्टमी को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाते हैं। इस दिन कई जगह झांकियां आदि निकल जाती है।
सिंगापुर: श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और कृष्णा जप प्रतियोगिता भी की जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी ज्योतिषीय उपाय
कृष्ण जन्माष्टमी पर कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय करने से जीवन में तमाम तरह के सुख और समृद्धि की प्राप्ति की जा सकती है। इससे संबंधित उपाय हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।
- जन्माष्टमी के दिन अगर आप सात कन्याओं को बुलाकर उन्हें खीर या फिर कोई भी सफेद मिठाई खिलाते हैं और लगातार पांच शुक्रवार तक ऐसा करते हैं तो आपकी आय में निश्चित वृद्धि होगी, नौकरी में प्रमोशन और इंक्रीमेंट का योग बनेगा और आपका बैंक बैलेंस मजबूत होगा।
- जन्माष्टमी की रात 12:00 बजे लड्डू गोपाल के जन्म के बाद केसर मिले दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से सुख समृद्धि जीवन में आएगी।
- कृष्ण जन्माष्टमी पर पान का पत्ता भगवान कृष्ण को अवश्य अर्पित करें। अगले दिन इस पत्ते पर रोली से श्री यंत्र लिखकर इसे तिजोरी में रखें। ऐसा करने से धन वृद्धि के योग बनेंगे।
- अगर आपको संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करें। साथ ही इस दिन घर पर गाय के बछड़े की मूर्ति लेकर आयें। ऐसा करने से जल्द ही संतान प्राप्ति के योग आपके जीवन में बनने लगेंगे।
- जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद राधा कृष्ण मंदिर जाकर भगवान कृष्ण को पीले फूलों की माला अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी जीवन से दूर होगी।
कृष्ण जन्माष्टमी राशि अनुसार मंत्र और दान की जानकारी
इस श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अगर आप भी भगवान कृष्ण की कृपा अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन आप अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए राशि अनुसार इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। साथ ही आप अपनी राशि के अनुसार इस दिन दान भी कर सकते हैं जिससे आपकी मनोकामना पूरी होगी और मनचाहा वरदान मिलेगा।
राशि | मंत्र | इन चीजों का करें दान |
मेष राशि | ‘ॐ गोविंदाय नमः’ | गेहूं और गुड |
वृषभ राशि | ॐ अनंताय नमः’ | माखन, मिश्री और चीनी |
मिथुन राशि | ‘ॐ अच्युताय नमः’ | अन्न |
कर्क राशि | ‘ॐ माधवाय नमः’ | दूध, दही, चावल और मिठाई |
सिंह राशि | ‘ॐ वासुदेवाय नमः’ | गुड़, शहद और मसूर दाल |
कन्या राशि | ‘ॐ आदित्याय नमः’ | गौशाला में चारा खरीदने के लिए धन |
तुला राशि | ‘ॐ बलभद्रप्रियनुजाय नमः’ | सफेद और नीले रंग के कपड़े |
वृश्चिक राशि | ‘ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः’ | गेंहू, गुड़ और शहद |
धनु राशि | ‘ॐ मधुराकृतये नमः’ | गीता |
मकर राशि | ‘ॐ गोपगोपीश्वराय नमः’ | जरूरतमंदों को नीले रंग के कपड़े |
कुम्भ राशि | ‘ॐ गोपालाय नमः’ | जरूरतमंदों को धन |
मीन राशि | ‘ॐ जगन्नाथाय नमः’ | केले, बेसन के लड्डू, मिश्री, माखन |
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उत्तर: जन्माष्टमी का पूरा नाम कृष्ण जन्माष्टमी है।
उत्तर: 2024 में 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
उत्तर: हिंदू धर्म में चंद्र कैलेंडर के आठवें दिन को अष्टमी कहा जाता है। यह अच्छा या बुरा नहीं होता। यह मात्र एक दिन है लेकिन क्योंकि क्योंकि कृष्णा अष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाती है, इसे बहुत भाग्यशाली माना जाता है।
उत्तर: कलयुग का अंत 428,899 ईस्वी में होगा।