सवाल नौकरी से संबंधित हो या व्यवसाय से या फिर पारिवारिक जीवन से, ज्योतिष की दुनिया में इन सभी सवालों का हल व्यक्ति की कुंडली और उनमें मौजूद ग्रहों और नक्षत्रों पर आधारित होता है। व्यक्ति की कुंडली में कौन सा ग्रह कहाँ स्थित है इस बात का हमारे आपके जीवन पर गहरा असर पड़ता है। कई बार यही ग्रह कुंडली में शुभ स्थान पर होने पर हमारी ज़िंदगी में सकारात्मक परिणाम लेकर आते हैं तो कभी यही ग्रह हमारे जीवन में उठापटक की वजह भी बन जाते हैं।
व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ये ग्रह हमारे करियर को सही दिशा देते हैं और उसी सही राह पर ले जाने में भी मददगार साबित होते हैं। ऐसे में अगर आप भी अपनी कुंडली में मौजूद ग्रहों के अनुसार अपने लिए उपयुक्त करियर की तलाश में हैं तो हमारी कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट इसमें आपकी मदद कर सकती है। अब हम बात करते हैं ‘छाया ग्रह’ केतु के बारे में, कुंडली में इसकी उपस्थिति और हमारे करियर और पेशेवर जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में।
कार्य क्षेत्र से जुड़े केतु ग्रह का द्वादश भावों का फल
कुंडली के 12 भावों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। इन नौ ग्रहों में केतु एक छाया ग्रह है, लेकिन जन्म कुंडली में यह जिस भाव में स्थित होता है, उससे संबंधित क्षेत्र में व्यक्ति पर जीवन भर असर डालता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु, सूर्य एवं चंद्र के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिंदुओं के द्योतक हैं, जो पृथ्वी के सपेक्ष एक दूसरे के विपरीत दिशा में स्थित रहते हैं। चूंकि ये ग्रह कोई खगोलीय पिंड नहीं हैं, इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है।
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हिन्दू ज्योतिष में केतु अच्छी व बुरी आध्यात्मिकता एवं पराप्राकृतिक प्रभावों के कार्मिक संग्रह का द्योतक है। यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक है।
ऐसा माना जाता है कि केतु अपने भक्त के परिवार को समृद्धि दिलाता है। ज्योतिष गणनाओं के लिए केतु को तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानते हैं। यह ग्रह तीन नक्षत्रों का स्वामी है: अश्विनी, मघा एवं मूल नक्षत्र। यही केतु जन्म कुण्डली में राहु के साथ मिलकर कालसर्प योग की स्थिति बनाता है। केतु मतान्तर से वृश्चिक व धनु राशि में उच्च का और वृष व मिथुन में नीच राशि में माना जाता होता है। मत्स्य पुराण के अनुसार केतु बहुत-से हैं, उनमें धूमकेतु प्रधान है।
आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कुंडली के अलग-अलग भावों में स्थित होने पर केतु आपके करियर को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है और विभिन्न भावों में स्थित होने पर आप किस प्रकार के कार्य क्षेत्रों का चुनाव कर सकते हैं। इसके साथ ही करियर के सही चुनाव के लिए आप कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट का सहारा भी ले सकते हैं।
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प्रथम भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह प्रथम भाव में हो तो ऐसा जातक किसी व्यापार में या सेवा क्षेत्र में संतोषजनक उपलब्धि हासिल करता है। वह ज्ञानी, तीव्र स्मरण शक्ति वाला, नीतिज्ञ, भाग्यशाली, स्थूल देह वाला तथा चतुर बुद्धि का होता है। केतु शुभ संबंधों में होने पर व्यक्ति किसी राजनीतिज्ञ का गुप्त चर बन कर धन अर्जित करता है।
द्वितीय भाव में केतु ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में केतु ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक यात्रा क्षेत्र से जुड़े कार्य व अपने माता पिता एवं गुरुजनों का आज्ञाकारी, अनेक प्रकार के व्यवसायों से धन अर्जित करने वाला, वाहन व चौपाय संबंधित व्यापार करता है।
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तृतीया भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह तृतीय भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक किसी भी काम को करने से पहले आलस करता है। आलस के कारण व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली बहुत बड़ी सफलता को असफलता में बदल लेता है। ऐसे व्यक्ति को अपनी बहनों से अर्थ लाभ एवं व्यापार, व्यवसाय वृद्धि संबंधित सलाह व सहयोग दिलवाता है और अंत में ऐसा जातक अपना व्यापार शुरु कर अपनी अच्छी आजीविका प्रारम्भ करता है।
चतुर्थ भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह चतुर्थ भाव में हो तो ऐसा जातक व्यवसाय के माध्यम से धन कमाने वाला, पशु सेवा से लाभ अर्जित करने वाला, धार्मिक कार्यों में रूचि रखने वाला अथवा गायन एवं संगीत कला में रूचि रखने वाला एवं एक अच्छा वक्ता होता है। परन्तु अक्सर व्यक्ति को सुखों से वंचित रखता है।
पंचम भाव में केतु ग्रह का फल
जन्म कुंडली के पंचम भाव में केतु ग्रह स्थित हो तो ऐसा जात एक अच्छा राज नेता बन कर समाज का सही ढंग से प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा जातक कलात्मक होता है और नाट्य, मनोरंजन, संगीत, नृत्य, शेयर बाजार से जुड़ा कार्य करता है। ऐसा व्यक्ति किसी हॉल का मालिक हो सकता है, जो अलग अलग तरह की पार्टी आयोजित कराता हो।
ग्रहों और नक्षत्रों का खेल समझना इतना भी आसान नहीं है। इस संदर्भ में आपके मन में कोई भी सवाल या संदेह है तो अभी आचार्य डा. सुनील बरमोला को करें कॉल और जानें समाधान।
छठे भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुण्डली के छठे भाव में केतु ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक एक अच्छा समाज सेवक व न्यायधीश, वकील व अपने व्यवसाय के माध्यम से आजीविका चलाने वाले होता है। परन्तु अक्सर रोग व शत्रुओं से परेशान रहता है। ऐसा व्यक्ति अपनी पढ़ाई में गंभीरता रखता है क्योंकि उसे इसी का लाभ मिलता है। यदि 10 वीं के बाद विषयोंं के चयन से जुड़ी कोई समस्या हो तो आप कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट की मदद भी ले सकते हैं।
सप्तम भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में केतु ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा पाप वृत्ति में लिप्त, अत्यधिक यौनाचार के कारण बीमार और स्वास्थ्य-सम्बन्धी परेशानियों से ग्रस्त होता है। जीवनसाथी अथवा विपरीत लिंगी जातकों द्वारा धन प्राप्त करता है या विदेशी कार्य करता है। ऐसा व्यक्ति पार्टनरशिप में बिजनेस करें तो लाभ उठा सकता है।
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अष्टम भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह अष्टम भाव में हो तो जातक दुर्बल अथवा पुष्ट शरीर वाला और कभी लाभ और कभी हानि पाने वाला होता है अर्थात इन क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव हो सकता है। ऐसा व्यक्ति धन के रहते हुए भी उसका सुख न पाने वाला और पापकर्म कर अपनी आजीविका प्राप्त करने का विचार रखने वाला हो सकता है। ऐसा जातक मित्रों के साथ मिल कर अपना व्यापार या उनके साथ में व्यापार की योजना बनाता है।
नवम भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह नवमभाव में हो तो जातक दूसरे के धन का उपयोग करने वाला, व्यसनों से रहित, धार्मिक प्रवृत्ति वाला, शास्त्रों का ज्ञाता एवं परोपकारी प्रवृत्ति वाला होता है। दूसरों का सहयोग कर अपना जीवन यापन करता है। ऐसा जातक अक्सर दूसरों की भलाई करने वाले कार्य अथवा समाज सेवा और पूजा-पाठ के कामों से जुड़ा हो सकता है।
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दशम भाव में केतु ग्रह का फल
जन्म कुंडली के दशम भाव में केतु ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक परोपकार, धर्मार्थ या सुधारक संस्थान, जेल, शरण और अस्पताल आदि से जुड़ा होता है। इस भाव में बैठे केतु ग्रह के जातक अपराधियों, जासूसों, गुप्त बलों और गुप्त दुश्मनों, भूमिगत जैसे कार्य व मंत्रालय से जुड़ा कार्य करते हैं ।
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एकादश भाव में केतु ग्रह का फल
जन्म कुंडली के एकादश भाव में केतु ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक कार्यो को करने मे कुशल, दूसरों के प्रभाव से अपनी इष्ट-पूर्ति करने वाला, दृढ-निश्चयी लेकिन क्षणिक, नीच स्वभाव का, नीच कर्म करने वाला, कष्ट-सहिष्णु, विपरीत लिंगी जातकों के द्वारा कार्य साधन करने वाला और सट्टेबाजी का काम कर के अपनी आजीविका प्राप्त करता है ।
द्वादश भाव में केतु ग्रह का फल
किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह द्वादश भाव में हो तो ऐसा जातक सामाजिक सेवा करने वाला, उद्योग करते रहने पर भी सिद्धि न पाने वाला, परिश्रमी, मूर्ख, चिन्तातुर, मतिमन्द, कपटी तथा नीच वृत्ति वाला होता है। ऐसा जातक का अक्सर विदेशी गमन या विदेश से धन प्राप्ति योग बनता है।
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ऊपर दिए गए विवरण से केवल कार्यक्षेत्र और व्यवसाय के संदर्भ में कुंडली के विभिन्न भावों में केतु की स्थिति पर आधारित सामान्य फल का ज्ञान मिलता है। विशेष फल के लिए कुंडली का विवेचन और देश काल तथा पात्र की स्थिति के अनुसार व्यक्तिगत विश्लेषण करना परम आवश्यक है। इस प्रकार आप जान सकते हैं कि जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित केतु आपके कार्य एवं व्यवसाय को अलग-अलग रूपों में प्रभावित करता है।
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