Yashoda jayanti 2021 : प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की षष्ठी तिथि पर यशोदा जयंती मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण की माता यानि माता यशोदा का जन्मदिन आता है। साल 2021 में नंद की पत्नी और बाल गोपाल श्रीकृष्ण की माता यशोदा की जयंती तिथि बृहस्पतिवार के दिन 4 मार्च को है। इस दिन मंदिरों और घरों में लोग माता यशोदा और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। यशोदा जयंती के दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। भारत के कई हिस्सों में यशोदा जयंती बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में यह पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। तो आइए जानते है यशोदा जयंती 2021 (Yashoda jayanti 2021) पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, और यशोदा जयंती व्रत का महत्व।
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यशोदा जयंती 2021:(Yashoda jayanti 2021, Date)
व्रत तिथि- 04 मार्च, 2021, बृहस्पतिवार
षष्ठी प्रारंभ तिथि- 04 मार्च, 2021, सुबह 12:21 मिनट से
षष्ठी समाप्त तिथि- 04 मार्च, 2021, 09:57 मिनट तक
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यशोदा जयंती व्रत महत्व
फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि पर यशोदा जयंती मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में यह दिन बेहद खास माना जाता क्योंकि ऐसी मान्यता है, कि यदि माताएं माता यशोदा की गोद में बैठे भगवान कृष्ण की प्रतिमा या मूर्ति को पूजती हैं, और व्रत रखती हैं, तो उनकी संतान पर आने वाली सभी परेशानियां खत्म हो जाती है। निसंतान दंपत्ति को भी संतान सुख की प्राप्ति होती है। उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। ऐसी भी मान्यता है, कि यशोदा जयंती के दिन यदि कोई महिला भगवान कृष्ण और माता यशोदा की पूजा करती हैं, तो कृष्ण जी उन्हें अपने बाल स्वरूप के दर्शन देते हैं, और उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं । इसलिए हिन्दू धर्म में यशोदा जयंती का विशेष महत्व माना गया
है।
यशोदा जयंती पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र धारण करें।
- माता यशोदा और भगवान कृष्ण का मन से स्मरण करें।
- अपनी संतान के सुख की कामना करें।
- मां को लाल चुन्नी चढ़ाएं।
- पंजीरी, मिठाई और मक्खन का भोग लगाएं।
- दिन भर उपवास करें, शाम को फलाहार करें
- भोग में लगाया प्रसाद खाकर व्रत खोलें।
- माता यशोदा की गोद में बैठे बाल गोपाल कृष्ण जी का दुलार करें
- भगवान कृष्ण और माता यशोदा से वरदान मांगे।
यशोदा जयंती रोचक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार माता यशोदा ने अपने पूर्व जन्म में सृष्टि रचयिता भगवान विष्णु की तपस्या की,भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए, और बोले आप जो चाहे वर मांग लें। इस पर माता यशोदा ने कहा, कि हे नाथ, आप मुझे अगले जन्म में पुत्र के रूप में प्राप्त हो मेरी यही कामना है। भगवान ने खुश होकर कहा , देवी मैं वासुदेव और माता देवकी के घर जन्म लूंगा, लेकिन माता का सुख और दुलार मुझे आपसे ही प्राप्त होगा, और समय के साथ ऐसा ही हुआ, भगवान कृष्ण ने जन्म वासुदेव और माता देवकी के घर लिया, परंतु परिस्थिति वश उनका पालन-पोषण करने का सुख माता यशोदा को प्राप्त हुआ, तभी से हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है, कि जो भी निसंतान महिला यशोदा जयंती के दिन व्रत कर पूजा-पाठ करती है, भगवान कृष्ण उसकी गोद जरूर भरते हैं।
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