कर्क संक्रांति के ठीक एक दिन बाद मांगलिक कार्यों पर लग जाएगी रोक, जानें इस दिन के उपाय!

ग्रहों के राजा सूर्य हर माह अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। ऐसे में, इनकी चाल, दशा या राशि में होने वाला बदलाव सभी राशियों के साथ-साथ संसार और देश-दुनिया को भी प्रभावित करता है। इसी क्रम में, कर्क संक्रांति 2024 का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है जो कि सूर्य देव को समर्पित होता है। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको कर्क संक्रांति से जुड़े सभी सवालों के जवाब देगा जैसे कि इस साल कब मनाया जाएगा कर्क संक्रांति का त्योहार और क्या है इस दिन का महत्व? साथ ही, आपको अवगत करवाएंगे कि कर्क संक्रांति पर कब और कैसे करें सूर्य देव की पूजा। इसके अलावा, किन उपायों को करने से मिलेगा भगवान सूर्य का आशर्वाद, यह भी बताएंगे। तो आइए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते है इस लेख की।

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सूर्य देव की कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2024, रविवार के दिन मनाई जाएगी। बता दें कि सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर को संक्रांति कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कर्क संक्रांति पर भक्त पवित्र नदियों के जल में स्नान करते हैं और इसके पश्चात, सूर्य देव की पूजा करके दान करते हैं जिससे पुण्य कर्मों की प्राप्ति होती है। कर्क संक्रांति का दिन कई मायनों में बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने से लेकर ग्रहों को शांत भी किया जा सकता है। चलिए अब हम नज़र डालते हैं कर्क संक्रांति 2024 की तिथि एवं मुहूर्त पर।

कर्क संक्रांति 2024: तिथि एवं शुभ मुहूर्त

ज्योतिष में संक्रांति का दिन सूर्य की राशि में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है जिसका शुभ-अशुभ असर सभी प्राणियों पर देखने को मिलता है। कर्क संक्रांति के दिन सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश करते है इसलिए इसे कर्क संक्रांति कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य महाराज विशाखा नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी कि 16 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करेंगे। इस दिन दान-पुण्य, पूजा-पाठ और स्नान आदि का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन सूर्य पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।

कर्क संक्रांति की तिथि एवं पूजा मुहूर्त  

कर्क संक्रांति की तिथि: 16 जुलाई 2024, मंगलवार  

कर्क संक्रांति पुण्य काल का मुहूर्त: 16 जुलाई 2024 की सुबह  05 बजकर 29 मिनट से सुबह 11 बजकर 29 मिनट तक,

कर्क संक्रांति महापुण्य काल का मुहूर्त: सुबह 09 बजकर 10 मिनट से 11 बजकर 29 मिनट तक 

अवधि: 02 घंटे 19 मिनट

कर्क संक्रांति का क्षण: सुबह 11:29 पर 

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आगे बढ़ने से पहले आपका यह जानना जरूरी है कि संक्रांति किसे कहते हैं। 

क्या होती है संक्रांति? 

जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि सूर्य के गोचर या राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिष में जहां सूर्य को नवग्रहों के राजा माना जाता है, तो वहीं सनातन धर्म में इनकी देवता स्वरूप में पूजा की जाती है इसलिए सूर्य के गोचर की तिथि सभी तरह के कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। बता दें कि सूर्य ग्रह एक राशि में एक माह तक रहते हैं और ऐसे में, हर महीने में सूर्य देव का गोचर होता है। इस प्रकार, सूर्य को मेष से लेकर मीन राशि तक का चक्र पूरा करने में एक साल का समय लगता है और जब सूर्य मेष, वृषभ या फिर किसी भी राशि में गोचर करते हैं, तो उस संक्रांति को राशि के नाम से जाना जाता है, उदाहरण के लिए सूर्य का यह गोचर कर्क राशि में होगा इसलिए इसे कर्क संक्रांति कहा जाएगा।

आज का गोचर

कर्क संक्रांति का महत्व

कर्क संक्रांति 2024 को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है और यह वर्ष में एक बार आती है इसलिए इस दिन को बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कर्क संक्रांति सूर्य देव के दक्षिणायन होने को दर्शाती है क्योंकि इस गोचर के साथ सूर्य की छह महीने के उत्तरायण काल का अंत हो जाता है और दक्षिणायन यात्रा का शुभारंभ होता है। सरल शब्दों में कहें, तो इस दिन सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं और इसके साथ ही धीरे-धीरे दिन छोटे होने लगते हैं। कर्क संक्रांति से शुरू हुई दक्षिणायन यात्रा का समापन मकर संक्रांति के साथ होता है।

पौरणिक मान्यताओं के अनुसार, कर्क संक्रांति पर सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने पर मौसम में बदलाव नज़र आने लगते हैं। बारिश की शुरुआत हो जाती है जिससे मौसम सुहावना हो जाता है और बादलों का खुलकर बरसना कृषि के लिए अति आवश्यक होता है। इससे लोगों को गर्मी से भी राहत मिलती है।

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कर्क संक्रांति 2024 का धार्मिक महत्व

कर्क संक्रांति के दिन जब सूर्य दक्षिणायन होंगे उस दिन से वह आने वाले अगले छह माह तक कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु समेत मकर राशि में बारी-बारी से एक-एक महीने के लिए रहेंगे। सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही चातुर्मास का भी आरंभ हो जाता है। चातुर्मास चार महीनों की ऐस अवधि होती है जब भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं। चातुर्मास को चौमासा 

के नाम से भी जाना जाता है।

कर्क संक्रांति और देवशयनी एकादशी एक दिन होने की वजह से इस दिन भगवान सूर्य के अलावा विष्णु जी की पूजा करना फलदायी साबित होता है। इस अवसर पर श्रीहरि की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों द्वारा उपवास किया जाता है। साथ ही, कर्क संक्रांति पर अन्न और वस्त्र का दान करना बेहद पुण्यदायी होता है। जो लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृ तर्पण करना चाहते हैं, तो ऐसा करने के लिए कर्क संक्रांति का दिन श्रेष्ठ रहता हैं।

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कर्क संक्रांति 2024 का ज्योतिषीय महत्व एवं प्रभाव

ज्योतिष की दृष्टि से, वर्ष 2024 की कर्क संक्रांति की बात करें, तो इस संक्रांति का नाम महोदर और दृष्टि वायव्य है। सूर्य देव का वाहन गज है और यह पश्चिम दिशा में गमन करेंगे। ऐसे में, यह संक्रांति पशुओं के लिए बहुत अच्छी रहेगी और इस दौरान वस्तुओं की लागत सामान्य रहने के संकेत है। यह कर्क संक्रांति व्यक्ति के जीवन में धन-समृद्धि लेकर आएगी। लेकिन, लोगों को सर्दी-खांसी की समस्या परेशान कर सकती है इसलिए थोड़ा सतर्क रहना होगा।

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कर्क संक्रांति से हो जाएगी चातुर्मास की शुरुआत

कर्क संक्रांति के दिन सूर्य देव के कर्क राशि में प्रवेश के साथ चातुर्मास शुरू हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, हर साल जगत के पालनहार छह महीने के लिए सो जाते हैं और इसी के साथ चार महीनों के लिए सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस प्रकार, कर्क संक्रांति के दिन ही देवशयनी एकादशी पड़ती है। 

इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। बता दें कि कर्क संक्रांति के दिन एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई 2024 की रात 08 बजकर 35 मिनट पर होगा जबकि इसका समापन 17 जुलाई 2024 की रात 09 बजकर 04 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024 को किया जाएगा।

कर्क संक्रांति पर कैसे करें सूर्य देव की पूजा

  • कर्क संक्रांति के दिन स्नान और दान का अत्यधिक महत्व है इसलिए भक्त प्रातःकाल उठकर गंगा नदी में स्नान करें।
  • अगर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो, तो आप घर पर ही स्नान के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान से निवृत होने के बाद, उगते हुए सूर्य देव को जल में गंगा जल मिलाकर चढ़ाएं। सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए लगातार सूर्य मंत्रों का जाप करते रहें।
  • इस अवधि में भगवान विष्णु निद्रा में होंगे इसलिए भगवान विष्णु की भी पूजा-अर्चना करें। साथ ही, श्रीहरि के मंत्रों का जाप करें।
  • इसके अलावा, विष्णु कवच और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • मान्यताओं के अनुसार, कर्क संक्रांति पर दान करना शुभ होता है इसलिए इस तिथि पर गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, तेल और अन्य जरूरत की चीजें दान करना श्रेष्ठ रहता है।
  • इस तिथि पर पशु-पक्षियों को भी भोजन खिलाएं जैसे आप रोटी दे सकते हैं या गौशाला में चारा दान किया जा सकता है।
  • कर्क संक्रांति का पुण्य पाने के लिए सूर्य देव के मंत्रों या गायत्री मंत्र का जाप करना फलदायी सिद्ध होता है। 

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सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय

मेष राशि: कर्क संक्रांति पर भक्तजन तुलसी के पौधों की पूजा करें। साथ ही, गेंदे के फूल लगाएं आदि कार्य करना शुभ रहेगा।

वृषभ राशि: इस अवसर पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का पंचामृत से स्नान कराएं तथा “ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि वालों को कर्क संक्रांति पर अपने जीवन से प्रेम संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र और पीले फूल अर्पित करने चाहिए।

कर्क राशि: इस राशि के जातक विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और विष्णु जी को मिठाई का प्रसाद रूप में भोग लगाएं।

सिंह राशि: सिंह राशि वालों के लिए कर्क संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देने के साथ-साथ सूर्य मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ रहेगा। आपको भगवान विष्णु की पूजा करने की भी सलाह दी जाती है।

कन्या राशि: कन्या राशि वालों के लिए “ॐ नमो नारायणाय नमः” का जाप करना शुभ रहेगा। 

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तुला राशि: तुला राशि के जातक कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही, गरीबों को मिठाई का दान करें।

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक इस दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना करें। इसके अलावा, जल में 5 लाल गुलाब की पंखुड़ियां मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। 

धनु राशि: धनु राशि वाले गरीबों को पीले कपड़े दान करें और बुजुर्गों की सेवा करें।

मकर राशि: मकर राशि के जातक कर्क संक्रांति पर वृद्धाश्रम में भोजन दान करें और सुबह स्नान करने के बाद विष्णु मंत्र का जाप करें।

कुंभ राशि: कुंभ राशि के लिए इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाना शुभ रहेगा। इसके अलावा, माता लक्ष्मी की पूजा करते हुए उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें।

मीन राशि: मीन राशि के जातकों के लिए तुलसी की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। साथ ही, विष्णु जी के लिए उपवास करें। पीले रंग की मिठाई का प्रसाद बनाकर परिवार को दें तथा गरीबों को भी बांटे।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. 2024 में कर्क संक्रांति कब है?

उत्तर 1. इस साल कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2024,मंगलवार के दिन है।

प्रश्न 2. कर्क संक्रांति 2024 पर क्या करें?

उत्तर 2. कर्क संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा और स्नान-दान करना शुभ होता है।

प्रश्न 3. संक्रांति पर क्या होता है?

उत्तर 3. संक्रांति के दिन सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं।

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