कामिका एकादशी पर कर लें सिर्फ ये एक उपाय, व्यापार में आएगा उछाल!

ज्योतिष में सभी एकादशी का विशेष महत्व है। हर माह में दो एकादशी की तिथि आती है। इसी क्रम में सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। सावन माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि की कई विशेषताएं हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता तुलसी जी की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु हर मनोकामना पूरी करते हैं। मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को जीवन में किए गए समस्त पाप कर्मों से मुक्ति पाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है। साथ ही, भगवान विष्णु की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। 

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कामिक एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप की पूजा की जाती है। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कामिका एकादशी की तिथि, महत्व, पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में।

कामिका एकादशी 2024: तिथि व समय
सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि इस साल 31 जुलाई 2024 को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप की पूजा करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है।

एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 जुलाई 2024 की दोपहर 04 बजकर 46 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: 31 जुलाई 2024 की सुबह 3 बजकर 57 मिनट तक

कामिका एकादशी पारण मुहूर्त : 01 अगस्त की सुबह 05 बजकर 42 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट तक 

अवधि : 2 घंटे 41 मिनट

कामिका एकादशी महत्व

कामिका एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से न सिर्फ भगवान विष्णु बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति जिन्हें किसी बात का डर सता रहा हो, उन्हें कामिका एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। इससे उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कामिका एकादशी की पूजा से सभी देवता, गंधर्व और सूर्य की पूजा का फल मिल जाता है।

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कामिका एकादशी पर भगवान शिव की पूजा का महत्व

कामिका एकादशी पर भगवान शिव की पूजा का बहुत अधिक महत्व है। दरअसल सावन का महीना भोलेनाथ को अति प्रिय है इसलिए इस महीने आने वाली कामिका एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के आराध्य भगवान भोलेनाथ शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य श्री विष्णु  हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप के साथ भगवान शिव की पूजा करने सभी रुके काम बनने लगते हैं। इस व्रत को करने से उपासकों के साथ-साथ उनके पितरों के कष्ट भी दूर होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कामिका एकादशी की पूजा विधि

  • कामिका एकादशी के दिन सुबह उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें। 
  • इस दिन यदि आप व्रत रखते हैं तो ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें। सिर्फ फलाहार करें। क्रोध, लोभ, घृणा, द्वेष आदि गलत आदतों से दूर रहें।
  • इस दिन शुभ मुहूर्त देखकर में भगवान विष्णु के स्वरूप की पूजा करें। एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। फिर पंचामृत से उनका अभिषेक करें। उनको पीले वस्त्र, जनेऊ, चंदन, फूल, माला आदि से उनका सजावट करें।
  • इसके बाद पीले फूल, अक्षत, हल्दी, रोली, तुलसी दल, फल, मिठाई, धूप, दीप, गंध आदि से भगवान की विधि-विधान से पूजा करें। इस दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें। फिर विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • इस दिन कामिका एकादशी व्रत कथा जरूर सुने। फिर घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती उतारें।
  • दिनभर श्री हरि सोने या आराम करने की गलती न करें। इस दिन भजन, कीर्तन आदि में अपना समय व्यतीत करें। शाम को संध्या आरती करें। फिर पूरी रात जागरण करें। 
  • इसके बाद अगली सुबह यानी द्वादशी के दिन स्नान के बाद पूजा-पाठ करें। क्षमता अनुसार दान करें। फिर मुहूर्त में व्रत पारण करें। 

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कामिका एकादशी व्रत कथा

कामिका एकादशी के बारे में भगवान ब्रह्मा ने अपने पुत्र ऋषि नारद को विस्तार से बताया था। इस एकादशी के दिन व्रत रखने वाले साधक को भगवान विष्णु की पूजा के बाद कथा जरूर सुननी और पढ़नी चाहिए। माना जाता है तभी यह व्रत पूरा माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी एक ब्राह्मण से लड़ाई झगड़ा हो गया और यह लड़ाई झगड़ा इतनी बढ़ गई कि ब्राह्मण की मौत हो गई। जिसके बाद क्षत्रिय को अपनी गलती का एहसास हुआ और अपनी गलती को सुधारने के लिए उसने पंडितों ने उसकी क्रिया करने का कहा लेकिन, उन्होंने क्षत्रिय को उस क्रिया में शामिल होने के लिए भी मना कर दिया। उन्होंने उसे बताया कि तुम पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया है। पहले प्रायश्चित करो और इस पाप से मुक्त हो जाओ तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब उन ब्राह्मणों ने उपाय बताते हुए बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्ति भाव से भगवान श्री हरि विष्णु का व्रत रखें और भगवान का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करें। ब्राह्मणों ने बताया कि इससे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। पंडितों के बताए हुए तरीके पर क्षत्रिय ने व्रत रखा और सारे नियमों का विधि-विधान से पालन किया। व्रत वाली रात में भगवान हरि विष्णु ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है। यह सुनकर क्षत्रिय को प्रसन्नता हुई और वह अपने पापों से मुक्ति पा लिया। इस तरह कामिका एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ गया।

कामिका एकादशी पर करें इन चीजों का दान

  • यदि आप भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो कामिका एकादशी तिथि पर गरीब व जरूरतमंदों को अन्न का दान जरूर करें। आप अनाज में चावल, गेहूं, मक्का आदि चीजें दान दे सकते हैं।
  • भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए एकादशी तिथि पर पीले वस्त्रों का दान करें। 
  • इसके अलावा इस दिन छाता का दान करना भी शुभ माना जाता है। अतः कामिका एकादशी पर छाते का दान जरूर करें। ऐसा करने से आपको सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूजा के समय भगवान विष्णु को केसर युक्त दूध अर्पित करें। अपनी क्षमता के अनुसार राहगीरों को मीठा जल भी पिला सकते हैं।
  • कामिका एकादशी तिथि पर गरीबों एवं जरूरतमंदों को भोजन करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। आप भक्ति भाव से एकादशी तिथि पर धन का भी दान कर सकते हैं।

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कामिका एकादशी के दिन इन उपायों को करने से व्यापार में होगी उन्नति

आर्थिक जीवन में समृद्धि के लिए

यदि आप आर्थिक जीवन में समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं और सुख समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो कामिका एकादशी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर, साफ कपड़े पहनकर, तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं और ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ बोलते हुए 7 व 21 बार तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें।

व्यापार में उन्नति के लिए

यदि आप अपने व्यापार में उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं और इन समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और इस दौरान पीले रंग का एक कपड़ा लें। उसमें 2 हल्दी की गांठ, एक चांदी का सिक्का और एक पीले रंग की कौड़ी रखकर, उस कपड़े में गांठ लगाकर पोटली बना दें। यदि आप चांदी का सिक्का रखने में असमर्थ हैं तो एक रुपये का सिक्का उस पोटली में रख दें। अब उस पोटली को भगवान का आशीर्वाद लेकर अपनी तिजोरी या धन रखने वाले स्थान पर रख लें।

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दांपत्य जीवन में मधुरता लाने के लिए

यदि आपके और आपके जीवन साथी के बीज विवाद या किसी प्रकार का झगड़ा चल रहा है और इस वजह से दांपत्य जीवन में प्रेम व मधुरता गायब हो गई है तो इस एकादशी के दिन एक कच्चा, जटा वाला नारियल लेकर, उसे एक पीले कपड़े में लपेट लें। अब नारियल पर उस कपड़े को मौली की सहायता से बांध दें और श्री विष्णु मंदिर में अर्पित कर दें। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी।

लव मैरिज में समस्या से छुटकारा पाने के लिए

यदि आप अपने मनपसंद साथी के साथ प्रेम विवाह करना चाहते हैं और इसमें लंबे समय से दिक्कतें आ रही हैं तो इस एकादशी के दिन स्नान आदि के बाद श्री विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो के आगे बैठकर भगवान के इस मंत्र का एक माला यानी 108 बार जप करें। यह मंत्र है- ‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः’। इस दौरान भगवान के सामने हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

पारिवारिक जीवन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए

यदि आपके पारिवारिक जीवन में कुछ समस्याएं चल रही है और आपके परिवार के सदस्यों के बीच आपसी मतभेद हैं तो इस दिन श्री विष्णु की पूजा के समय दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें। जल में गंगाजल डालना न भूलें क्योंकि गंगाजल बहुत ही शुभ माना जाता है। पूजा के बाद शंख में भरे उस जल को परिवार के सब सदस्यों में प्रसाद के रूप में पीने को दें।

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प्रेम जीवन को सुखमय बनाने के लिए

प्रेम जीवन को सुखमय बनाये रखने के लिए एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद केले के वृक्ष में जल अर्पित करें और साथ ही शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इस दिन केले का वृक्ष लगाना भी बहुत शुभ साबित होता है।

नौकरी में प्रमोशन के लिए

यदि आपको लंबे समय से अच्छी नौकरी की तलाश में हैं और आपको अपनी मनपसंद की नौकरी मिलने में समस्या आ रही है तो इस दिन एक कच्चे मिट्टी के घड़े में गेहूं भरकर, उस पर ढक्कन लगाकर, घड़े को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और अपनी उन्नति के लिए उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।

कर्ज से मुक्ति पाने के लिए

यदि आप लंबे समय से कर्ज व लोग के बोझ से परेशान हैं तो एकादशी के दिन स्नान आदि के बाद पीपल के वृक्ष पर 11 बार कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करें। परिक्रमा पूरी होने के बाद पीपल की जड़ में जल अर्पित करें और हाथ जोड़कर कर्ज से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करें।

घर से बाहर निकलने से पहले

यदि आप एकादशी के दिन किसी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं तो इस दौरान हल्दी का तिलक लगाकर ही निकले। ऐसा करने से आपके सारे काम बनने लगेंगे। इसके अलावा, यदि आप बिजनेस को लेकर कोई डील करने जा रहे हैं तो एकादशी के दिन एक सफेद सूत का लंबा-सा धागा लेकर, उसे हल्दी लगाकर पीला कर दें और भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें।

करियर के बेहतरी के लिए

यदि आप करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहते हैं और नया मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो इस एकादशी के दिन एक पीपल का पत्ता लेकर, उस पर हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और भगवान के चरणों में ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ कहते हुए अर्पित कर दें। साथ ही, किसी पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। अगर मिठाई का भोग नहीं लगा सकते तो केले का फल चढ़ा दें।

कन्या के विवाह के लिए

यदि आप अपनी बेटी के विवाह के लिए परेशान है और कई जगह बात करने के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ रही है तो इस दिन बेसन व केसर डालकर लड्डू तैयार करें और 21 लड्डू भगवान विष्णु को समर्पित करें। लड्डू चढ़ाते समय श्री विष्णु के मंत्र का जाप करना न भूलें। मंत्र है -‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’। इसी प्रकार मंत्र बोलते हुए सारे लड्डू भगवान को चढ़ाएं और घी के दीपक से आरती करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. इस साल कामिका एकादशी कब है?

उत्तर 1. इस साल कामिका एकादशी 31 जुलाई 2024 को पड़ रही है।

प्रश्न 2. कामिका एकादशी का क्या महत्व है?

उत्तर 2. इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से न सिर्फ भगवान विष्णु बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है

प्रश्न 3. कामिका एकादशी का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर 3. कामिक एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न 4. कामिका एकादशी का पारण कब है?

उत्तर 4.  01 अगस्त की सुबह 05 बजकर 42 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट तक व्रत पारण कर सकते हैं। 

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