गुरु पूर्णिमा पर राशि अनुसार इन चीज़ों के दान से साल भर बरसेगी देव गुरु बृहस्पति की कृपा!

गुरु पूर्णिमा 2023: गुरु को मनुष्य जीवन में बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है क्योंकि माता-पिता के बाद गुरु ही होते हैं जो व्यक्ति का जीवन में मार्गदर्शन करते हैं और सही-गलत का फर्क समझाते हैं।  सनातन धर्म में सतयुग से वर्तमान युग तक ऐसे कई महान गुरु और शिष्य हुए हैं जिन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा का आदर्श माना जाता है। इसी क्रम में, गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा को समर्पित होता है जो अब जुलाई के महीने में मनाया जाएगा।

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एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग न सिर्फ आपको गुरु पूर्णिमा 2023 की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में बताएगा, बल्कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्यों किया जाता है स्नान और राशि अनुसार किन चीज़ों का दान करना होगा इस दिन शुभ आदि के बारे में भी जानकारी प्रदान करेगा।  तो आइये बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं गुरु पूर्णिमा 2023 की तिथि और मुहूर्त।   

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गुरु पूर्णिमा 2023: तिथि एवं शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है और प्रत्येक वर्ष इस दिन देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व बेहद ही आस्था और श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस तिथि का दान-पुण्य, धर्म-कर्म आदि की दृष्टि से अपना विशेष महत्व है। हालांकि, आपको बता दें कि उदया तिथि के अनुसार, वर्ष 2023 में गुरु पूर्णिमा 03 जुलाई को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। 

गुरु पूर्णिमा 2023 पूजा मुहूर्त 

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 02 जुलाई 2023 को रात 08 बजकर 22 मिनट से,

पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 03 जुलाई 2023 की शाम 05 बजकर 09 मिनट पर। 

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हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का महत्व

अगर हम बात करें सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा की, तो हिंदू धर्म में गुरु का वर्णन कुछ इस तरह से किया गया है गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः अर्थात गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु ही शंकर हैं, गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, उन सद्गुरु को प्रणाम। इस श्लोक से ही स्पष्ट हो जाता है कि सनातन धर्म में गुरुओं का स्थान कितना ख़ास है। 

हालांकि, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महाभारत के रचियता वेदव्यास जी का जन्म हुआ था इसलिए गुरु पूर्णिमा को ही व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सर्वप्रथम व्यास जी ने मानव संसार को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और यही वजह है कि इन्हें प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। 

शायद ही आप जानते होंगे कि महर्षि वेदव्यास के जन्मोत्सव को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है जो इंसान को भगवान के बारे में बताते हैं और उन्हें ईश्वर भक्ति का मार्ग दिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा को लोग बहुत ही धूमधाम एवं आस्था के साथ मनाते है और अपने गुरु के प्रति आदर व्यक्त करते हैं। पूर्णिमा तिथि होने की वजह से इस दिन भगवान विष्णु का पूजन भी फलदायी साबित होता है। 

गुरु पूर्णिमा 2023 पर स्नान का महत्व

गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों एवं कुंडों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस पूर्णिमा तिथि पर पवित्र स्नान अवश्य करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि नदी या तालाब पर जाना संभव न हो, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

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गुरु पूर्णिमा 2023: पूजा विधि 

गुरु पूर्णिमा पर शिष्य द्वारा गुरु की पूजा और उनके सम्मान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह पूर्णिमा गुरुओं के महत्व को दर्शाती है जो हमें जीवन में सही पथ पर लेकर जाते हैं। गुरु के आशीर्वाद से मनुष्य अपने जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकता है इसलिए गुरु पूर्णिमा 2023 पर गुरुओं का पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाना चाहिए। तो आइये नज़र डालते हैं गुरु पूर्णिमा की सही विधि पर। 

  • गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद, पूजा स्थान पर सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा को प्रणाम करके उनका विधि-विधान से पूजन करें। 
  • अब पूजा स्थल पर या फिर एक चौकी पर अपने गुरु की तस्वीर स्थापित करें और फूल तथा माला अर्पित करते हुए श्रद्धाभाव से उनकी पूजा करें। 
  • पूजा के बाद अपने गुरु के घर जाकर पैर छूकर उनका आशीर्वाद अवश्य लें।

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गुरु पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये काम

  1. गुरु पूर्णिमा पर अपने मस्तक पर केसर और पिसी हुई हल्दी का तिलक करें क्योंकि पीले रंग का संबंध देवगुरु बृहस्पति से माना गया है। 
  2. पिता, गुरु तथा दादा का आशीर्वाद लें। 
  3. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं क्योंकि ऐसा करने से विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  4. इस दिन कॉपी, किताब या फिर स्टेशनरी का सामान खरीद सकते हैं क्योंकि यह वस्तुएं गुरु ग्रह से संबंधित हैं।       

अब आगे बढ़ते हैं और जानेगे गुरु पूर्णिमा पर राशि अनुसार किन चीज़ों का दान करना होगा शुभ। 

गुरु पूर्णिमा 2023 पर राशि अनुसार करें इन चीज़ों का दान  

मेष राशि: मेष राशि के जातक इस पूर्णिमा पर गुड़ समेत लाल और नारंगी रंग की मिठाई या फिर वस्त्र का दान करें। 

वृषभ राशि: वृषभ राशि वाले गुरु पूर्णिमा के दिन शक्कर या चावल का दान करें। साथ ही, घर पर अखंड ज्योत जलाएं।

मिथुन राशि: गुरु पूर्णिमा के दिन मिथुन राशि के जातक गायों को हरा चारा खिलाएं और गरीबों को हरी मूंग की दाल का दान करना श्रेष्ठ रहेगा। 

कर्क राशि: इस अवसर पर कर्क राशि वाले जरूरतमंदों को दूध का दान करें। यदि संभव हो, तो मंदिर में चांदी का कोई आभूषण भी दान कर सकते हैं। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातक इस अवसर पर गरीबों को गेहूं दान में दें। ऐसा करने से समाज में आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। 

कन्या राशि: कन्या राशि वालों के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा देना श्रेष्ठ साबित होगा। 

तुला राशि: गुरु पूर्णिमा के दिन तुला राशि वाले छोटी कन्याओं को खीर खिलाएं। ऐसा करने से आपके धन-वैभव में बढ़ोतरी होगी। 

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक व्यास पूर्णिमा के दिन बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं। साथ ही, गरीब बच्चों को किताबें दान में दें।     

धनु राशि: धनु राशि वाले इस दिन घी और चीनी के साथ चने या बेसन का दान करें।

मकर राशि: गरीब और असहाय लोगों को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कंबल का दान करें। आप चाहे तो कपड़ों का दान भी कर सकते हैं। 

कुंभ राशि: गुरु पूर्णिमा के दिन वृद्धाश्रम में भोजन और कपड़े दान में दें। आप मंदिर में काली उड़द की दाल भी दान कर सकते हैं। 

मीन राशि: बेसन या पीले रंग की मिठाई गरीबों को दान करना आपके लिए शुभ साबित होगा। 

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