एक ही दिन की जाती है गोवर्धन और विश्वकर्मा पूजा- जानें इसका महत्व, विधि और शुभ मुहूर्त!

हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान कृष्ण को ही समर्पित है गोवर्धन पूजा। आज के हमारे खास ब्लॉग में हम इसी विषय पर बात करेंगे और जानेंगे वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा किस दिन मनाई जाएगी, इसका महत्व क्या होता है और साथ ही जानेंगे कुछ ऐसे उपायों की जानकारी जिन्हें अपना कर आप गोवर्धन पूजा के इस दिन को और अपने जीवन को सुखमय और शुभ बना सकते हैं।

बात करें गोवर्धन पूजा की तो गोवर्धन पूजा का यह त्योहार दिवाली के पांच दिवसीय त्योहारों में से एक होता है। गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाती है। यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही इस दिन गौ माता, गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान बताया गया है। 

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अपने इस खास लेख में आज हम जानेंगे कि गोवर्धन पूजा इतनी महत्वपूर्ण क्यों होती है, इसकी विधि क्या होती है, और इस दिन पूजा करने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं लेकिन आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा किस दिन मनाई जाएगी।

2024 में गोवर्धन पूजा कब है?

जैसा कि हमने पहले भी बताया गोवर्धन पूजा का यह शुभ दिन दिवाली के अगले दिन पड़ता है। ऐसे में वर्ष 2024 में 2 नवंबर 2024 शनिवार के दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी। इसके अलावा बात करें इस दिन की शुभ मुहूर्त की तो,

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त :06:34:09 से 08:46:17 तक

अवधि :2 घंटे 12 मिनट

गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :15:22:44 से 17:34:52 तक

अवधि :2 घंटे 12 मिनट

अधिक जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें

गोवर्धन पूजा के इस पर्व का सीधा संबंध प्रकृति और मानव से जोड़कर देखा जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्न कूट का त्यौहार भी कहते हैं और यह प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मनाया जाता है। यूं तो यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन विशेष तौर पर उत्तर भारत में खास कर मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना में इसकी भव्यता देखने लायक होती है।

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गोवर्धन पूजा के नियम और विधि 

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण के साथ-साथ वरुण देव, इंद्रदेव और अग्नि देव की पूजा का भी विधान बताया गया है। इस दिन गोवर्धन पर्वत गोवर्धन यानी गाय और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। यह त्यौहार मानव जाति को इस बात का संदेश देता है कि हमारे जीवन में प्रकृति कितनी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। बात करें इस दिन की नियम और विधि की तो, 

  • सबसे पहले गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, सब चढ़ाए जाते हैं। 
  • इसके अलावा इस दिन गाय, बैल और कृषि के काम में आने वाले पशुओं की पूजा करने का विधान है। 
  • गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। 
  • नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है। 
  • इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे डाले जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बाँट दिया जाता है। 
  • पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से भरा जल होता है। इसे गिराते हुए और जौ को बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है। 
  • गोवर्धन गिरी भगवान के रूप में माने जाते हैं और कहा जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से घर में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है। 
  • गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा का विधान बताया गया है।

गोवर्द्धनधराधार गोकुलत्राणकारक। विष्णुबाहुकृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव॥ या लक्ष्मीर्लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु॥ अग्रतः सन्तु मे गावो गावो मे सन्तु पृष्ठतः। गावो मे हृदये सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम् ॥

अर्थात- पृथ्वी को धारण करने वाले गोवर्धन आप गोकुल की रक्षा करने वाले हैं। भगवान विष्णु ने अपनी भुजाओं से आपको ऊंचा उठाया था। आप मुझे कोटी गोदान देने वाले हो लोकपालों की जो लक्ष्मी यहां धेनुरूप से विराज रही है और यज्ञ के लिए घृत का भार वहन करती है, वह मेरे पापों को दूर करें. गायें मेरे आगे हों, गायें मेरे पीछे हों, गायें मेरे हृदय में हों और मैं सदा गायों के मध्य में निवास करूं।’

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अपनी पूजा सिद्ध करने के लिए गोवर्धन मूर्ति के सामने नीचे दिए गए गोवर्धन मंत्र का जाप करें:

“|| श्रीगिर्रिराजधरणप्रभुतेरीशरण ||”

भगवान कृष्ण आपके लिए भाग्य लेकर आए और आपके जीवन से सभी बुराइयों और कष्ट को दूर करें।

गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव 

गोवर्धन पूजा के मौके पर ही मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। अन्नकूट का अर्थ होता है कई प्रकार के अन्नों का मिश्रण जिसे भोग के रूप में भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है और उनके भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। बहुत सी जगहों पर इस दिन बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है और तेल की पूरी बनाई जाती है। अन्नकूट के साथ दूध से बनी मिठाई और स्वादिष्ट पकवान भोग में चढ़ाए जाते हैं। पूजा के बाद यह प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा भी जाता है।

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गोवर्धन पूजा के लाभ 

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव को पराजित करके उनका घमंड चूर किया था। गोवर्धन पूजा करने से घर में सुख संपदा बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन अन्नकूट तैयार करने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहती है, घर में खुशहाली और समृद्धि बढ़ती है। इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय की नियमित सेवा करने और उनके स्पर्श से शरीर में चर्म रोग जैसी बीमारी भी नहीं होती है।

गोवर्धन पूजा में विशेष तौर पर गोवर्धन पर्वत और गाय की पूजा का विधान बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार गौ पूजा करने से मृत्यु का भय और कई तरह के दोष जीवन से दूर होते हैं। साथ ही जीवन में सफलता मिलती है और सारे काम आसानी से पूरे होने लगते हैं। इसके अलावा कहते हैं कि गोवर्धन पूजा करने से मनुष्य को लंबी आयु और आरोग्यता की प्राप्ति होती है, जीवन से दरिद्रता दूर होती है। इस दिन की पूजा करने से घर परिवार में धन, संतान और गौ रस में वृद्धि होती है।

गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें 

  • गोवर्धन पूजा के दिन शरीर में तेल की मालिश करें। इसे बेहद ही शुभ माना गया है। 
  • इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। 
  • गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाए जाने की भी परंपरा है। 
  • 56 भोग लगाना पूजा का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है। 
  • गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से पहले अपने घर के बाहर या घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाएं। 
  • गोवर्धन पूजा के दिन उत्तर पूर्व की दिशा में दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति हमेशा बनी रहेगी।

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गोवर्धन पूजा पर क्या ना करें 

  • गोवर्धन पूजा के दिन सभी सदस्य अलग-अलग पूजा ना करें बल्कि एक साथ सामूहिक रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। 
  • गोवर्धन पूजा और अन्नकूट कभी भी बंद कमरे में ना करें। ऐसा करने से पूजा का संपूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है।
  • गोवर्धन पूजा के दिन चंद्रमा के दर्शन ना करें। ऐसा करने से व्रत संपूर्ण नहीं होता है। 
  • इसके अलावा इस दिन विशेष रूप से अन्न की बर्बादी ना करें।

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा की बात करें तो कहा जाता है एक बार देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अहंकार हो गया और उनके इसी अहंकार को तोड़ने के लिए श्री कृष्ण ने एक लीला रची। एक बार सभी गोकुलवासी तरह-तरह के व्यंजन बना रहे थे तब भगवान कृष्ण ने मां यशोदा से पूछा कि, ‘आप सब किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं’? जिस पर मां यशोदा ने कहा कि हम देवराज इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे हैं। इस जवाब पर श्री कृष्ण ने पूछा कि हम इंद्रदेव की पूजा क्यों करते हैं? तब मां यशोदा ने जवाब दिया कि इंद्रदेव की कृपा से ही अच्छी बारिश होती है जिससे अन्न की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा मिलता है। 

मां यशोदा की बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें तो वही चरती हैं। वहां पर मौजूद पेड़ पौधों से बारिश होती है। श्रीकृष्ण की इस बात को सुनकर और उनसे सहमत होकर सभी गोकुल वासियों ने गोवर्धन की पूजा प्रारंभ कर दी। यह देखकर देवराज इंद्र को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के लिए मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। बारिश इतनी तेज थी कि सभी गोकुलवासी डर गए। 

सात दिनों तक की लगातार बारिश होती रही और तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई और गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया और इस पर्वत के नीचे सभी गोकुल वासियों ने शरण ले ली। इसके बाद देवराज इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्हें तब इस बात का भी एहसास हुआ कि उनसे मुकाबला करने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता है। तब इंद्रदेव ने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी और स्वयं श्री कृष्ण का पूजन कर उन्हें भोग लगाया। कहते हैं द्वापर में हुई इस घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा करने की शुरुआत हुई है।

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गोवर्धन पूजा ज्योतिषीय उपाय- पूरी करेंगे हर मनोकामना 

गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से कुछ उपाय कर लिए जाए तो इससे आर्थिक संपन्नता आती है और साथ ही जीवन से दुख परेशानियां भी दूर होती है:

  • गोवर्धन पूजा के दिन दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से पंचामृत तैयार करें। इसमें गंगाजल और तुलसी अवश्य डालें। इसके बाद भगवान कृष्ण को शंख में भरकर यह पंचामृत अर्पित कर दें। ऐसा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। 
  • इस दिन गाय को स्नान करा कर उसका तिलक करें, उसे फल और चारा खिलाएं और गाय की सात बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती है। 
  • गोवर्धन पूजा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक अवश्य जलाएं। इससे भी धन संबंधित समस्याएं दूर होती है। 
  • कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में अगर इस दिन इस पेड़ में जल चढ़ाया जाए तो आर्थिक मनोकामनाएं भी पूरी होती है। 
  • अगर जीवन में आर्थिक समस्या ज्यादा बढ़ गई है तो गोवर्धन पूजा के दिन एक लाल कपड़े में पांच गोमती चक्र और पांच कौड़ी रख दें और रोली चावल से इसकी पूजा करें। पूजा के बाद इन्हें लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इससे आर्थिक समस्या दूर होगी और जीवन में आय के नए स्रोत खुलने लगेंगे। 
  • गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म मृत्यु के चक्कर से साधक मुक्त हो जाते हैं। साथ ही जीवन से तनाव और चिंता कम होती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?

गोवर्धन पूजा के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। 

2: गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है? 

गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं, उन्हें फूलों से सजाया जाता है, सुबह और शाम के समय उनकी पूजा की जाती है, इनकी सात बार परिक्रमा की जाती है। 

3: दिवाली के दूसरे दिन किसकी पूजा होती है? 

दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत,गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा का विधान होता है। 

4: वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा किस दिन मनाई जाएगी? 

वर्ष 2024 में 2 नवंबर 2024 शनिवार के दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। 

5: गोवर्धन पूजा से क्या लाभ होता है? 

गोवर्धन पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धर्म, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।

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