दो शुभ योग में मनाया जाएगा विजयादशमी का पर्व; राशिनुसार उपाय करने से मिलेगी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा!

की दशमी तिथि को मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण का वध किया था और संसार को उसके अत्याचार से मुक्त करवाया था। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिषासुर नाम के राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। इसके अलावा, इस पर्व को उत्तर-पूर्वी भारत में सरस्वती पूजा के नाम से और दक्षिण में आयुध पूजा के नाम से जाना जाता है। 

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खास बात यह है कि इस साल विजयादशमी  के​ दिन दो शुभ योग बन रहे हैं और इस योग में विजयादशमी की पूजा करना बेहद फलदायी साबित होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस साल दशहरा का पर्व कब मनाया जाएगा। इसके अलावा, विजयादशमी पूजन विधि के बारें में जानें, जो आपको अपार सफलता और समृद्धि प्रदान करेगी। दशहरा से जुड़ी सभी जानकारी के लिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

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दशहरा 2023: तिथि व समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर दिन सोमवार की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 24 अक्टूबर दिन मंगलवार की दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक मान्य रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार विजयादशमी का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन दशहरा शस्त्र पूजा भी होगी।

दशहरा 2023: मुहूर्त

विजय मुहूर्त : 24 अक्टूबर 2024 की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 55 मिनट तक।

अवधि : 0 घंटे 45 मिनट

अपराह्न मुहूर्त : 01 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक।

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दो शुभ योग में मनाया जाएगा विजयादशमी का पर्व

इस वर्ष विजयादशमी के दिन दो शुभ योग रवि योग और वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग 24 अक्टूबर की दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से शुरू होगा। इस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। उसके बाद शाम 06 बजकर 38 मिनट से अगले दिन 25 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक है। विजयादशमी पर धनिष्ठा नक्षत्र सुबह से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक है। उसके बाद से शतभिषा नक्षत्र लगेगा।

मांगलिक कार्यों के लिए विजयादशमी का दिन माना जाता है शुभ 

दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्यों का परिणाम फलदायी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर या दुकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्यों के लिए यह अवधि शुभ मानी जाती है। हालांकि, इस दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है।

विजयादशमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर और मां दुर्गा के बीच दस दिनों तक महा युद्ध हुआ था। दसवें दिन यानी आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया तब से हर साल विजयादशमी मनाई जाती है। इसके अलावा, त्रेतायुग में भगवान राम और रावण के बीच भी नौ दिनों तक युद्ध चला था और दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था। इस वजह से भी हर साल इस तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। कई जगहों पर दशहरा के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है और असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा पूजा विधि

सनातन धर्म में दशहरा बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है और इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना बेहद ही शुभ माना जाता है। आप दशहरा पर घर या मंदिर में पूजा कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी विधि:

  • पूजा के लिए पूर्वोत्तर दिशा का चयन करें लेकिन पूजा करने से पहले इस स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
  • इसके बाद एक साफ चौकी पर भगवान की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
  • मूर्ति स्थापित करने के बाद भगवान को फूल और मिठाई चढ़ाएं। कोशिश करें कि घर के सभी सदस्य साथ मिलकर पूजा करें क्योंकि ऐसा करना शुभ माना जाता है।
  • इसके बाद भगवान की मूर्ति या तस्वीर से सामने देशी घी का दीपक जलाएं, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।
  • दीपक जलाने के बाद भगवान को समर्पित मंत्रों का स्पष्ट रूप से जाप करें। आप दुर्गा चालीसा या अन्य मंत्रों का पाठ कर सकते हैं।
  • साथ ही भगवान को हलवा, चना व पूरी के प्रसाद भोग के रूप में लगाएं।
  • आखिरी में मां दुर्गा की आरती करें और पूजा में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद बांटे।

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विजयादशमी से जुड़ी कथाएं

विजयादशमी को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनका शास्त्रों में जिक्र किया गया है। आइए जानते हैं इन सभी पौराणिक कथाओं के बारे में:

रावण का वध

पौराणिक मान्यता के अनुसार, विजयादशमी के दिन भगवान पुरुषोत्तम राम ने एक राक्षस रूपी रावण का वध किया था और अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। जिसके बाद से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन जलाया जाता है ताकि हम सब अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या आदि बुरी आदतों को नष्ट कर सकें।

मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर और मां दुर्गा के बीच पूरे नौ दिनों तक युद्ध चला था और दसवें दिन उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया था। इसी कारण आश्विन मास की दशमी तिथि को विजय के रूप में विजयदशमी मनाते हैं। मां दुर्गा द्वारा अंधकार पर प्रकाश की जीत के रूप में इसे मनाते हैं।

पांडवों की जीत 

इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि विजयादशमी का संबंध भगवान श्रीराम से ही नहीं बल्कि महाभारत काल से भी जुड़ा है। कथा के अनुसार दुर्योधन ने जुए में पांडवों को हरा दिया था। शर्त के अनुसार पांडवों को 12 वर्षों तक निर्वासित रहना पड़ा, जबकि एक साल के लिए उन्हें अज्ञातवास में भी रहना पड़ा। अज्ञातवास के दौरान उन्हें हर किसी से छिपकर रहना था और यदि कोई उन्हें पा लेता तो उन्हें दोबारा 12 वर्षों का निर्वासन का दंश झेलना पड़ता। इस कारण अर्जुन ने उस एक साल के लिए अपनी गांडीव धनुष को शमी नामक वृक्ष पर छुपा दिया था और वनवास समाप्त होते ही शक्ति पूजा के साथ शमी के पेड़ में रखे धनुष को निकाला था और कौरवों पर आक्रमण करके विजय प्राप्त की थी।

भारत के इन क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है दशहरे का त्योहार

विजयादशमी का पर्व भारत के साथ-साथ बांग्लादेश में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। भारत में यह समारोह सबसे अधिक धूमधाम से मैसूर शहर में मनाया जाता है। इस दिन देवी चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है और पूरे शहर में उनकी मूर्ति की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, कोलकाता और उड़ीसा में भी सप्ताह भर पहले सी ही इस त्योहार की तैयारियां कर ली जाती है। लोग नए कपड़े पहनकर पूजा पंडालों में जाते हैं और घर पर पारंपरिक भोजन तैयार करते हैं। यहीं नहीं भारत के अधिकांश हिस्सों में, सप्ताह भर पहले से ही रामायण की कहानी को दर्शाने वाले नाटकों का आयोजन भी किया जाता है, जिसका समापन इस दिन रावण के वध के साथ होता है।

विजयादशमी के दिन जरूर करें ये काम

  • विजयादशमी के दिन भगवान शिव का स्वरूप माने जाने वाले नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए दशहरे के दिन हमें गुप्त दान करना चाहिए।
  • इस दिन बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए व घर के सभी सदस्यों को साथ बैठकर बड़े बुजुर्ग से रामचरितमानस का पाठ सुनना चाहिए।
  • इस दिन सत्य की राह पर चलना चाहिए और गरीब व जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।

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दशहरे के दिन अपनी राशि के अनुसार करें उपाय, दूर होंगे सारे कष्ट

मेष राशि

मेष राशि के स्वामी मंगल हैं। विजयादशमी के दिन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को दशहरे के दिन घर में सभी सदस्यों के साथ मिलकर रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए। जीवन की सभी समस्या दूर होंगी और आप तनाव मुक्त रहेंगे।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के स्वामी मंगल हैं और ऐसे में, दशहरा के दिन मिथुन राशि के जातक थोड़ा सा गुड़ लेकर लाल कपड़े में बांधकर जमीन के नीचे रख दें। इसके साथ ही, हनुमानजी को पान अर्पित करें बाद में उसे किसी भी गाय को खिला दें। इससे आपकी हर मनोकामना की पूर्ति होगी। 

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों को दशहरा के दिन नई झाड़ू खरीदकर घर लानी चाहिए। मान्यता है कि इस झाड़ू के इस्तेमाल से घर की दरिद्रता दूर होती है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है।

सिंह राशि

इस राशि के जातकों को दशहरे के दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा व आरती करनी चाहिए। साथ ही, गरीबों की मदद करनी चाहिए।

कन्या राशि

इस राशि के जातकों को दशहरा वाले दिन भगवान श्री राम को गुड़ के गुलगुले का भोग लगाना चाहिए।

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों को विजयादशमी के दिन हनुमान जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपकी हर परेशानी दूर होगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों को विजयदशमी के दिन जरूरतमंद लोगों को दान देना चाहिए। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों को विजयादशमी के दिन बुद्धि देने वाले देवता भगवान गणेश को मोदक के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। साथ ही, प्रसाद के रूप में लड्डू को गरीबों को बांटना चाहिए। ऐसा करने से आपके बिगड़े सभी काम धीरे-धीरे बनने लगेंगे।

मकर राशि

दशहरा के दिन मकर राशि वाले लोगों को भगवान श्रीराम की पूजा करनी चाहिए और 11 ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार, दान देकर उन्हें विदा करें। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक तंगी नहीं झेलनी पड़ेगी।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वाले जातकों को विजयदशमी के दिन श्री राम भक्त हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाना चाहिए और उनके समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आप ध्यान आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ बढ़ेगा।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्यदेव को जल देना चाहिए और इसके बाद भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको सुख की प्राप्ति होगी।

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