साल का आखिरी चंद्रग्रहण इन राशियों पर डालेगा प्रभाव; गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान!

चंद्र ग्रहण 2024: 18 सितंबर 2024 को लगने वाला चंद्र ग्रहण साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। धार्मिक नजरिए से ग्रहण की घटना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ग्रहण के दौरान कई तरह के कार्य करने की मनाही होती है। ऐसी मान्यता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भ में पल रहे बच्चों का विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इन पर ग्रहण का बुरा प्रभाव जल्दी पड़ता है। बता दें कि जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं और पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में दिखाई देती है और चंद्रमा पर अपनी छाया डालती है जिससे चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है, तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं के अलावा सभी 12 राशियों पर भी देखने को मिलेगा। आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़ी सभी जरूरी बातें।

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खंडग्रास चंद्र ग्रहण 2024: समय और पक्ष

यह चंद्र ग्रहण एक आंशिक यानी कि खंडग्रास चंद्र ग्रहण होने वाला है। खंडग्रास चंद्र ग्रहण एक आंशिक चंद्र ग्रहण है जो पूर्णिमा को होता है। साल का यह आखिरी चंद्र ग्रहण बुधवार, 18 सितंबर 2024 को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन सुबह 07 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। भाद्रपद मास में लगने वाला यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण 2024 मीन राशि के अंतर्गत पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा।

ग्रहण के दौरान राहु चंद्रमा और सूर्य के साथ युति करेंगे, जबकि शुक्र और केतु सातवें भाव में मौजूद होंगे। चंद्रमा से बृहस्पति तीसरे भाव में, मंगल चौथे में, बुध छठे में और वक्री शनि बारहवें में भाव में रहेंगे। इसके परिणामस्वरूप, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में मीन राशि के तहत पैदा हुए जातकों को इस ग्रहण के दौरान लाभ होगा।

चंद्र ग्रहण 2024: दृश्यता

तिथिदिन व दिनांकचंद्र ग्रहण प्रारंभ समयचंद्र ग्रहण समाप्त समयदृढ़ता के क्षेत्र
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमाबुधवार, 18 सितंबर, 2024प्रातः काल 7: 43 बजे सेप्रातः काल 8:46 बजे तकदक्षिणी अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप (भारत में जब यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा तब तक संपूर्ण भारत में चंद्रस्त की स्थिति हो चुकी होगी इसलिए यह ग्रहण भारत में लगभग दृश्यमान नहीं होगा। केवल उपच्छाया प्रारंभ होते समय उत्तर पश्चिम भारत और उत्तर दक्षिणी शहरों में चंद्रस्त होगा इसलिए कुछ समय के लिए चंद्रमा की चांदनी में धुंधलापन आ सकता है। इस प्रकार भारत में यह उपच्छाया के रूप में भी आंशिक रूप से ही दिखाई देने के कारण यह ग्रहण की श्रेणी में नहीं आएगा।)

अंतिम चंद्र ग्रहण 2024: सूतक काल

चूंकि चंद्र ग्रहण 2024 भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण के लिए सूतक काल की गणना नहीं की जाएगी यानी कोई सूतक काल नहीं होगा। हालांकि, इस बात की जानकारी जरूर होनी चाहिए कि सूतक काल के दौरान, किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए। चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व लगभग तीन पहर पूर्व का समय होता है। यानी कि जब चंद्र ग्रहण शुरू होने वाला हो तो उसे लगभग 9 घंटे पूर्व से उसका सूतक काल प्रारंभ हो जाता है और सूतक काल का समापन चंद्र ग्रहण के मोक्ष यानी कि चंद्र ग्रहण के समापन के साथ ही हो जाता है। यदि आप इस दौरान कोई शुभ कार्य करते हैं तो मान्यता अनुसार उसके शुभ फल प्रदान करने की स्थिति समाप्त हो जाती है। 

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चंद्र ग्रहण और इसके प्रकार

पूर्ण चंद्र ग्रहण

जब पृथ्वी की छाया द्वारा सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से रोक लिया जाता है तो ऐसी स्थिति में सूर्य के प्रकाश से कुछ समय के लिए हीन होकर चंद्रमा लाल या गुलाबी रंग का प्रतीत होने लगता है और पृथ्वी से देखने पर तो चंद्रमा के धब्बे भी स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। ऐसी स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण या फिर सुपर ब्लड मून कहा जा सकता है।

आंशिक चंद्र ग्रहण

आशिक चंद्र ग्रहण की बात करें तो यह वह स्थित है जब पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी अधिक होती है तो ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन पृथ्वी की छाया द्वारा चंद्रमा की दूरी अधिक होने के कारण पूर्ण रूप से चंद्रमा ग्रसित नहीं हो पाता है बल्कि पृथ्वी की छाया से उसका कुछ भाग ही ग्रसित दिखाई देता है। तो इस स्थिति को आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है

उपच्छाया चंद्र ग्रहण

उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया (पृथ्वी की छाया का हल्का बाहरी भाग) से होकर गुजरता है, जिसके कारण चंद्रमा हल्का काला हो जाता है, जिसे देख पाना बहुत कठिन हो जाता है।

चंद्र ग्रहण कब और कैसे होता है

संरेखण: चंद्र ग्रहण होने के लिए, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा को एक सीधी रेखा में या उसके बहुत करीब संरेखित होना चाहिए। यह संरेखण पूर्णिमा के दौरान होता है।

आवृत्ति: चंद्र ग्रहण साल में कम से कम दो बार होता है, लेकिन पूर्ण चंद्र ग्रहण बहुत कम होता है। सटीक आवृत्ति पृथ्वी और चंद्रमा की विशिष्ट कक्षीय गतिशीलता पर निर्भर करती है।

अवधि: चंद्र ग्रहण का कुल चरण कुछ मिनटों से लेकर एक घंटे से अधिक तक चल सकता है, जबकि आंशिक चरणों सहित पूरी घटना कई घंटों तक चल सकती है।

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चंद्र ग्रहण और उसका महत्व

दृश्यता: सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्र ग्रहण को अपनी आंखों से देखा जा सकता है और यह सुरक्षित है। 

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व: चंद्र ग्रहण का विभिन्न सभ्यताओं में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रहा है। इसे महत्वपूर्ण घटनाओं के रूप में देखा गया है। चंद्र ग्रहण को ऐसे अनुष्ठान करने के लिए भी शुभ समय माना जाता है जो व्यक्ति की भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को संतुलित और सामंजस्य बनाने का प्रयास करते हैं।

वैज्ञानिक महत्व: विज्ञान के अनुसार, चंद्र ग्रहण मात्र एक खगोलीय घटना है। जिस तरह पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है, उसी तरह चंद्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चक्कर लगाती है।

कुल मिलाकर, चंद्र ग्रहण देखने में आश्चर्यजनक और वैज्ञानिक रूप से दिलचस्प घटना है, जो हमें व्यापक ब्रह्मांड से जोड़ती हैं।

चंद्र ग्रहण 2024: सभी 12 राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के लिए, चंद्रमा चौथे भाव के स्वामी हैं और यह राहु के साथ बारहवें भाव में मौजूद होंगे। इस दौरान लंबी दूरी की यात्रा या विदेश यात्रा करने से बचें क्योंकि आपको कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। बारहवें भाव में चंद्रमा और राहु की युति आपके विवाह और घरेलू जीवन पर प्रभाव डाल सकती है। इस दौरान आप एक्स्ट्रा मैरिज अफेयर में फंस सकते हैं।

यह ग्रहण आपके आर्थिक जीवन को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है और इस दौरान आप धन की बचत करने में असफल हो सकते हैं। आशंका है कि आपके परिवार में कोई बीमार पड़ जाए और आपका पैसा अस्पताल के बिलों का भुगतान करने में खत्म हो जाए।

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए चंद्रमा तीसरे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके ग्यारहवें भाव में स्थित होंगे। जब राहु ग्यारहवें भाव में चंद्रमा के साथ युति करते हैं, तो यह जातक के रिश्तों, सामाजिक जीवन और वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।

राहु चंद्रमा आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं। राहु के साथ मीन राशि में चंद्रमा कमजोर है। ऐसे में, इस अवधि के दौरान आपको हानि हो सकती है या पैतृक संपत्ति से नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह ग्रहण आपके स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है जैसे कि कान में संक्रमण, सुनने की समस्या आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

मिथुन राशि

चंद्रमा मिथुन राशि के जातकों के लिए दूसरे भाव के स्वामी हैं और राहु के साथ दसवें भाव में स्थित होंगे। अन्य राशियों के विपरीत, मिथुन राशि के जातकों को इस चंद्र ग्रहण से करियर और आर्थिक जीवन में लाभ होगा। आप काम में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे और आपको पदोन्नति भी हासिल होगी।

साथ ही, आय के नए स्रोत आपके लिए खुलेंगे। हालांकि, आपको अहंकार की भावना से दूर रहना होगा और अपनी आंखों का ख्याल रखना होगा क्योंकि आंखों का संक्रमण आपको परेशान कर सकता है।

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कर्क राशि

चंद्रमा कर्क राशि के जातकों के लिए लग्न या पहले भाव के स्वामी हैं और अब नौवें भाव में राहु के साथ युति करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, आपके पिता पर भी इस ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा। वे किसी घातक बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते सकते हैं।

कार्यक्षेत्र में आपको बहुत अधिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं और इस वजह से आपको बार-बार नौकरी बदलनी पड़ सकती है। आप एक ही समय तक एक ही नौकरी में संतुष्ट नहीं रह सकते।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए चंद्रमा बारहवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके आठवें भाव में स्थित होंगे। आठवें भाव में चंद्रमा और राहु की युति बिल्कुल भी अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। चंद्र ग्रहण के दौरान आपका मन चंचल और विकृत मानसिकता वाला होगा। साथ ही, आप लोगों के सामने संदिग्ध व्यवहार करेंगे और नैतिकता की कमी महसूस करेंगे।

आठवें भाव स्थित होने की वजह से आपके आर्थिक जीवन में बहुत अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा और अचानक धन की हानि हो सकती है। गाड़ी या अन्य चीज़ों के बिलों का भुगतान करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है, जिस वजह से आप तनाव में आ सकते हैं। आशंका है कि इस दौरान आपको अवांछित और अस्पष्टीकृत चिंता और भय हो। 

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए चंद्रमा ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके सातवें भाव में स्थित होंगे। इसके परिणामस्वरूप, आप स्वाभाविक रूप से चतुर, चालाक और आत्मनिर्भर होंगे। हालांकि, आप व्यवसाय या काम को लेकर परेशान व मानसिक चिंता का अनुभव कर सकते हैं। इस अवधि आपके व्यवहार में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आप ईर्ष्यालु होंगे और कार्यस्थल पर अहंकार की भावना से भरे होंगे। 

हालांकि, आपका जीवनसाथी रचनात्मक, दयालु और समझदार होगा। सातवें भाव में राहु और चंद्रमा की युति है इसलिए आप अपनी पत्नी की तरफ से भी धन की उम्मीद कर सकते हैं। हो सकता है कि आप दोनों रोमांटिक रूप से नहीं बल्कि शैक्षणिक रूप से अधिक अनुकूल हों।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए चंद्रमा दसवें भाव के स्वामी है और यह आपके छठे भाव में राहु के साथ युति करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, आपके लिए अनुकूल परिणाम प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। आपका तनाव और मानसिक थकावट से ग्रस्त हो सकते हैं। यदि आपका औरा नकारात्मक है तो लोगों को अपने पक्ष में रखना आपके लिए मुश्किल हो सकता है।

छठे भाव में राहु-चंद्रमा की युति अभिचार दोष को भी प्रकट करता है। इसके परिणामस्वरूप आप भावनात्मक रूप से प्रताड़ित हो सकते हैं। यदि आपके कोई दुश्मन हैं, तो आप उनसे बदला लिए बिना उन्हें नहीं छोड़ेंगे।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए चंद्रमा नौवें भाव के स्वामी हैं। चंद्रमा और राहु की पांचवें भाव में युति होगी। यह युति स्वाभाविक रूप से आपको बुद्धिमान और समझदार बनाएगी। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि आपको लगे कि कोई भी आपको नहीं समझता, लेकिन जब तक आप अपना आत्मविश्वास बनाए रखेंगे, तब तक आपके जीवन में सब कुछ ठीक रहेगा।

राहु और चंद्रमा आपकी जन्म कुंडली के पांचवें भाव में युति कर रहे हैं और पितृ दोष को बना रहे हैं। परिणामस्वरूप, आप गर्भावस्था संबंधी समस्याओं या बच्चों से संबंधित अन्य कठिनाइयों से पीड़ित हो सकते हैं। यह भी संभावना है कि आपको गर्भपात करना पड़े।

धनु राशि

चंद्रमा धनु राशि के लिए आठवें भाव के स्वामी हैं और चौथे भाव में राहु के साथ युति करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, अस्थिर मानसिकता वाले बेचैन हो सकते हैं क्योंकि राहु और चंद्रमा दोनों चौथे भाव में हैं। आपका मस्तिष्क सक्रिय रहेगा और आप जल्दी चीज़ों को समझने में सक्षम होंगे।

इस अवधि के दौरान आपकी माता का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। इसके अलावा, परिवार के सदस्यों के बीच बहस व विवाद होने की आशंका है, जिसके कारण घर का माहौल पूरी तरह खराब हो सकता है। संभावना है कि आप चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान घर अच्छे माहौल का आनंद लेने में सक्षम न हो।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए चंद्रमा सातवें भाव के स्वामी हैं और अब राहु के साथ तीसरे भाव में स्थित होंगे। तीसरे भाव में राहु और चंद्रमा की युति के प्रभाव के कारण आपका मन उदास हो सकता है।

कभी-कभी आप बहुत ज़्यादा मेहनत करते हैं और कभी-कभी आप अपने दैनिक जीवन पर विचार नहीं कर पाते हैं। आशंका है कि इस अवधि के दौरान आपका अपने छोटे भाई-बहनों के साथ रिश्ता खराब हो। साथ ही, आप अपने कार्यों पर संदेह कर सकते हैं क्योंकि आपमें साहस की कमी देखने को मिल सकती है। इस दौरान आर्थिक जीवन में कठिनाइयां आपके संघर्षों को और अधिक बढ़ा सकता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए चंद्रमा छठे भाव के स्वामी हैं, लेकिन चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान यह दूसरे भाव में स्थित होंगे। इसके फलस्वरूप आपकी आवाज़ मधुर और कोमल होगी और आप अपनी संपत्ति, यहां तक कि अपने पैसे का भी प्रदर्शन करना पसंद कर सकते हैं।

चंद्रमा और राहु के दूसरे भाव में होने से आप चालाक प्रवृत्ति के हो सकते हैं। आपके लिए अपनी ही बातों से किसी को गुमराह करना आसान होगा। परिणामस्वरूप, आप स्वभाव से धोखेबाज या बेईमान बन सकते हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि आपका परिवार आपसे खुश न रहे। आपके आस-पास, लगातार विवाद करने वाले और झूठ बोलने वाले लोग रहेंगे। आपको सलाह दी जाती है कि इस अवधि के दौरान किसी को भी पैसा उधार न दें क्योंकि आशंका है कि वह पैसे आपको कभी वापस न मिले।

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मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए चंद्रमा आपके पांचवें भाव के स्वामी हैं, लेकिन अब चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान यह आपके पहले भाव में स्थित होगा। पहले भाव में राहु और चंद्रमा की युति आपको एक संदिग्ध चरित्र दे सकती है और महिलाओं की वजह से आपकी बदनामी हो सकती है।

आप ऐसे व्यक्ति हो सकते हैं, जिनकी लोगों के सामने झूठ बोलने की प्रवृत्ति हो। ज़रूरत पड़ने पर आप कूटनीतिक पक्ष दिखा सकते हैं और स्थिति के अनुसार अपने व्यवहार और जवाबों को समायोजित कर सकते हैं। पहले भाव में राहु और चंद्रमा की युति के नकारात्मक पहलू की बात करें तो, आप आसानी से उत्तेजित हो सकते हैं। चाहे कार्यस्थल पर हो या बाहर आप नकारात्मक सोच रख सकते हैं और चीजों को गुप्त रखने की आजीवन आदत बना सकते हैं।

आखिरी चंद्र ग्रहण: उपाय

  • राहु के बीज मंत्र: “ॐ रां राहवे नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
  • चंद्रमा को मजबूत करने के लिए भगवान शिव की पूजा करें और रुद्राभिषेक करें
  • चंद्र ग्रहण के दौरान ध्यान करने से आपको राहु के नकारात्मक प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है।
  • राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद के लिए अपने गले में नीले धागे में चंदन बांधकर पहनें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें और विष्णु सहस्रनाम सुनें क्योंकि बृहस्पति ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जो राहु की नकारात्मकता को दूर कर सकता है।

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चंद्र ग्रहण 2024: गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां

ग्रहण के दौरान गर्भवती माताओं को बेहद सावधान रहने की ज़रूरत होती है क्योंकि चंद्रमा राहु की छाया में होता है, जो महिलाओं को भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है। बता दें कि चंद्रमा भावनाओं का कारक है। यह मां की भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक सेहत को प्रभावित कर सकता है जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है इसलिए, गर्भवती माताओं को चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी चाहिए।

  • गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दौरान निकलने वाली हानिकारक किरणों से भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं को कैंची या ब्लेड जैसे किसी भी नुकीले उपकरण का उपयोग करने से बचने की सलाह दी जाती है।
  • आमतौर पर, लोग चंद्र ग्रहण के दौरान खाने से परहेज़ करते हैं। हालांकि, गर्भवती महिलाएं दवाएं ले सकती हैं और ताज़े फल या सात्विक भोजन भी खा सकती हैं।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान, गर्भवती महिलाओं से खिड़कियां और दरवाज़े ढके रखने का आग्रह किया जाता है।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ध्यान लगाने और मंत्र पढ़ने से लाभ होगा।
  • किसी भी हानिकारक परिणाम को रोकने के लिए, गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करने की सलाह दी जाती है। 
  • गर्भवती महिलाओं को सेफ्टी पिन, चूड़ियां और पिन सहित किसी भी तरह का कोई भी धातु का आभूषण नहीं पहनना चाहिए। 
  • चंद्र ग्रहण के दौरान, सोना सख्त वर्जित होता है। 
  • गर्भवती महिलाओं को इन सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 18 सितंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण सूतक काल के भीतर नहीं आता है।
  • चिंता और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए मंत्र या भजन का जाप करने और ईश्वर-पूजा में भाग लेने से केवल गर्भवती महिलाओं को ही नहीं बल्कि सभी को लाभ होगा।

चंद्र ग्रहण 2024 : देश-दुनिया पर प्रभाव

सितंबर में लगने वाला चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में होगा। चूंकि यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह में पड़ेगा इसलिए भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित देश हमारे लिए परेशानी खड़ी कर सकता है, लेकिन भारत इन समस्याओं का समझदारी से सामना कर पाएगा।

  • भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित देशों के साथ व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
  • चंद्र ग्रहण भाद्रपद महीने में पड़ने के कारण दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान दुनिया भर में आत्महत्या या भावनात्मक उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि देखी जा सकती है। ऐसे में, परिवार और उन लोगों के करीब रहना सबसे अच्छा है, जिन पर आप भरोसा कर सकते हैं।
  • इस दौरान अकाउंट और फाइनेंस, बिजनेस, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज आदि क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को इस दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारत में पंजाब, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों में पानी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चंद्र ग्रहण के कारण डॉक्टर, चिकित्सक और व्यवसाय से जुड़े लोगों को अपने पेशे में मंदी का सामना करना पड़ सकता है।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- चंद्र ग्रहण क्या है?

जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं और पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में दिखाई देती है और चंद्रमा पर अपनी छाया डालती है जिससे चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है, तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

2- चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना के रूप में कब खोजा गया था?

29 जनवरी, 1137 ईसा पूर्व

3- क्या चंद्र ग्रहण किसी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है?

यदि कोई व्यक्ति चंद्र ग्रहण के दौरान पहले से ही अस्वस्थ है, तो यह उसके स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर और भी अधिक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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