चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन: माँ की पूजा का ज्योतिषीय महत्व- ये उपाय दिलाएँगे पूर्ण सिद्धि!

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को समर्पित होता है। मां ब्रह्मचारिणी को देवी का अविवाहित स्वरूप माना गया है। आज अपने इस खास ब्लॉग में हम मां ब्रह्मचारिणी और नवरात्रि के दूसरे दिन से संबंधित कुछ विशेष बातों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

सिर्फ इतना ही नहीं इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन आप माँ की प्रसन्नता हासिल करने के लिए उन्हें किस चीज का भोग लगा सकते हैं, साथ ही जानेंगे मां के प्रिय रंग की जानकारी और जानेंगे इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में भी। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जानते हैं मां का स्वरूप कैसा है। 

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि मां ब्रह्मचारिणी को देवी पार्वती का अविवाहित स्वरूप माना जाता है। इन्होंने श्वेत रंग की वस्त्र धारण किए हैं, मां के दाहिने हाथ में जप माला है और बाएं हाथ में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बेहद ही तेजमय और ज्योतिर्मय होता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी की तो माँ को मंगल ग्रह से संबंधित माना जाता है। ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर स्थिति में हो या पीड़ित अवस्था में हो उन्हें विशेष रूप से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा महत्व 

बात करें महत्व की तो मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से आलस्य, अहंकार, लोभ, लालच, झूठ, स्वार्थ और ईर्ष्या जैसी गलत आदतें दूर होती हैं। इसके अलावा मां का स्मरण करने मात्र से व्यक्ति के अंदर एकाग्रता और स्थिरता बढ़ने लगती है। साथ ही व्यक्ति के बुद्धि, विवेक और धैर्य में वृद्धि होती है।

मां ब्रह्मचारिणी को अवश्य लगाएँ ये भोग 

नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों के भोग का विशेष महत्व माना गया है। माता के अलग-अलग स्वरूप को अलग-अलग भोग वस्तुएं पसंद होती है। ऐसे में बात करें मां ब्रह्मचारिणी की तो इस दिन की पूजा के दौरान अर्थात नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा के दौरान मां को कमल और गुड़हल का फूल अवश्य अर्पित करें।

इसके अलावा माता को चीनी और मिश्री भी बहुत पसंद है। ऐसे में ऐसा कोई भोग मां को अर्पित करें जिसमें चीनी और मिश्री हो। मुमकिन हो तो इस दिन पंचामृत का भोग अवश्य लगाएँ। इसके अलावा दूध या फिर दूध से बनी खाने की वस्तुएं भी माँ को बेहद प्रिय होती है। आप इसका भी भोग मां को अर्पित कर सकते हैं। 

कहा जाता है की मां को पसंदीदा वस्तुओं का भोग लगाने से व्यक्ति को लंबी आयु का सौभाग्य प्राप्त होता है। 

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट

देवी ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र

“दधाना करपद्माभ्यं, अक्षमालाकमाली। देवी प्रसूदतु माई, ब्रह्मचार्यानुत्तमा ..”
“दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमंडलु। देवी प्रसीदतु माई, ब्रह्मचारिण्यानुत्तमा।।”

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

नवरात्रि के दूसरे दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है की मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को कुंडली में मौजूद मंगल दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही मंगल दोष से होने वाली तमाम तरह की परेशानियां भी उसके जीवन से दूर होने लगती हैं। कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है तो व्यक्ति को भूमि, भवन, बल आदि का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में आप चाहे तो नवरात्रि के दूसरे दिन कुछ अचूक उपाय करके इस दिन का सर्वश्रेष्ठ लाभ अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।

  • नवरात्रि के दूसरे दिन आप मंदिर जाकर देवी पार्वती और भगवान शिव के ऊपर जल और फूल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार विधि से इन दोनों का पूजन करें। पूजा करने के बाद मौली से शिव और पार्वती देवी का गठबंधन करें और शीघ्र विवाह होने की प्रार्थना करें। 
  • अगर आपके वैवाहिक जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी आ रही है तो इस दिन गौरी माता का पूजन अवश्य करें। इससे आपको लाभ अवश्य मिलेगा।
  • रामायण के अनुसार कहा जाता है की मां सीता ने भी विवाह से पहले गौरी माता की पूजा की थी और तभी उन्हें भगवान श्री राम उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए थे। 
  • इसके अलावा अगर आप मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान करने के बाद दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप अवश्य करें। इससे भी आपको मनचाहा वर प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है।  

क्या यह जानते हैं आप? नवरात्रि के दौरान बहुत से घरों में अखंड ज्योत जलाई जाती है लेकिन अखंड ज्योत स्थापित करने की एक सही दिशा निर्धारित की गई है। दरअसल अखंड ज्योति हमेशा दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ ही रखनी चाहिए। ऐसा करने से अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो वह निश्चित रूप से दूर हो जाएगी।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ होता है ब्रह्मा अर्थात तपस्या और चारणी का मतलब होता है आचरण अर्थात एक ऐसी देवी जिन्हें तपस्या की देवी माना गया है। यही वजह है की मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति तप, त्याग, वैराग, सदाचार और संयम प्राप्त करता है।

इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 

यूं तो मां दुर्गा के किसी भी स्वरूप और हर स्वरूप की पूजा हर कोई व्यक्ति कर सकता है लेकिन विशेष तौर पर जिन लोगों को बार-बार काम करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही हो, जिन्हें लालसाओं से मुक्ति पानी हो, उन्हें निश्चित रूप से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको लालसाओं से मुक्ति मिलेगी और आपको आपकी कड़ी मेहनत का फल भी प्राप्त होगा। साथ ही जीवन में सफलता मिलेगी। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

कुंडली में है राजयोग? राजयोग रिपोर्ट से मिलेगा जवाब

मां ब्रह्मचारिणी से संबंधित पौराणिक कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके स्वरूप को शैलपुत्री कहा गया था लेकिन मां ने तप के समय जिन नियमों का पालन किया, जिस तरह से कठिन जीवन जिया, जिस प्रकार शुद्ध और पवित्र आचरण अपनाया और तपस्या को अच्छी तरह से किया ऐसे में उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

कहा जाता है मूसलाधार वर्षा हो, तेज धूप हो, आंधी तूफान जैसे कठिन हालातो में भी माँ ब्रह्मचारिणी ने अपनी तपस्या नहीं छोड़ी थी। वो निश्चय के साथ तपस्या करती रही और तभी से इन्हें देवी ब्रह्मचारिणी का नाम दिया गया। कई वर्षों तक फल, शाक, और बेलपत्र खाने की वजह से उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था। कहा जाता है आखिरकार माँ ब्रह्मचारिणी की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और उनकी मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था और तभी भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। 

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.