बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: ग्रहों के राजकुमार के नाम से विख्यात बुध देव को ज्योतिष शास्त्र में तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। ऐसे में, बुध ग्रह की दशा, दिशा और स्थिति में समय-समय पर बदलाव होता रहता है, इसलिए यह अक्सर उदित, अस्त, वक्री और मार्गी भी होते हैं।

इसके परिणामस्वरूप, बुध महाराज की स्थिति में होने वाले हर परिवर्तन को महत्वपूर्ण माना जाता है जो मनुष्य जीवन को गहराई से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। अक्टूबर 2025 में दूसरी बार बुध ग्रह गोचर करते हुए वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के लिए तैयार है। बता दें कि इनका यह गोचर संसार समेत राशियों को प्रभवित्व कर सकता है।
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एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष लेख के अंतर्गत आपको “बुध का वृश्चिक राशि में गोचर” से जुड़ी जानकारी विस्तारपूर्वक प्राप्त होगी जैसे तिथि और समय आदि। साथ ही, बुध के इस राशि परिवर्तन से किन राशियों का होगा भाग्योदय और किन राशियों को उठाने पड़ेंगे कष्ट? करियर और व्यापार में आएगी समस्या या फिर दूर होगी हर बाधा आदि सवालों का जवाब प्राप्त होगा। इसके अलावा, वृश्चिक राशि में कौन-कौन से ग्रह युति करेंगे और इस दौरान किए जाने वाले उपाय भी प्रदान करेंगे, इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें।
बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: तिथि और समय
बुध देव के तेज़ गति से चलने के कारण इनका गोचर हर 23 से 27 दिनों में होता है। अक्टूबर के महीने में यह दूसरी बार गोचर करते हुए 24 अक्टूबर 2025 की दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। बता दें कि बुध का यह गोचर मंगल देव की राशि में होगा और मंगल और बुध दोनों एक-दूसरे से शत्रुता रखते हैं इसलिए इस गोचर को अनुकूल नहीं कहा जा सकता है।
यहां बुध देव लगभग एक महीने रहेंगे और इस दौरान वह अस्त और वक्री भी होंगे जिसका प्रभाव संसार और राशियों पर नज़र आ सकता है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं वृश्चिक में होने वाली ग्रहों की युति के बारे में।
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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: वृश्चिक राशि में बुध-मंगल की होगी युति
ज्योतिष में बुध महाराज जहां बुद्धि, संचार, तर्क, मित्रता और चतुराई के कारक ग्रह माने जाते हैं, तो वहीं मंगल देव भाई, ऊर्जा, बुद्धि, साहस, युद्ध और पराक्रम के ग्रह हैं। साथ ही, यह दोनों ग्रह एक-दूसरे से शत्रुता का भाव रखते हैं और इन दोनों का एक साथ एक राशि में बैठना शुभ नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में, अब जल्द ही मंगल और बुध की युति देखने को मिलेगी।
जब बुध महाराज का 24 अक्टूबर 2025 को वृश्चिक राशि में गोचर होगा, ठीक उसके 3 दिन बाद यानी कि 27 अक्टूबर 2025 को मंगल ग्रह भी अपनी राशि वृश्चिक में आ जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप, मंगल और बुध दोनों ग्रह एक माह तक यानी 23 नवंबर 2025 तक साथ रहेंगे।
हालांकि, यह एक नकारात्मक स्थिति होगी। मंगल और बुध की युति का दुष्प्रभाव संसार पर दिखाई दे सकता है और ऐसे में, विश्व में तनाव में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, इस दौरान लोगों के बीच वाद-विवाद और लड़ाई-झगडे की स्थिति बनेगी, इसलिए इस दौरान सभी राशि के जातकों को सावधानी बरतते हुए आगे बढ़ना होगा।
बुध का वृश्चिक राशि में गोचर का प्रभाव
- बुद्धि और वाणी के ग्रह बुध देव जब वृश्चिक राशि में उपस्थित होते हैं, उस समय जातकों का सारा ध्यान रिसर्च करने पर केंद्रित होता है।
- वृश्चिक राशि में बुध के तहत जन्मे जातक अपने विश्वास या मत पर अडिग रहते हैं।
- एक ओर, वृश्चिक राशि आपको बातों या चीज़ों को छुपाने के लिए प्रोत्साहित करती है और दूसरी तरफ, बुध देव को अभिव्यक्ति का ग्रह माना जाता है।
- जिन जातकों की कुंडली में बुध ग्रह वृश्चिक राशि में विराजमान होते हैं, तो ऐसे लोगों के चेहरे को देखकर कोई आपके मन के भाव को जान नहीं सकता है क्योंकि जैसा आपको दिखाई दे रहा होता है, वैसा हो जरूरी नहीं होता है।
- कुंडली में बुध वृश्चिक राशि में उपस्थित होने पर जातक नए-नए आविष्कार करने वाला, रिसर्चर, रहस्यवादी, जासूस और वैज्ञानिक आदि बनता है।
- अगर बुध देव की स्थिति इस राशि में अशुभ होती है, तो आपको हैकर, मनोरोगी और चोर बनाने का काम कर सकती है।
- इनकी अशुभ स्थिति के प्रभाव से व्यक्ति खतरनाक और रहस्यमयी बनता है।
- साथ ही, बुध की वृश्चिक राशि में कमज़ोर स्थिति होने पर या किसी दूसरे पापी ग्रह का प्रभाव होने पर हालात बद से बदतर हो जाते हैं।
आइए अब हम आपको बुध ग्रह के बारे में विस्तृत जानकारी।
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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: कौन हैं बुध ग्रह?
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को नवग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और यह सूर्य के सबसे नज़दीक स्थित हैं। हालांकि, बुध को एक शुभ ग्रह माना गया है और इन्हें “ग्रहों के युवराज” का पद भी प्राप्त है। लेकिन, द्विस्वभाव होने के कारण यह जिस ग्रह के साथ मौजूद होते है, उसके अनुसार ही परिणाम देते हैं।
अगर बुध महाराज आपकी कुंडली में शुभ ग्रहों जैसे गुरु, शुक्र और चंद्रमा के साथ स्थित होते हैं, तो आपको कार्यों में सकारात्मक परिणाम देंगे। अगर यह कुंडली में किसी अशुभ या पापी ग्रह के साथ बैठ जाते हैं, तो आपको अशुभ फल प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, बुध देव सभी राशियों में मिथुन और कन्या राशि के अधिपति देव हैं। यह कन्या राशि में उच्च और मीन राशि में नीच अवस्था में होते हैं। बात करें 27 नक्षत्रों की, तो बुध महाराज अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र के स्वामी हैं। इसके अलावा, सूर्य और शुक्र को बुध के मित्र माना जाता है जबकि चंद्रमा और मंगल इनके शत्रु हैं। बुध महाराज का वर्ण हरा है और इन्हें सप्ताह में बुधवार का दिन समर्पित है।
यदि किसी की कुंडली में बुध अशुभ होते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति की वाणी, व्यापार और निर्णय लेने की क्षमता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है और नौकरी में घाटा, व्यापार में हानि जैसी समस्याएं जन्म लेने लगती हैं, इसलिए इनकी भूमिका मनुष्य जीवन में विशेष हो जाती है।
धार्मिक दृष्टि से, बुध देव को शांति, समृद्धि और सुख का प्रतीक माना जाता है। इनके इष्ट देव भगवान गणेश और श्रीकृष्ण हैं इसलिए इनकी पूजा से बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं। जब बात आती है इनके स्वभाव की, तो बुध ग्रह को शांत और कोमल स्वभाव का बताया जाता है। इनकी वाणी बहुत मधुर मानी जाती है जो दूसरों को मोहित करने में सक्षम हैं। बुध देव की माता देवी तारा और पिता चंद्र हैं।
बुध ग्रह की स्थिति का जीवन पर प्रभाव
- बुध महाराज को बुद्धि के देवता माना गया है इसलिए यह व्यक्ति की बुद्धि को नियंत्रित करते हैं। इनकी मज़बूत स्थिति के प्रभाव से व्यक्ति न सिर्फ़ बुद्धि से जुड़े कार्यों में सफलता प्राप्त करता है, बल्कि यह व्यक्ति के सोए हुए भाग्य को भी जगाती है।
- साथ ही, बुध महाराज उत्तर दिशा के स्वामी हैं और इस दिशा को कुबेर देवता का निवास स्थान माना जाता है। साथ ही, यह हमारे जीवन में विचारों, तर्क, निर्णय लेने की क्षमता और तर्क को नियंत्रित करते हैं।
- ज्योतिष में बुध को आमतौर पर सीखने, बहुमुखी प्रतिभा और खुद की अभिव्यक्ति से जोड़ा जाता है.
- सौरमंडल में बुध के सबसे निकट सूर्य देव हैं और इन्हें कालपुरुष की कुंडली में तीसरे और छठे भाव पर स्वामित्व हैं।
- ज्योतिष की मानें तो, बुध ग्रह के गोचर और स्थिति में बदलाव का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से असर पृथ्वी पर होने वाली घटनाओं पर पड़ता है।
- कुंडली में बुध बलवान हो या फिर ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध उच्च अवस्था में हो, तो ऐसे व्यक्ति स्वभाव से हंसमुख होता है और यह जीवन को खुलकर जीवन पसंद करते हैं। इन जातकों को दूसरों के साथ हंसी-मजाक करते हुए देखा जा सकता है।
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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: बुध देव से जुड़े अनकहे रहस्य
बात करें बुध ग्रह की, तो ऐसे अनेक रोचक तथ्य और रहस्य हैं जिनके बारे में आज भी दुनिया को जानकारी नहीं है। यहाँ हम आपको बुध देव से जुड़ी ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं।
- वैदिक ज्योतिष में बुध देव को तारा पुत्र, शशि और चंद्रज आदि नामों से जाना जाता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र देव तथा बृहस्पति देव की पत्नी तारा से बुध ग्रह का जन्म हुआ था।
- हालांकि, बुध देव का पालन-पोषण चंद्र देव की पत्नियों रोहिणी और कृतिका ने किया था जो 27 नक्षत्रों में भी शामिल हैं।
- भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर बुध महाराज से वरदान में वैदिक विचारों और सभी कलाएं प्रदान की थीं।
- नवग्रहों में बुध देव एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो हमेशा से सूर्य देव के सानिध्य में रहे हैं इसलिए सूर्य के प्रभाव से अस्त होने पर इन्हें दोष नहीं लगता है ।
बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: बुध का करियर पर प्रभाव
जैसे कि हमने आपको ऊपर बताया है कि बुध देव वाणी, संचार और बुद्धि के ग्रह हैं, लेकिन यह व्यक्ति के करियर और व्यापार को भी नियंत्रित करते हैं। इनकी दशा और दिशा ही व्यापार में सफलता का निर्धारण करती है। ऐसे में, कुंडली के विभिन्न भावों में बुध महाराज की स्थिति आपके करियर के बारे में काफ़ी कुछ बता सकती है।
- अगर कुंडली में बुध ग्रह का संबंध शनि और केतु से बनता है और साथ ही, कुंडली का दसवां भाव भी प्रभावित होता है, तो व्यक्ति का झुकाव तकनीक की तरफ होता है।
- अगर कुंडली के पांचवें भाव से बुध ग्रह संबंधित होता है और यह संबंध लग्न के स्वामी, लग्नेश, तृतीय भाव के स्वामी, तृतीयेश और दसवें भाव के स्वामी दशमेश से बन रहा होता है, तो जातक संचार से जुड़े क्षेत्रों में करियर बनाता है।
बुध ग्रह से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी से आपको अवगत करवाने के बाद, आइए नज़र डालते हैं बुध से बनने वाले अशुभ योगों पर।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
बुध ग्रह से निर्मित अशुभ योग
कुंडली में जब कभी बुध महाराज किसी शत्रु ग्रह के साथ युति करते हैं या फिर उन पर दृष्टि डालते हैं, तो अनेक तरह के योगों के जन्म लेने की संभावना होती है। बुध ग्रह से कौन से अशुभ योग जन्म लेते हैं? चलिए जानते हैं।
बुध-शनि योग
कुंडली में बुध-शनि योग उस समय बनता है जब कुंडली में किसी राशि या भाव में बुध और शनि एक साथ बैठकर युति का निर्माण करते हैं। इस अशुभ योग का प्रभाव जातक को हद से ज्यादा विश्लेषणात्मक और आलोचना करने वाला बना सकता है। साथ ही, आप डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं।
बुध ग्रह दोष
बुध ग्रह दोष को भी एक अशुभ योग माना जाता है और इसका निर्माण कुंडली में उस समय होता है जब बुध देव क्रूर और पापी ग्रह शनि, मंगल या राहु के साथ युति करते हैं या उनकी दृष्टि इन पर पड़ रही होती है। इस योग के प्रभाव से जातक को संचार, शिक्षा और व्यापार से जुड़े क्षेत्रों में समस्या का सामना करना पड़ता है।
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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय
- बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से ‘ॐ बुधाय नमः’ मंत्र का 9, 18 या 27 बार जाप करें।
- कुंडली में बुध को बलवान करने के लिए आप पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं। लेकिन, इस रत्न को पहनने से पहले आप किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिषियों से सलाह अवश्य लें।
- बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं।
- बुध महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए बुधवार के दिन किन्नरों को हरे रंग की वस्तुओं का दान करें जैसे हरे रंग की साड़ी और चूड़ियां आदि।
- सोने की अंगूठी, चैन या कोई रत्न धारण करने से भी बुध ग्रह मज़बूत होते हैं।
- बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार के दिन मूंग दाल और कांसे के बर्तन का दान कर सकते हैं।
बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बुध देव 24 अक्टूबर 2025 को वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे।
राशि चक्र की आठवीं राशि वृश्चिक के स्वामी मंगल देव हैं।
वृश्चिक बुध ग्रह की शत्रु राशि है इसलिए इनसे ज्यादा अच्छे परिणाम न मिलने की संभावना है।