बुध का शतभिषा नक्षत्र में गोचर: किन राशियों की होगी बल्ले-बल्ले या किनकी बढ़ेंगी मुसीबतें!

बुध का शतभिषा नक्षत्र में गोचर: एस्ट्रोसेज अपने पाठकों के लिए यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसमें आपको बुध का शतभिषा नक्षत्र में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी। ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध शतभिषा नक्षत्र में 24 फरवरी 2024 को गोचर करने जा रहे हैं जिसका प्रभाव राशि चक्र की सभी राशियों पर देखने को मिलेगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध का यह गोचर आपके लिए कैसा रहेगा। 

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बुध ग्रह हमारे मस्तिष्क को नियंत्रित करता है और इन्हें चंद्र देव के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है। वहीं, वैदिक ज्योतिष में बुध देव को देवताओं का दूत माना जाता है। राशि चक्र में इन्हें मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सौरमंडल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट स्थित है। आपको बता दें कि बुध का अर्थ बुद्धि से है क्योंकि यह मनुष्य के जीवन में बुद्धि, वाणी और ह्यूमर आदि के प्रतीक माने गए हैं। ज्योतिष में बुध देव को लाभकारी ग्रह माना जाता है, परन्तु अशुभ ग्रहों के साथ होने पर यह जातकों को नकारात्मक रूप से भी प्रभावित कर सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत होते हैं, उनकी बुद्धि तेज़ होती है, लेकिन ऐसे लोग जल्द ही तनाव में आ जाते हैं जिसकी वजह से सही फैसला लेने में नाकाम रह सकते हैं।

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क्या है शतभिषा नक्षत्र?

वैदिक ज्योतिष में सभी 27 नक्षत्रों में से शतभिषा नक्षत्र को 24वां स्थान प्राप्त है। कुंभ राशि में यह नक्षत्र  6.40 अंश से 20 अंश तक फैला हुआ है। जिन जातकों का जन्म शतभिषा नक्षत्र के तहत होता है, वह जन्मजात बुद्धिमान होते हैं। इस गुण की झलक उन लोगों के व्यक्तित्व में बचपन से ही देखी जा सकती है। साथ ही, इन जातकों में कुछ विशेष स्किल्स मौजूद होते हैं जिन्हें निखारने के लिए देश-दुनिया के सर्वोत्तम शिक्षा संस्थानों द्वारा इनका चुनाव किया जाता है। यह लोग किसी भी विषय के कांसेप्ट और आइडिया को दूसरों की तुलना में आसानी से समझ लेते हैं और ऐसे में, शिक्षा के क्षेत्र में इनका प्रदर्शन शानदार रहता है। इस नक्षत्र के प्रभाव से ऐसे जातक दुनिया के सबसे कम उम्र के सीईओ और बिज़नेसमैन बनते हैं।

इन जातकों का जुड़ाव तकनीकी क्षेत्रों से भी हो सकता है। हालांकि, आपको बता दें कि तकनीकी क्षेत्र को राहु महाराज नियंत्रित करते हैं। शतभिषा नक्षत्र के अंतर्गत जन्मे जातक बचपन से ही जानते हैं कि उन्हें अपने जीवन में क्या करना हैं और उनका लक्ष्य क्या है जिन्हें पाने के लिए यह अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रयास करते हैं और इसमें सफलता भी प्राप्त करते हैं। शतभिषा नक्षत्र के चारों पद कुंभ राशि के अंतर्गत आते हैं। इस नक्षत्र का संबंध मेडिकल और हीलिंग के क्षेत्र से है। शायद ही आपको पता होगा कि ‘शत’ शब्द का अर्थ सौ से है जो किसी स्थिति को देखने और उसका हल ढूंढ़ने के तरीकों या दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है।

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ज्योतिष में राहु का महत्व

वैदिक ज्योतिष में राहु इच्छाओं, महत्वकांक्षाओं, सुख, भय और गलत व्यवहार आदि से जुड़ा है। राहु देव भी व्यक्ति को शनि महाराज की तरह ही परिणाम प्रदान करते हैं और इसके परिणामस्वरूप, यह जीवन में अचानक से हानि, दुर्भाग्य, असफलता और तनाव लेकर आते हैं। इस  ग्रह का स्वभाव जानवरों के समान होता है। हालांकि,  यह किसी व्यक्ति को जीवन में तमाम तरह के सांसारिक सुख, अप्रत्याशित सफलता, लाभ, धन-समृद्धि, शक्ति और मज़बूती आदि प्रदान करने का सामर्थ्य रखते हैं। अगर कुंडली में राहु की स्थिति शुभ होती है, तो यह व्यक्ति को शत्रुओं और प्रतिद्वंदियों पर जीत दिलाते हैं। लेकिन फिर भी यह लोग हमेशा असंतुष्ट दिखाई देते हैं। सामान्य शब्दों में कहें, तो राहु ग्रह कभी भी आपको अपने जीवन में मिले लाभ, सफलता, धन-धान्य आदि से संतुष्ट नहीं होने देते हैं। इन जातकों में ज्यादा से ज्यादा पाने की कभी न ख़त्म होने वाली एक भूख होती है जो ऐसे लोगों को इच्छाओं के सागर में डुबाने का काम करते हैं जिन्हें पाने के लिए वह ज़िंदगीभर प्रयास करते रहते हैं। 

ऐसे में, यह आपको किसी तरह की लत, जुनूनी रवैया, अत्यधिक महत्वाकांक्षी, काल्पनिक आशाएं आदि से ग्रस्त बनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का संबंध गूढ़ विज्ञान से माना गया है। साथ ही, यह व्यक्ति के चरित्र के नकारात्मक पक्ष और गैर-कानूनी कामों को भी दर्शाता है। राहु व्यक्ति के स्वभाव को क्रांतिकारी, रीति-रिवाज़ों और परंपराओं को न मानने वाला बना सकता है। इसके अलावा, विदेश से भी इसका संबंध माना गया है और यह आपको अध्यात्म से दूर लेकर जाता है। सकारात्मक पक्ष की बात करें, तो यह आपको जीवन में विभिन्न क्षेत्रों जैसे गूढ़ विज्ञान और अध्यात्म आदि में उच्च ज्ञान प्रदान करता है। इन जातकों की इंट्यूशन क्षमता काफ़ी मज़बूत होती है और यह मनोविज्ञान को बहुत बारिकी से समझते हैं। 

शतभिषा नक्षत्र में बुध का प्रभाव 

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शतभिषा नक्षत्र में बुध देव मौजूद होते हैं, तो यह जातकों को शत्रुओं को परास्त करने वाले, थोड़ी सी तारीफ से प्रसन्न होने वाले, एक सफल डॉक्टर और साफ़ एवं स्पष्ट बात करने वाला इंसान बनाते हैं। ऐसे व्यक्ति में घर-परिवार के अच्छे संस्कार देखने को मिलते हैं और इन्हें कामकाज या व्यापार के चलते परिवार से दूर रहना पड़ता है। साथ ही, इस नक्षत्र में स्थित बुध व्यक्ति के मन को प्रसन्न करने वाला, कल्पनाशील, बुरी आदतों जैसे कि शराब, नशे आदि की वजह से परिवार का त्याग करने वाला बनाती है। हालांकि, बुध की इस स्थिति की वजह से आप लोगों की मदद करने वाले भी हो सकते हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह से कुंडली में बुध की स्थिति पर निर्भर करेगा। 

शतभिषा नक्षत्र के प्रथम पद में बुध का प्रभाव 

जब व्यक्ति की कुंडली में बुध शतभिषा नक्षत्र के प्रथम पद में स्थित होते हैं, तो ऐसे जातक व्यापार के क्षेत्र में समस्याएं पैदा करने वाले शत्रुओं को परास्त कर देते हैं, दुश्मनों के समान व्यवहार करने वाले लोगों से दूरी बनाकर रखते हैं, भगवान में आस्था रखते हैं, मेडिकल के क्षेत्र में तरक्की हासिल करते हैं और जो भी बोलते हैं एकदम साफ़ और स्पष्ट बोलते हैं।

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शतभिषा नक्षत्र के दूसरे पद में बुध का प्रभाव

बुध के दूसरे पद में होने पर जातक दुश्मनों का नाश करता है, विवाद या युद्ध की चुनौती देने वाला और सर्दियों से खुद का बचाव करने वाला होता है। अगर कुंडली में बुध की युति शनि के साथ हो रही हो, तो जातक को सरकारी क्षेत्र में उच्च पद की प्राप्ति होती है। 

शतभिषा नक्षत्र के तीसरे पद में बुध का प्रभाव

बुध के तीसरे पद में होने पर जातक को सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही, शत्रुओं की वजह से हानि भी झेलनी पड़ती है, लेकिन यह लोग उनसे उलझने की बजाय बचना पसंद करते हैं। ऐसा व्यक्ति ड्रग्स का भी आदी हो सकता है।

शतभिषा नक्षत्र के चौथे पद में बुध का प्रभाव

जब बुध शतभिषा नक्षत्र के चौथे पद में विराजमान होते हैं, तो यह व्यक्ति को शराब का सेवन करने वाला बनाते हैं। इनके एक से ज्यादा दोस्त हो सकते हैं, दिखावा पसंद नहीं करते हैं और अपनी बातों से लोगों का दिल दुखाने से बचते हैं। लेकिन, दुश्मनों को उनकी चालों का जवाब बहुत अच्छे से देने में माहिर होते हैं। 

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बुध का शतभिषा नक्षत्र में गोचर: सभी राशियों को करेंगे प्रभावित   

मेष राशि

मेष राशि के लिए बुध महाराज आपके तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और यह आपके ग्यारहवें  भाव में विराजमान होंगे जो कि गोचर करके शतभिषा नक्षत्र में जा रहे हैं। ऐसे में, बुध की ग्यारहवें भाव में उपस्थिति होने से आपका ध्यान आइडियाज और कांसेप्ट पर केंद्रित होगा। इसके अलावा, यह जातक जो भी काम करेंगे, वह समाज और मानवता से जुड़े हो सकते हैं। ऐसे लोग समाज या समाज में होने वाली घटनाओं को लेकर चिंतित दिखाई दे सकते हैं और ऐसा इसलिए होगा क्योंकि राहु का संबंध समाज से होता है। 

इन जातकों का मन कल्पनाओं से भरा रहेगा जिसके चलते कभी-कभी आप कवि भी बन सकते हैं या फिर इस गोचर के दौरान आपकी रुचि लेखन के प्रति जाग सकती है। साथ ही, आप ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करना चाहेंगे। इस अवधि में आपके सामाजिक दायरे का विस्तार होगा जिसका लाभ आपको आगे चलकर मिलेगा।

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और अब यह शतभिषा नक्षत्र में गोचर करके आपके दसवें भाव में जा रहे हैं। ऐसे में, इन जातकों का सारा ध्यान करियर पर केंद्रित होगा और आप जीवन के लक्ष्य हासिल हुए नज़र आ सकते हैं। साथ ही, उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए प्रयासरत भी रहेंगे। 

हालांकि, दसवें भाव में बुध की मौजूदगी दर्शाती है कि करियर में आपका संबंध ऐसे क्षेत्र से हो सकता है जहां आप अपनी बुद्धि का अच्छे से उपयोग कर सकें। ऐसे में, आपको अपनी बुद्धि का प्रयोग दूसरों की तुलना में अधिक करना पड़ सकता है। साथ ही, यह लोग अपने करियर का विश्लेषण करते हुए नज़र आ सकते हैं। इन जातकों को अपने लक्ष्यों को पाने के लिए योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा। 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके लग्न भाव के स्वामी होने के साथ-साथ चौथे भाव के भी स्वामी हैं और शतभिषा नक्षत्र में गोचर करके अब यह आपके नौवें भाव में प्रवेश कर जाएंगे। इस अवधि में आप दुनिया को तार्किक नज़रिये से देखेंगे। साथ ही, आप किसी ऐसी जगह की तलाश में हो सकते हैं, जहां आप शांति से बैठकर दुनिया और अपनी समस्याओं के बारे में सोच-विचार कर सकें।

बुध गोचर के दौरान आप फिलोसॉफी, अध्यात्म या फिर अन्य विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं जिससे आपकी बुद्धि का विस्तार होगा। ऐसे में, आप समाज और दुनिया के नीति-नियमों पर सवाल उठाते हुए दिखाई दे सकते हैं। आप किसी यात्रा या जीवन के अन्य अनुभवों के माध्यम से कुछ न कुछ नया सीखते रहेंगे। इस अवधि में आप हर किसी के विचारों को स्वीकार करने से बचेंगे और साथ ही, दूसरों के विचारों का भी सम्मान करेंगे। आप नई-नई चीज़ों के बारे में जानना पसंद करेंगे। इस दौरान आपको वह काम ही संतुष्टि देंगे जहां आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर सकेंगे। 

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कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह शतभिषा नक्षत्र में गोचर करके आपके आठवें भाव में जा रहे हैं। शतभिषा नक्षत्र के आठवें भाव में बुध की मौजूदगी परिवर्तन और वस्तुओं या संसाधनों के शेयर किये जाने की तरफ इशारा करती है। ऐसे में, आप धन से जुड़ी समस्याओं और इंटिमेसी से संबंधित मामलों को एक नए नज़रिये के साथ देखेंगे। आप उभरती हुई तकनीक के नए क्षेत्रों में निवेश करने में रुचि लेंगे।

इन जातकों का सारा ध्यान अपनी बुद्धि को तेज़ बनाने में होगा। बता दें कि इन लोगों के दिमाग में एक अलग तरह की उत्सुकता देखने को मिलती है जो तब तक शांत नहीं होती है जब तक यह किसी समस्या या बात की गहराई तक नहीं पहुंच जाते हैं। इस अवधि में आप शांति से बैठकर रोमांस से लेकर जीवन-मृत्यु के बारे में भी सोच-विचार करते हुए नज़र आ सकते हैं। साथ ही, इन लोगों का झुकाव नेतृत्व करने में भी हो सकता है।

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब शतभिषा नक्षत्र में गोचर करके आपके सातवें भाव में जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप, इन जातकों का सारा ध्यान जीवनसाथी के साथ-साथ अन्य लोगों पर भी केंद्रित रहेगा। इस अवधि में आप किसी भी मुद्दे या बात के बारे में राय बनाने से पहले इस बात पर गौर करेंगे कि दूसरों के विचार क्या है और वह  इस मामले में क्या राय रखते हैं।

बुध गोचर के दौरान आप अपने रिश्ते के बारे में सोचते हुए और उसका विश्लेषण करते हुए दिखाई देंगे। यह समय आपको अपने रिश्ते को प्राथमिकता देने, दूसरों की नज़रों में खुद को व्यक्त करने और रिलेशनशिप को आगे ले जाने में मदद करेगा। अगर आप रिश्तों को जानने या समझने में रुचि रखते हैं, तो आप मनोविज्ञान या काउंसलिंग में करियर बना सकते हैं।

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कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके पहले या लग्न भाव के स्वामी हैं और अब यह शतभिषा नक्षत्र में गोचर करके आपके छठे भाव में जा रहे हैं। आपके छठे भाव में बुध की स्थिति आपको सेहत के प्रति जागरूक बनाएगी इसलिए आपको स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखने के लिए संतुलित खानपान के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम करना होगा। हालांकि, इन जातकों को अपने जीवन को व्यवस्थित रखना होगा फिर चाहे वह निजी या पेशेवर जीवन हो। बुध गोचर के दौरान आपको गलत काम करने से बचना होगा, अन्यथा आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह शतभिषा नक्षत्र में गोचर करके आपके पांचवें भाव में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपका झुकाव रचनात्मकता में होगा और आप खुद की बात को अच्छे से दूसरों के सामने रख सकेंगे। हालांकि, इन जातकों की बुद्धि तेज़ होगी और यह अपनी बुद्धिमता का इस्तेमाल अच्छे से कर सकेंगे। आप करियर के रूप से जिस क्षेत्र का चुनाव करेंगे वह आपको ख़ुशी देने के साथ-साथ आपका मनोरंजन भी करेगा। लेकिन फिर भी, आपका ध्यान बार-बार देश, समाज और दुनिया में होने वाली घटनाओं पर केंद्रित रहेगा। 

तुला राशि के जातकों की सोच आपके व्यक्तित्व को एक शेप देने में मददगार साबित होगी। बता दें कि बुध गोचर की अवधि में संतान आपकी चिंता का विषय बन सकती है। आपकी कुंडली में बुध नौवें भाव के स्वामी भी हैं और ऐसे में, आपको पिता का साथ पसंद आएगा।  पांचवें भाव में बुध होने पर यह जातकों को आत्मसम्मान से भर देते हैं और इन्हें अच्छे से अपनी जिम्मेदारियों के बारे में पता होता है। इन लोगों की बुद्धि और ह्यूमर आपका सबसे बड़ा गुण होगा। 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके आठवें और ग्याहरवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके चौथे भाव में विराजमान होंगे। कुंडली का चौथे भाव भावनात्मक स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है और जब बुध इस भाव में बैठे होते हैं, तो जातक हर बात को लेकर हद से ज्यादा सोच-विचार करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपको मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। अगर आपके चौथे भाव में बुध ग्रह स्थित होते हैं, तो आप अच्छे से जानते हैं कि कोई ऐसी बात है जो आपके अहंकार को ठेस पहुंचा सकती है।

इस अवधि में आपके मन की आवाज़ प्रबल होगी जिसे आपका दिमाग अच्छे से समझ सकेगा। हालांकि, इन जातकों के भीतर असुरक्षा के भाव हो सकते हैं, परंतु आप इन भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे ताकि आपके अहंकार को ठेस न पहुंचे। ऐसे में, आपको रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त रहने की सलाह दी जाती है जिन कामों के आप पहले से आदी होंगे। इसके परिणामस्वरूप, यह जातक अपने जीवन में संतुलन कायम करने में सफल रहेंगे।

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धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके तीसरे भाव में मौजूद होंगे। कुंडली में तीसरे भाव को बुध का भाव माना गया है क्योंकि सामान्य तौर पर बुध इसी भाव में स्थित होते हैं। जब बुध ग्रह तीसरे भाव में होते हैं, तो यह आपकी बुद्धि और वाणी को शानदार बनाते हैं। आपके व्यक्तित्व पर आसपास के वातावरण का प्रभाव देखने को मिलता है। आप नई-नई चीज़ों के बारे में सीखने के इच्छुक होंगे और साथ ही, आपकी उत्सुकता दुनिया के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने में हो सकती है। 

जिन जातकों की कुंडली में बुध तीसरे भाव में होता है, वह दुनिया और लोगों के साथ जल्द ही संपर्क स्थापित कर लेते हैं। ऐसा करने से आपका दृष्टिकोण स्पष्ट होगा और आप वह सब सबक बिना किसी सवाल के स्वीकार करेंगे जो आप अपने जीवन में अनुभव करेंगे। आपको बता दें कि इन जातकों की इंटुइशन क्षमता काफ़ी मज़बूत होती है जिसके चलते यह अपने जीवन में सतर्कता के साथ आगे बढ़ते हैं। यह लोग संसार को वैसे ही देखना पसंद करते हैं जैसी वह है। साथ ही, बुध के तीसरे भाव में होने पर लोग आप पर सीधा-साधा होने का नाटक करने का आरोप भी लगाते हुए दिखाई दे सकते हैं, लेकिन आप पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आप इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करेंगे। 

मकर राशि

मकर राशि वालों की कुंडली में बुध देव आपके दूसरे भाव यानी कि धन, जीवन मूल्यों आदि के भाव में स्थित होंगे और ऐसे में, यह आपके आर्थिक और निजी जीवन को प्रभावित करेंगे। धन से जुड़े मामलों में आपके विचार थोड़े अलग हो सकते हैं और निवेश के लिए आप दूसरे रास्ते अपना सकते हैं।  बता दें कि जिन लोगों की कुंडली के दूसरे भाव में बुध स्थित होते हैं, तो उनकी वाणी और लेखन क्षमता काफ़ी अच्छी होती है जिसके चलते यह अपने विचार आसानी से दूसरों के सामने रख पाते हैं। 

ऐसे जातक ट्रेवल एजेंट, राइटर, स्पीकर, लेक्चरर, टीचर, फाइनेंस मैनेजर आदि के क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं। इन लोगों के जीवन मूल्य बहुत उच्च होते हैं जो कि इन्हें अपने परिवार से मिलते हैं। जब बुध ग्रह वक्री होता है, तब इंसान अपने मूल्यों को लेकर कठोर हो जाता है और हर कीमत पर उनकी रक्षा करना चाहता है। हालांकि, इनका दृष्टिकोण दुनिया के प्रति भौतिकवादी हो सकता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातक स्वभाव से साहसी, विनम्र, बुद्धिमान और भाग्यशाली होते हैं। इन जातकों की कुंडली में बुध लग्न भाव या पहले भाव में होने पर व्यक्ति का झुकाव अध्यात्म के प्रति होता है। ऐसे लोग काफ़ी अच्छी शिक्षा हासिल करते हैं। इन्हें अपने बच्चों से बेहद प्रेम होता है और वह इनकी ताकत भी होते हैं। साथ ही, इनकी पर्सनालिटी बहुत आकर्षक होती है, लेकिन इन्हें कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुंभ राशि वालों की कुंडली के लग्न भाव में बुध देव के मौजूद होने पर यह जातक अपने पिता का बेहद सम्मान करते हैं। साथ ही, इन लोगों का व्यापार में प्रदर्शन भी अच्छा रहता है। यह जातक अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के बारे में विचार-विमर्श और गहन विश्लेषण करते हुए नज़र आ सकते हैं। हालांकि, कभी-कभी यह अपनी तुलना दूसरों से भी कर सकते हैं और ऐसे में, यह खुद को दूसरों से कम समझ सकते हैं। आपको लग सकता है कि बुद्धि के मामले में आप अन्य लोगों से पीछे हैं और न ही अपनी बात उस तरह से दूसरों के सामने रख पाते हैं जबकि बाकी लोग यह काम आसानी से कर लेते हैं।

मीन राशि

मीन राशि वाले अगर हकीकत का सामना करेंगे और ज़मीन से जुड़े रहेंगे, तो वह बार-बार अपने ख्यालों में खोने से बच सकेंगे। इस समय अपना ध्यान रखना आपकी सेहत के लिए बेहद जरूरी होगा और इसे आपको अपने जीवन की प्राथमिकता बनाना होगा। ऐसे में, आपको अपने लिए समय निकालते हुए मसाज या किताब पढ़ना आदि काम करने की सलाह दी जाती है। बता दें कि अगर बुध आपके बारहवें भाव में उपस्थित होते हैं, तो यह जातक पढ़ाई में कमज़ोर होते हैं। 

मीन राशि के जातक व्यापार के क्षेत्र में अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपार सफलता प्रदान करेंगे। लेकिन, इन्हें हानि और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, बारहवें भाव में बैठे बुध आपके लिए अपनी भावनाओं या विचारों को दूसरों के सामने रखना चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। इन लोगों को अपने संचार कौशल में सुधार करने के साथ-साथ दृढ़ता और सुनने की क्षमता को मज़बूत बनाने पर भी काम करना होगा। आपको अपनी रचनात्मकता का उपयोग खुद को व्यक्त करने के लिए करना होगा और इसके लिए आप कला, संगीत और डांस आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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बुध का शतभिषा नक्षत्र में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय 

  • बुध महाराज का पूजन करने के सर्वश्रेष्ठ उपायों में से एक है कि बुध ग्रह के मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ का जाप करें।
  • अगर आप बुध ग्रह को शांत करना चाहते हैं, तो आप तोते, कबूतर आदि पक्षियों को खाना खिलाएं।
  • ग्रहों के राजकुमार के नाम से प्रसिद्ध बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए भोजन करने से पहले एक रोटी गाय को अवश्य दें।
  • गरीब बच्चों को हरी सब्जियां जैसे पालक, पत्तेदार सब्जियां आदि दान में दें। 
  • बुध के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए मुंह की साफ़-सफाई का ध्यान रखें।

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