पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा पर जरूर करें ये उपाय, सुख-समृद्धि की होगी प्राप्ति!

सनातन धर्म में भाद्रपद माह का विशेष महत्व है। इस माह को भादो के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर का छठा महीना है, जो आमतौर पर अगस्त-सितंबर में पड़ता है। यह विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों के लिए महत्वपूर्ण है। इस महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत भी होती है। इस माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत रखा जाता है और इस दिन स्नान करके दान पुण्य करते हैं। इसके अलावा, व्रत रखकर रात के समय में चंद्र देव की पूजा करके अर्घ्य देते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और चंद्र दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इस दिन लोग सत्यनारायण भगवान की भी पूजा करते हैं और कथा का आयोजन करते हैं। इससे घर में सुख और समृद्धि आती है।

तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत इस साल कब रखा जाएगा, भाद्रपद पूर्णिमा का स्नान और दान किस दिन होगा? भाद्रपद पूर्णिमा की सही तिथि क्या है? आदि के बारे में इस ब्लॉग में चर्चा करेंगे।

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भाद्रपद पूर्णिमा 2024: तिथि व समय

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत रखा जाता है और यह तिथि इस साल 18 सितंबर 2024 बुधवार के दिन पड़ रही है।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 सितंबर 2024 की रात 11 बजकर 46 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 18 सितंबर 2024 की रात 8 बजकर 06 मिनट तक।

शुभ मुहूर्त:

चंद्रोदय: 18 सितंबर 2024, शाम 7:08 बजे

पूर्णिमा व्रत पारण: 19 सितंबर 2024 की सुबह 6 बजकर 12 मिनट से 8 बजर 06 मिनट तक।

भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत का सनातन धर्म में बहुत अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि पर किए जाने वाले इस व्रत को विशेष रूप से पितरों की शांति और उनके उद्धार के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे पितृपक्ष की शुरुआत का संकेत भी माना जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन पितरों को जल चढ़ाकर उनका तर्पण किया जाता है, जिसे पितृ तर्पण कहा जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन तर्पण के माध्यम से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति पाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा, भाद्रपद पूर्णिमा को चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। पूर्णिमा का चंद्रमा शांति, समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर, उसकी पूजा करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है। व्रत के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने पितरों को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि अपने जीवन में संयम, धैर्य, और पुण्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी मिलती है।

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भाद्रपद पूर्णिमा व्रत में इस विधि से करें पूजा

  • भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि बहुत अधिक सरल और महत्वपूर्ण है, जिसे पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करना चाहिए। इस दिन की पूजा विशेष रूप से पितरों की शांति, भगवान विष्णु, और चंद्रदेव को समर्पित होती है। तो आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में…
  • भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूजा के लिए सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद घर के पूजा स्थल सफाई करें और उसे अच्छे से सजाएं।
  • इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा के लिए पुष्प, धूप, दीप, फल, मिठाई, और जल का प्रबंध करें। तर्पण के लिए तिल, जल, दूध, और कुशा घास लेकर एकत्र करें।
  • पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा से शुरुआत करें। उनके चरणों में पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें। 
  • इस दिन पितरों का निमित्त तर्पण अवश्य करें। इसके लिए एक साफ बर्तन में जल, दूध, और तिल मिलाएं और कुशा घास के माध्यम से पितरों को जल अर्पित करें। इस दौरान पितरों का ध्यान करते हुए तर्पण मंत्र का उच्चारण करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा की शांति प्राप्त होती है।
  • शाम के समय चंद्रदेव की पूजा करें। एक साफ थाली में पुष्प, धूप, दीप, और मिठाई रखें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए एक बर्तन में शुद्ध जल लें और उसमें चावल और फूल डालें। इस जल को चंद्रमा की ओर मुख करके अर्घ्य दें। चंद्रदेव से मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता की कामना करें।
  • इस दिन व्रत रखें और केवल फलाहार करें। व्रत के बाद, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। 
  • अंत में विष्णु और चंद्रदेव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें। प्रसाद ग्रहण करने के बाद मुहूर्त पर व्रत पारण करें।

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भाद्रपद पूर्णिमा के प्रमुख मंत्र

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कई मंत्रों का जाप किया जाता है, जिनमें से कुछ मंत्र इस प्रकार है:

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
  • ॐ यं श्रीं लक्ष्मीं नमः
  • ॐ चन्द्राय नमः
  • ॐ पूर्णमादस्याय नमः

 इन मंत्रों के अलावा, आप अपने इष्ट देवता के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत में जरूर पढ़ें ये कथा

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की कथा हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखती है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी अपने पुत्र के साथ रहते थे। वे धार्मिक और पुण्य कर्मों में विश्वास रखते थे, परंतु उनके घर में हमेशा दरिद्रता का वास रहता था। ब्राह्मण के पुत्र ने जब युवा अवस्था में कदम रखा, तो उसने अपने माता-पिता से पूछा कि उनके घर में दरिद्रता का कारण क्या है।

ब्राह्मण ने बताया कि यह पितरों का श्राप है। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वजों ने अपने जीवन में कुछ ऐसे कार्य किए थे, जिससे पितृ दोष उत्पन्न हुआ और उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो रहा। पुत्र ने पूछा कि इस दोष से मुक्ति का उपाय क्या है। ब्राह्मण ने कहा कि, भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण और पूजा करनी चाहिए। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से पितृ दोष समाप्त हो जाता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जब पितृ प्रसन्न होते हैं, तो वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

पुत्र ने अपने माता-पिता के कहने पर भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा। उसने पूर्ण श्रद्धा और पूरे विधि-विधान से पितरों का तर्पण किया और उनके निमित्त दान-पुण्य भी किया। व्रत के प्रभाव से पितृ प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने वंशजों को आशीर्वाद दिया। इसके बाद, ब्राह्मण के घर में दरिद्रता समाप्त हो गई और वहां सुख-शांति और समृद्धि का वास हो गया। इसलिए भाद्रपद पूर्णिमा के व्रत का महत्व तब से बहुत अधिक बढ़ गया। इस व्रत को रखने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करने पर जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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भाद्रपद पूर्णिमा में किए जाने वाले विशेष उपाय

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। तो आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में…

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितरों के लिए तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। एक साफ बर्तन में जल, तिल, और कुशा मिलाकर पितरों को अर्पित करें। पितरों का ध्यान करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें। इस उपाय को करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की आत्मा को शांति प्रदान प्राप्त होती है।

सुख-समृद्धि के लिए

इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। इसके अलावा, गोदान और भूमि का दान भी अत्यधिक फलदायी माना जाता है। दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

धन में वृद्धि के लिए

भगवान विष्णु की पूजा करना भी इस दिन अत्यंत लाभकारी होता है। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें और भगवान विष्णु को पुष्प, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें। इससे जीवन में शांति, स्थिरता, और धन की वृद्धि होती है।

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जीवन में उतार-चढ़ाव दूर करने के लिए

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन शाम को चंद्र देव की पूजा करें। उन्हें शुद्ध जल से अर्घ्य दें और मिठाई का भोग लगाएं। चंद्रदेव से मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि की प्रार्थना करें। इस उपाय से मन को शांति मिलती है और जीवन के उतार-चढ़ाव में स्थिरता आती है।

पुण्य प्राप्ति के लिए

इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। यदि संभव हो, तो केवल फलाहार करें और पूरे दिन भगवान का ध्यान करें। व्रत के दौरान संयमित आचरण और विचारों को शुद्ध रखें। यह व्रत पापों का नाश करता है और जीवन में पुण्य की प्राप्ति करता है।

मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए

इस दिन विशेष रूप से ध्यान और साधना करें। सुबह-शाम ध्यान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आत्मिक उन्नति होती है। साधना के दौरान अपने पितरों का ध्यान करें और उनसे मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. साल 2024 में कब रखा जाएगा भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत?

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत रखा जाता है और यह तिथि इस साल 18 सितंबर 2024 बुधवार के दिन पड़ रही है।

2. भाद्रपद पूर्णिमा का क्या महत्व है?

भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि पर किए जाने वाले इस व्रत को विशेष रूप से पितरों की शांति और उनके उद्धार के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

3. भाद्रपद पूर्णिमा को क्या दान करना चाहिए?

भाद्रपद पूर्णिमा को स्नान के बाद सफेद वस्त्र, शक्कर, चांदी, खीर और सफेद फूल या मोती का दान कर सकते हैं।

4. भाद्रपद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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