अश्विन अमावस्या 2025: हिंदू धर्म में प्रत्येक माह आने वाली अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। अमावस्या तिथि को पितृ शांति और पितृ तर्पण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष भर में आने वाली 12 अमावस्या में से अश्विन अमावस्या सबसे श्रेष्ठ होती है क्योंकि यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है।

अश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या और पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। यह तिथि पितरों की शांति, तृप्ति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है, इसलिए इस दिन लोग अपने पितरों और पूर्वजों की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध आदि कार्य करते हैं। मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर किए गए श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
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एस्ट्रोसेज एआई के इस लेख के माध्यम से हम आपको “अश्विन अमावस्या 2025” से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक प्रदान करेंगे। साथ ही, सितंबर में कब है अश्विन अमावस्या और क्या है इस दिन का शुभ मुहूर्त?
इस अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कौन से उपाय करने चाहिए? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं सर्व पितृ अमावस्या 2025 की तिथि एवं मुहूर्त पर।
अश्विन अमावस्या 2025: तिथि एवं समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है जो लगातार पंद्रह दिन तक चलते हैं। इनका समापन अश्विन अमावस्या के साथ होता है। बता दें कि अश्विन महीने में पड़ने वाली अमावस्या को अश्विन अमावस्या या महालय अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
यह तिथि पितरों की शांति और उनकी कृपा पाने के लिए शुभ होती है। सर्व पितृ अमावस्या के अगले दिन से देवी दुर्गा का पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाता है। चलिए नज़र डालते हैं अश्विन अमावस्या 2025 पर।
अश्विन अमावस्या की तिथि: 21 सितंबर 2025, रविवार
अमावस्या तिथि का आरंभ: रात 12 बजकर 18 मिनट से (21 सितंबर 2025 को)
अमावस्या तिथि समाप्त: रात 01 बजकर 25 मिनट तक (22 सितंबर 2025 को)
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अश्विन अमावस्या 2025 पर बनने वाले शुभ योग
अश्विन अमावस्या 2025 पर शुभ योग और बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है क्योंकि यह दोनों योग जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं। जहां शुभ योग अश्विन अमावस्या पर पूरे दिन रहेगा, जो शाम 07 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगा।
वहीं, कन्या राशि में बुध और सूर्य की युति से बनने वाला बुधादित्य योग जातकों को सकारात्मक परिणाम देने में पीछे रहेगा क्योंकि इस अवधि में शनि देव की दृष्टि चंद्रमा और बुधादित्य योग दोनों पर होगी, जिसकी वजह से इस योग का प्रभाव कमज़ोर रहेगा। साथ ही, यह लोगों की मानसिक शांति भी भंग कर सकता है।
अश्विन अमावस्या का महत्व
धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अश्विन अमावस्या को महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है इसलिए इस दिन कई तरह के धार्मिक कार्य और अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं।
पितृ पक्ष की समाप्ति अश्विन अमावस्या पर होती है और ऐसे में, यह 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस तिथि पर पितृ शांति से जुड़े कार्य करना फलदायी साबित होता है, विशेष रूप से तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान आदि।
सर्वपितृ अमावस्या 2025 के अनुसार, अश्विन अमावस्या पर इन कार्यों को करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही, पितरों के प्रसन्न होने से वंशजों पर उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, उन्नति और शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। सरल शब्दों में कहें तो, यह दिन पूर्वजों की कृतज्ञता प्राप्ति का अद्भुत अवसर होता है, जिससे जीवन में शुभता का संचार होता है।
धार्मिक रूप से अश्विन अमावस्या पर गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करना कल्याणकारी होता है। कुंडली में पितृ दोष मौजूद होने पर अश्विन अमावस्या के दिन पितृ दोष की शांति के लिए किए गए उपायों से पितृ दोष से राहत मिलती है।
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अश्विन अमावस्या 2025 पर किसका करें श्राद्ध?
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 के दिन पड़ेगी और यह पितृ पक्ष का सोलहवां और अंतिम दिन होता है। इसी क्रम में, अश्विन अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की अमावस्या, पूर्णिमा तथा चतुर्दशी तिथि पर होती है। ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु की तिथि आपको पता न हो, सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है।
ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पितृ पक्ष की 16 तिथियों पर श्राद्ध करने में समर्थ नहीं होता है, तो वह सभी पितरों के लिए इस अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर सकता है। अश्विन अमावस्या पर श्राद्ध करने से परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माएं तृप्त हो जाती हैं। साथ ही, ऐसे लोग जिनका स्वर्गवास पूर्णिमा तिथि पर हुआ है, उनका श्राद्ध भी सर्व पितृ अमावस्या पर किया जा सकता है।
चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं अश्विन अमावस्या की पूजा विधि से।
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अश्विन अमावस्या 2025 पर इस विधि से करें पितरों का पूजन
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि पितृ पक्ष और विशेष रूप से सर्व पितृ अमावस्या 2025 को पितरों के श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए विशेष माना जाता है, इसलिए इस दिन सही विधि से पितरों की पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानते हैं सही पूजा विधि के बारे में।
- अश्विन अमावस्या 2025 पर सूर्योदय से पूर्व उठें और पवित्र जलाशयों या नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं।
- स्नान के पश्चात साफ़ वस्त्र धारण करें और गंगाजल का छिड़काव करके पूजा स्थान को शुद्ध करें।
- अब पूजा स्थल पर पितृ यंत्र या पूर्वजों की तस्वीर स्थापित करें।
- हाथ में जल, तिल, कुश, और पुष्प लेकर अपने पितरों का आह्वान करते हुए उनका ध्यान करें।
- इसके बाद, कुश का आसन बिछाकर उस पर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठें और पितरों का तर्पण करें। पितृ तर्पण करते समय अपने पूर्वजों का नाम लें और उन्हें जल, दूध, और तिल मिश्रित पानी अर्पित करें।
- ध्यान रहें कि पितरों का तर्पण करते हुए “ॐ पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करते रहें।
- सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध करें और इसके अंतर्गत पिंडदान, भोजन जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें। बता दें कि श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना बेहद शुभ एवं कल्याणकारी माना जाता है।
- संभव हो, तो अश्विन अमावस्या 2025 के अवसर पर गरीब एवं जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए, क्योंकि इस तिथि पर दान करना पुण्यदायक होता है।
- पितरों की शांति के लिए अन्न दान, तिल दान और गौदान सबसे उत्तम माना जाता है।
अब हम आपको प्रदान करने जा रहे हैं अश्विन अमावस्या पर किए जाने वाले आसान पितृ शांति के उपाय।
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पितरों को प्रसन्न करने के लिए अश्विन अमावस्या 2025 पर करें ये उपाय
- सर्वपितृ अमावस्या पर ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन कराएं या फिर आप फल, आटा, गुड़ आदि सामग्री का दान कर सकते हैं। इस दिन कच्चे दूध में जौ, तिल और चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करें। ऐसा करने से आपके जीवन से सभी कष्टों का अंत होता है।
- पीपल में पितरों का वास माना जाता है इसलिए अश्विन अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और गाय के घी का दीपक जलाएं। इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- सर्वपितृ अमावस्या पर गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उस पर घी-गुड़ की धूप दिखाएं। इस दौरान आप ‘पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु’ का जाप करते रहें। ऐसा करने से घर में कभी भी किसी चीज़ की कमी नहीं होती है।
- पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानी कि अमावस्या तिथि पर कुत्ता, गाय, चींटी और कौवा को पितरों का अंश मानकर खाना खिलाएं। साथ ही, चावल के आटे से पांच पिडं बनाकर लाल कपड़े में लपेटकर नदी में प्रवाहित करें। इससे आपके कार्यों में आ रहे विघ्न दूर हो जाएंगे।
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अश्विन अमावस्या 2025 से जुड़ी पौरणिक कथा
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण का परिवार था, जिसके मुखिया का नाम देवदत्त था। वह बहुत धार्मिक व्यक्ति था और कभी भी अपने कर्तव्यों का पालन करने से पीछे नहीं रहता था। लेकिन, उनके घर में सदैव अशांति और दरिद्रता बनी रहती थी।
देवदत्त द्वारा अनेक प्रयास किए गए, परंतु उसे अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिल रहा था। एक बार जब देवदत्त ने एक ऋषि से अपनी परेशानियों का हल पूछा, तब उन्होंने बताया कि उनके घर में समस्याएं पितृ दोष के कारण उत्पन्न हो रही हैं। साथ ही, ऋषि ने उन्हें अश्विन अमावस्या के दिन व्रत रखने, पितरों का तर्पण करने और श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करने के लिए कहा।
ऋषि की बात का पालन करते हुए देवदत्त ने अश्विन अमावस्या पर व्रत रखा और अपने पितरों का तर्पण किया। साथ ही, ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान-पुण्य भी किया। इस व्रत एवं पूजन के प्रभाव से देवदत्त के पितर प्रसन्न हो गए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसके बाद, उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि का सदा के लिए वास हो गया और सभी समस्याओं का अंत हो गया। उस समय से ही अश्विन अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ गया।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वर्ष 2025 में अश्विन अमावस्या 21 सितंबर, रविवार के दिन होगी।
पितृ पक्ष की शुरुआत 07 सितंबर 2025 से हुई थी।
अश्विन माह की अमावस्या पर तर्पण, श्राद्ध और दान आदि करना कल्याणकारी होता है।