बेहद शुभ योग में पड़ेगी अहोई अष्टमी, तारों को देखने के बाद तोड़ा जाता है व्रत!

सनातन धर्म में अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस व्रत को माताएं अपने बच्चों की तरक्की और दीर्घायु के लिए रखती है। इस दिन देवी अहोई या अहोई माता का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा व व्रत रखा जाता है। इसे माताएं बड़ी श्रद्धा और प्रेम से मनाती हैं। अहोई अष्टमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है यानी करवा चौथ के चौथे दिन और दीपावली से आठ दिन पहले किया जाता है। यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं। इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी पूजा का विधान है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। 

ख़ास बात यह है कि इस बार बेहद ख़ास योग में अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं साल 2024 में अहोई अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा, किस दिन कौन से योग बन रहे हैं व इस योग में कौन से उपाय आपको करने चाहिए।

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अहोई अष्टमी 2024: तिथि व समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है और इस साल यह व्रत 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के दिन किया जाएगा। 

अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 21 मिनट से 

अष्टमी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार की मध्यरात्रि 02 बजकर 01 मिनट तक

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार की शाम 05 बजकर 50 मिनट से शाम 07 बजकर 06 मिनट तक

सितारों को देखने का समय: शाम 06 बजकर 18 मिनट पर

सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 27 मिनट

सूर्यास्त का समय: शाम 05 बजकर 43 मिनट

अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय मुहूर्त: शाम 22 बजकर 52 मिनट

अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रास्त का समय: मध्य रात्रि 12 बजकर 37 मिनट

ये शुभ योग बढ़ाएंगे अहोई अष्टमी 2024 का महत्व

साल 2024 में अहोई अष्टमी का व्रत बेहद शुभ संयोगों में किया जाएगा जिससे इस व्रत के परिणामों में कई गुना वृद्धि होगी। अब हम जानेंगे अहोई अष्टमी पर बनने वाले शुभ योगों के बारे में।

इस दिन सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सिद्धि योग बेहद शुभ योग है और यह योग निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। इस योग में पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है व व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है।

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अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है, खासकर महिलाओं के लिए। यह व्रत संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान की लंबी आयु, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करना है। माना जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं, उनकी संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है और वे जीवन में अपार सफलता प्राप्त करते हैं।

अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर बिना जल और अन्न के रहती हैं। सूर्यास्त के बाद तारों को देखकर व्रत का पारण करती है। जिन महिलाओं की संतान नहीं होती है, उनके लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी महिलाएं अहोई माता की आराधना कर संतान प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

अहोई अष्टमी की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को की जाती है। आइए जानते है पूजा की आसान विधि।

  • सबसे पहले व्रती महिलाओं को सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कार्य कर लेने चाहिए। फिर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • इसके बाद संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थल पर अहोई माता का चित्र बनाएं या बाजार से अहोई माता का चित्र या कागज लाए।
  • बता दें इस दिन दीवार पर अहोई माता की आकृति बनाई जाती है जिसमें साही और उनके साथ के प्रतीक चिन्ह जैसे चांद, तारे आदि बनाए जाते हैं।
  • पूजा स्थल पर मिट्टी या तांबे का एक कलश स्थापित करें। कलश को जल से भरकर उसके ऊपर एक नारियल रखें।
  • कलश के साथ एक दीया जलाएं, जो पूरी पूजा के दौरान जलता रहे।
  • पूजा के लिए चावल, रोली, कुमकुम, हल्दी, सुपारी, मिठाई, धूप, दीप, कच्चा दूध, और फूल सामग्री शामिल करें।
  • अहोई माता को विशेष रूप से दूध, चावल और मिठाई का भोग चढ़ाएं। इसके बाद आरती करें।
  • साथ ही, व्रती महिलाएं धागा माता के सामने बांधती हैं और संतान की कुशलता की प्रार्थना करती हैं।
  • पूजा के बाद महिलाएं सूर्यास्त के बाद तारों को देखकर उन्हें जल अर्पित करती हैं।
  • तारा दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है, लेकिन आमतौर पर तारों का दर्शन मुख्य रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

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अहोई अष्टमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक गांव में एक महिला रहती थी, जिसके सात बेटे थे। दीपावली से कुछ दिन पहले वह जंगल में मिट्टी खोदने गई, जिससे घर की सजावट के लिए मिट्टी लाई जा सके। मिट्टी खोदते समय गलती से उसकी कुदाल से एक साही के बच्चे की मृत्यु हो गई। उस महिला को यह बात पता नहीं चली, लेकिन उस दिन के बाद उसके सभी सात बेटे की एक-एक करके मृत्यु हो गई।

संतानों की मृत्यु से दुखी होकर वह महिला गांव के बुजुर्गों के पास गई और अपनी समस्या बताई। बुजुर्गों ने उसे सलाह दी कि उसने गलती से साही के बच्चे को मारा है, और यह सब उसी का परिणाम है। उन्होंने उसे यह उपाय सुझाया कि वह अहोई माता की आराधना करें और सच्चे मन से व्रत रखें।

महिला ने बुजुर्गों की सलाह मानते हुए अहोई माता का व्रत करना शुरू किया। उसने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को व्रत रखा और पूरे श्रद्धा भाव से अहोई माता की पूजा की। पूजा के दौरान वह साही और उसकी संतान का चित्र दीवार पर बनाकर उनकी पूजा करती थी और उनसे क्षमा मांगती थी। अहोई माता उसकी भक्ति से प्रसन्न हो गईं और उसे आशीर्वाद दिया कि उसकी संतानें पुनः जीवित हो जाएंगी। इसके बाद उस महिला के सभी बेटे वापस जीवित हो गए और उसका घर फिर से खुशियों की लहर दौड़ गई। तब से ही यह मान्यता बन गई कि अहोई अष्टमी का व्रत रखने से संतान की लंबी आयु और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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अहोई अष्टमी के दिन जरूर करें ये ख़ास उपाय

अहोई अष्टमी की पूजा के साथ कुछ खास उपाय आपको बताए जा रहे हैं, जो व्रती माताओं के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

गाय को भोजन कराएं

अहोई अष्टमी के दिन गाय को भोजन कराने से विशेष फल की प्राप्त होती है। गाय को गुड़ या हरा चारा खिलाने से संतान की भलाई के लिए शुभफल की प्राप्ति होती है। यह उपाय संतान को दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने में मदद करता है।

धन-धान्य के लिए उपाय

अहोई अष्टमी के दिन शुद्ध चांदी की अहोई बनवाकर उसकी पूजा करने से सर्व सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह उपाय धन-धान्य और संतान की उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

परेशानियों को दूर करने के लिए

अहोई अष्टमी के दिन संतान की भलाई के लिए ध्यान और प्रार्थना करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यदि आपके बच्चे किसी कठिनाई में हैं, तो पूरी श्रद्धा से अहोई माता से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना करें और ध्यान करें।

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गरीब व जरूरतमंदों को दान करें

इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना भी विशेष फलदायी होता है। अहोई अष्टमी पर किया गया दान पुण्य प्राप्ति और संतान के अच्छे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

तांबे के सिक्का से करें उपाय

अहोई अष्टमी पर तांबे का एक सिक्का लें और उस पर हल्दी लगाकर उसे धागे में बांध लें। पूजा के समय इस सिक्के को अहोई माता के चरणों में रखें। पूजा के बाद इसे संतान की भलाई के लिए अपने गले में पहन लें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- क्या अहोई अष्टमी व्रत बिना पानी के किया जाता है?

अहोई अष्टमी व्रत की प्रक्रिया में भोजन और पानी का सेवन शामिल नहीं है।

2- क्या अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले भोजन किया जा सकता है?

हां, अहोई अष्टमी का व्रत रखने वाली महिलाएं पर्व के दिन सूर्योदय से पहले भोजन कर सकती हैं।

3- अहोई अष्टमी पर किस देवी की पूजा की जाती है?

अहोई अष्टमी के व्रत में  देवी अहोई की पूजा की जाती है।

4- अहोई अष्टमी का व्रत इस साल कब रखा जाएगा?

अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर गुरुवार के दिन रखा जाएगा।

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