सनातन धर्म में कालाष्टमी 2024 का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव के काल भैरव रूप की पूजा की जाती है। कालाष्टमी हर महीने पड़ती है और इस बार नवंबर के महीने में आने वाली कालाष्टमी को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। 22 नवंबर को शुक्रवार के दिन काल भैरव जयंती है। जो भी व्यक्ति इस दिन पूजा अर्चना एवं व्रत करता है, उस पर काल भैरव का आशीर्वाद सदा के लिए रहता है।
इस ब्लॉग में आगे हम आपको बता रहे हैं कि हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का क्या महत्व है और इस दिन भगवान शिव के काल भैरव रूप को प्रसन्न करने के लिए क्या कार्य करने चाहिए।
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कब शुरू होगी कालाष्टमी की तिथि
22 नवंबर को शुक्रवार की शाम 06 बजकर 10 मिनट पर अष्टमी तिथि आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन 23 नवंबर को रात्रि 08 बजे होगा। 22 नवंबर को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से लेकर 23 नवंबर को सुबह 11 बजकर 40 मिनट तक इंद्र योग रहेगा।
कालाष्टमी क्या है
कालाष्टमी हर महीने आती है जबकि कार्तिक और मार्गशीर्ष के महीने में पड़ने वाली कालाष्टमी को श्रद्धालु काल भैरव जयंती के रूप में मनाते हैं। उत्तर भारत में मार्गशीर्ष के महीने में पड़ने वाली कालाष्टमी पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है जबकि दक्षिण भारत में कार्तिक के महीने में यह पर्व मनाया जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार लिया था।
पूर्णिमा के बाद अष्टमी तिथि को काल भैरव की पूजा के लिए उत्तम माना गया है। एक साल में कुल 12 कालाष्टमी आती हैं और रविवार या मंगलवार के दिन पड़ने वाली कालाष्टमी को सबसे अच्छा माना जाता है।
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बन रहा है शुभ योग
कालाष्टमी एवं काल भैरव जयंती के दिन इंद्र योग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष में इस योग को बहुत शुभ और मंगलकारी माना गया है। इस योग के दौरान किए गए कार्यों में सफलता ज़रूर मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में यह योग होता है, उनमें नेतृत्व करने की क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है। इन्हें अपने परिवार के सदस्यों से असीम प्रेम मिलता है। ये अपने प्रयासों से अपने जीवन में जबरदस्त सफलता हासिल करते हैं।
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काल भैरव जयंती की पूजन विधि
इस दिन काल भैरव का श्रृंगार चमेली के तेल और सिंदूर से किया जाता है। भगवान शिव के इस रूप की पूजा भी प्रदोष काल अर्थात् सूर्यास्त के बाद ही संपन्न की जाती है। प्रदोष काल में पूजन करने से पूर्व स्नान करने और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके पश्चात् काल भैरव की मूर्ति या शिवलिंग पर बेल पत्र पर सफेद चंदन से ‘ऊं’ लिखें और ‘ऊं काल भैरवाय नम:’ का जाप करें। मंत्र जाप करते हुए ही बेल पत्र अर्पित करें और इस दौरान आपका मुख उत्तर की ओर होना चाहिए।
अब आप काल भैरव का श्रृंगार करें और उन्हें अक्षत, फूल, सुपारी, जनेऊ, लाल चंदन, नारियल, दक्षिणा और पुष्प माला आदि अर्पित करें। फिर भगवान को इमरती या गुड़-चने का भोग लगाएं। काल भैरव की पूजा में सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। पूजन के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।
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काल भैरव जयंती पर क्या करना चाहिए
भगवान शिव के भक्तों के लिए काल भैरव जयंती एवं कालाष्टमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सूयोर्दय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद काल भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष पूजन का विधान है।
इस दिन श्रद्धालु शाम को काल भैरव मंदिर जाकर भी पूजा-अर्चना कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव भगवान शिव का रौद्र रूप हैं। ब्रह्मा जी के अहंकार और क्रोध को भस्म करने के लिए काल भैरव का जन्म हुआ था।
कालाष्टमी पर प्रात: काल पूर्वजों के लिए भी विशेष पूजा की जा सकती है। इस दिन श्रद्धालु पूरा दिन उपवास रखते हैं। कुछ भक्त पूरी रात्रि जागरण करते हैं और महाकालेश्वर की कथाएं सुनकर अपना समय व्यतीत करते हैं। मान्यता है कि कालाष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान शिव को समर्पित काल भैरव कथा और मंत्र जाप के लिए भी इस दिन को काफी शुभ माना गया है। कालाष्टमी पर काले कुत्ते को भोजन खिलाने की भी रीति है। ऐसा माना जाता है कि काला कुत्ता काल भैरव का वाहन है। कुत्तों को इस दिन दूध, दही और मिठाई खिला सकते हैं।
इस दिन हिंदू तीर्थस्थलों जैसे कि काशी में ब्राह्ममणों को भोजन करवाने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
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काल भैरव की पूजा करने से क्या लाभ होता है
जो भी व्यक्ति काल भैरव जयंती या कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करता है, उसे नकारात्मक ऊर्जा, बीमारियों और रोगों से सुरक्षा मिलती है। इन लोगों पर हमेशा काल भैरव का आशीर्वाद रहता है। इनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।
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काल भैरव जयंती पर करें ये उपाय
यदि आप काल भैरव जयंती या कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस दिन उपवास रख सकते हैं। इस दिन व्रत रखने से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है।
काल भैरव को गुड़, खिचड़ी और तेल का भोग लगाएं। इसके अलावा इस शुभ अवसर पर अकौन के फूल, नींबू, धप, सरसों के तेल, काले तिल, पुए और उड़द की दाल का दान करने का बहुत महत्व है। यदि आप कालाष्टमी पर इन चीज़ों का दान करते हैं, तो आपको अपने जीवन की हर समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार काल भैरव का वाहन काला कुत्ता है इसलिए कालाष्टमी या काल भैरव जयंती पर काले कुत्ते को मीठी रोटी या गुड़े से बने पुए खिलाने चाहिए। ऐसा करने से भगवान काल भैरव की कृपा मिलती है और भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
अगर आप अपने जीवन से नकारात्मक ऊर्जा एवं शक्ति को दूर करना चाहते हैं, तो इस दिन ‘ऊं काल भैरवाय नम:’ मंत्र का जाप करते रहें। आप कालभैरवाष्टकम् का पाठ भी कर सकते हैं। इससे आप अपने जीवन में प्रगति की ओर आगे बढ़ेंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने का विधान है।
उत्तर. 22 नवंबर को कालाष्टमी एवं काल भैरव जयंती है।
उत्तर. इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।