हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है और सनातन धर्म में हर पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसी क्रम में आषाढ़ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा कहते है। इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन के बाद से आषाढ़ माह की समाप्ति होती है और सावन मास का प्रारंभ होता है। गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो गुरुओं की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पित है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों को स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है, लेकिन गुरु को समर्पित, गुरु पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यह पूरे भारत में श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
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गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भगवान विष्णु के अंश माने जाने वाले वेदव्यास के बिना गुरु पूर्णिमा की पूजा अधूरी मानी जाती है इसलिए इस दिन प्रथम गुरु महर्षि वेदव्यास की पूजा करनी चाहिए। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस साल गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाएगी और इस दिन किए जाने वाले उन उपायों के बारे में, जिन्हें अपनाकर जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
गुरु पूर्णिमा 2024: तिथि व समय
गुरु पूर्णिमा तिथि: रविवार, 21 जुलाई, 2024
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 20 जुलाई 2024 की शाम 06 बजकर 01 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 21 जुलाई 2024 की दोपहर 03 बजकर 48 मिनट तक।
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गुरु पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया गया है क्योंकि गुरु ही अपने शिष्य को परमात्मा तक जाने का रिश्ता दिखाता है और जीवन को रोशनी से भरता है। हिंदू धर्म में गुरु का वर्णन संस्कृत के इस वाक्य से किया गया है- गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः। इसका अर्थ है गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु ही शंकर हैं, गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, उन सद्गुरु को प्रणाम। इस श्लोक से इस बात की स्पष्टी हो जाती है कि गुरु का हमारे जीवन में कितना महत्व है।
हालांकि, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। व्यास जी को प्रथम गुरु माना जाता है और उन्होंने ही मानव संसार को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। महर्षि वेदव्यास के जन्मोत्सव को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में हर साल आषाढ़ माह में मनाया जाता है। भारत में गुरु पूर्णिमा का उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। शिष्य इस दिन अपने-अपने गुरुओं के प्रति आदर व्यक्त करते हैं और सम्मानजनक उनका धन्यवाद करते हैं। बता दें कि पूर्णिमा की तिथि की वजह से इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा, व्यास जी को भगवान विष्णु का अंश भी माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर स्नान का महत्व
सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करने से ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि संभव न हो तो इस दिन आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। साथ ही, देवी-देवताओं के आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य आता है और कभी भी व्यक्ति को धन की कमी नहीं सताती है। इसके अलावा, इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को पीले रंग के वस्त्र व मिठाई, चावल या दाल का दान करना शुभ होता है। ऐसा करने से जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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गुरु पूर्णिमा के दिन इन मंत्रों का करें जाप
- गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो, गुरौ निष्ठा परं तपः, गुरोः परतरं नास्ति, त्रिवारं कथयामि ते ।।
- गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
- ॐ वेदा हि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नो: गुरु: प्रचोदयात्।
- ॐ गुरुभ्यो नमः:
- ॐ शिवरूपाय महत् गुरुदेवाय नमः
- ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः:
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
प्राचीन काल से ही गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य द्वारा गुरु की पूजा करने की परंपरा रही है। गुरु पूर्णिमा जीवन में गुरु के महत्व को बताती है। गुरु के माध्यम से ही मनुष्य के अंदर ज्ञान बढ़ता है और वह सही पथ पर आगे बढ़ता है। गुरु के आशीर्वाद से मनुष्य अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त करता है इसलिए गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं का पूजन बहुत अधिक ध्यान से करना चाहिए ताकि आने वाले समय में भी उनका आशीर्वाद बन रहा है। तो आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि।
- गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों से निवृत हो जाए। फिर स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद, पूजा स्थान पर सभी देवी-देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें और उनकी प्रतिमा को प्रणाम करें और मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- अब पूजा स्थल पर या फिर एक चौकी पर अपने गुरु की तस्वीर स्थापित करें और फूल तथा माला अर्पित करते हुए श्रद्धाभाव से उनकी पूजा करें।
- पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
- यदि संभव हो तो इस दिन अपने गुरु के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
- गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन उनकी पूजा-अर्चना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- पूजा के बाद अपने गुरु के घर जाकर पैर छूकर उनका आशीर्वाद अवश्य लें। ऐसा करने से आपके काम में कभी भी कोई रुकावट नहीं आएगी।
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गुरु पूर्णिमा पर पढ़ें ये कथा
गुरु पूर्णिमा के त्योहार मनाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। शास्त्रों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अंश के रूप में धरती पर आए थे। उनके पिता का नाम ऋषि पराशर और माता सत्यवती थी। उन्हें बचपन से ही अध्यात्म में काफी रुचि थी और इसके चलते उन्हें वन जाकर तपस्या शुरू करने की इच्छा अपने माता-पिता के सामने जाहिर की लेकिन उनकी माता ने इस इच्छा के लिए उन्हें मना कर दिया। महर्षि वेदव्यास ने अपनी माता को मनाने के लिए बहुत कोशिश की और पूरे प्रयास करते हुए अपनी बात मना ली। उनकी माता ने उन्हें आज्ञा देते हुए कहा कि जब घर की याद आए तो वापस लौट आना।
इसके बाद वेदव्यास तपस्या करने के लिए जंगल की ओर चले गए और कठोर तपस्या में मन लगाने लगे। इस तपस्या के दौरान उन्हें संस्कृत भाषा का ज्ञान लिया और इस ज्ञान के बाद उन्होंने चारों वेदों महाभारत, अठारह महापुराणों और ब्रह्मास्त्र की रचना की। माना जाता है कि आज भी हमारे बीच किसी न किसी रूप में महर्षि वेदव्यास मौजूद हैं। सनातन धर्म में उन्हें वेदव्यास भगवान के रूप में पूजते हैं। उनकी नाम के कई मंदिर भी बनाए गए हैं, जहां लोग पूजा अर्चना करते हैं और आज भी वेदों में सबसे पहले उनका नाम लिया जाता है।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर ये काम जरूर करें
- गुरु पूर्णिमा के दिन घर के बड़े बुजुर्ग जैसे दादा दादी,माता पिता का पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
- यदि आप गुरुमुख न हो वो इस दिन भगवान शिव,दत्तात्रेय, वेदव्यास, शंकराचार्य जी महाराज की तस्वीर के आगे पुष्ण चढ़ाना चाहिए और घी का दीपक जलाना चाहिए।
- इस दिन हर किसी को चंदन या केसर का तिलक भी लगाना चाहिए देव गुरु बृहस्पति मजबूत होते हैं।
- गुरु पूर्णिमा के दिन घर में चंदन वाली अगरबत्ती या धूप को जरूर जलाना चाहिए। इसके साथ ही, यदि संभव हो तो पीले वस्त्र धारण करना चाहिए।
- इस दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ भी जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से धर में सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- गुरु पूर्णिमा पर पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाकर घी का दीपक भी जरूर चढ़ाना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन कॉपी, किताब या फिर स्टेशनरी का सामान खरीदें क्योंकि ऐसा करने से गुरु ग्रह मजबूत होता है और इस दिन इन चीज़ों का दान करना भी शुभ होता है।
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गुरु पूर्णिमा पर राशि अनुसार करें ये उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर जाकर प्रार्थना करनी चाहिए। इसके बाद किसी गरीब या जरूरतमंदों को पीले कपड़े या मिठाई दान करना आपके लिए शुभ साबित होगा। इसके अलावा, इस दिन अपने गुरु के पास जाकर उनका आशीर्वाद जरूर लें।
वृषभ राशि
इस दिन आप गुरु के साथ भगवान विष्णु या भगवान शिव की पूजा करें और साथ ही, भगवद गीता या अन्य आध्यात्मिक ग्रंथ का पाठ अवश्य करें। इसके बाद किसी जरूरतमंद को भोजन या धन का दान करें। ऐसा करने से आपके सारे रुके काम बनने लगेंगे।
मिथुन राशि
इस दिन अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का ध्यान करें और अपने गुरु को उपहार में कुछ सामान गिफ्ट के रूप में दें। यदि आपके कोई गुरु नहीं हैं तो आप इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करें और उन्हें खीर का भोग लगाएं।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों को इस दिन किसी मंदिर या अन्य पूजा स्थल पर जाकर अपने गुरु की तस्वीर के सामने दीपक जलाना चाहिए। साथ ही, आप भगवान विष्णु की पूजा भी इस दिन करें तो लाभ होगा। इसके साथ गुरु मंत्र का जाप करें।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को इस दिन छोटे बच्चों और छात्रों को शिक्षा से जुड़े चीज़ों का दान करना चाहिए और दूसरों की मदद करना चाहिए। साथ ही, कुछ नया सीखने के लिए किसी शिक्षण स्थान में जाएं। बच्चों के साथ समय बिताएं और अपना ज्ञान साझा करें।
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कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को इस दिन अपने काम के जगह को साफ-सुथरा रखना चाहिए और रात के समय चंद्रमा को जल देना चाहिए।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों को इस दिन परिवार और प्रियजनों के साथ समय बिताना चाहिए और धर्म अध्यात्म की बातें करनी चाहिए। इसके अलावा, किसी धार्मिक स्थान पर जाकर गुरु का आशीष लेना चाहिए।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों को इस दिन गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही, जरूरतमंदों और गरीबों को भोजन कराना चाहिए। इस दिन अपने गुरु का आशीर्वाद जरूर लें और उनकी सेवा करें। गुरु को कोई ऐसी वस्तु उपहार में दें जो उन्हें सबसे प्रिय हो।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों को इस दिन किसी धार्मिक स्थान की यात्रा करनी चाहिए। साथ ही, नए लोगों से मिलकर विभिन्न संस्कृतियों के बारे में ज्ञान लेना चाहिए। इस दिन घर पर सत्यनारायण की कथा जरूर सुनें और भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को इस दिन चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए और गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही, किसी मंदिर में जाकर हवन करवाएं और भगवान विष्णु के चरणामृत का भोग लगाएं। फिर उसे प्रसाद के रूप में सबको बांटे।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को इस दिन सत्य का पालन करने का वचन लेना चाहिए और गुरु की सेवा में थोड़ा समय बिताना चाहिए, इससे आपके हर बिगड़े काम बनने लगेंगे और आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी। इस दिन भगवत गीता का ज्ञान लोगों को सुनाए।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को इस दिन आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ झुकाव बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही, प्रकृति के साथ समय बिताएं और दूसरों के प्रति दयालु बनें। गुरु के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें। ऐसा करने से आपको अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होगा और कोई बड़ी समस्या आपको परेशान नहीं करेगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के रूप में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
उत्तर 2. इस दिन महर्षि वेदव्यास और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
उत्तर 3. गुरु पूर्णिमा का पर्व साल में एक बार आता है।
उत्तर 4. साल 2024 में 21 जुलाई 2024 रविवार के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।
आज गुरुपौर्णिमा स्वरूप सभी छात्रजनको शुभ आशीर्वाद जीवन मंगलमय हो और सुख शांती समृद्धी जीवन मे शुभ फलदायी हो ऐसी मेरी शुभकामनाये है बेस्ट ऑफ लक और एव्हरीवन थँक्यू श्री जंत्रे फ्रॉम सातारा महाराष्ट्र