चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित होता है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप कैसा है, मां की पूजा करने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं, इन सभी बातों की जानकारी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान करेंगे।
सिर्फ इतना ही नहीं इस खास ब्लॉग के माध्यम से हम यह भी जानेंगे की मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग क्या है, इन्हें प्रसन्न करने से कौन सा ग्रह मजबूत किया जा सकता है, माँ के इस स्वरूप की पूजा से व्यक्ति को क्या कुछ लाभ मिलते हैं और इस दौरान क्या कुछ उपाय करके आप भी अपने जीवन में मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए सबसे पहले शुरू करते हैं जान लेते हैं कैसा है माँ का स्वरूप।
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मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा शेरनी पर सवार हैं। उनका शरीर सोने की समान चमकता है। देवी की 10 भुजाएं हैं जिनमें से बाएं चार भुजाओं में उन्होंने त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडलु लिया हुआ है पांचवा हाथ वरद मुद्रा में है माता की अन्य चार भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला है और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है।
मां चंद्रघंटा की पूजा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की देवी चंद्रघंटा शुक्र ग्रह से संबंधित हैं। ऐसे में जिन भी जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर अवस्था में होता है या फिर जिन लोगों को अपने जीवन से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम करने होते हैं उन्हें विशेष रूप से देवी चंद्रघंटा की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
देवी चंद्रघंटा के नाम का अर्थ जानते हैं आप? दरअसल चंद्र अर्थात चंद्रमा और घंटा मतलब घंटे के समान। मां के माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के चलते ही देवी का नाम चंद्रघंटा पड़ा। देवी को चंद्रखंडा के नाम से भी जाना जाता है। मां का यह स्वरूप अपने भक्तों को साहस और वीरता प्रदान करता है और उनके जीवन से तमाम दुखों को दूर करता है। यूं तो यह स्वरूप भी बेहद ही शांत स्वभाव का है लेकिन जब वह क्रोधित होती हैं तो रौद्र रूप धारण कर लेती हैं।
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मां चंद्रघंटा की पूजा महत्व
माना जाता है की मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी पाप और बाधाएँ दूर होती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इसके अलावा मां अपने भक्तों की प्रेत बाधा से भी रक्षा करती हैं। मां की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को वीरता, निर्भयता के साथ जीवन में स्वामिता और विनम्रता प्राप्त होती है। इसके अलावा मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति समस्त सांसारिक कष्टों से भी मुक्ति पाता है।
मां चंद्रघंटा को अवश्य लगाएँ ये भोग
बात करें मां चंद्रघंटा के प्रिय भोग की तो नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा में दूध को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए। दूध को पूजा में अवश्य शामिल करें। पूजा के बाद इसे किसी ब्राह्मण को दे दें तो इसे बेहद ही शुभ माना जाता है। आप चाहें तो माँ को सफेद चीजों का भोग भी लगा सकते हैं जैसे फिर दूध या फिर खीर का। इसके अलावा मां को शहद का भोग लगाना भी बेहद शुभ होता है।
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चंद्रघंटा देवी का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:॥
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
नवरात्रि के तीसरे दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय
- मां चंद्रघंटा को सुनहरा रंग या पीला रंग बेहद ही पसंद होता है। ऐसे में अगर आप तीसरे दिन की पूजा में इस रंग के वस्त्र धारण करते हैं या फिर माता को इन रंग के फूल अर्पित करते हैं तो इससे माँ की प्रसन्नता शीघ्र हासिल होती है और व्यक्ति को अपने हर एक काम में सफलता मिलती है।
- इसके अलावा आप नवरात्रि के तीसरे दिन मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें, निर्वाण मंत्र का जाप करें और उसके बाद इस वस्त्र को अपनी तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से आपके जीवन में हमेशा धन संपदा बनी रहेगी।
- अगर आपकी कुंडली में शुक्र से संबंधित कोई दोष है तो नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से आपकी कुंडली से सभी तरह के दोष दूर होते हैं और शुक्र ग्रह मजबूत बनता है।
- माँ की विधिवत रूप से पूजा की जाए तो व्यक्ति के घर परिवार में सुख समृद्धि आती है और जिन लोगों की संतान प्राप्ति की इच्छा होती है वह भी अवश्य ही पूरी होती है। इसके अलावा ऐसे लोगों की संतान निडर और साहसी बनती है।
- नवरात्रि के तीसरे दिन मां को लाल रंग के फूल, एक तांबे का सिक्का या तांबे की कोई वस्तु अर्पित कर दें। पूजा के बाद यह सिक्का अपने पास में रख लें। या फिर मुमकिन हो तो गले में धारण कर लें। ऐसा करने से माँ की कृपा हमेशा आपके जीवन में बनी रहती है।
- अगर आपके जीवन में कर्ज की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है तो इस दिन की पूजा के बाद मां के मंत्र का 51 बार जाप करें।
- अगर नौकरी में सफलता नहीं मिल रही है या आर्थिक समृद्धि जीवन में नहीं मिल रही है तो नवरात्रि के तीसरे दिन मां को कमल की माला चढ़ाएं।
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क्या यह जानते हैं आप?
नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना में जौ बोई जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि जौ असल में क्यों बोई जाती है और इससे क्या संकेत मिलते हैं? तो चलिए इस बारे में जान लेते हैं। जौ को लेकर ऐसी मान्यता होती है कि यह जितनी लंबी और ऊंची होते हैं घर में उतनी ही सुख समृद्धि आती है। माना जाता है की जौ ही सृष्टि की पहली फसल थी और यही वजह है कि इसे बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है और इससे देवी देवताओं की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
अगर जौ उगने के एक-दो दिन बाद ही हरा भरा होने लगे तो इसे बेहद शुभ माना जाता है। जौ जितना बड़ा होता है उसकी खुशहाली और सौभाग्य उतने ही ज्यादा माने जाते हैं।
अगर जौ सफेद या फिर हरे रंग का हो तो भी इसे शुभ माना जाता है।
पीले रंग का जौ उगता है तो इससे जल्दी घर में खुशी आने के संकेत मिलते हैं।
अगर जौ नीचे से हरा और ऊपर से पीला है तो साल की शुरुआत अच्छी होती है और अंत थोड़ा खराब होने के संकेत मिलते हैं।
अगर काले रंग का जौ होता है तो इसे अशुभ माना जाता है। मुमकिन है कि इससे व्यक्ति को भविष्य में परेशानी उठानी पड़ सकती हैं।
अगर जौ सूखी हुई या फिर पीले रंग की है तो इससे भी जीवन में संकट आने के संकेत मिलते हैं।
इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां चंद्रघंटा की पूजा
यूं तो सभी को नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए। हालांकि विशेष रूप से इस दिन की पूजा किंहें करनी चाहिए बात करें इस बारे में तो जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो या मंगल ग्रह का कमजोर हो उन्हें विशेष रूप से चंद्रघंटा देवी की पूजा करनी होती है। इसके अलावा अगर किसी के जीवन में प्रेत बाधा का साया है तो भी उन्हें नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति निर्भय हो जाता है, कुंडली से शुक्र और मंगल ग्रह मजबूत होते हैं और व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
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मां चंद्रघंटा से संबंधित पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि एक समय की बात है जब स्वर्ग में राक्षसों का उपद्रव बढ़ने लगा था। तब देवताओं को इससे बचाने के लिए मां दुर्गा ने चंद्रघंटा स्वरूप धारण किया था। असुर महिषासुर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमाना चाहता था और इसीलिए सभी देवताओं को परेशान कर रहा था। तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पास गए और मदद मांगी। देवताओं की विनती सुनकर त्रिदेव को गुस्सा आया और त्रिदेव के क्रोध से एक ऊर्जा निकली जिससे मां चंद्रघंटा अवतरित हुई।
मां के अवतरित होने के बाद सभी देवताओं ने मां को कुछ-कुछ उपहार दिये जैसे भगवान शिव ने उन्हें अपना त्रिशूल दे दिया, श्री हरि ने उन्हें अपना चक्र दे दिया, सूर्य ने उन्हें अपना तेज दिया, तलवार, सिंह और इंद्र ने अपना घंटा माता को दिया। इसके बाद माँ चंद्रघंटा ने महिषासुर का मर्दन करके स्वर्ग लोक और देवताओं को महिषासुर के आतंक से बचाया था।
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