सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर से होगा बेहद दुर्लभ योगों का निर्माण, शत्रुओं पर मिल सकेगी विजय!

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर से होगा बेहद दुर्लभ योगों का निर्माण, शत्रुओं पर मिल सकेगी विजय!

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: सूर्य महाराज को ज्योतिष और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। एक तरफ, इन्हें नवग्रहों के राजा कहा जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ, सूर्य देव को मनुष्य जीवन का स्रोत माना गया है क्योंकि इनके बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

ऐसे में, सूर्य ग्रह की राशि और स्थिति में होने वाला हर बदलाव भी विशेष मायने रखता है क्योंकि यह मानव जीवन के साथ-साथ संसार को भी गहराई से प्रभावित करता है। अब जल्द ही पुनः इनकी राशि में परिवर्तन होने जा रहा है और इसी क्रम में, सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं। 

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको “सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, सूर्य की राशि में होने वाला प्रत्येक परिवर्तन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न आयामों जैसे व्यापार, करियर, प्रेम, वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य आदि को प्रभावित करेगा जिसके बारे में भी हम विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर की तिथि और समय पर। 

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बता दें कि सूर्य देव को सभी नवग्रहों में जनक का पद प्राप्त है, यह बात हम सभी भली-भांति जानते हैं लेकिन क्यों? इसके पीछे की सबसे प्रमुख वजह है कि सूर्य देव पूरे संसार को अपनी रोशनी से जीवन देते हैं और इनके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। इसके अलावा, सभी ग्रह शनि से लेकर बुध ग्रह तक सूर्य की परिक्रमा करते हैंक्योंकि यह ऊर्जा के मुख्य  स्रोत हैं। साथ ही, सभी नवग्रहों में केवल सूर्य ही ऐसे ग्रह हैं जो कभी भी उदित, अस्त, वक्री और मार्गी नहीं होते हैं और सदैव गोचर करते हैं।

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: तिथि और समय 

नवग्रहों के राजा सूर्य का गोचर विशेष महत्व रखता है जो हर 30 दिन यानी कि लगभग हर महीने में राशि परिवर्तन करते हैं। प्रत्येक 30 दिनों के बाद एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में चले जाते हैं  और अब यह 16 नवंबर 2025 की दोपहर 01 बजकर 26 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

बता दें कि वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल देव हैं और ऐसे में, सूर्य देव मंगल की राशि में एक माह रहेंगे जिसका प्रभाव देश-दुनिया में दिखाई देगा। इस प्रकार, सूर्य ग्रह वृश्चिक राशि में बैठकर अनेक तरह के योगों और युतियों का निर्माण करेंगे। साथ ही, इनकी यह स्थिति कुछ राशियों के भाग्य को भी बदलने का काम भी कर सकती है। आइए अब हम जान लेते हैं और सूर्य गोचर से बनने वाले योगों और युतियों के बारे में। 

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वृश्चिक राशि में सूर्य के साथ युति करेंगे मंगल और बुध

 जैसे कि हम आपको बताते आए हैं कि ग्रहों की राशि में होने वाले बदलाव या यूं कहें कि ग्रहों के गोचर से अनेक युतियां निर्मित होती हैं जो आपको शुभ और अशुभ दोनों तरह के परिणाम प्रदान करती है। अगर हम बात करें सूर्य गोचर की, तो जब सूर्य महाराज 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय वहां पहले से बुद्धि के कारक बुध और ग्रहों के सेनापति के नाम से प्रसिद्ध मंगल देव मौजूद होंगे। ऐसे में, सूर्य, बुध और मंगल की युति से बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग और शत्रुहंता योग निर्मित होगा। 

बुधादित्य और शत्रुहंता योग का प्रभाव 

सामान्य शब्दों में कहें तो, सूर्य और मंगल योग से बनने वाला शत्रुहंता योग की सहायता से जातक अपने शत्रुओं को हरा पाएंगे। साथ ही, यह योग सरकारी नौकरी करने वाले जातकों के लिए बहुत शुभ रहेगा। इसके विपरीत, सूर्य-बुध की युति से बनने वाला बुधादित्य योग का प्रभाव कमज़ोर रहेगा क्योंकि एक तो बुध अस्त और वक्री अवस्था में होंगे और दूसरा, वृश्चिक राशि में बुध अपने शत्रु मंगल के साथ बैठे होंगे जिसके चलते यह आपको शुभ परिणाम देने में नाकाम रह सकते हैं।

अब हम आपको अवगत करवाते हैं ज्योतिष में सूर्य ग्रह के महत्व से।         

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रह 

  • नवग्रहों के जनक कहे जाने वाले सूर्य महाराज अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बलवान स्थिति में विराजमान होते हैं, तो यह जातक को जीवन में सभी क्षेत्रों में संतुष्टि, उत्तम सेहत और मजबूत एवं तेज़ मस्तिष्क का आशीर्वाद देते हैं। 
  • जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव का शुभ प्रभाव होता है, उन्हें कार्यों में सकारात्मक परिणाम के साथ-साथ जीवन में अपार सफलता की प्राप्ति होती है। 
  • साथ ही, यह आपको सही निर्णय लेने में भी सहायता करते हैं जिससे आप जीवन में तेज रफ़्तार से आगे बढ़ने में सक्षम होते हैं। 
  • वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को मान-सम्मान, नेतृत्व क्षमता और उच्च पद का कारक ग्रह माना जाता है। 
  • अगर आप पर सूर्य देव मेहरबान होते हैं, उन्हें यह नेतृत्व करने की मजबूत क्षमता प्रदान करते हैं। 
  • ऐसे जातक आध्यात्मिकता और ध्यान में विशेष महारत हासिल करते हैं। 
  • इसके विपरीत, जब सूर्य देव राहु या केतु और मंगल जैसे ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं, तब व्यक्ति को जीवन में अनेक समस्याओं और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
  • सूर्य ग्रह के पीड़ित, अशुभ या दुर्बल अवस्था में होने पर व्यक्ति हृदय और नेत्रों से जुड़ी समस्याओं से परेशान रह सकता है। 
  • साथ ही, सूर्य के अशुभ प्रभाव के चलते जातक का स्वभाव गुस्सैल, आत्म केंद्रित, ईर्ष्यालु और अहंकारी हो सकता है। 

चलिए नज़र डालते हैं सूर्य ग्रह के शुभ और अशुभ प्रभाव पर।

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: कमज़ोर सूर्य का प्रभाव  

  • ऐसे लोग जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, वह व्यक्ति घमंडी हो सकता है और उसमे आत्मविश्वास की कमी दिखाई दे सकती है।
  • इसके अलावा, अशुभ सूर्य के प्रभाव से जातक के मान सम्मान में कमी आती है। साथ ही, वह हिंसक प्रवृत्ति का हो सकता है। 
  • सूर्य देव के दुष्प्रभाव से व्यक्ति गुस्सैल, स्वार्थी और दूसरों के प्रति जलन के भाव रखने वाला हो सकता है। 
  • सूर्य के पिता के कारक होने के नाते जातक को पिता या पितातुल्य व्यक्ति से साथ नहीं मिलता है और उनके साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। 
  • ऐसा व्यक्ति नौकरी में समस्या, कानूनी विवाद और स्वास्थ्य से जुड़े रोगों से परेशान रह सकता है। 

अगर आप अपनी कुंडली में सूर्य की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं, तो सूर्य देव के कुंडली के छठे, आठवें, बारहवें भाव में किसी नीच ग्रह के साथ बैठे होने को कमजोर स्थिति माना जाएगा। 

आइए अब हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं सूर्य ग्रह को मज़बूत करने के उपायों से। 

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान करें ये उपाय 

  • सूर्य देव को बलवान करने के लिए अपने से बड़ों का आदर करें और निस्वार्थ भाव से बुजुर्गों की सेवा करें। साथ ही, आप ज्यादा से ज्यादा केसरिया या लाल रंग के कपड़े पहनें।
  • प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। संभव हो, तो दाहिने हाथ में तांबे का कड़ा धारण करें। 
  • रविवार के दिन तांबा, गुड़ और गेहूं का दान करें। इसके अलावा, आप गेहूं का आटा चींटियों को खिलाएं। 
  • रविवार के दिन सूर्य देव के लिए व्रत करें और नमक का सेवन न करें।  
  • प्रतिदिन सूर्य देव अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से सूर्य ग्रह शुभ फल प्रदान करते हैं। 

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
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मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का … (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए, सूर्य आपको चौथे भाव के … (विस्तार से पढ़ें) 

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मिथुन राशि के जातकों के लिए, सूर्य तीसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य… (विस्तार से पढ़ें) 

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कर्क राशि के जातकों के लिए, सूर्य दूसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

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सिंह राशि के जातकों के लिए, सूर्य पहले भाव के स्वामी हैं. सूर्य… (विस्तार से पढ़ें)  

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए, सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य… (विस्तार से पढ़ें) 

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए, सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें)  

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए, सूर्य दसवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें)  

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए, सूर्य नौवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए, सूर्य आठवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए, सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए, सूर्य छठे भाव के स्वामी हैं। सूर्य का … (विस्तार से पढ़ें) 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर कब होगा?

सूर्य देव 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। 

वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है?

राशि चक्र की आठवीं राशि वृश्चिक के स्वामी मंगल देव हैं। 

सूर्य एक राशि में कितने दिन रहते हैं?

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह एक राशि में लगभग 30 दिन तक रहते हैं।