सूर्य का कन्या राशि में गोचर करेगा बेहद शुभ योग का निर्माण, जानें किसे होगा लाभ

सूर्य का कन्या राशि में गोचर करेगा बेहद शुभ योग का निर्माण, जानें किसे होगा लाभ

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: सनातन धर्म में सूर्य ग्रह को भगवान का दर्जा प्राप्त है जो अपने भक्तों को प्रतिदिन दर्शन देने वाले एकमात्र देवता हैं। मनुष्य जीवन में सूर्य कितना महत्व रखते हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।

इसी प्रकार, सूर्य देव हिंदू धर्म के साथ-साथ ज्योतिष में विशेष महत्व रखते हैं जिन्हें नवग्रहों के जनक का पद प्राप्त हैं। बता दें कि सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं और इनसे ही ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ऐसे में, सूर्य ग्रह की दशा और राशि में होना वाला हर परिवर्तन मायने रखता है क्योंकि यह राशियों समेत विश्व को प्रभावित कर सकता है। 

हालांकि, सूर्य महाराज अब अपने आधिपत्य वाली सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में जा रहे हैं। कन्या राशि में सूर्य का गोचर पूरे एक साल बाद होने जा रहा है क्योंकि यह एक राशि में एक महीने तक रहते हैं और इसके बाद, दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में, सूर्य का गोचर हर महीने होता है और एक राशि में दोबारा जाने में इन्हें एक साल का समय लगता है। 

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

जैसे कि हमने आपको ऊपर बताया कि सूर्य ग्रह एक वर्ष बाद बुध की राशि में प्रवेश करेंगे। इसी कड़ी में एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको सूर्य का कन्या राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि और समय आदि।

इस दौरान सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा, कब और किस समय तक सूर्य रहेंगे इस राशि में, क्या होती है कन्या संक्रांति और कुंडली में दुर्बल सूर्य को आप कैसे मज़बूत कर सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब आपको सूर्य गोचर के इस स्पेशल लेख में प्राप्त होंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर का समय।

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: तिथि और समय

आत्मा और पिता के कारक कहे जाने वाले सूर्य देव 17 सितंबर 2025 की रात 01 बजकर 38 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं। सूर्य का यह गोचर बुध ग्रह की राशि कन्या में होगा जो कि इनके शत्रु माने गए हैं। ऐसे में, सूर्य देव की इस राशि में स्थिति को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है और कुछ राशियों को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।

हालांकि, इस गोचर के सिर्फ़ अशुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे, बल्कि यहां बैठकर सूर्य कई बड़े ग्रहों के साथ युति का भी निर्माण करेंगे और इसके परिणामस्वरूप, कई शुभ योग भी बनेंगे। चलिए जानते हैं उन शुभ योगों के बारे में। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा 

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: सूर्य-बुध की युति

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और बुध ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त हैं और ऐसे में, जब-जब यह दोनों ग्रह एक साथ एक राशि में आते हैं, तो बहुत शुभ माने जाने वाले बुधादित्य राजयोग का निर्माण करते हैं।

अब सूर्य महाराज का गोचर 17 सितंबर 2025 को कन्या राशि में होगा, उस समय इस राशि में पहले से बुध देव मौजूद होंगे। इस प्रकार, कन्या राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य राजयोग निर्मित होगा। इस योग के प्रभाव से जातकों को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। चलिए अब हम आपको अवगत करवाते हैं बुधादित्य योग के प्रभाव से। 

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: बुधादित्य योग के प्रभाव 

ऐसे जातक जिनकी जन्म कुंडली में बुधादित्य योग होता है, उनकी बुद्धि तेज़ और संचार कौशल बेहतरीन होता है। इसके अलावा भी उन्हें जीवन में बुधादित्य योग से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार हैं:

बुद्धि और ज्ञान: बुधादित्य योग से प्रभावित लोगों का दिमाग तेज होता है और इनमें सीखने की ललक देखने को मिलती है।

बेहतरीन संचार कौशल: यह जातक अपने विचारों और बातों को आसानी से दूसरों के सामने  रखने में सक्षम होते हैं इसलिए ज्यादातर यह अच्छे वक्ता, लेखक या शिक्षक बनते हैं। 

मज़बूत नेतृत्व क्षमता: सूर्य ग्रह अधिकार और आत्मविश्वास का प्रतीक माने जाते हैं। ऐसे में, व्यक्ति के भीतर मौजूद यह गुण उसे एक अच्छा लीडर बनाने का काम करते हैं।

सफल करियर: कुंडली में बुधादित्य योग के प्रभाव से जातक को राजनीति, शिक्षा, लेखन, मीडिया और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
मान-सम्मान में वृद्धि: बुधादित्य योग के प्रभाव से व्यक्ति को समाज में अपार मान-सम्मान प्राप्त होता है। 

चलिए अब जान लेते हैं सूर्य कन्या राशि में कैसे परिणाम देते हैं। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

कन्या राशि में सूर्य की विशेषताएं  

  • कन्या राशि को राशि चक्र में छठा स्थान प्राप्त है और यह बहुत विश्लेषणात्मक राशि है। 
  • सरल शब्दों में कहें तो, कन्या राशि के लोग जीवन की हर समस्या या हर परिस्थिति की जड़ तक पहुंचना पसंद करते हैं। 
  • इसके फलस्वरूप, इस राशि के ज्यादातर लोग रिसर्चर, जासूस, गुप्त नौकरी और वैज्ञानिक जैसे क्षेत्रों से जुड़े होते हैं। 
  • इसी क्रम में, जब सूर्य महाराज कन्या राशि में विराजमान होंगे, तो इन क्षेत्रों से संबंध रखने वाले लोगों का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहेगा। 
  • जिन जातकों का जन्म कन्या राशि में सूर्य के अंतर्गत हुआ है और वह सरकारी और अधिकारी वर्ग से संबंधित हैं, तो उनके लिए यह अवधि शानदार रहेगी।
  • सूर्य का कन्या राशि में गोचर का समय वैज्ञानिक, गुप्त चिकित्सा और सचिव आदि से संबंध रखने वाले लोगों के लिए शुभ रहेगा।

हालांकि, हर इंसान को सूर्य का कन्या राशि में गोचर कैसे प्रभावित करेगा, यह पूरी तरह से कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति और अन्य ग्रहों पर निर्भर करता है। अब हम आपको रूबरू करवाते हैं संक्रांति के महत्व से। 

संक्रांति और सूर्य गोचर का महत्व व संबंध

ज्योतिष और धर्म दोनों में ही सूर्य देव के गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है।  बता दें कि सूर्य ग्रह जब-जब एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह घटना संक्रांति के नाम से जानी जाती है।  इसी तरह, सूर्य देव का गोचर जिस भी राशि में होता है, वह संक्रांति उस राशि के नाम से जानी जाती है जिसमें उनका गोचर होता है। सामान्य शब्दों में कहें तो, अगर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं, तो वह तिथि मकर संक्रांति के नाम से जानी जाएगी।

शायद ही आप जानते होंगे कि सूर्य देव का गोचर एक महीने में होता है इसलिए वर्ष भर में कुल 12 संक्रांति तिथि आती हैं। प्रत्येक संक्रांति का अपना एक अलग महत्व है जो उसे अलग बनाता है। हालांकि, सूर्य देव जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो इनके गोचर के साथ ही खरमास का आरंभ हो जाता है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, खरमास के दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इसी प्रकार, सूर्य का गोचर जब शनि देव की राशि मकर में होता है, तो उसे बेहद शुभ माना जाता है। मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है और मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है। ऐसे में, सूर्य गोचर का असर राशियों, देश-दुनिया के साथ-साथ अर्थव्यवस्था और करियर समेत विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर पड़ता है। सूर्य का गोचर कन्या राशि में होने पर इसे कन्या संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। आइए अब जान लेते हैं कन्या संक्रांति का धार्मिक महत्व।

फ्री ऑनलाइन जन्म कुंडली सॉफ्टवेयर से जानें अपनी कुंडली का पूरा लेखा-जोखा

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: कन्या संक्रांति का धार्मिक महत्व

प्रत्येक माह सूर्य देव अपना राशि परिवर्तन करते हैं, इसलिए एक वर्ष में आने वाली हर संक्रांति का अपना धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। सनातन धर्म में संक्रांति को बहुत कल्याणकारी और पुण्यकारी माना गया है। यह दिन दान, स्नान, पितृ तर्पण और धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होता है। 

मान्यताओं के अनुसार, कन्या संक्रांति के दिन से हिंदू कैलेंडर का छठा महीना शुरू हो जाता है। इसके अलावा, भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी कन्या संक्रांति पर की जाती है क्योंकि यह तिथि विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस तिथि पर सूर्य महाराज सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे कन्या संक्रांति कहते हैं। 

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: कन्या संक्रांति के उपाय 

  • सूर्य को अर्घ्य: कन्या संक्रांति के अवसर पर सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें। 
  • दान करें: हिंदू धर्म में दान-पुण्य का विशेष महत्व है और ऐसे में, कन्या संक्रांति के दिन गुड़, तिल, वस्त्र, घी और चावल का दान शुभ माना जाता है।
  • पवित्र स्नान: कन्या संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना कल्याणकारी माना जाता है। आप चाहे तो घर में स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। 

अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं मज़बूत और कमज़ोर सूर्य के प्रभावों पर। 

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: शुभ सूर्य का प्रभाव

  • कुंडली में सूर्य मज़बूत होने पर जातक महाज्ञानी होता है और इनके द्वारा बोली गई बात को समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
    बलवान सूर्य होने पर जातक गलत कार्य करना पसंद नहीं करते हैं और इनकी नेतृत्व क्षमता बहुत मज़बूत होती है। यह लोग अपने नियमों का पालन करते हैं और अनुशासन में रहते हैं।
  • ऐसे लोग जिनका सूर्य शुभ होता है, उनके चेहरे पर अलग तेज देखने को मिलता है जिससे लोगों की नज़रें इन पर टिक जाती हैं। इनकी समाज में एक अलग पहचान होती है।
  •  ज्योतिष के अनुसार, जिनकी कुंडली में सूर्य दसवें भाव में मित्र राशि में बैठा होता है और मज़बूत स्थिति में हैं, तो ऐसा जातक राजनीति में सक्रिय होता है या फिर कोई बड़ा राजनेता बनता है। 
  • जीवन पर सूर्य का शुभ  प्रभाव होने से जातक को मान-सम्मान मिलता है और वह समाज में लोकप्रिय होता है। 

कमज़ोर सूर्य का कुंडली में प्रभाव 

  • अहंकार में वृद्धि: जिन लोगों की कुंडली में सूर्य महाराज की स्थिति कमज़ोर होती है, उनमें अहंकार या घमंड देखने को मिलता है जो कि दुर्बल सूर्य का संकेत होता है।
  • आत्मविश्वास की कमी: कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर जातक में आत्मविश्वास की कमी रहती है जिसकी झलक जीवन के विभिन क्षेत्रों को प्रभावित करती है। 
  • मान-सम्मान की कमी: जहां बलवान सूर्य मान-सम्मान और यश दिलाता है, वहीं निर्बल सूर्य समाज में आपके मान-सम्मान को कम करता है। 
  • हिंसक बनना: ऐसे जातक जिनका सूर्य दुर्बल होता है, उनके भीतर हिंसक प्रवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। साथ ही, वह गुस्सैल, स्वार्थी और ईर्ष्यालु स्वभाव का हो सकता है।
  • पिता से संबंध बिगड़ना: सूर्य को पिता के कारक माना जाता है इसलिए जब सूर्य देव अशुभ होते हैं, तो व्यक्ति के पिता के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं और उनके साथ मतभेद बढ़ते हैं। साथ ही, आपको पिता का साथ नहीं मिलता है। 

इन सब लक्षणों से आप जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में सूर्य मज़बूत हैं या कमज़ोर। साथ ही, यदि सूर्य देव कुंडली में छठे, आठवें और बारहवें भाव में किसी नीच ग्रह के साथ बैठे हैं, तो सूर्य को कमजोर माना जाता है।

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: इन उपायों से करें सूर्य को मज़बूत

  • यदि आपकी कुंडली में सूर्य देव कमज़ोर हैं, तो रविवार को स्नान करने के बाद लाल वस्त्र पहनकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • सूर्य की कृपा के लिए रविवार के दिन नमक का सेवन न करें। संभव हो, तो इस दिन व्रत करें क्योंकि रविवार सूर्य को समर्पित होता है।
  • कुंडली में दुर्बल सूर्य को बलवान करने के लिए लाल और पीले रंग के वस्त्र ज्यादा से ज्यादा धारण करें। 
  • सूर्य को बलवान करने के लिए गुड, तांबा, गेहूं और माणिक आदि का दान करना फलदायी होता है।
  • सूर्य को मज़बूत करने के लिए माणिक रत्न धारण करें। लेकिन, ऐसा करने से पहले आपको विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।      

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें।

सूर्य का कन्या राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं और सूर्य का कन्या राशि में… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए सूर्य आपकी कुंडली के चौथे भाव के स्वामी हैं और सूर्य का कन्या…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए सूर्य आपकी कुंडली के तीसरे भाव के स्वामी हैं और… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के लिए सूर्य आपके दूसरे भाव के स्वामी हैं और सूर्य का कन्या राशि में… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए सूर्य आपकी कुंडली के पहले भाव के स्वामी हैं और … (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं और सूर्य का कन्या राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी है। सूर्य का कन्या राशि में गोचर आपके…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए सूर्य दसवें भाव के स्वामी है। सूर्य का कन्या राशि में… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए सूर्य नौवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का कन्या राशि में गोचर आपके…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए सूर्य आठवें भाव के स्वामी है और सूर्य का कन्या राशि में… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं और सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी हैं और सूर्य का कन्या राशि में… (विस्तार से पढ़ें)

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सूर्य का कन्या राशि में गोचर कब होगा?

आत्मा के कारक सूर्य ग्रह 17 सितंबर 2025 को राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। 

कन्या राशि में कौन-कौन से ग्रह युति करेंगे?

सूर्य का कन्या राशि में गोचर के दौरान इस राशि में बुध, शुक्र और सूर्य युति करेंगे। 

सूर्य कौन हैं?

ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा, पिता और सत्ता का कारक ग्रह माना जाता है।