बड़े से बड़े पापों से मुक्ति दिलाएगा योगिनी एकादशी का व्रत, बस कर लें सिर्फ ये एक उपाय!

सनातन धर्म में हर माह पड़ने वाली एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, जो भी साधक एकादशी व्रत रखता है, उसे जीवन में आ रही सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसी क्रम में योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह एकादशी आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की तिथि को पड़ती है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने का विधान है। इसे आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी भी कहते हैं।

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एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस एकादशी व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताने का आग्रह किया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस एकादशी के बारे में बताते हुए कहा कि, योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है, वह स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है। साथ ही, उसे 80 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के जितना पुण्य प्राप्त होता है।  तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते है योगिनी एकादशी की तिथि, महत्व, पूजा विधि व इस दिन किए जाने वाले आसान उपायों के बारे में।

योगिनी एकादशी 2024: तिथि व समय
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि योगिनी एकादशी आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 02 जुलाई 2024 को मंगलवार के दिन पड़ रही है।

एकादशी तिथि प्रारम्भ: 01 जुलाई, 2024 की सुबह 10 बजकर 28 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: 02 जुलाई, 2024 की सुबह 08 बजकर 44 मिनट तक।

योगिनी एकादशी पारण मुहूर्त : 03 जुलाई 2024 की सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 08 बजकर 14 मिनट तक 

अवधि : 2 घंटे 47 मिनट

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योगिनी एकादशी का महत्व

योगिनी एकादशी का व्रत सभी एकादशी में विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है और साधक  सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। माना जाता है इस व्रत से समस्त पापों से छुटकारा पाया जा सकता है। जो भक्त योगिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।

योगिनी एकादशी पर शुभ योग 

बात करें शुभ योगों की तो योगिनी एकादशी के दिन एक नहीं बल्कि दो-दो शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। दरअसल इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग रहने वाले हैं। समय की बात करें तो 2 जुलाई को सुबह 5:27 से अगले दिन यानी 3 जुलाई को 4:40 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है और त्रिपुष्कर योग 2 जुलाई को सुबह 8:42 से 3 जुलाई को 4:40 तक रहेगा। 

ऐसे में इन दोनों ही योगों में किया जाने वाला योगिनी एकादशी का व्रत और भी फलदाई और कई गुना महत्वपूर्ण और शुभ माना जा रहा है।

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योगिनी एकादशी की पूजा विधि

  • योगिनी एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। ऐसे में, व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि की रात्रि से ही तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • इस एकादशी के दिन जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोएं। सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्म से छुटकारा पाकर स्नान कर के ईश्वर के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • इस दिन कलश की स्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति रख उनकी पूजा करें। भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान आदि करवाकर खीर का भोग लगाएं। भोग में तुलसी जरूर रखें क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु के बहुत अधिक प्रिय है।
  • भगवान की पुष्प, धूप, दीप आदि से आरती उतारें। इस दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए। माना जाता है बिना कथा पढ़ें या सुनें व्रत अधूरा माना जाता है।
  • इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर सभी देवी-देवताओं का वास होता है।
  • एकादशी के दिन रात में सोना नहीं चाहिए और रात्रि में जागरण करना करना चाहिए। 

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योगिनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें

अवश्य करें ये काम

  • एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े धारण करें और एकादशी व्रत का संकल्प करें।
  • इस दिन यदि आपने व्रत रखा है तो अनाज न खाएं। सिर्फ फलाहार कर सकते हैं।
  • इस विशेष दिन में पानी का दान जरूर करना चाहिए।
  • किसी मंदिर में जाकर भोजन या अन्न का दान करना चाहिए।
  • सुबह-शाम तुलसी के पास घी का दीपक जलाना चाहिए और तुलसी की 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
  • शाम को भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • एकादशी के दिन रात को सोने के बजाय भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए।
  • अगली सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराने और क्षमता अनुसार दान और दक्षिणा देकर, उसके बात व्रत का संकल्प करना चाहिए।

इन कामों को करने से बचें

  • चोर, पाखंडी और दुराचारी मनुष्य के पास नहीं जाना चाहिए।
  • एकादशी के दिन भूलकर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी ही किसी और को खिलाना चाहिए ।
  • जुआ, निद्रा, पान, निंदा, चुगली, चोरी, हिंसा, क्रोध तथा झूठ आदि गलत कामों को नहीं करना चाहिए और ऐसा काम करने वालों से भी दूर रहना चाहिए।
  • एकादशी के दिन घर में घर पर झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।
  • इस दिन बाल, नाखून नहीं काटने चाहिए।

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योगिनी एकादशी के दिन जरूर पढ़ें यह कथा

भगवान श्रीकृष्ण ने योगिनी एकादशी व्रत कथा युधिष्ठिर को सुनाई थी। पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग के अलकापुरी में कुबेर नाम का राजा था और वह बहुत बड़ा शिव भक्त था। विधि-विधान से रोज महादेव की पूजा करता था। पूजा करने के लिए वह हेम नामक माली से रोज फूल मंगवाया करता था। माली हेमी की पत्नी विशालाक्षी थी, जो बहुत ही सुंदर थी। एक दिन हेम मानसरोवर से फूल लेकर आया, लेकिन वह राजा के पास जाने की बजाए घर पर वह पत्नी के साथ हास्य-विनोद करने लगा और कामासक्त हो गया।

दूसरी ओर राजा हेम के पुष्प लेकर आने का इंतजार करता रहा। जब दोपहर तक हेम नहीं आया। तो राजा ने अपने सिपाहियों को माली के घर भेजा ताकि पता लगा सके कि वह क्यों नहीं आया? सिपाही हेम के घर से लौटकर आए और राजा को बताया कि वह नीच प्रवृत्ति का है, वह अतिकामी है, वह अपनी पत्नी के साथ रमण कर रहा था।

राजा कुबेर ने माली हेम को दरबार में बुलाया। माली राजा का गुस्सा देखकर कांपने लगा। राजा ने ​क्रोध में माली से कहा कि तुम पापी और अधर्मी हो, शिव पूजा के लिए फूल लेकर नहीं आए। तुमने भगवान भोलेनाथ का अनादर किया है। तुम श्राप के योग्य हो। यह सुन माली घबरा गया और राजा ने उसे तुरंत श्राप दिया कि वह पृथ्वी लोक पर जाकर कोढ़ी होगा और पत्नी का वियोग सहन करेगा। श्राप के कारण माली हेम तुरंत ही स्वर्ग से धरती पर गिर गया और उसे पूरे शरीर में सफेद कोढ़ हो गया। उसकी पत्नी भी कहीं गायब हो गई। धरती पर उसने बहुत ही दुख भोगे। जंगल में वह बिना भोजन और पानी के दिन रात भटकता रहा।

फिर एक दिन माली अचानक मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसने मार्कंडेय ऋषि के पैर पकड़ लिए। उसने अपनी पूरी कहानी उनको बताई। तब मार्कंडेय ऋषि ने कहा कि वह एक व्रत के बारे में उन्हें बताने जा रहे हैं, जिसे करने से उसका उद्धार होगा। उन्होंने कहा कि यदि तुम आषाढ़ कृष्ण एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे तो पाप मुक्त हो जाओगे।

माली हेम ने मार्कंडेय ऋषि को प्रणाम किया और उनको बात अपनाते हुए वहां से चला गया। जब आषाढ़ कृष्ण एकादशी आई तो उसने ऋषि द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत रखा। भगवान विष्णु की कृपा से उसका उद्धार हुआ और वह फिर से अपनी पत्नी विशालाक्षी के साथ स्वर्ग में सुखपूर्वक रहने लगा।

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योगिनी एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय

योगिनी एकादशी पर इच्छा पूर्ति के लिए कुछ उपायों को जरूर अपनाना चाहिए। इन उपायों को करने से जीवन में नया आयाम प्राप्त होगा। तो एक नज़र डालते हैं इन उपायों के बारे में-

वास्तु दोष के लिए

यदि घर में वास्तु दोष लगा है, तो इस दिन हल्दी युक्त जल या गंगाजल का पूरे घर पर छिड़काव करें। इससे वास्तु दोष से छुटकारा पाया जा सकता है। ध्यान रखें कि गंगाजल का छिड़काव करते हुए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ‘ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के प्रभाव से नकारात्मक शक्तियां दूर भागती है।

करियर में तरक्की के लिए

अगर आप अपने करियर में तेज़ी से तरक्की प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा भाव से पूजा करें। साथ ही, पूजा करते समय नारायण कवच का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं।

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए

यदि आप जल्द ही भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा अवश्य करें और तुलसी के सामने घी का दीपक जलाकर परिक्रमा करें। जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी माता बहुत अधिक प्रिय हैं। अतः उनकी पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ऐसे साधकों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है।

सुख शांति के लिए

योगिनी एकादशी पर पीपल के पेड़ की पूजा करने का बहुत अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी नारायण का वास होता है। साथ ही, अन्य देवी देवता और पितृ भी पीपल के पेड़ में निवास करते हैं। अतः योगिनी एकादशी पर पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करें। पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं। साथ ही घी का दीपक जलाकर सात या 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से घर-परिवार में सुख शांति बनी रहती है।

समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करें फिर स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद, भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से आप सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

प्रश्न 1. योगिनी एकादशी साल 2024 में कब पड़ रही है?

उत्तर. साल 2024 में योगिनी एकादशी 02 जुलाई मंगलवार के दिन पड़ रही है।

प्रश्न 2. योगिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

उत्तर. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न 3. योगिनी एकादशी में क्या खाना चाहिए?

उत्तर. योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 4. एकादशी के दिन क्या खाने की मनाई है?

उत्तर. एकादशी के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

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