वैशाख पूर्णिमा व्रत का महत्व, साथ ही जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। साल में आने वाली है अलग-अलग पूर्णिमा तिथियों में वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में इस वर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने का काम कर रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि वैशाख पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण इस वर्ष 26 मई के दिन होने जा रहा है।

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पूर्णिमा तिथि का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए बहुत से लोग इस दिन व्रत उपवास और पूजा भी करते हैं। इसके अलावा वैशाख माह में वैशाख पूर्णिमा का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से सबसे ज्यादा खास माना गया है। इस दिन स्नान, दान, व्रत पूजा की परंपरा सालों से चली आ रही है। तो आइए अपने इस विशेष आर्टिकल में पूर्णिमा व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त करते हैं और साथ ही जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है।

वैशाख पूर्णिमा है बेहद खास

वैशाख माह की पूर्णिमा सिद्धिविनायक पूर्णिमा और शक्ति विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसी दिन महात्मा बुद्ध का भी जन्म हुआ था। ऐसे में इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

2021 में वैशाख पूर्णिमा कब है?

26 मई, 2021 बुधवार

वैशाख पूर्णिमा व्रत मुहूर्त

मई 25, 2021 को 20:31:40 से पूर्णिमा आरम्भ

मई 26, 2021 को 16:45:35 पर पूर्णिमा समाप्त

वैशाख पूर्णिमा का महत्व

वैशाख पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि, इस व्रत का महत्व स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपने परम मित्र सुदामा को बताया था। ऐसे में सुदामा जी ने इस व्रत का पालन किया जिसके प्रभाव से उनके जीवन से दुख दरिद्रता और आर्थिक तंगी सब देखते ही देखते दूर हो गई। कहा जाता है तभी से वैशाख पूर्णिमा का महत्व माना जाने लगा और इस व्रत को करने की परंपरा की शुरुआत हुई। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत करता है उसके जीवन में सुख समृद्धि आती है, आर्थिक संपन्नता बनी रहती है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

वैशाख पूर्णिमा व्रत नियम और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड

  • वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर मुमकिन हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा मुमकिन नहीं है तो स्नान के पानी में गंगा जल मिलाकर उससे भी स्नान कर सकते हैं। स्नान करने के बाद सूर्य देवता को सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद पूजा और व्रत का संकल्प लें। इस दिन की जाने वाली पूजा अन्य पूर्णिमा तिथि की पूजा की तरह होती है। 
  • कहा जाता है वैशाख पूर्णिमा के दिन जो कोई भी व्यक्ति धर्मराज के समक्ष जल का कलश और पकवान समर्पित करता है उसे गोदान जितना फल प्राप्त होता है। 
  • इसके अलावा आप चाहे तो इस दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार 5 या फिर 7 ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं। इसके अलावा उन्हें शक्कर और घी का दान भी कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके सभी पाप दूर होते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन तिल के तेल का दीपक जलाएं और तेल का दान भी करें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 
  • वैशाख पूर्णिमा के व्रत में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन भोजन केवल एक समय ही करें।

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