हिंदू कैलेंडर के अनुसार दूसरा महीना होता है वैशाख का महीना। 2021 में वैशाख का महीना 28 अप्रैल यानी बुधवार से प्रारंभ हो रहा है और यह 25 मई तक चलेगा। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, वैशाख का यह महीना भगवान विष्णु को बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में इस दौरान सही विधि से पूजन आदि करने से भगवान विष्णु की प्रसन्नता बेहद ही जल्द, शीघ्र और आसानी से प्राप्त की जा सकती है। अपने इस विशेष आर्टिकल में आज हम आपको बताएंगे वैशाख का महीना इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है।
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नारद मुनि के अनुसार वैशाख माह का महत्व
ऋषि नारद के अनुसार कार्तिक माह, माघ माह और वैशाख माह सर्वोच्च माह बताए गए हैं। कहा जाता है वैशाख माह में अपने पिछले जन्मों के पाप आदि को बेहद ही आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके अलावा मनचाही मनोकामना पूर्ति के लिए भी वैशाख का यह महीना बेहद ही उपयुक्त माना गया है।
वैशाख माह का महत्व बताते हुए नारद ऋषि कहते हैं कि, यह महीना धर्म, तप, यज्ञ, क्रिया तपस्या आदि के लिए बेहद ही शुभ होता है। यही वजह है कि यह महीना सभी देवताओं द्वारा भी पूज्य माना गया है। वैशाख माह का महत्व इसी बात से जाना जा सकता है कि इस माह को विद्याओं में वेद, देवताओं में भगवान विष्णु, नदियों में गंगा, तेज में सूर्य, पेड़ पौधों में कल्पवृक्ष, धातुओं में सोना और रत्नों में कौस्तुभ मणि के समान माना गया है।
कहा जाता है कि इस महीने स्नान, दान आदि करने से भी व्यक्ति के अनजाने में हुए पाप भी दूर होते हैं।
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वैशाख माह में क्या करें
- वैशाख माह में स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है।
- इसके अलावा इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान परशुराम और देवी की पूजा पाठ करना बेहद ही शुभ होता है।
- वैशाख के महीने में गंगा नदी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना गया है।
- इस महीने गंगा उपासना, मोहिनी एकादशी और अक्षय तृतीया जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार और व्रत आदि मनाये जाते हैं।
- वैशाख के इस महीने में सूर्योदय से पहले उठना, मुमकिन हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करने का, भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
- इसके अलावा इस महीने में मां लक्ष्मी की प्रसन्नता बेहद ही आसानी से हासिल की जा सकती है। आप मां लक्ष्मी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण पूर्वक जप भी कर सकते हैं। इसके अलावा सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना आपके लिए शुभ फलदाई साबित हो सकता है। मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः
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