1 साल बाद सूर्य का मकर में प्रवेश- मेष समेत इन राशियों की लगेगी लॉटरी!

वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना गया है। इसके अलावा बात करें सूर्य के गोचर की तो यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के लिए तकरीबन 1 महीने का समय लगता है। ऐसे में प्रत्येक राशि में दोबारा आने के लिए सूर्य को 1 साल का वक्त लगता है। 

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अब 1 साल बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में अपने इस खास ब्लॉग में आज हम जानेंगे सूर्य के इस महत्वपूर्ण गोचर का सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा, इस गोचर का समय क्या रहने वाला है, सूर्य गोचर को आखिर संक्रांति क्यों कहते हैं और मकर संक्रांति का क्या महत्व होता है। साथ ही कमजोर और बलि सूर्य के प्रभाव और उपाय भी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान करेंगे। 

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तो चलिए बिना देर किए शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर का समय क्या रहने वाला है।

सूर्य गोचर 2024: तिथि और समय 

बात करें सूर्य गोचर की तिथि और समय की सूर्य का मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को होने वाला है। इस दौरान सूर्य  2 बजकर 32 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे।

सूर्य गोचर का महत्व और क्या होती है संक्रांति?

सूर्य जब भी एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है और जिस भी राशि में वह प्रवेश करते हैं संक्रांति उसी नाम से जानी जाती है। ऐसे में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं तो इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। 

सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इससे खरमास प्रारंभ हो जाता है और तब हिंदू धर्म में सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। वहीं इसके विपरीत जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास समाप्त हो जाता है और एक बार फिर सभी रुके हुए मांगलिक कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं।

बात करें सूर्य गोचर के प्रभाव की तो सूर्य का राशि परिवर्तन देश दुनिया के साथ अर्थव्यवस्था, धन और सभी 12 राशियों पर निश्चित रूप से प्रभाव डालते हैं। जहां सूर्य का गोचर कुछ लोगों के लिए अनुकूल साबित होता है तो ववहीं कुछ मोर्चों पर और कुछ राशियों के लिए यह नकारात्मक भी साबित हो सकता है।

मकर संक्रांति महत्व 

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। ऐसे में मकर संक्रांति का आखिर महत्व क्या होता है चलिए इस पर भी एक नज़र डाल लेते हैं। शीत ऋतु के पौष मास में जब सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति के रूप में देश भर में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन दान और स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। 

पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति को देवताओं का दिन बताया गया है। ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन अगर कोई भी व्यक्ति दान करता है तो वह 100 गुना होकर उसे वापस मिल जाता है। इसके अलावा भी मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। माना गया है कि इसी दिन देह त्यागने के लिए भीष्म पितामह ने इस दिन का चयन किया था। अगर इस दिन कोई व्यक्ति शुद्ध घी और कंबल का दान करें तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में मिल गई थी।

क्या यह जानते हैं आप? माना जाता है की कुंभ राशि में सब कुछ जला हुआ था। इस दौरान शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ भी नहीं था तब उन्होंने इन काले तिल से ही सूर्य देव की पूजा की। शनि देव इस पूजा से प्रसन्न हुए और सूर्य देव को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन-धान्य से भर जाएगा। तिल की वजह से ही शनि देव को वैभव दोबारा से प्राप्त हुआ था इसीलिए शनि देव को तिल बेहद ही प्रिया है। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर तिल से सूर्य और शनि देव की पूजा का विधान शुरू हुआ।

कमजोर और बलि सूर्य के प्रभाव और उपाय 

ज्योतिष की जानकार मानते हैं कि जब व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत अवस्था में होता है तो ऐसे व्यक्तियों का मान सम्मान बढ़ता है, उन्हें सरकारी नौकरी का सुख प्राप्त होता है, उनके पिता के साथ उनके रिश्ते अच्छे होते हैं, स्वास्थ्य उत्तम रहता है। 

वहीं इसके विपरीत जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित अवस्था में होता है उन्हें तमाम तरह की परेशानियां भी उठानी पड़ती है जैसे उन्हें शारीरिक रूप द्वेष झेलना पड़ता है, ऐसे व्यक्तियों को दिल और आंख से संबंधित परेशानियां लगी रहती हैं, इन्हें झूठे आरोपों का सामना करना पड़ता है, समाज में मान सम्मान की कमी होने लगती है, पिता के साथ ऐसे लोगों के रिश्ते अच्छे नहीं होते हैं और लाख चाहने के बावजूद उनके धन की हानि बनी रहती है। 

साथ ही सूर्य कमजोर होने से ही कुंडली में पितृ दोष भी लगता है। यही वजह है कि ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकार सूर्य से संबंधित उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए जान लेते हैं। 

  • अगर आपकी कुंडली में भी सूर्य कमजोर अवस्था में है तो रविवार के दिन स्नान करने के बाद लाल वस्त्र पहनें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।  
  • इसके अलावा आप सूर्य के मंत्रों की तीन, पांच या 12 माला का जाप करें। 
  • रविवार के दिन नमक का सेवन छोड़ दें। 
  • मुमकिन हो तो रविवार के दिन व्रत रखना शुरू कर दें। 
  • अगर आपका सूर्य कमजोर है या आपको अपने जीवन में सूर्य के नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते नजर आ रहे हैं तो अपने जीवन में लाल और पीले रंग के वस्त्र शामिल करें। 
  • गुड, सोना, तांबा, माणिक, गेहूं आदि का दान करें। 
  • इसके अलावा माणिक रत्न धारण करने से सूर्य ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। हालांकि कोई भी रत्न धारण करने से पहले विद्वान ज्योतिषियों से एक बार परामर्श अवश्य ले लें।
  • इसके अलावा आप चाहें तो तांबा, लाल या सूर्यकांत मणि भी धारण कर सकते हैं। इससे भी सूर्य मजबूत होते हैं। 
  • भगवान सूर्य की स्तुति करने के लिए आप आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। इससे भी आपको सूर्य से संबंधित शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। 
  • पिता का सम्मान करें। उनकी बातों को तवज्जो दें और कहीं भी जाने से पहले उनके चरण अवश्य छूएँ।

इस महीने का अगला गोचर: बात करें इस महीने के अगले गोचर की तो जनवरी 2024 में अगला गोचर मंगल का होने वाला है। इस दौरान 16 जनवरी, 2024 को मंगल का धनु राशि में उदय होगा। मंगल उदय का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा अगर आप भी जानने के इच्छुक हैं तो एस्ट्रोसेज के साथ बने रहें। हम इससे संबंधित ब्लॉग लेकर जल्द ही आपके सामने पेश होंगे।

सूर्य गोचर 2024: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय  

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव के स्वामी के रूप में दशम भाव में स्थित होने वाला है। सूर्य का मकर राशि में गोचर ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होकर नवम भाव में स्थित रहेगा। सूर्य का मकर राशि में गोचर….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे घर का स्वामी है और इस दौरान आपके अष्टम भाव में….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे घर का स्वामी है और इस दौरान आपके सातवें घर में ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रथम भाव का स्वामी है और इस दौरान छठे भाव में स्थित….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें घर का स्वामी होकर पांचवे घर में स्थित रहने वाला है। सूर्य का मकर राशि में गोचर के….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें घर का स्वामी होकर चौथे घर में स्थित….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य दसवें घर का स्वामी है और इस दौरान आपके तीसरे घर में स्थित ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नवम घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके दूसरे घर में स्थित….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आठवें घर का स्वामी होकर पहले घर में स्थित….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

कुम्भ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें घर का स्वामी है और इस दौरान आपके बारहवें घर में स्थित ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके ग्यारहवें भाव में स्थित ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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