10 जून के सूर्य ग्रहण का देश-दुनिया पर प्रभाव और राशिनुसार मंत्र

सूर्य ग्रहण वास्तव में एक खगोलीय घटना है, जो आज के समय में लगभग हर किसी व्यक्ति के लिए कौतूहल का विषय रहती है। सभी लोग सूर्य ग्रहण को देखना चाहते हैं जबकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एक अनुकूल और शुभ समय नहीं होता है। कुछ लोग सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखते हैं जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी जाने की भी संभावना होती है इसलिए आपको इस तरह की गतिविधियों से बचना चाहिए। आज इस लेख में हम आपको 10 जून 2021 को लगने वाले सूर्य ग्रहण के बारे में और उसके प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे।

This image has an empty alt attribute; its file name is vedic-hi-1.gif

10 जून 2021 का सूर्य ग्रहण

  • वर्ष 2021 का यह पहला सूर्य ग्रहण होगा।
  • यह पूर्ण सूर्यग्रहण ना होकर वलयाकार सूर्यग्रहण होगा जिसे रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और इस कारण भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

वलयाकार सूर्य ग्रहण कब और कहां

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि यह ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा। यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा, जो भारतीय समय के अनुसार विक्रम संवत 2078 ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को गुरुवार के दिन दोपहर 1:42 से सायंकाल 6:41 तक प्रभावी रहेगा। यह ग्रहण वृषभ राशि में आकार लेगा।

यह सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्यग्रहण होगा जो भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन विश्व के अन्य कई क्षेत्रों में दिखाई देगा जिनमें बेलारूस, कनाडा, फिनलैंड, आयरलैंड, आइसलैंड, लातविया, स्लोवाकिया, रूस, मोरक्को, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, चीन, फ्रांस, ग्रीनलैंड, जर्मनी, किर्गिस्तान, नॉर्वे, नीदरलैंड, पोलैंड, रोमानिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, स्वीडन, तुर्कमेनिस्तान, इंग्लैंड, अमेरिका, यूक्रेन, उज़्बेकिस्तान, आदि क्षेत्र प्रमुख रूप से आते हैं, जहां पर इस ग्रहण को आसानी से देखा जा सकता है।

सूर्य ग्रहण के साथ विशेष संयोग

10 जून 2021 का सूर्य ग्रहण एक विशेष संयोग में आ रहा है। इस दिन शनि जयंती अर्थात शनि अमावस्या भी है जो सूर्य देव के पुत्र शनि देव के जन्म का दिन है। इसी के साथ इस दिन वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है जो कि सभी सुहागन स्त्रियों का एक प्रमुख त्योहार है। इस त्यौहार को वह अपने पति की दीर्घायु की कामना से रखती हैं। ग्रहण काल में पूजा पाठ करना निषेध माना जाता है लेकिन भारत वर्ष में यह ग्रहण दृश्यमान ना होने के कारण यहां पर किसी प्रकार का सूतक मान्य नहीं होगा। इस कारण यहां पर पूजा अर्चना विधिवत रूप से की जा सकती है। इस दिन शनि देव की पूजा विशेष रूप से फल दायक रहेगी और शनि देव के साथ ही सूर्य देव का वंदन करना भी विशेष फलदायी रहेगा।

सूर्य ग्रहण के समय ज्योतिषीय स्थिति

  • 10 जून 2021 का सूर्य ग्रहण जिस समय अपना आकार लेगा, उस समय आकाश मंडल में सूर्य देव तो राहु केतु के प्रभाव में होंगे ही लेकिन उनके साथ चंद्रमा और बुध भी उपस्थित होंगे। 
  • इसके अतिरिक्त किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि उन पर नहीं होगी। 
  • शनि और मंगल समसप्तक योग में होंगे, बृहस्पति कुंभ राशि में और शुक्र देव मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे।
  • ग्रहण काल में सूर्य देव मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण में स्थित होंगे और उनके साथ चंद्रमा और बुध भी इसी नक्षत्र में स्थित होंगे। यह मंगल के आधिपत्य वाला नक्षत्र है। ग्रहों और नक्षत्रों का यह योग देश और दुनिया पर विभिन्न प्रकार के असर दिखाएगा। 

दिलचस्प वीडियो और पोस्ट के लिए एस्ट्रोसेज इंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें! एक नजर आज की खास पोस्ट पर:

सूर्य ग्रहण का विश्व पटल पर प्रभाव 

सूर्य देव को जगत की आत्मा कहा जाता है और यह आरोग्य के कारक ग्रह भी हैं इसलिए सूरज देव का ग्रसित होना किसी भी दृष्टिकोण से ज्यादा अनुकूल नहीं है। विशेष रुप से संसार में जो इस समय कोरोनावायरस जैसी महामारी ने अपनी जड़ फैलाई हुई है, ऐसे में आरोग्य के कारक सूर्य देव का ग्रसित होना और शनि मंगल का समसप्तक होना इस बीमारी को एक बार पुनः वृद्धि प्रदान कर सकता है। विशेष रूप से ऐसे देश जो वृषभ राशि के अंतर्गत आते हैं, उन्हें ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होगी।

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को बहुत अधिक मान्यता दी जाती है लेकिन यह भी कहा जाता है कि जहां यह ग्रहण मान्य नहीं होता अर्थात दिखाई नहीं देता, वहां इसका प्रभाव भी नहीं माना जाता है। इस कारण भारत में यह ग्रहण दिखाई ना देने के कारण भारत के ऊपर इसका कोई प्रत्यक्ष प्रभाव पढ़ना संभव नहीं है लेकिन विश्व में दृष्टिगोचर होने के कारण विश्व के अन्य देशों पर इसका प्रभाव साफ तौर पर देखा जा सकेगा जिसमें भारत का पड़ोसी देश चीन भी शामिल है और विश्व की महाशक्ति अमेरिका भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा। जब इन सभी देशों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा तो उसका अप्रत्यक्ष प्रभाव भारत पर भी आएगा।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सूर्य ग्रहण का व्यापक प्रभाव अनेक देशों पर पड़ेगा और इस समय जहां कई देशों के मध्य युद्ध की स्थिति जन्म ले सकती है तो वहीं महामारी भी पुनरावृत्ति कर सकती है। ऐसी स्थिति में महामारी और उसके बाद के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कमर कसकर तैयार रहना चाहिए। 

वृषभ राशि पृथ्वी तत्व की राशि है और यह शुक्र के आधिपत्य में आती है। ऐसी स्थिति में धरती और जल से संबंधित समस्याएं अधिक हो सकती हैं अर्थात भूकंप आने की संभावना भी रहेगी। इस ग्रहण के प्रभाव से समुद्र में भूकंप और सुनामी आने तथा धरती पर भी भूकंप आने की संभावना रहेगी। समुद्र के किनारे बसे क्षेत्रों में जलस्तर बढ़ने से भी समस्या हो सकती है। सूर्य ग्रहण के समय शनि मंगल का समसप्तक योग भी देशों के मध्य आपसी तनाव को और बढ़ाने का काम करेगा और युद्ध की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का समय होगा। एक दूसरे के प्रति वाक युद्ध भी बहुत होंगे।

यह सूर्य ग्रहण अमेरिका और अन्य देशों की चीन के साथ समस्याओं को और बढ़ाने वाला साबित होगा। हालांकि चीन को इसका दुष्प्रभाव ही झेलना पड़ेगा और उसके नागरिकों को स्वास्थ्य समस्याओं के साथ चीन के खर्चों में भी इतनी बढ़ोतरी होगी कि उसे अपनी आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए अनेकानेक प्रयास करने पड़ेंगे।

चीन अपनी नाकामी छुपाने के लिए भारत को उकसावे की नीति से दबाने की कोशिश कर सकता है और ऐसे में सीमा रेखा पर उसकी गतिविधियां बढ़ सकती हैं। इसमें वह अपने कुछ मित्र देशों का साथ भी लेगा लेकिन उसका एक अन्य मित्र रूस इससे अलग रहेगा।

भारत की छवि का विस्तार होगा और कुछ अन्य देश भी भारत की प्रभुता और अखंडता में विश्वास जताते हुए भारत का साथ देंगे। यह समय संचार क्षेत्र में कुछ बड़े बदलाव लेकर आएगा। 

अमेरिका और रूस के बीच कभी समझौता और कभी खटास की स्थिति बन सकती है। भारत के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर सकता है। 

इस ग्रहण के प्रभाव से संचार के साधनों पर भी प्रभाव पड़ेगा और अंतरिक्ष में भी सेटेलाइट भेजने की एक होड़ लगेगी, जिसमें कुछ देशों को नाकामी हासिल होगी। शेयर मार्केट पर भी तीक्ष्ण प्रभाव पड़ेगा और गेहूं धान और अन्य अनाजों के दामों में वृद्धि हो सकती है।

यदि आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो यह ग्रहण जिन देशों में देखा जाएगा, वहां की आर्थिक, भौगोलिक और सामरिक स्थिति पर खास प्रभाव डालेगा और वर्तमान समय में कोरोना महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्थाओं पर और मार पड़ेगी और महंगाई बढ़ेगी। विश्व पटल पर अर्थव्यवस्था के बिगड़ने से इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा और यहां पर भी महंगाई में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।

जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान जानने के लिए हमारे विद्वान ज्योतिषियों से अभी करें फोन पर बात

सूर्य ग्रहण के दौरान किए जाने वाले राशिगत उपाय 

प्रत्येक व्यक्ति के लिए सूर्य एक प्रमुख ग्रह है क्योंकि यही हमारे प्राण अर्थात हमारी आत्मा हैं, इसलिए सूर्य ग्रहण के समय विभिन्न राशि के लोगों को कुछ खास उपाय और मंत्र जाप करना चाहिए आइए जानते हैं, आपकी राशि के लिए क्या करना अनुकूल फल प्रदान करने वाला होगा:

ये उपाय चंद्र राशि पर आधारित हैं। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें  चंद्र राशि कैल्कुलेटर 

मेष राशि 

आपको ग्रहण काल में सूर्य देव के मंत्र ॐ अचिंताय नम:। का यथाशक्ति जाप करना चाहिए और ग्रहण काल के उपरांत नारंगी रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

वृषभ राशि 

वृषभ राशि में ग्रहण होने के कारण आप को विशेष रूप से सूर्य देव के ॐ अरुणाय नम:। मंत्र का जाप करना चाहिए और सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातक ॐ आदि-भूताय नम:। मंत्र से सूर्य देव को प्रसन्न करने का प्रयास करें और ग्रहण काल में गेहूं का दान करें।

कर्क राशि 

कर्क राशि के लोगों को सूर्य देव की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए ॐ वसुप्रदाय नम:। मंत्र का जाप करना चाहिए और इसके साथ ही भगवान शिव के मंत्र का जाप भी करना चाहिए।

जानें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता – हेल्थ इंडेक्स कैलकुलेटर

सिंह राशि 

सूर्य देव आपकी राशि के स्वामी हैं इसलिए आपको ॐ भानवे नम:। का जाप करते हुए सूरज देव को मनाने की कोशिश करनी चाहिए और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

कन्या राशि 

जो लोग कन्या राशि में जन्मे हैं उन्हें सूर्य देव को ॐ भानवे नम:। मंत्र के जाप से प्रसन्न करना चाहिए और पीले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

तुला राशि 

तुला राशि के लोगों को सूर्य देव के विशेष मंत्र ॐ इंद्राय नम:। का यथाशक्ति जाप करना चाहिए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों को ॐ आदित्याय नम:। मंत्र के जाप से सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहिए और अपने गले में तांबे का सूर्य धारण करना चाहिए।

धनु राशि 

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए धनु राशि के लोगों को ॐ शर्वाय नम:। मंत्र का जाप करना चाहिए और सूर्य स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

ये भी पढ़ें : शनिवार के दिन भूल से भी किया इन वस्तुओं का दान

मकर राशि 

जो लोग मकर राशि में जन्मे हैं, उन्हें सूर्य देव के मंत्र ॐ सहस्त्र किरणाय नम:। का जाप करना चाहिए और ग्रहण के उपरांत शनि देव के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

कुंभ राशि 

कुंभ राशि वाले जातकों को ॐ ब्रह्मणे दिवाकर नम:। मंत्र का जाप करके सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए और ग्रहण काल के उपरांत शनि मंदिर जाकर शनिदेव की विधिवत अर्चना करनी चाहिए।

मीन राशि

मीन राशि में जन्म लेने वाले लोगों को सूर्य देव के मंत्र ॐ जयिने नम:। का जाप करना चाहिए और परिवार के बुजुर्गों का सम्मान करते हुए पीले रंग का एक धागा अपनी कलाई पर बांधना चाहिए।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *