शुक्र का तुला राशि में गोचर: शुक्र देव को ज्योतिष में प्रेम, भोग-विलास, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि, वैवाहिक जीवन और विलासिता का कारक ग्रह माना गया है। यह मनुष्य जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं इसलिए इनका हर व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह बलवान होते हैं, उन्हें जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। सरल शब्दों में कहें, तो शुक्र देव न सिर्फ़ ज्योतिष में बल्कि मनुष्य जीवन के लिए भी अत्यधिक महत्व रखते हैं क्योंकि इनकी स्थिति, चाल, दशा और राशि में होने वाला प्रत्येक बदलाव विश्व समेत सभी राशियों को भी प्रभावित करता है।
ऐसे में, अब जल्द ही शुक्र का तुला राशि में गोचर होने जा रहा है और यहाँ हम आपको इसकी समस्त जानकारी प्रदान करेंगे जैसे कि तिथि, समय आदि।
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जैसे कि हमने आपको ऊपर बताया है कि शुक्र महाराज का गोचर तुला राशि में होने जा रहा है और ऐसे में, इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संसार पर प्रभाव पड़ेगा। इस प्रकार, शुक्र का यह गोचर किन राशियों के लिए वरदान साबित होगा और किनके जीवन में बढ़ेंगी समस्याएं? जातकों के प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिए शुक्र का यह गोचर रहेगा शुभ? इनके दुष्प्रभावों से आप कैसे बच सकते हैं? साथ ही, शुक्र का यह गोचर क्यों है ख़ास? इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
शुक्र का तुला राशि में गोचर: तिथि व समय
बात करें शुक्र गोचर की, तो प्रेम और ऐश्वर्य के ग्रह शुक्र देव का गोचर लगभग हर महीने होता है जो एक राशि में तक़रीबन 30 दिनों तक रहते हैं और उसके बाद एक राशि से दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं। इसी क्रम में, शुक्र देव 02 नवंबर 2025 की दोपहर 01 बजकर 05 मिनट पर तुला राशि में गोचर करेंगे।
बता दें कि शुक्र ग्रह का यह गोचर बेहद ख़ास रहेगा क्योंकि इस गोचर के दौरान शुक्र महाराज अपने स्वामित्व वाली राशि तुला में होने जा रहा है। ऐसे में, तुला राशि में शुक्र का गोचर कुछ राशियों के लिए फलदायी कहा जाएगा क्योंकि इस दौरान शुक्र देव ग्रहों के साथ युति भी करेंगे।
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शुक्र का तुला राशि में गोचर: शुक्र-सूर्य की युति
ज्योतिष की दुनिया में जब कभी कोई ग्रह अपनी चाल, स्थिति और राशि में बदलाव करता है, तो कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। साथ ही, हर गोचर से अनेक युतियां भी निर्मित होती हैं। बात करें शुक्र ग्रह की, तो जब तुला राशि में शुक्र देव प्रवेश करेंगे, उस समय वहां पहले से सूर्य देव मौजूद होंगे। ऐसे में, तुला राशि में सूर्य और शुक्र युति करेंगे जिसका प्रभाव नकारात्मक रूप से संसार पर नज़र आएगा क्योंकि यह दोनों ग्रह एक-दूसरे के शत्रु माने गए हैं। बता दें कि सूर्य देव 16 नवंबर 2025 तक तुला राशि में रहेंगे। आइए अब जान लेते हैं शुक्र ग्रह का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व।
शुक्र ग्रह का ज्योतिषीय महत्व
- ज्योतिष में शुक्र देव सबसे चमकीला ग्रह है इसलिए इसे आसमान में अक्सर साफ देखा जा सकता है।
- बता दें कि जिन महिलाओं और पुरुषों पर शुक्र ग्रह का स्वामित्व होता है, वह स्वभाव से बेहद दयालु और सामाजिक होते हैं।
- वहीं, अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमज़ोर या अशुभ अवस्था में होता है, तो उन्हें पारिवारिक जीवन में कठिनाइयों, प्रेम जीवन में समस्याओं और धन के कारण दोस्तों के साथ परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- शुक्र ग्रह सभी 12 राशियों में वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं। साथ ही, किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र देव दूसरे और सातवें भाव को नियंत्रित करते हैं।
- प्रत्येक व्यक्ति के विवाह, सुखी वैवाहिक जीवन और पत्नी के लिए शुक्र ग्रह की स्थिति विशेष मायने रखती है।
- ज्योतिष में शुक्र ग्रह के मित्र शनि, बुध और राहु ग्रह को माना जाता है जबकि यह चंद्रमा, सूर्य और मंगल से शत्रुता के भाव रखते हैं।
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धार्मिक दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
- शुक्र ग्रह को सिर्फ ज्योतिषीय दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, बल्कि इन्हें सनातन धर्म में भी विशेष स्थान दिया गया है।
- शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि शुक्र महाराज को शुक्राचार्य के नाम से जाना जाता है जो असुरों के गुरु माने गए हैं।
- भागवत पुराण में शुक्र देव को लेकर वर्णन मिलता है कि शुक्र ग्रह के पिता महर्षि भृगु हैं। वहीं, इन्हें धन की देवी माता लक्ष्मी का भी स्वरूप माना जाता है।
- ऐसे में, जो जातक शुक्र देव को प्रसन्न करके व्यापार में धन लाभ और वृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए शुक्रवार के दिन व्रत रखना और माता लक्ष्मी की पूजा करना कल्याणकारी होता है।
- बता दें कि सप्ताह में शुक्र महाराज को शुक्रवार का दिन समर्पित होता है।
आइए अब आपको अवगत करवाते हैं कुंडली में शुक्र ग्रह के शुभ और अशुभ होने पर मिलने वाले संकेतों से।
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शुक्र ग्रह के मज़बूत होने के संकेत
- यदि व्यक्ति के जीवन में अचानक से भौतिक सुखों में वृद्धि होने लगती है, तो इसे शुक्र ग्रह के मज़बूत होने का संकेत माना जाता है।
- कुंडली में शुक्र के शुभ होने पर जातक का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक और सुंदर होता है।
- शुक्र देव के बलवान होने पर व्यक्ति आत्मविश्वास से पूर्ण होता है और लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय होता है।
- मज़बूत शुक्र वाले जातकों का संबंध कला और मनोरंजन से होता है और वह इन क्षेत्रों में कामयाबी प्राप्त करता है।
- जिन जातकों की कुंडली में शुक्र का प्रभाव शुभ होता है, उनकी छवि समाज में काफ़ी मज़बूत होती है। साथ ही, उन्हें ख़ूब मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
- शुक्र देव की कृपा से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलने लगती है।
शुक्र ग्रह के कमज़ोर होने के संकेत
- कुंडली में शुक्र ग्रह का अशुभ प्रभाव होने से स्वास्थ्य समस्याओं और रोगों का सामना करना पड़ता है।
- शुक्र के निर्बल होने के कारण आपको संतान सुख प्राप्ति की राह में समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
- जिन लोगों की कुंडली में शुक्र महाराज नकारात्मक अवस्था में होते हैं, उनके जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं का अभाव सदैव बना रहता है।
- अगर आपकी कुंडली में शुक्र देव अशुभ स्थिति में होते हैं, तो आपका झुकाव धार्मिक कार्यों में बढ़ने लगता है और आपका विलासिता से मोह भंग हो सकता है।
चलिए अब नज़र डालते हैं और जान लेते हैं शुक्र ग्रह से बचने के उपायों पर।
शुक्र का तुला राशि में गोचर के दौरान करें ये उपाय
- शुक्र देव को बलवान करने के लिए शुक्रवार के दिन व्रत करें और इस दिन सफेद वस्तुओं जैसे दही और चीनी आदि का दान करें।
- शुक्र देव से शुभ फल प्राप्त करने के लिए सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति को मज़बूत करने के लिए नियमित रूप से “शुं शुक्राय नम:” का 108 बार जाप करें।
- ज्योतिष में शुक्र देव का रत्न हीरा माना गया है और ऐसे में, कुंडली में शुक्र ग्रह की शुभता के लिए हीरा धारण करें। हालांकि, ऐसा करने से पहले आपको किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।
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शुक्र का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का तुला… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र पहले और छठे भाव के स्वामी हैं। शुक्र का… (विस्तार से पढ़ें)
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मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र पांचवें और छठे दोनों भाव के स्वामी हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
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कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र चौथे और ग्यारहवें भावों के स्वामी हैं और शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
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सिंह राशि के जातकों के लिए शुक्र तीसरे और दसवें भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र पहले और आठवें भावों के स्वामी हैं… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुक्र सातवें और बारहवें भाव के … (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए शुक्र छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
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मकर राशि के जातकों के लिए शुक्र पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शुक्र देव का तुला राशि में गोचर 02 नवंबर 2025 को होगा।
राशि चक्र में तुला राशि के अधिपति देव शुक्र हैं।
ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह एक राशि में लगभग 30 दिन तक रहते हैं।