शुक्र का कुंभ राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव को प्रेम, विलासिता, और भौतिक सुख का कारक ग्रह माना जाता है इसलिए मनुष्य जीवन पर इनका प्रभाव बेहद गहरा होता है। बात करें शुक्र ग्रह के नाम की तो, पौराणिक कथाओं के अनुसार, शुक्र ग्रह के नाम की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है। ऐसा कहा जाता है कि यह सप्तर्षियों में से एक ऋषि भृगु के पुत्र थे। अब शुक्र महाराज जल्द ही कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष लेख आपको “शुक्र का कुंभ राशि में गोचर” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि। साथ ही, सभी 12 राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव और इनसे बचने के उपायों से भी आपको अवगत करवाएंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शुक्र गोचर के बारे में सब कुछ।
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शुक्र गोचर के बारे में विस्तार से जानने से पहले हम आपको शुक्र से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो, शुक्र देव को भगवान शिव की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त हैं जो कि स्त्री स्वभाव का ग्रह है। सामान्य शब्दों में कहें तो शुक्र महाराज स्त्रियों में सुंदरता और आकर्षण को बढ़ाते हैं। अब यह शनि देव की राशि कुंभ में शुक्र गोचर करने जा रहे हैं और इस राशि का संबंध पहेली और सुधार से माना जाता है।
शुक्र का कुंभ राशि में गोचर: तिथि और समय
प्रेम और विलासिता के ग्रह के नाम से विख्यात शुक्र ग्रह 28 दिसंबर 2024 की रात 11 बजकर 28 मिनट पर शनि देव की राशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, यह सभी राशियों के जातकों के साथ-साथ देश-दुनिया में कुछ बड़े बदलाव लेकर आ सकते हैं। बता दें कि कुंभ राशि के चौथे और नौवें भाव को शुक्र ग्रह नियंत्रित करते हैं। ऐसे में, शनि और शुक्र मिलकर कैसे करेंगे आपको प्रभावित? आइए जानते हैं।
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शुक्र और शनि करेंगे कुंभ राशि में युति
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि शुक्र देव का आशीर्वाद व्यक्ति को ऐश्वर्यपूर्ण जीवन देता है जबकि शनि महाराज की कृपा व्यक्ति को रंक से राजा बनाती है। ऐसे में, जब यह दोनों ग्रह एकसाथ आएंगे, तो इनकी युति दुनिया में बड़े परिवर्तन लेकर आ सकती है। बता दें कि शनि महाराज वर्ष 2023 से अपनी राशि कुंभ में विराजमान हैं और अब इस राशि में शुक्र ग्रह 28 दिसंबर 2024 को गोचर करने जा रहे हैं। इस प्रकार, न्याय के देवता शनि और प्रेम के कारक एक महीने तक एक साथ रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र को शनि देव के परम मित्र माना जाता है।
कुंभ राशि में शुक्र का प्रभाव
राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि कुंभ में शुक्र देव की उपस्थिति जातक को वैभव, रचनात्मकता और धन-समृद्धि प्रदान करती है। साथ ही, व्यक्ति को आशावादी बनाने का काम करती है। अगर हम बात करें कुंभ राशि में शुक्र के तहत जन्मे लोगों में पाए जाने वाले अवगुणों की, तो ऐसे जातक उत्तेजित जल्द हो जाते हैं और किसी की आज्ञा नहीं मानते हैं। शुक्र ग्रह के प्रभाव से यह लोग अपने दिल पर बात आने पर पारंपरिक मार्ग पर चलना पसंद नहीं करते हैं।
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हालांकि, ऐसे जातक जिनकी जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह कुंभ राशि में बैठे होते हैं, उन लोगों का झुकाव विपरीत लिंग या फिर अनैतिक संबंधों में होता है। हालांकि, यह लोग अपने जीवन में कुछ नियमों का निर्माण करते हैं, लेकिन खुद उन नियमों का पालन करने से परहेज़ करते हैं। अब शुक्र का गोचर कुंभ राशि में होने पर यह जातक बुद्धिमान लोगों की सराहना करते हुए नज़र आएंगे। चलिए अब बात करते हैं शुक्र के ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व की।
शुक्र ज्योतिष और विज्ञान की दृष्टि में
ज्योतिष में शुक्र ग्रह को शुभ एवं लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। यह कुंडली में दूसरे और सातवें भाव को नियंत्रित करते हैं। शुक्र ग्रह लगभग 27 दिनों तक एक राशि में रहते हैं और इसके बाद, एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। वहीं, सभी 27 नक्षत्रों में इन्हें पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा और भरणी नक्षत्र पर आधिपत्य प्राप्त हैं। बता दें कि नवग्रहों में शनि और बुध को शुक्र का मित्र माना जाता है जबकि यह चंद्रमा और सूर्य से शत्रुता का भाव रखते है। यह मीन राशि में उच्च के होते हैं और कन्या इनकी नीच राशि है। शुक्र महाराज का संबंध देवी लक्ष्मी से भी माना जाता है।
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विज्ञान में पृथ्वी और शुक्र को जुड़वां बहनों के नाम से जाना जाता है जिसकी वजह इन दोनों ग्रहों का एक जैसा आकार और बनावट है। साथ ही, इन दोनों में कई समानताएं मौजूद हैं। धरती के समान ही शुक्र पर भी चट्टान की मजबूत सतह बनी हुई है और शुक्र के वायुमंडल में भी कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड मौजूद हैं। शुक्र का तापमान काफ़ी ज्यादा होने की वजह से ही इसे सबसे ज्यादा गर्म ग्रह माना गया है। शायद यह बात आपको हैरान कर सकती है कि शुक्र पर एक नहीं अनेक ज्वालामुखी हैं। शुक्र ग्रह के बारे में विस्तार से जानने के बाद अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शुक्र को प्रसन्न करने के उपाय।
शुक्र का कुंभ राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपायों
- कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत एवं शुभ बनाने के लिए सफ़ेद वस्त्र ज्यादा से ज्यादा धारण करें क्योंकि यह शुक्र का प्रिय रंग है।
- शुक्र ग्रह के मंत्र “ ॐ द्रां द्रीं सः शुक्राय नमः” का नियमित रूप से जाप करें।
- शुक्र ग्रह से शुभ परिणामों को प्राप्त करने के लिए शुक्रवार के दिन सफेद रंग की वस्तुओं जैसे चीनी, दही, दूध आदि का दान करें।
- घर में शुक्र यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से इसकी पूजा करें।
- शुक्रवार को शरीर पर चंदन का लेप लगाना फलदायी साबित होता है।
- कमजोर शुक्र को बलवान बनाने के लिए छह या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- संभव हो, तो चांदी धारण करें।
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शुक्र का कुंभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र महाराज आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। अब … (विस्तार से पढ़ें)
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वृषभ राशि वालों के लिए शुक्र देव आपके लग्न और छठे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ें)
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मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र महाराज आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह… (विस्तार से पढ़ें)
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कर्क राशि वालों के लिए शुक्र सकारात्मक ग्रह है जो आपके चौथे और ग्यारहवें भाव… (विस्तार से पढ़ें)
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सिंह राशि के जातकों के लिए शुक्र देव आपके तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें)
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शुक्र ग्रह के लिए कन्या मित्र राशि मानी जाती है। इस राशि के जातकों के लिए शुक्र देव आपके धन… (विस्तार से पढ़ें)
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धनु राशि के जातकों के लिए शुक्र ग्रह आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए के लिए शुक्र देव एक योगकारक ग्रह होने के साथ-साथ आपकी कुंडली… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
शुक्र महाराज कुंभ राशि के जातकों के लिए भी योगकारक ग्रह हैं और आपके चौथे और नौवें भाव… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
ज्योतिष के अनुसार, शुक्र देव की उच्च राशि मीन है। मीन राशि वालों के लिए शुक्र ग्रह तीसरे और… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नहीं, ज्योतिष में शुक्र और शनि को एक-दूसरे का परम मित्र माना गया है।
ज्योतिष में शुक्र देव को प्रेम, ऐश्वर्य और विलासिता का कारक ग्रह कहा गया है।
राशि चक्र में शनि देव को मकर और कुंभ राशि पर स्वामित्व प्राप्त है।