सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। चूंकि यह श्रावण मास में पड़ती है इसलिए इसे श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। इस मास की अमावस्या को पितरों की तृप्ति पूजा पाठ, पिंडदान और वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है। इसके अलावा, श्रावण मास में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर के लिए इस व्रत को रखती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसके अलावा सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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ख़ास बात यह है कि इस बार श्रावण अमावस्या पर ख़ास योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं श्रावण अमावस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
श्रावण अमावस्या 2024: तिथि व समय
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या सामान्य रूप से जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। सावन का महीना हिन्दुओं के लिए अनेक पर्वों एवं त्योहारों को लेकर आता है।
श्रावण अमावस्या मुहूर्त
श्रावण अमावस्या की तिथि: 04 अगस्त 2024, रविवार
अमावस्या तिथि का आरंभ: 03 अगस्त 2024 की दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से
अमावस्या तिथि की समाप्ति: 04 अगस्त 2024 की दोपहर 04 बजकर 45 मिनट तक
शुभ योग
बता दें कि इस दिन बेहद शुभ योग सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। यह इस योग में किए गए कार्य का परिणाम शुभ होता है। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ साबित होगा।
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श्रावण अमावस्या का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, श्रावण अमावस्या के दिन स्नान-दान और तर्पण इत्यादि के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की उपासना करने से सभी प्रकार की नकारात्मक दूर हो जाती है । साथ ही, इस पावन दिन पर पितरों का तर्पण आदि शुभ कर्म करने से पितृ दोष का भय भी दूर हो जाता है।
इसके अलावा, इस दिन पवित्र नदी में स्नान आदि करने के बाद दान करने का भी अपना विशेष महत्व है और इस दिन पेड़-पौधे लगाना भी शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या यानी श्रावण अमावस्या के दिन मुख्य रूप से पीपल और तुलसी की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए और जल चढ़ाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और वे अपना आशीर्वाद देते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन दैव पौधे जैसे पीपल, नीम, केला, बरगद, तुलसी, आंवला आदि लगाने फलदायी माना जाता है।
श्रावण अमावस्या की पूजा विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने जाए। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करना काफी शुभ माना जाता है।
- स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें और घर के मंदिर में घी का दीप प्रज्वलित करें और फिर सूर्य देव को जल दें। यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करें। साथ ही, माता पार्वती का पूरा श्रृंगार करें।
- यह दिन अपने पितर से संबंधित कार्य करने के लिए अच्छा होता है इसलिए पितरों के निमित्त तर्पण और दान जरूर करें।
- इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें और पूजा भक्ति में समय व्यतीत करें।
- आप इस पावन दिन रुद्राभिषेक करवाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपनी विशेष कृपा प्रदान करते हैं।
- इस दिन रात में जागरण करें और शिव पुराण का पाठ करें।
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हरियाली अमावस्या पर भूलकर भी न करें ये काम
- श्रावण मास की हरियाली अमावस्या का संबंध प्रकृति से जुड़ा है इसलिए इस दिन भूलकर भी कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे प्रकृति को कोई नुकसान पहुंचे। विशेष रूप से इस दिन पेड़-पौधों काटने से बचना चाहिए।
- हरियाली अमावस्या के दिन पितरों से जुड़े सभी कार्य करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है, ऐसे में भूलकर भी पितरों की बुराई न करें या फिर उनको कोसने की गलती न करें। हो सके तो उनके सम्मान में अच्छे शब्द बोलें।
- हरियाली अमावस्या के दिन अशुभ फलों से बचने के लिए मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- इस दिन बाल और नाखून न काटें। साथ ही, इस दिन सुहागन महिलाओं को बाल नहीं धोना चाहिए। मान्यता है इससे घर में दरिद्रता आती है और क्लेश बढ़ता है।
हरियाली अमावस्या पर जरूर करें ये काम
- अमावस्या के दिन स्नान-दान, जप-तप आदि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। ऐसे में, इस विशेष दिन गंगा तट या किसी अन्य तीर्थ पर स्नान और इच्छानुसार दान अवश्य करें।
- श्रावण अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण करें या उनके लिए पिंडदान आदि करें। ऐसा करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इस अमावस्या वाले दिन पीपल की पूजा करने और उसकी जड़ में जल चढ़ाने से साधक को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
- इसके अलावा, इस दिन पेड़ लगाना भी शुभ माना जाता है।
- श्रावण मास की अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही दूध में काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
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हरियाली अमावस्या की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक प्रतापी राजा था। उनके साथ उनका बेटा और एक बहू थे। एक दिन बहू ने चोरी से छिपाकर मिठाई खा लिया और नाम चूहे का लगा दिया। जिसकी वजह से चूहे को बहुत गुस्सा आ गया और उसने मन ही मन निश्चय किया कि जल्द ही असली चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा। एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आ गए। सभी मेहमान राजा के कमरे में सोये हुए थे। गुस्से में तिलमिलाए चूहे ने रानी की साड़ी ले जाकर उस कमरे में रख दिया। जब सुबह मेहमान की आंखें खुली और उन्होंने रानी का कपड़ा देखा तो हैरान रह गए। जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी बहू को महल से बाहर निकाल दिया।
महल से निकलते ही रानी पूजा पाठ में लग गई और रोज शाम में दीपक जलाती व ज्वार उगाने का काम करती थी। प्रसाद के रूप में रानी गुड धानी लोगों में वितरित करती थी। एक दिन राजा उसी रास्ते के सामने से निकल रहे थे तभी उनकी नजर उन दीपक पर पड़ी। राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देखकर आओ वहां क्या चमत्कारी चीज थी। सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे गए। उन्होंने वहां देखा कि दीये आपस में बात कर रही थी। सभी अपनी-अपनी कहानी बता रही थीं। तभी एक शांत से दीये से सभी ने दीपकों ने सवाल किया कि तुम शांत क्यों हों अपनी कहानी बताओ। दीये ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि वह रानी का दीया है। उसने आगे बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरे में रखा दिया था और बेकसूर रानी को महल से निकाल दिया गया और जो पाप उसने किया भी नहीं उसकी सजा वह भुगत रही है। सैनिकों ने यह सुनते ही सारी बात तुरंत राजा को बताई। जिसके बाद राजा को अपनी गलती का पछतावा हुआ और उसने रानी को वापस महल बुलवा लिया और इसके बाद रानी खुशी-खुशी परिवार के साथ मिलकर राजमहल में रहने लगी।
हरियाली अमावस्या पर जरूर करें ये ख़ास उपाय
हरियाली अमावस्या पर यदि आप भी जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस दिन नीचे दिए गए कुछ विशेष उपाय को अवश्य करें। आइए जानते हैं इन उपाय के बारे में…
पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए
हरियाली अमावस्या यानी श्रावण अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करें, जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद घर पर मालपुआ बनाए और पांच तरह की मिठाई के साथ पेड़ के नीचे रखें।फिर धूप-दीप से पूजा करके 7 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
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कालसर्प दोष दूर करने के लिए
हरियाली अमावस्या के दिन कालसर्प दोष को दूर करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं। इसके बाद ध्यान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितरों के आशीर्वाद के लिए
हरियाली अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए किसी भी पवित्र नदियों में या घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और विधि-विधान से तर्पण करें। इसके बाद पितृ सूक्त पाठ, गरुड़ पुराण, पितृ गायत्री पाठ, पितृ देव चालीसा आदि का पाठ करें। हो सके तो इस दिन गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और क्षमता अनुसार दान दक्षिणा दें। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा और धन-धान्य में वृद्धि होगी।
करियर में तरक्की के लिए
यदि आप अपने लिए रोजगार की तलाश कर रहे हैं और कई प्रयास करने के लिए बाद भी आपको करियर में तरक्की प्राप्त नहीं हो रही है तो हरियाली अमावस्या के दिन एक नींबू को घर के मंदिर में रख दें और फिर रात में अपने ऊपर से सात बार वार लें और फिर 4 बराबर भाग में काटकर चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दें। ऐसा करने से आपको करियर में तेज़ी से तरक्की मिलेगी और आप तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।
धन-धान्य के लिए
आर्थिक जीवन में सुधार लाने और स्थिरता प्राप्त करने के लिए हरियाली अमावस्या के दिन घर के ईशान कोण में लाल रंग के धागे से बनी बत्ती से घी का दीपक जलाएं। ध्यान रखें कि बत्ती रूई की न हो और दीपक में थोड़ी सी केसर भी जरूर मिलाएं। इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपना विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है।
भाग्य वृद्धि के लिए
हरियाली अमावस्या की रात में पूजा घर की थाली में ऊं बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र रखें और फिर विधिपूर्वक यंत्र की पूजा-अर्चना करें। ऐसा करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही, भाग्य का भी पूरा साथ आपको मिलेगा, जिससे आपके सारे काम बनने लगेंगे।
हरियाली अमावस्या पर राशि अनुसार लगाएं पौधे, चमकेगी उठेगी किस्मत
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को श्रावण अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या के दिन आंवले का पौधा लगाना चाहिए।
वृषभ राशि
इन राशि के जातकों को श्रावण अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या के दिन जामुन का पौधा लगाना चाहिए।
मिथुन राशि
इस राशि के जातकों को चंपा का पौधा लगाना चाहिए।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों को पीपल का पौधा लगाना चाहिए। इससे सुख-समृद्धि का वास होगा।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को इस दिन बरगद या अशोक का पौधा लगाना चाहिए।
कन्या राशि
इस राशि के जातकों को शिवजी का प्रिय बेल का पौधा या जूही का पौधा लगाना चाहिए। इससे हर मनोकामना पूरी होगी।
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए अर्जुन या नागकेसर का पौधा लगाना शुभ रहेगा।
वृश्चिक राशि
इस राशि के जातकों को नीम का पौधा लगाना चाहिए।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों को कनेर का पौधा लगाना चाहिए। यह आपके लिए शुभ साबित होगा।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को शमी का पौधा लगाना चाहिए।
कुंभ राशि
इस राशि के जातकों के लिए कदंब या आम का पौधा लगाना अच्छा साबित होगी। इससे सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को बेर का पौधा लगाना चाहिए।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. इस साल श्रावण अमावस्या 04 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।
उत्तर 2. हरियाली अमावस्या हिंदू धर्म में एक शुभ दिन है, जिसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
उत्तर 3. इस दिन दान, ध्यान और स्नान का विशेष महत्व है।
उत्तर 4. अमावस्या तिथि पर मांसाहार भोजन, शराब,मसूर की दाल, सरसों का साग, मूली और चना आदि जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।