भोलेनाथ को इसलिए प्रिय है सावन का महीना- नोट कर लें इस माह किए जाने वाले उपाय!

सनातन धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व बताया गया है। सावन के महीने को श्रावण माह भी कहते हैं। यह भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती का भी बेहद प्रिय महीना माना गया है। माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं। हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सावन का आरंभ होता है। इस वर्ष की बात करें तो सावन की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई को है। ऐसे में 21 जुलाई से सावान प्रारंभ हो जाएगा जो की 19 अगस्त को समाप्त होगा।

श्रावण माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 जुलाई दोपहर 3:47 से होगी और प्रतिपदा तिथि 22 जुलाई दोपहर 1:11 को समाप्त हो जाएगी।

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श्रावण माह 2024- दुर्लभ संयोग में होगा शुरू 

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि श्रावण माह का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है। हालांकि इस बार इस विशेष महत्व पर और भी चार चांद लग रहे हैं क्योंकि इस बार का सावन का महीना दुर्लभ संयोग में प्रारंभ हो रहा है। क्या कुछ हैं ये दुर्लभ संयोग चलिये जान लेते हैं।  

दरअसल इस बार श्रावण माह की शुरुआत और सावन महीने का समापन दोनों ही सोमवार को होगा। इसके अलावा इस बार सावन में कुल पांच सावन सोमवार पड़ने वाले हैं। सिर्फ इतना ही नहीं शुभ योग की बात करें तो इस श्रावण महीने में प्रीति योग, आयुष्मान योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। 

कहते हैं इन योगों में अगर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाए तो व्यक्ति को इससे कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। सावन मास में सोमवती अमावस्या और सोमवती पूर्णिमा दोनों का संयोग भी बन रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले यह संयोग 1976, 1990, 1997 और 2017 में बना था।

श्रावण माह का धार्मिक महत्व 

श्रावण मास के आध्यात्मिक महत्व की बात करें तो, ये हिंदू धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक होता है। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है। श्रावण का महीना वर्षा और मानसून से जुड़ा है। यह समय कृषि संबंधी गतिविधियों के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। इस पवित्र महीने के दौरान भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और पूजा अनुष्ठान करते हैं। 

इसके अलावा श्रावण का महीना चातुर्मास की शुरुआत का भी प्रतीक होता है। चातुर्मास का समय चार महीने की ऐसी अवधि है जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान धरती का सारा कार्यभार महादेव के कंधों पर आ जाता है। 

श्रावण माह का समय आत्मनिरीक्षण के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है। इसके साथ ही यह समय परिवर्तन के लिए भी अनुकूल होता है। दरअसल भगवान शिव विनाश और नवीनीकरण दोनों को दर्शाते हैं। ऐसे में भक्त परिवर्तन के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं और अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए उपवास करते हैं। दिव्य ऊर्जा से जुड़ने के लिए भी श्रावण का महीना बेहद ही अनुकूल होता है। इस दौरान संपूर्ण ब्रह्मांड भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा से भरा नजर आता है। इस तत्व को शुभ तत्व भी कहते हैं। 

देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी श्रावण का महीना अनुकूल माना गया है। दरअसल भक्त देवी पार्वती को भगवान शिव के प्रति उनके समर्पण के लिए जानते हैं। भगवान शिव के प्रति उनकी गहन भक्ति और श्रद्धा भक्तों के लिए प्रेरणा का काम करती है।

अब श्रावण मास के धार्मिक महत्व की बात करें तो भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए यह महीना बेहद अनुकूल है। श्रावण मास के दौरान कई सारे अनुष्ठान किए जाते हैं जिनमें से जलाभिषेक बेहद महत्वपूर्ण होता है। जलाभिषेक भक्ति और शुद्धता का प्रतीक है। श्रावण माह के दौरान भक्त शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं। ऐसा करने से उनका शरीर और मन दोनों ही शुद्ध होते हैं और भक्त देवीय शक्तियों के करीब आते हैं। श्रावण के महीने के दौरान लोग शराब और तामसिक वस्तुओं का परहेज करते हैं और भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में जाते हैं उन्हें फल, दूध, फूल आदि अर्पित करते हैं।

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श्रावण माह के धार्मिक अनुष्ठान

श्रावण माह के दौरान किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों की बात करें तो इस दौरान भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद अपने जीवन में पाने के लिए तरह-तरह के धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठान करते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है शिवलिंग पर जल चढ़ाना जैसे जलाभिषेक कहते हैं। यह अभिषेक शुद्धता  और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। 

इसके अलावा भगवान की दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए महादेव के भक्त भगवान शिव की एक विशेष पूजा ‘रुद्राभिषेक’ भी करते हैं। अपने भक्ति को और अधिक स्पष्ट रूप से जाहिर करने के लिए महादेव के भक्त श्रावण के महीने में सख्त शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं। 

कहा जाता है कि ऐसा करने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं जिससे व्यक्ति परमात्मा के और करीब पहुंचता है। इन अनुष्ठानों के अलावा भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं और महादेव को फल, फूल, जल आदि चढ़ाते हैं। इस दौरान भगवान शिव से संबंधित मंत्रों का जाप किया जाता है, भजन गाए जाते हैं आदि। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और आध्यात्मिक विकास के लिए यह महीना बेहद ही शुभ माना गया है।

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श्रावण माह के महत्वपूर्ण दिन 

यूं तो सावन का पूरा ही महीना बेहद ही शुभ, पावन और फलदाई होता है लेकिन हम आपको यहां पर कुछ महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी दे रहे हैं जो सावन के महीना के दौरान पड़ेगी और जिन्हें बेहद ही खास माना जाता है। 

मान्यता है कि ये विशेष दिन व्यक्ति के जीवन में भगवान का आशीर्वाद और सौभाग्य लेकर आते हैं। 2024 में श्रावण मास के लिए कुछ बेहद ही शुभ दिन इस प्रकार हैं:  

22 जुलाई श्रावण मास का पहला दिन 

7 अगस्त हरियाली तीज 

9 अगस्त नाग पंचमी 

12 अगस्त श्रावण शिवरात्रि 

भगवान शिव का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त करने और उनकी दिव्य कृपा अपने ऊपर बनाए रखने, अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए इन दिनों पूजा प्रार्थना का विशेष महत्व बताया गया है।

श्रावण माह के दौरान उपवास 

व्रत और उपवास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के महीने में उपवास करने से व्यक्ति का मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है। भोजन और पानी से परहेज करके भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में आध्यात्मिक विकास की ओर आगे बढ़ते हैं। किसी भी उपवास को देवी देवता के प्रति भक्ति और समर्पण दिखाने का एक तरीका माना गया है। 

ऐसा माना जाता है कि श्रावण के महीने के दौरान उपवास करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, जीवन में समृद्धि आती है और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। उपवास के दौरान भक्तों को कुछ नियमों का भी पालन करना होता है। जैसे, इस दौरान मांसाहारी भोजन, शराब और तंबाकू का सेवन परहेज माना जाता है। उपवास कई तरीके से किए जाते हैं। 

जहां कुछ लोग केवल फल और दूध पर ही उपवास करते हैं वहीं कुछ लोग दिन में एक बार भोजन करके उपवास करते हैं तो वहीं कुछ लोग पूरी तरह से ही भोजन न करके केवल जल पर ही उपवास रखते हैं। उपवास को और भी अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए भक्त विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं जैसे मंत्र जाप, आरती और धार्मिक ग्रंथो को पढ़ कर भी इसके प्रभाव को बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं। 

आध्यात्मिक महत्व के अलावा श्रावण माह के दौरान उपवास करने से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करते हैं, पाचन में सुधार करते हैं और व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। उपवास से व्यक्ति वजन घटा सकता है और अपने समग्र स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है। 

कुल मिलाकर देखा जाए तो श्रावण महीने के दौरान उपवास मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने का एक बेहद ही सरल सटीक रहता है। इसके अलावा यह आत्म चिंतन, भक्ति और आध्यात्मिक विकास का भी एक समय होता है।

श्रावण माह में किए जाने वाले विभिन्न तरह के उपवास 

श्रावण के महीने में भक्त कई तरह के उपवास करते हैं। कहा जाता है कि यह व्रत उपवास समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, मनोकामना पूर्ति लेकर आते हैं। बात करें उनके प्रकार की तो,  

निर्जला उपवास: यह उपवास सबसे सख्त उपवास में से एक माना जाता है जहां भक्त पूरे दिन भोजन और पानी का सेवन करने से परहेज करते हैं। इस उपवास से अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। 

फलाहारी उपवास: इस उपवास में भक्त केवल फल और डेयरी उत्पादों का सेवन करते हैं। 

सात्विक उपवास: इस उपवास में केवल सात्विक भोजन का सेवन शामिल होता है। इसमें किसी भी तरह का प्याज़, लहसुन, मसाले नहीं शामिल किए जाते हैं। यह उपवास मन और शरीर को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है। 

एकादशी व्रत: श्रावण माह के प्रत्येक पखवाड़े की 11वें दिन एकादशी उपवास किया जाता है। इस दिन अनाज और दाल का सेवन नहीं करते हैं केवल फल दूध और सात्विक भोजन ही किया जाता है। 

प्रदोष व्रत: यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक पखवाड़े के 13वें दिन किया जाता है। इस दौरान भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास करते हैं और शाम को भगवान शिव की पूजा करते हैं।

शनि साढ़ेसाती 

श्रावण माह 2024 – सावन सोमवार कब-कब?

सावन सोमवार की तिथियां (Sawan Somwar 2024 Date)

सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई 2024

सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई 2024

सावन का तीसरा सोमवार 05 अगस्त 2024

सावन का चौथा सोमवार 12 अगस्त 2024

सावन का पांचवा सोमवार 19 अगस्त 2024

क्या यह जानते हैं आप? श्रावण मास के दौरान प्रसाद और प्रार्थनाओं के साथ-साथ भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाते हैं जिनमें बिल्व पत्र, दूध, शहद, दही, घी, चंदन का लेप, फूल, आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा भगवान शिव के भक्त उनकी मूर्ति पर दूध, जल और अन्य पवित्र पदार्थ से अभिषेक अनुष्ठान स्नान भी करते हैं। 

मान्यता है कि इन वस्तुओं को महादेव के ऊपर चढ़ने से समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके अलावा श्रावण मास के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि यह भक्तों को सभी प्रकार के खतरों से बचाता है और उन्हें आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है।

श्रावण माह- सावन सोमवार महत्व 

श्रावण मास में पूजा करने के महत्व की बात करें तो, कहा जाता है कि श्रावण मास में कोई भी पूजा करने से व्यक्ति को कई गुना लाभ और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस शुभ महीने के दौरान पूजा करने से व्यक्ति का कार्य सफल होता है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस दौरान की गई प्रार्थना और मनोकामना पूरी होने की संभावना अधिक होती है। श्रावण के महीने में पूजा करने से आध्यात्मिक लाभ के अलावा व्यवहारिक लाभ भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्ति और उनके परिवार में शांति, समृद्धि और सद्भाव लेकर आता है। 

पूजा के दौरान उत्पन्न होने वाली सकारात्मक ऊर्जा मन और शरीर को शुद्ध करती है और शांति लेकर आती है। श्रावण सोमवार व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस दौरान भक्त पूरे दिन भोजन और पानी का सेवन नहीं करते हैं, भगवान शिव की पूजा करते हैं, यह व्रत अन्य सभी व्रतों में बेहद ही शुभ फलदाई और समृद्धि और खुशहाली देने वाला माना जाता है। 

इस व्रत के दौरान भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं, भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं, व्रत करते हैं। 

श्रावण सोमवार व्रत के महत्वपूर्ण पहलू की बात करें तो, 

इससे व्यक्ति को आशीर्वाद मिलता है और इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस दौरान किया जाने वाला उपवास सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किया जाता है। 

अनुष्ठान की बात करें तो इस दौरान शिव मंदिर में भक्ति जाते हैं, प्रार्थना करते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्रावण सोमवार व्रत को पूरी ईमानदारी, भक्ति और श्रद्धा के साथ करने से भक्तों का आध्यात्मिक विकास होता है, जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं, साथ ही यह व्रत भगवान शिव के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का एक बेहद ही कारगर तरीका माना गया है।

श्रावण माह राशि अनुसार उपाय 

क्या आप यह जानते हैं कि, श्रावण माह में शनि की ढैया और साढ़ेसाती से बचने के लिए भी उपाय किए जा सकते हैं। दरअसल इस दौरान अगर आप सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं तो इससे शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा अगर आप सावन में अपनी राशि के अनुसार उपाय करना चाहते हैं तो उसकी जानकारी हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं। 

मेष राशि: सावन सोमवार के दिन अपने घर के मुख्य दरवाजे पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उसमें दो काली गुंजा डाल दें। 

वृषभ राशि: सावन सोमवार के दिन किसी सरोवर या नदी के पास जाकर घी का दीपक जलाएं और यह उपाय रात के समय करें इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और भगवान शिव की कृपा भी बनी रहेगी। 

मिथुन राशि: आप अपने ऑफिस या कार्य स्थल पर सफेद आंकड़ा श्वेतार्क गणपति की स्थापना करें और उनके समक्ष नियमित रूप से दीपक जलाएं। 

कर्क राशि: सावन सोमवार के दिन त्रिकोण आकृति का झंडा ऊंचा डंडे पर बांधकर लगाएँ या किसी मंदिर में दान कर दें।

सिंह राशि: सावन के सोमवार के दिन जल में दूध, दही और शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। 

कन्या राशि: सावन सोमवार के दिन एकाक्षी नारियल बांधकर अपने गल्ले या फिर तिजोरी में रख दें। 

तुला राशि: श्री यंत्र का लॉकेट गले में धारण करें। 

वृश्चिक राशि: सावन सोमवार के दिन 14 मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें और शिव परिवार की नियमित रूप से पूजा करें। 

धनु राशि: इस दिन आप केले का पेड़ अपने घर में लगा सकते हैं या किसी बगीचे में लगा सकते हैं और रोजाना इसकी पूजा करें।

मकर राशि: सावन में अपने घर में सफेद आंकड़ा लगाएँ और नियमित रूप से इसकी पूजा करें। 

कुंभ राशि: सावन सोमवार के दिन भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला और मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। 

मीन राशि: अपने घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और रोजाना उसकी पूजा और सेवा करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

प्रश्न 1: श्रावण मास का क्या महत्व होता है? 

उत्तर: हिंदू धर्म में श्रवण माह बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है। ये महीना भगवान शिव को समर्पित एक बेहद ही पावन महीना होता है।

प्रश्न 2: 2024 में श्रावण महीना कब से शुरू हो रहा है? 

उत्तर: 2024 में श्रावण का महीना 22 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। 

प्रश्न 3: श्रावण मास के दौरान कौन-कौन से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं? 

उत्तर: श्रावण मास के दौरान भक्त विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं जैसे उपवास, पूजा, मंत्रों का जाप, मंदिरों में अभिषेक करना, आदि। इस दौरान भक्त प्रार्थना करते हैं। 

प्रश्न 4: श्रावण मास के दौरान उपवास कैसे किया जाता है?

उत्तर: श्रावण मास के दौरान भक्त अलग-अलग तरह से व्रत रखते हैं। कुछ लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं और पानी और भोजन से परहेज करते हैं तो वहीं कुछ लोग फलाहार उपवास भी रखते है।

 

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