शंख का धार्मिक महत्व और अलग-अलग शंख का महत्व

हिंदू धर्म में शंख (Shankh) का विशेष महत्व माना गया है और घर के मंदिर में इसे रखना बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसे में हम में से भी कई लोगों के घर में शंख मौजूद होगी। सनातन धर्म मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को शंख बेहद ही प्रिय बताया गया है और यही वजह है कि, बहुत से लोग अपने घर के मंदिरों में शंख रखते हैं। कहा जाता है जिन घरों में शंख होती है, वहां भगवान विष्णु अपनी कृपा बनाए रखते हैं और महालक्ष्मी स्वयं उस घर में आ जाती हैं। तो आइए अब जानने की कोशिश करते हैं कि शंख का महत्व क्या है इसका धार्मिक पहलू क्या है? और साथ ही सेहत और शंख बजाने का क्या संबंध है? 

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शंख का महत्व 

मान्यता के अनुसार शंख को घर के मंदिर में रखना बेहद ही अशुभ होता है। हालांकि शंख को कभी भी खाली नहीं रखा जाता है। पूजा स्थान पर शंख में जल भरकर रखा जाता है। इसके अलावा शंख के इस जल को जहां भी छिड़का जाता है वह स्थान पवित्र हो जाता है साथ ही वहां से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर घर में सकारात्मकता का वास होता है। इसके अलावा बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए शंख के उस जल को पीने की भी मान्यता होती है। 

बहुत से लोग पूजा के बाद शंख बजाते भी हैं क्योंकि, कहा जाता है कि, शंख की ध्वनि मात्र से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में यदि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा है, कोई जादू टोना हुआ है या कोई भी नकारात्मक शक्ति है तो उसका भय नहीं रहता। इसके अलावा जो कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से शंख बजाता है उसके फेफड़े और हृदय के रोग की आशंका बेहद ही कम हो जाती है। 

शंख के प्रकार 

अलग-अलग तरह के ढेरों शंख आज के समय में उपलब्ध हैं। तो आइए जानते हैं इन अलग-अलग शंखों के नाम और उनका महत्व क्या होता है। 

  • गणेश शंख: समुद्र मंथन में कई रत्न की प्राप्ति हुई थी। इन्हीं में से आठवां रत्न एक शंख के रूप में उत्पन्न हुआ था जिसकी आकृति देखने में बिल्कुल भगवान गणेश जैसी दिखती थी। इसी के चलते इस शंख का नाम गणेश शंख रखा गया। गणेश शंख दरिद्रता दूर करने और धन प्राप्ति का कारक माना गया है। इसके अलावा गणेश शंख को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • दक्षिणावर्ती शंख: घर के लिए शंख के बारे में जानकार अक्सर दक्षिणावर्ती शंख की सलाह देते हैं क्योंकि घर में इस शंख का होना बेहद शुभ माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख को मंदिर में रखने और प्रतिदिन इस को बजाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। हालांकि इस बात का ध्यान रहे कि, दक्षिणावर्ती शंख को हमेशा दाएं हाथ से ही पकड़ा जाना चाहिए। सभी शंखों में दक्षिणावर्ती शंख को देव स्वरूप माना गया है। इसके अलावा जिन घरों में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा होती है उन घरों में मां लक्ष्मी स्वयं विराजमान होकर घर की सुख संपत्ति बढ़ाती हैं।
  • कौरी शंख: कौरी शंख को बेहद ही दुर्लभ शंख माना जाता है। जिस घर में कौरी शंख स्थापित किया जाता है वहां भाग्य की वृद्धि होती है और साथ ही उस घर में सभी बिगड़े और रुके हुए काम बनने लगते हैं। कौरी शंख को कई जगह पर कौड़ी भी कहा जाता है। इसके अलावा प्राचीन समय में इस का प्रयोग गहनों के रूप में किया जाता था।
  • कामधेनु शंख: कामधेनु शंख को बहुत से लोग गोमुखी के नाम से भी जानते हैं। कामधेनु गाय के मुख जैसी आकृति होने की वजह से इस शंख का नाम कामधेनु पड़ा। मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति कामधेनु शंख की पूजा करता है उसकी तर्क शक्ति प्रबल होती है और साथ ही सभी मनोकामना की पूर्ति होती है।
  • वामवर्ती शंख: वामावर्ती शंख को हमेशा बाय हाथों से ही बजाया जाता है। जिस भी घर में वामवर्ती शंख होता है या बजाया जाता है उस घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। इसके अलावा उस घर में सुख शांति का वास होता है। 

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  • भगवान कृष्ण का पाञ्चजन्य शंख: इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण शंख होता है भगवान कृष्ण का पाञ्चजन्य शंख। इसके बारे में बहुत से लोग कहते हैं कि, यह शंख अब मौजूद नहीं है वहीं कई मतों के अनुसार यह शंख आज भी मौजूद है। कहा जाता है इस शंख की ध्वनि कई किलोमीटर दूर तक पहुंचती थी।
  • मध्यावृत्ति शंख: जिस शंख का मुंह बीच में खुला होता है उसे मध्यावृत्ति शंख कहते हैं। सभी शंखों में से दक्षिणावर्ती शंख और मध्यावृत्ति शंख का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। हालाँकि ये दोनों ही शंख बेहद आसानी से नहीं मिलते हैं।
  • हीरा शंख: इसके अलावा एक और शंख होती है हीरा शंख। जिसे कई जगह पर पहाड़ी शंख के नाम से भी जाना जाता है। अमूमन तौर पर देखा गया है कि, तांत्रिक लोग मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए हीरा शंख का प्रयोग करते हैं।
  • मोती शंख: मोती शंख को घर में स्थापित करने से इंसान के घर में सुख शांति का वास होता है। इसके अलावा हृदय से संबंधित रोगों को दूर करने के लिए भी मोती शंख बेहद ही उपयोगी माना गया है। जो कोई भी व्यक्ति प्रतिदिन इस शंख की पूजा करता है उनको आर्थिक संपन्नता का लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा यदि आप मोती शंख को अपने ऑफिस, दुकान या व्यापार वाले स्थान पर रखते हैं तो आपके व्यापार में आपको कभी भी नुकसान नहीं होता है।
  • महालक्ष्मी शंख: महालक्ष्मी शंख को श्री यंत्र भी कहा जाता है। इस शंख के बारे में ऐसी मान्यता है कि, यह शंख साक्षात मां लक्ष्मी का प्रतीक है। महालक्ष्मी शंख की आवाज बेहद सुरीली और सौम्य होती है और जिस भी घर में महालक्ष्मी शंख की पूजा-अर्चना होती है कहा जाता है वहां स्वयं महालक्ष्मी विराजती हैं।

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घर में शंख स्थापित करने के और बजाने के फायदे 

किसी भी पूजा पाठ या शुभ कार्यक्रम में शंख बजाने की प्रथा काफी समय से चलती आ रही है। शंख ना सिर्फ पूजा घर में रखने बल्कि उसे बजाने से भी व्यक्ति के जीवन में कई तरह के लाभ होते हैं। आइए डालते हैं इन्हीं लाभ पर एक नजर, 

  • जैसा कि, हम ने पहले भी बताया कि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जिस भी घर में या घर के मंदिर में शंख रखा जाता है वह स्वयं महालक्ष्मी का वास होता है। इसके पीछे का तर्क यह दिया जाता है कि, शंख को मां महालक्ष्मी का भाई माना जाता है। क्योंकि समुद्र मंथन से जिस प्रकार मां महालक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी ठीक उसी तरह से शंख भी समुद्र मंथन से ही उत्पन्न हुआ है।
  • इसके अलावा माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों के हाथों में शंख होता है और इसके चलते भी हिंदू धर्म में शंख को बेहद ही शुभ माना जाता है। 
  • शंख बजाने से आसपास का वातावरण पवित्र होता है।  साथ ही किसी भी प्रकार की नकारात्मकता ऊर्जा को दूर करके वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी होता है। 
  • इसके अलावा कहा जाता है कि, जिनके कानों में भी शंख की ध्वनि पहुंचती है उन लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं। 
  • शंख में जल भर कर रखा जाता है और इस जल से भगवान शिव और मां लक्ष्मी का अभिषेक करने से देवता प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। 
  • इसके अलावा शंख में रखे जल को घर में छिड़कने से घर का वातावरण भी शांत और शुद्ध होता है। 
  • पूजा पाठ में शंख बजाया जाता है जिससे कि लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही किसी भी प्रकार की प्रेत बाधाएं दूर भागती हैं। 
  • सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं शंख की ध्वनि के बारे में वैज्ञानिकों का भी मानना है कि, शंख की ध्वनि से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं और कीटाणुओं का नाश होता है।  
  • जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख बजाता है उसके फेफड़े स्वस्थ बने रहते हैं। इसके अलावा अगर सांस की समस्या से पीड़ित कोई व्यक्ति रोजाना शंख बजाए तो उसे बीमारी से निजात मिलता है। 
  • इसके अलावा शंख में रखे गए पानी का सेवन करने से व्यक्ति की हड्डियां मजबूत होती है और यह दांतों के लिए भी बेहद लाभदायक बताए गए हैं। क्योंकि शंख में कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक के गुण मौजूद होते हैं। 
  • इसके अलावा वास्तु शास्त्र के मुताबिक शंख बेहद शुभ माना गया है क्योंकि इसे घर में रखने से पॉजिटिव एनर्जी आती है।

कैसे करें शंख का प्रयोग? 

यदि आप भी अपने घर में शंख लाना चाहते हैं तो इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें। सफेद रंग की शंख लेकर आएं। इसके बाद इस शंख को गंगा जल और दूध से धोकर शुद्ध करें। इसके बाद साफ गुलाबी रंग के वस्त्र में इस शंख को लपेटकर पूजा वाले स्थान पर रख दें। मुमकिन हो तो सुबह और शाम की पूजा के बाद तीन-तीन बार शंख बजाए। ध्यान रहे शंख बजाने के बाद इसे धो कर पुनः उसी स्थान पर रख दें। 

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शंख के प्रयोग में अवश्य बरतें ये सावधानियां 

  • शंख को हमेशा किसी वस्त्र या किसी आसन पर ही रखें। 
  • शंख बजाने के लिए सुबह और शाम का समय ही निर्धारित किया गया है। हर वक्त या बेवक्त शंख ना बजाए। 
  • शंख को बजाने के बाद इसे धोकर ही रखें। 
  • इसके अलावा अपना शंख किसी और को ना दें और ना ही किसी और का शंख खुद उपयोग में लें। 
  • एक मंदिर में एक से ज्यादा शंख नहीं रखना चाहिए। 
  • शंख स्थापित करने के लिए होली दिवाली जैसे शुभ मुहूर्त का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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