शनिवार का दिन शनि देवता को समर्पित होता है। शनि भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं। भगवान सूर्य ने शनि देवता के श्याम वर्ण की वजह से उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। यही वजह है कि शनि और सूर्य के बीच पिता और पुत्र का रिश्ता होने के बावजूद भी शनि को सूर्य से बैर है। शनि देवता के बारे में मान्यता है कि वे लोगों को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं और यही वजह है कि शनि देवता को तीनों लोकों में न्याय का देवता माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में शनि को एक पापी ग्रह माना गया है। शनि की चाल सभी ग्रहों के बीच सबसे धीमी है। शनि की दृष्टि अगर किसी जातक पर पड़ जाती है तो उसके बने हुए कार्य बिगड़ने लगते हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शारीरिक चोट पहुँचती है और मानसिक तनाव से ग्रस्त रहते हैं।
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ऐसे में हमेशा कोशिश यह रहनी चाहिए कि कभी भी शनि देवता आप से नाराज न हों। इसलिए आज हम आपको इस लेख में शनि देवता की पूजा के दौरान अपनाए जाने वाली कुछ सावधानियां बताने वाले हैं जिनका पालन अगर नहीं किया जाये तो शनि देवता का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
शनि देवता की पूजा के दौरान बरतने वाली सावधानियां
लाल रंग
शनि देवता को लाल रंग प्रिय नहीं है। लाल रंग मंगल और सूर्य को प्रिय है और मंगल व सूर्य से शनि बैर रखते हैं। ऐसे में शनि देवता की पूजा के दौरान लाल रंग की वस्तु का प्रयोग न करें अन्यथा शनि देवता आपसे रुष्ट हो सकते हैं। शनि देवता की पूजा में आप ज्यादा से ज्यादा नीले व काले रंग की वस्तु का उपयोग कर सकते हैं। ये दोनों ही रंग शनि देवता को बेहद प्रिय है।
सफेद तिल
भगवान शनि को भोग हमेशा काले तिल व खिचड़ी का ही लगाया जाता है। भगवान शनि को काला तिल बेहद प्रिय है और वैसे जातक जो कुंडली में शनि देवता के प्रकोप से प्रभावित हैं, उन्हें भगवान शनि को काला तिल अवश्य चढ़ाना चाहिए। शनिवार के दिन काले तिल के दान से भी भगवान शनि प्रसन्न होते हैं लेकिन भूल से भी भगवान शनि को सफेद तिल न चढ़ाएँ और न ही शनिवार के दिन सफेद तिल का दान किसी को दें। अन्यथा शनि देवता नकारात्मक फल देंगे।
शनि देवता की आँखें
भगवान शनि की दृष्टि क्रूर मानी जाती है। भगवान शनि की दृष्टि किसी भी जातक पर यदि पड़ जाये तो उसका जीवन कष्टों से भर जाता है। ऐसे में भगवान शनि को पूजते वक़्त कभी उनके सामने खड़े रहकर उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए। खास बात ये कि भगवान शनि को पूजते वक़्त भूल से भी उनकी आँखों में न देखें अन्यथा शनि देवता नाराज हो सकते हैं।
पश्चिम दिशा
सभी दिशाओं में पश्चिम दिशा पर शनि देवता का आधिपत्य है। ऐसे में जब भी भगवान शनि की पूजा करें तो इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख पश्चिम की तरफ हो। किसी और दिशा में मुख रखने पर भगवान शनि कुपित होते हैं। आपको बता दें कि भगवान शनि न्याय में विश्वास रखते हैं इसलिए लापरवाही उन्हें पसंद नहीं आती है और किसी भी लापरवाही पर वे तुरंत दंड देते हैं।
तेल का दीपक
भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना बेहद कारगर उपाय माना जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जब भी तेल का दीपक जलाएं तो उसे भगवान शनि की प्रतिमा के सामने न जलाएं बल्कि मंदिर में मौजूद शनि देवता की शिला के सामने जलाएं।
सूर्य की मौजूदगी में न करें पूजा
भगवान शनि सूर्य से बैर रखते हैं। ऐसे में उनकी पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। अन्यथा शनि देवता नाराज होते हैं।
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