एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम शनि और मंगल की एक-दूसरे पर पड़ने वाली संयुक्त दृष्टि के बारे में विस्तार से बात करेंगे। बता दें कि शनि ग्रह मीन राशि में विराजमान हैं जबकि मंगल देव ने हाल ही में कन्या राशि में प्रवेश किया है। ऐसे में, यह दोनों ग्रह एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं। शनि और मंगल की यह दुर्लभ स्थिति का प्रभाव 13 सितंबर 2025 की रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा, क्योंकि इसके बाद मंगल महाराज तुला राशि में गोचर कर जाएंगे। एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाले हर परिवर्तन से अवगत करवाता रहा है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और विस्तार से जानते हैं शनि-मंगल की संयुक्त दृष्टि के बारे में।

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अगस्त के महीने में संसार एक दुर्लभ और शक्तिशाली घटना का साक्षी बनेगा क्योंकि न्याय के देवता शनि और ग्रहों के सेनापति मंगल एक-दूसरे के आमने-सामने बैठे होंगे जो अनुशासन में रहते हुए एक अशुभ स्थिति का निर्माण करेंगे। हालांकि, जब मंगल देव व्यवहारिकता की राशि कन्या में मौजूद होंगे, तब शनि ग्रह जल तत्व की राशि मीन में वक्री अवस्था में होंगे। यह स्थिति एक ऐसी अवधि को दर्शाती है जो आंतरिक और बाहरी रूप से तनाव लेकर आ सकती है। इस समय आपकी इच्छाएं और मनोकामनाएं प्रबल होंगी, लेकिन उन्हें पूरा होने में देरी का सामना करना पड़ सकता है या फिर उन्हें पूरा करने के मार्ग में आपको बाधाओं और समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है।
ऐसे में, यह हमें सीमाओं में रहने, धैर्य बनाए रखने और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर जीवन के लक्ष्यों को पाने की राह में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। ज्योतिष की दुनिया में होने वाली यह घटना दृढ़ता, जिम्मेदारी और योजना बनाकर किए गए प्रयासों के माध्यम से परिवर्तन की दिशा का निर्धारण करेगी।
इस अवधि में आने वाली सामान्य समस्याएं:
- योजनाओं में देरी, विशेष रूप से करियर या नेतृत्व से जुड़ी भूमिकाओं में।
- इच्छाओं और जिम्मेदारियों के बीच आंतरिक जंग।
- अधिकारियों और व्यवस्था के बीच मतभेद।
- शारीरिक थकान या फिर मनचाहे परिणाम न मिलने पर कड़ी मेहनत करना।
इस अवधि में लोगों को चीज़ों या कार्यों के प्रति बिल्कुल भी लापरवाही बरतने से बचना चाहिए। हालांकि, शनि और मंगल की यह दृष्टि जातकों को धैर्य रखने, रचनात्मक तरीके से आक्रामकता को नियंत्रित करने और जीवन की मुश्किलों के माध्यम से प्रगति पाने के लिए प्रोत्साहित करेगी वे। इसी क्रम में, शनि ग्रह मंगल के क्रोध को दबाने का काम कर सकते हैं जिससे मंगल देव के भीतर नाराज़गी पैदा हो सकती है। यह स्थिति किसी व्यक्ति को शांत लेकिन आक्रमक या फिर सोच-समझकर कदम उठाने वाला बना सकती है।
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शनि-मंगल की संयुक्त दृष्टि, इन राशियों को करेगी सबसे ज्यादा प्रभावित
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके लग्न भाव में गोचर करने जा रहे हैं जबकि आपके सातवें भाव में मौजूद शनि ग्रह पांचवें और छठे भाव के स्वामी हैं जो इन दोनों भावों की ऊर्जा के साथ सातवें भाव में बैठे हैं। अब शनि और मंगल की यह संयुक्त दृष्टि आपके लिए समस्या बन सकती है, विशेष रूप से दांपत्य जीवन और बिज़नेस पार्टनरशिप के लिए। लग्न भाव में स्थित मंगल देव आपके क्रोध में वृद्धि कर सकते हैं और ऐसे में, आपको बार-बार गुस्सा आ सकता है। इसका नकारात्मक प्रभाव आपके निजी और पेशेवर जीवन पर नज़र आ सकता है।
कुंडली में सातवां भाव, दसवें भाव से दसवां भाव माना जाता है और इस भाव में बैठे शनि देव कामकाज से संबंधित कार्यों में देरी करवाने और समस्याएं पैदा करने का काम करते हैं। साथ ही, आपको सहकर्मियों के साथ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं या फिर बॉस आपसे नाराज़ रह सकता है। ऐसे में, आपके अंदर मन ही मन में आक्रोश और क्रोध जन्म ले सकता है।
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मंगल ग्रह की दृष्टि आपके चौथे भाव पर होने से घर-परिवार में तनाव का माहौल रह सकता है जिसकी वजह से मानसिक शांति भंग हो सकती है। आपके और जीवनसाथी के बीच होने वाला कोई भी छोटा-मोटा विवाद बड़ा रूप ले सकता है इसलिए आपको सतर्क रहना होगा। वहीं, इस राशि के जो जातक व्यापार के क्षेत्र में किसी भी तरह के मुकदमे से जूझ रहे हैं, उनके लिए परिस्थितियां बद से बदतर हो सकती हैं।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए मंगल देव आपके दूसरे और नौवें भाव के अधिपति देव हैं। वहीं, शनि महाराज आपके ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बता दें कि मीन राशि में शनि देव आपके लग्न/पहले भाव में स्थित हैं जबकि मंगल ग्रह सातवें भाव में उपस्थित हैं। ऐसे में, इन दोनों ग्रहों की स्थिति 1-7 अक्ष का निर्माण करेगी। कई पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कुंडली के सातवें भाव में मंगल की स्थिति को अशुभ माना जाता है क्योंकि मंगल का सातवें भाव में बैठा होना मांगलिक दोष को जन्म देता है।
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दूसरी तरफ, लग्न भाव में उपस्थित शनि महाराज आपके आगे बढ़ने की रफ़्तार को धीमा करेंगे और कार्यों में देरी करने का काम करेंगे। वहीं, सातवें भाव में स्थित मंगल आपके करियर और वैवाहिक जीवन में ऐसी समस्याएं उत्पन्न करेंगे जिनका समाधान आपको तुरंत करना होगा या फिर खोजना होगा। शनि देव और मंगल ग्रह एक-दूसरे के विरोधो माने जाते हैं और ऐसे में, यह योजनाओं को बनाने और उन्हें लागू करने के मार्ग में परेशानियां पैदा कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपका जीवनसाथी आपसे नाख़ुश दिखाई दे सकते हैं और आपको जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गिरावट का अनुभव हो सकता है। साथ ही, इन जातकों को धन से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
शनि-मंगल की संयुक्त दृष्टि का भारत पर प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, शनि और मंगल की संयुक्त दृष्टि (जब वह दोनों आमने-सामने वाली राशि में हों, तो सातवीं दृष्टि होती है) देश-विदेश में होने वाली घटनाओं को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। जब शनि-मंगल की यह दृष्टि भारत की कुंडली पर या कुछ महत्वपूर्ण भावों पर पड़ती है, तो अक्सर चिंता, तनाव, संघर्ष और बदलाव लेकर आती है। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं भारत पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में। इस ख़ास सेक्शन में हम भारत में होने वाली उन घटनाओं के बारे में चर्चा करेंगे जो शनि-मंगल की दृष्टि के दौरान हो सकती हैं।
- शनि-मंगल की दृष्टि भूकंप, आगजनी, औद्योगिक क्षेत्रों में दुर्घटनाएं या इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में असफलता का कारण बन सकती है। बता दें कि शनि देव भूकंप और संरचना का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि मंगल ग्रह आग और मशीनों में आने वाली समस्याओं का प्रतीक माने जाते हैं।
- इनकी दृष्टि के प्रभाव से सरकार और आम जनता के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- शनि-मंगल ग्रह की दृष्टि उद्योगों, कृषि और परिवहन से जुड़े क्षेत्रों में समस्याएं या फिर सुधार में देरी लेकर आ सकती है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट और कृषि से जुड़े क्षेत्रों की रफ़्तार को धीमा कर सकती है।
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- अर्थव्यवस्था में सुधार या निजीकरण के प्रयासों के लिए उठाए गए कदम के खिलाफ विद्रोह देखने को मिल सकता है।
- इस अवधि में देश की राजनीति में एक-दूसरे पर दोषारोपण, आरोप-प्रत्यारोप या सरकार और विपक्ष के बीच संघर्ष जैसी परिस्थितियां जन्म ले सकती हैं।
- साथ ही, मीडिया की आज़ादी को नियंत्रित करने वाले सख़्त कानून सरकार लेकर आ सकती है।
- देश की सीमाओं के आसपास पड़ोसी देशों जैसे चीन या पाकिस्तान की तरफ से गतिविधियां बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, डिफेन्स पर होने वाले ख़र्चों में बढ़ोतरी हो सकती है और सेना को मज़बूत बनाने पर सरकार का ध्यान केंद्रित हो सकता है।
- शनि-मंगल की दृष्टि के अशुभ प्रभाव से यातायात से जुड़ी दुर्घटनाएं (रेलवे, रोड) जैसी पुल टूटना या आग लगना आदि हो सकती हैं।
हालांकि, इस तरह की दुर्घटनाएं सरकार और देश की जनता को यह सोचने पर मज़बूत करेगी कि वास्तविक प्रगति अनुशासन के साथ आती है, न कि आक्रामकता से। अगर हम इस दृष्टिकोण के साथ मिलकर काम करेंगे, तो निश्चित रूप से परिस्थितियाँ भारत के पक्ष में रहेंगी, विशेष रूप से उस समय जब ग्रह प्रतिकूल स्थिति में होंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नहीं, शनि और मंगल एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं।
हाँ, ज्योतिष का प्रभाव सभी घटनाओं पर पड़ता है भले ही वह किसी व्यक्ति के जीवन में हो, देश में हो या वैश्विक स्तर पर हो।
जैसे कि शनि मीन राशि में हैं और मंगल कन्या राशि में हैं, तो ऐसे में, इन दोनों राशियों पर सबसे ज्यादा प्रभाव दिखाई देगा।