ज्योतिष में शनि देव को पापी और क्रूर ग्रह कहा जाता है जो कि नवग्रहों में शक्तिशाली और महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं। यह सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने के लिए जाने जाते हैं और इनका नाम भी लोगों को भयभीत करने के लिए काफ़ी होता है। हालांकि, ऐसा कुछ है नहीं, परंतु यह मनुष्य को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। ऐसे में, जब-जब शनि देव की राशि, चाल, दशा या स्थिति में बदलाव होता है, तो इसका असर राशि चक्र की सभी राशियों समेत विश्व को प्रभावित करता है। नए साल यानी कि वर्ष 2025 में शनि देव का गोचर होने जा रहा है और यह आपके जीवन से समस्याओं को दूर करने से लेकर जीवन में समस्याएं बढ़ाने तक का काम कर सकते हैं। अब जब साल 2025 आने वाला है, तो यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि नए वर्ष में कब, किस समय और किस राशि में शनि महाराज का गोचर होगा।
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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में न सिर्फ आपको वर्ष 2025 में होने वाले शनि गोचर की जानकारी मिलेगी, बल्कि इस साल कब-कब होगा शनि देव की चाल या दशा में बदलाव? इस बारे में भी हम विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, शनि गोचर से किन राशियों को मिलेगी साढ़े साती से आज़ादी और किन पर होगी इसकी शुरुआत? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे।
कौन है शनि ग्रह और क्यों डरते हैं इनसे लोग?
शनि देव भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका वर्ण श्याम है। कर्मफल दाता और न्यायाधीश होने के नाते यह मनुष्य को शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं जो कि आपके ही कर्मों पर आधारित होते हैं। कुंडली में शनि महाराज की स्थिति अच्छे और बुरे दोनों तरह के फल देती है। जहां इनका शुभ प्रभाव व्यक्ति को रंक से राजा बना सकता है, तो वहीं शनि ग्रह की अशुभ स्थिति आपको राजा से रंक बनाने का सामर्थ्य रखती है।
सामान्य शब्दों में कहें तो, शनि देव जीवन में गुरु की भूमिका निभाते हैं और न्याय मार्ग पर चलना सिखाते हैं। यह व्यक्ति को सही मार्ग पर लेकर जाते हैं और अगर इंसान गलत मार्ग पर जाने लगता है, तो उसे कई बार आगाह करते हैं और जब जातक नहीं समझता है, तो आपको दंडित करने का अधिकार शनिदेव को प्राप्त है। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। यह तुला राशि में उच्च के होते हैं जबकि मेष राशि में नीच के होते हैं। सभी 27 नक्षत्रों में इन्हें पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर स्वामित्व प्राप्त है। शनि के मित्र बुध और शुक्र हैं और वहीं इनके शत्रु सूर्य, चंद्रमा एवं मंगल है।
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शनि ग्रह की कृपा कैसे प्राप्त करें?
दुख, रोग और पीड़ा के कारक कहे जाने वाले शनि ग्रह को शांत करने एवं उनसे शुभ परिणाम पाने के लिए सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहता है। आप चाहे तो शनि ग्रह का नीलम रत्न भी पहन सकते हैं या फिर शनि ग्रह की कृपा के लिए धतूरे की जड़ी भी धारण कर सकते हैं।
कब और किस समय होगा वर्ष 2025 में शनि गोचर?
ज्योतिष में शनि महाराज सबसे धीमी गति से चलते हैं इसलिए इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। अब यह अपनी कुंभ राशि से निकलकर गुरु ग्रह की मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। ढाई वर्ष तक कुंभ राशि में रहने के बाद शनि देव 29 मार्च 2025 की रात 10 बजकर 07 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
शनि ग्रह कब-कब बदलेंगे अपनी चाल एवं स्थिति
बता दें कि शनि देव 29 मार्च 2025 को मीन राशि में गोचर करने से पहले कुंभ राशि में रहते हुए 22 फरवरी 2025 को अस्त हो जाएंगे। इसके बाद, वह अपनी अस्त अवस्था में ही मीन राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि, 31 मार्च 2025 की रात 12 बजकर 43 मिनट पर शनि देव पुनः उदित हो जाएंगे। इसके पश्चात, शनि ग्रह 13 जुलाई 2025 को मीन राशि में वक्री होंगे और फिर 28 नवंबर 2025 को वापस अपनी मार्गी अवस्था में आ जाएंगे।
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वर्ष 2025 में इस राशि पर शुरू होगी साढ़े साती?
शनि ग्रह की साढ़े साती, ढैया और टेढ़ी दृष्टि से सभी भयभीत रहते हैं। इनकी साढ़े साती, साढ़े सात साल और ढैया ढाई साल की अवधि होती है। जैसे ही शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, इसके साथ ही मकर राशि वालों पर चल रही साढ़ेसाती का अंत हो जाएगा जबकि मेष राशि वालों पर साढ़ेसाती की शुरुआत हो जाएगी।
दूसरी तरफ, शनि का मीन राशि में गोचर होने से मीन राशि वालों की साढ़े साती का दूसरा चरण और कुंभ राशि का अंतिम चरण शुरू हो जाएगा। वहीं, वृश्चिक राशि के जातकों पर जहां ढैया समाप्त होगी जबकि धनु राशि वालों पर ढैया की शुरुआत हो जाएगी।
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धनु राशि
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ज्योतिष के अनुसार, शनि देव सबसे मंद गति से चलने के कारण ढाई साल में अपना राशि परिवर्तन करते हैं।
गुरु ग्रह की राशि मीन में शनि ग्रह का गोचर 29 मार्च 2025 को होगा।
राशि चक्र की चौथी राशि कर्क शनि ग्रह की शत्रु राशि मानी जाती है।