शबरी जयंती 5 मार्च 2021: जानें माता शबरी को भगवान राम ने क्यों दिया था दर्शन

Shabari jayanti 2021: फाल्गुन महीने के कृष्ण की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती होती है। साल 2021 में 5 मार्च शुक्रवार के दिन शबरी जयंती मनाई जाएगी। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है, कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर श्री राम की परम भक्त माता शबरी को मोक्ष प्राप्त हुआ था।इसलिए भगवान राम के भक्त इस दिन शबरी जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। श्रद्धा और आस्था के साथ रामायण का पाठ करते हैं। भक्त माता शबरी का स्मृति यात्रा भी निकालते है। पूरे विधि विधान के साथ पूजा-पाठ कर प्रभु राम का स्मरण करते हैं। तो आइए जानते हैं  कब है शबरी जयंती और पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और माता शबरी के जीवन से जुड़ी रोचक बातें । 

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शबरी जयंती : 5 मार्च, 2021, शुक्रवार

सप्तमी तिथि प्रारंभ-  4 मार्च, 2021, 09:58 से

सप्तमी तिथि समाप्त – 5 मार्च, 2021, 07:54 तक

शबरी जयंती का महत्व 

हिन्दू धर्म में शबरी जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान राम की असीम कृपा पाकर माता शबरी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर ही माता शबरी को उनकी भक्ति के परिणामस्वरूप मोक्ष मिला था। तभी से हिन्दू धर्म में शबरी जयंती के पर्व को भक्ति और मोक्ष का प्रतीक मानकर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

माता शबरी से जुड़ी रोचक जानकारी

प्रभु श्री राम की परम भक्त माता शबरी को हर कोई जानता होगा। लेकिन क्या आप जानते है, माता शबरी का नाम शबरी नहीं बल्कि श्रमणा था। श्रमणा (शबरी) का जन्म भील समुदाय में हुआ था। और उनके पिता भीलों के राजा थे। श्रमणा के पिता उनसे बेहद प्यार करते थे, जब श्रमणा विवाह के योग्य हुईं, तो उनके पिता ने उनके लिए एक योग्य वर चुना। भील समुदाय में विवाह के वक्त जानवरों की बलि देने की प्रथा होने के कारण श्रमणा के पिता विवाह से एक दिन पहले सौ भेड़-बकरियां लेकर आएं। और बलि देने की तैयारी करने लगे। लेकिन जब इस बात की  जानकारी श्रमणा को मिली तो वह उन सभी भेड़-बकरियों को बचाने की कोशिश करने लगी। विवाह वाले दिन सुबह ही श्रमणा ने सभी भेड़-बकरियों को छोड़ दिया। और खुद भी वन में चली गई। फिर कभी लौट कर घर वापस नहीं गई। श्रमणा ने पूरा जीवन शबरी बनकर भगवान श्री राम की भक्ति में काट दिया। श्री राम ने माता शबरी की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। भगवान श्री राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाएं और उन्हें मोक्ष प्रदान किया। 

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 माता शबरी को मंगत ऋषि ने दिया था आशीर्वाद

 शादी के दिन जानवरों को भगाने के बाद माता शबरी भी अपना घर छोड़कर जंगलों में भटकने लगी। इस दौरान किसी ने भी उनकों अपने आश्रम में शिक्षा नहीं दिया। उसके बाद वह मंगत ऋषि के आश्रम  पहुंची। जहां मंगत ऋषि ने शबरी के गुरू भाव से प्रसन्न होकर अपना शरीर त्यागने से पहले यह आशीर्वाद दिया, कि भगवान श्री राम उनसे मिलने आएंगे। और फिर माता शबरी को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। जिसके बाद माता शबरी ने पूरा जीवन भगवान श्री राम की प्रतिक्षा में बिताया। भगवान श्री राम ने भाई लक्ष्मण के साथ माता शबरी को दर्शन दिया और उनके जूठे बेर खान के बाद उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें मोक्ष प्रदान किया था।  

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