यहां है राम-सीता का अद्भूत विवाह मंडप

जनकपुर माता सीता का जन्म स्थान है। जनक की पुत्री देवी सीता का विवाह भगवान राम के साथ इसी शहर में हुआ था। राम-जानकी का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि के दिन हुआ था। इस दिन को श्रीराम पंचमी के दिन के रुप में मनाया जाता है। वहीं अयोध्या में भगवान राम और माता सीता के विवाह का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। भगवान राम और माता सीता का विवाह जनकपुर में हुआ था। वर्तमान में यह नेपाल में स्थित है। यहां सभी हर साल भगवान राम-जानकी के विवाह का उत्सव धूम-धाम से मनाते हैं। यहां भारत और नेपाल के अलावा अन्य देशों से भी लोग दर्शन के लिए आते हैं। हर साल भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या से बारात जनकपुर के लिए रवाना होती है। तो आइए जानते हैं माता सीता की जन्मभूमि और भगवान राम के ससुराल जनकपुर और आस-पास के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में।

जानकी मंदिर- राम-सीता का विवाह स्थल

पौराणिक कहानियों के अनुसार जनकपुरी में राम-सीता का विवाह हुआ था। जिसे बाद में जानकी मंदिर बना दिया गया। जानकी मंदिर देवी सीता को समर्पित है। इस मंदिर को जनकपुरधाम के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की रानी ने 1911 में बनवाया था। इसे बनने में करीब 16 साल का समय लगा था।  कहते हैं कि विवाह से पहले माता सीता इसी जगह रहा करती थीं।

इस मंदिर में भगवान शिव को भेंट करते हैं झाड़ू जिससे दूर होते हैं त्वचा-रोग

 राम मंदिर-  1700 साल पुराना है यह मंदिर

राम मंदिर को 1700 साल पहले गोरखा जनरल अमर सिंह ने बनवाया था। अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर को भी पैगोडा शैली में बनाया गया है। यहां राम नवमी और दशहरे पर भारी संख्या में भक्तों की भीड़ होती है। राम मंदिर यहां के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।

राम सीता विवाह मंडप- हजारों भक्तों की लगती है भीड़

इसी स्थान पर भगवान राम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। इस मंडप में माता सीता की शादी के पारंपरिक तरीके को देखा जा सकता है। विवाह पंचमी तिथि के दिन हुआ था। यहां बने मंदिर में हजारों भक्त आकर माता सीता से आर्शीवाद लेते हैं। यह मंडप प्राचीन काल की वास्तु कला का बेहतरीन नमूना पेश करता है।

इस श्मशान में विवाह करने से सुखी रहता है वैवाहिक जीवन, यहाँ रोज़ होता है मांगलिक कार्य

दोलखा भीमसेन मंदिर- बिना छत का है यह मंदिर

भीमसेन मंदिर भीमेश्वर के दोलखा बाजार में स्थित है। यह मंदिर मुख्य शहर जनकपुर से करीब 107 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा भीम की है। पांडवों के पांच भाइयों में से भीम युधिॆष्ठिर से छोटे दूसरे नंबर के पांडव थे। मंदिर की खास बात है कि इस पर छत नहीं है। भीम की मूर्ति त्रिकोण आकार में है और यह पत्थर से बना है। मंदिर में तीन अलग-अलग देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां भीम के अलावा मां भागवती और भगवान शिव की प्रतिमा है।

धनुषा धाम-तीन टुकड़ों में बंट गया था भोलेनाथ का धनुष

धनुषा नेपाल का एक प्रमुख जिला है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने भोलेनाथ के धनुष की डोरी खीचीं तो वह तीन टुकड़ों में बंट गया। धनुष का एक हिस्सा उड़कर स्वर्ग पहुंचा तो दूसरी हिस्सा पाताल में जा गिरा। जिसके ठीक ऊपर धनुष सागर है। बता दें धनुष सागर जनकपुर से 40 किमी की दूरी पर स्थित है। वहीं धनुष का तीसरा हिस्सा जनकपुर के पास जा गिरा। जिसे हम धनुषा धाम के नाम से जानते हैं।

रत्ना सागर मंदिर-भगवान राम और सीता को समर्पित

भगवान राम और माता सीता को समर्पित है यह मंदिर। प्राचीन स्थल लुम्बिनी में स्थित है यह विशाल मंदिर। इस मंदिर का नाम रत्ना सागर रखा गया है क्योंकि यह चारों ओर से खूबसूरत बगीचे और एक पवित्र जलस्त्रोत रत्ना सागर से घिरा हुआ है। लुंबिनी असल में गौतम बुद्ध का जन्म स्थल है। यह स्थान बौद्ध धर्म का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

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