सावन माह में महादेव को इन चीजों का अर्पण करने से प्राप्त होता है शुभ फल

सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है इसलिए यह माह पूर्णतया भगवान शिव का समर्पित किया गया है। मान्यता है कि जो जातक इस महीने में पूरी श्रद्धा-भक्ति और निष्ठाभाव से भोलेनाथ की सेवा करते हैं, उन्हें शुभ फल प्राप्त होते हैं। देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना बहुत सरल कार्य है। इस माह में रुद्राभिषेक करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। जलाभिषेक करने के बाद भक्तों द्वारा बेलपत्र, शमी के पत्ते, कुषा, दूब, भांग, धतुरा और श्रीफल भगवान भोलेनाथ को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं। 

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सावन के महीने से जुड़ी कई प्रचलित धार्मिक कथाएं हैं। जिसमें से एक कथा के अनुसार, जब माता सती ने पिता दक्ष के यज्ञ में शिवजी के अपमान से रुष्ट होकर आत्मदाह कर लिया था तब भगवान शिव इस बात से इतने आहत हुए कि वे समाधि में चले गए। माता सती ने अगले जन्म में हिमालय राज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। हिमालय राज ने अपनी इस पुत्री का नाम पार्वती रखा। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने सावन के ही महीने में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए निराहार रहकर कठोर तप किया था। भगवान शिव माता पार्वती की कठोर तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हुए उनसे विवाह कर लिया।

पुराणों में वर्णित एक और कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन भी इसी महीने में हुआ था। मंथन से जो विष निकला था भगवान शिव ने उसका पान किया और उसे अपने कंठ में रोकते हुए सृष्टि की रक्षा की थी। विषपान के कारण शिवजी का गला नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विषपान से होने वाली तपिश में भगवान शिव को ठंडक पहुँचाने के लिए सभी देवों ने उन्हें जल चढ़ाया और तबसे भगवान शिव के जलाभिषेक की प्रथा शुरू हुई।

ये कथाएं सावन के महीने की पवित्रता और सनातन धर्म में इस पवित्र महीने का महत्व बताते हैं। मान्यताओं के अनुसार यदि कोई जातक पूरे विधि-विधान से इस महीने भगवान शिव की पूजा करता है तो उसे हर प्रकार के दुःख, चिंताओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान शिव को क्या अर्पित करने से जातकों को क्या लाभ प्राप्त होता है।

  • सावन के सोमवार को यदि आप शिवलिंग का किसी भी तीर्थ स्थान के जल अथवा माँ गंगा के जल से जलाभिषेक करते हैं तो ऐसे जातकों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • शिवलिंग पर निरंतर जल चढ़ाने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियाँ दूर होती है।
  • यदि कोई जातक अपने अन्दर शारीरिक रूप से कमज़ोरी, थकान और खुद को बीमार  महसूस करता है तो उसे शिवलिंग पर गौ माता के दूध से बने शुद्ध घी को चढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
  • शिवलिंग पर दही चढ़ाना जातकों को सभी प्रकार के धन-धान्य से संपन्न करता हैं और घर परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
  • भगवान शिव को कुशा जल अथवा सुगन्धित इत्र इत्यादि अर्पित करने से सभी रोग-दोषों का निवारण होता हैं। 
  • यदि सोमवार के दिन भगवान शिव को गन्ने का रस अर्पित किया जाए तो माँ लक्ष्मी की असीम अनुकम्पा  तथा सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • दूध-चीनी मिश्रित जल शिवलिंग पर चढ़ाने से सद्बुद्धि प्राप्त होती है, बच्चों का मस्तिष्क तेज़ होता है और वे सफलता की ऊंचाई पर पहुँचते हैं।
  • शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढ़ाने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। लेकिन ऐसा केवल उन्हीं जातकों को करना चाहिए जिनकी कुंडली में शनि नीच अवस्था में हो अथवा बुरे प्रभाव दे रहा हो।
  • शिवजी को गेंहूं अर्पित करने से सुयोग्य और आज्ञाकारी पुत्र की प्राप्ति होती है और वंश बढ़ता है। घर के सदस्यों के बीच संबंधों में मधुरता रहती है।
  • सोमवार को भोलेनाथ पर जौ चढ़ाने से परेशानियों का तथा तिल चढ़ाने से पापों का नाश होता है। ऐसा करने से जातकों को मानसिक सुख तो मिलता ही है साथ ही सामाजिक स्तर पर यश भी प्राप्त होता है।
  • शिवलिंग पर अक्षत अर्पित करना जातकों को धन-संपति से परिपूर्ण करता है। ऐसे जातकों को किसी चीज़ की कमी नहीं होती है और ये ख़ुशी से जीवनयापन करते हैं।

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