डीएनए डाटा बैंक बनाने के पीछे सरकार का है ये उद्देश्य, ये होगा डीएनए जांच का प्रोसेस !

केंद्र सरकार ने डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक को पूरी तरह से लागू करने और देश भर में डीएनए डाटा बैंक बनाने की अनुमति दे दी है। हालाँकि मोदी सरकार के इस महत्वाकांक्षी विधेयक को अभी संसद में पेश किया जाना बाकी है। इससे पहले इस बिल को लोकसभा में मंजूरी भी मिल गयी थी लेकिन किसी कारणवश राज्यसभा में इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी। केंद्र सरकार द्वारा इस बिल को लागू करने और संबंधित कानून का गठन करने के लिए किया गया यह तीसरा प्रयास है।

इसे पारित करने के पीछे सरकार का है ये उद्देश्य

डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक को लागू करने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य देश के न्यायिक प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाना है। इसके तहत सभी अपराधों की जाँच सही ढंग से हो पायेगी और मर्डर जैसे अपराधों की फॉरेंसिक जाँच के लिए एक विशेष डीएनए डाटा बैंक भी बनाया जाएगा। इस कानून के तहत सुरक्षा एजेंसियों को डीएनए सैंपल और डीएनए प्रोफाइल बनाने की अनुमति मिल सकेगी।

इससे देश के क्राइम रेट में गिरावट आ सकती है। फिलहाल डीएनए परीक्षण के जरिये आपराधिक जाँच और लापता लोगों को ढूंढ़ने का काम किया जा रहा है। यह कानून विशेष तौर पर इस चीज़ की भी निगरानी करेगा कि किसी भी प्रकार से डीएनए डाटा प्रौद्योगिकी का दुरूपयोग ना किया जा सके।

ऐसा होगा डीएनए जाँच का प्रोसेस
इस कानून के तहत पुलिस किसी भी उस व्यक्ति को डीएनए जाँच के लिए कह सकती है जो किसी प्रकार के अपराध में संलिप्त पाए गए हों। हालांकि यदि किसी को मौत की सजा मिली हो या कम से कम सात साल की सजा मिली हो तो ऐसी स्थिति में अपराधी के लिखित हस्ताक्षर के बिना उसका डीएनए जांच नहीं किया जा सकता है।

हाँ लेकिन यदि किसी मामले में मजिस्ट्रेट की तरफ से अनुमति दी जाती है कि डीएनए जाँच अनिवार्य है, तो ऐसी स्थिति में उसे नकारा नहीं जा सकता। इसके तहत लोग अपने खोये हुए रिश्तेदार या किसी अन्य स्थिति से निपटने के लिए भी अपनी मर्जी से डीएनए जाँच करवा सकते हैं। किसी आपराध स्थल से लिए गए डीएनए के नमूनों को आवश्यक रूप से डीएनए डाटा बैंक में जमा करवाना होगा।
इसके तहत अपराधियों को ये सुविधा भी मिल सकती है
सूत्रों की माने तो इस डीएनए विधेयक के पास हो जाने के बाद खासतौर से अपराधियों का अपराध पूरा हो जाने के बाद वो अपने डीएनए नमूनों को डाटा बैंक से हटाने की अनुमति प्राप्त कर सकते हैं। फिलहाल इस कानून को लागू करने के लिए इसे संसद से मंजूरी मिलना बेहद आवश्यक है उसके बाद ही इस दिशा में ठोस कदम उठाये जा सकते हैं।

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