आधुनिक युग में हर व्यक्ति अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भाग-दौड़ और व्यस्त जीवन जीने पर विवश हो गया है, रविवार का एक दिन का अवकाश ही उसे सुकून और शांति देने वाला होता है, लेकिन क्या आप जानते है रविवार के दिन यदि आप सूर्य देव की उपासना कर उपवास करते हैं तो आपके जीवन में आने वाली हर अड़चन का समाधान हो सकता है, वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव को खुश करने के लिए रविवार का व्रत रखना चाहिए।
सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए करें यह उपाय
सभी नौ ग्रहों में सूर्य देव को राजा का दर्जा प्राप्त है, और यदि मनुष्य सूर्य देव की उपासना करता है तो उसके समस्त कष्टों का निवारण हो जाता है सूर्य देव को मनुष्य के मान-सम्मान और सुख-समृद्धि का कारक भी माना गया है । इसके साथ-साथ सूर्य देव का दर्जा आदि पंचदेवों में भी दिया गया है। जो कलयुग में इकलौते दृश्य देवता है। सूर्य देव की उपासना करने के लिए रविवार का दिन मुख्य माना गया है या यूं कहें कि सूर्य देव को रविवार का दिन समर्पित है।
यदि रविवार के दिन कोई भी जातक पूरे विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा-अर्चना कर उपवास रखता है तो उस पर सूर्य देव की विशेष कृपा बनी रहती है, लेकिन शास्त्र के अनुसार रविवार का व्रत करने के लिए एक निश्चित वक्त का निर्धारण किया गया है, और रविवार व्रत की एक समय अवधि भी तय की गई है। जिसके फलस्वरुप पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से ही जातक को अच्छे फलों की प्राप्ति होगी, और सूर्य देव प्रसन्न होंगे। तो आइए जानते हैं, कब और कितने वक्त तक करें रविवार का व्रत।
रविवार व्रत कब और कितने साल तक करें
यदि कोई जातक रविवार का व्रत करना चाहता है, तो महीने के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से व्रत आरंभ करें। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि जातक माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से व्रत प्रारंभ करता है, तो इसका प्रभाव जल्दी मिलता है। रविवार का व्रत कम से कम 1 साल या फिर 5 साल तक करें। व्रत पूरा होने के बाद अंतिम रविवार के दिन एक योग्य ब्राह्मण को भोजन करा कर उद्यापन करें। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि जातक रविवार का व्रत पूरी श्रद्धा और नियम के साथ करता है तो सूर्य देव की उसपर विशेष कृपा बनी रहती है, और वो जीवन में अनेक प्रकार के सुखों को भोगने वाला होता है ।
रविवार व्रत की पूजा विधि
रविवार व्रत करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ-सुथरे लाल रंग के वस्त्र धारण करें। सूर्य देव का स्मरण करें और सूर्योदय के वक्त एक कलश में लाल पुष्प, रोली और अक्षत, दुर्वा डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के बाद सूर्य बीज मंत्र का जाप करें। रविवार व्रत कथा का भी पाठ अवश्य करें, और सूर्यास्त के वक्त पूजा करने के बाद ही फलहार करें ।
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