Pradosh Vrat 2021:10 मार्च को किया जायेगा प्रदोष व्रत, पूजा और व्रत के नियम जान लें

मासिक व्रत में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का विशेष महत्व बताया जाता है। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव और पार्वती को समर्पित एक बेहद ही पुण्य दाई व्रत माना गया है मार्च महीने का प्रदोष व्रत महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2021) से ठीक 1 दिन पहले यानी 10 मार्च-बुधवार के दिन को किया जाएगा।

प्रदोष व्रत के बारे में सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, इस व्रत के प्रभाव से ही चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्ति प्राप्त हुई थी। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन मां पार्वती और भगवान शिव की सच्चे मन और सही विधि-विधान के साथ पूजा करता है या व्रत करता है उसके सभी कष्ट और परेशानियां अवश्य दूर होते हैं।

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प्रदोष व्रत 2021 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat shubh Muhurat 2021)

प्रदोष व्रत तिथि – 10 मार्च 2021-बुधवार

फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 10 मार्च 2021 बुधवार को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्त – 11 मार्च 2021 गुरुवार को 02 बजकर 39 मिनट तक

प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कैसे तैयार करें थाली?

प्रदोष व्रत की पूजा बेहद ही सरल होती है। हालांकि हर एक पूजा की ही तरह इस व्रत में भी कुछ विशेष सावधानियां और ध्यान देने वाली बातें बताई गई है। प्रदोष व्रत की पूजा की थाली में अबीर, गुलाल (किसी भी रंग का), चंदन, सुगंधित फूल, अक्षत, बिल्वपत्र, कलावा, घी या तेल का दीपक, सुगंधित कपूर और अगरबत्ती और भोग के लिए फल इत्यादि अवश्य शामिल करें।

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प्रदोष व्रत का महत्व और नियम

बुध प्रदोष व्रत महत्व, सप्ताह में अलग-अलग दिन पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। क्योंकि मार्च महीने का प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है ऐसे में इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। बुध प्रदोष व्रत के बारे में कहा जाता है कि, जो कोई भी माता-पिता इस दिन व्रत और पूजन करते हैं उनके संतान की बुद्धि प्रखर होती है और स्वास्थ्य ठीक बना रहता है। 

आप चाहे तो बुधवार के दिन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत में सुबह और शाम के समय भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा करें और इस दिन की पूजा में भगवान गणेश के सामने हरी इलायची अर्पित करें। इसके अलावा प्रदोष व्रत के दिन अपने स्नान करने के जल में गंगाजल डालकर स्नान करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर या खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा जिन लोगों की संतान का स्वास्थ्य नाज़ुक बना रहता है उन्हें बुध प्रदोष व्रत के दिन अपने बच्चों के हाथों दवा और कपड़े का दान करवाने की सलाह दी जाती है।

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अब बात करें प्रदोष व्रत के नियम के बारे में तो, प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्तियों को पूरे दिन अन्न नहीं ग्रहण करना होता है। आप चाहें  तो इस दिन सुबह दूध ग्रहण कर सकते हैं। इसके बाद स्नान आदि करने के बाद पूजा और व्रत का संकल्प लें और पूजा के बाद फलाहार ग्रहण कर लें। हालांकि इस दिन और इस दिन के व्रत में नमक खाने से परहेज करें। इस दिन फलाहार भोजन किया जाता है।

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