जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बीते 13 सितंबर से श्राद्धपक्ष की शुरुआत हो चुकी है। पंद्रह दिनों के पितृपक्ष की इस अवधि के दौरन इस बार कई वर्षों के बाद एक बेहद ख़ास संयोग भी बनने जा रहा है। माना जा रहा है कि ये संयोग आपके लिए ख़ासा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। आज हम आपको विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान बनने वाले इस ख़ास संयोग के बारे में ही बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं कि आखिर क्या है वो संयोग जो आप सभी के लाभदायक साबित हो सकता है।
गजलक्ष्मी व्रत 2019: जानें पूजा विधि एवं महत्व !
आपको बता दें कि भादो माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होने वाले पंद्रह दिन को श्राद्धपक्ष के नाम से जाना जाता है। इस दौरान विशेष रूप से पितरों की पूजा अर्चना की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। हिन्दू धर्म में पितरों को भगवान् तुल्य माना गया है, पितृपक्ष में पिंडदान और तर्पण की क्रिया करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आपको उनका आशीर्वाद मिलता है। इस बार पितृपक्ष के दौरान नक्षत्रों के योग से विशेष संयोग बन रहा है।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन बन रहा है ख़ास संयोग
बता दें कि भादो माह के पंद्रह दिन और आश्विन माह के एक दिन को मिलाकर पितृपक्ष मुख्यरूप से पूरे सोलह दिनों माना जाता है। पितृपक्ष की समाप्ति हमेशा सर्वपितृ अमावस्या के दिन होती है। इस बार इसी दिन ख़ासा संयोग बनने जा रहा हैं। माना जा रहा है कि इस बार 28 सितंबर को पड़ने वाले सर्वपितृ अमावस्या को शनिवार का दिन है और इस दिन और तिथि का विशेष संयोग बन रहा है। माना जा रहा है कि इस साल करीबन 19 सालों के बाद सर्वपितृ अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है। ऐसा संयोग व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का निदान करता है। बशर्ते की इस दिन आप अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण की क्रिया कर रहे हों।
पितृपक्ष से संबंधित इन आवश्यक तथ्यों के बारे में जरूर जान लें !
सर्वपितृ अमावस्या पर बनने वाले संयोग का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या के दिन इस बार मुख्य रूप से तारका नक्षत्र का भी योग है जिसे सभी दुखों का निवारण करने वाले नक्षत्र के रूप में जाना जाता है। इस विषय का ख़ास ज्ञान रखने वाले जानकारों का ऐसा कहना है कि इस बार सर्वपितृ अमवस्या के दिन खासतौर से पितरों को जल अर्पित करने और श्रद्धापूर्वक उनका पिंडदान करने से विशेष लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। इसके साथ ही साथ आपको बताते चलें की सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी पितरों के लिए तर्पण क्रिया की जा सकती है जिनकी दिवंगत तिथि परिवार वालों को मालूम ना हों। गौरतलब है कि, आप भी इस बार बनाने वाले इस ख़ास संयोग का लाभ उठा सकते हैं और पितरों का आशीर्वाद पा सकते हैं।