सनातन धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व माना गया है और साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं, उन्हें एकादशी में पापांकुशा एकादशी हैं। हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग धन की देवी की माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही, एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप व बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। ख़ास बात यह है कि इस बार पापांकुशा एकादशी में बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है।
तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं पापांकुशा एकादशी के बारे में और साथ ही, इस पर भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से।
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पापांकुशा एकादशी 2024: तिथि व समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 13 अक्टूबर की सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन सोमवार 14 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 43 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, वैष्णव समाज के अनुयायी 14 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाएंगे। व्रत पारण 14 अक्टूबर की दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट के मध्य कर सकते हैं।
पापांकुशा एकादशी शुभ योग
आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 14 अक्टूबर की देर रात 02 बजकर 51 मिनट पर होगा। वहीं, पापांकुशा एकादशी पर धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग 14 अक्टूबर की देर रात 02 बजकर 51 मिनट तक है। इसके साथ ही गर एवं वणिज करण योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
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पंचांग
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 53 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रास्त: देर रात 02 बजकर 33 मिनट पर ( 14 अक्टूबर)
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
पापांकुशा एकादशी का महत्व
पापांकुशा एकादशी का सनातन धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। यह एकादशी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है। इस एकादशी का नाम पापांकुशा इसलिए पड़ा क्योंकि इसका पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे ‘पापों को अंकुश में रखने वाली एकादशी’ भी कहा जाता है।
इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को अनेक पुण्यों की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत करने वाले को सभी प्रकार के दुख और कलेशों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। यही नहीं, इस एकादशी से व्यक्ति को भविष्य में उन्नति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि
पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि का पालन करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते है पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि के बारे में।
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- शुद्ध वस्त्र धारण करें और पवित्रता का ध्यान रखें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और एक साफ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- धूप, दीप, फूल, अक्षत (चावल), पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर), तुलसी के पत्ते, नारियल, फल, मिठाई, पवित्र जल भगवान विष्णु को अर्पित करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें। मंत्र, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
- भगवान विष्णु को वस्त्र अर्पित करें और उनके सामने धूप-दीप जलाएं।
- उन्हें फूल, तुलसी के पत्ते, और अक्षत अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- आरती करें और भगवान विष्णु से अपने पापों की क्षमा माँगें।
- पूरे दिन भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और रात्रि में जागरण करें और भगवान का ध्यान करें।
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पापांकुशा एकादशी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक निर्दयी बहेलिया रहता था। वह अपने जीवन में अनेक पाप कर्म करता था जैसे कि निर्दोष जानवरों का शिकार, चोरी, और लोगों को कष्ट पहुँचाना। उसके जीवन के अंत समय में यमदूत उसे लेने आए। यमदूतों को देखकर क्रोधन भयभीत हो गया और उसने भगवान से प्रार्थना की कि उसे मुक्ति का मार्ग दिखाया जाए।
उसकी प्रार्थना सुनकर, उसी समय भगवान विष्णु के एक भक्त वहाँ आए और उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने का उपदेश दिया। उन्होंने उसे बताया कि यदि वह इस एकादशी का व्रत करेगा, तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। क्रोधन ने उस दिन पूरे विधि-विधान से पापांकुशा एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप धुल गए, और अंत में भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त हुआ। इस प्रकार, पापांकुशा एकादशी का व्रत व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करता है। इस व्रत की महिमा से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
पापांकुशा एकादशी के दिन करें ये ख़ास उपाय
पापांकुशा एकादशी का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन किए गए विशेष उपाय व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
तुलसी की पूजा
पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी पर जल चढ़ाकर, दीप जलाएं और तुलसी स्तुति का पाठ करें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ
इस दिन भगवान विष्णु का विशेष ध्यान करते हुए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। यह पाठ सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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दान-पुण्य
पापांकुशा एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना विशेष फलदायी होता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति सभी पापों से छुटकारा पाता है।
उपवास रखें
इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और उपवास रखें। उपवास से शरीर और मन की शुद्धि होती है और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
भगवान विष्णु की आराधना
इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और उनका ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
इस एकादशी का नाम पापांकुशा इसलिए पड़ा क्योंकि इसका पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है।