घर के वास्तु दोष से हो सकती है ये बड़ी बीमारियां, इन उपायों से दूर होगी सारी समस्या

मानव जीवन को सुखद और सुगम बनाने में वास्तु शास्त्र का बहुत अधिक योगदान है। यह पांच तत्वों से मिलकर बना है, जो इस प्रकार है- पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल और वायु। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर बनने से लेकर घर में रखे हर एक वस्तु और दिशा का खास महत्व होता है। वास्तु के अनुसार घर की हर एक दिशा खास संकेत देती है। इन दिशाओं से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जा निकलती है। इन दिशाओं से निकलने वाली ऊर्जा का असर घर के हर एक सदस्यों पर पड़ता है। दरअसल घर पर वास्तु दोष तब लगता है जब वास्तु के नियमों का पालन न किया जा रहा है और इसके बाद ही वास्तु दोष लगना शुरू होता है। वास्तु दोष के परिणामस्वरूप घर में रहने वाला व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रोगी तक बन जाता है। यह नहीं व्यक्ति को कई अन्य प्रकार की बीमारियां भी घेर लेती है। यदि वास्तु दोष से निपटने के लिए सही से उपाय न किया जाए तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी बीमारी से घिर सकता है इसलिए इससे मुक्ति पाने के लिए उपाय करना जरूरी है। 

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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे कि वास्तु दोष होने पर व्यक्ति किस प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त रहता है, वास्तु दोष कब होता है और इससे बचने के आसान उपाय आदि के बारे में यहां जानकारी हासिल करेंगे। तो बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं कि वास्तु दोष होने पर कौन सी बड़ी बीमारियां व्यक्ति को परेशान कर सकती है।

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वास्तु शास्त्र क्या है?

वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन विज्ञान है, जो प्रकृति और ऊर्जा के नियमों पर आधारित है।विशेष रूप से सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। लोग घर बनाते समय वास्तु के नियमों का खासतौर से ध्यान रखते हैं। वास्तु शास्त्र का मुख्य उद्देश्य प्रकृति और उपयोगिता पूर्ण शक्तियों का संचार और संतुलन सुनिश्चित करना है। इसके अनुसार, सही तरीके से इस्तेमाल से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है और व्यक्ति तमाम तरह की समस्याओं से निजात पाता है।

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वास्तु दोष होने पर इन बीमारियों से परेशान रहता है व्यक्ति

वास्तु दोष से ऐसे तो कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती है लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां है, जो काफी गंभीर रूप ले लेती है। यदि समय पर इसका समाधान न किया जाए तो यह व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। तो आइए जानते हैं इन बीमारियों के बारे में।

पेट संबंधी समस्या

वास्तु दोष होने से पेट से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। वास्तु दोष के अनुसार, घर का किचन उत्तर पूर्वी दिशा में नहीं होना चाहिए क्योंकि इस दिशा में किचन होना अशुभ माना जाता है। इस दिशा में खाना बनाने से पेट से संबंधित बीमारियां परेशान कर सकती है और यह बीमारी बड़ा रूप ले सकती है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें।

गैस और रक्त संबंधी बीमारी

घर की दीवारों के रंग का भी वास्तु में बहुत अधिक महत्व है इसलिए घर में पेंट करवाते समय वास्तु के नियमों का जरूर ध्यान करें। वास्तु जानकारों के अनुसार, अच्छे स्वास्थ्य के लिए दीवारों पर दिशा के अनुरूप हल्का और सात्विक रंगों का इस्तेमाल करना शुभ साबित हो सकता है। ऐसा करने से वास्तु दोष से बचा जा सकता है। वास्तु के हिसाब से घर में नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर, काला या गहरा नीला रंग वायु रोग, पेट में गैस, हाथ-पैरों में दर्द, गहरा लाल रंग रक्त संबंधी बीमारी या दुर्घटना का कारण बन सकता है इसलिए घर का पेंट करवाते समय अधिक ध्यान दें।

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शरीर में दर्द की समस्या

यदि आप भोजन करते समय वास्तु के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो इससे आपके लिए बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। वास्तु के नियम के अनुसार, दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे पैरों में दर्द की समस्या परेशान कर सकती है। जिन लोगों के पैरों में अक्सर दर्द रहता है वह वास्तु दोष के कारण ही होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भोजन करते समय मुंह पूरब दिशा की तरफ होना चाहिए। इससे आपका स्वास्थ्य रहता है और कोई बड़ी समस्या आपको परेशान नहीं कर सकती है। इसके अलावा किचन में खाना बनाते समय अगर मुंह दक्षिण की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी से संबंधित समस्या आपको परेशान कर सकती है। पश्चिम की तरफ मुंह करके खाना बनाने से आंख,नाक,कान और गले की समस्याएं हो सकती है।

नींद न आने की समस्या

नींद न आना, थकान, अधिक तनाव लेना सिर और हाथ पैरों में दर्द और बेचैनी आदि का भी वास्तु दोष से गहरा संबंध है। यदि आपने वास्तु के नियम का सही से पालन नहीं किया तो आपको इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप सोने जा रहे हैं तो अपना बिस्तर इस प्रकार करें कि आपका पैर पूरब की ओर आए। इस दिशा में सोने और बैठने से स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाया जा सकता है। इसके अलावा, आय के भी स्त्रोत खुलते हैं। वास्तु के अनुसार, उत्तर की तरफ सिर और दक्षिण की तरफ पैर करके सोने से कई तरह की समस्याएं व्यक्ति को परेशान कर सकती है।

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वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान

वास्तु शास्त्र में ऐसे कई नियमों के बारे में बताया गया है, जिसको ध्यान में रखकर घर से वास्तु दोष को कम किया जा सकता है और बीमारी होने से बचा जा सकता है। तो आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में।

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच पानी से संबंधित चीज़े जैसे नल या कुआं नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, इस दिशा में वॉश बेसिन या वॉशिंग मशीन रखने से बचना चाहिए।
  • घर में कोई बीमारी है तो दवाइयों को भूलकर भी दक्षिण के दिशा में नहीं रखना चाहिए। दवाइयों को उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
  • यदि आप दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो दवा हमेशा उत्तर की ओर मुंह करके खाना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा में भारी बॉक्स नुमा चीजें जैसे इन्वर्टर रखने से बचना चाहिए। इन दिशाओं में कोई भी वास्तु दोष होने पर घर में बीमारियों का घर बन सकता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. वास्तु के अनुसार, घर में किस दिशा में क्या होना चाहिए?

उत्तर 1. घर पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए।

प्रश्न 2. कैसे पता करें कि घर में वास्तु दोष है?

उत्तर 2. यदि घर में समय-समय पर आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है या घर में रहने वाले सदस्य बार-बार बीमार पड़ रहे हैं तो यह वास्तु दोष का कारण है।

प्रश्न 3. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय कहाँ होने चाहिए?

उत्तर 3. बाथरूम को या तो उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए।

प्रश्न 4. कौन सी दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए?

उत्तर 4. दक्षिण से उत्तर की तरफ सोने से व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कब से शुरू है जया पार्वती व्रत? जानें तिथि, मुहूर्त और 5 दिवसीय इस व्रत का महत्व!

जया पार्वती 2024: सतयुग, द्वापरयुग से लेकर वर्तमान समय तक सनातन धर्म में अनेक प्रकार के व्रतों को करने की परंपरा चली आ रही है और हर व्रत की अपनी विशेषता एवं महत्व होता है। इन्हीं व्रतों में से एक है जया पार्वती व्रत जो कि महिलाओं और कन्याओं द्वारा श्रद्धापूर्वक रखा जाता है। जया पार्वती व्रत आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी से शुरू होकर अगले 5 पांच दिनों तक चलता है। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको जया पार्वती व्रत से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, हम आपको इस व्रत की तिथि एवं महत्व के साथ-साथ पूजा के शुभ मुहूर्त से भी रूबरू करवाएंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस व्रत के बारे में सब कुछ। 

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बता दें कि प्रत्येक वर्ष जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास में पड़ता है इसलिए इस व्रत के महत्व में वृद्धि हो जाती है। यह व्रत भगवान शंकर एवं माता पार्वती को समर्पित होता है और यही वजह है कि इस व्रत में इनकी पूजा की जाती है। जया पार्वती व्रत मुख्य रूप से गुजरात समेत भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में किया जाता है। महिलाएं घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और कल्याण के लिए यह व्रत पूरी श्रद्धाभाव से रखती हैं। साथ ही, कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहा वर पाने की कामना से रखती हैं। जया पार्वती व्रत पूरे 5 दिनों का होता है। इस साल यह व्रत 19 जुलाई 2024 से शुरू हो रहा है। आइए अब जानते हैं जया पार्वती व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

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जया पार्वती व्रत 2024: शुभ मुहूर्त एवं तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में पांच दिनों तक जया पार्वती व्रत किया जाता है जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है जबकि इसका समापन सावन मास  माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर होता है। इस साल जया पार्वती व्रत 19 जुलाई 2024 को रखा जाएगा जबकि इसका अंत 24 जुलाई 2024, बुधवार के दिन होगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत हर साल जुलाई-अगस्त के महीने में आता है। इस व्रत की पूजा हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार की पूजा की तरह ही शुभ मुहूर्त में की जाती है जो कि इस प्रकार है:

जया पार्वती व्रत तिथि एवं मुहूर्त  

जया पार्वती व्रत की तिथि: 19 जुलाई 2024,  शुक्रवार

जया पार्वती प्रदोष पूजा का मूहूर्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 25 मिनट तक

त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 18 जुलाई 2024 की रात 08 बजकर 44 मिनट से, 

त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 19 जुलाई 2024 की शाम 07 बजकर 41  मिनट तक 

जया पार्वती व्रत का प्रारंभ: 19 जुलाई 2024, शुक्रवार से,

जया पार्वती व्रत का समापन: 24 जुलाई 2024, बुधवार 

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जया पार्वती व्रत का धार्मिक महत्व 

जया पार्वती व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है और यह हिंदू धर्म की महिलाओं और कन्याओं द्वारा पूरी आस्था के साथ रखा जाता है। जया पार्वती व्रत भक्त देवी जया की कृपा पाने के लिए करते हैं जो देवी पार्वती के विभिन्न स्वरूपों में से एक हैं इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस व्रत का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। जया पार्वती व्रत को विजय पार्वती व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत मालवा क्षेत्र (गुजरात) का एक लोकप्रिय व्रत है, वहां इस पर्व की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। जया पार्वती व्रत के जुड़ी मान्यता है कि अगर कोई इस व्रत को रखता है, तो यह व्रत 5, 7, 9, 11 या 20 वर्षों तक रखना चाहिए। 

आज का गोचर

हालांकि, इस व्रत का वर्णन पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। जया पार्वती व्रत को सुहागिन स्त्रियां और अविवाहित कन्याओं द्वारा रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं जया पार्वती व्रत को एक अच्छे पति की कामना और सुख-शांति एवं प्रेम से पूर्ण वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए करती हैं। ऐसा कहते हैं कि जो भक्त इस व्रत को पूरी आस्था और श्रद्धा से रखता है, उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। 

इस व्रत को परिवार में खुशहाली बनाए रखने और सुख-समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है। भक्त से प्रसन्न होकर देवी उनकी सभी इच्छाओं और कामनाओं को पूरा करती हैं। लेकिन, ऐसा तब ही होता है जब यह व्रत पूरी नीति-नियमों के साथ संपन्न किया जाता है।  

अब हम आपको जया पार्वती व्रत की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

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जया पार्वती व्रत 2024 की पूजा विधि

प्रत्येक व्रत एवं पूजा से मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए पूजा को विधि पूर्वक करना बेहद आवश्यक होता है इसलिए यहाँ हम आपको जया पार्वती व्रत की सही पूजा-विधि प्रदान कर रहे हैं। 

  • आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि यानी कि जया पार्वती व्रत के दिन सुबह-सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर पूजा स्थान की साफ-सफाई करें।
  • अब जया पार्वती एवं भगवान शिव का ध्यान करें और घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
  • इसके पश्चात,  भगवान शिव और देवी पार्वती को कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल आदि अर्पित करके पूजा की शुरुआत करें। 
  • फिर, नारियल, अनार व पूजा की अन्य सामग्री चढ़ाएं और विधिपूर्वक षोडशोपचार पूजा करें।
  • भोले शंकर और पार्वती जी का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
  • इसके बाद, शिव-पार्वती की मंगल स्तुति करें और फिर, जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें।
  • पूजा संपन्न होने के बाद व्रत का संकल्प करें।
  • जया पार्वती व्रत का पारण करते हुए सबसे पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र और दान-दक्षिणा दें।
  • आप सात्विक और दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • व्रत के अंतिम दिन व्रत का उद्यापन गेहूं की रोटी एवं अन्य पकवान के साथ कर सकते हैं।

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जया पार्वती व्रत के नियम

  1. जया पार्वती व्रत निरंतर 5 दिनों तक जारी रहता है और इस दौरान नमक का इस्तेमाल करना पूर्ण रूप से वर्जित होता है। 
  2. पौरणिक मान्यताओं के मुताबिक, जया पार्वती व्रत के 5 दिन की अवधि में कुछ लोग अनाज समेत सभी तरह की सब्जियों का प्रयोग करने से परहेज़ करते हैं। 
  3. एक बार जया पार्वती व्रत करने पर इस व्रत को लगातार पांच, सात, नौ, ग्यारह या अधिकतम बीस वर्षों तक करने का विधान है।

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जया पार्वती व्रत की पौराणिक कथा

धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहा करते थे। वह ब्राह्मण पति-पत्नी बेहद धार्मिक, दयालु और संस्कारशील थे और इनके जीवन में धन-संपत्ति का अभाव नहीं था, पर इनकी कोई संतान न थी। यह दोनों ब्राह्मण पति-पत्नी अपने मन में संतान प्राप्ति की कामना लिए भगवान शिव की पूजा-पाठ और उनकी भक्ति में लीन रहते थे। एक दिन ब्राह्मण भगवान शिव पति-पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुए और कहा कि पास के जंगल में मेरी एक मूर्ति स्थित है जिसकी कभी भी कोई पूजा नहीं करता है, तुम दोनों वहां जाकर मेरी उस मूर्ति की पूजा-अर्चना करो। 

भगवान शिव के कहे अनुसार ब्राह्मण जंगल में गया और वहाँ उसे शिव की मूर्ति मिल गई। शिव जी की प्रतिमा को साफ करने के बाद वह पानी खोजने लगा, लेकिन रास्ते में ही ब्राह्मण को एक सांप ने काट लिया जिसकी वजह से वह बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गया। बहुत समय बीतने के बाद ब्राह्मण के वापस न आने पर पत्नी को चिंता होने लगी और वह अपने पति को तलाश में जंगल में चली गई। 

वह मूर्ति के पास बैठकर शिव जी की तपस्या करने लगी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ब्राह्मण को जीवनदान दे दिया और उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण पति-पत्नी संतान की प्राप्ति होने के बाद सुख-शांति से अपना जीवन व्यतीत करने लगे। इस कथा के अनुसार,  जो भी स्त्री जया पार्वती व्रत को सच्चे मन से रखती है उसे अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।  

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. जया पार्वती व्रत में क्या खाना चाहिए?

उत्तर 1. इस व्रत में फल, दूध, दही, जूस और दूध से बनी मिठाइयों का आप सेवन कर सकते हैं।

प्रश्न 2. जया पार्वती व्रत कब से शुरू हो रहा है?

उत्तर 2. जया पार्वती व्रत 19 जुलाई 2024,  शुक्रवार से शुरू हो रहा है।

प्रश्न 3. क्या कुंवारी लड़कियां जया पार्वती व्रत कर सकती हैं?

उत्तर 3. जी हाँ, इस व्रत को कुंवारी कन्याओं द्वारा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 4.  जया पार्वती व्रत कितने दिन चलता है?

उत्तर 4. यह व्रत 5 दिनों तक निरंतर जारी रहता है ।

40 दिनों के लिए बुध का गोचर- जानें सभी राशियों पर इसके शुभ-अशुभ प्रभाव!

बुध ग्रह को ज्योतिष में बुद्धि, तर्क, विद्या, तर्कशक्ति, व्यापार से संबंधित ग्रह माना जाता है और अब यही महत्वपूर्ण बुध ग्रह 19 जुलाई को सिंह राशि में गोचर करने वाला है। अपने इस आज के खास ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बुध के महत्वपूर्ण गोचर का 12 राशियों पर पड़ने वाले शुभ अशुभ प्रभाव की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही जानेंगे बुध ग्रह को मजबूत करने के ज्योतिषीय उपायों की भी जानकारी।

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बुध का सिंह राशि में गोचर- क्या रहेगा समय? 

आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले बात करें बुध के सिंह राशि में होने वाले इस गोचर के समय की तो बुध का यह गोचर 19 जुलाई को 20:31 पर होने वाला है।

सिंह राशि में बुध 

बुध सिंह राशि में अनुकूल परिणाम प्रदान करता है क्योंकि सिंह राशि के साथ बुध के मैत्रीपूर्ण संबंध होते हैं जिनसे जातकों को लाभकारी परिणाम मिलते हैं। ऐसे जातक अपने व्यवहार में काफी नरम और शांत व्यक्तित्व वाले होते हैं। इसके अलावा उनकी बुद्धि और विश्लेषणात्मक दृष्टि काफी मजबूत होती है जिससे यह थोड़े अभिमानी नजर आ सकते हैं। 

बात करें इसके प्रभाव की तो सिंह राशि में बुध के होने से जातक गुणी, धनवान और ईर्ष्यालु बनते हैं। ऐसे जातक ज्यादा प्रतिभाशाली होते हैं, इनकी संगीत, नृत्य, कला और कविता में रुचि होती है। सिंह राशि में मंगल की बुध पर दृष्टि होने से जातक बुद्धिमान बनते हैं। 

सिंह राशि में बुध पर शुक्र का प्रभाव हो तो ऐसे जातक बेहद ही खूबसूरत होते हैं, आकर्षक स्वभाव के होते हैं और अपने जीवन में श्रेष्ठ राजा या फिर मंत्री भी बनते हैं। सिंह राशि में शनि के बुध पर प्रभाव से जातक अच्छे आचरण वाले होते हैं। जब बुद्ध का सिंह राशि में गोचर होता है तो चूंकि सिंह एक रचनात्मकता वाली राशि है और बुध कौशल का ग्रह है इसलिए जातकों में उत्कृष्ट रचनात्मकता देखने को मिलती है। 

ऐसे व्यक्तियों के पास रचनात्मक कौशल मौजूद होते हैं और सौभाग्य से वे उन सभी में शानदार होते हैं। अंत में बुध का प्रभाव किसी विशेष नक्षत्र में बुध की स्थिति पर निर्भर करता है जैसे अगर बुध मघा नक्षत्र में है तो केतु की स्थिति सिंह राशि में बुध के कामकाज को दर्शाती है क्योंकि मघा नक्षत्र का स्वामी केतु है। वहीं अगर बुध पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में है तो चूंकि इसका स्वामी शुक्र है ऐसे में इसका कारक शुक्र से संबंधित होगा। इसके अलावा अगर बुध उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में है तो सूर्य की स्थिति बुध के प्रभाव को प्रभावित करेगी।

आज का गोचर

बुध ग्रह और सिंह राशि 

बात करें बुध ग्रह की तो यह सूर्य के चारों ओर सबसे छोटी और सबसे तेज परिक्रमा करने के लिए जाना जाता है। बुध ग्रह चंद्रमा से आकर में थोड़ा बड़ा है और पृथ्वी से लगभग 2.6 गुना छोटा है। तापमान की बात करें तो बुध का सूर्य की तरफ वाला हिस्सा लगभग 430 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाला है। दिन से रात तक तापमान में होने वाले तीव्र परिवर्तन के चलते बुध ग्रह पर जीवन की उम्मीद  ना के बराबर है। 

बुध ग्रह पर एक दिन बहुत लंबा होता है क्योंकि यह ग्रह बहुत ही धीमी गति से चलता है। एक दिन का चक्कर पृथ्वी के 59 दिनों के बराबर होता है। हालांकि इसकी तेज परिक्रमा के चलते बुध का एक साल पृथ्वी के 88 दिनों में पूरा होता है। बुध ग्रह पर वायुमंडल बहुत कम है, लेकिन जो है वह अधिकांशतः ऑक्सीजन, सोडियम, हाइड्रोजन, हीलियम और पोटेशियम से बना है। 

ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को ग्रहों के राजकुमार के रूप में जाना जाता है। कहते हैं जिन लोगों की कुंडली में बुध उच्च स्थान पर होते हैं उनके जीवन में सभी तरह के सुख सुविधा होती है, उन्हें कारोबार, आर्थिक जीवन, काम और सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। वहीं इसके विपरीत बुध की स्थिति कमजोर हो तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, धन और ऐश्वर्या की कमी दिखाई देती है। 

अब बात करें सिंह राशि में बुध के प्रभाव से जातक अहंकारी होते हैं। हालांकि यह किसी भी ग्रुप या कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन लोगों को पता होता है कि इनका जन्म किसी बड़े काम के लिए हुआ है। ये लोग जीवन में कोई भी बड़ा रिस्क लेने में कतराते नहीं है और पूरे गर्व, शक्ति और अधिकार के साथ काम करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को शारीरिक आकर्षण ज्यादा पसंद आता है। आप अपने पार्टनर के प्रति ईमानदार होते हैं और यही ईमानदारी आपको सामने से भी अपेक्षित होती है।

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कमजोर बुध के उपाय 

कुंडली में बुध ग्रह कमजोर स्थिति में मौजूद हो तो ज्योतिष के जानकार व्यक्ति को कुछ बेहद ही सरल उपाय करने की सलाह देते हैं जिनसे आप कुंडली में मौजूद बुध को मजबूत कर सकते हैं साथ ही उसके सकारात्मक परिणाम अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं। 

  • बुधवार के दिन गाय को हरी घास का चारा खिलाएँ।
  • गौ माता की सेवा करें। 
  • उनके खान-पान के लिए दान दक्षिणा करें। 
  • घर में तुलसी का पौधा लगाएँ। तुलसी का पौधा लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी का पौधा हमेशा उत्तर दिशा में लगा होना चाहिए और आपको नियमित रूप से इसकी देखभाल और पूजा पाठ करनी है।

बुध का सिंह राशि में गोचर- राशिफल और उपाय 

 मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पंचम भाव का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चतुर्थ भाव का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें घर का स्वामी है और इस दौरान…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्यारहवें घर का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें घर का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नवम और बारहवें भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध आठवें और ग्यारहवें घर का स्वामी है और आपकी…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सातवें और दसवें घर का स्वामी है और…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध छठे और नवम भाव का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुम्भ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बुध चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1: बुध का सिंह राशि में गोचर कब होगा? 

उत्तर: बुध 19 जुलाई को 20:31 पर सिंह राशि में गोचर कर जाएगा। 

प्रश्न 2: बुध सिंह राशि में किस तरह के परिणाम देता है? 

उत्तर: बुध सिंह राशि में अनुकूल परिणाम प्रदान करता है क्योंकि सिंह राशि के साथ बुध के संबंध मेत्रीपूर्ण  होते हैं।

प्रश्न 3: बुद्ध किसका कारक है? 

उत्तर: ज्योतिष के अनुसार बुध बुद्धि, तर्क, विद्या, गणित, व्यवसाय, व्यापार आदि का कारक ग्रह माना गया है। 

प्रश्न 4: कुंडली में बुध कमजोर हो तो क्या होता है? 

उत्तर: कमजोर बुध याददाश्त की कमजोरी चीजों को याद रखने में परेशानी, व्यापार या नौकरी में नुकसान और असफलता, गणित विषय को समझने में परेशानी आदि के रूप में दिक्कतें खड़ी कर सकता है।

सूर्य-चंद्रमा ने बनाया है नवपंचम योग, इन लोगों की लगने वाली है लॉटरी

सौरमंडल के सभी ग्रह समय-समय पर एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते रहते हैं। इसके अलावा ग्रह उदित और अस्‍त भी होते हैं एवं नक्षत्र में भी गोचर करते हैं। ग्रहों की इस चाल से देश-दुनिया समेत सभी राशियों का जीवन प्रभावित होता है। किसी के लिए ये अनुकूल परिणाम लेकर आते हैं, तो वहीं कुछ लोगों को इस दौरान नकारात्‍मक चीज़ों का सामना करना पड़ता है।

ग्रहों के गोचर करने के दौरान कुछ शुभ संयोग और राजयोग का भी निर्माण होता है। 17 जुलाई को चंद्रमा ने मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश कर दिया है। वहीं सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे से पांचवे और नौवें भाव में हैं। सूर्य और चंद्रमा की इस स्थिति के कारण नवपंचम योग बन रहा है।

इस योग से कुछ राशियों के लोगों की किस्‍मत चमकने वाली है। इन्‍हें खूब धन-दौलत और सफलता मिलने के आसार हैं। तो चलिए अब बिना देर किए जानते हैं कि नवपंचम योग किन राशियों के लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

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नवपंचम योग से इन्‍हें होगा फायदा

वृषभ राशि

इस राशि के लोगों को समय-समय पर अचानक धन लाभ होने की संभावना है। यदि छात्र उच्‍च शिक्षा के लिए किसी विदेशी संस्‍थान में दाखिला लेना चाहते हैं, तो अब उनकी यह इच्‍छा भी पूरी हो सकती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए प्रमोशन के योग बन रहे हैं।

आप अपने कार्यक्षेत्र में अपने काम और प्रग‍ति से संतुष्‍ट होंगे। व्‍यापारी अधिक उत्पादन करेंगे और उनके मुनाफे में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। पूर्व में किए गए निवेश से भी लाभ होने के आसार हैं। नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो अब आपकी यह इच्‍छा पूरी हो सकती है।

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सिंह राशि

सिंह राशि के लोगों का भाग्‍य चमकने वाला है। इन्‍हें हर क्षेत्र में सफलता मिलने के संकेत हैं। आपकी आमदनी में जबरदस्‍त बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। आप नौकरी बदलने के बारे में सोच सकते हैं। आपके लिए स्‍थान परिवर्तन के योग भी बन रहे हैं। आपको देश-विदेश की यात्रा पर भी जाना पड़ सकता है।

व्‍यापारियों के लिए भी अच्‍छा समय है। इन्‍हें खूब मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा। कोई नया ऑर्डर मिलने से आपको लाभ होगा। इस दौरान आपके आत्‍मविश्‍वास में भी वृद्धि होगी और आप ऊर्जावान महसूस करेंगे। आपको अपने परिवार के सभी सदस्‍यों का सहयोग प्राप्‍त होगा।

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धनु राशि

नवपंचम योग इस राशि के लोगों के लिए मंगलकारी सिद्ध होगा। आपको अपनी संतान की ओर से कोई अच्‍छी खबर मिल सकती है। इसके अलावा आपको भौतिक सुखों की भी प्राप्ति होने की उम्‍मीद है। आप नया वाहन या प्रॉपर्टी आदि भी खरीद सकते हैं। इससे आपको लाभ होगा।

आपकी वित्तीय स्थिति अच्‍छी होगी और आप खूब धन कमाएंगे। इसके साथ ही आप पैसों की बचत करने में भी सक्षम होंगे। प्रेम संबंध में हैं, तो इस समय आपके रिश्‍ते में मिठास आएगी। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को अपने प्रयासों में सफलता मिलेगी। आपकी कार्य करने की शैली में सुधार आएगा।

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नवपंचम योग क्‍या है?

जब पंचम भाव का स्‍वामी कुंडली में नौवें भाव में होता है, तब इस योग का निर्माण होता है। इसके अलावा नवमेश के पांचवे भाव में होने पर भी यह योग बनता है। इस योग को बहुत शुभ और शक्‍तिशाली माना जाता है।

यह ग्रहों की एक दुर्लभ स्थिति है और ज्‍योतिष में इसका बहुत महत्‍व है। कुंडली का पांचवा भाव बुद्धि, रचनात्‍मकता और संतान को दर्शाता है। वहीं नौवां भाव सीखने, भाग्‍य और अध्‍यात्‍म का प्रतीक होता है।

दो ग्रहों के शुभ स्थिति में आने पर जातक की रचनात्‍मकता, कलात्‍मक गुणों में वृद्धि होती है। ये लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में असीम सफलता प्राप्‍त करते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न. सूर्य का भाग्‍य रत्‍न कौन सा है?

उत्तर. सूर्य का रत्‍न माणिक्‍य है।

प्रश्‍न. सूर्य को खुश करने के लिए क्‍या करें?

उत्तर. सूर्य को रोज़ अर्घ्‍य देना चाहिए।

प्रश्‍न. सूर्य कितने दिनों में गोचर करते हैं?

उत्तर. सूर्य लगभग एक माह में गोचर करते हैं।

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धोखा देने में अव्वल होती हैं ये राशियाँ- आप भी हैं इनसे संपर्क में तो हो जाएं सावधान!

प्यार जितना ही खूबसूरत एहसास है धोखा उतना ही बदसूरत। ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि व्यक्ति की राशि उनके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताती है। आज अपने इस खास ब्लॉग में हम एक दिलचस्प विषय पर बात करेंगे और जानेंगे ज्योतिष के अनुसार उन राशियों के बारे में जो अपने पार्टनर को धोखा देने में अव्वल होती हैं।

दरअसल ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की राशि उसके स्वभाव, व्यक्तित्व, आदतों, के बारे में बहुत कुछ बताती है। राशि के प्रभाव से ही व्यक्ति के अंदर तमाम अच्छाई और दोष देखने को मिलते हैं। राशि ही मनुष्य के स्वभाव को एक दूसरे से अलग करती है। जहां कुछ राशि के जातक अपने प्रेम के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं और वफादार होते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसी राशियाँ भी बताई गई है जिनके जातक अपने पार्टनर को धोखा देने में माहिर होते हैं।

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अपने खास ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं कि कौन सी हैं वो राशियाँ जो अपने पार्टनर को आराम से धोखा दे सकती हैं। 

धोखा देने में अव्वल होती है ये राशियाँ

यहां हम जिन राशियों का जिक्र करने जा रहे हैं वह कुछ ऐसी राशियाँ हैं जो अगर आपके जीवन में भी आती है तो वह आपको धोखा देने से नहीं कतरएंगी। या यूं कहिए कि ये राशियाँ किसी को भी धोखा देने की क्षमता रखती हैं फिर चाहे आप हो कोई मशहूर कलाकार हों, कोई जाना माना चेहरा हों, या कोई आम आदि। यह राशियाँ किसी को भी धोखा दे सकती हैं।  

उदाहरण के तौर पर अभी हाल ही में मंडाना करीमी (एक्ट्रेस) ने खुलासा किया कि, कैसे उनके पूर्व पति ने शादी के बाद ही उन्हें धोखा दिया था। मंडना करीमी ने बताया कि कैसे वह व्यक्ति खुद को एक मशहूर निर्देशक बताकर मंडना के जीवन में आया। जब उन्होंने अपने भविष्य की योजना बनाना शुरू किया तो वह व्यक्ति मंडना को धोखा देकर अकेले छोड़कर चला गया। 

ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो जाता है कि क्या धोखा देने की इस प्रवृत्ति का विश्लेषण सितारों या फिर राशियों के आधार पर किया जा सकता है? तो इसका जवाब है जी हां। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं उन राशियों के बारे में जो अपने पार्टनर को धोखा देने से एक भी बार कतराते नहीं हैं।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातक रिश्ते में बहुत ही ज्यादा जरूरतमंद होते हैं। ऐसे लोगों पर अगर 24 घंटे ध्यान नहीं दिया जाए तो यह निराश हो जाते हैं। इसके अलावा मिथुन राशि की महिला जातक काफी अनिर्णायक हो सकती है। उन्हें अपने जीवन में विकल्प रखना पसंद होता है। बात करें कि धोखा देने की तो इसमें मिथुन राशि का नाम शीर्ष पर आता है। हालांकि यह धोखा उस स्थिति में देते हैं जब उन्हें अपने पार्टनर से वह प्यार और सम्मान नहीं मिलता जिसकी वह अपेक्षा करते हैं

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातक बेहद ही नाटकीय स्वभाव के होते हैं और उन्हें सेंटर आफ अट्रैक्शन बनना अच्छा लगता है। अगर आप उन्हें प्रिंस या प्रिंसेस ट्रीटमेंट नहीं देते हैं तो वह आपसे खिन्न हो सकते हैं और फिर अगर उन्हें आपसे अलग होना है तो वह धोखा देकर भी आपको छोड़ सकते हैं। ऐसे में बेहद आवश्यक हो जाता है कि इन लोगों को महत्वपूर्ण महसूस कराया जाए और उचित प्यार दिया जाए।

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों को आमतौर पर तो बहुत ज्यादा प्रेमी स्वभाव का माना जाता है। यह झटपट रिश्ते में आने से भी नहीं झिझकते हैं। हालांकि कई लोगों को ऐसा लगता है कि जब कन्या राशि के जातक रिश्ते में आते हैं तो वह फ्लर्ट करना बंद कर देते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता है। ऐसे में अगर आप किसी कन्या राशि के जातक के साथ रिश्ते में आने के बारे में विचार कर रहे हैं तो आपको अपने फैसले पर दोबारा सोच समझ लेना चाहिए।

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातक यूं तो शारीरिक रूप से धोखा देना की प्रवृत्ति नहीं दिखाते हैं लेकिन यह अपने पूर्व या पुराने प्रेमी को फ्लर्टी मैसेज दे सकते हैं। यह भी एक तरह का धोखा ही होता है। ऐसे में धोखा देने वाली राशियों की लिस्ट में कुंभ राशि का नाम भी जुड़ चुका है।

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के पास अपने पार्टनर को धोखा देने की बहुत अधिक संभावना होती है। संवेदनशील और ज्यादा भावुक होने के चलते हुए छोटे से छोटे मूड स्विंग्स पर भी अपने पार्टनर को धोखा देने का विचार कर सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1: झूठ बोलने वाली राशियाँ कौन सी होती है?

उत्तर: सिंह राशि झूठ बोलने के मामले में सबसे माहिर होती है। 

प्रश्न 2: प्यार में धोखा देने वाली राशि कौन सी होती है? 

उत्तर: कन्या राशि 

प्रश्न 3: क्या मीन राशि के जातक भी अपने पार्टनर को धोखा दे सकते हैं?

उत्तर: बिल्कुल, मीन राशि के जातक अपने पार्टनर को धोखा देने में जरा भी झिझक नहीं दिखाते हैं।

एक साल बाद बुध-शुक्र मिलकर बनाएंगे लक्ष्मी-नारायण राजयोग, इन 3 राशियों के वेतन वृद्धि के बनेंगे योग!

वैदिक ज्योतिष में नवग्रह एक निश्चित समय और अंतराल के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं जिसे गोचर कहा जाता है। प्रत्येक ग्रह का गोचर सभी राशियों सहित मनुष्य जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। ऐसे में, ग्रहों के गोचर से अनेक तरह की युति का निर्माण होता है जिसकी वजह से शुभ-अशुभ योग भी बनते हैं। इसी क्रम में, अब जल्द ही शुक्र और बुध की कर्क राशि में युति  होने जा रही है और इन ग्रहों के संयोजन से एक बेहद शुभ योग बनने जा रहा है। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको शुक्र-बुध की युति और इससे बनने वाले शुभ योग के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, इस शुभ योग से किन राशियों के अच्छे दिनों की शुरुआत होगी? इसका जवाब भी आपको इस ब्लॉग में मिलेगा। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं शुक्र एवं बुध की युति के बारे में।

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शुक्र और बुध की युति से बनेगा लक्ष्मी नारायण योग 

प्रेम, वैभव एवं ऐश्वर्य के कारक ग्रह शुक्र देव 07 जुलाई 2024 की सुबह 04 बजकर 15 मिनट पर मिथुन से निकलकर कर्क राशि में गोचर कर गए हैं और इस राशि में ग्रहों के राजकुमार के नाम से प्रसिद्ध बुध ग्रह उपस्थित हैं। ऐसे में, कर्क राशि में बुध और शुक्र की युति हो रही है जिसकी वजह से लक्ष्मी नारायण राजयोग निर्मित हो रहा है। बता दें कि इस राजयोग की गणना बेहद शुभ योगों में होती है। 

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शुक्र-बुध की युति से बन रहा लक्ष्मी नारायण राजयोग कुछ राशि के जातकों के लिए अत्यंत फलदायी साबित होगा। इस अवधि में कुछ राशि के जातकों को भाग्य का हर कदम पर साथ मिलेगा। करियर और व्यापार के क्षेत्र में भी आपको अपार सफलता मिलने के साथ-साथ धन लाभ मिलेगा और ऐसे में, आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। चलिए नज़र डालते हैं कर्क राशि में बनने वाले लक्ष्मी नारायण योग से किन राशियों पर बरसेगी देवी लक्ष्मी की कृपा।

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लक्ष्मी नारायण योग से इन 3 राशियों को मिलेगा माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र-बुध की युति बेहद शुभ परिणाम लेकर आएगी क्योंकि आपकी राशि के लग्न भाव में लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है। इसके परिणामस्वरूप, इन लोगों को जीवन के हर कदम पर भाग्य का साथ मिलेगा। आपके जो काम लंबे समय से अटके हुए थे, अब वह पूरे होने लग जाएंगे। इस राशि के जातकों को परिवार के साथ यादगार समय बिताने का मौका मिलेगा। 

इन लोगों को धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलने से अचानक से धन लाभ होने के योग बनेंगे। संतान की तरफ से आपको खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। जो जातक वाहन या फिर संपत्ति खरीदने का सोच-विचार कर रहे हैं, वह अब इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं और ऐसा करना आपके लिए लाभकारी रहेगा। इस दौरान शेयर मार्केट एवं सट्टा बाजार में धन का निवेश करने से अच्छे रिटर्न की प्राप्ति होगी। यह लोग जीवनसाथी का समर्थन मिलने से हर क्षेत्र में कामयाबी अपने नाम करेंगे। स्वास्थ्य की बात करें, तो आपकी सेहत अच्छी बनी रहेग, लेकिन अपने खानपान का आपको ध्यान रखना होगा।

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मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए लक्ष्मी नारायण योग फलदायी साबित होगा क्योंकि यह राजयोग आपकी राशि के सातवें भाव में बन रहा है। कुंडली का सातवां भाव पार्टनर और जीवनसाथी आदि का प्रतिनिधित्व करता है। अगर पिछले कुछ समय से पार्टनर के साथ आपका कोई विवाद चला आ रहा है, तो अब उसका समाधान हो जाएगा। ऐसे में, आप उनके साथ किसी रोमांटिक डेट या फिर ट्रिप पर जाने की योजना बना सकते हैं। इस राशि के जो लोग अविवाहित हैं, उन्हें शादी का प्रस्ताव मिल सकता है। प्रेम जीवन को देखें, तो आप अपने रिश्ते को अगले पड़ाव पर लेकर जाने का फैसला ले सकते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो आप साथी से शादी करने का सोच सकते हैं और इस मामले में भाग्य आपका पूरा साथ देगा।

जो जातक नौकरी करते हैं, उन्हें अच्छा खासा लाभ मिलने के योग बनेंगे। कार्यस्थल पर आपके द्वारा किये गए काम को सराहना मिलेगी। साथ ही, वेतन में अच्छी वृद्धि मिलने के योग बनेंगे। जिन जातकों का अपना व्यापार है, उनको काफ़ी समय से फंसा हुआ पैसा मिल सकता है और कोई डील भी होने के संकेत है। यह जातक अपनी बेहतरीन निर्णय लेने की क्षमता के बल पर कुछ ऐसा करने में सफल हों सकते हैं जो इनके भविष्य के लिए अच्छा साबित होगा। आपका स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा और आत्मविश्वास में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। देवी लक्ष्मी की कृपा मकर राशि के जातकों पर होने से आपको आय के नए स्रोतों की प्राप्ति होगी और ऐसे में, आप भविष्य के लिए धन की बचत करने में सक्षम होंगे।

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मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र-बुध की युति से बनने वाला लक्ष्मी नारायण योग लाभदायक सिद्ध होगा। बता दें कि यह राजयोग आपकी राशि के दूसरे भाव में निर्मित हो रहा है। ऐसे में, भाग्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आपका साथ देगा। इन लोगों को लंबे समय से रुका हुआ या फिर किसी को उधार दिया गया पैसा वापस मिल सकता है। करियर के क्षेत्र में आपको अच्छी सफलता की प्राप्ति होगी और साथ ही, आपको धन लाभ मिलने के योग बनेंगे।

इन जातकों के भीतर साहस और आत्मविश्वास दोनों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। यह लोग जीवन के विभिन्न आयामों में अपना झंडा लहराने में सक्षम होंगे। आपका जीवन सकारात्मकता से भरा रहेगा और आपको परिवार के साथ कीमती समय बिताने का मौका मिलेगा। इन जातकों को अचानक से धन की प्राप्ति होगी और इस अवधि में घर, वाहन या फिर संपत्ति खरीदने का सपना साकार होने की संभावना है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. बुध-शुक्र की युति से कौन सा योग बनता है?

उत्तर 1.  ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में बुध और शुक्र के एक साथ होने पर लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है।

प्रश्न 2. क्या बुध और शुक्र की युति अच्छी होती है?

उत्तर 2. कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र-बुध की युति होने से इंसान का व्यक्तित्व अच्छा और आकर्षक बनता है तथा बुद्धि तेज़ होती है।

प्रश्न 3. बुध कौन सी राशि में गोचर करेंगे?

उत्तर 3. बुध 19 जून को सूर्य देव की राशि सिंह में प्रवेश कर जाएंगे। 

बुध के गोचर से तुला सहित इन जातकों को मिलेगा भाग्य का साथ; जाने देश दुनिया पर प्रभाव!

बुध का सिंह राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बुध का सिंह राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को बुध के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में बुध ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।

बता दें कि बुध 19 जुलाई 2024 को सूर्य के स्वामित्व वाली राशि सिंह में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।

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ज्योतिष में बुध तेज़ गति से चलने वाला एक प्रमुख ग्रह है, जो बुद्धि, संचार और सीखने का कारक है। ग्रहों के राजकुमार बुध कन्या और मिथुन राशि के स्वामी हैं। यह ग्रह हमारी वाणी, लिखित और संचार अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष में, जब कुंडली में बुध मज़बूत स्थिति में होते हैं, तो यह जातकों को जीवन में सभी तरह की सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं। साथ ही, आपको तेज़ बुद्धि और अच्छा स्वास्थ्य का भी आशीर्वाद देते हैं। बुध ग्रह के मज़बूत होने पर यह व्यक्ति को उच्च ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं और उन्हें हर क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम भी देते हैं। इनका यह ज्ञान व्यापार के क्षेत्र में जातक को अच्छे फैसले लेने में मार्गदर्शन करता है। 

जिन लोगों की कुंडली में बुध देव की स्थिति शुभ होती है, वह व्यापार और सट्टेबाजी के क्षेत्र में अपार सफलता हासिल करते हैं। इन जातकों की रुचि गूढ़ विज्ञान जैसे ज्योतिष, रहस्यवाद आदि में हो सकती है और यह इन क्षेत्रों में अपनी चमक बिखेरते हुए नज़र आ सकते हैं। वहीं कुंडली में बुध ग्रह जब राहु, केतु या मंगल जैसे अशुभ ग्रहों के साथ स्थित होते हैं, तो जातकों को जीवन के सभी क्षेत्रों में कदम-कदम पर समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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बुध का सिंह राशि में गोचर: समय व तिथि

सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं और बुध व सूर्य आपस में मित्रता का भाव रखते हैं और अब बुध 19 जुलाई, 2024 की शाम 08 बजकर 31 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इसके बाद 22 अगस्त 2024 को बुध वक्री गति में कर्क राशि में गोचर करेंगे।

सिंह राशि में बुध: विशेषताएँ

सिंह राशि में बुध के प्रभाव से व्यक्ति अत्यधिक चंचल स्वभाव का होता है और अपनी गरिमा में रहकर अपनी बातों को लोगों के समक्ष रखता है। सिंह रचनात्मक कलाओं का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए सिंह राशि में बुध के होने से जातक लेखक, थिएटर अभिनेता या मंच पर गायक के रूप में उत्कृष्टता हासिल करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति प्रभावशाली होता है और कहीं भी लिखने, अभिनय करने, बोलने या गाने से नहीं डरता। सिंह सिंहासन और अधिकार का प्रतीक है और सिंह राशि में बुध का अर्थ है अच्छा व्यवहार और उच्च संचार शैली। सिंह राशि में बुध होने से जातक अपने भाषण से सबका ध्यान अपनी ओर केंद्रित कर सकते हैं।

सिंह राशि में बुध यह दर्शाता है कि आप अपनी पसंद के साथ समझौता नहीं करते हैं, और हमेशा सर्वश्रेष्ठ चुनते हैं। यह आपको प्रकृति प्रेमी भी बना सकता है, जिससे आपको बागवानी, पेड़ लगाना और धूप में लेटना पसंद है। आम तौर पर, आप गोरे रंग के होते हैं, आपका माथा चौड़ा होता है, और आपको ब्रांडेड और महंगे कपड़े पहनने का शौक होता है क्योंकि आपका बुध इस बात पर निर्भर करता है कि आप खुद को कैसे पेश करते हैं। यह स्थान सरकारी और प्रशासनिक नौकरियों में सफलता भी दिलाता है। साथ ही, यह आपको कपड़ों (विशेष रूप से ऊनी कपड़ों), गहनों, गेहूं और प्रकृति से जुड़ी किसी भी चीज़ का व्यवसाय करने में शानदार बनाता है। इसके प्रभाव से आप रंगमंच और कला के क्षेत्र में भी शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं।

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बुध का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और बुध का सिंह राशि में गोचर आपके चौथे भाव में होने जा रहा है। इस गोचर के फलस्वरूप आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। आप सुख और सुविधाओं से भरे रहेंगे। इस दौरान आपको अपनी माता का आशीर्वाद और सहयोग प्राप्त होगा। साथ ही, घर का माहौल शांतिपूर्ण रहेगा। करियर के मोर्चे पर जातक अपनी नौकरी में अधिक संतुष्टि प्राप्त करेंगे।

साथ ही कार्यक्षेत्र में आपको अपने वरिष्ठों से सराहना प्राप्त होगा और सहकर्मियों से सहयोग मिलेगी, जिससे आपको खुशी और संतुष्टि प्राप्त होगी। आप दूसरों से आगे रहने में सक्षम होंगे। वृषभ राशि के कुछ जातक बेहतर संभावनाओं के लिए अपनी नौकरी छोड़ सकते हैं और कुछ का तबादला हो सकता है और उन्हें बेहतर अवसर मिल सकते हैं। इस गोचर के दौरान व्यवसाय करने वाले जातकों को अच्छा लाभ प्राप्त होगा और आपका व्यापार तेज़ी से आगे बढ़ेगा। इस अवधि आप अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होंगे।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं और यह आपके तीसरे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। करियर के मामले में यह गोचर जातकों के लिए अनुकूल साबित होगा और आपको विदेशों से नए व अच्छे अवसर प्राप्त हो सकते हैं। इन अवसरों से आपको संतुष्टि प्राप्त होगी। कार्यक्षेत्र में पदोन्नति और विशेष प्रोत्साहन मिलने के योग बन रहे हैं। आप अपने कार्यस्थल पर आरामदायक स्थिति में होंगे और ख़ुशनुमा पलों का आनंद लेंगे। जिन लोगों का खुद का व्यापार है वे इस दौरान उच्च धन लाभ अर्जित करने में सक्षम होंगे और अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर देंगे। इस अवधि में आप अपने बिज़नेस में अधिक ध्यान देंगे और इसके विकास के लिए आगे बढ़ेंगे। साथ ही, आपको एक से अधिक व्यवसाय करने का अवसर भी प्राप्त हो सकता है। इस दौरान आप कोई नया बिज़नेस शुरू कर सकते हैं या एक से ज्यादा व्यापार में शामिल हो सकते हैं।

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं तथा बुध का सिंह राशि में गोचर आपके ग्यारहवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आप इस अवधि अपने बड़ों का सहयोग और समर्थन प्राप्त होगा। इसके अलावा, आपको लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ सकती है और भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। करियर की दृष्टि से, बुध का सिंह राशि में गोचर आपके लिए बेहद अनुकूल साबित होगा। इस दौरान आपको अपनी कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप विदेश में नौकरी के नए अवसर प्राप्त होंगे जिससे आपको खुशी और संतुष्टि महसूस होगी। ऐसे में आप खुद को साबित करने में सफल होंगे। जिन जातकों का अपना व्यापार है वे इस दौरान उच्च धन लाभ अर्जित करेंगे और अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होंगे। इसके अलावा आप अच्छा लाभ प्राप्त करने के लिए किसी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सातवें और दसवें भाव के स्वामी है और बुध का सिंह राशि में गोचर आपके नौवें भाव में होगा। इस दौरान कड़ी मेहनत और भाग्य की बदौलत आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इसके अलावा आप सामान्य सिद्धांतों का पालन करते हुए अपने कार्यों को पूरा करेंगे। करियर की बात करें तो, बुध का सिंह राशि में गोचर आपके लिए शानदार साबित होगा। इस दौरान आपको नौकरी में कई नए अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही, नौकरी के सिलसिले में विदेश यात्राएं भी करनी पड़ सकती है। हालांकि आप में से कुछ लोगों को नौकरी बदलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

धनु राशि के जो जातक व्यापार करते हैं उनके लिए ये समय फलदायी साबित होगा। इस दौरान आप अच्छा ख़ासा लाभ कमाने में सक्षम होंगे। आप अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ा मुकाबला देंगे और जीत हासिल करेंगे। अपने व्यवसाय के लिए एक मजबूत नींव रख सकते हैं।

बुध का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और बुध का सिंह राशि में गोचर आपके दूसरे भाव में होगा। इस दौरान आपको औसत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। विकास में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा आपको उच्च लाभ मिलने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। करियर की बात करें तो, बुध का सिंह राशि में गोचर आपको मिले जुले परिणाम प्रदान कर सकता है। कार्यक्षेत्र में काम का दबाव बढ़ सकता है और आशंका है कि आपको अपने काम के लिए वरिष्ठों से पर्याप्त सराहना न मिले। इसके अलावा अधीनस्थों से भी परेशानी महसूस हो सकती है।

जिन जातकों का अपना व्यापार है उन्हें इस दौरान लाभ में कमी देखने को मिल सकती है और अधिक लाभ कमाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता होगी। यह अवधि केवल उन लोगों के लिए बेहतर साबित होगी जो विदेश में व्यापार कर रहे हैं।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं और बुध का सिंह राशि में गोचर आपके बारहवें भाव में होगा। कन्या राशि के जातक इस दौरान अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो सकते हैं। आपके जीवन में कई ऐसे बदलाव आ सकते हैं जो आपके लिए अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं। करियर के लिहाज से देखें तो बुध का सिंह राशि में गोचर आपके लिए ज्यादा ख़ास नहीं रहने की आशंका है। इस दौरान कार्यक्षेत्र में लाभ न मिलने की संभावना है। हो सकता है कि उच्च अधिकारियों से पर्याप्त सराहना न मिले और जिसके कारण बेहतर अवसरों के लिए आप नौकरी बदलने पर विचार कर सकते हैं। 

बुध का सिंह राशि में गोचर: प्रभावशाली उपाय

  • भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दूर्वा घास और देसी घी के लड्डू चढ़ाएं।
  • बुध ग्रह के लिए हवन करें।
  • अपने परिवार की महिलाओं को कपड़े और हरी चूड़ियां दान करें।
  • किन्नरों का आशीर्वाद लें।
  • प्रतिदिन गायों को चारा खिलाएं।
  • पक्षियों को, खास तौर पर कबूतरों और तोते को भिगोए हुए हरे चने खिलाएं।

बुध का सिंह राशि में गोचर: विश्वव्यापी प्रभाव

सरकार और राजनीति

  • बुध का सिंह राशि में गोचर सरकार विभिन्न क्षेत्रों का समर्थन कर सकती है और वह ऐसा इन क्षेत्रों में सुधार लाकर और योजनाएं लागू करके कर सकती हैं।
  • देश के बड़े राजनेता और उच्च अधिकारी जिम्मेदारी से पूर्ण बयान दे सकते हैं। ऐसे में, वह जनता के साथ जुड़ने और उनकी बात सुनने का प्रयास करेंगे।
  • सरकार लोगों की भावनाओं से जुड़ने की कोशिश करेगी और कुछ नेता या मंत्री चतुराईपूर्ण भाषणों का उपयोग करके लोगों को लुभाने की कोशिश भी कर सकते हैं।

मीडिया और जनसंपर्क

  • बुध का सिंह राशि में गोचर के दौरान मीडिया में रिपोर्टर, ग्राउंड वर्कर आदि के रूप में काम करने वाले लोगों को अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
  • यह गोचर सोशल मीडिया प्रभावितों को उनके करियर में वृद्धि के साथ बहुत सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
  • इस गोचर के दौरान शेयर बाज़ार और सट्टा बाज़ार अस्थिर रह सकते हैं।
  • इस गोचर से जनसंपर्क में लगे लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को विभिन्न तरीकों से लाभ होगा।

बुध का सिंह राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट

बुध के गोचर का शेयर बाजार पर हमेशा से बहुत अधिक प्रभाव रहा है और यह हर राशि के गोचर के साथ अलग-अलग कंपनियों के शेयरों की लाभप्रदता प्रभावित होती है। आइए देखते हैं कि बुध का सिंह राशि में गोचर के दौरान शेयर बाजार में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। शेयर बाजार भविष्यवाणी 2024 के अनुसार,

  • फार्मा, पब्लिक और आईटी सेक्टर आदि के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण रहने की आशंका है।
  • बैंकिंग क्षेत्र काफ़ी समय से समस्याओं का सामना कर रहा है और इनका यह कठिन समय आगे भी जारी रह सकता है। 
  • इस महीने का अंतिम समय रबर, तंबाकू और खाने-पीने में इस्तेमाल होने वाले तेल उद्योग आदि के लिए अच्छा रहने की संभावना है।

बुध का सिंह राशि में गोचर: आगामी खेल प्रतियोगिता

आगामी खेल टूर्नामेंट जुलाई-अगस्त, 2024

टूर्नामेंटखेलतिथि
ओपन चैंपियनशिप- गोल्फगोल्फ14-21 जुलाई
महिला अंडर-19 यूरो चैंपियनशिपफुटबॉल15 जुलाई-27 जुलाई
पेरिस 2024 ओलंपिक26 जुलाई-11 अगस्त

बुध के सिंह राशि में गोचर करने से आने वाले खेल टूर्नामेंट पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह एक मित्र राशि है। इन टूर्नामेंटों से हमें कई उभरते हुए खेल सितारे मिल सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. बुध का सिंह राशि में गोचर कब हो रहा है?

उत्तर 1. बुध 19 जुलाई, 2024 की शाम 08 बजकर 31 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

प्रश्न 2. बुध की उच्च राशि कौन सी है?

उत्तर: कन्या राशि

प्रश्न 2. बुध के मित्र ग्रह कौन से हैं?

उत्तर: शनि और शुक्र

प्रश्न 3. बुध के किन्हीं दो शत्रु ग्रहों के नाम बताइए?

उत्तर: राहु और मंगल

पैसों की तंगी कर रही है परेशान, तो लक्ष्‍मी जी और कुबेर देवता को प्रसन्‍न करने के लिए करें ये चमत्‍कारिक उपाय

धन एक ऐसी चीज़ है जिसकी जरूरत हर किसी को हर कदम पर पड़ती है। भोजन करना हो या फिर शिक्षा प्राप्‍त करनी हो, हर एक कार्य के लिए पैसों की आवश्‍यकता होती है। हालांकि, इस संसार में सभी के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्‍त धन नहीं होता है। वहीं कुछ लोग आर्थिक संकट से घिरे रहते हैं। ऐसे में इनके लिए अपनी जरूरतों को पूरा कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

जिन लोगों पर कुबेर देवता और धन की देवी मां लक्ष्‍मी की कृपा नहीं होती है, उन्‍हें अपने जीवन में आर्थिक कष्‍टों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, ऐसे कुछ उपाय भी मौजूद हैं जिनकी मदद से मनुष्‍य के जीवन से पैसों की तंगी को दूर किया जा सकता है। इसके लिए कुबेर देवता और मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के कुछ उपाय करने होंगे।

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अगर आप भी पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं, तो इस ब्‍लॉग में जानिए मां लक्ष्‍मी और कुबेर देवता को प्रसन्‍न करने के उपायों के बारे में।

यदि लाख को‍शिशों के बाद भी आपके पास धन नहीं टिकता है या आपको आर्थिक परेशानियां घेरे रहती हैं, तो आप यहां बताए गए कुछ उपायों में से कोई भी एक सरल उपाय रोज़ कर के देखें। इन उपायों की सहायता से आपकी समस्‍या का समाधान जरूर हो जाएगा। इसके साथ ही आपके जीवन में धन के आने के नए रास्‍ते भी खुल जाएंगे।

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धन प्राप्ति के उपाय

वास्‍तु शास्‍त्र के अनुसार तिजोरी दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। आप जिस अलमारी में पैसे रखते हैं, उसे भी इसी दिशा में रखें। इसका दरवाज़ा उत्तर दिशा में खुलना चाहिए। शास्‍त्रों के अनुसार इस दिशा के स्‍वामी स्‍वयं कुबेर महाराज हैं। इस उपाय को करने से आपकी तिजोरी हमेशा पैसों से भरी रहेगी।

अपनी तिजोरी में धन को दोगुना करने के लिए आप लॉकर के सामने एक शीशा लगाएं। इससे आपके धन की छवि आईने में दिखेगी और उसमें वृद्धि होगी।

आप कभी भी किसी से भी कोई चीज़ मुफ्त में न लें। इसके अलावा अपनी भी कोई चीज़ या सेवा मुफ्त में न दें। गलत तरीके से कमाया हुआ धन, ज्‍यादा समय तक नहीं टिक पाता है इसलिए आप धन कमाने के लिए नैतिक तरीकों का ही इस्‍तेमाल करें। पैसों के लेने-देन के दौरान इन बातों का ध्‍यान अवश्‍य रखें।

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दान करने से बढ़ेगा धन

आप जो भी कमाते हैं, उसका एक हिस्‍सा दान कर दें। हर महीने अपनी आय के एक हिस्‍से को दान करने से आपके ऊपर मां लक्ष्‍मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी और आपकी सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी। इसके अलावा जिन घरों में महिलाओं का सम्‍मान होता है, वहां पर धन की कभी कोई कमी नहीं होती है। ऐसे घरों में मां लक्ष्‍मी हमेशा विराजमान रहती हैं।

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कुबेर यंत्र की पूजा करें

जिन लोगों को आर्थिक कष्‍ट हो रहा है या जो अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत करना चाहते हैं, वे अपने घर के पूजन स्‍थल में एक लाल रंग के वस्‍त्र पर कुबेर यंत्र को स्‍थापित करें। रोज़ इस यंत्र की पूजा करने से आपकी संपन्‍नता में वृद्धि होगी और आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी।

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तुलसी की पूजा

शास्‍त्रों के अनुसार घर में तुलसी का पौधा लगाना बहुत शुभ होता है। रोज़ शाम को इस पौधे के पास घी में मिट्टी का दीया जलाएं। इस उपाय को करने से मां लक्ष्‍मी हमेशा के लिए आपके घर में विराजमान रहती हैं और आपकी सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

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धन प्राप्ति के उपाय

धन की देवी मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने हेतु आप सफेद रंग की चीज़ों का दान कर सकते हैं। जो व्‍यक्‍ति दान करता है, उस पर ईश्‍वर की कृपा सदैव बनी रहती है। अपने घर से आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए आप अपने घर के अंदर टूटे हुए बर्तन आदि न रखें और इनका उपयोग करते हैं, तो वो भी बंद कर दें।

दक्षिणावर्ती शंख से पूजा करें

आप शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्‍णु को जल चढ़ाएं। मां लक्ष्‍मी अपने पति भगवान विष्‍णु की पूजा करने से अति प्रसन्‍न होती हैं।

रोज़ स्‍नान करने के बाद आप मां लक्ष्‍मी की पूजा करें और अपने माथे के ऊपर केसर का तिलक लगाएं।

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हरी घास खिलाएं

अगर आपके परिवार में आर्थिक तंगी चल रही है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आप बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं।। महिलाएं रोज़ सुबह स्‍नान के बाद अपने घर के प्रमुख द्वार पर एक लोटा पानी जरूर डालें। इस उपाय को करने से घर के अंदर समृद्धि आती है और सभी प्रकार की तंगी दूर होती है।

शुक्रवार का दिन

शुक्रवार का दिन मां लक्ष्‍मी को समर्पित है। उन्‍हें प्रसन्‍न करने के लिए किसी भी शुक्रवार को तीन कुंवारी कन्‍याओं को खीर खिलाएं और उन्‍हें पीले रंग के वस्‍त्रों के साथ कुछ पैसे भी दान में दें। इस उपाय को करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और आपके ऊपर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।

FAQ

प्रश्‍न. तुरंत धन पाने के लिए क्‍या करें?

उत्तर. गुरुवार के दिन केले के पौधे पर जल चढ़ाएं और उसकी पूजा करें।

प्रश्‍न. घर में क्‍या रखने से धन आता है?

उत्तर. इसके लिए आप अपने घर में श्रीफल रख सकते हैं।

प्रश्‍न. शिवलिंग पर क्‍या चढ़ाने से धन प्राप्‍त होता है?

उत्तर. शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाना बहुत शुभ रहता है।

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केतु गोचर 2024: इन राशियों को करियर में मिलेगी खूब तरक्‍की

30 अक्‍टूबर, 2023 को दोपहर 02 बजकर 13 मिनट पर केतु ने कन्‍या राशि में प्रवेश किया है और इस राशि में वह 2025 तक रहेंगे। केतु के इस महत्‍वपूर्ण गोचर का राशिचक्र की सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा लेकिन कुछ चुनिंदा राशियां ऐसी हैं जिन्‍हें करियर में अभूतपूर्व तरक्‍की मिलने की संभावना है। केतु एक आध्‍यात्मिक ग्रह है और इस ग्रह के प्रभाव से व्‍यक्‍ति सभी तरह के सांसारिक और भौतिक सुखों से खुद को दूर कर लेता है। केतु एक ऐसा ग्रह है जो व्‍यक्‍ति से काफी कुछ छीन लेता है और इसके प्रभाव की वजह से व्‍यक्‍ति के विकास में भी रुकावटें आने की संभावना रहती है लेकिन इस बार केतु के गोचर करने पर कुछ राशियों के लोगों को अपने करियर में असीम तरक्‍की और लाभ प्राप्‍त होने के संकेत हैं।

तो चलिए आगे जानते हैं कि केतु गोचर 2024 से किन राशियों के लोगों को करियर के क्षेत्र में प्रगति और सफलता मिलने की संभावना है।

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मेष राशि: केतु आपके छठे भाव में आए हैं इसलिए यह गोचर आपके करियर के लिए ही नहीं बल्कि जीवन के अन्‍य पहलुओं के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा। आप अपने कार्यक्षेत्र में जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको सफलता मिलेगी। करियर में आप कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं और इस समय आपको शानदार सफलता मिलने की भी संभावना है। नौकरीपेशा जातकों को नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं। इससे आप संतुष्‍ट महसूस करेंगे। आपकी आय में भी वृद्धि होने के योग बन रहे हैं।

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कर्क राशि: केतु का गोचर आपके तीसरे भाव में हुआ है जिससे आपको करियर में शानदार सफलता प्राप्‍त होगी। आप इस समय अपने करियर को चमकाने के लिए जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको निश्चित ही सफलता प्राप्‍त होगी। आपको काम के सिलसिले में विदेश जाने का अवसर भी मिल सकता है और इस अवसर की मदद से आपका काफी विकास हो पाएगा। आपको नौकरी के नए अवसर मिलने की भी संभावना है।

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कर्क राशि का विस्तृत भविष्यफल

कन्‍या राशि: केतु का गोचर आपके पहले भाव में हुआ है। मई, 2024 के महीने के बाद आपको अपने करियर में अच्‍छे परिणाम मिलने शुरू होंगे। करियर के क्षेत्र में आपको लाभ प्राप्‍त होगा और आपकी आर्थिक स्थिति में भी मज़बूती आएगी।

क्या वर्ष 2024 में आपके जीवन में होगी प्रेम की दस्तक? प्रेम राशिफल 2024 बताएगा जवाब

 कन्‍या राशि का विस्तृत भविष्यफल

वृश्चिक राशि : केतु आपके ग्‍यारहवें भाव में गोचर करेंगे जिससे आपकाे अत्‍यंत लाभ मिलने वाला है। आप अपने हुनर काे पहचानने में सफल होंगे और करियर के क्षेत्र में बुद्धिमानी से निर्णय लेंगे। अपने कार्यक्षेत्र में आप एक लीडर के रूप में उभर कर सामने आएंगे। इस समय आप अपने करियर या काम में जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको सफलता अवश्‍य मिलेगी।

सभी बारह राशियों का सबसे विस्तृत 2024 फलादेश: राशिफल 2024

 वृश्चिक राशि का विस्तृत भविष्यफल

धनु राशि: केतु के कन्‍या राशि में गोचर करने पर आप अपने करियर को लेकर काफी गंभीर रहने वाले हैं। इस समय आपका सारा ध्‍यान करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने और सफलता पाने पर रहने वाला है। आप अपने करियर में नए अवसरों की तलाश में रहने वाले हैं। अगर आप इस समय अपना पूरा ध्‍यान अपने करियर पर लगाकर रखेंगे, तो आपको अपने प्रयासों में सफलता जरूर मिलेगी। यह समय आपके लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है इसलिए इस दौरान अपन हाथ में आने वाले किसी भी मौके को जाने न दें।

 धनु राशि का विस्तृत भविष्यफल

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मंगल दोष कर रहा है परेशान, तो जरूर करें मंगला गौरी व्रत पर ख़ास ये उपाय

भगवान ​शिव का प्रिय महीना सावन या श्रावण मास की शुरुआत होने वाली है। सावन की पहली तिथि कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा होती है। श्रावण मास में सावन सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत और सावन शिवरात्रि बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। वैसे तो सावन का पूरा महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है, लेकिन जिस प्रकार सावन सोमवार का व्रत भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए विशेष माना जाता है, उसी प्रकार सावन माह में पड़ने वाले मंगलवार को माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागन महिलाएं और कन्याएं रखती हैं।

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बता दें कि प्रत्येक साल सावन महीने के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। मंगला गौरी व्रत के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव, भगवान गणपति और नंदी की भी पूजा करने का विधान है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस साल मंगला गौरी का व्रत किस तिथि को पड़ेगा और मंगल दोष से छुटकारा पाने के लिए इस दिन कौन से उपाय फलदायी साबित हो सकते हैं।

मंगला गौरी 2024 की तिथि एवं मुहूर्त

भगवान शिव की तरह माता पार्वती को भी यह महीना बहुत अधिक प्रिय है इसलिए इस माह भोलेनाथ के साथ-साथ माता गौरी की भी पूजा करना शुभ माना जाता है। इस बार सावन या श्रावण माह की शुरुआत 22 जुलाई, सोमवार के दिन से हो रही है। ऐसे में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत पर मुख्य रूप से माता पार्वती की उपासना की जाती है।

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मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी का व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है, साथ ही कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति और सौभाग्य एवं समृद्धि के लिए व्रत का पालन करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की। जिस प्रकार से माता गौरी और भगवान भोलेनाथ का साथ जन्म जन्मांतर का है, उसी प्रकार से व्रती महिलाएं भी उनसे ऐसे सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही, घर-परिवार में भी सुख-शांति का माहौल बना रहता है। ऐसी मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर हो सकती हैं।

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मंगला गौरी व्रत के दिन इस विधि से करें पूजा

  • मंगला गौरी व्रत के दिन सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • संकल्प लेते समय महिलाओं को विशेष रूप अपने मन में इन बातों को बार-बार दोहरना चाहिए- “मैं अत्यंत आनंदित होकर एक वक़्त के भोजन का त्याग कर व्रत का संकल्प लेती हूं, मेरे सभी पापों का नाश हों और मेरे सौभाग्य में वृद्धि हो।”
  • इसके बाद घर के मंदिर में गौरी और शिव जी मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • एक कलश में मिट्टी डालकर उसमें जौ की कुछ बीजें डाल दें, अगले पांच दिनों तक पूजा के समय इस कलश में पानी डालें और पूरे विधि विधान से इसकी पूजा करें।
  • यह व्रत एक दिन, तीन दिन और पांच दिनों के लिए लिया जा सकता है। 
  • इस दौरान माता गौरी की पूजा के लिए कुमकुम, अश्वगंधा, कस्तूरी और लाल रंग के फूलों का प्रयोग करें।
  • प्रसाद के रूप में आप नारियल जरूर चढ़ाएं, इशके अलावा अनार या कोई भी अन्य मौसमी फल चढ़ा सकते हैं।
  • पूजा व आरती के बाद इस व्रत से संबंधित कथा जरूर सुनें क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है और इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं व अपनी क्षमता अनुसार, दान-दक्षिणा प्रदान करें।

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मंगला गौरी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक सेठ रहता था। सेठ धर्मपाल के पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। वह पूरी तरह सर्व गुण संपन्न था और भगवान शंकर का भक्त था। कालांतर में सेठ धर्मपाल की शादी गुणवान कन्या से हुई। हालांकि, विवाह के बाद कई वर्षों तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इससे सेठ धर्मपाल काफी चिंतित रहने लगा। वह सोचने लगा कि अगर संतान नहीं हुई, तो उसके कारोबार का कौन उत्तराधिकारी होगा? एक दिन सेठ धर्मपाल की पत्नी ने संतान प्राप्ति के लिए किसी पंडित से संपर्क करने की बात कही।

पत्नी की सलाह को मानते हुए सेठ ने नगर के सबसे प्रसिद्ध पंडित के पास जाकर मुलाकात की। उस समय पंडित ने सेठ दंपत्ति को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना करने की सलाह दी। इसके बाद सेठ धर्मपाल और उसकी पत्नी ने विधि विधान से महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासना की। सेठ धर्मपाल की पत्नी की कठिन भक्ति भाव को देखकर माता प्रसन्न हुई और प्रकट होकर बोली- हे देवी! तुम्हारी भक्ति देखकर मैं बहुत अधिक खुश हूं, जो वर मांगना चाहते हो! मांगो। तुम्हारी हर इच्छाओं की पूर्ति होगी। सेठ धर्मपाल की पत्नी ने तुरंत ही अपनी संतान प्राप्ति की कामना की। माता पार्वती ने संतान प्राप्ति का वरदान दिया लेकिन, संतान अल्पायु था।

एक वर्ष बाद, धर्मपाल की पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया। जब पुत्र का नामकरण किया गया, तो उस समय धर्मपाल ने माता पार्वती के वचन से ज्योतिष को अवगत कराया। तब ज्योतिष ने सेठ धर्मपाल को पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से करने की सलाह दी। ज्योतिष के कहने पर सेठ धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से की। कन्या के व्रत करने से सेठ धर्मपाल के पुत्र को लंबी आयु की प्राप्ति हुई।

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मंगला गौरी पर करें ये ख़ास उपाय

मंगला गौरी के दिन कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप मंगल दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। साथ ही, अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत के उपायों के बारे में…

विवाह में आ रही देरी के लिए

यदि किसी जातक के विवाह में देरी हो रही है तो, इसके लिए मंगला गौरी व्रत पर मां गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करनी चाहिए। इससे मां गौरी प्रसन्न होती हैं और अपना विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है। इसके साथ ही, व्रत के दिन मिट्टी का घड़ा बहते नदी में प्रवाहित करने से भी विवाह में आ रही समस्याएं दूर होती है।

मंगल ग्रह मजबूत करने के लिए

मंगला गौरी व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों में लाल मसूर की दाल और लाल वस्त्र आदि लाल सामान दान करना चाहिए। इससे कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और जातक को मंगल दोष के बुरे प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही, इस दिन मां गौरी की पूजा के दौरान ‘ॐ गौरी शंकराय नमः’ मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इससे मंगल के शुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं।

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मनचाहा वर प्राप्ति के लिए

ज्योतिष के अनुसार, मंगला गौरी व्रत के दिन कुंवारी कन्याओं मनचाहा वर प्राप्ति करने के लिए दो मुट्ठी मसूर दाल को एक लाल कपड़े में बांधकर किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को दान कर देना चाहिए। इससे आपको मनचाहा वर की प्राप्ति होगी।

विवाह में आ रही अड़चनें दूर करने के लिए

यदि आपके विवाह में बार-बार अड़चनें आ रही है या बात बनते-बनते किसी कारण से रह जा रही है तो सावन ने हर मंगला गौरी व्रत का व्रत करें और इस दौरान इस मंत्र का जाप करें- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

आठवें भाव में मंगल 

यदि किसी अविवाहित कन्या की कुंडली में आठवें भाव में मंगल विराजमान हैं तो ज्योतिष अनुसार कन्या को हर मंगलवार के दिन रोटी बनाने से पहले तवे पर ठंडे पानी के छींटे मारकर फिर रोटी बनानी चाहिए। इससे मंगल के शुभ प्रभाव की प्राप्ति होगी।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. इस साल मंगला गौरी का व्रत कब रखा जाएगा?

उत्तर 1.  साल 2024 में मंगला गौरी का व्रत 23 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। 

प्रश्न 2. मंगला गौरी में माता को क्या अर्पित करना चाहिए?

उत्तर 2. मां मंगला गौरी व्रत के दौरान माता को आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और सुहाग सामग्री अर्पित करनी चाहिए।

प्रश्न 3. मंगला गौरी किसकी पत्नी थी?

उत्तर 3. माता गौरी भगवान शिव की पत्नी थी।

प्रश्न 4. मंगला गौरी व्रत कौन रख सकता है?

उत्तर 4.  मंगला गौरी का व्रत सुहागिन महिला से लेकर कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं।