नवंबर तक इन राशियों पर बरसेगी शनि देव की कृपा, पद-प्रतिष्ठा के साथ मिलेगा प्रमोशन
ज्योतिषशास्त्र में सभी ग्रहों में शनि देव को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। शनि देव कर्म और न्याय के देवता हैं। उनकी कृपा से मनुष्य को अपनी मेहनत का फल मिल पाता है। हालांकि, शनि देव बेईमानी और गलत काम करने वाले लोगों को दंड देने में भी देरी नहीं करते हैं।
शनि की चाल में परिवर्तन आने पर देश-दुनिया के साथ-साथ सभी राशियों के लोगों के जीवन पर प्रभाव देखने को मिलता है। सूर्य पुत्र और कर्मफल दाता शनि महाराज 29 जून 2024 की रात 11 बजकर 40 मिनट पर कुंभ राशि में वक्री हो चुके हैं।
शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में वक्री हुए हैं और वे वक्री अवस्था में 15 नवंबर 2024 तक रहेंगे। इसके बाद शनि 15 नवंबर को शाम 05 बजकर 09 मिनट पर कुंभ राशि में ही मार्गी हो जाएंगे।
शनि के जून में वक्री होने से लेकर नवंबर तक का समय कुछ राशियों के लोगों के लिए बहुत भाग्यशाली साबित होगा। इन लोगों को अपने हर कार्य में अपनी किस्मत का साथ मिलेगा और धन-दौलत एवं प्रॉपर्टी में भी वृद्धि होगी। तो चलिए जानते हैं कि शनि के वक्री होने पर किन राशियों के लोगों की किस्मत पलटने वाली है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन
धनु राशि
शनि देव धनु राशि के तीसरे भाव में वक्री हुए हैं। यहां पर शनि की उपस्थिति को मजबूत माना जाता है इसलिए इस समय आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि देखने को मिलेगी। विदेश से व्यापार करने वाले जातकों को मोटा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा। शनि धनु राशि से धन भाव के स्वामी हैं। इसलिए इस दौरान आपको समय-समय पर अचानक धन लाभ होता रहेगा।
आप अपनी वाणी से लोगों को प्रभावित करते हुए नज़र आएंगे। विद्यार्थियों के लिए भी अच्छा समय है। जो छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अपने प्रयासों में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है।
शनि आपकी राशि से आय के भाव में वक्री होंगे। शनि का चाल बदलना आपके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी सिद्ध होगा। आपकी आय में जबरदस्त इज़ाफा देखने को मिलेगा। आपकी आमदनी के नए रास्ते भी खुल सकते हैं। आपको धन और संपत्ति प्राप्त होने की उम्मीद है।
आप इस दौरान अपने लिए नया घर और वाहन आदि भी खरीद सकते हैं। अगर आपने पहले कोई निवेश किया हुआ है, तो अब आपको उससे मुनाफा हो सकता है। आयात-निर्यात के क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले लोगों को भी अच्छा लाभ होगा। शेयर मार्केट और लॉटरी आदि में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको भी मुनाफा होने के संकेत हैं। नौकरीपेशा जातकों के लिए पदोन्नति के योग बन रहे हैं।
कुंभ राशि के लग्न भाव में शनि देव वक्री हुए हैं। शनि का उल्टी चाल चलना आपके लिए शुभ और फलदायी साबित होगा। शनि आपकी राशि में शश राजयोग भी बना रहे हैं। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और आपकी लोकप्रियता में भी इज़ाफा देखने को मिलेगा। समाज में आपका मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों को कोई बड़ी सफलता मिल सकती है। वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहेगा। आपके और आपके पार्टनर के बीच आपसी तालमेल बढ़ेगा और आप दोनों एक-दूसरे से अधिक प्रेम करेंगे। सिंगल जातकों के लिए शादी का प्रस्ताव आ सकता है।
ज्योतिषशास्त्र में शनि ग्रह को प्रतिबद्धता का ग्रह माना गया है। वह एक शिक्षक के रूप में व्यक्ति को अनुशासन से जीना सिखाते हैं।
वर्ष 2024 में शनि देव कुंभ राशि में ही वास करेंगे और इस साल शनि का कोई और गोचर नहीं होने वाला है। लेकिन, 2024 में शनि ग्रह समय-समय पर वक्री और मार्गी होंगे जिससे मानव जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे।
इस साल कुंभ राशि में ही शनि अस्त और उदित भी होंगे जिससे जातकों को अच्छे-बुरे दोनों तरह के परिणाम मिलने की उम्मीद है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1. शनि कुंभ राशि में कब तक वक्री हैं?
उत्तर. शनि 15 नवंबर तक वक्री अवस्था में रहेंगे।
प्रश्न 2. शनि ग्रह का भाग्य रत्न कौन सा है?
उत्तर. शनि का रत्न नीलम है जो नीले रंग का होता है।
प्रश्न 3. शनि को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर. शनिवार के दिन शनि देव की उपासना करें।
प्रश्न 4. शनि देव किस तिथि पर वक्री हो रहे हैं?
उत्तर. शनि 29 जून को वक्री अवस्था में आ चुके हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अजा एकादशी का व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति, बस कर लें सिर्फ एक ये उपाय
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व है। हर साल 24 एकादशी की तिथि पड़ती है। इनमें भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस एकादशी को अजा एकादशी या अन्नदा एकादशी कहा जाता है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और धन धान्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु या फिर भगवान ऋषिकेश की पूजा करने का विधान है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तिथि के बारे में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में बताने का निवेदन किया। तब श्रीकृष्ण ने बताया कि यह अजा एकादशी के नाम से लोकप्रिय है। इस व्रत को करने से साधक के सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है।
अजा एकादशी 2024: तिथि व समय
अजा एकादशी गुरुवार, 29 अगस्त 2024 को ही मनाई जा रही है। इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोगों का मानना है कि इस व्रत को करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
अजा एकादशी के लिए व्रत मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त, 2024 की सुबह 01 बजकर 22 मिनट से
अजा एकादशी पारण मुहूर्त : 30 अगस्त, 2024 की सुबह 07 बजकर 52 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक।
अवधि : 0 घंटे 39 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय : 30 अगस्त 07 बजकर 52 मिनट पर।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
अजा एकादशी पूजा विधि
अजा एकादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों से निवृत्त हो जाए और फिर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें।
इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें क्यों भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है। अतः पीले रंग का वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद, सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और फिर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें।
इसके लिए अपने घर के मंदिर में एक चौकी पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
फिर प्रतिमा के आगे पीले रंग के फल, फूल, धूप, दीप आदि चीजों से भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। इस दौरान विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करें। साथ ही विष्णु स्तोत्र का पाठ और मंत्र का जाप करें।
पूजा के अंत में आरती अर्चना कर सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना करें। साथ ही, व्रत कथा जरूर पढ़ें क्योंकि माना जाता है कि कथा के बिना पूजा अधूरी होती है।
इन दिन दिनभर बिना अन्न खाएं उपवास रखें। शाम के समय आरती कर फलाहार करें। इन दिन रात में सोना नहीं चाहिए और पूरी रात जागरण व कीर्तन करना चाहिए।
अगले दिन पूजा-पाठ कर व ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत खोलें।
अजा एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अजा एकादशी के दिन व्रत करने और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से आय, आयु और सुख-समृद्धि में तेज़ी से बढ़ोतरी होती है। साथ ही, सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से भी साधक को मुक्ति मिलती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन श्री हरि भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करने व केवल नाम लेने से की साधक के सभी काम बनने लगते हैं। इस दिन इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें- मंत्र है- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय।
अजा एकादशी पर भूलकर न करें ये काम
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का बहुत अधिक महत्व है। अजा एकादशी के दिन आपने व्रत लिया हो या न लिया हो इस दिन किसी को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा मान्यता है कि एकादशी पर चावल ग्रहण करने से व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले जीव के रूप में जन्म लेता है।
अजा एकादशी के दिन तामसिक भोजन व मांस मदिरा के सेवन करने से बचें।
साथ ही, किसी से झगड़ा या वाद-विवाद से दूर रहें।
इस दिन भूलकर भी चोरी, क्रोध और झूठ बोलने आदि कार्यों से बचना चाहिए।
अजा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ या किसी अन्य प्रकार के गलत लत से दूर रहना चाहिए। वैसे तो यह काम किसी सामान्य दिन भी नहीं करना चाहिए।
अजा एकादशी के दिन अन्न और जल का दान जरूर करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अजा एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में जरूर स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। माना जाता है कि इससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
अजा एकादशी के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
इस दिन ब्राह्मण, गरीबों व जरूरतमंदों को दान जरूर करें ऐसा करने से सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है।
अजा एकादशी के दिन जरूर पढ़ें कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल के में एक अत्यन्त वीर, प्रतापी तथा सत्यवादी हरिश्चंद्र नाम का चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। भगवान की इच्छा के अनुसार, उसने अपना राज्य और सब कुछ स्वप्न में एक ऋषि को दान कर दिया। इन परिस्थितियों के चलते राजा ने अपनी पत्नी और पुत्र को बेच देना पड़ा और खुद चाण्डाल के दास बन गए। राजा ने उस चाण्डाल के यहां कफन बेचने का काम किया लेकिन राजा ने इस मुश्किल समय में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और इसी प्रकार कई साल बीत गए, तब राजा को अपने इस नीच कर्म पर बड़ा दुख हुआ और वह इससे मुक्ति पाने का उपाय ढूंढने लगा।
राजा को हमेशा यही चिंता सताने लगी कि मैं क्या करूं? किस तरह से इस नीच काम से छुटकारा पाऊं? एक बार की बात है, वह इसी चिंता में बैठे थे कि गौतम ऋषि उनके पास पहुंचे। राजा हरिश्चन्द्र ने उन्हें प्रणाम किया और अपनी दुख-भरी व्यथा उन्हें सुनाई। राजा हरिश्चंद्र की दुख-भरी कहानी सुनकर महर्षि गौतम भी बहुत अधिक दुखी हो गए और उन्होंने राजा से कहा- ‘हे राजन! भादों के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अजा है। तुम उस एकादशी का पूरे विधि-विधान से व्रत करो तथा पूरी रात जागरण करो। इससे तुम्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगा।’ महर्षि गौतम इतना कह कर वहां से चले गये। अजा नाम की एकादशी आने पर राजा हरिश्चन्द्र ने महर्षि के कहे अनुसार पूरे विधि-विधान से व्रत किया और पूरी रात्रि भजन कीर्तन व जागरण किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप नष्ट हो गये। उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी। उन्होंने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को अपने समझ खड़ा पाया। साथ ही, अपने मृत पुत्र को जीवित और अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा। व्रत के प्रभाव से राजा को फिर से अपना राजपाट प्राप्त हो गया। वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब किया, लेकिन राजा ने न हार मानी और न अपने वचनों से पीछे हटा। अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चंद्र अपने परिवार के साथ स्वर्ग लोक चले गए।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
अजा एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय
अजा एकादशी के दिन ज्योतिष उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे। जिससे आपके सभी समस्या दूर हो सकते हैं।
पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए
अजा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे देसी घी का दीपक जलाना चाहिए और पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के पेड़ में वास करने वाले सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और साथ ही, पितृ दोष से छुटकारा भी मिलता है।
व्यापार में वृद्धि के लिए
इस एकादशी की शाम को तुलसी के सामने देसी घी का दीपक जलाना चाहिए और इस दौरान 108 बार ‘ऊँ वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 7 व 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके व्यापार और नौकरी में तेजी से तरक्की होगी और आपको बहुत अधिक मुनाफा होगा।
वैवाहिक जीवन सुखमय बनाने के लिए
अजा एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमता के अनुसार कपड़े, अनाज, फल, दूध, दही, पैसा व घी आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन और पारिवारिक जीवन में खुशियां आती है और शांति का वातावरण बना रहता है।
परीक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए
विशेष रूप से यह दिन छात्रों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा का केसर वाले दूध से अभिषेक करें। इसके बाद श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करें। ऐसा करने से छात्र बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं। वहीं जो जातक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें सफलता प्राप्त होती है।
इच्छाओं की पूर्ति के लिए
अजा एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की उपासना करें साथ ही उन्हें पीला फूल अर्पित करें। पूजा करने के दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप अवश्य करें। ऐसा करने से आपके संतान प्राप्ति के योग बनेंगे और आपकी सभी इच्छा पूरी हो सकती है।
माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए
भगवान विष्णु के साथ-साथ एकादशी के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। ऐसे में, दक्षिणावर्ती शंख में कच्चा दूध और केसर डालकर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का अभिषेक करें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और माता लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहेगी।
धन वृद्धि के लिए
अजा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में जल या दूध जरूर चढ़ाएं। इससे भगवान विष्णु के आशीर्वाद मिलता है और साथ ही, धन-धान्य में भी तेजी से वृद्धि होती है। साधक को आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
कर्ज व लोन से छुटकारा पाने के लिए
यदि आप किसी प्रकार के कर्ज या लोन के बोझ से दबे जा रहे हैं तो अजा एकादशी के दिन पान का पत्ता लें और उसमें रोली से ‘श्री’ लिखें। उसके बाद उस पत्ते को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें। फिर थोड़ी देर बाद उस पत्ते को अपने पर्स पर रख लें। ऐसा करने से आपको सभी प्रकार के कर्ज व लोन से छुटकारा मिल सकता है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. अजा एकादशी का व्रत इस साल कब रखा जाएगा?
उत्तर 1. अजा एकादशी गुरुवार, 29 अगस्त 2024 को ही मनाई जा रही है।
प्रश्न 2. अजा एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर 2. अजा एकादशी व्रत करने से पुत्र पर कोई संकट नहीं आता है और गरीबी, दरिद्रता दूर हो जाती है।
प्रश्न 3. अजा एकादशी का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर 3. अन्नदा एकादशी जिसे अजा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 4. अजा एकादशी में क्या खाना चाहिए?
उत्तर 4. एकादशी के दिन कट्टू, आलू, नारियल और शकरकंद को खा सकते हैं। इसके अलावा एकादशी के दिन अपने खाने में दूध, बादाम और चीनी आदि को भी शामिल कर सकते हैं।
मार्गी बुध इन राशि के जातकों को देंगे आशीर्वाद, जानें किन जातकों को रहना होगा सावधान!
ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि और विद्या का कारक माना जाता है, जो कि मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। बुध के मजबूत होने से व्यक्ति अपनी बुद्धि का सही तरीके से प्रयोग करके सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं, जिससे उन्हें सफलता प्राप्त होती है। बुध को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है इसलिए बुध के शुभ प्रभावों में से है कि व्यक्ति का जीवन बहुत ही सुखमय और संसाधनों से भरपूर रहता है। वहीं, बुध कमजोर होने से व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक सामान्य चाल से चलते हुए बुध वैसे तो एक राशि में 23 दिनों तक ही रहता है। कभी-कभी चाल में बदलाव के चलते एक महीना भी हो जाता है। इसी क्रम में बुध जल्द ही अगस्त माह में बुध कर्क राशि में मार्गी होने जा रहे हैं। इस ख़ास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे अगस्त में कर्क राशि में बुध के मार्गी की ये ज्योतिषीय घटना सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगी, ज्योतिष में बुध के मार्गी का क्या महत्व होता है, साथ ही जानेंगे बुध के गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के कुछ बेहद सरल और ज्योतिषीय उपायों की जानकारी। लेकिन, इससे पहले जान लेते हैं बुध का कर्क राशि में मार्गी की समयावधि।
बुद्धि और वाणी के कारक ग्रह बुध कर्क राशि में मार्गी 29 अगस्त 2024 की सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर होने जा रहा है। मार्गी बुध का प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों में देखने को मिलेगा, किसी में सकारात्मक रूप से तो किसी में नकारात्मक रूप से। तो आइए सबसे पहले जानते हैं ज्योतिष में मार्गी ग्रह का क्या अर्थ होता है।
मार्गी ग्रह का अर्थ
ग्रहों का मार्गी होना एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है। जब कोई ग्रह मार्गी होता है, तो इसका अर्थ है कि वह अपने सामान्य, सीधी दिशा में चल रहा होता है। यह स्थिति तब होती है जब ग्रह सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में गति करते हुए पृथ्वी से देखने पर सीधा चलता हुआ प्रतीत होता है। ज्योतिष में, जब ग्रह मार्गी होते हैं, तो उनके सकारात्मक और सामान्य प्रभाव ज्यादा स्पष्ट होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि बुध ग्रह मार्गी है, तो उसके सकारात्मक प्रभाव, वाणी, बुद्धि, त्वचा, गणित और संवाद में देखने को मिलता है। इसी प्रकार, शुक्र ग्रह के मार्गी होने पर प्रेम, सौंदर्य, और वैवाहिक जीवन में संतुलन बना रहता है।
इसके विपरीत, ग्रह के वक्री होने पर, यानी जब वह उल्टी दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है, तो उसके प्रभावों में अवरोध आ सकता है। वक्री ग्रह आमतौर पर अपने क्षेत्र में चुनौतियां और कठिनाइयां लाते हैं। लेकिन जब वही ग्रह मार्गी हो जाता है, तो वह पुनः अपनी पूरी शक्ति और सकारात्मकता के साथ कार्य करता है। मार्गी ग्रहों को नई शुरुआत, कार्यों में प्रगति, और जीवन में सकारात्मक बदलावों के लिए उत्तम माना जाता है। यह समय उन कार्यों को पूरा करने के लिए भी अच्छा होता है जो वक्री काल के दौरान अधूरे रह गए थे।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान है। यह ग्रह व्यक्ति की बुद्धि, संवाद क्षमता, तर्कशक्ति और व्यापारिक कौशल को दर्शाता है। बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है इसलिए यह ग्रह शिक्षा, लेखन और वाणिज्य में सफलता के लिए आवश्यक होता है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशियों के स्वामी हैं। मिथुन राशि में, बुध त्वरित सोच और संचार का प्रतीक है, जबकि कन्या राशि में यह तार्किकता और अनुशासन का प्रतिनिधित्व करता है। बुध का प्रभाव जातक के मानसिक संतुलन और निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ता है। यह ग्रह व्यक्ति की बातचीत की शैली, व्यापारिक विचारधारा, और लेखन की कुशलता को बढ़ाता है।
यदि बुध ग्रह कुंडली में शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति की संवाद क्षमता उत्कृष्ट होती है। वह एक अच्छे वक्ता और लेखक के रूप में उभर सकता है। साथ ही, यह ग्रह व्यापार में सफलता दिलाने वाला होता है, क्योंकि बुध व्यापार और लेन-देन से जुड़ा हुआ है। लेकिन यदि बुध अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को मानसिक उलझनों, तर्कहीनता और संवाद में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यह ग्रह तनाव, अवसाद और भाषण से संबंधित समस्याएं भी पैदा कर सकता है। बुध के कमजोर होने पर शिक्षा और व्यवसाय में भी रुकावट आती हैं। बुध ग्रह का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह सूर्य के सबसे निकट होने के कारण, हर ग्रह के साथ युति कर सकता है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के प्रभाव उत्पन्न करता है।
ज्योतिष में बुध ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव अलग-अलग होता है। आइए जानते हैं ज्योतिष में 12 भावों में बुध ग्रह का महत्व।
पहले भाव में बुध ग्रह का महत्व
बुध का इस भाव में होना जातक को बुद्धिमान, विचारशील और संवाद में कुशल बनाता है। ऐसा व्यक्ति तर्कशक्ति में निपुण और चतुर होता है। उसकी सोच तार्किक और स्पष्ट होती है।
दूसरे भाव में बुध ग्रह का महत्व
इस भाव में बुध के प्रभाव से जातक की वाणी मधुर और स्पष्ट होती है। वह अपने शब्दों का सही उपयोग करता है, जिससे वित्तीय क्षेत्र में उसे लाभ मिलता है।
तीसरे भाव में बुध ग्रह का महत्व
बुध का इस भाव में होना व्यक्ति को साहसी, निडर और रचनात्मक बनाता है। यह प्रभाव विशेष रूप से लेखन, पत्रकारिता, और मीडिया से जुड़े लोगों के लिए लाभकारी होता है।
चौथे भाव में बुध ग्रह का महत्व
इस भाव में बुध का प्रभाव जातक को शिक्षा और ज्ञान में सफलता दिलाता है। वह अपने परिवार और मातृभूमि से जुड़ा रहता है और पारिवारिक जीवन सुखी रहता है।
पांचवें भाव में बुध ग्रह का महत्व
बुध के पंचम भाव में होने पर जातक बुद्धिमान, रचनात्मक और प्रेम संबंधों में ईमानदार होता है। यह स्थान उच्च शिक्षा और संतान से संबंधित शुभ संकेत देता है।
छठे भाव में बुध ग्रह का महत्व
यहाँ बुध का होना व्यक्ति को समस्याओं के समाधान में कुशल बनाता है। वह कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और सूझबूझ से काम लेता है। स्वास्थ्य के प्रति भी सजग रहता है।
बुध का इस भाव में होना, विशेषकर विवाह और साझेदारी में, संवाद और समझ को बेहतर बनाता है। वह अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखता है और व्यापार में भी सफलता पाता है।
आठवें भाव में बुध ग्रह का महत्व
इस भाव में बुध रहस्यमय ज्ञान, गुप्त अनुसंधान और आध्यात्मिकता की ओर झुकाव देता है। जातक गहरे विषयों में रुचि रखता है और कठिन समस्याओं को सुलझाने में सक्षम होता है।
नौवें भाव में बुध ग्रह का महत्व
नौवें भाव में बुध का प्रभाव जातक को धार्मिक, आध्यात्मिक और दर्शन में रुचि रखने वाला बनाता है। वह उच्च शिक्षा और विदेशी यात्राओं में सफल होता है।
दसवें भाव में बुध ग्रह का महत्व
इस भाव में बुध के होने से जातक का करियर उज्ज्वल होता है। वह अपने क्षेत्र में सफल होता है और अपने कार्य में तर्कशक्ति का अच्छे से उपयोग करता है।
ग्यारहवें भाव में बुध ग्रह का महत्व
बुध का इस भाव में होना जातक को अच्छे मित्र, सामाजिक प्रतिष्ठा, और आर्थिक लाभ दिलाता है। उसके जीवन में इच्छाओं की पूर्ति होती है।
बारहवें भाव में बुध ग्रह का महत्व
इस भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण, आध्यात्मिकता और विदेश से जुड़े मामलों में रुचि रखने वाला बनाता है। वह गहरे चिंतन में लीन रहता है और मानसिक शांति प्राप्त करता है।
बुध को मजबूत करने के आसान ज्योतिषीय उपाय
बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए कई सरल ज्योतिषीय उपाय के बारे में बताया जा रहा है। आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में।
बुध मंत्र का जाप करें
“ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें। यह मंत्र बुध ग्रह की ऊर्जा को सक्रिय करने और उसके प्रभाव को बढ़ाने में मदद करता है। सुबह के समय, स्नान के बाद शुद्ध होकर इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
हरे वस्त्र धारण करें
बुध ग्रह का रंग हरा होता है इसलिए हरे रंग के कपड़े पहनना, विशेषकर बुधवार के दिन, बुध को प्रसन्न करने का एक सरल उपाय है।
तुलसी का पौधा लगाएं
तुलसी का पौधा बुध ग्रह को प्रिय होता है। अपने घर में तुलसी का पौधा लगाएं और प्रतिदिन उसकी पूजा करें। इससे बुध ग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
हरी सब्जियों का दान करें
बुधवार के दिन हरी सब्जियां, हरी मूंग, और हरे कपड़ों का दान करना बुध ग्रह को मजबूत करता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को हरी वस्तुओं का दान करें।
पन्ना रत्न धारण करें
बुध ग्रह के प्रभाव को बढ़ाने के लिए पन्ना रत्न धारण करना लाभकारी होता है। इसे बुध के मंत्र का जाप कर, सही विधि से धारण करें। हालांकि, इसे पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य ले लेना चाहिए।
भगवान गणेश की पूजा
भगवान गणेश बुध ग्रह के स्वामी माने जाते हैं। नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा करें और बुधवार के दिन विशेष रूप से उन्हें दूर्वा (घास) अर्पित करें।
बुध के बीज मंत्र का जाप करें
बुध के बीज मंत्र “ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय नमः” का जाप भी बुध ग्रह को मजबूत करता है। इस मंत्र का जाप करते समय मन को शांत रखें और ध्यान केंद्रित करें।
सुगंधित वस्त्र और परफ्यूम का इस्तेमाल करें
बुध को प्रसन्न करने के लिए सुगंधित वस्त्र पहनें और हल्की सुगंध वाले परफ्यूम का प्रयोग करें। यह बुध ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है।
बुधवार का व्रत करें
बुध को मजबूत करने के लिए बुधवार का व्रत रखना लाभकारी होता है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनें और सादा भोजन करें।
बुध कर्क राशि में मार्गी: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
आपको अपने परिवार के विकास के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित करने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
इस अवधि आपको नई नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। इसके अलावा, आपको ऑनसाइट…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
आपकी आय में वृद्धि होगी और आप तेज़ी से विकास करेंगे। साथ ही, आपको…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता है क्योंकि…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
आपको इस अवधि मिले-जुले परिणाम प्राप्त होंगे। आपको धन हानि, निर्णय लेने में असमंजस…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगा और आप स्वयं के लिए एक अच्छा उदाहरण बनेंगे…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
आप मन लगाकर अपने काम पर ध्यान देंगे। इस अवधि आप अधिक यात्रा भी कर सकते हैं…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
आपको भाग्य का साथ मिलने में देरी हो सकती है। साथ ही, आपको आत्मविश्वास की कमी…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
आपका लोगों से विश्वास उठ सकता है। दैनिक कार्यों पर पकड़ कमजोर हो सकती है…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
आपकी दोस्ती नए लोगों से हो सकती है और उनके माध्यम से आपको खुशी मिल सकती है। यहीं नहीं नए दोस्तों…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
आपको कुछ बातों को लेकर चिंताएं सता सकती है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि इस दौरान…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
इस दौरान आपके सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। आपके बच्चे आपकी अच्छे से देखभाल करेंगे…(विस्तार से पढ़ें)
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. बुध कर्क राशि में कब मार्गी होंगे?
बुध कर्क राशि में मार्गी 29 अगस्त 2024 की सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर होने जा रहा है।
2. ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व?
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व है क्योंकि यह सूर्य के सबसे निकट होने के कारण, हर ग्रह के साथ युति कर सकता है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के प्रभाव उत्पन्न करता है।
3. शुक्र कौन सी राशि में उच्च का होता है?
बुध मिथुन एवं कन्या राशियों का स्वामी है तथा कन्या राशि में उच्च भाव में स्थित रहता है
4. बुध का गोचर कितने दिनों का होता है?
बुध ग्रह का गोचर 23 या एक महीने का हो सकता है।
मासिक अंक फल सितंबर 2024: इस माह इन मूलांक वालों पर होगी धन-दौलत की बरसात!
मासिक अंक फल सितंबर 2024: अंक ज्योतिष के अनुसार, सितंबर का महीना साल का 9वां महीना होने के कारण अंक 9 का प्रभाव लिए होता है यानी कि इस महीने पर मंगल ग्रह का अधिक प्रभाव रहने वाला है। आपको बता दें कि इस साल का अंक 8 है और ऐसे में सितंबर के महीने पर मंगल के अलावा शनि का भी प्रभाव रहने वाला है। हालांकि, मूलांक के अनुसार लोगों पर मंगल और शनि का अलग-अलग असर पड़ेगा। लेकिन, सितंबर 2024 का महीना सामान्य तौर पर विवाद, सेना, सुरक्षा, दुर्घटना, आगजनी और तकनीकी मामलों के लिए उल्लेखनीय रह सकता है। आइए जानते हैं कि आपके मूलांक के लिए सितंबर 2024 का महीना कैसा रहेगा।
यदि आप किसी महीने की 1, 10, 19 या फिर 28 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 1 होगा। मूलांक 1 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 9, 8, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। यद्यपि 1 और 9 के बीच एवरेज या फिर एवरेज से थोड़े से बेहतर संबंध माने गए हैं। लेकिन बाकी के अंको का अधिक सपोर्ट नहीं मिल रहा है इसलिए इस महीने आपको अपने कामों को पूरा करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। हालांकि, लंबे समय से लंबित कामों को पूरा करना ही समझदारी का काम होगा। इस महीने बेवजह के क्रोध को त्यागना जरूरी रहेगा। कई बार अपने से छोटे कर्मचारी या पद वाले व्यक्ति के साथ मित्रवत संबंध निभाने से भी कामों के अच्छे परिणाम मिलते हैं। ऐसी स्थिति में प्रोफेशनल लाइफ में अपने से जूनियर या असिस्टेंट लोगों के साथ भी मित्रवत व्यवहार करें जो कि इस महीने फायदे का काम साबित होगा। भाइयों और मित्रों के साथ संबंधों को मेंटेन करने की कोशिश भी फायदेमंद रहेगी।
उपाय: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ रहेगा।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
मूलांक 2
यदि आप किसी महीने की 2, 11, 20 या फिर 29 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 2 होगा। मूलांक 2 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 1, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। ऐसी स्थिति में यह महीना आपको मिले-जुले या एवरेज परिणाम दे सकता है। हालांकि, नए कामों की शुरुआत के लिए इस महीने को अच्छा कहा जाएगा। ऐसी स्थिति में यदि आपके पुराने काम पूरे हो गए हैं तो नए काम की शुरुआत करने का वक्त आ चुका है। नए-नए लोगों से मिलना और नए मित्रों के सहयोग से काम को आगे बढ़ाना इस महीने संभव हो सकेगा।
इस दौरान आपकी भावनाएं क्रोध में न बदल पाए इस बात का ख्याल रखना होगा। 8 अंकों का दो बार प्रभाव इस बात का संकेत कर रहा है कि कभी-कभी आप भावुक या निराश भी हो सकते हैं। हालांकि, इस महीने किसी भी प्रकार की बड़ी नकारात्मकता के योग नहीं है,परंतु मन में नकारात्मक भाव बने रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में मानसिक प्रसन्नता पर काम करने की जरूरत रहेगी। साथ ही, संबंधों को लेकर आवश्यकता से अधिक भावुक होने से भी बचना होगा।
उपाय: सूर्य देव को कुमकुम मिला हुआ जल अर्पित करें।
मूलांक 3
यदि आप किसी महीने की 3,12, 21 या फिर 30 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 3 होगा। मूलांक 3 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 2, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। शुरुआती और सर्वाधिक प्रभाव डालने वाले अंक इस महीने सामान्य तौर पर आपका फेवर करते हुए नजर आ रहे हैं, सिर्फ अंक 5 और 6 आपके सपोर्ट में नहीं हैं। ऐसी स्थिति में आप ज्यादातर मामलों में अच्छे और अनुकूल परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। आपके मैनेजमेंट पार्ट को क्रिएटिविटी का सपोर्ट मिल सकता है। फलस्वरूप इस महीने आप कुछ शानदार भी कर सकते हैं।
यदि आपका काम साझेदारी का है तो इस महीने आप साझेदारी के कामों में काफी अच्छा कर सकते हैं। हालांकि यात्रा, टूर एंड ट्रेवल्स इत्यादि जैसे कामों से जुड़े हुए लोगों को धैर्य के साथ काम करने की जरूरत होगी। यदि कोई व्यक्ति या कोई काम समझ में नहीं आ रहा है, तो धैर्य पूर्वक किसी अनुभवी व्यक्ति से समझना समझदारी का काम होगा। जल्दबाजी उचित नहीं रहेगी। संबंधों को महत्व देंगे तो संबंधों से भी आपको महत्व मिलेगा। सामान्य तौर पर यह महीना आपको अच्छा परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। बस छोटी-मोटी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं, ऐसी स्थिति में धैर्य और संतुलन के साथ काम करना फायदेमंद रहेगा।
यदि आप किसी भी महीने की 4,13, 22 या फिर 31 तारीख़ को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 4 होगा। मूलांक 4 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 3, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है यानी कि इस महीने के अंक आपके मूलांक को बहुत अधिक सपोर्ट नहीं कर रहे हैं। ऐसे में, इस महीने कुछ मामलों में संघर्ष करना पड़ सकता है, विशेषकर सामाजिक मामलों में सावधानी पूर्वक निर्वाह करने की आवश्यकता होगी। कोई भी ऐसा काम न करें जिससे आपकी सामाजिक छवि ख़राब हो। कोई भी योजना बनाते समय इस बात का ख्याल रखना जरूरी होगा कि आपकी क्रिएटिविटी में कोई कमी न रह जाए।
यदि आप चाहें तो इस मामले में अपने सहयोगियों का सहयोग ले सकते हैं। इस महीने मित्रों के साथ कोई अनबन न होने पाए इस बात का ध्यान रखें। जो व्यक्ति हमेशा आपको प्रसन्न करने वाली बात कहे; जरूरी नहीं है कि वह आपका मित्र होगा और ऐसा भी जरूरी नहीं की है कि जो आपकी बातों का विरोध करें वह आपका मित्र नहीं है। कई बार आपकी गलत बातों का विरोध करने वाला व्यक्ति आपका मित्र भी हो सकता है। इन तथ्यों के आधार पर इस महीने मित्रों का परीक्षण करना समझदारी का काम होगा। इस महीने अपने मैनेजमेंट क्षमताओं पर अपेक्षाकृत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता रहेगी। यदि आप व्यवस्था बनाए रखने में कामयाब होते हैं तो सामान्य तौर पर परिणाम अनुकूल मिल सकेंगे।
उपाय: मंदिर में दूध और केसर का दान करें।
मूलांक 5
यदि आप किसी भी महीने की 5, 14 या फिर 23 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 5 होगा। मूलांक 5 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 4, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। इस महीने आप पर सर्वाधिक प्रभाव डालने वाला अंक 4 आपका फेवर कर सकता है, लेकिन अंक 8 और 9 से अधिक फ़ेवर की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। इन सभी कारणों से सितंबर में आपको अपेक्षाकृत अधिक मेहनत करने के लिए स्वयं को तैयार रखना होगा। साथ ही, स्वयं को अनुशासन में भी रखना होगा।
यद्यपि आप संतुलित मस्तिष्क के व्यक्ति हैं, लेकिन इस महीने मन-मस्तिष्क में कुछ फितूर भी देखने को मिल सकता है। बेहतर होगा कि अपने स्वभाव के अनुसार योजनाबद्ध तरीके से और संतुलित मस्तिष्क के साथ काम करें; तब जाकर परिणाम अच्छे मिल पाएंगे, अन्यथा चीजें बिगड़ भी सकती हैं। महत्वपूर्ण कामों को किसी दूसरे की देखरेख में छोड़ने की बजाय उस पर स्वयं ध्यान देना समझदारी का काम होगा। कोई व्यक्ति आपके स्वभाव या चरित्र पर उंगली न उठाने पाए इस बात को लेकर स्वयं के भीतर सुधार करने की भी आवश्यकता रहने वाली है।
उपाय: मस्तक पर नियमित रूप से केसर का तिलक करें।
मूलांक 6
यदि आप किसी भी महीने की 6, 15 या फिर 24 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 6 होगा। मूलांक 6 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 5, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। ऐसी स्थिति में यह महीना आपको मिले-जुले या औसत परिणाम दे सकता है। यद्यपि बौद्धिक कार्यों में आप अच्छा करते हुए देखे जाएंगे, लेकिन वाणी पर संयम रखने की आवश्यकता होगी। इस महीने यात्रा करने के मौके मिल सकते हैं परंतु यात्राओं में लापरवाही न बरतें। सावधानी पूर्वक यात्रा करने पर आप न केवल यात्रा का आनंद ले सकेंगे बल्कि जिस उद्देश्य से आपने यात्रा की है या करेंगे उस उद्देश्य की पूर्ति भी हो सकेगी।
मनोरंजन के साथ-साथ अपने कामों को आगे बढ़ाने के लिए भी महीना अनुकूल रह सकता है। इस महीने कुछ परिवर्तन भी देखने को मिल सकते हैं। हालांकि इन सभी कामों में एवरेज परिणाम मिलने की संभावना है। कड़ी मेहनत करने पर आप परिणामों को बेहतर कर सकेंगे अर्थात यह महीना चमत्कारिक रूप से कोई बड़ा परिणाम नहीं देगा। लेकिन, आपके द्वारा की गई मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी, उस मेहनत के परिणाम आपको अवश्य मिलेंगे। ऐसी स्थिति में मेहनत करें और मनोनुकूल परिणाम प्राप्त करें।
उपाय: नियमित रूप से गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना शुभ रहेगा।
यदि आप किसी भी महीने की 7, 16 या फिर 25 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 7 होगा। मूलांक 7 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 6, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। ऐसे में, यह महीना आपको अनुकूल परिणाम दे सकता है। विशेषकर प्रेम संबंधों के लिए इस महीने को काफी अच्छा और अनुकूल कहा जाएगा। स्त्रियों से संबंधित किसी भी काम में यह माह अच्छे परिणाम दे सकता है। घर की साज-सज्जा के लिए सितंबर को अच्छा कहा जाएगा। साथ ही, घर-गृहस्थी से जुड़ी हुई चीजों की खरीदारी के लिए भी यह अवधि अच्छे परिणाम दे सकती है।
पारिवारिक मामलों में भी इस महीने अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। यदि किसी परिजन से पिछले महीनों से कोई विवाद रहा है तो इस महीने उस विवाद को सुलझाने की कोशिश करने पर सफलता मिल सकती है।
जिनकी उम्र विवाह की हो चुकी है, वह लोग इस महीने विवाह से संबंधित मामलों में शुभ समाचार सुन सकते हैं। प्रेम, विवाह और सगाई आदि से संबंधित मामलों में यह महीना अच्छे परिणाम दे सकता है। वैवाहिक जीवन की बात करें, तो वैवाहिक मामलों में इस महीने आप अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। अंक 8 की अधिकता को देखते हुए बेवजह की जिद से बचना समझदारी का काम होगा। साथ ही, बड़े बुजुर्गों का आदर करना भी जरूरी रहेगा। इस तरह की सावधानियां को अपनाने की स्थिति में इस महीने आप काफी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।
उपाय: कन्याओं का पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना शुभ रहेगा।
मूलांक 8
यदि आप किसी भी महीने की 8, 17 या फिर 26 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 8 होगा। मूलांक 8 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 7, 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। इस महीने आप पर सर्वाधिक प्रभाव डालने वाला अंक 7 आपको औसत लेवल का सपोर्ट दे सकता है जबकि अंक 8 से आपको अच्छा सपोर्ट मिल सकता है। यही कारण है कि इस महीने आप कुछ सार्थक निर्णय ले सकते हैं। हालांकि आलस्य से बचना जरूरी रहेगा। साथ ही, किसी भी मामले में जिद करने से बचें। यदि आप इन सावधानियों को अपनाते हैं तो इस महीने आपको कुछ अच्छे अनुभव मिल सकेंगे।
आपके पास इस महीने अच्छे और बुरे की पहचान करने की ताकत होगी और फलस्वरूप, आप सही व्यक्ति का चयन करके अपने कामों को समय से पूरा करवा सकेंगे। कार्यक्षेत्र के अलावा व्यक्तिगत जीवन में भी आप इस महीने अच्छी अनुभूति प्राप्त कर सकेंगे। आपको अच्छे और बुरे मित्र की पहचान हो सकेगी। आप धार्मिक कार्यों में भाग ले सकते हैं और ऐसे में, अध्यात्म से संबंधित मामलों के लिए सितंबर का महीना आपको काफी अच्छे परिणाम दे सकता है। बस अंक 9 के प्रभाव के कारण इस महीने स्वयं को क्रोधित होने से बचाना होगा। यदि आप संयम के साथ काम करेंगे तो इस महीने आपको न केवल कार्यक्षेत्र और सामाजिक मामलों में अच्छे परिणाम मिलेंगे बल्कि आप व्यक्तिगत जीवन में भी अनुकूलता का अनुभव कर सकेंगे।
उपाय: गुरुवार के दिन मंदिर में चने की दाल का दान करें।
मूलांक 9
यदि आप किसी भी महीने की 9,18 या फिर 27 तारीख को पैदा हुए हैं, तो आपका मूलांक 9 होगा। मूलांक 9 के लिए सितंबर का महीना क्रमशः 8, 9, 5 और 6 अंकों का प्रभाव लिए हुए है। अंक 5 और 6 को छोड़कर बाकी के सभी अंकों से आपको इस महीने सपोर्ट मिल सकता है। अतः इस महीने आप काफी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। आप अपनी मेहनत के अच्छे नतीजे प्राप्त करके प्रसन्नता का अनुभव कर सकेंगे। आर्थिक मामले में इस महीने आपको उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।
आप अपने व्यापार-व्यवसाय में भी अच्छा करते हुए देखे जा सकेंगे। यदि आप अपने पुराने काम का विस्तार करने के इच्छुक हैं अथवा किसी नए काम का शुभारंभ करना चाह रहे हैं तो इस मामले में भी आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि, अंक 8 की अधिकता इस बात का संकेत कर रही है कि इस महीने नए काम की शुरुआत में धैर्य रखने की आवश्यकता होगी। साथ ही, अनुभवी व्यक्तियों के सहयोग की आवश्यकता भी आपको रहने वाली है। धैर्य और अनुभव के सहारे नए प्रयोग करने की स्थिति में ही अच्छे परिणाम मिल सकेंगे।
उपाय: गरीब और जरूरतमंद लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन करवाएं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. मूलांक 1 के स्वामी ग्रह कौन हैं?
मूलांक 1 पर ग्रहों के राजा सूर्य का स्वामित्व है।
2. मूलांक 4 के लिए सितंबर कैसा रहेगा?
सितंबर 2024 मूलांक 4 वालों को मिले-जुले या एवरेज परिणाम दे सकता है।
3. केतु का अंक कौन सा है?
मूलांक 7 पर केतु ग्रह का शासन है।
30 साल बाद बन रहा है समसप्तक योग, इन लोगों पर बरसेगी सूर्य और शनि की कृपा
सौरमंडल के सभी ग्रह समय-समय पर राशि परिवर्तन करते हैं और इसका असर देश-दुनिया समेत सभी राशियों पर देखने को मिलता है। इस बार 16 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 32 मिनट पर सूर्य का गोचर सिंह राशि में होगा। वहीं 30 साल बाद शनि देव कुंभ राशि मे संचरण कर रहे हैं। इस स्थिति में ये दोनों ग्रह 180 डिग्री पर रहेंगे। इसके साथ ही शनि और सूर्य एक दूसरे से सातवें भाव पर रहेंगे।
दोनों ग्रहों के इस स्थिति में रहने से समसप्तक योग बन रहा है। वैसे तो इस योग का प्रभाव सभी राशियों के जातकों के जीवन पर पड़ेगा लेकिन कुछ राशियां ऐसी हैं जिन्हें इस योग सबसे अधिक लाभ मिलने के आसार हैं।
यह एक ज्योतिषीय योग है जो दो ग्रहों के आमने-सामने आने पर बनता है। उदाहरण के तौर पर मेष राशि में सूर्य हो और तुला राशि में शनि ग्रह उपस्थित हो, तो इस स्थिति में सूर्य और शनि समसप्तक योग का निर्माण करते हैं। ये दोनों ग्रह एक-दूसरे से सातवें भाव में विराजमान रहते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि समसप्तक योग से किन तीन राशियों के लोगों को धन लाभ और भाग्य का साथ मिल सकता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इन राशियों को होगा लाभ
कुंभ राशि
समसप्तक योग से कुंभ राशि के लोगों को सबसे अधिक फायदा होने की उम्मीद है। इस दौरान आपकी लोकप्रियता में इज़ाफा देखने को मिलेगा। आपके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आप अपनी बुद्धिमानी और विवेक से सफलता के शीर्ष तक पहुंच पाने में सफल होंगे। नौकरीपेशा जातकों के लिए शानदार समय है। इन्हें अपने कार्यक्षेत्र में खूब सफलता मिलने के योग हैं।
इस दौरान शादीशुदा जातकों को अपने पार्टनर के साथ आपसी तालमेल बहुत अच्छा रहने वाला है। आपको अपने भाग्य का साथ मिलेगा और आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने में सक्षम होंगे। लंबे समय से अटका हुआ काम अब पूरा हो सकता है। जो जातक अविवाहित हैं, उन्हें शादी का प्रस्ताव मिल सकता है। लंबे समय से अटका हुआ कोई काम अब पूरा हो सकता है।
सिंगल जातकों के लिए शादी का प्रस्ताव आने की उम्मीद है। वहीं जो लोग पार्टनरशिप में बिज़नेस करते हैं, उन्हें भी धन लाभ होने के आसार हैं। कुल मिलाकर यह समय आपके लिए बहुत ही ज्यादा शानदार रहने वाला है।
समसप्तक योग बनने से मेष राशि के जातकों के अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे। इन्हें हर तरफ से लाभ होने के संकेत हैं। आपकी आय में जबरदस्त इज़ाफा देखने को मिलेगा। आपकी आय के नए स्रोत बनने की भी संभावना है। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी और आप काफी प्रसन्न रहेंगे। व्यापारियों की भी आमदनी के नए रास्ते खुलने वाले हैं। यदि आप बिज़नेस करते हैं और आपका पैसा कहीं अटका हुआ है, तो इस समय आपको वह मिल सकता है।
आपने अपने कार्यक्षेत्र में जो कड़ी मेहनत की है, अब आपको उसका फल मिलने वाला है। इससे आप बहुत खुश और संतुष्ट नज़र आएंगे। आपके लिए निवेश से भी लाभ मिलने के योग बन रहे हैं। आपको अपनी संतान की ओर से कोई अच्छी खबर मिल सकती है। इस समयावधि में व्यापारियों के हाथ कोई बड़ी डील लग सकती है जिससे उन्हें आगे चलकर बुहत अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
मिथुन राशि
यदि आपकी मिथुन राशि है, तो आपको इस समय अपने जीवन को लेकर चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। आपको अपने भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। आपके लिए देश-विदेश की यात्रा के योग भी बन रहे हैं। अगर अब तक आपको पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा था, तो अब आपको उससे छुटकारा मिलने की उम्मीद है।
आपके अनावश्यक खर्चों में कमी आएगी जिससे आपको पैसों की बचत करने में मदद मिल सकती है। अपने लिए घर या वाहन खरीदने के लिए अच्छा समय है। इस दौरान ये चीजें खरीदने से आपकी संपत्ति और भाग्य में वृद्धि होगी।
इस समय आपके अटके हुए काम भी अब पूरे हो सकते हैं। आपको धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिलेगा। इससे आपको मानसिक शांति की अनुभूति होगी। अगर आप लंबे समय से नौकरी बदलने पर विचार कर रहे हैं, उन्हें अब कोई शानदार अवसर मिलने के संकेत हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
जल्द ही बुध होंगे उदित- इन राशियों को मिलेगी तरक्की, नौकरी में भी होगा लाभ!
कर्क राशि में बुध संकेत देता है कि आपकी बुद्धि लगातार गतिशील रहती है और आपके अंदर कुछ बेचैन करने वाली भावनाएं पैदा हो सकती है। कर्क राशि पूरी तरह से भावनाओं से संबंधित मानी गई है और बुध तर्क और बुद्धि से संबंधित ग्रह होता है जो ऊर्जा पैदा करता है।
अब जल्द ही अर्थात 26 अगस्त को बुध कर्क राशि में उदित होने वाले हैं। आपकी राशि पर बुध का यह अहम परिवर्तन क्या प्रभाव डालेगा यही जानने के लिए हम लेकर आए हैं हमारा यह खास ब्लॉग जिसके माध्यम से आपको कर्क राशि में बुध का सभी 12 राशियों पर प्रभाव हम बताने वाले हैं।
साथ ही यहां हम आपको इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के उपायों की जानकारी भी देंगे। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं यह ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं कि इस महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना का समय क्या रहने वाला है।
सबसे पहले बात करें समय की तो 26 अगस्त 2024 को 18:14 पर बुध कर्क राशि में उदित होने वाले हैं।
अधिक जानकारी: उदित होने का अर्थ यह हुआ कि अब बुध सूर्य से दोबारा दूर जाने लगेगा और वापस अपनी शक्तियां प्राप्त कर लेगा।
बुध का कर्क राशि में उदय- कैसा रहेगा प्रभाव?
जब बुध कर्क राशि में होता है तो यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव प्रदान करने की क्षमता रखता है और कुल मिलाकर यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप ऊर्जा को कैसे प्रसारित करते हैं। अगर आप अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो आप आत्मनिरीक्षण और आत्मबोध के संबंध में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। वहीं दूसरी तरफ अगर आप अपनी भावनाओं पर प्रतिक्रिया करते हैं, उदाहरण के लिए किसी भी व्यक्ति से बदला लेने के लिए षड्यंत्र बनाते हैं तो यह आपके लिए विनाशकारी भी साबित हो सकता है। कुलमिलाकर ये चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
कर्क राशि में बुध आपको अंतर ज्ञान, मानसिक क्षमता में और भावनाओं की गहराई प्रदान करता है। वहीं दूसरी तरफ बुध आपको अपना ध्यान केंद्रित करने की क्षमता देता है और जब कर्क राशि में बुध आता है तो यह आपको अपनी भावनाओं से बाहर निकलने में असमर्थ बन सकता है और अवसाद, चिंता, हताशा, ज्यादा स्वामित्व और अन्य मनोवैज्ञानिक और मानसिक समस्याएं आपके जीवन में खड़ी हो सकती है। हालांकि कर्क राशि में बुध अगर अच्छी स्थिति में हो तो यह उपचार क्षमता भी लेकर आता है। यह आपको चिकित्सा, ज्योतिष, आयुर्वेद, अध्यात्म, शिक्षक और जनसंचार के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने में मददगार साबित होता है। बुध एक व्यावसायिक विचारधारा वाला ग्रह है। चंद्रमा की राशि में अन्य व्यावसायिक विचारधारा वाला ग्रह नवोन्वेषी उद्यमियों का निर्माण करता है।
जिन लोगों का जन्म कर्क राशि में बुध के साथ हुआ होता है वह दुनिया के प्रति नरम रवैया रखते हैं। आप जो कुछ भी करते हैं उसमें आपकी भावनाएं शामिल होती है और आप अकेले महसूस करने के आधार पर निर्णय या फैसला और योजना बनाते हैं। आप अपने आसपास की वास्तविक दुनिया को वैसे ही देखते हैं जैसे हर कोई देखता है लेकिन आप उनसे अधिक संवेदनशील और सहज होते हैं क्योंकि आपका अंतर ज्ञान बहुत मजबूत होता है।
ऐसे में आप दूसरों की इच्छाओं को, उनकी जरूरतों को और चिंताओं को समझ सकते हैं। आपको प्यार का इजहार करना पसंद होता है और आप अक्सर इसका इजहार भी करते हैं। आप अपने शब्दों को तरीके से बोलते हैं जिससे दूसरों को आपकी उपस्थिति में सहजता और खुशी मिलती है।
हालांकि आप कभी-कभी दूसरों की भावनाओं की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी अपने तक ही सीमित रखते हैं। बातचीत के माध्यम से दूसरों के साथ रिश्ते बनाना आपके लिए काफी आसान रहता है। आपके जीवन में सबसे मजबूत रिश्ते तब स्थापित होते हैं जब आप अपने व्यक्तिगत विचारों, भय, कमजोरी और खुशियों को किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करते हैं।
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
आपके जीवन में बुध की मजबूत स्थिति संतुष्टि, अच्छे स्वास्थ्य के साथ एक मजबूत दिमाग, लेकर आती है। यह व्यवसाय में सफलता, ठोस निर्णय लेने और अत्यधिक ज्ञान की ओर भी ले जाता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ जब बुध राहु, केतु और मंगल के साथ संबंध बनाता है तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में संघर्ष, बुद्धि की कमी और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उठानी पड़ सकते हैं।
इसके अलावा वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को मिथुन और कन्या राशि के स्वामी होने का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा इन्हें ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है। कुंडली में तीसरे और छठे भाव के स्वामी बुध कौशल, सफलता, तर्क क्षमता, बुद्धि के कारक माने जाते हैं।
अगर व्यक्ति की कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत हो तो ऐसे व्यक्ति व्यापार व्यवसाय में अपार सफलता हासिल करते हैं और जीवन में सफल होते हैं। वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में बुध की स्थिति कमजोर हो तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में कई तरह की परेशानियां और उतार-चढ़ाव आदि देखने को मिलते हैं। बुध जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है या फिर उदय होता है तो इसका प्रभाव निश्चित तौर पर देश-दुनिया, कारोबार और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।
अब जब कर्क राशि में बुध का उदय होने जा रहा है तो निश्चित रूप से यह कुछ राशियों को तो फायदा करवाएँगे और कुछ राशियों को इसके नकारात्मक परिणाम भी मिल सकते हैं। चलिए जान लेते हैं कर्क राशि में बुध उदय का सभी राशियों पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ेगा।
कर्क राशि में बुध के उदय का आपके जीवन पर इस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1: कर्क राशि में बुध उदित कब होंगे?
26 अगस्त 2024 को 18:14 पर बुध कर्क राशि में उदित होने वाले हैं।
2: बुध उदित का क्या अर्थ है?
उदित होने का अर्थ यह हुआ कि अब बुध सूर्य से दोबारा दूर जाने लगेगा और वापस अपनी शक्तियां प्राप्त कर लेगा।
3: बुध उदित का कारक जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
जब बुध कर्क राशि में होता है तो यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव प्रदान करने की क्षमता रखता है और कुल मिलाकर यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप ऊर्जा को कैसे प्रसारित करते हैं। अगर आप अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो आप आत्मनिरीक्षण और आत्मबोध के संबंध में अच्छा प्रदर्शन करेंगे
4: बुध किसका कारक है?
बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क और मित्र का कारक माना जाता है।
अगस्त का आखिरी सप्ताह इन राशियों को दे जाएगा बड़ी सौगात- जानें क्या आपकी राशि है इसमें?
वैदिक ज्योतिष की गणना पर आधारित आने वाले सप्ताह का सटीक और सबसे विस्तृत राशिफल लेकर एक बार फिर अपने रीडर्स के सामने हासिल है। इस खास ब्लॉग के माध्यम से हम आपको आने वाले 7 दिनों का हाल बताएंगे, प्रेम राशिफल की जानकारी देंगे, साथ ही दौरान कौन-कौन से व्रत और त्योहार किए जाने वाले हैं इस बात की जानकारी भी आपको यहां प्रदान की जाएगी।
सिर्फ इतना ही नहीं इस सप्ताह में कौन-कौन से बैंक अवकाश पड़ने वाले हैं, विवाह मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस बारे में भी हम आपको यहां अवगत कराएंगे। साथ ही ग्रहण और गोचर और ग्रहों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी भी आपको दी जाएगी। तो आइए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह बेहद ही खास राशिफल ब्लॉग और जान लेते हैं सभी 12 राशियों के लिए आने वाले सात दिन कैसे रहेंगे।
26 अगस्त से 1 सितंबर 2024 हिंदू पंचांग और व्रत-त्योहार
26 अगस्त 2024 सोमवार
तिथि अष्टमी – 26:22:02 तक
पक्ष शुक्ल
अभिजीत मुहूर्त 11:56:47 से 12:48:18 तक
दिशाशूल पूर्व
व्रत त्यौहार: कृष्ण जन्माष्टमी, अष्टमी रोहिणी, आद्याकाली जयंती, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
27 अगस्त 2024 मंगलवार
तिथि नवमी – 25:35:42 तक
पक्ष शुक्ल
अभिजीत मुहूर्त 11:56:33 से 12:47:57 तक
दिशाशूल उत्तर
व्रत त्यौहार: दही- हांडी, रोहिणी व्रत
28 अगस्त 2024 बुधवार
तिथि दशमी – 25:22:06 तक
पक्ष शुक्ल
अभिजीत मुहूर्त कोई नहीं
दिशाशूल उत्तर
व्रत त्यौहार: कोई भी व्रत-त्योहार नहीं है।
29 अगस्त 2024 गुरुवार
तिथि एकादशी – 25:40:06 तक
पक्ष कृष्ण
अभिजीत मुहूर्त 11:56:04 से 12:47:15 तक
दिशाशूल दक्षिण
व्रत त्यौहार: अजा एकादशी
30 अगस्त 2024 शुक्रवार
तिथि द्वादशी – 26:28:00 तक
पक्ष कृष्ण
अभिजीत मुहूर्त 11:55:48 से 12:46:53 तक
दिशाशूल पश्चिम
व्रत त्यौहार: कोई व्रत-त्योहार नहीं है।
31 अगस्त 2024 शनिवार
तिथि त्रयोदशी – 27:43:44 तक
पक्ष कृष्ण
अभिजीत मुहूर्त 11:55:33 से 12:46:31 तक
दिशाशूल पूर्व
व्रत त्यौहार: शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत
1 सितंबर 2024 रविवार
तिथि चतुर्दशी – 29:24:44 तक
पक्ष कृष्ण
अभिजीत मुहूर्त 11:55:18 से 12:46:09 तक
दिशाशूल पश्चिम
व्रत त्यौहार: कोई व्रत त्योहार नहीं है।
26 अगस्त से 1 सितंबर 2024- ग्रहण गोचर
ग्रहों की चाल, उनकी स्थिति और उनके किसी भी परिवर्तन का मानव जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है इसीलिए कोई भी महत्वपूर्ण भविष्यवाणी करते समय ग्रहों का विशेष आकलन किया जाता है। ऐसे में अपने साप्ताहिक राशिफल ब्लॉग में हम आपको इस बात की जानकारी देते हैं कि इस सप्ताह में कौन-कौन से गोचर होने वाले हैं और क्या इस सप्ताह में कोई ग्रहण लगेगा।
तो सबसे पहले इस सप्ताह में कोई भी ग्रहण नहीं लगने वाला है। बात करें गोचर की तो, इस सप्ताह में कुल तीन अहम परिवर्तन होने वाले हैं जिनमें से पहले होगा जब 26 अगस्त को मंगल का मिथुन राशि में गोचर होगा। इसका समय रहेगा 15:40। 26 अगस्त को ही 18:14 पर बुध कर्क राशि में उदित हो जाएंगे। इसके बाद 29 अगस्त को कर्क राशि में ही बुध 9:15 पर मार्गी होने वाले हैं।
यानी कि इस सप्ताह में बुध के दो अहम परिवर्तन होंगे और मंगल का एक गोचर होगा जिसका निश्चित रूप से सभी 12 राशियों के जीवन पर प्रभाव अवश्य पड़ेगा। अगर आप भी अपने जीवन पर इन गोचर का व्यक्तिगत प्रभाव जानना चाहते हैं तो आपके विद्वान ज्योतिषियों से फोन या फिर चैट के माध्यम से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।
26 अगस्त से 1 सितंबर 2024- बैंक अवकाश
बैंक अवकाश की बात करें तो अगस्त के इस आखिरी सप्ताह में एक बैंक अवकाश होने वाला है। यह होगा 26 अगस्त 2024 सोमवार को इस दिन जन्माष्टमी है और भारत के कई राज्यों में यह दिन बैंक अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
26 अगस्त से 1 सितंबर 2024- विवाह मुहूर्त
हिंदू धर्म में विवाह को बेहद महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक होता है। यही वजह है कि विवाह का यह अनुष्ठान बेहद ही पवित्रता से और शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। यही वजह है कि आज भी बहुत से लोग विवाह से पहले शुभ मुहूर्त की गणना करवाते हैं और उसके अनुरूप ही विवाह करते हैं।
बात करें 26 अगस्त से 1 सितंबर के बीच पड़ने वाले विवाह मुहूर्त की तो अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2024 में कोई भी शुभ विवाह मुहूर्त नहीं है। ग्रहों की स्थिति सही नहीं होने के चलते इस दौरान विवाह का कोई भी मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। अगर आप व्यक्तिगत जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप तुरंत ज्योतिषियों से परामर्श ले सकते हैं।
26 अगस्त से 1 सितंबर 2024- जन्मदिन की जानकारी
अपने साप्ताहिक राशिफल के आखिरी सेगमेंट में हम जानते हैं कि इस सप्ताह में किन-किन सितारों का जन्मदिन मनाया जाने वाला है। बात करें 26 अगस्त से 1 सितंबर के बीच मनाए जाने वाले मशहूर सितारों के जन्मदिन के बारे में तो,
26 अगस्त नीरू बाजवा, इंदर कुमार
27 अगस्त नेहा धूपिया, शिबानी दांडेकर
28 अगस्त दीपक तिजोरी, करणवीर बोहरा
29 अगस्त रिचा शर्मा, नागार्जुन अक्किनेनी
30 अगस्त चित्रांगदा सिंह, रिचा पालोद
31 अगस्त राजकुमार राव
1 सितंबर दीपक डोबरियाल, राम कपूर
यदि आप अपने फेवरेट सितारे की कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।
एस्ट्रोसेज की तरफ से इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: 26 अगस्त से 1 सितंबर के बीच कौन-कौन से व्रत और त्योहार किए जाएंगे?
उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी, दही हांडी, एकादशी, शनि त्रयोदशी
प्रश्न 2: अगस्त के आखिरी सप्ताह में कौन-कौन से गोचर होने वाले हैं?
उत्तर: इस सप्ताह 26 अगस्त को मंगल का मिथुन राशि में गोचर होगा, 26 अगस्त को ही बुध कर्क राशि में उदित होंगे और 29 अगस्त को कर्क राशि में बुध उदित हो जाएंगे।
प्रश्न 3: तुला राशि के जातकों का प्रेम जीवन कैसा रहने वाला है?
उत्तर: इस हफ्ते आपकी राशि के कुछ प्रेमी जातक शादी के पवित्र बंधन में बंधने का बड़ा फैसला ले सकते हैं।
प्रश्न 4: धनु राशि के जातकों का यह सप्ताह कैसा रहेगा?
उत्तर: इस सप्ताह आपकी सेहत कुछ नगवारा गुजरेगी, इस कारण ज़्यादा यात्रा करना आपके स्वभाव में कुछ झुंझलाहट भी पैदा कर सकता है।
दुर्लभ जयंती योग में कृष्ण जन्माष्टमी- जानें इसका ज्योतिषीय महत्व और राशि अनुसार दान की जानकारी!
कृष्ण जन्माष्टमी यानि भगवान विष्णु के आठवें अवतार का जन्मोत्सव। इसे बहुत से जगहों पर गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है। यह एक बेहद ही पावन हिंदू त्यौहार है जो प्रत्येक वर्ष नियम पूर्वक मनाया जाता है। पंचांग या हिंदू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व भाद्रपद महीने के आठवें दिन मनाया जाता है, पश्चिमी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है।
हमारे आज के इस खास ब्लॉग में हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही जानेंगे 2024 में जन्माष्टमी का यह पर्व कब मनाया जाएगा, इस दिन कौन से शुभ योग का निर्माण हो रहा है, भारत के अलग-अलग राज्यों में इस त्यौहार को किस तरह से मनाया जाता है, साथ ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी कुछ बेहद ही रोचक और जानने वाली जानकारियां भी हम आपको यहां पर प्रदान करेंगे।
तो चलिए बिना देरी के शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी कब पड़ रही है।
वर्ष 2024 कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त और योग
हिंदू पंचांग के अनुसार 2024 में गोकुल अष्टमी या कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। बात करें शुभ पूजा मुहूर्त की तो,
निशीथ पूजा मुहूर्त :24:00:30 से 24:45:02 तक
अवधि :0 घंटे 44 मिनट
जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त :05:56:15 के बाद 27, अगस्त को
दही हांडी उत्सव 27 अगस्त 2024 मंगलवार
अधिक जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ – 26 अगस्त, शाम 3 बजकर 55 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र का समापन – 27 अगस्त, शाम 3 बजकर 38 मिनट पर
इसके अलावा अगर आप आने वाले 5 वर्षों की श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि जानना चाहते हैं तो,
वर्ष 2026 में 4 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी है
2027 में 25 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा
2028 में 13 अगस्त रविवार के दिन कृष्ण जन्माष्टमी पड़ेगी
2029 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी शनिवार 1 सितंबर को रहेगी और
साल 2030 में 21 अगस्त बुधवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाएगा।
जयंती योग में मनेगी कृष्ण जन्माष्टमी
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी इसलिए भी बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन जयंती योग रहने वाला है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जयंती योग में जो कोई भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत करता है उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से उनके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा इस योग में अगर जन्माष्टमी का व्रत या पूजा की जाए तो ऐसे व्यक्ति को बैकुंठ धाम में निवास मिलता है।
अधिक जानकारी: इस वर्ष गृहस्थ जीवन और वैष्णव समुदाय के लोग एक ही दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाने वाले हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार प्रभु श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि या भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मथुरा के शहर में माँ देवकी और वासुदेव के घर हुआ था। मथुरा का राक्षस राजा कंस, देवकी का भाई था। एक बार भविष्यवाणी में कहा गया था कि, कंस को उसके पापों के परिणाम के रूप में देवकी के आठवें पुत्र द्वारा मारा जाएगा इसीलिए कंस ने अपनी मौत के डर से अपनी बहन और उनके पति को कारागार में डाल दिया।
यह भविष्यवाणी सच ना हो इसलिए इसे रोकने के लिए उसने देवकी के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद मार डालने का प्रयास भी किया। जब देवकी ने अपने आठवें बच्चे को जन्म दिया तो वासुदेव ने रात के समय शिशु को वृंदावन में यशोदा और नंदलाल के घर पहुंचा दिया। यह शिशु कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु का आठवां स्वरूप ही था जिन्हें बाद में श्री कृष्ण के नाम से जाना गया और इन्होंने ही कंस को मारकर उसके आतंक के शासन को समाप्त किया था।
ऐसे में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार को देवत्व, प्रेम और धार्मिकता के प्रति के रूप में जाना जाता है। श्री कृष्ण का जीवन और शिक्षाएं भक्तों को धर्म, कर्म और भक्ति के आधार पर जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का ज्योतिषीय महत्व
भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी बेहद ही अविश्वसनीय और खूबसूरत है। उनका जन्म कृष्ण पक्ष या ढलते चंद्रमा चरण की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र के तहत हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म भाद्रपद के महीने में हुआ था इसके परिणाम स्वरुप ज्योतिष गणनाओं का उपयोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथियां और समय को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
प्रभु श्री कृष्ण को रक्षक माना जाता है जो संसार को धर्म और अधर्मियों से बचाते हैं। कंस के कर्म बेहद ही बुरे थे और इसी वजह से प्रभु श्री कृष्ण ने उन्हें मार डाला था। ऐसे में जब भी दुनिया में अराजकता और आतंक बढ़ता है तो धर्म के शासन को बहाल करने के लिए भगवान विष्णु पृथ्वी पर अलग-अलग अवतार लेते रहते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर तरह-तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि कृष्ण जन्माष्टमी का यह त्यौहार सभी उम्र के लोग मनाते हैं। इस दिन से जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठानों की बात करें तो कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भक्त उपवास करते हैं, पूरा दिन भगवान कृष्ण को याद करते हैं, उनकी पूजा पाठ करते हैं और यह व्रत आधी रात को अर्थात 12:00 बजे कृष्ण जी के जन्म के साथ पूरा होता है।
पूरे दिन भक्त भगवान के नाम का जाप करते हैं, उनकी भक्ति करते हैं, उनके लिए भक्ति गीत गाते हैं, उनके जीवन की कहानी सुनते हैं, लीलाओं को बताते हैं और इन सबके लिए कई बार विस्तृत नाटक भी प्रस्तुत किए जाते हैं। बच्चे कृष्ण और उनकी गोपियों की वेश में रासलीला करते हैं। इसके अलावा चूंकि माखन भगवान श्री कृष्ण को बेहद ही प्रिय है इसलिए इस दिन का एक महत्वपूर्ण भोग माखन को माना गया है।
नन्हे गोपाल को प्रसन्न करने के लिए भक्त दूध, सूखे मेवे, चीनी और खोये से बनी मिठाइयां उन्हें अर्पित करते हैं। कृष्ण की शिक्षाओं और जीवन के अर्थ को याद रखने में हमारी मदद करने के लिए भागवत गीता के अंश का पाठ किया जाता है।
दुनिया भर में कैसे मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार?
कृष्ण जन्माष्टमी का यह त्यौहार पूरी दुनिया में जोरों शोरों के साथ मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ दुनिया भर के लोग इस त्यौहार का हिस्सा बनते हैं और इस त्यौहार को अलग अलग तरीके से मनाते हैं।
उत्तर भारत
उदाहरण के तौर पर उत्तर भारत की बात करें तो उत्तर भारत का सबसे बड़ा त्योहार जन्माष्टमी ही माना गया है। इस दिन लोग रासलीला मनाते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी पर इस दिन पतंग उड़ना भी एक महत्वपूर्ण आयोजन माना जाता है।
पूर्वोत्तर या पूर्वी भारत
जन्माष्टमी के दिन मणिपुर के लोग प्रेम से प्रेरित नृत्य नाटिका, राधा कृष्ण रासलीला का प्रदर्शन करते हैं, माता-पिता अपने बच्चों को कृष्ण की कहानी सुनाते हैं, उन्हें गोपियों और कृष्ण के रूप में तैयार करते हैं और भागवत गीता के भागवत पुराण के दसवें अध्याय को पढ़ते हैं।
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा
यहां पर कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णा उड़ीसा के नाम से जाना जाता है। जन्माष्टमी के दिन लोग आधी रात तक व्रत करते हैं और पूजा पाठ करते हैं। इस दिन लोग भागवत पुराण के दसवें पुराण का पाठ करते हैं। अगले दिन नंद उत्सव मनाया जाता है जो कृष्ण के पालक माता पिता नंद और यशोदा के सम्मान का एक त्यौहार है।
राजस्थान और गुजरात
मक्खन हांडी यहां पर मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन लोक नृत्य करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाते हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के लोग कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के बाद का दिन दही हांडी या दही उत्सव के लिए समर्पित होता है। इस दिन लोग दही की हांडी फोड़ते हैं। दही की हांडी दरअसल एक मिट्टी का बर्तन होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शिशु कृष्ण माखन और दही चुराया करते थे और इसलिए लोग अपने घर में दूध और दूध से संबन्धित चीजों को कृष्ण की पहुंच से दूर रखते थे और उसे ऊंचा लटका देते थे। इसी उपलक्ष्य में दहीहंडी का त्यौहार मनाया जाता है।
इसमें रस्सी से माखन की मटकी को बांधकर बहुत ऊपर लटका दिया जाता है, फिर लोग मानव पिरामिड बनाकर दही हांडी फोड़ते हैं और फिर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में गोकुलाष्टमी का उत्सवों से मनाया जाता है। कोलम का उपयोग तमिलनाडु में फर्श को सजाने के लिए किया जाता है और इस दिन कृष्ण के सम्मान वाले भक्ति गीत गाए जाते हैं, घर में कृष्ण के आने को या आगमन को दर्शाने के लिए प्रवेश द्वार से पूजा कक्ष तक जाते हुए कृष्ण के पद चिन्ह बनाया जाता है। इस दिन कृष्ण को मक्खन, पान और फल का भोग लगाते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं विदेश में भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का धूम या उत्सव देखने को मिलता है। जैसे कि नेपाल में, नेपाल के लोग आधी रात तक उपवास रखते हैं, फिर धार्मिक गीत गाते हुए भागवत गीता के श्लोक का जाप करके श्री कृष्ण जन्माष्टमी मानते हैं।
फिजी: फिजी की बात करें तो जन्माष्टमी को कृष्ण अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इन आठ दिनों के दौरान हिंदू अपने घरों और मंदिरों में अपनी मंडलियों के साथ एकत्र होकर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित भजन कीर्तन करते हैं।
यूएस: संयुक्त राज्य अमेरिका में भी जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन हरे कृष्णा मंडली और उनके अनुयायियों द्वारा रंगारंग उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
बांग्लादेश: इसके अलावा बांग्लादेश में जन्माष्टमी को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाते हैं। इस दिन कई जगह झांकियां आदि निकल जाती है।
सिंगापुर: श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और कृष्णा जप प्रतियोगिता भी की जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी ज्योतिषीय उपाय
कृष्ण जन्माष्टमी पर कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय करने से जीवन में तमाम तरह के सुख और समृद्धि की प्राप्ति की जा सकती है। इससे संबंधित उपाय हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।
जन्माष्टमी के दिन अगर आप सात कन्याओं को बुलाकर उन्हें खीर या फिर कोई भी सफेद मिठाई खिलाते हैं और लगातार पांच शुक्रवार तक ऐसा करते हैं तो आपकी आय में निश्चित वृद्धि होगी, नौकरी में प्रमोशन और इंक्रीमेंट का योग बनेगा और आपका बैंक बैलेंस मजबूत होगा।
जन्माष्टमी की रात 12:00 बजे लड्डू गोपाल के जन्म के बाद केसर मिले दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से सुख समृद्धि जीवन में आएगी।
कृष्ण जन्माष्टमी पर पान का पत्ता भगवान कृष्ण को अवश्य अर्पित करें। अगले दिन इस पत्ते पर रोली से श्री यंत्र लिखकर इसे तिजोरी में रखें। ऐसा करने से धन वृद्धि के योग बनेंगे।
अगर आपको संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करें। साथ ही इस दिन घर पर गाय के बछड़े की मूर्ति लेकर आयें। ऐसा करने से जल्द ही संतान प्राप्ति के योग आपके जीवन में बनने लगेंगे।
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद राधा कृष्ण मंदिर जाकर भगवान कृष्ण को पीले फूलों की माला अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी जीवन से दूर होगी।
कृष्ण जन्माष्टमी राशि अनुसार मंत्र और दान की जानकारी
इस श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अगर आप भी भगवान कृष्ण की कृपा अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन आप अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए राशि अनुसार इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। साथ ही आप अपनी राशि के अनुसार इस दिन दान भी कर सकते हैं जिससे आपकी मनोकामना पूरी होगी और मनचाहा वरदान मिलेगा।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: जन्माष्टमी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: जन्माष्टमी का पूरा नाम कृष्ण जन्माष्टमी है।
प्रश्न 2: 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
उत्तर: 2024 में 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
प्रश्न 3: अष्टमी का दिन शुभ है या अशुभ?
उत्तर: हिंदू धर्म में चंद्र कैलेंडर के आठवें दिन को अष्टमी कहा जाता है। यह अच्छा या बुरा नहीं होता। यह मात्र एक दिन है लेकिन क्योंकि क्योंकि कृष्णा अष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाती है, इसे बहुत भाग्यशाली माना जाता है।
प्रश्न 4: कलयुग का अंत कैसे होगा?
उत्तर: कलयुग का अंत 428,899 ईस्वी में होगा।
26 अगस्त को मंगल का गोचर इन राशियों का शुरू करेगा गोल्डन पीरियड- जानें क्या आप हैं इसमें शामिल?
मिथुन जिसे एक जुड़वा राशि माना जाता है इसमें जल्द ही मंगल ग्रह का गोचर होने वाला है। मिथुन राशि बुध की राशि मानी जाती है जो एक विनम्र और कूटनीतिक ग्रह होता है वहीं मंगल ग्रह की बात करें तो यह एक क्रूर और ऊर्जावान ग्रह माना गया है।
बुध के घर में होने से मंगल और अधिक ऊर्जावान बनेगा। मंगल के इस गोचर का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस गोचर का क्या समय रहने वाला है, इस गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं, इन सभी सवालों का जवाब अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपको प्रदान करने जा रहे हैं। सबसे पहले बात करें इस गोचर के समय की तो,
मंगल का मिथुन राशि में गोचर 26 अगस्त 2024 को 15:40 पर होने वाला है। इस परिवर्तन के दौरान मंगल प्राकृतिक राशि से बुध द्वारा शासित राशि में गोचर करने जा रहा है।
मंगल का मिथुन राशि में गोच- एक झलक
मंगल के मिथुन राशि में गोचर से चिकित्सा, फिजियोथैरेपी, मानव शरीर, व्यायाम, योग आदि से संबंधित पाठ्यक्रमों की मांग में वृद्धि नजर आ सकती है। इसके अलावा रक्षा अध्ययन में भी वृद्धि नजर आएगी। हालांकि इसके विपरीत नकारात्मक पक्ष पर बात करें तो इस दौरान कूटनीतिक वार्ता में कोई प्रगति हासिल नहीं होगी।
घरेलू झगड़े और बच्चों के प्रति अपराध बढ़ सकते हैं। सोशल मीडिया पर तकरार आम रहेगी, मीडिया में फर्जी योजनाओं की बाढ़ आ सकती है, अपराधों पर मीडिया रिपोर्ट बढ़ेगी जिससे दर्शकों का ध्यान आसपास हो रहे अपराधों पर ज्यादा रहने वाला है। यह कुछ सामान्य प्रभाव है जो मंगल के मिथुन राशि में गोचर के दौरान नजर आ सकते हैं। अगर आप अपनी राशि पर इसका व्यक्तिगत प्रभाव जानना चाहते हैं तो विद्वान ज्योतिषियों से अभी इससे संबन्धित प्रश्न पूछ सकते हैं।
मिथुन राशि में मंगल गोचर के प्रभाव
मंगल के मिथुन राशि में गोचर के बारे में बात करें तो इससे विविधता और बौद्धिक बातचीत की इच्छा बढ़ सकती है जिससे बहस, विचारों के आदान-प्रदान और विविध विषयों की खोज के लिए यह एक उत्कृष्ट समय साबित होगा। ज्योतिष में जहां एक तरफ मंगल हमारे प्रेरणा, दृढ़ संकल्प और हम खुद को कैसे मुखर करते हैं इसे नियंत्रित करता है वहीं यह हमारी महत्वाकांक्षाओं, शारीरिक ऊर्जा और हम अपनी इच्छाओं को कैसे आगे बढ़ते हैं इसे प्रभावित भी करता है।
जब मंगल मिथुन राशि में गोचर करेगा तो यह गुण ज्यादा बहुमुखी और जिज्ञासु हो सकते हैं। व्यक्ति इस दौरान अपने विचारों पर कार्य करने और उन चर्चाओं में शामिल होने के लिए ज्यादा इच्छुक बनेंगे जो आपकी मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं और आपके दृष्टिकोण को व्यापक बना सकते हैं जिससे आप प्रेरित और बौद्धिक रूप से प्रेरित महसूस करेंगे। मिथुन राशि में मंगल का गोचर शब्दों और विचारों की शक्ति को भी उजागर करने के लिए जाना जाता है फिर चाहे बातचीत हो नेटवर्किंग हो या फिर अपना दृष्टिकोण साझा करना हो।
आप अपनी जानकारी को किस तरह से प्रसारित और संसाधित करते हैं यह गोचर इस बात पर ज्यादा जोर डालेगा। हालांकि नकारात्मक पक्ष यह रहने वाला है कि मिथुन राशि एक द्विस्वभाव की राशि है जो संकेत दे रही है कि यह गोचर कुछ चुनौतियां भी लेकर आ सकता है। उदाहरण के लिए मानसिक उत्तेजना की निरंतर आवश्यकता, आसानी से बेचैनी और ऊर्जा में बिखराव नजर आ सकता है। हालांकि अगर सही प्राथमिकता ली जाए और फोकस के साथ जीवन में आगे बढ़ा जाए तो इन चुनौतियों को तार्किक और उत्पादक ढंग से व्यक्ति सामना करने में कामयाब हो सकते हैं।
सभी 12 राशियों पर मंगल के इस गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा यह जानने से पहले चलिए एक नजर डाल लेते हैं ज्योतिष में मंगल ग्रह के बारे में।
ज्योतिष में मंगल ग्रह
मंगल ग्रह का अन्य ग्रहों के साथ कैसा संबंध होता है इसके बारे में बात करें तो सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के साथ मंगल के मित्रता पूर्ण रिश्ते होते हैं।
वहीं शुक्र और शनि के साथ इसके संबंध तटस्थ होते हैं।
इसके अलावा बुध, राहु और केतु से यह शत्रुता का भाव रखता है।
इसके अलावा मेष और वृश्चिक राशि का आधिपत्य मंगल को प्राप्त है।
मंगल ग्रह को सभी ग्रहों में सबसे आक्रामक ग्रह का दर्जा दिया गया है।
यह स्वभाव से एक पुल्लिंग ग्रह है और इसमें उग्र तत्व शामिल हैं।
इसे एक चमकीले लाल रंग से दर्शाया जाता है।
सप्ताह में मंगलवार का दिन मंगल ग्रह से संबंधित माना जाता है।
जितने भी बहुमूल्य रत्न होते हैं इनमें से सबसे सुंदर लाल मूंगा मंगल ग्रह से संबंधित होता है। विशेष तौर पर मूंगा रत्न उन जातकों के लिए मंगल के हानिकारक प्रभाव को दूर कर सकता है जिनके जीवन पर मंगल का दुष्प्रभाव पड़ रहा हो। हालांकि फिर भी कोई भी रत्न धारण करने से पहले हम हमेशा यह सलाह देते हैं कि विद्वान ज्योतिषियोंसे इसके बारे में परामर्श अवश्य कर लें और उसके बाद ही कोई रत्न धारण करें।
इसके अलावा अंत में वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को साहस, जोश, जुनून और ऊर्जा का कारक माना गया है।
चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं मंगल का सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
मंगल का मिथुन राशि में गोचर- राशि अनुसार भविष्यवाणी
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1: मंगल का मिथुन राशि में गोचर कब होगा?
मंगल का मिथुन राशि में गोचर 26 अगस्त 2024 को 15:40 पर होने वाला है।
2: मंगल को किसका कारक ग्रह माना गया है?
ज्योतिष में मंगल को व्यक्ति के पराक्रम, साहस, शक्ति, ऊर्जा का कारक माना जाता है।
3: मंगल बुध के साथ कैसे रिश्ते रखता है?
मंगल बुध के साथ शत्रुता का भाव रखता है।
4: मंगल का शत्रु कौन है?
बुध, राहु और केतु से बुध शत्रुता का भाव रखता है।
5: मिथुन राशि में मंगल क्या प्रभाव देगा?
जब मंगल मिथुन राशि में गोचर करेगा तो व्यक्ति ज़्यादा बहुमुखी और जिज्ञासु बनेंगे। व्यक्ति इस दौरान अपने विचारों पर कार्य करने और उन चर्चाओं में शामिल होने के लिए ज्यादा इच्छुक बनेंगे जो आपकी मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं और आपके दृष्टिकोण को व्यापक बना सकते हैं।
25 अगस्त से शुक्र के गोचर से चमकेगी इन जातकों की किस्मत, इन्हें रहना होगा सावधान!
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का बहुत अधिक महत्व है। शुक्र को आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम और वैभव का कारक माना जाता है। कुंडली में शुक्र की स्थिति का आकलन कर के ही जातक के सुख व संपन्न तथा प्रेम की गणना किया जाता है और इससे पता चलता है कि जातक के जीवन में प्रेम व सुख कब आएगा इसकी जानकारी मिलती है। शुक्र चंद्रमा के बाद रात में चमकने वाला दूसरा ग्रह है और यह आकार व द्रव्यमान में पृथ्वी के समान ही है। शुक्र के गोचर की बात करें तो इनकी गोचर करने की अवधि लगभग 23 दिन की होती है यानी यह शुक्र ग्रह एक राशि में 23 दिनों तक मौजूद रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में चले जाते हैं।
बता दें कि शुक्र जल्द ही अगस्त माह में कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इस ख़ास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे अगस्त में कन्या राशि में शुक्र के गोचर की ये ज्योतिषीय घटना सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगी, ज्योतिष में शुक्र के गोचर का क्या महत्व होता है, साथ ही जानेंगे शुक्र के गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के कुछ बेहद सरल और ज्योतिषीय उपायों की जानकारी। लेकिन, इससे पहले जान लेते हैं शुक्र का कन्या राशि में गोचर करने की समयावधि।
सौंदर्य, ऐश्वर्य और सुख समृद्धि के कारक ग्रह शुक्र 25 अगस्त 2024 की मध्यरात्रि 12 बजकर 59 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं। शुक्र के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों में देखने को मिलेगा, किसी में सकारात्मक रूप से तो किसी में नकारात्मक रूप से। तो आइए सबसे पहले जानते ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व।
शुक्र ग्रह का ज्योतिष में महत्व
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का बहुत अधिक महत्व है। शुक्र को प्रेम, सौंदर्य, कला, और सुख-सुविधाओं का कारक माना जाता है। यह ग्रह जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं, धन-धान्य, और विलासिता का प्रतीक होता है। शुक्र ग्रह से संबंधित व्यक्ति आमतौर पर आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं और समाज में उनकी छवि अच्छी होती है।
शुक्र ग्रह का तात्पर्य वैवाहिक जीवन से भी है। यह रिश्ते में प्रेम, समझ, और सामंजस्य की भावना में वृद्धि करता है। यदि किसी की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, तो उनका दांपत्य जीवन सुखमय होता है। शुक्र का प्रभाव महिलाओं पर विशेष रूप से देखा जाता है क्योंकि यह ग्रह स्त्रियों के सौंदर्य, प्रेम, और उनके जीवन के भौतिक पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से व्यक्ति कला, संगीत, और अन्य रचनात्मक कार्यों में उत्कृष्ट हो सकता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में भौतिक सुखों का आनंद उठाता है। ऐसे लोग अक्सर फैशन, डिजाइन, और रचनात्मक क्षेत्रों में सफल होते हैं।
दूसरी ओर, अगर किसी की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, तो यह प्रेम संबंधों में तनाव, वैवाहिक जीवन में असंतोष, और भौतिक सुखों की कमी का कारण बन सकता है। इसके अलावा, कमजोर शुक्र से व्यक्ति के जीवन में वित्तीय समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, और सौंदर्य में कमी भी देखी जा सकती है।
शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं और यह ग्रह मीन राशि में उच्च और कन्या राशि में नीच का माना जाता है। यदि शुक्र शुभ भाव में स्थित हो तो वह व्यक्ति को जीवन में विभिन्न प्रकार की खुशियों का अनुभव कराता है। कुंडली में शुक्र ग्रह की दशा और स्थिति का अध्ययन करके व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सुख-सुविधा, और वैवाहिक जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
शुक्र ग्रह का धार्मिक महत्व
शुक्र ग्रह का सनातन धर्म में बहुत गहरा धार्मिक महत्व है। शुक्र को असुरों के गुरु, यानी “दैत्यगुरु” के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू पुराणों के अनुसार, शुक्राचार्य का उल्लेख इस रूप में किया गया है कि उन्होंने असुरों को ज्ञान, विज्ञान, और जीवन के रहस्यों की शिक्षा दी थी। शुक्राचार्य ने कई महत्वपूर्ण मंत्र और औषधियों का आविष्कार किया, जिससे असुरों ने देवताओं के साथ युद्ध में विजय प्राप्त की।
धार्मिक दृष्टिकोण से शुक्र ग्रह को सौंदर्य, प्रेम, और भौतिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह जातकों को आकर्षक व्यक्तित्व, कला, और संगीत में निपुणता प्रदान करने वाला ग्रह है। शुक्र ग्रह की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सुख, और समृद्धि का वास होता है।
शुक्र ग्रह का संबंध माता लक्ष्मी से भी है, जो धन, वैभव, और समृद्धि की देवी हैं। शुक्र की कृपा से व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएं, प्रेम संबंधों में सफलता, और वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होता है। धार्मिक अनुष्ठानों में शुक्र की विशेष पूजा की जाती है ताकि व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार की समृद्धि और संतोष प्राप्त हो सके।
12 भावों में शुक्र ग्रह का प्रभाव
कुंडली में शुक्र ग्रह का विभिन्न भावों में अलग-अलग प्रभाव होता है। हर भाव जीवन के किसी विशेष क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, और उसमें शुक्र की स्थिति उसके उस क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाती है।
पहले भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
शुक्र का पहले भाव में होना व्यक्ति को सुंदर, आकर्षक, और सौम्य बनाता है। ऐसे व्यक्ति में रचनात्मकता और कला के प्रति विशेष रुचि होती है। उनका व्यक्तित्व आकर्षक और करिश्माई होता है।
दूसरे भाव में शुक्र ग्रह का प्रभा
इस भाव में शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को धन-संपत्ति, सुख-सुविधा, और मीठी वाणी प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति का पारिवारिक जीवन सुखी होता है और वे भोजन, संगीत, और लग्जरी में रुचि रखते हैं।
तीसरे भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
शुक्र का इस भाव में होना व्यक्ति को साहसी, रचनात्मक, और यात्रा प्रिय बनाता है। वह अपने विचारों और कला को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करता है।
शुक्र का चौथे भाव में होना व्यक्ति के लिए घर-परिवार, संपत्ति, और वाहन सुख का संकेत है। उनका गृहस्थ जीवन संतोषजनक और सुखद रहता है।
पांचवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
यह भाव प्रेम, शिक्षा, और संतान का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र का पंचम भाव में होना प्रेम संबंधों में सफलता, उच्च शिक्षा, और रचनात्मकता में उत्कृष्टता का सूचक है।
छठे भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
इस भाव में शुक्र का होना स्वास्थ्य समस्याओं और विवादों का संकेत दे सकता है। व्यक्ति को प्रेम और वित्तीय मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए।
सातवें भाव में शुक्र ग्रह का महत्व
शुक्र का सातवें भाव में होना वैवाहिक जीवन के लिए शुभ होता है। यह सुखद और सामंजस्यपूर्ण विवाह का संकेत देता है, जिसमें प्रेम और समझ बनी रहती है।
आठवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
इस भाव में शुक्र का होना व्यक्ति को गहरे रहस्यों और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित कर सकता है। हालांकि, यह अचानक वित्तीय लाभ या हानि का भी संकेत देता है।
नौवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
नौवें भाव में शुक्र व्यक्ति को धार्मिक, दार्शनिक, और भाग्यशाली बनाता है। वह विदेश यात्राओं और उच्च शिक्षा में सफल होता है।
दसवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
इस भाव में शुक्र का होना व्यक्ति के करियर में सफलता, सम्मान, और समाज में उच्च स्थान का सूचक है। वह कला, मीडिया, या फैशन में करियर बना सकता है।
ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
इस भाव में शुक्र व्यक्ति को इच्छाओं की पूर्ति, मित्रों से सहयोग, और समाज में प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
बारहवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
बारहवें भाव में शुक्र का होना व्यक्ति को आध्यात्मिकता, विदेशी स्थानों से लाभ, और विलासिता का आनंद लेने की इच्छा का सूचक है। हालांकि, यह अनावश्यक खर्चों की भी चेतावनी देता है।
शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए ज्योतिष में कुछ बताए जा रहे हैं जो जीवन में सुख, सौंदर्य, और समृद्धि को बढ़ाते हैं। यदि आपकी कुंडली में शुक्र कमजोर है, तो नीचे दिए गए उपाय करके उसे शुक्र ग्रह को मजबूत किया जा सकता है:
शुक्र मंत्र का जाप
शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए “ॐ शुं शुक्राय नमः” मंत्र का नियमित रूप से 108 बार जाप करें। यह मंत्र शुक्र के प्रभाव को बढ़ाने में सहायक होता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
सफेद वस्त्र धारण करना
शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए सफेद रंग के वस्त्र पहनना लाभकारी होता है। सफेद रंग शुक्र का प्रतीक माना जाता है और इस रंग के कपड़े पहनने से शुक्र के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है।
शुक्र से संबंधित दान
शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुएं जैसे चांदी, सफेद मिठाई, दही, सफेद फूल, चावल, और वस्त्र दान करना भी शुभ माना जाता है। शुक्रवार के दिन इन चीजों का दान करने से शुक्र की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत रखना
शुक्रवार के दिन व्रत रखने से शुक्र ग्रह का बल बढ़ता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से भी शुक्र ग्रह मजबूत होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
गाय को खिलाना
शुक्रवार को गाय को हरा चारा, गुड़, और रोटी खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। इससे शुक्र ग्रह प्रसन्न होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
सुगंधित इत्र का प्रयोग
शुक्र ग्रह का संबंध सुगंध से होता है। अच्छे और सुगंधित इत्र का नियमित प्रयोग करने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है और व्यक्ति के जीवन में आकर्षण और सौंदर्य का वास होता है।
सफेद चंदन का तिलक
शुक्र ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए रोजाना सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। यह उपाय शुक्र के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
विवाह संबंधी उपाय
शुक्र को मजबूत करने के लिए पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बनाए रखना चाहिए। शुक्रवार को एक दूसरे को उपहार देना और प्रेमपूर्वक व्यवहार करना भी शुक्र के प्रभाव को बढ़ाता है।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
आपको परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और साथ ही, आपको…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
इस दौरान आप अपने बारे में विचार कर के चिंतित हो सकते हैं और बच्चों की प्रगति…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
आपको अपने परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और अप्रत्याशित परिवर्तन…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
जीवन साथी के साथ तालमेल में कमी भी देखने को मिल सकती है और यह समस्या बातचीत की कमी…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
आपको धन संबंधी समस्याओं, निजी जीवन में समस्याओं और काम में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
आप अधिक से अधिक धन अर्जित करने के बारे में सोच सकते हैं और धन में बढ़ोतरी कर सकते हैं। हालांकि…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
आपको अनचाही यात्रा, अप्रत्याशित निराशा और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी का सामना करना पड़ सकता है…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
आपको यात्रा के माध्यम से सफलता मिल सकती है, नए अच्छे दोस्त मिल सकते हैं और भाग्य में…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
आपको करियर में समस्याएं, सुस्ती और असुरक्षा की भावना का सामना करना पड़ सकता है…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
आपको अनुकूल परिणामों की प्राप्ति होगी। आपको भाग्य का साथ मिलेगा और …(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
आशंका है कि आपको भाग्य का साथ न मिले। परिवार के साथ आपके संबंध…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
आपको दोस्तों, परिवार के साथ तालमेल की कमी का सामना करना पड़ सकता है। संभावना है कि… (विस्तार से पढ़ें)
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शुक्र का कन्या राशि में गोचर कब होने जा रहा है?
सौंदर्य, ऐश्वर्य और सुख समृद्धि के कारक ग्रह शुक्र 25 अगस्त 2024 की मध्यरात्रि 12 बजकर 59 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
2. ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व?
यह ग्रह जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं, धन-धान्य, और विलासिता का प्रतीक होता है। शुक्र ग्रह से संबंधित व्यक्ति आमतौर पर आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं और समाज में उनकी छवि अच्छी होती है।
3. शुक्र कौन सी राशि में उच्च का होता है?
उत्तर. शुक्र, वृष और तुला राशि का स्वामी है। साथ ही मीन राशि में शुक्र उच्च का, जबकि कन्या राशि में यह नीच का होता है।