दिवाली 2024- तिथि को लेकर ना हों कंफ्यूज, इस दिन मनाया जाएगा साल का सबसे बड़ा त्यौहार जानें शुभ मुहूर्त!

हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक होता है दिवाली का त्योहार जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। दिवाली का यह पर्व देश भर में धूमधाम के साथ तो मनाया ही जाता है विदेश में भी इसकी अलग ही चमक देखने को मिलती है। बात करें वर्ष 2024 की दिवाली को तो इस वर्ष तिथि को लेकर काफी संशय चल रहा है। अगर आप भी इस बात को लेकर कन्फ्यूज हैं कि दिवाली कब मनानी है, कैसे मनानी है, इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है, आदि तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं क्योंकि एस्ट्रोसेज के हमारे इस दिवाली विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपके इन्हीं सभी सवालों का जवाब देने का प्रयत्न करेंगे। 

साथ ही जानेंगे इस बेहद ही खास त्यौहार से जुड़ी कुछ रोचक और दिलचस्प बातों की भी जानकारी। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह स्पेशल ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2024 में दिवाली किस दिन पड़ रही है।

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2024 में कब है दिवाली? 

दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलने वाला एक बेहद ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। वर्ष 2024 में इस त्यौहार की शुरुआत 29 अक्टूबर से हो जाएगी और 3 नवंबर तक यह त्यौहार चलेगा। दरअसल दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होता है और यह भैया दूज पर जाकर समाप्त हो जाता है। 

ऐसे में धनतेरस की बात करें तो धनतेरस से ही दिवाली के पर्व की शुरुआत मानी जाती है। धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन देवता कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान बताया गया है। वर्ष 2024 में 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन खरीदारी का महत्व होता है। ऐसे में आप चाहें तो इस दिन बर्तन, सोना, चांदी, आभूषण वस्त्र आदि खरीद सकते हैं। 

इसके बाद अगला दिन होता है छोटी दिवाली का। धनतेरस के बाद छोटी दिवाली मनाते हैं। इसे कई जगहों पर नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा का विधान बताया गया है। वर्ष 2024 में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 

इसके बाद दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। अब बात करें दिवाली की तो दिवाली को लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जानते हैं और दिवाली का त्योहार इस वर्ष 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। 

लक्ष्मी पूजा का समय – शाम 05.36 – शाम 06.16 (1 नवंबर 2024), अवधि – 01 घंटा 56 मिनट

प्रदोष काल – शाम 05:36 – रात 08:11

वृषभ काल – शाम 06.20 – रात 08.15 (लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना)

दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त 

प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – सुबह 06:33 – सुबह 10:42

अपराह्न मुहूर्त (चर) – शाम 04:13 – शाम 05:36

अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12:04 – दोपहर 13:27

इसके बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2024 में दिवाली के अगले दिन यानी 2 नवंबर और 3 नवंबर को गोवर्धन पूजा और भैया दूज मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठा लिया था। वहीं भैया दूज की बात करें तो इस दिन बहनें अपने भाई का टीका करती हैं और बदले में भाई उन्हें तोहफे देते हैं। 

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दिवाली के पांच मुख्य दिनों की तिथि 

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि दिवाली का यह त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है। 

  • दिवाली का पहला दिन धनतेरस होता है जो 29 अक्टूबर 2024 को पड़ेगा 
  • दूसरे दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी मनाते हैं जो की 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी 
  • दिवाली का तीसरा दिन दिवाली या फिर लक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता है यह 1 नवंबर 2024 को पड़ेगा 
  • दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा को समर्पित होता है यह 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा और 
  • दिवाली का आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है और इस वर्ष यह 3 नवंबर 2024 को पड़ने वाला है

दिवाली के त्यौहार के बारे में कहा जाता है कि, यह प्रकाश का पर्व है। साथ ही यह बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में भी मनाया जाता है। इसे दिवाली, दीपावली के नाम से जानते हैं। दिवाली का यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। कहते हैं इसी दिन भगवान श्री राम अपना 14 वर्षों का वनवास काटने के बाद वापस अयोध्या वापिस आए थे। 

इस वर्ष दिवाली को लेकर अलग मत: बात करें अमावस्या तिथि की तो वर्ष 2024 में अमावस्या तिथि 31 तारीख को दोपहर 3:22 से शुरू हो रही है और यह 1 नवंबर को शाम 5:23 पर समाप्त हो जाएगी। इसके चलते 1 तारीख को अमावस्या तिथि प्रदोष और निशिथा काल को स्पर्श नहीं कर पाएगी जबकि 31 को प्रदोष काल से निशिथा काल तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली उत्सव और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई रहने वाला है क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे। 

हमारे अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषी पंडित हनुमान मिश्रा का कहना है कि  “जो लोग ऑफिस इत्यादि में पूजा करना चाहते हैं, वह लोग 01 नवंबर को दिन में लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं।”

दिवाली शुभ योग 2024 

बात करें इस दिवाली पर बनने वाले शुभ योगों की तो कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर सुबह 10:41 तक प्रीति योग बनेगा, इसके बाद आयुष्मान योग का शुभ संयोग बन रहा है जो पूर्ण रात्रि तक रहेगा। दिवाली पर शिव वास योग का भी निर्माण होने जा रहा है। शिव वास योग शाम 6:16 से रहेगा वहीं स्वाति नक्षत्र का संयोग दिवाली पर बनने वाला है। कहते हैं इन योगों में अगर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाए तो इससे जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है और इनमें निरंतर वृद्धि होती है।

अधिक जानकारी: वर्ष 2024 में कार्तिक अमावस्या तिथि निशिथा मुहूर्त के साथ व्याप्त नहीं रहेगी। ऐसे में इस बार दिवाली पर रात्रि कल में लक्ष्मी पूजा नहीं हो पाएगी। कहते हैं कि निशिथा काल में देवी लक्ष्मी घर-घर जाती हैं और इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से लक्ष्मी जी की सिद्धियां प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार और पंचांग के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाए तो लक्ष्मी जी घर में वास करने लगती हैं। वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है और दिवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ व्याप्त होता है। हालांकि वर्ष 2024 में दिवाली वाले दिन स्थिर लग्न मुहूर्त नहीं बन रहा है।

हालांकि अगर आप अभी भी स्थिति के कन्फ्यूजन के भँवर में उलझे हुए हैं तो हमारी सलाह यही है कि आप विद्वान ज्योतिषियों से एक बार इससे संबंधित परामर्श हासिल कर लें।

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दिवाली का महत्व 

बात करें दिवाली के इस भव्य त्यौहार के महत्व की तो, कहते हैं इसी दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या लौटे थे। इस दिन से हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही भगवान राम के वापस अयोध्या आने की खुशी में दीप जलाए जाते हैं। हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। इस दिन लोग घरों को रोशन करते हैं, दीपक जलाते हैं, लक्ष्मी पूजा करते हैं और अपने जीवन में हमेशा सुख समृद्धि और धन की कामना के लिए पूजा करते हैं।

दिवाली पर कैसे करें मां लक्ष्मी की पूजा 

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी पूजा की अलग विधि और नियम बताए गए हैं। 

  • इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में एक चौकी या एक पटरा रख दें।
  • अब इस पर लाल या फिर गुलाबी साफ वस्त्र बिछाएँ। 
  • इस पर सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति विराजित करें। इनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति रख दें। 
  • अब आसान पर बैठें और अपने चारों ओर गंगाजल छिड़क लें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें और फिर पूजा प्रारंभ करें। 
  • भगवान गणेश को रोली, दूर्वा अर्पित करें और मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें। 
  • इसके बाद दोनों को फूल चढ़ाएँ, एक मुखी घी का दीपक प्रज्वलित करें। 
  • इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसाद अर्पित करें। 
  • भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। 
  • अंत में आरती करें और शंखनाद करें। 
  • पूजा के बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक जलाएं। 
  • इसके अलावा मुमकिन हो तो घर के अलावा किसी कुएँ के पास और मंदिर में भी दीप प्रज्वलित करें।

दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के लिए इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है: 

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः 

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा 

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः 

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः 

दिवाली पूजा के समय भगवान गणेश का आवाहन करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जा सकता है:

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

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दिवाली का इतिहास 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराने के बाद इसी दिन अयोध्या में वापसी की थी क्योंकि यह हिंदू कार्तिक महीने में अमावस्या का दिन था ऐसे में जिस रात को वापस अयोध्या आए अयोध्या में लोगों ने दिए जलाकर और अपने घरों को रंगोली से सजाकर भगवान राम का भव्य स्वागत किया था। 

वहीं दूसरी ओर देखें तो दक्षिण भारत में लोग इस अवसर को उस दिन के रूप में मनाते हैं जब भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था। इसके अलावा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का विवाह हुआ था। 

पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी का जन्म कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन ही हुआ था। इस दिन दुनिया भर में लोग रोशनी का यह त्यौहार बेहद ही खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। हर घर में लोग बहुमूल्य वस्तुओं के साथ-साथ भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

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महालक्ष्मी का चाहिए आशीर्वाद तो दिवाली से पहले इन चीजों को घर से निकाल दें 

दिवाली के कुछ दिनों पहले से ही लोग साफ सफाई में जुट जाते हैं। कहा जाता है मां लक्ष्मी केवल वहीं वास करती हैं जहां साफ सफाई होती है। यही वजह है कि दिवाली के आसपास साफ सफाई का खास महत्व होता है। ऐसे में आप भी कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें। साफ सफाई के दौरान अगर आपको भी अपने घर में कुछ विशेष चीज नजर आयें तो इन्हें घर से निकाल दें अन्यथा आपको पूर्ण रूप से मां लक्ष्मी की कृपा नहीं मिल पाएगी। क्या कुछ हैं ये चीज़ें आगे बढ़कर जान लेते हैं: 

  • टूटा हुआ कांच: वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में टूटा हुआ कांच रखा है तो इस शुभ नहीं माना जाता है। यह कलह क्लेश की वजह बनता है। अगर घर में टूटा हुआ कांच है तो परिवार में आए दिन झगड़े होते रहेंगे। ऐसे में साफ सफाई के दौरान इसे तुरंत बाहर निकाल दें।
  • टूटे हुए बर्तन: घर में टूटे हुए बर्तन भी अशुभ माने जाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार टूटे बर्तन सुख समृद्धि छीन लेते हैं और घर में कंगाली की वजह बनते हैं। साथ ही यह आर्थिक परेशानियों को भी न्योता देते हैं। 
  • पुराने दिये: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पुराने दिये रखना भी शुभ नहीं माना गया है। ऐसे में दिवाली आने से पहले अपने घर से पुराने दिये बाहर निकाल दें और नए दिये ले आयें। आप चाहे तो पुराने दीयों का दान भी कर सकते हैं। 
  • टूटा हुआ बेड: वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में कोई पुराना या टूटा हुआ बेड पड़ा है तो उसे भी दिवाली आने से पहले निश्चित रूप से बाहर कर दें। इससे घर में पारिवारिक कलह, पति-पत्नी के बीच मनमुटाव और रिश्ते खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • बंद घड़ी: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में रखी बंद घड़ी नकारात्मकता को न्योता देती है। साथ ही यह घर में मौजूद लोगों की असफलता का कारण भी बनती है। ऐसे में अगर आपके घर में भी बंद घड़ी पड़ी है तो इसे तुरंत बाहर निकाल दें।

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क्या यह जानते हैं आप? 

छोटी दिवाली के दिन यमदीप जलाने का सही नियम 

छोटी दिवाली के दिन यमराज से नरक का द्वार बंद करने और अपने जीवन में सुख समृद्धि की मनोकामना करने के लिए यम दीपक जलाया जाता है लेकिन इससे पहले कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है। 

यम का दीपक गोबर से बना हुआ होना चाहिए। 

इसमें सरसों का तेल डालकर जलाएं। 

इसमें एक बाती या चार बाती हो इस बात का विशेष ख्याल रखें। 

इसके अलावा कोशिश करें कि घर के बुजुर्ग ही इस दीपक को जलाएं। 

यह दिया शाम 7:00 बजे के बाद जलाएं। 

इसमें तेल उचित मात्रा में डालें ताकि कम से कम यह दीपक 4 घंटे या उससे अधिक समय तक जलते रहे।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: 2024 में दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाएगा? 

2024 में 1 नवंबर 2024 को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा।  

2: धनतेरस 2024 कब है? 

वर्ष 2024 में धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। इसी दिन से दिवाली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती है। 

3: दिवाली के दिन क्या किया जाता है? 

दिवाली के दिन घरों को सजाया जाता है, दीपक जलाए जाते हैं, रोशनी की जाती है, रंगोली बनाई जाती है, मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घर में मां लक्ष्मी के सदा सदा वास करने की प्रार्थना करते हैं।

बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: इन 3 राशियों को फूंक-फूंक कर रखना होगा कदम!

एस्ट्रोसेज अपने पाठकों के लिए विशेष रूप से “बुध का वृश्चिक राशि में गोचर” का यह ब्लॉग लेकर आया है जिसमें आपको बुध गोचर से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, समय आदि। बता दें कि बुध ग्रह को नवग्रहों में राजकुमार का दर्जा प्राप्त है और यह मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। अब 29 अक्टूबर 2024 को बुध का वृश्चिक राशि में गोचर होने जा रहा है। इस ब्लॉग में हम आपको अवगत करवाएंगे कि बुध का यह गोचर विश्व सहित सभी राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगा। 

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वैदिक ज्योतिष में बुध महाराज को देवताओं के दूत कहा जाता है। राशि चक्र में इन्हें कन्या और मिथुन राशि पर स्वामित्व प्राप्त है। सौरमंडल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट स्थित है और इन्हें भारतीय मान्यताओं में बुद्धि के कारक ग्रह माना जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में बुध चतुरता, और ह्यूमर का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, बुध एक लाभकारी ग्रह है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में अशुभ होकर नकारात्मक फल देने लगता है। कुंडली में मज़बूत बुध जहां तेज़ बुद्धि को दर्शाता है,लेकिन फिर भी कभी-कभार जातकों को महत्वपूर्ण फैसले लेने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है।

बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: समय 

बुध देव वृश्चिक राशि में 29 अक्टूबर 2024 की रात 10 बजकर 24 मिनट पर प्रवेश कर जाएंगे। हालांकि, बुध महाराज की वृश्चिक राशि में उपस्थिति को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं जिन्हें बुध ग्रह का शत्रु माना जाता है। इसके परिणामस्वरूप, वृश्चिक राशि में बुध की मौजूदगी राशि चक्र की कुछ राशियों के लिए दुख और कष्ट लेकर आ सकती है। आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं कौन सी हैं वह राशियां। 

बुध वृश्चिक राशि में: विशेषताएं

जब बुध ग्रह वृश्चिक राशि में विराजमान होते हैं, तो जातकों का सारा ध्यान रिसर्च करने में होता है। साथ ही, यह आपको अपने विश्वास या मत को लेकर अडिग बनाने का काम करते हैं। एक तरफ, वृश्चिक राशि आपको बातों या चीज़ों को छुपाने के लिए प्रेरित करती है, तो वहीं बुध ग्रह अभिव्यक्ति का ग्रह है।  ऐसे में, जब बुध वृश्चिक राशि में मौजूद होते हैं, तब आपके चेहरे के भाव से कोई आपके मन की बात नहीं जान सकता है क्योंकि सब कुछ वैसा नहीं होता है जैसा आपके चेहरे से दिखाई दे रहा होता है। 

वृश्चिक राशि में बुध की उपस्थिति आपको नए-नए आविष्कार करने वाला, रहस्यवादी, रिसर्चर, वैज्ञानिक और जासूस बनाने का काम करती है। लेकिन, बुध के इस राशि में नकारात्मक होने पर यह आपको चोर, हैकर या मनोरोगी भी बना सकती है। साथ ही, ऐसी स्थिति में व्यक्ति खतरनाक और रहस्यमयी बनता है और अगर कोई अशुभ ग्रह इस स्थिति को प्रभावित करने लगता है, तो हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं। 

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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: इन राशियों को करेगा नकारात्मक रूप से प्रभावित 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए बुध महाराज का गोचर आपके आठवें भाव में होने जा रहा है जो कि आपके तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। कुंडली में यह भाव गूढ़ विज्ञान, अचानक से होने वाली घटनाओं, लंबी आयु और रहस्य आदि का होता है। बता दें कि आपके आठवें भाव में बुध ग्रह की स्थिति को ज्यादा अच्छा नहीं माना जा सकता है और इस गोचर के दौरान इनका वक्री होना परिस्थितियों को बद से बदतर बनाने का काम कर सकता है। ऐसे में, आपकी बातचीत का तरीका वाद-विवाद या मतभेदों की वजह बन सकता है। 

इन जातकों के आठवें भाव में बुध महाराज का गोचर होने से आपकी पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं फिर से उभरकर सामने आ सकती हैं जैसे कि त्वचा या फिर गले से जुड़ी कोई स्वास्थ्य समस्या आदि। इस तरह के रोग एकदम से लौटकर आने से आप मानसिक रूप से परेशान नज़र आ सकते हैं।  

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए बुध महाराज आपकी कुंडली में शत्रु, स्वास्थ्य, प्रतियोगिता और मामा के भाव यानी कि छठे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि बुध देव आपके लग्न भाव और चौथे भाव के भी अधिपति देव हैं। ऐसे में, बुध का वृश्चिक राशि में गोचर होने से आपको बेहद सावधान रहना होगा क्योंकि इस अवधि को आपकी माता की सेहत के लिए या फिर आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप, आपके दवाइयों पर होने वाले खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है। 

सिर्फ इतना ही नहीं, बुध के वृश्चिक राशि में प्रवेश के दौरान आपको घर-परिवार में कलह या फिर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आप और आपकी माता मामा से मिलने के लिए जा सकते हैं। करियर के क्षेत्र में आपका सारा ध्यान रोज़मर्रा के कामों पर होगा। किसी समारोह में लोगों से मिलना आपके तनाव को कम करने में सहायक सिद्ध होगा। इसके विपरीत, कार्यस्थल में आप ऊर्जावान बने रहेंगे और आप अच्छे से जानते होंगे कि अपने लक्ष्यों को सही तरीके से किस तरह से पूरा करना होगा। जिन जातकों का खुद का व्यापार है, उन्हें किसी भी तरह का जोखिम न उठाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस दौरान आपको नुकसान होने की प्रबल संभावना है। 

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धनु राशि

धनु राशि के जातकों के बारहवें भाव में बुध ग्रह गोचर करने जा रहे हैं। कुंडली में इस भाव का संबंध विदेश, आइसोलेशन, अस्पताल, खर्चों और मल्टीनेशनल कंपनियों से होता है। जैसे कि बुध देव आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब इनकी बारहवें भाव में मौजूदगी आपको करियर में विदेश से जुड़े अवसर प्रदान करेगी, लेकिन इस राह में आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बुध महाराज आपके लिए मारक ग्रह भी हैं और साथ ही, इन्हें केन्द्राधिपति दोष भी लग रहा है।  

हालांकि, वृश्चिक राशि में बुध के बैठे होने से आपकी आय में वृद्धि होगी, लेकिन यह आपके सभी खर्चों को पूरा नहीं कर पाएगी और ऐसे में, आपको अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल करना पड़ सकता है। इस अवधि में जितना हो सके, उतना मेडिकल से जुड़ी समस्याओं से दूर रहें क्योंकि यह गंभीर रूप धारण कर सकती है। इसके अलावा, सातवें भाव के स्वामी के रूप में बुध के बारहवें भाव में जाने से आपके पार्टनर को घबराहट और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकते हैं। 

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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: इन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध देव का वृश्चिक राशि में गोचर आपके सातवें भाव में होने जा रहा है जो कि जीवनसाथी और बिज़नेस पार्टनरशिप का भाव होता है। ऐसे में, यह समय रिश्ते को शादी में बदलने के लिए शानदार रहेगा। बुध के वृश्चिक राशि में प्रवेश के दौरान आप साथी से शादी करने के लिए कह सकते हैं और उन्हें अपने परिवार से मिलवा भी सकते हैं। साथ ही, शादी की तारीख भी तय कर सकते हैं।    

इस राशि के विवाहित जातक अपने शादीशुदा जीवन की फिर से एक नई शुरुआत करने में सक्षम होंगे। अगर रिश्ते में पहले से कोई समस्या चल रही है, तो अब बुध के वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान आप इन समस्याओं को बातचीत की मदद से सुलझाने की दिशा में मिलकर काम कर सकेंगे। 

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सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो कि धन और लाभ का भाव होता है। अब यह गोचर करके आपके चौथे भाव में विराजमान होंगे और कुंडली में चौथा भाव माता, घर, कार और संपत्ति आदि का प्रतिनिधित्व करता है। बता दें कि बुध महाराज आपके धन भाव को भी नियंत्रित करते हैं और ऐसे में, चौथे भाव में इनकी मौजूदगी आपको धन निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी। 

संभावना है कि बुध का वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान आप घर या वाहन को बेहतर बनाने के लिए कोई नई खरीदारी कर सकते हैं या फिर पार्टी या पूजा का आयोजन कर सकते हैं जिसमें दोस्तों या परिवार हिस्सा ले सकते हैं। इसके अलावा, बुध आपके चौथे भाव में बैठकर दसवें भाव को देख रहे होंगे और इसे आपके करियर के लिए बहुत अच्छा कहा जाएगा, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो रियल एस्टेट इंडस्ट्री में काम करते हैं या रियल एस्टेट ब्रोकर के रूप में कार्यरत हैं। 

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मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके ग्यारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं और कुंडली में इस भाव का संबंध बड़े भाई-बहन एवं इच्छाओं से होता है। बता दें कि अब बुध 29 अक्टूबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में, प्रतियोगी परीक्षा या फिर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों को पढ़ाई में अपने समर्पण और कड़ी मेहनत का फल मिलेगा। साथ ही, इस राशि के जो लोग नए व्यापार की शुरुआत करना चाहते हैं या फिर किसी मकसद से धन प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें धन की प्राप्ति हो सकती है।

वृश्चिक राशि में बुध की उपस्थिति के दौरान आपको बड़े भाई-बहन, चाचा और सोशल नेटवर्क से सहायता की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, यह जातक अपने काम को लेकर जो सोचते आ रहे होंगे, अब वह सब होता चला जाएगा। हालांकि, ग्यारहवें भाव में बैठकर बुध की दृष्टि आपके शिक्षा के भाव अर्थात पांचवें भाव पर होगी और इसके फलस्वरूप, छात्रों के लिए इस समय को अनुकूल कहा जाएगा, विशेष रूप से उनके लिए जो राइटिंग, पब्लिक कम्युनिकेशन या कोई लैंग्वेज कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। 

बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: सरल एवं अचूक उपाय 

  • बुध ग्रह के लिए यज्ञ/हवन करें। 
  • किन्नरों का आदर करें और उनका आशीर्वाद लें। साथ ही, प्रतिदिन विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
  • गरीब एवं जरूरतमंदों को हरी पत्तेदार सब्जियों का दान करें।
  • पक्षियों को भीगे हुए हरे चने खिलाएं।

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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: वैश्विक स्तर पर प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह गोचर साइकोलॉजी, रिसर्च या अन्य क्षेत्रों में नौकरी के नए अवसर लेकर आ सकता है। पश्चिमी ज्योतिष की मानें तो, बुध की वृश्चिक राशि में स्थिति को साइकोलॉजी, निवेश, जर्नलिज्म या रिसर्च आदि क्षेत्रों में नौकरी के लिए शुभ कहा जाएगा। साथ ही, लोगों में ज्ञान प्राप्त करने के प्रति रुचि बढ़ेगी। 

अकादमिक, कॉमर्स एवं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी

  • बुध महाराज की यह स्थिति अकादमिक, कॉमर्स और इकोनॉमिक्स आदि क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए सहायक रहेगी।
  • वृश्चिक राशि में बुध के मौजूद होने से जातकों को प्रसिद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होगी। इन जातकों को तुरंत लोकप्रियता मिलेगी। 
  • अगर आप टेक्नोलॉजी या आईटी के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको अच्छे पद मिलने के योग बनेंगे। 

रिसर्च एवं साइकोलॉजी

  • बुध का वृश्चिक राशि में गोचर को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह साइकोलॉजी, रिसर्च एवं विज्ञान से जुड़े लोगों को बेहतरीन परिणाम दे सकती है।
  • केमिकल इंडस्ट्री में काम करने जातकों को बुध गोचर शुभ फल प्रदान करेगा।
  • पीएचडी की पढ़ाई कर रहे छात्रों का प्रदर्शन शानदार रहेगा और वह इसमें उत्कृष्टता हासिल कर सकेंगे।
  • इस दौरान डिटेक्टिव एजेंसी और इससे से जुड़े लोगों को लाभ की प्राप्ति होगी। 

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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: स्टॉक मार्केट रिपोर्ट 

हालांकि, बुध का वृश्चिक राशि में गोचर शेयर बाजार के लिए ज्यादा ख़ास नहीं रहने की आशंका है। बता दें कि 29 अक्टूबर 2024 को जब बुध वृश्चिक राशि में गोचर कर जाएंगे, तब आपको नवंबर के पहले हफ़्ते में बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। 

  • शेयर बाज़ार भविष्यवाणी  कहता है कि 03 नवंबर से बाजार धीरे-धीरे मंदी की तरफ बढ़ने लगेगा। 
  • बुध गोचर के दौरान मिश्रित परिणाम मिलने की वजह से शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि, मांग में वृद्धि होगी, लेकिन ग्राहकों की इच्छाओं में कमी आएगी। 
  • मंदी का यह दौर 16 नवंबर तक जारी रहेगा। लेकिन, इस दौरान इन्वेस्टर्स के लिए शेयर्स को कम कीमत पर खरीदना लाभदायक रहेगा।
  • वृश्चिक राशि में बुध की मौजूदगी होने से जातकों की पब्लिक सेक्टर, स्टील इंडस्ट्री, शिपिंग मिल्स, ऑटोमोबाइल कंपनी, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और लेदर आदि क्षेत्रों में शेयर खरीदने में रुचि बढ़ेगी। 
  • इस अवधि में आप बहुत कम समय में पैसा कमाने में सक्षम होंगे। 

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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: इन खेल टूर्नामेंटों को करेगा प्रभावित

टूर्नामेंट स्पोर्ट तारीख़ 
डब्ल्यूटीए फाइनल्सटेनिस03 नवंबर 2024
लास वेगास ग्रैंड प्रिक्सटेनिस21 से 23 नवंबर, 2024

बुध के वृश्चिक राशि में गोचर को इस अवधि में होने वाले खेल टूर्नामेंट के लिए बहुत फलदायी कहा जाएगा क्योंकि वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं इसलिए यह खिलाड़ियों को आक्रामक और साहस प्रदान करेंगे। ऐसे में, इस दौरान खिलाड़ियों को और इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को लाभ प्राप्त होगा। 

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या बुध की वृश्चिक राशि में स्थिति अच्छी होती है?

वृश्चिक राशि में बुध ग्रह की स्थिति औसत मानी जाती है। 

2. बुध ग्रह के मित्र कौन हैं?

ज्योतिष में शनि और शुक्र को बुध का मित्र माना जाता है। 

3. वृश्चिक राशि में बुध ग्रह की विशेषता क्या है?

बुध की वृश्चिक राशि में मौजूदगी की वजह से इन लोगों का स्वभाव चतुराई और रहस्यमयी होता है जो इन्हें इन्वेस्टिगेटर या फिर साइकेट्रिस्ट बनाने का काम करता है क्योंकि इसमें दूसरों के बारे में जानने का विशेष गुण होता है।

नवंबर में मनाए जाएंगे लक्ष्मी पूजा, भाई दूज जैसे पर्व, नोट कर लें इन प्रमुख त्योहारों की तिथियां!

नवंबर माह को अत्यंत विशेष माना जाता है फिर चाहे वह धार्मिक, ज्योतिषीय या वैज्ञानिक दृष्टि से हो। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह साल का ग्यारहवां महीना होता है और इस माह की शुरुआत इशारा करती है कि हम धीरे-धीरे करके साल की समाप्ति की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। इसी के साथ नए साल का आगाज़ होने में सिर्फ एक महीना रह जाता है। नवंबर का महीना अधिकतर लोगों को पसद होता है क्योंकि इस माह में सर्दियाँ धीमी रफ़्तार से अपने पैर पसारने लगती है। ऐसे में, अब अक्टूबर विदा लेने और नवंबर में प्रवेश करने के लिए हम तैयार हैं। हालांकि, आने वाले नए महीने के बारे में जानने के लिए हम सभी उत्सुक रहते हैं और हमारे मन में यह सवाल जरूर आते हैं कि क्या इस महीने मिलेगी मनपसंद नौकरी? कैसा होगा सेहत का हाल? पारिवारिक जीवन में रहेगी ख़ुशहाली या बढ़ेगा तनाव? इन सभी सवालों का जवाब मिलेगा आपको नवंबर 2024 के इस विशेष ब्लॉग में।

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भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

नवंबर का महीना कई मायनों से महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस माह में कई बड़े व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने देवोत्थान एकादशी व्रत किया जाएगा जिसके साथ ही चातुर्मास का अंत होगा और एक बार पुनः शादी-विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। इसके अलावा, नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा और तुलसी विवाह जैसे त्योहार मनाए जाएंगे। साथ ही, एस्ट्रोसेज के नवंबर 2024 के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको नवंबर में पैदा होने वाले लोगों के व्यक्तित्व के बारे में दिलचस्प तथ्यों से अवगत कराएंगे। इस महीने होने वाले ग्रह-गोचर एवं ग्रहण से जुड़ी जानकारी भी प्रदान करेंगे। तो अब बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं नवंबर 2024 के बारे में विस्तार से।

नवंबर 2024 का यह ब्लॉग क्यों है इतना ख़ास?

  • एस्ट्रोसेज के इस लेख में आपको नवंबर 2024 में मनाए जाने वाले प्रमुख व्रत-त्योहारों की तिथियों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी जिससे आप उनकी तैयारियां समय रहते कर सकें। 
  • नवंबर में जन्म लेने वाले जातकों को कौन सी बातें बनाती है सबसे हटके? इस बारे में हम आपको बताएंगे और साथ ही, इन लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों से रूबरू करवाएंगे। 
  • कब-कब पड़ेंगे नवंबर 2024 में बैंक हॉलिडे?
  • नवंबर 2024 में कौन सा ग्रह कब-कब करेगा अपनी राशि, स्थिति और चाल में बदलाव? नवंबर में लगेगा क्या कोई ग्रहण? इसकी बारे में भी हम आपको अवगत कराएंगे। 
  • नवंबर राशि चक्र की सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा और इस माह किस तरह के परिणाम आपको मिलेंगे? इसके बारे में भी विस्तारपूर्वक बात करेंगे। 

 अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं नवंबर 2024 पर आधारित इस ब्लॉग में।

नवंबर 2024 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना 

नवंबर 2024 का पंचांग देखें, तो साल 2024 के ग्यारहवें महीने नवंबर का आरंभ चित्रा नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानी कि 01 नवंबर 2024, शुक्रवार को होगा जबकि इस माह का अंत अनुराधा नक्षत्र के अंतर्गत कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात 30 नवंबर 2024 को हो जाएगा। एक बात जो इस माह को विशेष बना रही है वह है कि नवंबर की शुरुआत से लेकर इस महीने की समाप्ति दोनों अमावस्या तिथि पर होगी। नवंबर के पंचांग को जानने के बाद अब हम आपको इस माह से जुड़े कुछ रोचक पहलू बताएंगे।

नवंबर 2024 से जुड़ी कुछ विशेष बातें

बता दे कि नवंबर शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘नोवम’ अर्थात नौवां से हुई है। रोमन कैलेंडर में नवंबर का महीना नौवां हुआ करता था और उस समय यह साल के नौवें स्थान पर आता था, लेकिन उसके बाद नवंबर ग्यारहवें स्थान पर कर दिया गया। प्राचीन रोमन कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने हुआ करते थे और नए वर्ष की शुरुआत 01 मार्च से होती थी। इसके बाद 153 ईसा पूर्व में वर्ष का शुभारंभ 01 जनवरी से माना गया।

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नवंबर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व 

एक वर्ष में कुल बारह महीने आते हैं और हर महीने की अपनी विशेषता और महत्व होता है जो इन सभी महीनों को एक-दूसरे से अलग बनाता है। इस प्रकार, नवंबर माह को एक अलग दर्जा प्राप्त है और ऐसे में, जिन लोगों का जन्मदिन इस महीने में आता है उनके लिए नवंबर का महीना बेहद खास होता है। क्या आप जानते हैं कि कैसा होता है नवंबर में पैदा होने वाले लोगों का स्वभाव? कौन सी खूबियां मौजूद होती हैं इनके व्यक्तित्व में? अगर नहीं, तो चलिए आपको रूबरू करवाते हैं नवंबर में जन्मे जातकों के व्यक्तित्व की कुछ रोचक बातों से।

सबसे पहले हम बात करेंगे नवंबर बोर्न लोगों के व्यक्तित्व की, तो सामान्य रूप से इन लोगों का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है और यह जातक महत्वाकांक्षी होने के साथ-साथ दृढ़ निश्चयी होते हैं। इनका चरित्र काफी मजबूत होता है इसलिए यह किसी से कम ही डरते हैं। इनके अंदर साहस कूट-कूट कर भरा होता है और इस वजह से यह अपने जीवन में आने वाली हर समस्या का सामना डटकर करते हैं।

नवंबर में जन्मे जातकों का आशावादी दृष्टिकोण इन्हें जीवन में आने वाली समस्याओं और विपत्तियों का सामना करने के लिए प्रेरित करती हैं। इन लोगों का सारा ध्यान अपने काम पर केंद्रित रहता है इसलिए जब तक इनके काम पूरे नहीं हो जाते हैं, तब तक यह शांति से बैठेते नहीं हैं। नवंबर बोर्न लोगों को अपने जीवन में प्राइवेसी बहुत पसंद होती है और इस वजह से अपनी चीजों को सीक्रेट बनाकर रखते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, अपने परिवार और दोस्तों से भी यह अपने मन की बातें या चीजें छुपाने के प्रयास में रहते हैं। अपने इस स्वभाव के कारण यह आसानी से दूसरों के सामने नहीं खुलते हैं। 

नवंबर माह के अंतर्गत पैदा होने वाले जातक जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों को अपनी बुद्धि के बल पर संभालने में माहिर होते हैं। अगर कभी इन्हें हार का सामना करना भी पड़ता है, तो उसके बाद यह स्थितियों का पुनः आकलन करते हैं और फिर उसका समाधान निकालने की कोशिश करते हैं। यह अपनी लाइफ में सफल होने के साथ-साथ दूसरों को भी सफल होने के प्रेरित करते हैं और उनकी मदद करते हैं।

ऐसे जातक जिनका जन्मदिन नवंबर में आता है, वह बहुत जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं और इस वजह से हर चीज को जल्दी से सीखने में सक्षम होते हैं। यह जातक अपनी तेज़ बुद्धि का इस्तेमाल करके विपरीत हालातों से भी बाहर निकल आते हैं और हर परिस्थिति को अपने पक्ष में करने का गुण इनके पास होने के कारण कई बार ये लोगों को भी नियंत्रण करने की कोशिश करते हैं जो इनके व्यक्तित्व का एक अवगुण होता है।

हालांकि, नवंबर में जन्मे जातक आत्मविश्वासी होते हैं और बेहद जिद्दी स्वभाव के होते हैं। जीवन में आगे बढ़ने के लिए जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे लोग अपनी कड़ी मेहनत और हुनर के दम पर अपने सपनों को साकार करते हैं, परन्तु इन्हें दूसरों से राय लेना रास नहीं आता है और जब कोई इनको सलाह देता है, तो यह उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

प्रेम जीवन और रिश्तों की बात करें, तो ज्योतिष कहता है कि नवंबर में पैदा होने वाले अपने रिश्तों के प्रति वफादार होते हैं और यह अपने हर रिश्ते को पूरी ईमानदारी एवं समर्पण के साथ निभाते हैं। अगर यह जातक किसी से प्रेम करते हैं, तो उन्हें कभी धोखा नहीं देते हैं। यह लोग एक बहुत अच्छे दोस्त माने जाते हैं और कभी अपने दोस्तों के साथ विश्वासघात नहीं करते हैं।

नवंबर में जन्म लेने वालों के लिए भाग्यशाली अंक: 03, 01, 07  

नवंबर में जन्म लेने वालों के लिए भाग्यशाली रंग: गुलाबी, सफ़ेद और चॉकलेटी

नवंबर में जन्म लेने वालों के लिए शुभ दिन: गुरुवार, मंगलवार 

नवंबर में जन्म लेने वालों के लिए भाग्यशाली रत्न: मोती, मूनस्टोन

नवंबर में जन्म लेने वालों के लिए उपाय: एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरे देखें और फिर इस तेल को मंदिर में दान कर दें। ऐसा करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।  

नवंबर के माह में पैदा होने वाले लोगों के व्यक्तित्व के बारे में रोचक एवं अज्ञात पहलुओं को जानने के बाद अब हम आपको इस महीने में पड़ने वाले बैंक अवकाशों की तिथियां प्रदान करेंगे। 

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नवंबर 2024 में आने वाले बैंक अवकाश

दिनबैंक अवकाशकहाँ-कहाँ मान्य होगा
01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)दिवालीसभी राज्य सिवाय आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना
01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)हरियाणा दिवसहरियाणा
01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)कन्नड़ राज्योत्सवकर्नाटक
01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)कूटमणिपुर
01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)पुडुचेरी मुक्ति दिवसपांडिचेरी
02 नवंबर 2024 (शनिवार)दिवाली/दीपावलीदमन और दिउ, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश
02 नवंबर 2024 (शनिवार)विक्रम संवत नया सालगुजरात
03 नवंबर 2024 (रविवार)भाई दूजगुजरात, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश
07 नवंबर 2024 (गुरुवार)छठ पूजाअसम, बिहार, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड
15 नवंबर 2024 (शुक्रवार)गुरु नानक जयंतीसभी राज्य सिवाय आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नागर हवेली, दमन और दिउ, गोवा, कर्नाटक, केरल, मणिपुर,मेघालया, उड़ीसा, पांडिचेरी, सिक्किम, तमिलनाडुऔर त्रिपुरा
15 नवंबर 2024 (शुक्रवार)कार्तिक पूर्णिमाउड़ीसा और तेलंगाना
18 नवंबर 2024 (सोमवार)कनकदास जयंतीकर्नाटक
22 नवंबर 2024 (शुक्रवार)ल्हाबब ड्यूंचनसिक्किम
23 नवंबर 2024 (शनिवार)सेंग कुट स्नेममेघालय 

नवंबर 2024 में पड़ने वाले प्रमुख व्रत एवं त्योहार  

आइए नज़र डालते हैं नवंबर 2024 में मनाये जाने वाले प्रमुख एवं बड़े व्रत-पर्वों की तिथियों पर।  

तिथि दिनपर्व/ त्योहार
01 नवंबर 2024शुक्रवारदिवाली, कार्तिक अमावस्या
02 नवंबर 2024शनिवारगोवर्धन पूजा
03 नवंबर 2024रविवारभाई दूज
07 नवंबर 2024गुरुवारछठ पूजा
12 नवंबर 2024मंगलवारदेवुत्थान एकादशी
13 नवंबर 2024बुधवारप्रदोष व्रत (शुक्ल)
15 नवंबर 2024शुक्रवारकार्तिक पूर्णिमा व्रत
16 नवंबर 2024शनिवारवृश्चिक संक्रांति
18 नवंबर 2024सोमवारसंकष्टी चतुर्थी
26 नवंबर 2024मंगलवारउत्पन्ना एकादशी
28 नवंबर 2024गुरुवारप्रदोष व्रत (कृष्ण)
29 नवंबर 2024शुक्रवारमासिक शिवरात्रि

नवंबर 2024 में विवाह मुहूर्त

जो लोग शादी एवं विवाह के लिए मुहूर्त की तलाश में हैं, तो हम यहाँ आपको नवंबर 2024 में विवाह के लिए शुभ तिथियां एवं मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं: 

तारीख मुहूर्त का समयनक्षत्रतिथि
12 नवंबर 2024, मंगलवारशाम 04 बजकर 04 मिनट से शाम 07 बजकर 10 मिनट तकउत्तराभाद्रपदद्वादशी
13 नवंबर 2024, बुधवारदोपहर 03 बजकर 26 मिनट से रात 09 बजकर 48 मिनट तकरेवतीत्रयोदशी
16 नवंबर 2024, शनिवाररात 11 बजकर 48 मिनट से 17 नवंबर की सुबह 06 बजकर 45 मिनट तकरोहिणीद्वितीया
17 नवंबर 2024, रविवारसुबह 06 बजकर 45 मिनट से 18 नवंबर की सुबह 06 बजकर 46 मिनट तकरोहिणी, मृगशिराद्वितीया, तृतीया
18 नवंबर 2024, सोमवारसुबह 06 बजकर 46 मिनट से सुबह 07 बजकर 56 मिनट तकमृगशिरातृतीया
22 नवंबर 2024, शुक्रवाररात 11 बजकर 44 मिनट से 23 नवंबर की सुबह 06 बजकर 50 मिनट तकमघाअष्टमी
23 नवंबर 2024, शनिवारसुबह 06 बजकर 50 मिनट से रात 11 बजकर 42 मिनट तकमघाअष्टमी
25 नवंबर 2024, सोमवारमध्यरात्रि 01 बजकर 01 मिनट से 26 नवंबर की सुबह 06 बजकर 53 मिनट तकहस्तएकादशी
26 नवंबर 2024, मंगलवारसुबह 06 बजकर 53 मिनट से 27 नवंबर की सुबह 04 बजकर 35 मिनट तकहस्तएकादशी
28 नवंबर 2024, गुरुवारसुबह 07 बजकर 36 मिनट से 26 नवंबर की सुबह 06 बजकर 55 मिनट तकस्वातित्रयोदशी
29 नवंबर 2024, शुक्रवारसुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट तकस्वाति त्रयोदशी

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नवंबर में होने वाले गोचर और ग्रहण 

अगर हम बात करें नवंबर 2024 में होने वाले ग्रहण और गोचर की तो, इस महीने में दो बड़े ग्रहों का गोचर होने जा रहा है जबकि दो ग्रहों की चाल में बदलाव देखने को मिलेगा और इसमें एक ग्रह दो बार अपनी स्थिति में परिवर्तन करेगा। बता दें कि नवंबर 2024 में कोई ग्रहण नहीं लगेगा। तो आइए बिना देर किये जानते हैं इन गोचरों की तिथियों एवं समय के बारे में।

शुक्र का धनु राशि में गोचर (07 नवंबर 2024): वैदिक ज्योतिष में शुक्र को स्त्री ग्रह कहा जाता है जो प्रेम एवं सुंदरता के कारक माने गए हैं। शुक्र महाराज 07 नवंबर 2024 की देर रात 03 बजकर 21 मिनट पर गुरु ग्रह की राशि धनु में प्रवेश कर जाएंगे।

शनि कुंभ राशि में मार्गी (15 नवंबर 2024): न्याय एवं कर्म के दाता शनि ग्रह काफी समय तक वक्री चाल चलने के बाद 15 नवंबर 2024 की शाम 05 बजकर 09 मिनट पर अपने ही राशि कुंभ में मार्गी हो जाएंगे।

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर (16 नवंबर 2024): वैदिक ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों में प्रमुख ग्रह माना जाता है और यह आत्मा के कारक ग्रह कहे गए हैंअब यह 16 नवंबर 2024 की सुबह 07 बजकर 16 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

आज का गोचर

बुध वृश्चिक राशि में वक्री (26 नवंबर 2024): बुद्धि, वाणी, तर्क और संचार कौशल के प्रमुख बुध ग्रह 26 नवंबर 2024 की सुबह 07 बजकर 39 मिनट पर वृश्चिक राशि में रहते हुए वक्री होने जा रहे हैं। ऐसे में, बुध की वक्री चाल सभी राशियों को प्रभावित करेगी।

बुध वृश्चिक राशि में अस्त (30 नवंबर 2024): ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार के नाम से विख्यात बुध ग्रह एक बार फिर वृश्चिक राशि में रहते हुए 30 नवंबर 2024 के दिन रात 08 बजकर 19 मिनट पर अस्त हो जाएंगे।  

नवंबर में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहारों का धार्मिक महत्व 

दिवाली (01 नवंबर 2024, शुक्रवार): दिवाली को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है जो हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व लगातार पांच दिनों तक मनाया जाता है और धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर समाप्त होता है। इस त्योहार को भारत समेत दुनियाभर में लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं। दिवाली को दीपावली और दीपोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। 

कार्तिक अमावस्या (01 नवंबर 2024, शुक्रवार): प्रत्येक वर्ष दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। यह दिन पितरों का तर्पण और दान-पुण्य आदि धार्मिक कार्यों को करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के शांतिपर्व में साक्षात् स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक अमावस्या के दिन का महत्व बताते हुए कहा था कि ‘यह मेरा प्रिय दिन है और इस दिन मेरी वंदना से मनुष्य के समस्त ग्रह दोष दूर हो जाएंगे। कार्तिक अमावस्या की रात को दीपक जलाने की परंपरा है जिसे दीपावली के नाम से जाना जाता है।  

गोवर्धन पूजा (02 नवंबर 2024, शनिवार): गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना है जो कि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह त्योहार प्रकृति और मानव के संबंध को दर्शाता है और इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन का पर्व हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और यह दिवाली के ठीक अगले दिन मनाये जाने का विधान है। गोवर्धन पूजा की एक अलग ही रौनक मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना आदि में देखने को मिलती है।

भाई दूज (03 नवंबर 2024, रविवार): भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र बंधन और प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस पर्व को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया के नाम जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, हर साल भाई दूज को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भैया दूज का त्योहार दीपावली के दूसरे दिन आता है और इस अवसर पर हर बहन अपने भाई का तिलक करके उसकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। इसके बाद, भाई अपनी बहन को शगुन के रूप में उपहार देता है।

छठ पूजा (7 नवंबर 2024, गुरुवार): छठ पर्व को भारत के सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है जो कि छठ पूजा या सूर्य षष्ठी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, छठ पूजा एक लोक पर्व है और यह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर की जाती है। छठ पूजा को दिवाली के 6 दिन बाद किया जाता है और इस त्योहार को विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करने की परंपरा है।

देवउठनी एकादशी (12 नवंबर 2024, मंगलवार): देवउठनी एकादशी को हिन्दुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन श्रीहरि विष्णु के निद्रा से जागने के साथ शुभ एवं मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत हो जाती है। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। देवोत्थान एकादशी दीपावली के बाद आती है। 

प्रदोष व्रत (कृष्ण) (13 नवंबर 2024, बुधवार): सनातन धर्म में किये जाने वाले व्रतों में से एक प्रदोष व्रत है जो कि पंचांग के अनुसार, हर माह की त्रयोदशी तिथि पर करने का विधान है। आपको बता दें कि हर महीने में प्रदोष व्रत दो बार आता है। इसी क्रम में, सोमवार के दिन पड़ने वाले व्रत को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार के दिन आने वाले व्रत को भौम प्रदोष और जो व्रत शनिवार को पड़ता है, उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। हर माह में आने वाला यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है।

कार्तिक पूर्णिमा (15 नवंबर 2024,शुक्रवार): हिंदू धर्म में कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर कृतिका नक्षत्र होने पर इसे पूर्णिमा को ‘महाकार्तिकी’ कहते हैं और वहीं, इस दिन भरणी नक्षत्र होने पर कार्तिक पूर्णिमा से मिलने वाले शुभ फलों में वृद्धि हो जाती है। धर्मग्रंथों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की संध्याकाल में जगत के पालनहार भगवान विष्णु मत्स्यावतार में अवतरित हुए थे। 

वृश्चिक संक्रांति (16 नवंबर 2024, शनिवार): वैदिक ज्योतिष में सूर्य को “राजा” का दर्जा प्राप्त है जो कि एक माह के अंतराल पर एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। जब कभी भी सूर्य अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं, तो उस घटना को संक्रांति कहा जाता है। अब सूर्य देव 16 नवंबर 2024 को तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। हालांकि, सूर्य हर महीने अपना राशि परिवर्तन करते हैं और इस प्रकार, एक वर्ष में कुल 12 संक्रांति आती हैं। सूर्य गोचर की अवधि को दान-पुण्य तथा धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी (18 नवंबर 2024, सोमवार): हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी की गणना प्रमुख व्रतों में होती है। यह व्रत हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत के संबंध में मान्यता है कि जो इस व्रत को सच्चे हृदय से करता है, भगवान गणेश उनके जीवन में पैदा होने वाली सभी समस्याओं और बाधाओं का अंत कर देते हैं इसलिए श्रीगणेश की पूजा संकष्टी चतुर्थी पर पूरी आस्था और विधिपूर्वक की जाती है।

उत्पन्ना एकादशी (26 नवंबर 2024, मंगलवार): साल भर में आने वाली सभी एकादशी तिथियों में से उत्पन्ना एकादशी को बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। देवी एकादशी को भगवान विष्णु का शक्ति स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखता है, उसको पूर्व जन्म के बुरे कर्मों के साथ-साथ वर्तमान जन्म के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। साथ ही, इस व्रत को बेहद कल्याणकारी कहा गया है।

मासिक शिवरात्रि (29 नवंबर 2024, शुक्रवार): मासिक शिवरात्रि भगवान शिव का एक पावन व्रत है। पंचांग के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। यह दिन भोलेशंकर की कृपा प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ होता है। हिन्दुओं के लिए मासिक शिवरात्रि व्रत महत्वपूर्ण माना गया है जो एक वर्ष में 12 बार आती है। इस व्रत को करने से भक्त के जीवन में उत्पन्न सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान हो जाता है और आपकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं।

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सभी 12 राशियों के लिए नवंबर 2024 का राशिफल 

मेष राशि 

  • मेष राशि वाले करियर में अच्छा लाभ कमाने में सक्षम होंगे। इस दौरान आपका सारा ध्यान नौकरी में तरक्की और पैसा कमाने पर केंद्रित होगा।
  • धन से जुड़े मामलों के लिए नवंबर थोड़ा कठिन रह सकता है क्योंकि आपकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर रह सकती है और आपके खर्चे भी बढ़ सकते हैं।
  • मेष राशि वालों का वैवाहिक जीवन इस महीने ज्यादा अच्छा नहीं रहने की आशंका है।
  • वहीं, इस राशि वालों को प्रेम जीवन से जुड़े फैसले लेने में देरी का सामना करना पड़ सकता है।
  • राहु-केतु की वजह से आपका पारिवारिक जीवन उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है क्योंकि यह आपके घर-परिवार की खुशियों को प्रभावित कर सकते हैं।  
  • इन जातकों का स्वास्थ्य नवंबर के दूसरे भाग में बेहतर रहेगा क्योंकि इस माह के शुरुआती दिनों में आपको पाचन से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं।

उपाय: शनिवार के दिन ‘ॐ मंदाय नमः’ का 17 बार जाप करें। 

वृषभ राशि

  • वृषभ राशि वालों की स्थिति करियर में अच्छी बनी रहेगी। ऐसे में, आप वर्तमान नौकरी में बने रहेंगे और काम में कड़ी मेहनत करके प्रसन्न रहेंगे।
  • अगर आप व्यापार करते हैं तो नवंबर में आपका बिज़नेस अच्छा चलेगा। इस दौरान कारोबार में आप अपनी चमक बिखरते हुए नज़र आएंगे।
  • आपके आर्थिक जीवन के लिए नवंबर औसत रहेगा। इस अवधि में आपके खर्चों में वृद्धि और बचत में कमी देखने को मिल सकती है। साथ ही, आपको सावधान रहना होगा।
  • छात्रों का प्रदर्शन पढ़ाई में अच्छा रहेगा और पढ़ाई के सिलसिले में आपके विदेश जाने के योग बनेंगे।
  • इन जातकों का पारिवारिक जीवन अशांत रहने की आशंका है और आपको रिश्ते में तनाव का सामना करना पड़ सकता है। 
  • नवंबर 2024 वृषभ राशि वालों को प्रेम जीवन में मनचाही सफलता देने में पीछे रह सकता है और आपके मन में असुरक्षा की भावना जन्म ले सकती है।

उपाय: गुरुवार के दिन गुरु ग्रह के लिए यज्ञ/हवन करें। 

मिथुन राशि

  • मिथुन राशि के जातकों को नौकरी के संबंध में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के अच्छे अवसर मिलेंगे।
  • इस महीने आपका आर्थिक जीवन ज्यादा खास नहीं रहने की आशंका है। नवंबर में आपकी आय में कमी आएगी और आप ज्यादा पैसों की बचत भी नहीं कर सकेंगे।
  • नवंबर में जो जातक अपने प्रेमी/प्रेमिका के साथ विवाह करना चाहते हैं, वह माह के दूसरे भाग में इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
  • इस माह में आपके रिश्ते परिवार वालों के साथ थोड़े नाज़ुक रह सकते हैं क्योंकि तालमेल की कमी की वजह से परिवार से ख़ुशियाँ नदारद रह सकती हैं।
  • मिथुन राशि वालों को सेहत के प्रति सतर्क रहना होगा। नवंबर में आपको गले में संक्रमण और पाचन से जुड़ीं समस्याएं परेशान कर सकती हैं।

उपाय: प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। 

कर्क राशि

  • कर्क राशि वालों को यह माह करियर में अच्छे परिणाम देने में पीछे रह सकते हैं। इस दौरान काम में अपनी पहचान बनाना आपके लिए आसान नहीं रहेगा और आपको खूब मेहनत करनी पड़ेगी।
  • इस राशि के व्यापार करने वालों को नवंबर का पहला भाग हानि करवा सकता है जबकि महीने के दूसरे भाग में व्यापार में सुधार आएगा।
  • आर्थिक जीवन के लिए नवंबर माह अच्छा रहेगा और इस दौरान धन का प्रवाह अच्छा बना रहेगा। ऐसे में, आपको अच्छी मात्रा में पैसा प्राप्त होगा।
  • जिन जातकों का विवाह हो चुका है, उनका वैवाहिक जीवन नवंबर में शानदार रहेगा और आप संतुष्ट नज़र आएंगे।
  • स्वास्थ्य की दृष्टि से, कर्क राशि वालों की सेहत इस माह अच्छी बनी रहेगी जिसकी वजह आपके भीतर की ऊर्जा और उत्साह होगा।

उपाय: प्रतिदिन ॐ सोमाय नमः’ का 20 बार जाप करें।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

सिंह राशि

  • नौकरीपेशा जातक कड़ी मेहनत के बाद भी काम से असंतुष्ट दिखाई देंगे। साथ ही, आप पर काम का बढ़ता बोझ आपसे गलतियां करवा सकता है।
  • नवंबर में व्यापार करने वाले जातकों को लाभ थोड़ा कम होने की आशंका है। ऐसे में, आप प्रतिद्वंदियों को टक्कर नहीं दे सकेंगे।
  •  पारिवारिक जीवन की बात करें, तो आपके परिवार में सामंजस्य का अभाव रहेगा जिसके चलते सदस्यों के बीच रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं रहेंगे।
  • सिंह राशि वालों को प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ बहस या विवाद का सामना करना पड़ सकता है जिसकी वजह आपसी समझ की कमी होगी।
  • नवंबर में इन जातकों को सावधान रहना होगा क्योंकि आप वाहन चलाते समय दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।

उपाय: रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा फूलों से करें।

कन्या राशि

  • शनि देव की मौजूदगी नवंबर में आपको नौकरी और व्यापार के क्षेत्र में तरक्की और लाभ प्रदान करेगी।
  • नवंबर का दूसरा भाग आपके प्रेम जीवन में अच्छे परिणाम लेकर आएगा और आपको प्रेम जीवन में सफलता प्राप्त होगी। 
  • इन जातकों के लिए धन का प्रवाह उत्तम बना रहेगा, लेकिन महीने का दूसरा भाग आपकी आर्थिक स्थिति को मज़बूत बनाएगा और आपको अच्छा लाभ मिलेगा।
  • इन लोगों का पारिवारिक जीवन इस महीने खुशहाल रहेगा और परिवार के सदस्यों के साथ आपके रिश्ते मधुर बने रहेंगे। 
  • कन्या राशि के जातकों को अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा क्योंकि इस समय आपको पाचन और त्वचा संबंधित समस्याएं परेशान कर सकती हैं।

उपाय: प्रतिदिन ‘ॐ केतवे नमः’ का 41 बार जाप करें।

तुला राशि

  • तुला राशि वालों को करियर में इस माह औसत परिणाम प्राप्त होंगे जिसके चलते आप पर दबाव बढ़ेगा और काम में चुनौतियां पैदा होंगी।
  • बृहस्पति देव की कृपा से इन जातकों को विरासत के रूप में या फिर ऋण के माध्यम से धन लाभ मिलने के योग बनेंगे। 
  • पारिवारिक जीवन में गुरु ग्रह परिवार में खुशियों का आनंद लेने की राह में बाधा बनेंगे और ऐसे में, आपका सदस्यों के साथ विवाद हो सकता है।
  • प्रेम एवं वैवाहिक जीवन के लिए यह माह ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा जिसकी वजह से आपके लिए पार्टनर के साथ खुशियां और आपसी समझ बनाए रखना मुश्किल होगा।
  • यह महीना स्वास्थ्य के लिए थोड़ा कठिन रहेगा क्योंकि आपको गले में संक्रमण और आंखों में जलन जैसी समस्याएं घेर सकती हैं इसलिए अपना ध्यान रखें। 

उपाय: मंगलवार के दिन राहु-केतु के लिए यज्ञ/हवन करें।

वृश्चिक राशि 

  • वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि देव करियर में समस्याएं उत्पन्न करेंगे और ऐसे में, आप बेहतरी के लिए नौकरी बदलने का मन बना सकते हैं।
  • पारिवारिक जीवन की बात करें, तो इस महीने आपका परिवार खुशियों से गुलज़ार रहेगा और परिजनों से आपके रिश्ते मधुर रहेंगे। 
  • वृश्चिक राशि वालों का प्रेम जीवन प्रेम और खुशियों से पूर्ण रहेगा। ऐसे में, जीवनसाथी के साथ आपसी समझ मजबूत होगी।
  • इन जातकों को धन लाभ मिलने के योग बनेंगे और आप जीवन में संतुष्ट दिखाई देंगे। 
  • आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा और गुरु देव की कृपा से इस महीने आपको कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं आएगी।

उपाय: प्रतिदिन “ॐ हनुमते नमः” का 27 बार जाप करें।

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धनु राशि 

  • धनु राशि के जातकों को किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में विदेश जाने का अवसर मिलेगा। ऐसे प्रोजेक्ट्स आपके लिए फलदायी साबित होंगे।
  • आपकी आर्थिक स्थिति उतार-चढ़ाव भरी रहेगी जिसकी वजह से खर्चों में वृद्धि होगी। ऐसे में, इन खर्चों को पूरा करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ सकता है।
  • इन जातकों के पारिवारिक जीवन में खुशियों का अभाव रहने की आशंका है। इस वजह से परिजनों के साथ रिश्ते ख़राब हो सकते हैं। 
  • इस राशि के शादीशुदा जातकों की साथी के साथ बहस होने की आशंका है। ऐसे में, आप रिश्ते में खुशियां बनाए रखने में असमर्थ रह सकते हैं।
  • नवंबर में आपकी सेहत नाज़ुक रहेगी क्योंकि आपको गले में संक्रमण और मोटापे जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं।

उपाय: गुरुवार के दिन गरीब एवं जरूरतमंद को भोजन कराएं।

मकर राशि

  • नवंबर का महीना करियर के क्षेत्र में मकर राशि वालों के धैर्य और बुद्धि की परीक्षा ले सकता है इसलिए आपको नौकरी में हर कदम सोच-समझकर रखना होगा।
  • इस राशि वालों का पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा और आपके रिश्ते भी परिजनों के साथ मिठास भरे बने रहेंगे।
  • प्रेम जीवन में आप सकारात्मक परिणाम पाने में सफल रहेंगे और ऐसे में, आपका रिश्ता साथी के साथ सौहार्द एवं प्रेम पूर्ण से बना रहेगा।
  • इस माह इन लोगों का आर्थिक जीवन सामान्य रहेगा और आपको कोई समस्या परेशान नहीं करेगी। खर्चे नियंत्रित रहेंगे और अच्छा खासा धन लाभ होगा। 
  • स्वास्थ्य की दृष्टि से, नवंबर का महीना आपके लिए उत्तम रहेगा और आप इस दौरान प्रसन्न के साथ-साथ संतुष्ट भी दिखाई देंगे। 

उपाय: शनिवार के दिन दिव्यांगों को दही चावल खिलाएं।

कुंभ राशि

  • कुंभ राशि के नौकरीपेशा जातकों को नवंबर थोड़े नकारात्मक परिणाम दे सकता है जिसके चलते आप पर नौकरी में दबाव बढ़ सकता है।
  • इन जातकों का परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद हो सकता है जिसके चलते आपके घर-परिवार से खुशियां नदारद रह सकती हैं।
  • प्रेम एवं वैवाहिक जीवन में इस माह समस्याएं बनी रहेंगी और ऐसे में, आपके हाथ से कुछ अच्छी चीज़ें छूट सकती हैं।
  • कुंभ राशि वालों के खर्चों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और साथ ही, आप पर कुछ जिम्मेदारियां भी आ सकती हैं जिससे आप परेशान नज़र आ सकते हैं।
  • इस माह में आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा क्योंकि आपको पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है ।

उपाय: प्रतिदिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का 108 बार जाप करें।

मीन राशि

  • मीन राशि वालों के ऊपर करियर में बढ़ता बोझ आपको नौकरी बदलने पर मज़बूर करेगा। ऐसे में, यह माह थोड़ा मुश्किल रह सकता है।
  • नवंबर में आपके खर्चों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। साथ ही, इस माह कमाए गए पैसों की आप बचत नहीं कर सकेंगे।
  • इन लोगों को पारिवारिक जीवन में मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, बातचीत की कमी की वजह से वाद-विवाद होने की आशंका है। 
  • इस राशि के विवाहित जातकों को अपने शादीशुदा जीवन में परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है जिसकी वजह से साथी के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल होगा।
  • सेहत के लिहाज़ से, नवंबर का महीना आपके लिए मिला-जुला रहेगा। साथ ही, आपको गर्मी और धूप से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। 

उपाय: रोजाना ‘ॐ हनुमते नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. नवंबर 2024 में मासिक शिवरात्रि कब है?

उत्तर 1. इस महीने मासिक शिवरात्रि 29 नवंबर 2024, शुक्रवार के दिन पड़ रही है।

प्रश्न 2. क्या 01 नवंबर को अमावस्या है?

उत्तर 2.  हाँ, 01 नवंबर 2024 को कार्तिक अमावस्या है और इस दिन दिवाली का पर्व मनाया जाएगा।

प्रश्न 3. नवंबर में भाई दूज कब है?

उत्तर 3.  इस महीने भाई दूज का त्योहार 03 नवंबर 2024 रविवार के दिन पड़ेगा। 

प्रश्न 4. 05 नवंबर को कौन सा दिन है?

उत्तर 4. 05 नवंबर 2024 को मंगलवार का दिन  पड़ रहा है।

बेहद शुभ योग में पड़ेगी अहोई अष्टमी, तारों को देखने के बाद तोड़ा जाता है व्रत!

सनातन धर्म में अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस व्रत को माताएं अपने बच्चों की तरक्की और दीर्घायु के लिए रखती है। इस दिन देवी अहोई या अहोई माता का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा व व्रत रखा जाता है। इसे माताएं बड़ी श्रद्धा और प्रेम से मनाती हैं। अहोई अष्टमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है यानी करवा चौथ के चौथे दिन और दीपावली से आठ दिन पहले किया जाता है। यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं। इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी पूजा का विधान है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। 

ख़ास बात यह है कि इस बार बेहद ख़ास योग में अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं साल 2024 में अहोई अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा, किस दिन कौन से योग बन रहे हैं व इस योग में कौन से उपाय आपको करने चाहिए।

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भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

अहोई अष्टमी 2024: तिथि व समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है और इस साल यह व्रत 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के दिन किया जाएगा। 

अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 21 मिनट से 

अष्टमी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार की मध्यरात्रि 02 बजकर 01 मिनट तक

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार की शाम 05 बजकर 50 मिनट से शाम 07 बजकर 06 मिनट तक

सितारों को देखने का समय: शाम 06 बजकर 18 मिनट पर

सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 27 मिनट

सूर्यास्त का समय: शाम 05 बजकर 43 मिनट

अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय मुहूर्त: शाम 22 बजकर 52 मिनट

अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रास्त का समय: मध्य रात्रि 12 बजकर 37 मिनट

ये शुभ योग बढ़ाएंगे अहोई अष्टमी 2024 का महत्व

साल 2024 में अहोई अष्टमी का व्रत बेहद शुभ संयोगों में किया जाएगा जिससे इस व्रत के परिणामों में कई गुना वृद्धि होगी। अब हम जानेंगे अहोई अष्टमी पर बनने वाले शुभ योगों के बारे में।

इस दिन सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सिद्धि योग बेहद शुभ योग है और यह योग निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। इस योग में पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है व व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है।

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अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है, खासकर महिलाओं के लिए। यह व्रत संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान की लंबी आयु, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करना है। माना जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं, उनकी संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है और वे जीवन में अपार सफलता प्राप्त करते हैं।

अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर बिना जल और अन्न के रहती हैं। सूर्यास्त के बाद तारों को देखकर व्रत का पारण करती है। जिन महिलाओं की संतान नहीं होती है, उनके लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी महिलाएं अहोई माता की आराधना कर संतान प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

अहोई अष्टमी की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को की जाती है। आइए जानते है पूजा की आसान विधि।

  • सबसे पहले व्रती महिलाओं को सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कार्य कर लेने चाहिए। फिर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • इसके बाद संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थल पर अहोई माता का चित्र बनाएं या बाजार से अहोई माता का चित्र या कागज लाए।
  • बता दें इस दिन दीवार पर अहोई माता की आकृति बनाई जाती है जिसमें साही और उनके साथ के प्रतीक चिन्ह जैसे चांद, तारे आदि बनाए जाते हैं।
  • पूजा स्थल पर मिट्टी या तांबे का एक कलश स्थापित करें। कलश को जल से भरकर उसके ऊपर एक नारियल रखें।
  • कलश के साथ एक दीया जलाएं, जो पूरी पूजा के दौरान जलता रहे।
  • पूजा के लिए चावल, रोली, कुमकुम, हल्दी, सुपारी, मिठाई, धूप, दीप, कच्चा दूध, और फूल सामग्री शामिल करें।
  • अहोई माता को विशेष रूप से दूध, चावल और मिठाई का भोग चढ़ाएं। इसके बाद आरती करें।
  • साथ ही, व्रती महिलाएं धागा माता के सामने बांधती हैं और संतान की कुशलता की प्रार्थना करती हैं।
  • पूजा के बाद महिलाएं सूर्यास्त के बाद तारों को देखकर उन्हें जल अर्पित करती हैं।
  • तारा दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है, लेकिन आमतौर पर तारों का दर्शन मुख्य रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

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अहोई अष्टमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक गांव में एक महिला रहती थी, जिसके सात बेटे थे। दीपावली से कुछ दिन पहले वह जंगल में मिट्टी खोदने गई, जिससे घर की सजावट के लिए मिट्टी लाई जा सके। मिट्टी खोदते समय गलती से उसकी कुदाल से एक साही के बच्चे की मृत्यु हो गई। उस महिला को यह बात पता नहीं चली, लेकिन उस दिन के बाद उसके सभी सात बेटे की एक-एक करके मृत्यु हो गई।

संतानों की मृत्यु से दुखी होकर वह महिला गांव के बुजुर्गों के पास गई और अपनी समस्या बताई। बुजुर्गों ने उसे सलाह दी कि उसने गलती से साही के बच्चे को मारा है, और यह सब उसी का परिणाम है। उन्होंने उसे यह उपाय सुझाया कि वह अहोई माता की आराधना करें और सच्चे मन से व्रत रखें।

महिला ने बुजुर्गों की सलाह मानते हुए अहोई माता का व्रत करना शुरू किया। उसने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को व्रत रखा और पूरे श्रद्धा भाव से अहोई माता की पूजा की। पूजा के दौरान वह साही और उसकी संतान का चित्र दीवार पर बनाकर उनकी पूजा करती थी और उनसे क्षमा मांगती थी। अहोई माता उसकी भक्ति से प्रसन्न हो गईं और उसे आशीर्वाद दिया कि उसकी संतानें पुनः जीवित हो जाएंगी। इसके बाद उस महिला के सभी बेटे वापस जीवित हो गए और उसका घर फिर से खुशियों की लहर दौड़ गई। तब से ही यह मान्यता बन गई कि अहोई अष्टमी का व्रत रखने से संतान की लंबी आयु और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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अहोई अष्टमी के दिन जरूर करें ये ख़ास उपाय

अहोई अष्टमी की पूजा के साथ कुछ खास उपाय आपको बताए जा रहे हैं, जो व्रती माताओं के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

गाय को भोजन कराएं

अहोई अष्टमी के दिन गाय को भोजन कराने से विशेष फल की प्राप्त होती है। गाय को गुड़ या हरा चारा खिलाने से संतान की भलाई के लिए शुभफल की प्राप्ति होती है। यह उपाय संतान को दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने में मदद करता है।

धन-धान्य के लिए उपाय

अहोई अष्टमी के दिन शुद्ध चांदी की अहोई बनवाकर उसकी पूजा करने से सर्व सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह उपाय धन-धान्य और संतान की उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

परेशानियों को दूर करने के लिए

अहोई अष्टमी के दिन संतान की भलाई के लिए ध्यान और प्रार्थना करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यदि आपके बच्चे किसी कठिनाई में हैं, तो पूरी श्रद्धा से अहोई माता से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना करें और ध्यान करें।

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गरीब व जरूरतमंदों को दान करें

इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना भी विशेष फलदायी होता है। अहोई अष्टमी पर किया गया दान पुण्य प्राप्ति और संतान के अच्छे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

तांबे के सिक्का से करें उपाय

अहोई अष्टमी पर तांबे का एक सिक्का लें और उस पर हल्दी लगाकर उसे धागे में बांध लें। पूजा के समय इस सिक्के को अहोई माता के चरणों में रखें। पूजा के बाद इसे संतान की भलाई के लिए अपने गले में पहन लें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- क्या अहोई अष्टमी व्रत बिना पानी के किया जाता है?

अहोई अष्टमी व्रत की प्रक्रिया में भोजन और पानी का सेवन शामिल नहीं है।

2- क्या अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले भोजन किया जा सकता है?

हां, अहोई अष्टमी का व्रत रखने वाली महिलाएं पर्व के दिन सूर्योदय से पहले भोजन कर सकती हैं।

3- अहोई अष्टमी पर किस देवी की पूजा की जाती है?

अहोई अष्टमी के व्रत में  देवी अहोई की पूजा की जाती है।

4- अहोई अष्टमी का व्रत इस साल कब रखा जाएगा?

अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर गुरुवार के दिन रखा जाएगा।

अक्टूबर में ग्रहों के राजकुमार होने जा रहे हैं उदित- तुला समेत इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन!

बुध अर्थात बुद्धि का ग्रह जल्द ही तुला राशि में उदित होने जा रहा है। बुध का यह अहम परिवर्तन 22 अक्टूबर के दिन होगा। आज के हमारे खास ब्लॉग में हम इसी विषय पर बात करेंगे साथ ही जानेंगे तुला राशि में उदित होकर बुध किन राशियों का भाग्य चमकाएंगे और किन राशियों को इससे परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसके अलावा जानेंगे बुध उदय के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के ज्योतिषीय उपायों की भी जानकारी।

आगे बढ़ने से पहले बुध ग्रह की बात करें तो ज्योतिष में बुध को बुद्धि, तर्क, गणित, व्यापार, व्यवसाय, आदि से संबंधित ग्रह माना जाता है। अगर कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में है तो व्यक्ति को इन सभी क्षेत्रों में शुभ और सकारात्मक परिणाम मिलते हैं जिसके दम पर वह जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं और आगे बढ़ते हैं। 

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दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

वहीं इसके विपरीत अगर बुध ग्रह कुंडली में पीड़ित अवस्था में हो या नकारात्मक स्थिति में मौजूद हो तो ऐसे जातकों को तमाम परेशानियां और बाधाएँ अपने जीवन में उठानी पड़ती है। साथ ही तमाम कोशिशें के बावजूद सफलता इन्हें नहीं मिल पाती है। ऐसे में ज्योतिष के जानकार बुध ग्रह को मजबूत बनाने के लिए कुछ विशेष ज्योतिषीय उपायों को करने की जानकारी देते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय अगर आप भी जानना चाहते हैं तो यह लेख अंत तक पढ़ें। इसके अलावा अगर आप अपनी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति जानना चाहते हैं तो उसके लिए विद्वान ज्योतिषियों से अभी परामर्श लें।

आज का भाग्यशाली रंग

बुध महाराज 22 अक्टूबर 2024 की शाम 06 बजकर 58 मिनट पर शुक्र द्वारा शासित राशि तुला में उदित होने जा रहे हैं।

तुला राशि में बुध- कैसा रहता है प्रभाव? 

संचार से संबंधित ग्रह बुध जब मिलनसार वायु तत्व की राशि तुला में होता है तो यह आरामदायक और अच्छा महसूस करता है। वायु तत्व मन और संचार के बारे में बहुत कुछ दर्शाती है इसीलिए तुला राशि में बुध का होना एक अच्छा मेल कहा जाता है। तुला राशि को हमारे मतभेदों को दूर करने के तरीका ढूंढना पसंद है। यह राशि जानती है कि किसी भी स्थिति के एक से अधिक पक्ष होते हैं और विरोधी दृष्टिकोण में सामंजस्य स्थापित करना अनिवार्य होता है। 

इस शांति दायक राशि में बुध का प्रवेश एक ऐसे समय का संकेत देता है जब हमारे रिश्तों में ज्यादा सामंजस्य बनाने के लिए वाणी थोड़ी नरम हो जाती है। ऐसे में तुला राशि में बुध तर्क, वितर्क या गलतफहमी के चलते हुए मुद्दों को ठीक करने का सही समय माना जाता है।

आज का गोचर

तुला राशि और बुध 

सूर्य के निकटतम ग्रह बुध का वैदिक ज्योतिष में बेहद महत्व बताया गया है। हिंदी में इस ग्रह को बुध कहते हैं और अंग्रेजी में मरकरी कहा जाता है। हिंदी में बुध का अर्थ बुद्धि से जोड़कर देखा जाता है। इसके अलावा बुध ग्रह को देवताओं का दूत भी कहा जाता है और यह हास्य, बुद्धि और बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है। जब बुध तुला राशि में होता है तो इसका प्रभाव जातक को उत्कृष्ट बौद्धिक क्षमता प्रदान करता है। तुला राशि में बुध का नकारात्मक प्रभाव जातक की बुद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और त्वचा संबंधित विभिन्न समस्याओं की वजह बनता है।

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तुला राशि में बुध का जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 

तुला राशि में बुध के प्रभाव से जातक सख्त और धनी होंगे और परिवार से जुड़े रहेंगे। ऐसे व्यक्तियों का व्यवसाय बढ़ेगा और वह दूसरों के लिए सहायता करने के लिए तैयार और तत्पर रहेंगे। ऐसे जातकों को सरल, नैतिकता वाली महिलाओं के संगठन की तलाश रहती है। अगर इस राशि में बुध का संबंध सूर्य से होता है तो जातक बाहरी लोगों या दूसरे क्षेत्र के व्यक्तियों के साथ विवाह बंधन में बंध सकते हैं। 

मकर और सिंह लग्न वालों को बुध उत्तम परिणाम देता है। अगर लग्न सिंह हो तो प्रमुख काल फलदाई होता है। बुध पर बृहस्पति या चंद्रमा की दृष्टि जातकों को शानदार परिणाम देती है। बुध के साथ शुक्र की युति व्यक्ति को प्रभावशाली बनाती है क्योंकि शुक्र और बुध मित्र स्थिति में होते हैं। यह बुध के लिए एक शुभ स्थान माना जाता है क्योंकि यह जातकों को उत्कृष्ट संचार कौशल प्रदान करता है। 

बुध ग्रह को एक पृथ्वी ग्रह माना जाता है और जब यह तुला राशि में स्थित होता है तो यह जातकों को विभिन्न कला रूपों के ज्ञान से सुसज्जित करता है। वह कलात्मक और रचनात्मक गतिविधियों की ओर झुकाव रखते हैं। बुध संचार पर शासन करता है और शुक्र का प्रभाव उन्हें वाणी में परिष्कार और वाक्पटुता प्रदान करता है। ऐसे जातक विनम्र और मृदु भाषी भी होते हैं और उनमें दूसरों से अपनी बात मनमानी की शक्ति होती है। ऐसे जातक खर्चीले स्वभाव के होते हैं, रिश्तो के प्रति प्रेरित होते हैं और स्त्रियों में शौकीन होते हैं। 

जीवन में इनका दृष्टिकोण भी संतुलित होता है। उनके पास बौद्धिक दिमाग और सुखद व्यवहार होता है। वह अपने तरीकों में बहुत कूटनीतिक होते हैं और यह अच्छी तरह से जानते हैं कि अवसरों का अधिकतम लाभ कैसे उठाया जा सकता है। ऐसे जातक उदारवादी, मैत्रीपूर्ण और मिलनसार स्वभाव के होते हैं। उनमें सुंदरता के प्रति ज्यादा रुचि देखने को मिलती है और वह वास्तु कला, विलासिता और आलीशान घरों की ओर ज्यादा प्रेरित होते हैं। 

जब बुध तुला राशि में होता है तो हमेशा आरामदायक स्थिति में नजर आता है। ऐसे जातक मधुर वाणी वाले, प्रसन्न स्वभाव वाले और संगीत में गहरी रुचि रखने वाला होता है। क्योंकि तुला एक संतुलित राशि है और बुध बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है इसीलिए जातक निर्णय लेने से पहले आने वाली हर चीज का विश्लेषण करते हैं। वे व्यावसायिक योजनाएं बनाने और अपने जीवन में प्रगति के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करने में भी कामयाब रहते हैं।

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तुला राशि में बुध उदय- कैसा रहेगा तुला राशि पर प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह बुद्धि से जुड़ा ग्रह माना जाता है। ऐसे में अब तुला राशि में जब बुध उदित होने वाले हैं तो आइये जान लेते हैं विशेष तौर पर तुला राशि के जातकों पर इसका क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है। 

तुला राशि में बुध उदय से तुला जातकों के जीवन में कई फायदे नजर आ सकते हैं जैसे कि, उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी, शादीशुदा जातकों का दांपत्य जीवन खुशनुमा बनेगा, अविवाहित लोगों को विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं, स्वभाव में सकारात्मक बदलाव आएगा, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, समाज में मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिलेगी, करियर में नए और अच्छे अवसर मिलेंगे, नौकरी पेशा लोगों को विदेश में नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं, कमाई अच्छी होगी, बुद्धि मजबूत होगी, जीवनसाथी के साथ रिश्ते मजबूत होंगे।

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आइये अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि तुला राशि में बुध उदित होकर सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करने वाले हैं। 

बुध तुला राशि में उदय- राशि अनुसार प्रभाव और उपाय

मेष राशि 

मेष राशि वालों की कुंडली में बुध ग्रह तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं, अब बुध तुला राशि में….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं, बुध तुला राशि में….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। बुध तुला राशि….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और बुध तुला राशि ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और बुध तुला ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों की कुंडली में बुध ग्रह को पहले और दसवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए बुध देव बारहवें और नौवें भाव के स्वामी हैं जो अब बुध तुला राशि में ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध तुला ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध तुला राशि में ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध तुला….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं और अब बुध….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह को चौथे और सातवें भाव पर स्वामित्व प्राप्त हैं। अब बुध ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

1: बुध तुला राशि में कब उदय होंगे?

बुध महाराज 22 अक्टूबर 2024 की शाम 06 बजकर 58 मिनट पर शुक्र द्वारा शासित राशि तुला में उदित होने जा रहे हैं।

2: बुध किसके कारक माने जाते हैं? 

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता, अर्थव्यवस्था और वित्त का कारक माना जाता है।  

3: क्या तुला राशि में बुध एक अच्छा स्थान माना जाता है? 

तुला राशि में बुध को एक अच्छा स्थान पर होना माना जाता है। 

4: बुध तुला राशि में होने पर क्या होता है? 

जब बुध तुला राशि में होता है तो कूटनीति केंद्र में आती है।

31 अक्टूबर या 01 नवंबर कब करें लक्ष्मी पूजन? जानें दिवाली पूजा की सही तिथि

दिवाली 2024: साल 2024 में दीपावली त्योहार को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग भ्रमित भी हैं कि यह त्योहार किस दिन मनाया जाए? क्योंकि कार्तिक अमावस्या की तिथि इस बार दो दिन है। ऐसे में, इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए एस्ट्रोसेज के अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषी पंडित हनुमान मिश्रा जी द्वारा लक्ष्मी पूजन को लेकर यह विशेष ब्लॉग तैयार किया है जिसके माध्यम से आपको लक्ष्मी पूजा की सही तिथि और सही मुहूर्त की जानकारी प्राप्त हो सकेगी। तो चलिए शुरुआत करते हैं इस विशेष लेख की। 

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जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि इस बार अमावस्या तिथि दो दिन है। सामान्य शब्दों में कहें, तो 31 अक्टूबर 2024 को भी अमावस्या है और 1 नवंबर 2024 को भी अमावस्या है। जो लोग उदया तिथि को महत्व देते हैं अर्थात सूर्योदय के समय जो तिथि होती है उसको महत्व देते हैं, वह लोग 1 नवंबर 2024 को दिवाली मनाना ज्यादा उचित समझ रहे हैं। वहीं, प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि के बीच अमावस्या को महत्व देने वाले 31 अक्टूबर 2024 को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं।

ज्योतिषियों के अनुसार, क्या कहते हैं नियम?

दिवाली को लेकर ज्यादातर विद्वानों का मानना यह है कि जिस दिन कार्तिक महीने की अमावस्या प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि तक हो, उसी दिन दीपावली मनाना ज्यादा उचित माना रहता है। इस बात का समर्थन ज्यादातर ज्योतिषी भी करते हैं क्योंकि प्रदोष काल में लक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव माना जाता है। निशीथ काल में सभी तरह की पूजा साधना, विशेषकर तांत्रिक पूजा इत्यादि करने का विशेष महत्व माना गया है। इस वर्ष अर्थात 2024 में ऐसी स्थितियां 31 अक्टूबर 2024 के दिन लागू हो रही हैं जबकि 1 नवंबर 2024 के दिन अमावस्या तिथि सूर्योदय के समय तो मिल रही है, लेकिन समाप्ति शाम को 06:16 पर ही हो रही है। 

कुछ पंचांगों में अमावस्या तिथि की समाप्ति सूर्यास्त से पहले ही बताई गई है। वैसे तो ज्यादातर मामलों में उदया तिथि का महत्व सर्वाधिक होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में अन्य मुहूर्तों को ध्यान में रखते हुए मुहूर्त के समय मिलने वाली तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है। यही वजह है कि प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि, यहां तक की संपूर्ण रात्रि व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को महत्व देने के कारण इस बार दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 को मनाने की सर्वसम्मति विभिन्न विद्वानों ने दी है।

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हालांकि कुछ मामलों में कुछ विशेष पूजन 1 नवंबर 2024 के दिन भी किये जा सकेंगे। विशेषकर कार्यालय में पूजा करवाने वाले लोगों को इस बार दोनों दिन पूजा करने का अवसर मिल रहा है अर्थात 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 के बाद अपनी सुविधा के अनुसार शुभ मुहूर्त में आप अपने कार्यालय की पूजा करवा सकते हैं। वहीं, यदि किसी कारणवश ऐसा न हो पाए, तो 1 नवंबर 2024 को दिन में आप कार्यालय में पूजा करवा सकते हैं। 

31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त

31 अक्टूबर 2024 को लक्ष्मी पूजन के लिए पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है। यह शाम को 05:36 से लेकर 8:11 तक रहेगा और इसी बीच, दिल्ली के समयानुसार वृषभ लग्न शाम को 06:25 से लेकर रात को 8:20 तक रहेगा। ऐसे में, इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जा सकेगी।

यदि चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त की बात की जाए, तो चल या चर, लाभ, अमृत और शुभ चौघड़िया में पूजा करने का भी विधान माना गया है। दिल्ली के समय अनुसार, इस दिन शुभ चौघड़िया शाम 4:13 से 5:36 तक रहेगा। अतः बहुत आवश्यक होने पर इस अवधि में पूजा-अर्चना की जा सकती है, लेकिन प्रदोष काल की शुरुआत शाम 5:36 के बाद हो रही है। अतः शाम 5:36 के बाद लक्ष्मी पूजन करना ज्यादा अच्छा कहा जाएगा, परंतु अगर किसी कारण यदि आपको पूजन करना हो तो आप शुभ चौघड़िया अर्थात 4:13 से 5:36 के बीच भी कर सकते हैं। 

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इसके बाद, शाम को 5:36 से लेकर 7:13 के बीच अमृत चौघड़िया रहेगी। इस दौरान भी आप पूजा कर सकते हैं। शाम को 7:13 से लेकर 8:50 के बीच चर चौघड़िया में भी पूजन किया जा सकता है। इसके बाद, अंग्रेजी तिथि के अनुसार, अगले दिन अर्थात 31 अक्टूबर और 1 नवंबर (जिसे अंग्रेजी तिथि के अनुसार 1 नवंबर कहा जाएगा) की रात को 12:04 से लेकर 1:42 के बीच लाभ चौघड़िया में भी पूजन किया जा सकेगा। यदि किसी कारण से आप इसमें भी पूजा नहीं कर पाते हैं, तो अगली शुभ चौघड़िया रात में 3:19 के बाद मिलेगी जो 4:56 तक रहेगी। वहीं, अमृत चौघड़िया मुहूर्त सुबह 4:56 से सुबह 06: 33 तक रहेगा। इन चौघड़िया मुहूर्तों के अनुसार, आप लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। 

दिवाली पर निशीथ काल कब से कब तक?

निशीथ काल में पूजा करने वालों के लिए शुभ मुहूर्त रात 11:39 से लेकर 12:31 तक रहेगा अर्थात लगभग 52 मिनट का निशीथ काल रहने वाला है। इस दौरान लक्ष्मी पूजा की जा सकती है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि निशीथ काल में पूजा को विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं के लिए ज्यादा अच्छा माना गया है। 

ऐसे में, उत्तम रहेगा कि प्रदोष काल में पड़ने वाले वृषभ लग्न में ही महालक्ष्मी और गणेश का पूजन कर लिया जाय क्योंकि लोक मान्यता है कि स्थिर लग्न में लक्ष्मी का पूजन करने से आपके यहां लक्ष्मी स्थिर रहती हैं। जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि इस दिन वृषभ लग्न शाम को 6:25 से लेकर रात्रि 8:20 तक रहेगा। इस समय आपको प्रदोष काल भी मिल जाएगा, विशेषकर 8:11 से पहले-पहले। इसी दौरान आपको अमृत और चर चौघड़िया भी मिल जाएगा। इस प्रकार, अमृत नामक चौघड़िया का वरण करना भी अच्छा रहेगा यानी कि शाम 6:25 से 7:13 के बीच सर्वोत्तम मुहूर्त रहेगा। हालांकि, बाकी के बताए गए सभी मुहूर्त भी अच्छे ही हैं, लेकिन यदि अच्छे में भी बहुत अच्छा ढूंढना चाहते हैं, तो शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय सर्वोत्तम रहेगा। कुल मिलाकर, 48 मिनट का यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

उम्मीद है एस्ट्रोसेज के स्पष्टीकरण के बाद, इस बार दीपावली पर्व को मनाने को लेकर उत्पन्न भ्रम अब आपके मन-मस्तिष्क से दूर हो गया होगा। महालक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा आप सब पर बनी रहे। आप सभी को दीपावली पर्व की बहुत-बहुत मंगलकामनाएं!! 

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अहोई अष्टमी का यह सप्ताह आपकी संतान के लिए रहेगा कैसा, जानने के लिए अभी पढ़ें साप्ताहिक भविष्यफल!

अक्टूबर का यह सप्ताह मेष से लेकर मीन राशि के जातकों के लिए कैसा रहेगा, इस सप्ताह में किसका भाग्योदय होगा और किन्हें परेशानियां उठानी पड़ेगी, इस सप्ताह में आपका स्वास्थ्य कैसा रहने वाला है, आपकी इन सभी सवालों का जवाब हम आपको अपने खास ब्लॉग के माध्यम से देने जा रहे हैं। 

सिर्फ इतना ही नहीं एस्ट्रोसेज के साप्ताहिक राशिफल विशेष ब्लॉग में हम आपको और भी कई दिलचस्प बातों की जानकारी देते हैं। जैसे कि, इस सप्ताह में कौन-कौन से व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं, इस सप्ताह में किन ग्रहों का गोचर होगा, इस सप्ताह में कौन-कौन से बैंक अवकाश होंगे और कितने विवाह मुहूर्त पड़ने वाले हैं इसकी जानकारी भी आपके यहां दी जाएगी। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले नजर डाल लेते हैं इस सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना पर।

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इस सप्ताह का हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना 

अक्टूबर का यह सप्ताह 21 तारीख से प्रारंभ हो जाएगा और 27 अक्टूबर रविवार के दिन समाप्त होगा। बात करें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग की तो, 

21 अक्टूबर 2024 सोमवार, तिथि पंचमी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र रोहिणी, योग वारियान, अभिजीत मुहूर्त 11:42:50 से 12:28:06 तक 

22 अक्टूबर 2024 मंगलवार, तिथि षष्ठी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र आर्द्रा, योग परिघ, अभिजीत मुहूर्त 11:42:44 से 12:27:55 तक 

23 अक्टूबर 2024 बुधवार, तिथि सप्तमी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र पुनर्वसु, योग शिव, अभिजीत मुहूर्त कोई नहीं है 

24 अक्टूबर 2024 गुरुवार, तिथि अष्टमी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र पुष्य, योग साध्य, अभिजीत मुहूर्त 11:42:35 से 12:27:32 तक 

25 अक्टूबर 2024 शुक्रवार, तिथि नवमी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र पुष्य, योग शुभ, अभिजीत मुहूर्त 11:42:32 से 12:27:23 तक 

26 अक्टूबर 2024 शनिवार, तिथि दशमी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र अश्लेषा, योग शुक्ल, अभिजीत मुहूर्त 11:42:28 से 12:27:14 तक 

27 अक्टूबर 2024 रविवार, तिथि एकादशी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र मघा, योग ब्रह्मा, अभिजीत मुहूर्त 11:42:26 से 12:27:05 तक

इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत और त्योहार 

आइए अब जान लेते हैं कि 21 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के इस सप्ताह में कौन-कौन से व्रत और त्योहार किस-किस दिन किए जाने वाले हैं। 

21 अक्टूबर रोहिणी व्रत 

24 अक्टूबर अहोई अष्टमी, राधा कुंड स्नान, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

हम उम्मीद करते हैं कि इस सूची को ध्यान में रखते हुए आपसे इस सप्ताह का कोई भी महत्वपूर्ण दिन छूटेगा नहीं और यह त्यौहार आपके जीवन में तमाम खुशियां लेकर आएंगे।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

21 से 27 अक्टूबर के ग्रहण और गोचर 

अब बात करें इस सप्ताह में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर की तो उनके बारे में जानना इसलिए आवश्यक हो जाता है क्योंकि ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो इन ग्रहण और गोचर का हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव देखा जाता है। जब भी कोई ग्रह परिवर्तन करता है फिर चाहे वह राशि परिवर्तन हो, स्थिति परिवर्तन हो या नक्षत्र परिवर्तन हो तो इसका प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है। ऐसे में यह जानना बेहद आवश्यक हो जाता है कि कब कौन सा ग्रह गोचर करने वाला है। 

बात करें 21 से 27 अक्टूबर के बीच होने वाले ग्रहण और गोचर की तो, जहां एक तरफ इस सप्ताह में कोई भी ग्रहण नहीं लगेगा वहीं इस सप्ताह में एक अहम परिवर्तन होने वाला है जो की 22 अक्टूबर को होगा। इस दिन 18:58 पर तुला राशि में बुध उदित होने वाले हैं। स्वाभाविक सी बात है बुध उदित होकर सभी 12 राशियों को विशेष रूप से प्रभावित करेंगे। आपके जीवन पर उदित बुध का क्या प्रभाव पड़ेगा यह जानने के लिए अभी विद्वान ज्योतिषियों से संपर्क करें।

आज का गोचर

21 से 27 अक्टूबर 2024 विवाह मुहूर्त 

सनातन धर्म में विवाह जैसा मांगलिक कार्य हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। मान्यता है कि जब भी कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाए तो इससे उसकी शुभता बढ़ जाती है अन्यथा काम में परेशानी आने की संभावना रहती है। इसके अलावा एक और बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि गुरु और शुक्र कभी भी जब अस्त हो तब विवाह नहीं किया जाता है। अर्थात सनातन धर्म में तब विवाह मुहूर्त नहीं देखे जाते हैं। ऐसा ही कुछ मई और जून के महीने में हुआ था। इस दौरान शुक्र और गुरु अस्त थे इसलिए इन महीनों में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं था। 

हालांकि अक्टूबर के इस सप्ताह में विवाह मुहूर्त की बात करें तो यहां आपको दो विवाह मुहूर्त मिल रहे हैं एक है 21 अक्टूबर का दूसरा है 23 अक्टूबर का। इस दौरान आप विवाह संपन्न कर सकते हैं या आपके घर में अगर कोई विवाह योग्य है तो आप उनके विवाह की बात भी चला सकते हैं। अगर आप वर्ष 2025 में शुभ विवाह मुहूर्त की जानकारी जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें- विवाह मुहूर्त 2025

21 से 27 अक्टूबर 2024 बैंक अवकाश  

बैंक अवकाशों के बारे में जानकारी न होने के चलते कई बार हमसे गलती हो जाती है और बैंक से संबंधित हमारे जरूरी काम अटक जाते हैं। आपके साथ भी ऐसा ना हो इसीलिए लिए समय से पूर्व जान लेते हैं कि अक्टूबर के इस सप्ताह में क्या कोई बैंक अवकाश पड़ने वाला है या नहीं। बात करें 21 से 27 अक्टूबर के बीच पड़ने वाले बैंक अवकाशों की तो, इस सप्ताह में केवल एक ही बैंक अवकाश पड़ेगा जिसकी जानकारी हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं: 

26 अक्टूबर 2024, शनिवार- परिग्रहण दिवस इसका बैंक अवकाश जम्मू और कश्मीर में होगा।  

कुंडली में है राजयोग? राजयोग रिपोर्ट से मिलेगा जवाब

इस सप्ताह जन्मे मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी 

अपने इस आखिरी और सबसे खास सेगमेंट में हम बात करते हैं इस सप्ताह में पड़ने वाले लोगों के जन्मदिन के बारे में और साथ ही जानते हैं कि इस महीने या इस सप्ताह में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव कैसा होता है। अगर आप कभी जन्म 21 से 27 अक्टूबर के बीच में हुआ है और आप जानना चाहते हैं कि आपका मशहूर सितारों के साथ अपना जन्मदिन साझा करते हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं। अक्टूबर में जन्मे लोगों के व्यक्तित्व के बारे में बात करें तो, अक्टूबर के महीने में जन्म लेने वाले लोग बेहद ही दोस्ताना स्वभाव के होते हैं। इन्हें दूसरों की मदद करने में अच्छा लगता है। यह दयालु स्वभाव के होते हैं और अपने दोस्तों के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। इन्हें बच्चों के साथ रहना अच्छा लगता है यही वजह है आकर्षण गुणों वाले लोग अक्टूबर में पैदा होते हैं। 

उनके तमाम खास गुण होते हैं या आसपास के लोगों को प्रभावित करते हैं। इनका व्यक्तित्व बहुत ही चार्मिंग होता है, पॉजिटिव होता है और उनके अंदर टैलेंट कूट-कूट कर भरा होता है। इसकी वजह अपने जीवन में तमाम सफलता हासिल करते हैं। परिवार, दोस्तों, कार्य क्षेत्र और समाज में ऐसे लोगों को बहुत ही पसंद किया जाता है। इन लोगों की प्रकृति बेहद ही आदर्श स्वभाव की होती है। दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। इन्हें लोगों से बातचीत करना पसंद होता है। अब जान लेते हैं 21 से 27 अक्टूबर के बीच किन मशहूर सितारों का जन्मदिन भी पड़ने वाला है। 

21 अक्टूबर दुर्गेश कुमार 

22 अक्टूबर परिणीति चोपड़ा 

23 अक्टूबर मलाइका अरोड़ा 

24 अक्टूबर मल्लिका शेरावत

25 अक्टूबर सोनी राज़दान, कृतिका कामरा 

26 अक्टूबर रवीना टंडन 

27 अक्टूबर अनुराधा पौडवाल

यदि आप अपने फेवरेट सितारे की कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

एस्ट्रोसेज की तरफ से इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

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साप्ताहिक राशिफल 21 से 27 अक्टूबर 2024  

अब जानते हैं सभी बारह राशियों के जातकों के लिए यह सप्ताह क्या कुछ लेकर आने वाला है:

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
चंद्र राशि कैलकुलेटर

मेष साप्ताहिक राशिफल

स्वास्थ्य की दृष्टि से, ये सप्ताह आपकी सेहत के लिए सामान्य से थोड़ा बेहतर ही ….. (विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

 प्रेम जीवन में आ रही परेशानियां दूर होंगी, क्योंकि इस सप्ताह….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपनी दृष्टि में सकारात्मकता लेते हुए, जो धुंध आपके चारों तरफ़ छाई हुई है….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

प्रेम संबंधों की बात करें तो, आपकी राशि वालों को प्रेम जीवन में इस सप्ताह….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपनी अच्छी सेहत का उत्तम लाभ लेने के लिए, अपनी अतिरिक्त….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपका मन प्रेमी के साथ कुछ अच्छा समय व्यतीत करने का कर ….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

दूसरों के सफलता को सराहकर, आप इस सप्ताह सकारत्मक छवि का लुत्फ़ ले सकते हैं। इसके…. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपके जीवन में प्रेम और रोमांस, सही रफ़्तार पकड़ता दिखाई देगा। परंतु….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप समाज के कई बड़े लोगों से मुलाक़ात करने के लिए, अतिरिक्त प्रयास ….(विस्तार से पढ़ें)

सिंह प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपके रोमांटिक मनोभावों में अचानक आया यूँ बदलाव, आपको……(विस्तार से पढ़ें)

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1: 2024 में अहोई अष्टमी कब है?

इस वर्ष 24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाएगा।

2: अहोई अष्टमी का व्रत क्यूँ करते हैं?

अहोई अष्टमी का व्रत माताएँ अपनी संतान की लंबी आयु के लिए करती हैं। 

3: क्या अक्टूबर में कोई ग्रहण लगेगा?

नहीं, अक्टूबर में कोई भी ग्रहण नहीं लगने वाला है। 

मंगल का होगा कर्क राशि में गोचर, किन राशियों के जीवन में आएगा तूफान? जानें

मंगल का कर्क राशि में गोचर:  हम इस बात को भली-भांति जानते हैं कि ग्रहों की स्थिति, दशा एवं चाल में होने वाले परिवर्तन मनुष्य जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। इसी क्रम में, वैदिक ज्योतिष में मंगल नवग्रहों में सबसे उग्र ग्रह कहा जाता है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जुनून, मनोकामनाओं और पराक्रम आदि को नियंत्रित करते हैं। बता दें कि वैसे तो मंगल ग्रह एक नहीं अनेक नामों से जाने जाते हैं और इन नामों में ‘भौम पुत्र’ ‘कुजा’ और ‘लोहिता’ आदि भी शामिल हैं। लोहिता का अर्थ लाल रंग से है। हालांकि, अब मंगल ग्रह का जल्द ही गोचर होने जा रहा है जो कि 20 अक्टूबर 2024 को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको मंगल का कर्क राशि में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी। 

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ऐसे में, मंगल के कर्क राशि में प्रवेश का असर सभी राशियों समेत देश-दुनिया पर भी दिखाई दे सकता है। मंगल ग्रह का यह गोचर कुछ राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा,तो कुछ को अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। किस राशि के जातकों को इस अवधि में बरतनी होगी सावधानी और करियर, व्यापार एवं प्रेम जीवन में कैसे मिलेंगे परिणाम? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख के माध्यम से प्राप्त होंगे। साथ ही, कुंडली में मंगल को मज़बूत करने के लिए किन उपायों को करना होगा फलदायी, इससे भी हम आपको रूबरू करवाएंगे। तो चलिए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं मंगल गोचर का समय। 

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कब और किस समय होगा मंगल का गोचर?

लाल ग्रह और पराक्रम के ग्रह के नाम से विख्यात मंगल 20 अक्टूबर 2024 की दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं और अब इनकी राशि में मंगल ग्रह विराजमान रहेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इस राशि में मंगल ग्रह अपनी स्थिति में बदलाव करते हुए वक्री भी होंगे। कर्क राशि मंगल की नीच राशि है और ऐसे में, इनकी स्थिति कमज़ोर कही जाएगी। इसके फलस्वरूप,  मंगल ग्रह का नीच का होना राशियों को कुछ हद तक नकारात्मक परिणाम देने का काम कर सकता है। अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं मंगल ग्रह के ज्योतिष में महत्व पर। 

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मंगल 

मंगल महाराज को वैदिक ज्योतिष में शक्ति, साहस, क्रोध, उत्तेजना और सेना के कारक ग्रह माना जाता है। राशि चक्र में मंगल मेष और वृश्चिक राशि के अधिपति देव हैं। नक्षत्रों में इन्हें चित्रा, मृगशिरा और धनिष्ठा नक्षत्र पर आधिपत्य प्राप्त है। बात करें मंगल के उच्च और नीच राशि की, तो मकर राशि में मंगल ग्रह उच्च के होते हैं और कर्क राशि में नीच के हो जाते हैं। हालांकि, जहाँ सूर्य, शुक्र, चंद्रमा  और बुध जैसे बड़े ग्रहों का गोचर हर महीने होता है, वहीं मंगल देव को एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जाने में लगभग 45 दिनों का समय लगता है। 

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वैदिक ज्योतिष में मंगल को उग्र स्वभाव का ग्रह माना जाता है जो कि युद्ध के देवता और सेनापति के नाम से जाने जाते है। हमारे जीवन में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई एवं भूमि आदि के प्रमुख माने गए हैं। यह एक पुरुष प्रधान ग्रह हैं जिन्हें अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। मनुष्य जीवन में मंगल ऊर्जा को बढ़ाने का काम करते हैं और इसके फलस्वरूप, कोई व्यक्ति आपके कार्य को अपनी पूरी शक्ति और क्षमता के साथ करता हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल मज़बूत स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के स्वभाव में निडरता और साहस दिखाई देता है और इस वजह से वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। इसके अलावा, मंगल दोष के लिए भी मंगल ग्रह ही जिम्मेदार होता है। 

जीवन को कैसे प्रभावित करता है मंगल?

हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि मनुष्य जीवन में मंगल ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में, कुंडली में मंगल ग्रह का शुभ स्थिति में होना बेहद जरूरी होता है। जिन जातकों की कुंडली में इनकी स्थिति कमज़ोर या अशुभ होती है, उन्हें अपने जीवन में अनेक तरह की परेशानियों या समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में जब मंगल मजबूत होता है, परंतु अशुभ होता है, तो यह जातक को अपराधी बनाने का काम कर सकता है। 

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इसके विपरीत, जिन जातकों की कुंडली में मंगल महाराज मजबूत होते हैं, तब वह व्यक्ति को सेना में भर्ती करवा सकते हैं और देश की सेवा में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, इनके बलवान होने पर भूमि और जमीन से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होती है। व्यक्ति को अपने जीवन में भूमि, भवन और मकान का अभाव नहीं होता है। मंगल ग्रह के बलवान होने पर शत्रु आपसे जीतने में समर्थ नहीं होते हैं।     

कुंडली में कमज़ोर मंगल कैसे पहचाने?

  • जिन जातकों की कुंडली में मंगल पीड़ित होता है, उन्हें ब्लड प्रेशर, गुर्दे में पथरी, फोड़े-फुंसी, गठ‍िया आदि स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं। 
  • शादीशुदा लोगों का जीवन कमज़ोर मंगल होने पर अशांति या कलह से भर जाता है या फिर शादी टूटने की भी संभावना होती है। 
  • किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष की मौजूदगी विवाह में देरी की वजह बनती है। 
  • व्यक्ति के जीवन पर मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव होने से संतान प्राप्ति की राह में समस्याएं बनी रहती हैं। 
  • मंगल का पीड़ित या कमज़ोर होना आपको कानून या फिर कोर्ट-कचहरी के चक्करों में फंसाने का काम कर सकता है। साथ ही, करीबी आपको धोखा दे सकते हैं। 

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कुंडली में मज़बूत मंगल के लक्षण 

  • कुंडली में मज़बूत मंगल वाले लोग बेहद दृढ़ निश्चयी होते हैं और यह एकदम से उत्साहित नहीं होते हैं। यह जातक अपना लक्ष्य पाने तक बिना रुके और हार माने आगे बढ़ते रहते हैं। 
  • शुभ मंगल के प्रभाव से व्यक्ति हमेशा आत्मविश्वास से भरा रहता है और दूसरों के सामने अपने मन की बात बिना घबराए रख देते हैं। साथ ही, ऐसे लोग अपने लिए आवाज़ बुलंद करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।
  • जिन जातकों का मंगल ग्रह बलवान होता है, उनके व्यक्तित्व में साहस कूट-कूटकर भरा होता है इसलिए अक्सर, यह जातक बहादुर होते हैं और जोख़िम उठाने से डरते नहीं हैं।  
  • इन लोगों के स्वभाव में प्रतिस्पर्धा के भाव देखने को मिलते हैं और इसके परिणामस्वरूप, इन्हें खुद को या फिर दूसरों को चुनौती देते हुए देखा जा सकता है।  
  • कुंडली में मंगल महाराज के बलवान होने पर व्यक्ति ऊर्जावान और भावुक होता है। ऐसे में, यह जातक हर काम में आगे रहते हैं। 

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इन सरल उपायों से मिलेगा मंगल ग्रह का आशीर्वाद 

  • मंगल ग्रह के लिए मंगलवार के दिन व्रत करना शुभ साबित होता है। 
  • यदि आपकी कुंडली में मंगल कमज़ोर होता है, तो मंगलवार के दिन स्नान करें और लाल रंग के कपड़े पहनें। इसके पश्चात, मंगल देव के मंत्र ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’ का जाप करें। 
  • मंगलवार के दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को भोजन करवाने से मंगल के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है। 
  • कुंडली में मंगल के दुर्बल अवस्था में होने पर मूंगा रत्न धारण करना शुभ रहता है, परन्तु ऐसा करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें। 
  • हनुमान जी को मंगलवार के दिन चमेली का तेल मिलाकर सिंदूर चढ़ाएं और इसके बाद, संकटमोचन को चोला भी अर्पित करें। 

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए मंगल महाराज आपके पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों की कुंडली में मंगल देव को सातवें और बारहवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल महाराज आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब मंगल का कर्क राशि में गोचर आपके … (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके पहले/लग्न … (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क राशि में… (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए मंगल देव आपके तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल कर्क राशि में गोचर करके…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके दसवें भाव में…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में मंगल देव आपके पहले/लग्न भाव और छठे भाव के स्वामी हैं। अब इनका…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए मंगल ग्रह आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क राशि में…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

मकर राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके ग्यारहवें और चौथे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके सातवें… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों के लिए मंगल देव आपके तीसरे और दसवें भाव के अधिपति देव हैं। अब मंगल का कर्क राशि में… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

मीन राशि वालों की कुंडली में मंगल महाराज आपके दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके पांचवें… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मंगल ग्रह का गोचर कितने दिनों में होता है?

ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह लगभग 45 दिन के बाद अपनी राशि परिवर्तन करते हैं।

कर्क राशि के स्वामी कौन हैं?

राशि चक्र की चौथी राशि कर्क के स्वामी ग्रह चंद्र देव हैं। 

मंगल का कर्क राशि में गोचर कब होगा?

कर्क राशि में मंगल का गोचर 20 अक्टूबर को होगा।

पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें रखेंगी करवा चौथ का व्रत, जानें सही तिथि

पति की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सनातन धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। हर साल सुहागन महिलाओं को करवा चौथ व्रत का इंतजार बड़ी उत्सुकता से रहता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य देकर व्रत पारण करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके गणपति और करवा माता की पूजा करती हैं। कुछ जगहों पर कुंवारी कन्याएं या वे लड़कियां जिनकी शादी तय हो चुकी है, वे भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है।

इसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक जल, अन्न और फल कुछ नहीं खाया जाता है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं साल 2024 में करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा। चंद्र अर्घ्य समय क्या है और करवा चौथ व्रत का महत्व क्या है और इसके उपाय आदि।

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करवा चौथ 2024: तिथि व समय

करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा। करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ चतुर्थी का दिन। करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू: 20 अक्टूबर 2024 की सुबह 06 बजकर 48 मिनट से

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2024 की सुबह 04 बजकर 18 मिनट तक।

करवा चौथ पूजा समय: शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 06 बजकर 54 मिनट तक। 

अवधि: 1 घंटा 08 मिनट

करवा चौथ व्रत समय: सुबह 06 बजकर 25 मिनट से रात 07 बजकर 54 मिनट तक (अवधि 13 घंटे 29 मिनट)

करवा चौथ 2024 चंद्रोदय समय 

20 अक्टूबर 2024 की रात 07 बजकर 53 मिनट पर चांद निकलेगा। हालांकि, शहर के अनुसार चंद्रोदय समय अलग हो सकता है। चांद की पूजा के बिना ये व्रत अधूरा है।

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करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का सनातन धर्म में विशेष महत्व है, विशेष रूप से उत्तर भारत में। यह पर्व सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी यानी व्रत के लिए भोजन ग्रहण करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं, यानी जल और भोजन का त्याग करती हैं। वे दिन भर भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करती हैं। शाम को कथा सुनने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं। यह व्रत पति द्वारा पानी पिलाने के बाद पूरा होता है।

करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इसे पतिव्रता धर्म और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को और अधिक मजबूत करता है। करवा चौथ का व्रत माता पार्वती और भगवान शिव की उपासना से जुड़ा है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती की तरह अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है। 

करवा चौथ पूजन सामग्री और पूजा विधि

करवा चौथ पर पूजन सामग्री और पूजा विधि का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले पूजा विधि और पूजन में इस्तेमाल करने वाली सामग्री के बारे में।

करवा चौथ पूजन सामग्री

  • मिट्टी या पीतल का करवा, इसमें पानी भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
  • माता पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए पीली मिट्टी या गाय का गोबर। 
  •  पूजा के समय आरती करने के लिए दीपक, धूप, अगरबत्ती।
  • अर्घ्य देने के लिए पानी का लोटा।
  • सुहागिनों के लिए पूजन में अनिवार्य सिंदूर और कुमकुम शामिल करें।
  • पूजा के दौरान तिलक और अर्पण के लिए रोली और चावल।
  • श्रृंगार सामग्री में हल्दी व मेहंदी।
  • प्रसाद के रूप में फल और मिठाई।
  • चावल, गेहूं, चना।
  • पूजा के समय पहनने के लिए साड़ियां और अन्य वस्त्र।
  • चंद्र दर्शन और पूजा के समय के लिए चलनी और दीया।
  • नारियल, मिष्ठान, गंगाजल।

करवा चौथ पूजा विधि

  • व्रत का प्रारंभ सूर्योदय से पहले होता है। व्रती महिलाएं सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं और उसके बाद दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं।
  • महिलाएं करवा चौथ के दिन श्रृंगार करती हैं और पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और करवा की मूर्ति या चित्र स्थापित करती हैं।
  • पूजा स्थल पर पहले माता पार्वती की पूजा की जाती है। उन्हें सिंदूर, कुमकुम, हल्दी, चावल, फूल आदि चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद करवा को पूजते हैं और उसमें चावल, पानी और कुछ धन अर्पित करते हैं।
  • पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कथा सुनने के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है।
  • चंद्रमा के उदय के बाद महिलाएं चलनी में दीपक रखकर पहले चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति को। इसके बाद चंद्रमा को जल से अर्घ्य दिया जाता है और पति द्वारा व्रत तोड़ने के लिए पानी पिलाया जाता है।
  • अंत में महिलाएं अपने पति का आशीर्वाद लेती हैं और प्रसाद ग्रहण करती हैं।

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करवा चौथ के दिन क्या करें क्या न करें

  • करवा चौथ के व्रत के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत अधिक आवश्यक होता है ताकि व्रत का फल पूरी तरह प्राप्त हो सके। तो आइए जानते हैं इस दिन क्या करें और क्या न करें।

करवा चौथ के दिन क्या करें

  • सरगी (सास द्वारा दी गई भोजन सामग्री) का सेवन सूर्योदय से पहले करें, ताकि दिनभर ऊर्जा बनी रहे।
  • इस दिन बिना पानी और अन्न का सेवन किए निर्जला व्रत रखना चाहिए। हालांकि, स्वास्थ्य कारणों से आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से आप फलाहार या पानी ले सकते हैं।
  • करवा चौथ के दिन माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और करवा की पूजा विधिपूर्वक करें। पूजा में करवा, दीपक, रोली, चावल, मिष्ठान और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनना आवश्यक होता है। इससे व्रत का महत्व बढ़ता है और व्रत की विधि पूरी मानी जाती है।
  • इस दिन स्त्रियों के लिए सोलह श्रृंगार करना शुभ माना जाता है।
  • व्रत के अंत में पति का आशीर्वाद लें और उनसे प्रेम और सम्मान के साथ व्यवहार करें।

करवा चौथ पर क्या न करें

  • व्रत के दौरान पानी या भोजन का सेवन न करें, जब तक स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या न हो।
  • इस दिन शांति और संयम बनाए रखें। किसी से विवाद या क्रोध करने से व्रत का फल कम हो सकता है।
  • मन में नकारात्मक विचार न लाएं। करवा चौथ का व्रत प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, इसलिए सकारात्मक सोच रखें।
  • इस दिन अपने शब्दों का ध्यान रखें और किसी के साथ अपशब्दों का प्रयोग न करें।

करवा चौथ पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

करवा चौथ की व्रत कथा के अनुसार, प्राचीन समय में वीरवती नाम की एक सुंदर और धर्मपरायण स्त्री थी। वह सात भाइयों की अकेली बहन थी। शादी के बाद उसने करवा चौथ का पहला व्रत रखा। लेकिन व्रत के दौरान उसे भूख और प्यास से कमज़ोरी महसूस होने लगी। यह देखकर उसके भाइयों को बहुत दुख हुआ और उन्होंने छल से पेड़ पर एक दीपक जलाकर चंद्रमा का आभास कराया। 

वीरवती ने उसे देखकर व्रत तोड़ दिया। लेकिन जैसे ही उसने अन्न ग्रहण किया, उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। वह बहुत दुखी हुई और माता पार्वती से प्रार्थना करने लगी। माता पार्वती ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे करवा चौथ व्रत की पूर्ण विधि बताई और उसके पति को पुनः जीवित कर दिया। तब से ही करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है, और इसे सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए करती हैं।

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करवा चौथ के दिन राशि अनुसार करें उपाय

करवा चौथ पर राशि अनुसार उपाय करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाई जा सकती है। तो आइए बिना देरी किए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले आसान राशि अनुसार उपायों के बारे में।

मेष राशि: हनुमानजी की उपासना करें और मंगलवार का व्रत रखें। लाल रंग का रुमाल हमेशा अपने पास रखें।

वृषभ राशि: मां लक्ष्मी की पूजा करें और शुक्रवार को सफेद वस्त्र धारण करें।

मिथुन राशि: बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करें और हरे रंग की चीजें दान करें।

कर्क राशि: शिवलिंग पर जल अर्पित करें और सफेद वस्त्र धारण करें। 

सिंह राशि: सूर्य को जल चढ़ाएं और सोने का आभूषण पहनें। साथ ही, रविवार का व्रत रखें।

कन्या राशि: बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करें और बुधवार को हरे वस्त्र धारण करें।

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तुला राशि: शुक्र को प्रसन्न करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करें और शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें।

वृश्चिक राशि: मंगल ग्रह के लिए भगवान हनुमान की पूजा करें और इस दिन लाल वस्त्र पहनें।

धनु राशि: बृहस्पति की कृपा के लिए पीले वस्त्र पहनें और गुरुवार का व्रत रखें।

मकर राशि: शनिदेव की पूजा करें और शनिवार को काले तिल का दान करें।

कुंभ राशि: शनिवार को शनिदेव की पूजा करें और काले वस्त्र धारण करें।

मीन राशि: पीले वस्त्र पहनें और बृहस्पति देव की पूजा करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. साल 2024 में करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा?

करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा।

2. करवा चौथ का महत्व क्या है?

यह पर्व सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।

3. करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा?

20 अक्टूबर 2024 की रात 07 बजकर 53 मिनट पर चांद निकलेगा। हालांकि शहर के अनुसार चंद्रोदय समय अलग हो सकता है। चांद की पूजा के बिना ये व्रत अधूरा है।

4. करवा चौथ का मतलब क्या होता है?

करवा शब्द का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है। चौथ का शाब्दिक अर्थ चतुर्थी है।

टैरो साप्ताहिक राशिफल (20 से 26 अक्टूबर, 2024): इन राशियों के जीवन से दूर होंगे आर्थिक संकट!

टैरो साप्ताहिक राशिफल 20 से 26 अक्टूबर 2024: टैरो कार्ड एक प्राचीन विद्या है जिसका उपयोग भविष्य जानने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही टैरो कार्ड रीडर और रहस्यवादियों द्वारा अंतर्ज्ञान प्राप्त करने और किसी विषय की गहराई तक पहुँचने के लिए होता रहा है। यदि कोई व्यक्ति बेहद आस्था और विश्वास के साथ मन में उठ रहे सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए आता है, तो टैरो कार्ड की दुनिया आपको हैरान कर सकती है। बहुत से लोग मानते हैं कि टैरो एक मनोरंजन का साधन है और इसे ज्यादातर मनोरंजन के रूप में देखते हैं। 

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साल 2024 के दसवें महीने अक्टूबर का यह सप्ताह यानी कि टैरो साप्ताहिक राशिफल 20 से 26 अक्टूबर 2024 अपने साथ क्या कुछ लेकर आएगा? यह जानने से पहले हम टैरो कार्ड के बारे में बात करेंगे। आपको बता दें कि टैरो की उत्पति आज से 1400 वर्ष पहले हुई थी और इसका सबसे पहला वर्णन इटली में मिलता है। शुरुआत में टैरो को ताश के रूप में राजघरानों की पार्टियों में खेला जाता था। हालांकि, टैरो कार्ड का वास्तविक उपयोग 16वीं सदी में यूरोप के कुछ लोगों द्वारा किया गया जब उन्होंने जाना और समझा कि कैसे 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है, उसी समय से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया। मध्यकाल में टैरो को जादू-टोना से जोड़कर देखा जाने लगा और इसके परिणामस्वरूप आम लोगों ने भविष्य बताने वाली इस विद्या से दूरी बनाना सही समझा। 

लेकिन टैरो कार्ड का सफर यही थमा नहीं और इसने कुछ दशकों पहले पुनः प्रसिद्धि प्राप्त की जब दुनिया के सामने इसे एक भविष्य बताने वाली विद्या के रूप में पहचान मिली। भारत समेत दुनियाभर में टैरो की गिनती भविष्यवाणी करने वाली महत्वपूर्ण विद्याओं में होती है और अंत में टैरो कार्ड वह सम्मान पाने में सफल हुआ है जिसका वह हक़दार था। तो आइए अब इस साप्ताहिक राशिफल की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि अक्टूबर का यह सप्ताह यानी कि 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक का समय सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहने की संभावना है?

टैरो साप्ताहिक राशिफल 20 से 26 अक्टूबर, 2024: राशि अनुसार राशिफल

मेष राशि

प्रेम जीवन: सिक्स ऑफ वैंड्स

आर्थिक जीवन: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स 

करियर: एट ऑफ वैंड्स

स्वास्थ्य: सिक्स ऑफ स्वॉर्ड्स

मेष राशि के जातकों के लिए सिक्स ऑफ वैंड्स कार्ड अनुकूल कार्ड प्रतीत हो रहा है, जो उपलब्धि और सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। यदि आप किसी रिश्ते में हैं तो यह कार्ड दर्शा रहा है कि आप दोनों के बीच चीजें अच्छी चलेंगी और सफलतापूर्वक आप दोनों रिश्ते में आगे बढ़ेंगे। हालांकि, यह कार्ड आम तौर पर रिश्तों के लिए अनुकूल है, लेकिन ऐसी परिस्थितियां भी आ सकती हैं, आप में अहंकार की भावना विकसित हो जाए क्योंकि यह कार्ड अहंकार और अशांत प्रेम का प्रतीक भी हो सकता है।

आर्थिक जीवन में, टेन ऑफ स्वॉर्ड्स वित्तीय आपदा का संकेत देता है। ऐसे में, आपको अपने पैसे खर्च करने के तरीके में सावधानी बरतने की ज़रूरत है। आपके द्वारा लिया गया एक गलत वित्तीय कदम वह सब कुछ नष्ट कर सकता है जिसके लिए आपने इतनी मेहनत की है। निवेश करने से पहले सोच-विचार करें और जहां आप निवेश कर रहे हैं उसकी पूरी जांच करें।

एट ऑफ वैंड्स कार्ड दर्शा रहा है कि मेष राशि के जातक इस अवधि करियर और धन के मामले में तेजी से प्रगति करेंगे। आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इस अवधि आपके सारे प्रयास सफल होंगे।

स्वास्थ्य के लिहाज़ में, सिक्स ऑफ स्वॉर्ड्स इस बारे में बात करता है कि आप इस समय जिस स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, उससे आपको धीरे-धीरे राहत मिल रही है। हो सकता है कि आपने स्वास्थ्य के मामले में मुश्किल समय का सामना किया हो, लेकिन अब आप इससे उबर जाएँगे।

भाग्यशाली क्रिस्टल: कार्नेलियन

वृषभ राशि 

प्रेम जीवन: द एम्परर

आर्थिक जीवन: फोर ऑफ पेंटाकल्स 

करियर: नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स (रिवर्सड)

स्वास्थ्य: व्हील ऑफ फॉर्च्यून (रिवर्सड) 

प्रेम जीवन में द एम्परर कार्ड दर्शा रहा है कि आपका प्रेमी आपको कितना महत्व देता है। यदि आप सिंगल हैं तो इस सप्ताह बहुत से लोग आपसे संपर्क करना चाहेंगे। यह कार्ड एक मजबूत रिश्ते का संकेत दे रहा है। यही नहीं यह कार्ड संकेत दे रहा है कि आपके परिवार में नन्हा मुन्ना मेहमान आ सकता है।

फोर ऑफ़ पेंटाकल्स आर्थिक जीवन के लिए बहुत अधिक अनुकूल कार्ड प्रतीत हो रहा है। यह वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है, जो भविष्यवाणी कर रहा है कि इस सप्ताह आप अपने प्रयासों के बेहतर परिणाम प्राप्त करेंगे। आपने जो सावधानीपूर्वक और अपनी मेहनत से निवेश किया है, उसका बेहतरीन परिणाम आपको इस अवधि में प्राप्त होगा। अब आप आराम से बैठकर अच्छे पलों का आनंद ले सकते हैं। 

करियर में नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स (रिवर्सड) कार्ड अवसरों के हाथ से निकलने या नियंत्रण से बाहर होने का संकेत दे रहा है। यह कार्ड आपको अपने कार्य में धीमा परिणाम देने का संकेत दे रहा है। साथ ही, सुझाव दे रहा है कि आपको अपने काम का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता हो सकती है।

व्हील ऑफ़ फ़ॉर्च्यून (रिवर्सड) कार्ड स्वास्थ्य के लिए अनुकूल कार्ड प्रतीत नहीं हो रहा है। यह संकेत दे रहा है कि इस सप्ताह आपको स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और उसे प्राथमिकता दें।

भाग्यशाली क्रिस्टल: कायनाइट

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मिथुन राशि

प्रेम जीवन: द लवर

आर्थिक जीवन: किंग ऑफ कप्स 

करियर: पेज़ ऑफ स्वॉर्ड्स 

स्वास्थ्य: फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स 

मिथुन राशि के जातकों के प्रेम जीवन की बात करें, तो यह अवधि आपके लिए शानदार रहेगी। आप अपने साथी के साथ कुछ बेहतरीन समय बिताएंगे और एक-दूसरे के साथ बेहतरीन समय का आनंद लेंगे। आपको अपने रिश्ते को और अधिक गहरा करने के लिए बहुत अधिक समय होगा और आप एक-दूसरे का सम्मान करेंगे।

आर्थिक जीवन को देखें, तो किंग ऑफ कप्स कह रहा है कि इन जातकों के पास अपने बिलों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पैसा होगा और ऐसे में, आप जीवन आराम से बिताते हुए दिखाई देंगे। हालांकि, आप अपने पैसों को मैनेज बहुत सोच-विचार कर करेंगे। साथ ही, परिस्थितियों को बेहतर करने के उद्देश्य से आप एक बजट का निर्माण करेंगे। इसके फलस्वरूप, यह हफ़्ता आराम से बीतेगा और आपको किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पेज ऑफ स्वॉर्ड्स को चाहे कितना भी नकारात्मक कार्ड माना जाएगा। लेकिन, करियर के लिए इस कार्ड को हम सकारात्मक कहेंगे। इस सप्ताह करियर के संबंध में आपके विचारों में स्पष्टता देखने को मिलेगी। संभव है कि इस दौरान आपको नई-नई चीज़ें सीखने का मौका मिले और आपको नई जिम्मेदारियां मिलने की संभावना है।

फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स स्वास्थ्य के मामले में संकेत दे रहा है कि इस सप्ताह आप थका हुआ महसूस कर सकते हैं और आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आशंका है कि आपकी ऊर्जा भी धीरे-धीरे कम हो चुकी है। आप बहुत अधिक चिंतित और परेशान महसूस कर सकते हैं।

भाग्यशाली क्रिस्टल: फ़िरोज़ा

कर्क राशि

प्रेम जीवन: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स

आर्थिक जीवन: जस्टिस 

करियर: द चैरियट

स्वास्थ्य: टू ऑफ स्वॉर्ड्स

कर्क राशि के जातकों के प्रेम जीवन की बात करें, तो यह कार्ड संकेत दे रहा है कि आप अभी-अभी किसी टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर आए हैं या उससे बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे लेकर आप काफी परेशान हो सकते हैं और आपको यह समय काफी मुश्किल भरा लग रहा हो। लेकिन, याद रखें कि हर रात के बाद सुबह होती है। आपके अच्छे दिन बस आने ही वाले हैं और आप जल्दी ही इन तमाम चीज़ों से उबरने में सक्षम होंगे।

जस्टिस कार्ड आर्थिक जीवन में आपको याद दिलाता है कि इस सप्ताह आपको सोच-समझकर और कम मात्रा में धन खर्च करना चाहिए। तभी खर्च करना चाहिए जब आपको जरूरत लगें। यह कार्ड आपको फिज़ूलखर्ची करने से रोकता है।

करियर को लेकर द चैरियट कार्ड भविष्यवाणी करता है कि आप इस सप्ताह पदोन्नति का इंतज़ार कर रहे होंगे। अच्छी बात यह है कि आपका इंतजार खत्म होगा और आपको उच्च पद की प्राप्ति होगी। इस अवधि के दौरान आपका करियर तेज़ी से आगे बढ़ेगा और आप खूब तरक्की करेंगे।

स्वास्थ्य के मोर्चे पर टू ऑफ स्वॉर्ड्स कुछ मानसिक तनाव के मुद्दों की ओर संकेत कर रहे हैं। ऐसे में, आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द डॉक्टर से राय लेनी चाहिए और अपना उपचार करवाना चाहिए।

भाग्यशाली क्रिस्टल: मूनस्टोन

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सिंह राशि

प्रेम जीवन: नाइट ऑफ कप्स

आर्थिक जीवन: द मून

करियर: द हैरोफ़न्ट 

स्वास्थ्य: सिक्स ऑफ कप्स

यदि आप किसी रिश्ते में हैं तो नाइट ऑफ़ कप्स भविष्यवाणी करता है कि आपको शादी का नया प्रस्ताव मिल सकता है या आप किसी से कमिटेड हो सकते हैं। इस कार्ड का अर्थ यह भी हो सकता है कि आप अपने साथी के प्रति अत्यधिक कोमल, भावुक और संवेदनशील हैं।

द मून कार्ड आपको आवेगपूर्ण निवेश या इस सप्ताह कोई वित्तीय निर्णय लेने से पहले सावधान रहने की सलाह देता है। यह कार्ड सतर्क कर रहा है कि कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले सभी आवश्यक जानकारी के बारे में जान लें। यदि आप इस सप्ताह जल्दबाजी में कोई निर्णय लेंगे तो आपको हानि हो सकती है और आपके करीबी लोग आपका पैसा हड़पने की कोशिश कर सकते हैं। इस अवधि किसी पर भरोसा न करें।

करियर में, द हैरोफ़न्ट एक ऐसा कार्ड है जो सुरक्षा और आराम का प्रतिनिधित्व करता है। यह दर्शाता है कि कार्यक्षेत्र में आपके कामकाज का माहौल खुशनुमा होगा और आप अपने काम को लेकर बहुत खुश है। फिलहाल आप अभी नई नौकरी की तलाश नहीं करना चाहते हैं या न ही करियर में बदलाव करना चाहते हैं।

स्वास्थ्य के लिहाज़ में सिक्स ऑफ़ कप्स संकेत देता है कि कोई पुरानी चोट या बीमारी फिर से उभर सकती है, जो आपके लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और चिंताओं का संकेत है।आपको सलाह दी जाती है कि जैसे ही आपको कोई लक्षण दिखने लगें, तुरंत डॉक्टर के पास चेकअप करवाने जरूर जाएं।

भाग्यशाली क्रिस्टल: सिट्रीन

कन्या राशि 

प्रेम जीवन: थ्री ऑफ वैंड्स

आर्थिक जीवन: सिक्स ऑफ कप्स 

करियर: द मैजिशियन

स्वास्थ्य: सेवेन ऑफ कप्स

कन्या राशि के जातकों को प्रेम जीवन में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में थ्री ऑफ वैंड्स कार्ड प्राप्त हुआ है, जो संकेत दे रहा है कि आप इस सप्ताह जुनून, ऊर्जा से भरे रहेंगे। आप दोनों के बीच शानदार सामंजस्य देखने को मिलेगा और अच्छी तरह से आपका रिश्ता आगे बढ़ेगा।

आर्थिक जीवन की बात करें तो आप इस सप्ताह जरूरतमंदों की मदद करने और चैरिटी को दान करेंगे। यह कार्ड इस बात का भी संकेत दे रहा है कि आपको जल्द ही पैतृक संपत्ति से लाभ होने वाला है या घर का कोई सदस्य आपको उपहार के रूप में पैसा दे सकता है।

करियर की बात करें, तो द मैजिशियन कार्ड दर्शा रहा है कि इस अवधि आपको नए अवसर प्राप्त होंगे और आप तेज़ी से आगे बढ़ेंगे। चूँकि मैजिशियन अभिव्यक्ति का कार्ड है, इसलिए यदि आपके पास अपने लक्ष्यों का पालन करने की इच्छा और दृढ़ संकल्प है, तो आप संभवतः अपने काम में सफल होंगे। 

सेवेन ऑफ कप्स टैरो कार्ड यह सुझाव दे सकता है कि आप खुद पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल रहे हैं और एक बार में बहुत ज़्यादा काम कर रहे हैं, जिसके चलते आप थका हुआ महसूस कर रहे हैं। इस वजह से आप बीमार या किसी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। यह कार्ड मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी प्रतीक हो सकता है।

भाग्यशाली क्रिस्टल: अमेज़ोनाइट

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तुला राशि

प्रेम जीवन: द टॉवर

आर्थिक जीवन: टू ऑफ वैंड्स (रिवर्सड)

करियर: नाइट ऑफ वैंड्स

स्वास्थ्य: किंग ऑफ स्वॉर्ड्स

द टॉवर कार्ड तुला राशि के जातकों के प्रेम जीवन के बारे में भविष्यवाणी करता है कि इस सप्ताह आपके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। इस सप्ताह कमज़ोर नींव वाले रिश्ते बहुत लंबे समय तक नहीं टिकेंगे और खत्म हो सकते हैं। भले ही शुरू में आपको इस रिश्ते को खोने का दुख हो लेकिन, ये नए अनुभव आपको प्रदान करेंगे। अगर इस हफ़्ते आपका रिश्ता टूट जाता है, तो जान लें कि यह आपके भले के लिए है।

आर्थिक जीवन में रिवर्स टू ऑफ वैंड्स (रिवर्सड) सुझाव देता है कि आपको अपनी वित्तीय स्थिति पर नज़र रखनी होगी क्योंकि यह कार्ड बताता है कि इस अवधि आपकी वित्तीय स्थिति थोड़ी अस्थिर होने वाली है।

करियर की बात करें तो, नाइट ऑफ वैंड्स नई शुरुआत का प्रतीक है, जो संकेत दे रहा है कि इस महीने आप अपनी नौकरी में बदलाव कर सकते हैं या किसी साइड प्रोजेक्ट की शुरुआत कर सकते हैं। इस दौरान आप ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करेंगे और नए-नए अनुभव देखने को मिलेंगे। कार्यक्षेत्र में आप पूरे उत्साह से काम करेंगे।

स्वास्थ्य के लिहाज से, किंग ऑफ स्वॉर्ड्स दर्शाता है कि सामान्य सर्दी और फ्लू आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं, लेकिन कोई बड़ी समस्या आपको परेशान नहीं करेगी।

भाग्यशाली क्रिस्टल: लेपिडोलाइट

वृश्चिक राशि

प्रेम जीवन: टू ऑफ कप्स

आर्थिक जीवन: फाइव ऑफ पेंटाकल्स

करियर: नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स

स्वास्थ्य: क्वीन ऑफ स्वॉर्ड्स

वृश्चिक राशि के जातकों को प्रेम के संदर्भ में टू ऑफ कप्स का कार्ड मिला है जो आपको अपने जीवनसाथी से मिलने के संकेत दे रहा है। यह कार्ड रोमांटिक रिश्तों से परे किसी भी रिश्ते में प्रशंसा और शांति के आदान-प्रदान की ओर भी इशारा करता है। टू ऑफ कप्स दो व्यक्तियों के बीच के प्यार के प्रवाह को दर्शाता है फिर यह दो व्यक्ति आपस में दोस्त हो सकते हैं, परिवार की कोई सदस्य हो सकते हैं या फिर रोमांटिक पार्टनर्स भी हो सकते हैं।

फाइव ऑफ पेंटाकल्स वृश्चिक राशि के जातकों को बड़े आर्थिक संकट के लिए चेतावनी दे रहा है जिसका सामना आपको भविष्य में करना पड़ सकता है। यह कार्ड संकेत दे रहा है कि आप किसी बड़ी आर्थिक समस्या में घिर सकते हैं इसलिए अभी से धन की बचत करना शुरू कर दें और धन बहुत सोच-समझकर व योजना बनाकर खर्च करें।

नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स इस बात का प्रतिनिधित्व करता है कि जीत उसी की होती है जो सर्वश्रेष्ठ होता है यानी कि करियर के क्षेत्र में आपका सारा ध्यान अपने लक्ष्यों को हासिल करने पर होगा। अपनी मेहनत और प्रयासों के बल पर आप उन्हें पूरा भी करेंगे।

क्वीन ऑफ़ स्वॉर्ड्स भविष्यवाणी कर रहा है कि इस महीने आपकी सेहत शानदार रहेगी जो कि आपको राहत देगी। सुनिश्चित करें कि आप अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश करते रहेंगे।

भाग्यशाली क्रिस्टल: सोडालाइट

धनु राशि

प्रेम जीवन: थ्री ऑफ पेंटाकल्स

आर्थिक जीवन: द एम्परर  

करियर: सिक्स ऑफ कप्स

स्वास्थ्य: टू ऑफ पेंटाकल्स (रिवर्सड)

यदि आप सिंगल हैं, तो थ्री ऑफ़ पेंटाकल्स संकेत दे रहा है कि आपके मन में किसी के लिए भावनाएं उत्पन्न हो सकती है। इसका यह भी अर्थ हो सकता है कि कार्यक्षेत्र में या कॉलेज में आपकी मुलाकात किसी ख़ास व्यक्ति से हो सकती है, जिसके साथ आप डेटिंग कर सकते हैं। थ्री ऑफ़ पेंटाकल्स यह भी संकेत दे रहा है कि आप अपने रिश्ते में प्रेम के साथ आगे बढ़ेंगे।

आर्थिक जीवन में द एम्परर कार्ड संकेत दे रहा है कि आपको अपने धन को बहुत ही समझदारी और सोच समझकर प्रबंधित करने की आवश्यकता है। आपको इस बात के प्रति सचेत रहना चाहिए कि आपका पैसा कहां जा रहा है और आप कितना खर्च कर रहे हैं। अपने खर्च पर उचित नियंत्रण बनाए रखें। 

करियर के क्षेत्र में सिक्स ऑफ़ कप्स एक भाग्यशाली कार्ड माना जाता है। यह रचनात्मकता, टीमवर्क और दयालुता का प्रतिनिधित्व करता है। यह कार्ड संकेत दे रहा है कि आप अपने रचनात्मक प्रयासों से करियर में तेज़ी से आगे बढ़ेंगे। यह बच्चों या युवा लोगों के साथ काम करने का भी संकेत दे सकता है।

स्वास्थ्य के मामले में, टू ऑफ पेंटाकल्स (रिवर्सड) सुझाव दे रहा है कि आप अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में खुद पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल रहे हैं, जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। एक साथ बहुत सी चीज़ों को संतुलित करने की कोशिश करने से बहुत ज़्यादा तनाव और चिंतित हो सकते हैं, जो आपको शारीरिक रूप से बीमार कर सकता है।

भाग्यशाली क्रिस्टल: पुखराज

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मकर राशि

प्रेम जीवन: द हाई प्रीस्टेस

आर्थिक जीवन: फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स

करियर: द मैजिशियन

स्वास्थ्य: किंग ऑफ वैंड्स

प्रेम जीवन में हाई प्रीस्टेस एक आध्यात्मिक मिलन का संकेत है। यह कार्ड दर्शा रहा है कि आप और आपका पार्टनर या एक दूसरे के विपरीत होंगे या बिल्कुल एक समान होंगे। जो विपरीत है वह एक दूसरे को आगे तरक्की के मार्ग पर ले जाएंगे। साथ ही, एक दूसरे के अपने रहस्य को छिपा नहीं पाएंगे बल्कि यह कार्ड रहस्या को छिपाने वाला कार्ड है। आप दोनों बहुत निजी तरीके से जीवन जीना पसंद करते हैं।

आर्थिक जीवन में फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स संकेत दे रहा है कि इस सप्ताह कुछ लोग आपका फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं या आपसे ज़रूरत से ज़्यादा ले सकते हैं। यह कार्ड कभी-कभी यह भी संकेत दे सकता है कि अभी आपकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर है। ऐसे में आपको सोच-समझकर खर्च करने की आवश्यकता होगी।

मकर राशि के जातकों के करियर की बात करें तो, यह संकेत दे रहा है कि आपके आस-पास अवसर होंगे और यदि आप तेज़ी से आगे बढ़ेंगे, तो आप इनका लाभ उठाने में सक्षम होंगे। यह कार्ड आपको अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ता से आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने की बात कह रहा है। 

किंग ऑफ वैंड्स स्वास्थ्य के लिए एक अनुकूल कार्ड है, जो जीवन शक्ति और उत्कृष्ट स्वास्थ्य को दर्शाता है। आपके पास स्वस्थ जीवनशैली जीने के लिए आवश्यक प्रेरणा और उत्साह है। लेकिन कभी-कभी आराम करना और खुद को बहुत अधिक दबाव में डालने से बचने की आवश्यकता होगी।

भाग्यशाली क्रिस्टल: गार्नेट

कुंभ राशि

प्रेम जीवन: द हैंग्ड मैन (रिवर्सड)

आर्थिक जीवन: फाइव ऑफ वैंड्स

करियर: द वर्ल्ड 

स्वास्थ्य: पेज़ ऑफ पेंटाकल्स 

कुंभ राशि के जातकों के प्रेम जीवन में द हैंग्ड मैन (रिवर्सड) संकेत दे रहा है कि अब आपकी प्रतीक्षा अवधि समाप्त हो चुकी है और निजी जीवन में आत्मनिरीक्षण का दौर शुरू हो सकता है। अब आप नई समझ के साथ के आगे बढ़ेंगे और खुद में बदलाव लेकर आएंगे।

आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो आशंका है कि आप अस्थिर वित्तीय स्थिति से गुजर रहे हो। हालांकि यह कुछ समय की बात है, लेकिन आपको इससे बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना होगा। यदि अभी चीजें सही चल रही है, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि जल्द ही आपको वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है या किसी के साथ पैसे को लेकर तीखी बहस हो सकती है। यह विवाद किसी अजनबी, जैसे स्टोर क्लर्क या सहायक के साथ हो सकता है, या यह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हो सकता है जिसे आप प्यार करते हैं।

करियर के लिए यह अवधि बहुत अधिक शानदार साबित होगी। इस सप्ताह यदि आप अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, कोई विशेष रूप से कठिन असाइनमेंट पूरा करना चाहते हैं या ऐसी नौकरी पाना जाते हैं, जिससे आपको संतुष्टि प्राप्त हो तो वह सब पूरा होगा। यह वह समय है जब आप अपनी कड़ी मेहनत का जश्न मनाएंगे। आप शायद आगे की सोच कर चिंतित हो सकते हैं पर चिंता की बात नहीं हैं आगे आने वाला समय भी आपके लिए बेहतर होगा।

स्वास्थ्य के लिहाज़ से, पेज ऑफ़ पेंटाकल्स संकेत दे रहा है कि आपको अपनी उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता और आप इस अवधि युवा और स्वस्थ महसूस करेंगे। यह कार्ड बताता है कि यदि आप इसी तरह अपने स्वास्थ्य का ध्यान देंगे तो आप हर समस्याओं का सामना आसानी से करने में सक्षम होंगे।

भाग्यशाली क्रिस्टल: ओनिक्स

मीन राशि

प्रेम जीवन: ऐस ऑफ वैंड्स

आर्थिक जीवन: द स्टार

करियर: क्वीन ऑफ स्वॉर्ड्स 

स्वास्थ्य: फोर ऑफ स्वॉर्ड्स

मीन राशि के जातकों के प्रेम जीवन की बात करें तो ऐस ऑफ वैंड्स एक नए चरण की शुरुआत का संकेत दे रहा है, जैसे सगाई, शादी करना या परिवार बसाना। यदि आप सिंगल हैं तो इस सप्ताह आप एक साहसी कदम उठा सकते हैं या किसी के सामने अपने दिल की बात कह सकते हैं।

आर्थिक जीवन के लिहाज़ से द स्टार अपराइट कार्ड यह संकेत देता है कि आपकी आर्थिक स्थिति बहुत अधिक शानदार है या आप अपने वित्त में जो भी बाधाएं हैं, उन्हें दूर करने में सक्षम होंगे। आपके पास जो कुछ भी है, उसके लिए आप आभारी है। आपकी सकारात्मकता और आत्मविश्वास आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी सहायता करेगी।

जिन जातकों का खुद का व्यवसाय है, उनके लिए क्वीन ऑफ स्वॉर्ड्स अच्छे संचार, विवेक का प्रतीक है। यह कार्ड भविष्यवाणी करता है कि आपके कार्यक्षेत्र में एक बड़ी उम्र की महिला आपकी सहायता करेगी और उसकी मदद से आप तेजी से आगे बढ़ेंगे।

स्वास्थ्य के लिहाज़ से फोर ऑफ स्वॉर्ड्स संकेत देता है कि आपको अपने व्यस्त कार्यक्रम से छुट्टी लेनी चाहिए और अपने शरीर को आराम देना चाहिए क्योंकि थकान को दूर करने के लिए यह बहुत जरूरी है।

लकी क्रिस्टल: रेड जैस्पर

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- टैरो की उत्पत्ति कहाँ हुई?

टैरो कार्ड की उत्पत्ति यूरोप के कुछ हिस्सों, खासकर इटली में ताश के खेल के रूप में हुई।

2- टैरो की उत्पत्ति कब हुई?

लगभग 1400 के आसपास टैरो की उत्पत्ति हुई।

3- भविष्य कथन के लिए टैरो ने कैसे लोकप्रियता हासिल की?

जब कुछ रहस्यवादियों ने कार्ड के चित्रों में इसकी शक्तियों और अर्थों को देखना शुरू किया, तब टैरो भविष्यवाणी का एक साधन बन गया।