सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर से होगा बेहद दुर्लभ योगों का निर्माण, शत्रुओं पर मिल सकेगी विजय!

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर से होगा बेहद दुर्लभ योगों का निर्माण, शत्रुओं पर मिल सकेगी विजय!

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: सूर्य महाराज को ज्योतिष और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। एक तरफ, इन्हें नवग्रहों के राजा कहा जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ, सूर्य देव को मनुष्य जीवन का स्रोत माना गया है क्योंकि इनके बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

ऐसे में, सूर्य ग्रह की राशि और स्थिति में होने वाला हर बदलाव भी विशेष मायने रखता है क्योंकि यह मानव जीवन के साथ-साथ संसार को भी गहराई से प्रभावित करता है। अब जल्द ही पुनः इनकी राशि में परिवर्तन होने जा रहा है और इसी क्रम में, सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं। 

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको “सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, सूर्य की राशि में होने वाला प्रत्येक परिवर्तन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न आयामों जैसे व्यापार, करियर, प्रेम, वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य आदि को प्रभावित करेगा जिसके बारे में भी हम विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर की तिथि और समय पर। 

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बता दें कि सूर्य देव को सभी नवग्रहों में जनक का पद प्राप्त है, यह बात हम सभी भली-भांति जानते हैं लेकिन क्यों? इसके पीछे की सबसे प्रमुख वजह है कि सूर्य देव पूरे संसार को अपनी रोशनी से जीवन देते हैं और इनके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। इसके अलावा, सभी ग्रह शनि से लेकर बुध ग्रह तक सूर्य की परिक्रमा करते हैंक्योंकि यह ऊर्जा के मुख्य  स्रोत हैं। साथ ही, सभी नवग्रहों में केवल सूर्य ही ऐसे ग्रह हैं जो कभी भी उदित, अस्त, वक्री और मार्गी नहीं होते हैं और सदैव गोचर करते हैं।

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: तिथि और समय 

नवग्रहों के राजा सूर्य का गोचर विशेष महत्व रखता है जो हर 30 दिन यानी कि लगभग हर महीने में राशि परिवर्तन करते हैं। प्रत्येक 30 दिनों के बाद एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में चले जाते हैं  और अब यह 16 नवंबर 2025 की दोपहर 01 बजकर 26 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

बता दें कि वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल देव हैं और ऐसे में, सूर्य देव मंगल की राशि में एक माह रहेंगे जिसका प्रभाव देश-दुनिया में दिखाई देगा। इस प्रकार, सूर्य ग्रह वृश्चिक राशि में बैठकर अनेक तरह के योगों और युतियों का निर्माण करेंगे। साथ ही, इनकी यह स्थिति कुछ राशियों के भाग्य को भी बदलने का काम भी कर सकती है। आइए अब हम जान लेते हैं और सूर्य गोचर से बनने वाले योगों और युतियों के बारे में। 

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वृश्चिक राशि में सूर्य के साथ युति करेंगे मंगल और बुध

 जैसे कि हम आपको बताते आए हैं कि ग्रहों की राशि में होने वाले बदलाव या यूं कहें कि ग्रहों के गोचर से अनेक युतियां निर्मित होती हैं जो आपको शुभ और अशुभ दोनों तरह के परिणाम प्रदान करती है। अगर हम बात करें सूर्य गोचर की, तो जब सूर्य महाराज 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय वहां पहले से बुद्धि के कारक बुध और ग्रहों के सेनापति के नाम से प्रसिद्ध मंगल देव मौजूद होंगे। ऐसे में, सूर्य, बुध और मंगल की युति से बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग और शत्रुहंता योग निर्मित होगा। 

बुधादित्य और शत्रुहंता योग का प्रभाव 

सामान्य शब्दों में कहें तो, सूर्य और मंगल योग से बनने वाला शत्रुहंता योग की सहायता से जातक अपने शत्रुओं को हरा पाएंगे। साथ ही, यह योग सरकारी नौकरी करने वाले जातकों के लिए बहुत शुभ रहेगा। इसके विपरीत, सूर्य-बुध की युति से बनने वाला बुधादित्य योग का प्रभाव कमज़ोर रहेगा क्योंकि एक तो बुध अस्त और वक्री अवस्था में होंगे और दूसरा, वृश्चिक राशि में बुध अपने शत्रु मंगल के साथ बैठे होंगे जिसके चलते यह आपको शुभ परिणाम देने में नाकाम रह सकते हैं।

अब हम आपको अवगत करवाते हैं ज्योतिष में सूर्य ग्रह के महत्व से।         

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रह 

  • नवग्रहों के जनक कहे जाने वाले सूर्य महाराज अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बलवान स्थिति में विराजमान होते हैं, तो यह जातक को जीवन में सभी क्षेत्रों में संतुष्टि, उत्तम सेहत और मजबूत एवं तेज़ मस्तिष्क का आशीर्वाद देते हैं। 
  • जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव का शुभ प्रभाव होता है, उन्हें कार्यों में सकारात्मक परिणाम के साथ-साथ जीवन में अपार सफलता की प्राप्ति होती है। 
  • साथ ही, यह आपको सही निर्णय लेने में भी सहायता करते हैं जिससे आप जीवन में तेज रफ़्तार से आगे बढ़ने में सक्षम होते हैं। 
  • वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को मान-सम्मान, नेतृत्व क्षमता और उच्च पद का कारक ग्रह माना जाता है। 
  • अगर आप पर सूर्य देव मेहरबान होते हैं, उन्हें यह नेतृत्व करने की मजबूत क्षमता प्रदान करते हैं। 
  • ऐसे जातक आध्यात्मिकता और ध्यान में विशेष महारत हासिल करते हैं। 
  • इसके विपरीत, जब सूर्य देव राहु या केतु और मंगल जैसे ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं, तब व्यक्ति को जीवन में अनेक समस्याओं और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
  • सूर्य ग्रह के पीड़ित, अशुभ या दुर्बल अवस्था में होने पर व्यक्ति हृदय और नेत्रों से जुड़ी समस्याओं से परेशान रह सकता है। 
  • साथ ही, सूर्य के अशुभ प्रभाव के चलते जातक का स्वभाव गुस्सैल, आत्म केंद्रित, ईर्ष्यालु और अहंकारी हो सकता है। 

चलिए नज़र डालते हैं सूर्य ग्रह के शुभ और अशुभ प्रभाव पर।

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: कमज़ोर सूर्य का प्रभाव  

  • ऐसे लोग जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, वह व्यक्ति घमंडी हो सकता है और उसमे आत्मविश्वास की कमी दिखाई दे सकती है।
  • इसके अलावा, अशुभ सूर्य के प्रभाव से जातक के मान सम्मान में कमी आती है। साथ ही, वह हिंसक प्रवृत्ति का हो सकता है। 
  • सूर्य देव के दुष्प्रभाव से व्यक्ति गुस्सैल, स्वार्थी और दूसरों के प्रति जलन के भाव रखने वाला हो सकता है। 
  • सूर्य के पिता के कारक होने के नाते जातक को पिता या पितातुल्य व्यक्ति से साथ नहीं मिलता है और उनके साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। 
  • ऐसा व्यक्ति नौकरी में समस्या, कानूनी विवाद और स्वास्थ्य से जुड़े रोगों से परेशान रह सकता है। 

अगर आप अपनी कुंडली में सूर्य की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं, तो सूर्य देव के कुंडली के छठे, आठवें, बारहवें भाव में किसी नीच ग्रह के साथ बैठे होने को कमजोर स्थिति माना जाएगा। 

आइए अब हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं सूर्य ग्रह को मज़बूत करने के उपायों से। 

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान करें ये उपाय 

  • सूर्य देव को बलवान करने के लिए अपने से बड़ों का आदर करें और निस्वार्थ भाव से बुजुर्गों की सेवा करें। साथ ही, आप ज्यादा से ज्यादा केसरिया या लाल रंग के कपड़े पहनें।
  • प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। संभव हो, तो दाहिने हाथ में तांबे का कड़ा धारण करें। 
  • रविवार के दिन तांबा, गुड़ और गेहूं का दान करें। इसके अलावा, आप गेहूं का आटा चींटियों को खिलाएं। 
  • रविवार के दिन सूर्य देव के लिए व्रत करें और नमक का सेवन न करें।  
  • प्रतिदिन सूर्य देव अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से सूर्य ग्रह शुभ फल प्रदान करते हैं। 

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

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मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का … (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए, सूर्य आपको चौथे भाव के … (विस्तार से पढ़ें) 

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए, सूर्य तीसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य… (विस्तार से पढ़ें) 

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए, सूर्य दूसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए, सूर्य पहले भाव के स्वामी हैं. सूर्य… (विस्तार से पढ़ें)  

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए, सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य… (विस्तार से पढ़ें) 

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए, सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें)  

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए, सूर्य दसवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें)  

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए, सूर्य नौवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए, सूर्य आठवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए, सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य का… (विस्तार से पढ़ें) 

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए, सूर्य छठे भाव के स्वामी हैं। सूर्य का … (विस्तार से पढ़ें) 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर कब होगा?

सूर्य देव 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। 

वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है?

राशि चक्र की आठवीं राशि वृश्चिक के स्वामी मंगल देव हैं। 

सूर्य एक राशि में कितने दिन रहते हैं?

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह एक राशि में लगभग 30 दिन तक रहते हैं।

उत्पन्ना एकादशी 2025 पर इस एक अचूक उपाय से संभव होगा हर काम

उत्पन्ना एकादशी 2025 पर इस एक अचूक उपाय से संभव होगा हर काम

उत्पन्ना एकादशी 2025: उत्पन्ना एकादशी का पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल एक विशेष दिन मनाया जाता है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है। यह दिन विशेष रूप से श्री विष्णु की उपासना, उपवासी और साधना के लिए समर्पित होता है। इस दिन का महत्व इस बात में है कि इसे उत्पन्न के नाम से भी जाना जाता है, जो यह दर्शाता है कि भगवान श्री विष्णु का ध्यान और उपासना करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

उत्पन्ना एकादशी के दिन लोग व्रत रखते हैं, विशेष पूजा अर्चना करते हैं और पूरे दिन भगवान के भजन कीर्तन में लगे रहते हैं। इस दिन का पालन करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम उत्पन्ना एकादशी 2025 व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।

उत्पन्ना एकादशी 2025: तिथि और समय

उत्पन्ना एकादशी 2025 इस बार 15 नवंबर 2025, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। 

एकादशी तिथि प्रारम्भ: नवम्बर 15, 2025 की मध्यरात्रि 12 बजकर 51 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: नवम्बर 16, 2025 की मध्यरात्रि 02 बजकर 39 मिनट तक

उत्पन्ना एकादशी पारण मुहूर्त : 16 नवंबर की दोपहर 01 बजकर 08 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 15 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय : 09:11:38 पर 16, नवंबर को

उत्पन्ना एकादशी 2025 का महत्व

उत्पन्ना एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से अत्यंत गहरा महत्व है। यह एकादशी भगवान श्री विष्णु को समर्पित होती है और माना जाता है कि इसी दिन एकादशी देवी का जन्म हुआ था। उत्पन्ना एकादशी का महत्व इस बात में निहित है कि यह व्रत आत्मसंयम, भक्ति और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक माना जाता है। यह दिन व्यक्ति को अपने जीवन में सदाचार, संयम और भगवान के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है। 

उत्पन्ना एकादशी को व्रत और उपवास के माध्यम से मन, वचन और कर्म की शुद्धि का अवसर माना जाता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक विचारों का संचार होता है। धार्मिक दृष्टि से यह एकादशी उन लोगों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है, जो एकादशी व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं, क्योंकि इसे सभी एकादशियों का आरंभिक बिंदु कहा गया है।

इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है तथा मानसिक स्थिरता और आत्मबल बढ़ता है। यह व्रत व्यक्ति को सांसारिक मोह से दूर रखकर आत्मिक शांति की ओर अग्रसर करता है। उत्पन्ना एकादशी के पालन से मनुष्य के जीवन में पवित्रता, धर्मनिष्ठा और ईश्वर के प्रति आस्था दृढ़ होती है।

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उत्पन्ना एकादशी 2025 की पूजा विधि

  • एक दिन पहले (दशमी को) सात्विक भोजन करें। रात्रि में जल्दी सोएं और ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
  • भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  • दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • पुष्प, चंदन, धूप, दीप, फल, तुलसीदल और पंचामृत अर्पित करें।
  • उत्पन्ना एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें। विष्णु जी की आरती करें: “ॐ जय जगदीश हरे…”
  • दिनभर भजन, कीर्तन, ध्यान में लगे रहें। अनाज, दाल, चावल, लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
  • फलाहार या निर्जल व्रत रखें (शक्ति अनुसार)। रात्रि में जागरण करें और भगवान का स्मरण करते रहें।
  • द्वादशी के दिन सुबह भगवान विष्णु की दोबारा पूजा करें।
  • ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को भोजन व दान दें।
  • जल और तुलसी अर्पित कर व्रत का पारण करें (फल या दूध से)।

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उत्पन्ना एकादशी 2025 की पौराणिक कथा

एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और उसकी महिमा क्या है? तब श्रीकृष्ण ने कहा- हे राजन! यह एकादशी उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी जाती है क्योंकि इसी दिन एकादशी देवी का जन्म हुआ था। यह व्रत सबसे पहले मैंने स्वयं किया था और इसके पालन से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। त्रेता युग में ‘मुर’ नाम का एक अत्यंत शक्तिशाली और दुष्ट राक्षस था। उसने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर देवताओं को पराजित कर दिया था। उसके आतंक से तीनों लोक त्रस्त हो गए थे। 

तब सभी देवता भगवान विष्णु के शरण में पहुंचे और उनसे विनती की कि वे मुर राक्षस का अंत करें। भगवान विष्णु ने देवताओं को आश्वासन दिया और मुरासुर से युद्ध करने के लिए निकले। यह युद्ध दस हज़ार वर्षों तक चला, परंतु मुर अत्यंत बलशाली था और किसी भी प्रकार से पराजित नहीं हो रहा था। थक जाने पर भगवान विष्णु बदरिकाश्रम की एक गुफा में विश्राम करने लगे। 

तभी मुर राक्षस वहां पहुंच गया और सोते हुए भगवान विष्णु पर हमला करने की तैयारी करने लगा। उसी समय भगवान के शरीर से एक अत्यंत तेजस्वी देवी प्रकट हुईं। वह देवी बहुत ही दिव्य रूप वाली थीं और हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण किए थीं। देवी ने मुर राक्षस से भीषण युद्ध किया और उसे उसी क्षण मार डाला। जब भगवान विष्णु की आंखें खुलीं, तो उन्होंने उस देवी को देखा और अत्यंत प्रसन्न होकर कहा- हे देवी! तुमने मेरे शत्रु का वध किया है, अतः तुम संसार में एकादशी नाम से प्रसिद्ध होगी।

तुम्हारा तुम्हारा प्राकट्य आज के ही दिन हुआ है, इसलिए आज के ही दिन हुआ है, इसलिए यह तिथि उत्पन्ना एकादशी कहलाएगी। जो भी भक्त इस दिन व्रत रखेगा, वह सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करेगा।

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उत्पन्ना एकादशी 2025 के दिन करें ये अचूक उपाय

उत्पन्ना एकादशी 2025 पर मनोबल और सुरक्षा के लिए

इस दिन प्रात: स्नान के बाद भगवान हनुमान की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। यदि संभव हो तो ऊं हनुमते नमः मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करें। इससे भय मानसिक कमजोरी और नकारात्मकता दूर होती है। हनुमान जी की कृपा से मनोबल बढ़ता है और व्यक्ति को हर संकट से सुरक्षा प्राप्त होती है।

आर्थिक समृद्धि के लिए

उत्पन्ना एकादशी की रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। यह उपाय धन संबंधित रुकावटों को दूर करता है और घर में स्थायी लक्ष्मी का वास कराता है।

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नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए

इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल छिड़कें और कपूर जलाकर पूरे घर में घुमाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और वातावरण में शुद्धता आती है। इस उपाय के बाद घर में मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

उत्पन्ना एकादशी 2025 पर स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए

उत्पन्ना एकादशी पर तिल, आंवला या तुलसी का दान करें। साथ ही भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें और ऊं नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें। यह उपाय शरीर से रोगों को दूर करता है और लंबी, स्वस्थ आयु का आशीर्वाद दिलाता है।

उत्पन्ना एकादशी 2025 पर दांपत्य सुख के लिए

इस दिन पति-पत्नी मिलकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें पीले फूल, पीले वस्त्र और तुलसी अर्पित करें। शाम को दीपदान करें और ऊं लक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करें। इससे दांपत्य संबंधों में प्रेम, विश्वास और सुख बढ़ता है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

इस साल यह एकादशी 15 नवंबर, शनिवार के दिन पड़ रही है।

उत्पन्ना एकादशी कब मनाई जाती है?

उत्पन्ना एकादशी हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में आती है। यह एकादशी कार्तिक पूर्णिमा के बाद और अमावस्या से पहले पड़ती है।

उत्पन्ना एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?

यह एकादशी उस दिन मनाई जाती है जब एकादशी देवी का जन्म हुआ था, जिन्होंने भगवान विष्णु की सहायता कर राक्षस मुर का वध किया था। इसे एकादशी व्रतों की जननी कहा जाता है और इसका पालन करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त: किसे होगा फायदा और किसे होगा नुकसान?

बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त: किसे होगा फायदा और किसे होगा नुकसान?

बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त: वैदिक ज्‍योतिष में प्रत्‍येक ग्रह केवल आकाश में घूमने वाला पिंड नहीं है बल्कि यह एक ऊर्जा और प्रतीकात्‍मक शक्‍ति का प्रतिनिधित्‍व करते हैं जो पृथ्‍वी पर जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती है जैसे कि विचार, संबंध, धन और स्‍वास्‍थ्‍य आदि।

सभी खगोलीय पिंडों में बुध अपनी तेज बुद्धि, तार्किक रूप से स्‍पष्‍ट होने और संचार कौशल के लिए एक विशेष स्‍थान रखता है। जब बुध ग्रह किसी राशि में अस्‍त होता है, तब उसकी शक्‍ति एवं स्‍पष्‍टता में कमी देखने को मिल सकती है जिससे भ्रम, गलतफहमियां और मानसिक अशांति पैदा हो सकती है।

नवंबर 2025, में बुध ग्रह रहस्‍यों की प्रतीक वृश्चिक राशि में अस्‍त होने जा रहे हैं। यह गहन परिवर्तनकारी चरण होगा जिसमें हमारे सोचने, बोलने और दूसरों से जुड़ने के तरीके पर प्रभाव देखने को मिलेगा।

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बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त को समझने के लिए हमें पहले बुध के प्रतीकात्‍मक अर्थ, वैदिक ज्‍योतिष में अस्‍त की अवधारणा और वृश्चिक राशि के स्‍वभाव को गहराई से समझना होगा। एस्‍ट्रोसेज एआई के इस ब्‍लॉग में हम बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त के बारे में विस्‍तार से जानेंगे। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं बुध इस राशि में कब अस्‍त होंगे।

बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त: तिथि और समय

वैदिक ज्‍योतिष में बुध बुद्धि, तर्क, बातचीत और विश्‍लेष्‍णात्‍मक सोच को दर्शाता है। यह वाणी, तर्क, बदलाव को स्‍वीकार करने और विचारों को अच्‍छी तरह से व्‍यक्‍त करने का प्रतीक है। बुध के प्रभाव से पता चलता है कि व्‍यक्‍ति के सीखने की क्षमता क्‍या है, वह किस तरह से बात करता है और दूसरों के साथ उसका व्‍यवहार कैसा है। अब 15 नवंबर को सुबह 03 बजकर 01 मिनट पर बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त हो जाएंगे।

बुध एक राशि में चौदह दिनों से लेकर एक महीने तक गोचर करते हैं। हर बार बुध एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं और इसका प्रभाव हम कैसे सोचते हैं, सीखते हैं और बात करते हैं, इस पर पड़ता है। बुध का अस्‍त होना अक्‍सर स्‍पष्‍टता और निर्णय लेने में बाधा उत्‍पन्‍न करता है, साथ ही यह आत्‍मनिरीक्षण करने का अवसर भी देता है।

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वैदिक ज्‍योतिष में बुध ग्रह

बुध बुद्धि, संचार, विवेक और विश्‍लेष्‍णात्‍मक कौशल का कारक है। हम किस तरह से किसी जानकारी को ग्रहण करते हैं, निर्णय कैसे लेते हैं और अपने विचारों को किस तरह से व्‍यक्‍त करते हैं, यह सब बुध पर निर्भर करता है। नवग्रहों में बुध को तटस्‍थ ग्रह के रूप में जाना जाता है और यह अपने से संबंधित भाव और ग्रहों के गुणों को ग्रहण करता है।

ज्‍योतिष में बुध मिथुन और कन्‍या राशि के स्‍वामी हैं। मिथुन राशि संचार और जिज्ञासा से जुड़ी हुई है, तो वहीं कन्‍या राशि सटीकता, व्‍यवस्‍था और बुद्धि का कारक है। बुध तीसरे आर छठे भाव के स्‍वामी भी हैं जो कि संचार, विश्‍लेषण और सेवा से संबंधित है। सप्‍ताह में बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित होता है और इसका रंग हरा एवं रत्‍न पन्‍ना है।

जन्‍म कुंडली में बुध तर्क, विवेक, व्‍यापार चलाने की कुशलता, वाणी, लेखन और बदलाव को स्‍वीकार करने को दर्शाता है। बुध के मजबूत होने पर व्‍यक्‍ति अपने विचारों को लेकर स्‍पष्‍ट होता है, बोलने में निपुण होता है, उसमें दूसरों को प्रेरित करने का कौशल होता है और वह सही निर्णय लेने में सक्षम होता है। जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत होता है, वे कोई भी नई चीज़ या कार्य जल्‍दी सीख लेते हैं, स्‍पष्‍ट बात करते हैं और विवेकशील विचारक होते हैं।

वृश्चिक राशि: बदलाव का प्रतीक

बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त को समझने के लिए पहले वृश्चिक राशि को समझना होगा। इस राशि के स्‍वामी ग्रह मंगल हैं और वृश्‍चिक जल तत्‍व की राशि है जिसका संबंध रहस्‍य, जुनून और बदलाव से होता है। यह मनुष्‍य की छिपी हुई भावनाओं को दर्शाती है। वृश्चिक राशि रहस्‍य, गहराई, जांच-पड़ताल करने और पुर्नजन्‍म का कारक है।

भले ही सच कंफ्यूज़न या दर्द की परतों में छिपा हो, यह राशि सत्‍य की खोज करने का प्रतीक है। जिनकी कुंडली में वृश्चिक राशि मजबूत होती है, वे गंभीर, दृढ़ निश्‍चयी और भावनात्‍मक रूप से संवेदनशील होते हैं। हालांकि, ये रहस्‍य और नियंत्रण रखने वाले या आंतरिक संघर्ष से भी ग्रस्‍त हो सकते हैं।

जब बुध वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है, तब बुद्धि और भावनाओं का मिलन होता है। तर्क मन की आवाज़ के साथ विलीन हो जाता है। व्‍यक्‍ति और ज्‍यादा गहराई से सोचने लगता है, ज्‍यादा जांच-पड़ताल करने लगता है। उसकी प्रेरणा, निर्णय या व्‍यवहार भावनाओं, विचारों, इच्‍छाओं, डर या मन से प्रभावित होते हैं। शब्‍दों में भावनात्‍मक शक्‍ति बढ़ जाती है और बातचीत तर्क पर कम आधारित होती है और उनके अंदर कोई अर्थ छिपा होता है।

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वैदिक ज्‍योतिष में अस्‍त का क्‍या मतलब होता है?

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार जब कोइ ग्रह सूर्य के बहुत ज्‍यादा नज़दीक आ जाता है, तब उस ग्रह को अस्‍त माना जाता है। चूंकि, सूर्य का तेज बहुत ज्‍यादा प्रबल होता है और जो भी ग्रह इसके पास आता है, वह अपनी प्राकृतिक शक्‍ति खोने लगता है और आकाश में अदृश्‍य हो जाता है।

यह दर्शाता है कि सूर्य की ऊर्जा उसके नज़दीक आने वाले ग्रहों के गुणों पर हावी हो रही है। कोई ग्रह किस डिग्री पर अस्‍त होगा, यह हर ग्रह के लिए अलग-अलग होता है। बुध सूर्य के सबसे नज़दीक वाला ग्रह है और अक्‍सर सूर्य से 14 डिग्री के अंदर आने पर अस्‍त हो जाता है।

जब बुध ग्रह अस्‍त होता है, तो यह अपनी शक्‍ति को खोने लगता है। इससे बातचीत करने में दिक्‍कत आती है, गलत निर्णय लिए जा सकते हैं, बेचैनी होती है और गलतफहमियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। मन बेचैन हो उठता है या बहुत ज्‍यादा विश्‍लेष्‍णात्‍मक हो जाता है। ऐसे में मानसिक संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।

ज्‍योतिष के अनुसार अस्‍त होने से बुध की शक्‍ति पूरी तरह से खत्‍म नहीं होती है बल्कि यह इसकी अभिव्‍यक्‍ति को बदल देता है। बुद्धि पर अहंकार का प्रभाव पड़ता है क्‍योंकि स्‍वयं सूर्य अहंकार का 

प्रतिनिधित्‍व करते हैं और व्‍यक्‍ति आवेग में आकर बात करने लगता है, जल्‍दबाज़ी में निर्णय ले सकता है या उसके लिए भावनाओं से तर्कसंगत विचारों को अलग करना मुश्किल हो जाता है।

कुंडली में बुध के मजबूत होने को बहुत ज्‍यादा शुभ माना जाता है और यह बुद्धि, संचार कौशल एवं विश्‍लेषणात्‍मक कौशल को बढ़ाने का काम करता है।

जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत होता है, उनके अंदर निम्‍न विशेषताएं देखने को मिल सकती हैं:

  • स्‍पष्‍ट, तर्कसंगत और जल्‍दी सोच-विचार करने वाले होते हैं।
  • इनका संचार कौशल और दूसरों को प्रेरित करने वाली उत्‍कृष्‍ट वाणी होती है।
  • इनकी याद्दाश्‍त बहुत तेज होती है और ये अलग-अलग परि‍स्थितियों को स्‍वीकार करने में सक्षम होते हैं।
  • इनकी मुश्किल विषयों खासतौर पर लेखन, गणित और व्‍यवसाय पर मजबूत पकड़ होती है।
  • मोलभाव, विश्‍लेषण और समस्‍याओं को सुलझाने की प्रतिभा होती है।
  • निर्णय लेते समय शांत और निष्‍पक्ष रहते हैं।

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कुंडली में कमजोर या पीड़ित बुध के संकेत

बुध के कमजोर या पीड़ित होने पर खासतौर पर अशुभ ग्रहों जैसे कि राहु, केतु या शनि के प्रभाव में होने पर मानसिक स्‍पष्‍टता और संचार बाधित हो सकता है। ऐसे जातकों को निम्‍न चुनौतियां देखनी पड़ सकती हैं:

  • विचारों को व्‍यक्‍‍त करने में घबराहट, निर्णय लेने में दिक्‍कत और आत्‍मविश्‍वास में कमी होती है।
  • दूसरों के साथ बार-बार गलतफहमियां हो सकती हैं।
  • जरूरत से ज्‍यादा सोचते हैं या मानसिक रूप से बेचैन रहते हैं।
  • बोलकर विचारों को व्‍यक्‍त करने में कठिनाई होती है।
  • एकाग्रता क्षमता और याद्दाश्‍त कमजोर हो जाती है और अव्‍यवस्‍था रहती है।
  • व्‍यक्‍ति खुद पर बहुत ज्‍यादा संदेह करने लगता है या बहुत ज्‍यादा या बहुत कम बोलता है।

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बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त के दौरान करें ये ज्‍योतिषीय उपाय

  • रोज़ खासतौर पर बुधवार के दिन ‘ॐ बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करें। इससे बुध के सकारात्‍मक प्रभाव को मजबूती मिलती है।
  • भगवान विष्‍णु या भगवान गणेश की पूजा करें। इससे कंफ्यूज़न दूर होती है और मानसिक स्‍पष्‍टता आती है।
  • बुधवार के दिन हरी चीज़ें जैसे कि मूंग दाल, हरी सब्जियां या बच्‍चों को स्‍टेशनरी की चीज़ें दान करें।
  • अपने काम करने की जगह को साफ और व्‍यवस्थित रखें। एकाग्रता को बढ़ाने के लिए वहां पर एक छोटा-सा हरे रंग का पौधा लगाएं।
  • जब तक बुध अस्‍त है, तब तक महत्‍वपूर्ण वित्तीय या संचार संबंधी निर्णय लेने से बचें।

बुध वृश्चिक राशि में अस्‍त: राशि अनुसार प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब इस राशि के आठवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके सातवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। इस…विस्‍तार से पढ़ें

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके छठे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। इसके…विस्‍तार से पढ़ें

कर्क राशि

बुध ग्रह कर्क राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी हैं और अब बुध आपके छठे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। आपके…विस्‍तार से पढ़ें

सिंह राशि

सिंह राशि के दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके चौथे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। बुध वृश्चिक राशि में…विस्‍तार से पढ़ें

कन्या राशि

कन्या राशि के दूसरे और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके तीसरे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। बुध वृश्चिक राशि में…विस्‍तार से पढ़ें

तुला राशि

तुला राशि के नौवें और बाारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके दूसरे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। बुध वृश्चिक राशि में…विस्‍तार से पढ़ें

वृश्चिक राशि

इस राशि के आठवें और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके पहले भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। ऐसे में आपको…विस्‍तार से पढ़ें

धनु राशि

धनु राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके बारहवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। वृश्चिक राशि में…विस्‍तार से पढ़ें

मकर राशि

मकर राशि के छठे और नौवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके ग्‍यारहवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। वृश्चिक…विस्‍तार से पढ़ें

कुंभ राशि

कुंभ राशि के पांचवे और आठवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके दसवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। इस दौरान…विस्‍तार से पढ़ें

मीन राशि

मीन राशि के चौथे और सातवें भाव पर बुध ग्रह का आधिपत्‍य है। अब बुध इस राशि के नौवें भाव में अस्‍त हो रहे हैं। बुध…विस्‍तार से पढ़ें

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.  वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त कब होंगे?

15 नवंबर, 2025 को बुध अस्‍त होंगे।

2. वैदिक ज्‍योतिष में बुध ग्रह को किसका कारक कहा गया है?

बुध ग्रह बुद्धि, संचार, व्‍यावसायिक समझ, तर्क का कारक हैं।

3. बुध ग्रह किन राशियों के स्‍वामी हैं?

बुध मिथुन और कन्‍या राशि के स्‍वामी हैं। कन्‍या बुध की उच्‍च और मीन नीच की राशि है।

वृश्चिक संक्रांति 2025 पर ग्रहों के राजा सूर्य करेंगे राशि परिवर्तन, स्नान-दान से चमक उठेगा भाग्य!

वृश्चिक संक्रांति 2025 पर ग्रहों के राजा सूर्य करेंगे राशि परिवर्तन, स्नान-दान से चमक उठेगा भाग्य!

वृश्चिक संक्रांति 2025: सूर्य देव को संसार की आत्मा और जगत पिता कहा जाता है क्योंकि यह अपने प्रकाश से दुनिया को जीवन प्रदान करते हैं। बता दें कि हिंदू धर्म में जहाँ सूर्य देव की पूजा देवता के स्वरूप में की जाती है, तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में इन्हें नवग्रहों के जनक का पद प्राप्त है।

ऐसे में, सूर्य देव का राशि में होने वाला हर परिवर्तन विशेष माना जाता है और अब यह जल्द ही एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने जा रहे हैं जो जल्द ही वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। एस्ट्रोसेज एआई  के इस विशेष ब्लॉग में आपको वृश्चिक संक्रांति 2025 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, मुहूर्त आदि।

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इस विशेष लेख में हम आपको संक्रांति किसे कहते हैं और क्या है इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, इससे अवगत करवाएंगे। तो चलिए बिना देर किए शुरुआत करते हैं “वृश्चिक संक्रांति 2025” के इस विशेष ब्लॉग की और सबसे पहले जान लेते हैं इसकी तिथि और समय के बारे में। 

वृश्चिक संक्रांति 2025: तिथि और मुहूर्त 

ज्योतिष में सूर्य देव के गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे ही संक्रांति कहा जाता है। एक वर्ष में में सूर्य महाराज कुल 12 बार अपनी राशि में बदलाव करते हैं और इस प्रकार, एक वर्ष में 12 संक्रांति तिथियां आती हैं। इस प्रकार, अब सूर्य देव मंगल ग्रह की राशि वृश्चिक में गोचर करने जा रहे हैं इसलिए यह संक्रांति “वृश्चिक संक्रांति” कहलाएगी।

शायद ही आप जानते होंगे कि सूर्य मेष से लेकर मीन तक जिस राशि में गोचर करते हैं, उस संक्रांति का नाम उसी राशि के नाम पर पड़ता है जैसे कि मकर राशि में सूर्य का गोचर “मकर संक्रांति” के नाम से जाना जाता है। चलिए अब नज़र डालते हैं वृश्चिक संक्रांति की तिथि पर। 

वृश्चिक संक्रांति की तिथि: 16 नवंबर 2025, रविवार

पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक 

अवधि: 05 घंटे 43 मिनट

महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 01 बजकर 45 मिनट तक

अवधि: 01 घंटा 47 मिनट

वृश्चिक संक्रांति पर शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य विशेष रूप से फलदायी सिद्ध होते हैं। 

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वृश्चिक संक्रांति 2025 का धार्मिक महत्व 

वृश्चिक संक्रांति धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है और यह तिथि कई तरह से कल्याणकारी होती है। इस दिन सूर्य महाराज तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं जो कृषि, प्रकृति और ऋतु में परिवर्तन का प्रतीक मानी जाती है। धार्मिक रूप से हर संक्रांति दान, स्नान और सूर्य पूजा के लिए शुभ होती है इसलिए इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य अवश्य देना चाहिए। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्यदायक माना गया है। इस तिथि पर जो भक्त सूर्योदय के समय स्नान करता है और सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देता है, उस व्यक्ति के जीवन से नौकरी एवं रोजगार से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं का अंत हो जाता है। साथ ही, जातक के यश और वैभव में भी वृद्धि होती है। हालांकि, वृश्चिक संक्रांति पर कुछ ख़ास वस्तुओं का दान करना फलदायी होता है जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे। आइए अब जान लेते हैं वृश्चिक संक्रांति का ज्योतिष में महत्व।   

वृश्चिक संक्रांति 2025 का ज्योतिषीय महत्व 

धार्मिक के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी वृश्चिक संक्रांति का अपना एक अलग स्थान है क्योंकि सूर्य गोचर का यह समय ख़ासतौर पर लाभदायक होता है। बता दें कि सूर्य महाराज अपनी नीच राशि तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करते हैं इसलिए इस राशि में सूर्य कमज़ोर अवस्था से मज़बूत स्थिति में आ जाते हैं क्योंकि इनका यह गोचर मंगल ग्रह की राशि में होता है जिन्हें सूर्य देव के मित्र माना जाता है। 

सूर्य के वृश्चिक राशि में आने से व्यक्ति के आत्मविश्वास, मान-सम्मान और ऊर्जा में वृद्धि होती है। यह गोचर विशेष रूप से वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत शुभ होता है। इस समय किए गए शोध और ज्ञान से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा, वृश्चिक संक्रांति के समय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने और अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है। वृश्चिक संक्रांति पर किए गए धार्मिक कार्यों से जातक को सूर्य से जुड़े दोषों और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।

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वृश्चिक संक्रांति 2025 पर धार्मिक कार्यों का महत्व 

दान, स्नान और अर्घ्य, यह तीन कार्य वर्ष भर में आने वाली प्रत्येक संक्रांति पर किए जाते हैं। इनमें से कुछ कार्य आपकी समस्याओं का अंत करते हैं और इन्हीं में से एक है सूर्य देव को अर्घ्य देना। वृश्चिक संक्रांति पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में उपस्थित सूर्य दोष और पितृ दोष का निवारण होता है। 

वृश्चिक संक्रांति पर दान-पुण्य करने का अत्यंत महत्व है इसलिए इस तिथि पर गरीबों एवं जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन आदि दान करना श्रेष्ठ होता है। वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य उपासना के बाद गुड़ और तिल का प्रसाद बांटने की परंपरा है। साथ ही, इस दिन गौ दान करना बेहद पुण्यदायी माना गया है। 

वृश्चिक राशि में सूर्य गोचर का प्रभाव

जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि सूर्य देव का यह गोचर अपने मित्र मंगल की राशि में होगा इसलिए यह संसार को प्रभावित कर सकता है। आइए जानते हैं देश-दुनिया पर सूर्य गोचर का प्रभाव। 

  • वृश्चिक राशि में सूर्य का गोचर व्यापार करने वाले जातकों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा और आपको लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। 
  • इस राशि परिवर्तन के प्रभाव से वस्तुओं की लागत महंगी होने की संभावना बन सकती है। 
  • वृश्चिक संक्रांति के दौरान भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में समस्याओं के बढ़ाने की आशंका है जो धन से जुड़ी हो सकती हैं। 
  • सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर की अवधि में लोगों को खांसी की समस्या परेशान कर सकती है क्योंकि इस दौरान ठंड बढ़ सकती है। 
  • इसके अलावा, सूर्य गोचर के दौरान कई देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। 

अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं कि वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा कैसे करें। 

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वृश्चिक संक्रांति 2025 पर इस विधि से करें सूर्य पूजा 

स्नान: वृश्चिक संक्रांति के दिन भक्त सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना  में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

सूर्य देव को अर्घ्य दें: स्नान करने के पश्चात तांबे के लोटे में लाल चंदन, हल्दी, सिंदूर और रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। 

मंत्र उच्चारण: वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव को अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। 

भोग लगाएं: भगवान सूर्य को गुड़ से बनी खीर का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं। साथ ही, सूर्य देव को धूप अवश्य दिखाएं।

दान: वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव की आराधना के बाद अन्न, वस्त्र और आवश्यक वस्तुओं का दान करें।  

वृश्चिक संक्रांति 2025 पर करें ये उपाय 

  1. भाग्योदय के लिए: इस दिन से चांदी के गिलास में पानी पीना शुरू करें और सोमवार के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। साथ ही, पीपल के पेड़ के नीचे कपूर मिले घी से दीपक जलाएं।
  2. रोगों से छुटकारा: वृश्चिक संक्रांति पर सच्चे मन से सूर्य पूजा करें क्योंकि ऐसा करने से आपको सूर्य देव की कृपा से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी। 
  3. माता-पिता का सम्मान करें: वृश्चिक राशि के दिन जातक माता-पिता के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें। 

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वृश्चिक संक्रांति 2025 पर राशि अनुसार करें दान 

मेष राशि 

मेष राशि वाले वृश्चिक संक्रांति के दिन गुड़ का दान करें। 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों के लिए वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर दही का दान करना शुभ रहेगा।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातक वृश्चिक संक्रांति के मौके पर गरीब एवं जरूरतमंदों को वस्त्र दान में दें। 

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातक वृश्चिक संक्रांति 2025 पर तांबे का लोटा दान करें। ऐसा करना आपके लिए कल्याणकारी रहेगा।   

सिंह राशि

सिंह राशि वालों को सूर्य देव से शुभ परिणामों की प्राप्ति के लिए वृश्चिक संक्रांति पर लाल रंग के कपड़े दान करने चाहिए। 

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए वृश्चिक संक्रांति के दिन अनाज का दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर 

तुला राशि

तुला राशि वाले सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए वृश्चिक संक्रांति के मौके पर अपने सामर्थ्य के अनुसार धन का दान करें। 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातक वृश्चिक संक्रांति के दिन गुड़ का दान करें। इस उपाय को करने से आप सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकेंगे। 

धनु राशि 

धनु राशि वालों को सूर्य देव को बलवान करने के लिए वृश्चिक संक्रांति पर मौसमी फल का दान करना चाहिए।  

मकर राशि 

मकर राशि वाले वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर काले तिल का दान करें।    

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों को इस अवसर पर सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल दान करने की सलाह दी जाती है।   

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों को वृश्चिक संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को गर्म कपड़ों का दान करें। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वृश्चिक संक्रांति 2025 में कब है?

वृश्चिक संक्रांति वर्ष 2025 में 16 नवंबर 2025, रविवार को मनाई जाएगी। 

2. वृश्चिक संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

ज्योतिष के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य महाराज अपनी नीच राशि से निकलकर मित्र मंगल की राशि में जाते हैं और यह अनुकूल स्थिति में होते हैं।  

3. वृश्चिक संक्रांति 2025 पर क्या करना चाहिए?

वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना और उन्हें अर्घ्य देना शुभ और कल्याणकारी होता है। 

वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त: इन राशि वालों को रहना होगा सावधान!

वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त: इन राशि वालों को रहना होगा सावधान!

वृ‍श्चिक राशि में बुध अस्‍त: एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं। इस ब्‍लॉग में हम आपको वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त के बारे में बताने जा रहे हैं।

बता दें कि 15 नवंबर, 2025 को सुबह के 03 बजकर 01 मिनट पर बुध ग्रह मंगल की राशि वृश्चिक में अस्‍त होने जा रहे हैं। इसका सभी राशियों सहित स्‍टॉक मार्केट और देश-दुनिया पर गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा।

ज्‍योतिष शास्‍त्र में बुध के अस्‍त होने का मतलब है कि वह सूर्य के बहुत ज्‍यादा नज़दीक है। आमतौर पर बुध के सूर्य के 14 डिग्री के अंदर आने पर वह अस्‍त हो जाता है। जब कोई ग्रह अस्‍त होता है, उसकी ऊर्जा क्षीण होने लगती है या फिर सूर्य के तेज प्रकाश में कम हो जाती है। चूंकि, बुध संचार, बुद्धि, तर्क, यात्रा, व्‍यापार और विश्‍लेष्‍णात्‍मक सोच का प्रतीक है इसलिए इसके अस्‍त होने से इन क्षेत्रों में चुनौतियां या समस्‍याएं देखने को मिल सकती हैं।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

बुध ग्रह के अस्त होने पर बेचैनी, गलतफहमियां, कंफ्यूज़न या आवेग में आकर निर्णय लेने जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं क्‍योंकि इस दौरान स्‍पष्‍टता, अहंकार, जल्‍दबाज़ी या अति आत्‍मविश्‍वास से ध्‍वस्‍त हो जाती है।

हालांकि, इस चरण का एक परिवर्तनकारी पहलू भी होता है। इस दौरान दबाव में काम करने के कारण बुद्धि तेज हो जाती है और धैर्य एवं विनम्रता आने से व्‍यक्‍ति सफलता प्राप्‍त कर सकता है।

कुंडली में अस्‍त बुध तेजी से सोच-विचार करने वाले व्‍यक्‍ति को दर्शाता है लेकिन यह ज्‍यादा विश्‍लेषण करने या सोचने से पहले बोलने की प्रवृत्ति को भी दिखाता है। इसके गोचर करने पर यह धीरे चलने, सावधानी से सोचने और गलतफहमियों या जल्‍दबाज़ी में निर्णय लेने से बचने का समय होता है।

वृश्‍चिक राशि में बुध अस्‍त: विशेषताएं

जब बुध ग्रह‍ वृश्चिक राशि में अस्‍त होता है, तब मन और संचार की ऊर्जा सूर्य की तेज, रहस्‍यमयी एवं गूढ़ शक्‍तियों के साथ मिल जाती हैं। यह संयोग एक शक्‍तिशाली लेकिन केंद्रित बुद्धिमत्ता उत्‍पन्‍न करता है। ऐसे में गहन विचार होते हैं लेकिन उन्‍हें व्‍यक्‍त करने की क्षमता असीमित हो जाती है या विचार छिपे या दबे रहते हैं। इससे प्रभावित व्‍यक्‍ति या समयावधि में लोगों का मन मजबूत होता है, उनकी जांच-पड़ताल करने की क्षमता बढ़ती है और मनोवैज्ञानिक समझ बाहर आती है। ये बहुत ज्‍यादा सोचते हैं, संदेह करते हैं या निर्णय लेने में भावनात्‍मक उथल-पुथल से जूझते हैं।

सूर्य की अग्निमय ऊर्जा बुध की स्‍पष्‍टता को भस्‍म कर देती है इसलिए संचार तीव्र, रहस्‍यमयी या रक्षात्‍मक हो सकता है और मन में छिपे हुए उद्देश्‍य या पुराने घाव भरे रह सकते हैं। यह मानसिक परिवर्तन का चरण होता है जहां अगर शांति से संभाला जाए तो गहन आत्‍मनिरीक्षण से सत्‍य और नवीनीकरण की ओर जाया जा सकता है।

हालांकि, जल्‍दबाज़ी में बोलने, रहस्‍य रखने या भावनात्‍मक छल का उल्‍टा असर पड़ सकता है। आध्‍यात्मिक रूप से यह योग व्‍यक्‍ति को जुनून या डर को अपने ऊपर हावी होने देने के बजाय अपने विचारों को शुद्ध करने, ईमानदारी से बोलने और अपनी बुद्धि या मन पर भरोसा करने के लिए प्रेरित करता है।

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वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्‍मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के लिए बुध उनके नौवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं और यह आपके तीसरे एवं छठे भाव का स्‍वामी है। ऐसे में सकारात्‍मक अवसर मिलने पर भी आप अपने कार्यों में समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपको अपना मूल्‍यांकन करने की जरूरत हो सकती है। करियर की बात करें, तो आपको काम का दबाव महसूस हो सकता है और आप अपनी कड़ी मेहनत के लिए मिल रहे फल को लेकर असंतुष्‍ट महसूस कर सकते हैं।

अगर आप अपने बिज़नेस में लापरवाही करते हैं, तो आपको धन की हानि होने का डर है। वित्तीय स्‍तर पर बढ़ते खर्चों के कारण आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने को मजबूर हो सकते हैं इसलिए सावधानी से तैयारी करें। निजी स्‍तर पर इस समय खासतौर पर आपसी समझ की कमी के कारण आपकी लोगों से असहमति हो सकती है।

मेष साप्ताहिक राशिफल

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके सातवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। इस वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त होने के दौरान अपने दोस्‍तों के सामने अपनी छवि खराब होने की वजह से आपकी संतुष्टि में कमी आ सकती है। कार्यक्षेत्र में उच्‍च मानक बनाए रखना आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इससे करियर में आपकी प्रगति पर असर पड़ सकता है। व्‍यवसाय में आपके मुनाफे में गिरावट आने की आशंका है और अस्थिरता बढ़ सकती है। यात्रा के दौरान आपको लापरवाही की वजह से धन की हानि होने का डर है। निजी जीवन में अपने पार्टनर के साथ नैतिक मूल्‍यों को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है और इसका असर आपकी खुशियों पर पड़ सकता है।

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मिथुन राशि

मिथुन राशि के छठे भाव में बुध अस्‍त होने जा रहे हैं। बुध इस राशि के पहले और चौथे भाव के स्‍वामी हैं। ऐसे में आपको परिवार में समस्‍याएं देखनी पड़ सकती हैं। आपको असहजता हो सकती है और आपकी मानसिक स्थिति नकारात्‍मक रह सकती है।

करियर की बात करें, तो अपने बॉस एवं सहकर्मियों का दिल जीतने या उनके साथ अच्‍छे संबंध बनाने में आपको संघर्ष देखने को मिल सकता है। वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त के दौरान आपको अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। संभव है कि आपकी व्‍यावसायिक रणनीतियां अब पुरानी हो चुकी हैं जिससे आपके लिए इस समय धन कमाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। आपको बहुत सावधानी से अपने धन को संभालना चाहिए क्‍योंकि आपके लिए यात्रा के दौरान धन हानि के योग बन रहे हैं।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि

सिंह राशि के चौथे भाव में बुध ग्रह अस्‍त होंगे। बुध इस राशि के दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी हैं। ऐसे में वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त के दौरान आपको अपनी मां के साथ समस्‍याएं देखनी पड़ सकती हैं। वह आपका विरोध कर सकती हैं। आपको अपनी इच्‍छा के विरुद्ध जाकर यात्रा करनी पड़ सकती है।

करियर की बात करें, तो इस समय आप अपने काम से पूरी तरह से संतुष्‍ट नहीं रह पाएंगे और आपको कार्यक्षेत्र में काम का अधिक दबाव देखना पड़ सकता है। यदि आप बिज़नेस करते हैं, तो इस समय आपको औसत मुनाफा होने के संकेत हैं और आपको अपने कार्यों का पुर्नमूल्‍यांकन करने एवं योजना बनाकर काम करने की जरूरत है। आपके लिए वित्तीय लाभ और नुकसान दोनों की स्थिति बनी हुई है इसलिए चीज़ों को संतुलन में रखने के लिए आपको सावधानी से योजना बनाने की आवश्‍यकता है।

सिंह साप्ताहिक राशिफल

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वृश्चिक राशि

इस राशि के आठवें और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके पहले भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। स्‍वास्‍थ्‍य के मामले में यह समय खराब रह सकता है। आप जहां या जिस कंपनी में काम करते हैं, अगर आप उससे जुड़ा कोई महत्‍वपूर्ण रहस्‍य छिपा रहे हैं, तो आपको सावधान रहना चाहिए क्‍योंकि आप अपने ऑफिस में चल रही राजनीति का शिकार हो सकते हैं  और आप अनावश्‍यक झगड़ों में फंस सकते हैं। इससे आपकी प्रतिष्‍ठा के खराब होने का डर है।

कोई नई डील करने के लिए व्‍यापारियों के लिए यह सही समय नहीं है। वित्तीय जीवन में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। आपको अपने निवेश में नुकसान होने का डर है और इस समय आपका प्रदर्शन भी खराब रह सकता है।

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

कुंभ राशि

कुंभ राशि के आठवें और पांचवे भाव के स्‍वामी बुध अब इस राशि के दसवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं जो कि करियर का भाव है। करियर के मामले में यह ज्‍यादा अच्‍छा समय नहीं है और इस समय आपका अचानक से ट्रांसफर हो सकता है या फिर अचानक से आपकी नौकरी तक जा सकती है। बेहतर होगा कि आप इस समय अपने कार्यक्षेत्र में किसी भी तरह की बहस या विवाद से बचें।

बच्‍चों की सेहत खराब होने की वजह से आपको मानसिक तनाव होने का डर है। करियर की बात करें, तो इस दौरान आपके ऊपर काम का दबाव बहुत बढ़ सकता है और आपको अपने समय का सही तरीके से उपयोग कर के अपने संसाधनों को संभालना पड़ सकता है। आप ऐसी नई व्‍यावसायिक डील करने में असमर्थ रह सकते हैं जिससे आपको बड़ा मुनाफा होने के संकेत हैं। आर्थिक जीवन में आपको पैसों की बचत करने के अवसर नहीं मिल पाएंगे और न ही आपको अपना पैतृक धन मिलने के आसार हैं।

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वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त: विश्‍व पर प्रभाव

15 नवंबर, 2025 को वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त होने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि इसका देश-दुनिया पर क्‍या प्रभाव देखने को मिलेगा।

विश्‍व स्‍तर पर संचार संबंधित समस्‍याएं

  • गलतफहमियां, गलत जानकारी मिलने और गुप्‍त एजेंडे सामने आ सकते हैं।
  • मीडिया और राजनीतिक बयानों में चालाकी या भावनात्‍मक तीव्रता हो सकती है।
  • कोई गुप्‍त जानकारी या दस्‍तावेज सामने आ सकते हैं, कोई व्‍यक्‍ति आगे आकर भ्रष्‍टाचार, गलत कामों या छिपे हुए सच का पर्दाफाश कर सकता है और जो बातें अब तक दबी हुई थीं, वो सामने आ सकती हैं।

तकनीक और व्‍यापार

  • बुध ग्रह व्‍यापार, डाटा और संचार नेटवर्क का स्‍वामी है।
  • डाटा उल्‍लंघन, साइबर हमले या सिस्‍टम के फेल होने की आशंका है।
  • मार्केट तार्किक रूप से प्रतिक्रिया देने के बजाय भावनात्‍मक या तर्कहीन होकर काम कर सकती है।

मनोवैज्ञानिक और भावनात्‍मक प्रभाव

  • लोग हर बात को गहराई से समझने की कोशिश करेंगे लेकिन इसके साथ ही दूसरों पर भरोसा करने में हिचकिचाहट या शक भी हो सकता है।
  • लोग बातचीत में कठोर शब्‍दों का इस्‍तेमाल कर सकते हैं, रक्षात्‍मक रवैया अपना सकते हैं या उनके छिपे हुए उद्देश्‍य हो सकते हैं।
  • अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों में तनाव और संवेदनशीलता बढ़ सकती है। देशों के बीच राजनयिक टकराव या शक्‍ति का संघर्ष देखने को मिल सकता है।

वैज्ञानिक और रहस्‍यमयी कार्य

  • वृश्चिक राशि परिवर्तन का कारक है और बुध बुद्धि के स्‍वामी हैं।
  • साइकोलॉजी, गूढ़ विज्ञान, जासूसी और गहन शोध में लोगों की रुचि बढ़ सकती है।
  • गहन जांच-पड़ताल से दवा या तकनीक के क्षेत्र में नए विचार सामने आ सकते हैं।

वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त: स्‍टॉक मार्केट रिपोर्ट

शेयर मार्केट भविष्‍यवाणी से जानते हैं कि वृश्चिक राशि में बुध अस्‍त का स्‍टॉक मार्केट पर क्‍या असर देखने को मिलेगा।

  • स्‍टॉक मार्केट/सट्टे में गलतफहमियां होने या गलत कीमत निर्धारित करने का अधिक खतरा है।
  • कमजोर विश्‍लेषणत्‍मक स्‍पष्‍टता के कारण अस्थिरता बढ़ सकती है और अप्रत्‍याशित परिणाम मिलने के संकेत हैं।
  • सट्टेबाज़ी में अधिक जोखिम हो सकता है खासतौर पर उन लोगों के लिए जो स्‍पष्‍ट और तर्क पर आधारित जानकारी पर भरोसा करते हैं।
  • जो क्षेत्र या स्‍टॉक बड़ी मात्रा में स्‍पष्‍ट संचार पर निर्भर करते हैं, उन्‍हें अधिक परेशानियां या कमियां देखने को मिल सकती हैं।
  • वहीं दूसरी ओर, यदि व्‍यक्‍ति सचेत और सावधान रहे तो इस समय की अस्‍पष्‍टता या गहराई असल में गहन शोध या विश्‍लेषण के अवसर प्रदान कर सकती है खासतौर पर शेयर बाज़ार में बढ़ते और गिरते हुए शेयरों को समझने के लिए।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बुध ग्रह कितने डिग्री पर अस्‍त होता है?

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार बुध लगभग 14 डिग्री पर अस्‍त होता है।

इस समय बुध किस राशि में गोचर कर रहे हैं?

वृश्चिक राशि में।

क्‍या वृश्चिक बुध की मैत्री राशि है?

नहीं, बुध के लिए वृश्चिक तटस्‍थ राशि है।

इस साल कब है काल भैरव जयंती 2025? जानें तिथि, मुहूर्त और राशि अनुसार उपाय!

इस साल कब है काल भैरव जयंती 2025? जानें तिथि, मुहूर्त  और राशि अनुसार उपाय!

काल भैरव जयंती 2025: हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले हर त्योहार का अपना महत्व होता है और इन्हीं में से एक है काल भैरव जयंती, जिसे सनातन धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक माना जाता है। बता दें कि काल भैरव जयंती का त्योहार भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव को समर्पित होता है और इस दिन भैरव बाबा की पूजा-अर्चना की जाती हैं।

भक्तजन इस शुभ अवसर पर व्रत रखते हैं और अनेक धार्मिक अनुष्ठान करके काल भैरव जी का कृपा प्राप्त करते हैं। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको “काल भैरव जयंती 2025” से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। 

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साथ ही, काल भैरव जयंती के दिन भैरव बाबा की पूजा कैसे करें और क्या है इनकी जन्म कथा? इस अवसर पर आप राशि अनुसार किन उपायों को कर सकते हैं जिनसे आपको भगवान काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त हो, इस बारे में भी हम बताएंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं काल भैरव जयंती की तिथि और मुहूर्त।

काल भैरव जयंती 2025: तिथि एवं मुहूर्त

प्रत्येक माह में आने वाली कालाष्टमी का विशेष महत्व होता है और इस दिन महादेव के काल भैरव स्वरूप का पूजन किया जाता है। बता दें कि कार्तिक माह की कालाष्टमी को अत्यंत शुभ माना जाता है जिसे काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आती है।

मान्यता है कि जो भक्त काल भैरव जयंती के अवसर पर भैरव बाबा की विधि-विधान से पूजा और व्रत करता है, उस पर सदैव काल भैरव का आशीर्वाद बना रहता है। चलिए नज़र डालते हैं शुभ मुहूर्त पर। 

काल भैरव जयंती की तिथि: 12 नवंबर 2025, बुधवार

अष्टमी तिथि का आरंभ: 11 नवंबर 2025 की रात 11 बजकर 08 मिनट पर
अष्टमी तिथि समाप्त: 12 नवंबर 2025 की रात 10 बजकर 58 मिनट तक। 

अब हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं काल भैरव जयंती के महत्व से।  

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काल भैरव जयंती 2025 पर बनेगा शुभ योग 

वर्ष 2025 की कालाष्टमी यानी काल भैरव जयंती बेहद ख़ास रहने वाली है क्योंकि इस दिन बेहद शुभ माना जाने वाला शुक्ल योग बनने जा रहा है। बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल योग को एक शुभ योग माना गया है। यह योग जातक के जीवन में सकारात्मकता और प्रगति लेकर आता है। शुक्ल योग के दौरान किए जाने वाले शुभ कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है और इस योग को उन कार्यों के लिए विशेष तौर पर लाभकारी माना गया है जिससे सुख, समृद्धि और धन-वैभव के योग बनते हैं।    

कौन हैं भगवान काल भैरव?

धार्मिक रूप से काल भैरव जयंती को भगवान काल भैरव के जन्मोत्सव के रूप में माना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, महादेव के उग्र स्वरूप काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को प्रदोष काल में हुआ था, तब से इस तिथि को भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा। काल भैरव को भगवान शिव ने काशी नगरी की सुरक्षा का भार सौंपा था इसलिए इन्हें काशी के कोतवाल भी कहा जाता है। 

शिव पुराण में वर्णन किया गया है कि मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव बाबा अवतरित हुए थे जो कि भगवान शिव के रूद्र रूप हैं। शिव जी के अंश भगवान काल भैरव दुष्टों को दंड देते हैं इसलिए इन्हें दण्डपाणि भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, शिव जी के रक्त से भैरव जी की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें संसार में काल भैरव के नाम से जाना गया।

काल भैरव जयंती 2025 पर पूजा क्यों है विशेष?

भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा तंत्र और साधना में विशेष स्थान रखती है और इन्हें काल से परे माना जाता है। शास्त्रों में भगवान काल भैरव को मृत्यु, सुरक्षा और काल के देवता का दर्जा प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त भैरव बाबा की पूजा सच्चे मन से करता है, उन्हें भय, पाप से मुक्ति मिलती है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। 

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काशी के रक्षक होने की वजह से भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना कल्याणकारी मानी जाती है। साथ ही, मंगलवार और शनिवार को बाबा को उनके भक्त मदिरा, नारियल और काले तिल अर्पित करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव जयंती के दिन जो भक्त बाबा की उपासना और व्रत करता है, उन्हें सभी संकटों से सुरक्षा मिलती है। भैरव बाबा के भक्तों का अनिष्ट करने वालों की रक्षा तीनों लोकों में कोई नहीं कर सकता है। 

काल भैरव से काल भी रहता है भयभीत  

भगवान शिव का रौद्र रूप होने की वजह से काल भैरव से काल भी भयभीत रहता है। अगर हम बात करें इनके स्वरूप की, तो काल भैरव जी अपने एक हाथ में त्रिशूल और तलवार धारण करते हैं इसलिए इन्हें दंडपाणि की उपाधि प्राप्त है। इनकी उपासना से जातक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जाओं, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत आदि से जुड़े भय का नाश होता है।

काल भैरव जयंती 2025 की पूजा विधि 

  • भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा सूर्यास्त के पश्चात अर्थात प्रदोष काल भी की जाती है। इनका श्रृंगार चमेली के तेल और सिंदूर से किया जाता है। 
  • संध्या के समय भैरव बाबा की पूजा करने से पूर्व स्नान करके स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। 
  • इसके बाद, भगवान काल भैरव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें और बेलपत्र पर सफेद चंदन से ‘ऊं’ लिखें। 
  • अब भैरव बाबा के मंत्र ‘ॐ काल भैरवाय नम:’ का जाप करते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं। 
  • पूजा के दौरान अपना मुख उत्तर दिशा की तरफ रखें और बाबा का श्रृंगार करें। 
  • इसके पश्चात भैरव बाबा को फूल, अक्षत, जनेऊ, सुपारी, नारियल, लाल चंदन और फूल आदि अर्पित करें। 
  • अब उन्हें इमरती या गुड़-चने का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं। 
  • भगवान काल भैरव की पूजा में हमेशा सरसों के तेल से दीपक जलाएं। 
  • पूजा पूरी होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी अवश्य खिलाएं। 

आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं काल भैरव जयंती 2025 पर किए जाने वाले राशि अनुसार उपाय। 

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काल भैरव जयंती 2025 पर राशि अनुसार करें शिव जी का अभिषेक 

मेष राशि 

मेष राशि वाले काल भैरव जयंती 2025 पर महादेव का अभिषेक गुड़ मिश्रित जल से करें। 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के लोगों को काल भैरव जयंती के अवसर पर शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातक इस दिन गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। 

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों के लिए काल भैरव जयंती 2025 के अवसर पर शिवलिंग का दही से अभिषेक करना शुभ रहेगा। 

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातक काल भैरव जयंती के दिन भोलेबाबा का गन्ने के रस से अभिषेक करें। 

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए इस अवसर पर महादेव का अभिषेक गाय के दूध से करना फलदायी रहेगा। 

तुला राशि

तुला राशि  के जातकों को काल भैरव जयंती पर शिवलिंग का अभिषेक शहद से करना चाहिए। 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वाले इस विशेष दिन भगवान शंकर का अभिषेक गुड़ मिले हुए जल से करें। 

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए काल भैरव जयंती 2025 के दिन शिव जी का अभिषेक कच्चे दूध से करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर 

मकर राशि 

मकर राशि वाले इस पावन अवसर पर महादेव का अभिषेक तिल के तेल से करें। 

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के लोगों को काल भैरव जयंती 2025 के दिन भगवान शिव का काले तेल मिलाकर अभिषेक करें। 

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों को इस मौके पर महादेव का अभिषेक गंगाजल से करना श्रेष्ठ रहेगा। 

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वर्ष 2025 में काल भैरव जयंती कब है?

इस साल काल भैरव जयंती 12 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।

2. काल भैरव जयंती पर किसकी पूजा होती है?

काल भैरव जयंती पर भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। 

3. भगवान काल भैरव कौन हैं?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार,  भगवान काल भैरव को महादेव का उग्र स्वरूप माना जाता है।

 

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर से, इन 3 राशियों का होगा सुनहरा दौर शुरू!

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, इन 3 राशियों का होगा सुनहरा दौर शुरू!

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। साथ ही, हम आपको सूर्य गोचर का सभी 12 राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव से भी अवगत करवाएंगे।

ग्रहों के जनक कहे जाने वाले सूर्य ग्रह की राशि में बदलाव होने जा रहा है। बता दें कि सूर्य देव 16 नवंबर 2025 की दोपहर को वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसका प्रभाव संसार और देश-दुनिया पर दिखाई देगा। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस गोचर के बारे में विस्तार से।

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को आंतरिक शक्ति, जीवन शक्ति, अहंकार और आत्मा का प्रतीक माना जाता है। यह हमारे जीवन में आत्मविश्वास लेकर आते हैं और हमें अपने जीवन के लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित करते हैं। जैसे कि सूर्य देव हमारे सौरमंडल के जनक हैं, वैसे ही यह व्यक्ति के अस्तित्व के भी कारक माने जाते हैं क्योंकि यह हमारे जीवन के उस हिस्से को दर्शाते हैं जो चमकना चाहता है, कुछ बनाना चाहता है और अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता है। 

ज्योतिष में सूर्य देव इच्छाशक्ति, स्वयं को अभिव्यक्त करना और नेतृत्व क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति दर्शाती है कि हम क्या बनना चाहते हैं और अपने व्यक्तित्व को किस तरह का बनाना चाहते हैं।

किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य जिस भाव और राशि में विराजमान होते हैं, उससे पता चलता है कि व्यक्ति किस क्षेत्र में सफलता हासिल करेगा। साथ ही, वह किस तरह स्वयं को मिलने वाली शक्तियों, रचनात्मकता और जीवन शक्ति का उपयोग करेगा। 

कुंडली में सूर्य देव की शुभ स्थिति जातक के विचारों में स्पष्टता, शक्ति और आत्मविश्वास लेकर आती है। वहीं, जब यह अशुभ अवस्था में होते हैं, तो यह जातक को अहंकारी बनाते हैं या फिर इंसान स्वयं की पहचान से जुड़ी समस्याओं को लेकर परेशान रहता है। जैसे कि हम जानते हैं कि सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना जाता है जो हमें हर दिन सूर्य की तरह चमकने की शिक्षा देता है।     

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: विशेषताएं 

जब सूर्य देव वृश्चिक राशि में मौजूद होते हैं, तो यह जातक का व्यक्तित्व आकर्षक, भावुक और मज़बूत इच्छाशक्ति का आशीर्वाद देते हैं। सूर्य वृश्चिक राशि के तहत जन्मे जातक बेहद जुनूनी, प्राइवेसी पसंद होते हैं और अक्सर इनकी रुचि जीवन के गुप्त और अज्ञात रहस्यों को जानने में होती है।

वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल देव हैं और जिन जातकों का जन्म वृश्चिक राशि में सूर्य के तहत होता है, वह जीवन में बदलाव पसंद करते हैं और यह अपने जीवन में समस्याओं को साहस के साथ पार करते हैं। साथ ही, खुद को मज़बूत बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

इस राशि के जातक अपने जीवन में वफादारी और सच्चाई को अत्यधिक महत्व देते हैं। वह दूसरों को एक अलग नज़रिये से देखते हैं और लोगों के भीतर छुपी हुई बातों का पता लगाने में सक्षम होते हैं। हालांकि, इनका अत्यधिक भावुक होना आपको रहस्यमयी के साथ-साथ पजेसिव भी बना सकता है, विशेष रूप से जब इन्हें कोई खतरे का एहसास होता है या इन्हें धोखा मिलता है। वृश्चिक राशि में सूर्य के तहत जन्मे जातक चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते हैं और इन्हें अपने आपको नए स्वरूप में प्रकट करना अच्छा लगता है। 

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: इन राशियों को मिलेंगे सकारात्मक परिणाम 

मेष राशि 

मेष राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके आठवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर का असर आपकी संतान की प्रगति पर पड़ सकता है। साथ ही, आपको स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 

जब बात आती है करियर की, तो आप काम के बोझ या असंतुष्टि की वजह से नौकरी बदलने का मन बना सकते हैं। सूर्य गोचर के दौरान आपको धन हानि होने की संभावना है और ऐसे में, आप बचत करने में नाकाम रह सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ, मेष राशि के जातकों को पैतृक संपत्ति और सट्टेबाजी के माध्यम से धन प्राप्त महीने के योग बनेंगे। व्यापार के क्षेत्र में आप सही तरीके से काम करने में नाकाम रह सकते हैं जिसकी वजह आपको होने वाला नुकसान हो सकता है। ऐसे में, आपको काम को संभालने में परेशानी का अनुभव हो सकता है। 

मेष साप्ताहिक राशिफल 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके तीसरे भाव के स्वामी हैं और यह अब आपके छठे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर होने से आप बहुत ज्यादा ऊर्जावान और उत्साह से भरे रह सकते हैं। इसके अलावा, इस दौरान कार्यों में किए गए आपके प्रयास सफल हो सकते हैं। साथ ही, सेवा की भावना आपके भीतर मज़बूत हो सकती है। 

बात करें करियर की, तो कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किये गए कार्यों में आपको सराहना की प्राप्ति होगी जिसकी वजह आपकी प्रतिबद्धता हो सकती है। जब बात आती है आर्थिक जीवन की, तो यह जातक एक अच्छा जीवन जीने में सक्षम होंगे। साथ ही, आप पर्याप्त मात्रा में बचत कर सकेंगे। सूर्य का वृश्चिक में गोचर के दौरान आप व्यापार के क्षेत्र में काफ़ी पैसा कमाते हुए नज़र आ सकते हैं और आप अपने प्रतिद्वंदियों के लिए एक मज़बूत प्रतिद्वंदी बनकर उभरेंगे। 

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

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कर्क राशि

कर्क राशि वालों की कुंडली में सूर्य ग्रह आपके दूसरे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पांचवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर की अवधि में आप दूर की सोच रखते हुए भविष्य की योजना बना सकते हैं। साथ ही, सट्टेबाजी में आपकी रुचि बढ़ सकती है जिससे आप ज्यादा से ज्यादा धन कमाने के इच्छुक होंगे। 

करियर के क्षेत्र में इन जातकों को बार-बार यात्रा करनी पड़ सकती है। बता दें कि काम के सिलसिले में की गई यात्रा आपके लिए फलदायी साबित होगी। आर्थिक जीवन में आप अच्छा ख़ासा पैसे कमाते हुए दिखाई देंगे। साथ ही, आप बचत भी कर सकेंगे। ऐसे में, आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। व्यापार की बात करें तो, आपको बिजनेस में अच्छा धन कमाने के मौके मिलेंगे। 

कर्क साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके पहले/लग्न भाव के अधिपति देव हैं और वर्तमान समय में अब यह आपके चौथे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के प्रभाव से आपके जीवन में सुख-सुविधाओं की कमी रह सकती है। साथ ही, आपका सारा ध्यान अपने परिवार पर केंद्रित रह सकता है। 

करियर को देखें तो, सूर्य गोचर के दौरान यह जातक नौकरी में मिलने वाली तरक्की से प्रसन्न दिखाई देंगे। इन जातकों के काम के तरीके में भी सुधार आ सकता है। आर्थिक जीवन में आप जितना धन कमाएंगे, उतनी ही बचत करने में सक्षम होंगे। इस समय आप अपने परिवार पर काफ़ी धन ख़र्च कर सकते हैं। बात करें व्यापार की, तो सिंह राशि के व्यापार करने वाले जातक अपनी फर्म को सफलतापूर्वक चलाने में सक्षम होंगे। 

सिंह साप्ताहिक राशिफल

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपके दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके लग्न/पहले भाव में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान इन जातकों का सारा ध्यान अपने कार्यों और व्यापार पर केंद्रित रह सकता है। साथ ही, आपको काफ़ी यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। 

अगर बात करें करियर की, तो वृश्चिक राशि के जातक कार्यक्षेत्र में काफ़ी व्यस्त रह सकते हैं और साथ ही, सूर्य गोचर के दौरान आपके प्रमोशन के योग बनेंगे। आर्थिक जीवन में सूर्य का यह राशि परिवर्तन आपकी आय बढ़ाने का काम करेगा। साथ ही, आप अच्छी बचत करने में भी सक्षम होंगे। जिन जातकों का फैमिली बिज़नेस है, वह उसे सफलतापूर्वक चला सकते हैं। 

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: इन राशियों को रहना होगा सतर्क

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य महाराज आपके बारहवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय में यह आपके तीसरे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप, इन जातकों को स्थान परिवर्तन करना पड़ सकता है जो आपकी इच्छा के ख़िलाफ़ हो सकता है। साथ ही, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर की अवधि में आपके द्वारा किए गए प्रयासों के सफल न होने की आशंका है। 

सूर्य गोचर के दौरान आपको नौकरी बदलने के लिए मज़बूर होना पड़ सकता है। आर्थिक जीवन में आप पर्याप्त धन कमा सकेंगे, लेकिन आपके खर्चों में भी वृद्धि होने की संभावना है। वहीं, व्यापार के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों में कुछ कमी रह सकती है जिसकी वजह अपनी बिज़नेस नीति का अप-टू-डेट न होना हो सकता है। 

कन्या साप्ताहिक राशिफल

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य महाराज आपके नौवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके बारहवें भाव में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान आपको भाग्य का साथ नहीं मिलने की आशंका है जो इस समय आपके लिए बहुत जरूरी होगा। साथ ही, इस दौरान आप धार्मिक यात्राओं पर जा सकते हैं। 

जब बात आती है करियर की, तो सूर्य गोचर के दौरान आप ऑन-साइट नौकरी के अवसरों की तलाश में रह सकते हैं और ऐसे में, आप संतुष्ट नज़र आ सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आप अपने काम को लेकर अत्यधिक जुनून से भरे रह सकते हैं। आर्थिक जीवन में आप ज्यादा धन कमाने में नाकाम रह सकते हैं और अगर धन कमा भी लेंगे, तब भी आपसे सारे पैसे ख़र्च हो सकते हैं। व्यापार के क्षेत्र में आप स्वयं को मिलने वाले सुनहरे अवसरों का लाभ उठाने में पीछे रह सकते हैं। ऐसे में, आप निराश महसूस कर सकते हैं। 

धनु साप्ताहिक राशिफल

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके दसवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान आपका सारा ध्यान कार्यों में सफलता पाने में हो सकता है जिसके चलते आप कार्यों को पूरा करना चाहेंगे। 

बात करें करियर की, इस अवधि में आपको बार-बार यात्राएं करनी पड़ सकती हैं और यह यात्राएं आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं। आर्थिक जीवन में आप ज्यादा से ज्यादा धन की बचत करने में कामयाब रह सकते हैं और ऐसे में, आप अपने जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित बना सकेंगे। जब बात आती है व्यापार की, तो आपको बिज़नेस में सफलता मिलने के साथ-साथ व्यापार पार्टनरशिप के माध्यम से लीडर बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। 

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: वैश्विक प्रभाव 

तीव्रता और भावनात्मक उतार-चढ़ाव 

  • ज्योतिष में वृश्चिक राशि को जल तत्व की राशि माना गया जो भावनाओं, शक्ति, रहस्य और बदलाव का प्रतीक माना जाता है।
  • जब सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर होगा, उस समय सूर्य के प्रभाव में कमी आ सकती है। 
  • सूर्य गोचर की अवधि में जातकों की रुचि रहस्यों, शक्ति और अज्ञात विषयों को जानने में हो सकती है। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर 

नई शुरुआत और परिवर्तन 

  •  सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर अपने मन को शुद्ध और पवित्र करने के लिए श्रेष्ठ समय होगा। ऐसे में, भावनात्मक समस्याएं, अज्ञात भय और छिपे हुए उद्देश्य सामने आ सकते हैं।
  • वृश्चिक राशि का जुड़ाव शेयर होने वाले संसाधनों, संकट, अंत और पुनर्जन्म से होता है इसलिए हमें इस दौरान दुनिया में ऐसी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं जो एक नया बदलाव लेकर आ सकती हैं। 

संसाधन, शक्ति और संरचना 

  • सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के दौरान संसार के सामने इंस्टीटूशन, फाइनेंस, सरकार से जुड़े रहस्य सामने आ सकते हैं। 
  • निजी जीवन में विश्वास, नियंत्रण, इंटिमेसी, कर्ज़ और पैतृक संपत्ति से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। 

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सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट 

सूर्य महाराज 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे है जिसका निश्चित रूप से असर शेयर बाजार पर दिखाई देगा। ऐसे में, हम आपको शेयर बाजार भविष्यवाणी के माध्यम से सूर्य गोचर का शेयर बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

  • सूर्य गोचर के दौरान कॉर्पोरेट और सरकारी क्षेत्रों में धन से जुड़े लेन-देन या रेगुलेटरी संबंधित रहस्य सामने आ सकते हैं जिसका नकारात्मक असर शेयर बाजार पर दिखाई दे सकता है। 
  • इस अवधि में संसाधन, खनन और भारी उद्योगों से जुड़े क्षेत्रों पर संसार का ध्यान केंद्रित हो सकता है। अंदरूनी मामलों को अच्छे से संभालने की जरूरत होगी, अन्यथा वह दुनिया के सामने उजागर हो सकते हैं। 
  • शेयर बाजार को लेकर लोगों में सतर्कता रह सकती है और ऐसे में, आपको जोखिम उठाने के बावजूद भी लाभ न होने की आशंका है, विशेष रूप से सट्टेबाजी में।
  • सूर्य गोचर के दौरान मार्केट का रुख प्रगति के बजाय बड़े बदलाव लेकर आने में प्रयासरत हो सकता है। 
  • वृश्चिक राशि का संबंध संसाधनों, कर्ज़ और छिपी हुई शक्ति से भी होता है इसलिए बैंकिंग और फाइनेंस से जुड़े क्षेत्रों में तनाव रह सकता है। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सूर्य ग्रह की मूल त्रिकोण राशि कौन सी है?

ज्योतिष में सूर्य देव की मूल त्रिकोण राशि सिंह है। 

सूर्य किस नक्षत्र के स्वामी हैं?

सभी 27 नक्षत्रों में सूर्य देव को कृतिका, उत्तराभाद्रपद और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त हैं।

सूर्य का मित्र ग्रह कौन सा है?

सूर्य देव गुरु और मंगल ग्रह से मित्रवत संबंध रखते हैं। 

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री-क्‍या होगा 12 राशियों का हाल?

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: वैदिक ज्‍योतिष में बृहस्‍पति ग्रह को देवताओं के गुरु के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह ज्ञान, संपन्‍नता, नैतिकता और अध्‍यात्‍म का प्रतीक है। जब बृहस्‍पति ग्रह वक्री होता है, तब यह उल्‍टा यानी पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत होता है। यह चरण सभी के लिए गहन चिंतन, कर्मों से सीखने और जीवन में बड़े बदलाव लाने का होता है।

साल 2025 में गुरु ग्रह चंद्रमा की राशि कर्क में वक्री होंगे। बृहस्‍पति और चंद्रमा के बीच मैत्री संबंध हैं। गुरु के कर्क राशि में वक्री होने से आध्‍यात्मिक जागृति, आत्‍मनिरीक्षण और अगर समझदारी से काम लिया जाए तो दीर्घकालिक विकास का मिश्रण देखने को मिल सकता है। सरल शब्‍दों में कहें, तो कर्क राशि में वक्री बृहस्‍पति आगे बढ़ने के बजाय रूक कर सोचने और जीवन के लिए रणनीतिक निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है।

एस्‍ट्रोसेज एआई के इस बृहस्‍पति के कर्क राशि में वक्री से संबंधित इस ब्‍लॉग में इसकी तारीख, प्रभाव, राशिफल और ज्‍योतिषीय उपायों के बारे में बताया गया है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गुरु के कर्क राशि में वक्री होने का क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: तिथि और समय

11 नवंबर, 2025 को शाम 06 बजकर 31 मिनट पर गुरु कर्क राशि में वक्री होंगे। अपने व्‍यक्‍तिगत विकास के बारे में सोचने, वित्तीय येाजनाओं का पुर्नमूल्‍यांकन करने और महत्‍वपूर्ण रिश्‍तों पर विचार करने के लिए यह सही समय है।

वक्री होने के लगभग 23 दिनों के बाद बृहस्‍पति 04 दिसंबर, 2025 को रात को 08 बजकर 39 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे लेकिन वक्री अवस्‍था में ही रहेंगे। मिथुन राशि में प्रवेश करने के बाद भी गुरु की वक्री अवस्‍था हमें याद दिलाती रहेगी कि हमें अपने पिछले निर्णयों की समीक्षा करनी चाहिए और यह सोचना चाहिए कि अभी हम जो कार्य कर रहे हैं, वह दीर्घकालिक स्थिरता और विकास प्रदान करते हैं या नहीं।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: ज्‍योतिषीय महत्‍व

वैदिक ज्‍योतिष में बृहस्‍पति ग्रह को विकास, ज्ञान और संपन्‍नता का कारक बताया गया है। यह जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करता है। इसका असर करियर से लेकर बिज़नेस और निजी विकास एवं आध्‍यात्मिकता पर पड़ता है। यहां तक कि गुरु की चाल, स्थिति या राशि में हल्‍का-सा भी परिवर्तन आने पर इसका महत्‍वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है। यही वजह है कि ज्‍योतिषी गुरु के गोचर पर बड़ी बारीकी से नज़र रखते हैं।

जब कुंडली में गुरु मजबूत और सकारात्‍मक स्थिति में होते हैं, तब यह सफलता और आत्‍मविश्‍वास प्रदान करते हैं एवं व्‍यक्‍ति का झुकाव सत्‍य और सदाचारी जीवन की ओर होता है।

वहीं दूसरी ओर, अगर गुरु कमजोर या पीड़ित हो, तो खासतौर पर स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में चुनौतियां उत्‍पन्‍न होने का डर रहता है जैसे कि पाचन संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।

बृहस्‍पति की कृपा से दृढ़ता प्राप्‍त होती है जिससे लोगों को बाधाओं को दूर करने और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। बृहस्‍पति की दृष्टि भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब गुरु की किसी कमजोर भाव पर दृष्टि पड़ती है, तो यह उसे बल प्रदान करता है और चुनौतियों या मुश्किलों को कम करता है एवं सकारात्‍मकता को बढ़ाता है।

चूंकि, बृहस्‍पति सभी 12 राशियों में गोचर करने में 12 वर्षों से अधिक समय लेता है इसलिए इसका हर एक राशि में गोचर करना काफी महत्‍व रखता है। किसी भाव या राशि में बृहस्‍पति की उपस्थिति विकास को बढ़ावा देती है, अवसरों को आकर्षित करती है और नया नज़रिया प्रदान करती है। बृहस्‍पति की स्थिति जिसमें उसके नक्षण की स्थिति भी शामिल हो, उसे जानकर करियर, वित्तीय जीवन, रिश्‍तों और आध्‍यात्मिक विकास के बारे में महत्‍वपूर्ण मार्गदर्शन मिल सकता है।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: धार्मिक महत्‍व

सनातन धर्म में बृहस्‍पति को देव गुरु भी कहा जाता है और बृहस्‍पति देवताओं के शिक्षक या गुरु के रूप में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखते हैं। इन्‍हें ज्ञान, नैतिकता और आध्‍यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक माना जाता है। बृहस्‍पतिवार का दिन गुरु ग्रह को समर्पित होता है। इस दिन भक्‍त पीले रंग के वस्‍त्र धारण करते हैं और गुरु को प्रसन्‍न करने एवं उनका आशीर्वाद पाने के लिए उन्‍हें पीले रंग के फल अर्पित करते हैं और विशेष मंत्रों का जाप करते हैं।

बृहस्‍पति का संबंध पीले रंग और केले के वृक्ष से है और ऐसा माना जाता है कि बृहस्‍पतिवार के दिन केले के पेड़ पर हल्‍दी या चंदन लगाने, पीले रंग के वस्‍त्र पहनने और पीली रंग की चीज़ें चढ़ाने से गुरु ग्रह प्रसन्‍न होते हैं।

पौराणिक दृष्टि से बृहस्‍पति भगवान ब्रह्मा के ज्ञान को दर्शाता है और मनुष्‍यों के लिए धार्मिकता एवं आध्‍यात्मिक विकास की ओर एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। जब बृहस्‍पति वक्री होता है, तब इसका महत्‍व और ज्‍यादा व्‍यक्‍तिगत हो जाता है, यह लोगों को आध्‍यात्मिक कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है, जीवन के उद्देश्‍य के बारे में सोचने और दान-पुण्‍य करने के लिए प्रोत्‍साहित करता है।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: ऐतिहासिक महत्‍व

लंबे समय से मानव इतिहास के सबसे प्रभावशाली खगोलीय पिंड में बृहस्‍पति को रखा गया है। सदियों से सभ्‍यताओं में इसकी उपस्थिति और गति के बारे में व‍र्णन मिला है जो ब्रह्मांड के प्रति मनुष्‍य के आकर्षण और जीवन एवं समाज पर इसके प्रभावों को दर्शाता है।

रोमन पौराणिक कथाओं में बृहस्‍पति को देवताओं के राजा के रूप में पूजा जाता है। वह अधिकार, न्‍याय और व्‍यवस्‍था बनाए रखने की शक्‍ति का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। वहीं ग्रीक पौराणिक कथाओं में ज्‍यूस भी यही गुण रखता है और ज्ञान, नेतृत्‍व एवं उच्‍च आदर्शों का प्रतीक है।

अब तक खगोलविदों और विद्धानों ने बृहस्‍पति के चक्र और स्थिति का गहराई से अध्‍ययन किया है और उनका उद्देश्‍य यह समझना है कि समाज किस दिशा में जा रहा है, महत्‍वपूर्ण घटनाओं की भविष्‍यवाणी करना और मानव के व्‍यवहार को गहराई से समझना भी उनका उद्देश्‍य था। बृहस्‍पति के बार-बार गोचर करने या स्थिति बदलने को नए कार्यों की शुरुआत करने, यात्रा करने, उच्‍च ज्ञान पाने या बौद्धिक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए महत्‍वपूर्ण संकेत माना जाता था।

सदियों से ऐतिहासिक अभिलेखों में बृहस्‍पति की मजबूत उपस्थिति को विकास, विस्‍तार, मार्गदर्शन और उत्‍कृष्‍टता की खोज के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है। गुरु ग्रह के प्रति यह आकर्षण न सिर्फ प्रारंभिक खगोल विज्ञान के अध्‍ययन को आकार देता रहा है बल्कि इसका असर सांस्‍कृतिक कथाओं पर भी पड़ा है। इस तरह यह ग्रह मनुष्‍य के विचारों, सामाजिक विकास और विश्‍व की विभिन्‍न सभ्‍यताओं की बौद्धिक परंपराओं में अपने स्‍थायी महत्‍व को दर्शाता है।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: गुरु का नक्षत्र और उसका प्रभाव

सभी 12 राशियों में बृहस्‍पति धनु और मीन राशि के स्‍वामी हैं। बृहस्‍पति कर्क राशि में उच्‍च का और मकर राशि में नीच का होता है। बृहस्‍पति पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्‍वामी हैं और इसका कर्क राशि में वक्री होना निम्‍न नक्षत्रों में जन्‍मे लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है:

  • पुनर्वसु नक्षत्र: यह नक्षत्र आध्‍यात्मिक विकास, आत्‍मनिरीक्षण और बदलाव को स्‍वीकार करने को बढ़ावा देता है। लोग अपनी प्राथमिकताओं का पुर्नमूल्‍यांकन और जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं।
  • विशाखा नक्षत्र: यह नक्षत्र दृढ़ निश्‍चयी बनाता है लेकिन धैर्य रखने के लिए भी कहता है। वक्री बृहस्‍पति करियर में उपलब्धि पाने में कुछ देरी कर सकता है लेकिन लगातार प्रयास करते रहने से सफलता मिलने की संभावना प्रबल होती है।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र: यह नक्षत्र गहराई से सोच-विचार करने और आध्‍यात्मिक चीज़ों या कार्यों पर ध्‍यान देने को बढ़ावा देता है। व्‍यक्‍ति को भावनात्‍मक या आध्‍यात्मिक जागृति का अनुभव हो सकता है।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री के दौरान मजबूत गुर का प्रभाव

कुंडली में खासतौर पर वक्री अवस्‍था में बृहस्‍पति के मजबूत होने का जीवन के विभिन्‍न पहलुओं पर महत्‍वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, जानिए कैसे:

  • यह ज्ञान और आध्‍यात्मिक विकास लेकर आता है जिससे व्‍यक्‍ति को नैतिक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
  • कुंडली में बृहस्‍पति के मजबूत होने का संबंध वित्तीय लाभ और भौतिक सफलता से भी है। यह धन को संचित करने के अवसर लेकर आता है और समृ‍द्ध बनाता है।
  • जिन लोगों की कुंडली में बृहस्‍पति मजबूत होता है, वे अक्‍सर शैक्षिक कार्यों में उत्‍कृष्‍टता प्राप्‍त करते हैं। इनकी सीखने और ज्ञान प्राप्‍त करने में रुचि होती है।
  • बृहस्‍पति की अनुकूल स्थिति समाज में प्रतिष्‍ठा और मान्‍यता भी प्रदान कर सकती है।
  • इससे खासतौर पर गुरु, शिक्षक और आधिकारिक लोगों के साथ अच्‍छे संबंध बनाने को बढ़ावा मिलता है।
  • मजबूत बृहस्‍पति अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य और शारीरिक शक्‍ति प्रदान करता है और इससे मानव शरीर की प्राकृतिक उपचार करने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री के दौरान कमज़ोर गुरु का प्रभाव

जब बृहस्‍पति कमजोर या पीड़ित होता है, तब कुछ चुनौतियां बढ़ सकती हैं:

  • करियर में उन्‍नति करने और वित्तीय लाभ पाने में देरी हो सकती है।
  • बृहस्‍पति के वक्री होने से भावनात्‍मक स्‍तर पर गलतफहमियां होने की वजह से परिवार में विवाद हो सकते हैं।
  • व्‍यक्‍ति को समाज में सम्‍मान या पहचान प्राप्‍त करने में दिक्‍कत हो सकती है।
  • इसके अलावा बृहस्‍पति के वक्री होने से स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी हो सकती हैं और संपूर्ण शक्‍ति प्रभावित हो सकती है।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: ज्‍योतिषीय उपाय

वक्री बृहस्‍पति की ऊर्जा को शांत करने के लिए आप निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • आप रोज़ अपने माथे पर चंदन या हल्‍दी का तिलक लगाएं।
  • बृहस्‍पति की सकारात्‍मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए सोने के जेवर या पीले रंग के वस्‍त्र पहनें।
  • बृहस्‍पतिवार के दिन पीली रंग की वस्‍तुएं जैसे कि हल्‍दी, दाल या केला दान करें।
  • गुरुवार के दिन व्रत रखें और ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:’ मंत्र का 3 से 5 बार जाप करें।
  • केले के वृक्ष की पूजा करें और उसके नीचे दीया जलाएं।
  • भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर पर केसर या पीले चंदन का तिलक लगाएं और उनकी पूजा करें।
  • बृहस्‍पति के प्रभाव को ज्‍यादा से ज्‍यादा बढ़ाने के लिए किसी अनुभवी ज्‍योतिषी से परामर्श करने के बाद पुखराज रत्‍न धारण करें।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के नौवें और बारहवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हैं जो कि अब आपके चौथे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

वृषभ राशि

वृषभ राशि के आठवें और  भाव के स्‍वामी बृ‍हस्‍पति ग्रह हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

मिथुन राशि

मिथुन राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति हैं। अब गुरु आपके दूसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

कर्क राशि

कर्क राशि के छठे और नौवें भाव के स्वामी बृहस्पति हैं और अब वह इस राशि के पहले भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

सिंह राशि

सिंह राशि के पांचवे और आठवें भाव का स्‍वामी बृहस्‍पति अब आपके बारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

कन्या राशि

कन्या राशि के चौथे और सातवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं जो कि अब आपके ग्‍यारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

तुला राशि

तुला राशि के तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हहैं और अब वह आपके दसवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

वृश्चिक राशि

बृहस्‍पति वृश्चिक राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके नौवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

धनु राशि

धनु राशि के पहले और चौथे भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं और अब वह आठवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

मकर राशि

मकर राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके सातवें घर में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

कुंभ राशि

कुंभ राशि के दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके छठे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

मीन राशि

मीन राशि के पहले और दसवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं जो कि अब आपके पांचवे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.  बृहस्‍पति ग्रह कर्क राशि में किस तिथि पर वक्री हो रहे हैं?

11 नवंबर, 2025 को शाम 06 बजकर 31 मिनट पर।

2. बृहस्‍पति के वक्री होने से किन राशियों पर सबसे ज्‍यादा प्रभाव पड़ेगा?

मेष, कर्क और मकर पर खासतौर पर असर देखने को मिलेगा।

3. वक्री होने के दौरान क्‍या उपाय करने चाहिए?

मंत्रों का जाप करें और सप्‍ताह में एक बार यज्ञ-हवन करें।

गुरु कर्क राशि में वक्री, इन 4 राशियों की रुक सकती है तरक्की; करनी पड़ेगी मेहनत!

गुरु कर्क राशि में वक्री: एस्ट्रोसेज एआई हमेशा से अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाली घटनाओं और परिवर्तनों की जानकारी सबसे पहले देता आया है, जिससे आप ग्रहों की चाल, दशा और स्थिति में होने वाले हर परिवर्तन से अवगत रह सकें। इसी क्रम में, अब ज्ञान के कारक कहे जाने वाले गुरु देव 11 नवंबर 2025 की शाम 06 बजकर 31 मिनट  कर्क राशि में वक्री होने जा रहे हैं जिसका प्रभाव सभी राशियों के साथ-साथ संसार और शेयर बाजार पर भी दिखाई देगा। बता दें कि गुरु महाराज अपनी उच्च राशि कर्क में वक्री होंगे।      

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को भाग्य, प्रगति और ज्ञान के कारक माना जाता है, अक्सर इन्हें लाभकारी ग्रह के नाम से जाना जाता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन में प्रगति, समृद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद लेकर आते हैं। गुरु ग्रह आपके भीतर विश्वास जगाते हैं कि आपके जीवन में जो भी होगा, वह अच्छा होगा।

साथ ही, यह व्यक्ति को निजी और आध्यात्मिक जीवन में प्रगति पाने में सहायता करते हैं। गुरु ग्रह मनुष्य जीवन में फिलॉसफी, यात्रा, शिक्षा और सिद्धांतों को नियंत्रित करते हैं और उन सब चीज़ों के कारक हैं जो आपकी सोच के दायरे को बढ़ाने का काम करती हैं। 

जब गुरु देव कुंडली में शुभ स्थिति में मौजूद होते हैं, तो वह जातक के जीवन को अवसरों,  धन-समृद्धि और ख़ुशियों से भर देते हैं। इसके विपरीत, गुरु ग्रह के नकारात्मक अवस्था में होने पर व्यक्ति अति आत्मविश्वासी और हद से ज्यादा आशावादी हो सकता है। कुल मिलाकर, बृहस्पति देव जीवन में सीखने, दया और विश्वास के माध्यम से हमें दुनिया की सच्चाई से जोड़ते हैं। 

गुरु कर्क राशि में वक्री: विशेषताएं 

जब गुरु ग्रह कर्क राशि में वक्री होते हैं, तो इनकी सकारात्मक ऊर्जा में भी कमी आती है जिससे दूसरों की समझने की क्षमता गहरी और मज़बूत होती है। बता दें कि कर्क को संवेदनशीलता और भावनात्मक सुरक्षा की राशि मानी जाती है और इस राशि में गुरु ग्रह की मौजूदगी परिवार, दया और भावनात्मक जुड़ाव के माध्यम से प्रगति लेकर आती है। लेकिन, इस राशि में गुरु ग्रह के वक्री होने से यह गुण अत्यधिक गहराई से दिखाई देंगे। कुंडली में गुरु ग्रह की इस स्थिति की वजह से जातक संसार के बजाय अपने आपको जानने-समझने के द्वारा सबक सीखेंगे। साथ ही, यह पारिवारिक जीवन और भावनात्मक रूप से संतुलित होकर आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त करेंगे।

ऐसे जातकों के व्यक्तित्व में दया, दूसरों की भावनाओं को समझना और दूसरों की सहायता या उनका मार्गदर्शन करना एक विशेष गुण होता है। हालांकि, इन्हें अपने दयालु स्वभाव को दूसरों के सामने प्रकट करने में समस्या का अनुभव होता है या फिर दूसरों की भलाई को लेकर हद से ज्यादा परेशान नज़र आ सकते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, गुरु कर्क राशि में वक्री होकर व्यक्ति को भावनात्मक रूप से परिपक्व, अपने आप से जुड़ाव और अपने प्यार को दूसरों की देखभाल के द्वारा समझाने का प्रयास करेगा। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

गुरु कर्क राशि में वक्री: इन राशियों को रहना होगा सावधान

मेष राशि 

मेष राशि वालों के लिए गुरु महाराज आपके चौथे भाव में वक्री होने जा रहे हैं और यह आपकी कुंडली में नौवें और बारहवें भाव के स्वामी भी हैं। ऐसे में, गुरु देव के कर्क राशि में वक्री होने से आपको अपने कार्यों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आपके काम अधूरे रह सकते हैं और इस दौरान आप पर काम का बोझ बढ़ सकता है क्योंकि आपका वर्क शेड्यूल काफ़ी व्यस्त रह सकता है।

गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान आपको लाभ और हानि दोनों तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यह जातक जीवन में भारी प्रतिस्पर्धा से जूझते हुए दिखाई दे सकते है। जब बात आती है आर्थिक जीवन की, तो आपको हानि होने के योग बनेंगे जो आपको ट्रेवल के माध्यम से हो सकती है। कार्यों की रफ़्तार सुस्त होने की वजह से आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है। 

मेष साप्ताहिक राशिफल  

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों की कुंडली में गुरु ग्रह आपके नौवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके तीसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप, आपको कार्यों के माध्यम से लाभ मिलने में देरी हो सकती है। इस अवधि में इन जातकों को सावधानी से बात करने की सलाह दी जाती है। वहीं, करियर के क्षेत्र में गुरु कर्क राशि में वक्री होने से आप नौकरी बदलने के लिए मजबूर हो सकते हैं और ऐसा करना आपके लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है। 

बात करें व्यापार की, तो गुरु वक्री के दौरान आपको ज्यादा लाभ न मिलने की संभावना है जिसकी वजह आपके द्वारा किया गया गलत चयन हो सकता है। आर्थिक जीवन को देखें तो, आपको मिलने वाला रिटर्न ज्यादा नहीं होगा जिसके चलते आप निराश और असंतुष्ट रह सकते हैं। 

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज आपके दूसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। बता दें कि आपकी कुंडली में बृहस्पति देव आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं।, इस प्रकार इस अवधि में आप अपने दोस्तों को खो सकते हैं जो आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है। 

करियर को देखें, तो गुरु कर्क राशि में वक्री की अवधि आपकी मुश्किलों को बढ़ा सकती है क्योंकि इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में अपने वरिष्ठों के साथ समस्याओं का सामना पड़ सकता है। ऐसे में, आप पर काम का बोझ बढ़ सकता है। व्यापार के क्षेत्र में आपको अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होने के कारण लाभ कमाने के लिए अपनी योजनाओं में बदलाव करना होगा। साथ ही, आपको आर्थिक जीवन में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं इसलिए आपको आगे की योजना बनाकर चलना होगा।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

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कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए गुरु देव आपके लग्न/पहले भाव में वक्री होने जा रहे हैं। कुंडली में गुरु ग्रह आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और ऐसे में, आपको मिलने वाला लाभ आपके हाथों से निकल सकता है। साथ ही, आपको न चाहते हुए भी अपना पैसा ख़र्च करना पड़ सकता है। इसके विपरीत, करियर के क्षेत्र में आपको कार्यों में औसत परिणामों की प्राप्ति होगी। 

संभव है कि गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान आप स्वयं को मिलने वाले कार्यों को अच्छे से करने में सक्षम नहीं होंगे। यह अवधि करियर में तरक्की पाने के लिए आपको अपनी योजनाओं में बदलाव करने के लिए कह रही है जिससे आप प्रोडक्टिविटी के साथ-साथ धन लाभ प्राप्त कर सकें। आर्थिक जीवन में आप अच्छा ख़ासा लाभ कमाने में सक्षम होंगे, लेकिन इस दौरान आपको प्रयासों पर कार्यों के परिणाम  निर्भर होंगे।   

कर्क साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए गुरु ग्रह आपके बारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इन्हें आपकी कुंडली में पांचवें और आठवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। इसके फलस्वरूप, इन जातकों का झुकाव अध्यात्म के प्रति बढ़ सकता है जिसका लाभ आपको कई तरह से मिल सकता है। साथ ही, इस अवधि में आपको कई बार यात्रा करनी पड़ सकती है। 

नौकरीपेशा जातकों की बात करें, तो यह जातक काम के सिलसिले में बार-बार यात्रा करते हुए दिखाई दे सकते हैं जिससे आपको आराम करने का समय न मिलने की आशंका है। साथ ही, इस समय कार्यक्षेत्र में खुद को लेकर आपका आत्मविश्वास कम रह सकता है। इसके अलावा, आप बेकार की शर्तें लगाकर अपना पैसा बर्बाद कर सकते हैं और आपके लिए प्रतिद्वंद्वियों का दबाव झेलना मुश्किल हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ, आप शेयर या सट्टेबाजी के माध्यम से पैसे कमा सकते हैं। हालांकि, सिंह राशि के जातक किसी बड़ी मुसीबत में भी फंस सकते हैं इसलिए सावधान रहें।

सिंह साप्ताहिक राशिफल

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज आपके सातवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। वर्तमान समय में यह आपको तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं। इस दौरान आपको दोस्तों के साथ थोड़ी अजीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है और ऐसे में, आपके हाथ से कई मौके निकल सकते हैं इसलिए आपको योजना बनाकर चलने की सलाह दी जाती है। जब बात आती है करियर की, तो आपको अपने शेड्यूल में बदलाव के साथ-साथ काफ़ी यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। 

बात करें व्यापार की, तो आपको प्रतिद्वंदियों की तरफ से भारी टक्कर मिल सकती है जो आपके लिए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना मुश्किल कर सकते हैं। वहीं, आर्थिक जीवन में आपको धन लाभ भी प्राप्त होगा और आपके खर्चों में भी वृद्धि होगी जिसके चलते आप बचत करने में नाकाम रह सकते हैं। 

मकर साप्ताहिक राशिफल

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए बृहस्पति देव आपके छठे भाव में वक्री हो रहे हैं और यह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के भी अधिपति देव है। इसके फलस्वरूप, इस राशि के जातक जरूरत से ज्यादा धन खर्च करते हुए दिखाई दे सकते हैं और ऐसे में, इन लोगों को अपने  खर्चों को पूरा करने के लिए लोन लेने की नौबत आ सकती है।

बात करें आपके करियर की, तो इस राशि के जातक गुरु वक्री के दौरान थोड़े संतुष्ट नज़र आ सकते हैं। इस समय आपके सहकर्मी कार्यक्षेत्र में आपसे आगे हो सकते हैं जिसकी वजह से आप तनाव में आ सकते हैं। इन लोगों को अपनी कंपनी पर पकड़ मज़बूत करने और आय में वृद्धि के लिए व्यापार करने के तरीकों में बदलाव करना होगा। आर्थिक जीवन में आपको पैतृक संपत्ति और अनेक माध्यम से धन की प्राप्ति होगी, लेकिन आप फिर भी असंतुष्ट रह सकते हैं। 

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

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गुरु कर्क राशि में वक्री: इन राशियों के लिए समय रहेगा बेहद शुभ 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु महाराज आपके नौवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। बता दें कि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह दूसरे और पांचवें भाव को नियंत्रित करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, इन अवधि में आप अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए खुद को मिलने वाले मौकों का फायदा उठाने में सक्षम होंगे। करियर की बात करें तो, अगर आप पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करेंगे, तो ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगा। साथ ही, आप वरिष्ठों को अपनी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता दिखाने में भी सफल रहेंगे। 

जब बात आती है व्यापार की, तो गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान आपके पास धन लाभ कमाने के कई अवसर मौजूद होंगे। आपके क्षेत्र पर आपका अधिकार हो सकता है। वहीं, आर्थिक जीवन में आप अच्छा ख़ासा  धन कमाने में और उसे सही जगह निवेश करने में सक्षम होंगे। इस समय आप पर्याप्त मात्रा में बचत करने के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी प्राप्त करेंगे। 

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

गुरु कर्क राशि में वक्री: विश्व पर प्रभाव 

रियल एस्टेट, भोजन, जल और घरेलू उद्योग 

  • बता दें कि कर्क राशि घर, संपत्ति, रियल एस्टेट और घरेलू क्षेत्र को नियंत्रित करती है इसलिए इस राशि में गुरु ग्रह के वक्री होने से दुनिया भर में हाउसिंग, भूमि, और रियल एस्टेट से जुड़े क्षेत्रों की रफ़्तार धीमी हो सकती है या इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
  • जल से जुड़े क्षेत्र जैसे शिपिंग, मछली पालन, फ़ूड या कृषि आदि क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर्क राशि करती है क्योंकि यह जल तत्व की राशि है। ऐसे में, वैश्विक स्तर पर फ़ूड, कृषि और मरीन सेक्टर से जुड़ी योजनाओं में बदलाव या कोई बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
  • गुरु महाराज कर्क राशि में उच्च अवस्था में होते हैं इसलिए इन सभी क्षेत्रों में बृहस्पति ग्रह प्रगति लेकर आ सकते हैं, परंतु इनके वक्री अवस्था में होने के कारण आपको कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में लेने के बजाय अच्छे से सोच-विचार करने की सलाह दी जाती है। 

आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्य

  • ज्योतिष में गुरु ग्रह को ज्ञान, सीखने और फिलॉसफी का प्रतीक माना जाता है। सरल शब्दों में कहें, तो यह कर्क राशि में उच्च और वक्री अवस्था में होंगे। ऐसे में, यह अवधि खुद के अंदर झांकने, अपने विचारों और सिद्धांतों के बारे में सोचने और प्रगति का सही अर्थ समझने की होगी। 
  • गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान जातकों की रुचि परिवार के बारे में जानने, धर्म, आध्यात्मिकता, पारिवारिक रीति-रिवाजों और हीलिंग पद्धतियों में होगी। 
  • इस समय सरकार और बड़े पद पर बैठे अधिकारी अध्यधिक आत्म-चिंतित हो सकते हैं और वह बनावटी विकास के बजाय किस तरह का समाज निर्मित करना चाहते हैं, इस पर अपना सारा ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

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भू-राजनीति और वैश्विक रणनीति 

  • गुरु ग्रह का वक्री होना कहता है कि जातकों को तेज़ी से आगे बढ़ने के बजाय थोड़ा रुकना होगा या फिर तालमेल बिठाना होगा, इसलिए इस दौरान नीतियों और कानूनों पर पुनः सोच-विचार किया जा सकता है। 
  • जैसे कि हम जानते हैं कि गुरु ग्रह उच्च अवस्था में होंगे इसलिए इसे सकारात्मक कहा जाएगा। लेकिन, इनके वक्री होने से प्रगति की रफ़्तार मंदी या उसमें देर होने की आशंका है या फिर पुरानी योजनाओं पर दोबारा सोच-विचार करना होगा। 
  • गुरु वक्री के दौरान ऐसे देश जो सिद्धांतों या अध्यात्म पर काफ़ी ज़ोर देते होंगे या फिर आंतरिक सुरक्षा, मातृभूमि या पारिवारिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, उन्हें यह अवधि अत्यधिक प्रभावित कर सकती है। 
  • इस दौरान घर से जुड़ी चीज़ों, इंफ्रास्ट्रक्चर, घरेलू खपत से जुड़े बाज़ार और आर्थिक योजनाओं पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है। लेकिन, आपको सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि गुरु देव की वक्री अवस्था अत्यधिक प्रगति को लेकर सावधान करती है। 

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गुरु कर्क राशि में वक्री: शेयर बाजार रिपोर्ट 

  • गुरु कर्क राशि में वक्री होंगे और ऐसे में, प्रगति की रफ़्तार सुस्त रहने की संभावना है या फिर शेयर बाजार भविष्यवाणी के अनुसार, शेयर बाजार भी मंदा पड़ने का अनुमान है।
  • इस अवधि में निवेशक थोड़ा सोच-समझकर निवेश कर सकते हैं क्योंकि गुरु देव प्रगति के ग्रह हैं और इनका वक्री होना मार्केट में उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है।
  • रियल एस्टेट, जल से जुड़े सेक्टर, घरेलू खपत से जुड़े सेक्टरों पर नज़र बनाए रखनी होगी क्योंकि इनमें बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
  • गुरु वक्री के दौरान निवेश या सट्टेबाजी से जुड़े क्षेत्रों को लेकर सजग रहें क्योंकि शेयर बाजार या सुरक्षा क्षेत्रों में गिरावट आ सकती है। 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या चंद्रमा और बृहस्पति आपस में मित्र हैं?

नहीं, चंद्रमा और गुरु ग्रह एक-दूसरे से तटस्थ संबंध रखते हैं। 

गुरु ग्रह की नीच राशि कौन सी है?

ज्योतिष के अनुसार, मकर राशि में गुरु देव नीच अवस्था में होते हैं।

मकर राशि के स्वामी कौन हैं?

राशि चक्र की दसवीं राशि मकर के स्वामी शनि देव हैं। 

बुध वृश्चिक राशि में वक्री से इन राशियों को मिलेगा अप्रत्याशित लाभ और सफलता के अवसर!

बुध वृश्चिक राशि में वक्री से इन राशियों को मिलेगा अप्रत्याशित लाभ और सफलता के अवसर!

बुध वृश्चिक राशि में वक्री: बुध जब वक्री गति में होता है, तो यह हमारी सोच संवाद और यात्रा के तरीकों पर गहरा प्रभाव डालता है। विशेष रूप से जब यह वृश्चिक राशि में वक्री होता है, तो इसके प्रभाव और भी गहरे और रहस्यमय हो सकते हैं। वृश्चिक राशि जोकि जल तत्व की राशि है, भावनाओं और गहरी सोच से जुड़ी होती है और जब बुध यहां वक्री होता है, तो यह मानसिकता को गहरा छिप हुए पहलुओं की ओर मोड़ सकता है। 

इस समय विचारों की स्पष्टता में कमी आ सकती है और पुराने मुद्दों या विचारों का पुनरावलोकन करना आम हो सकता है। यह वक्री बुध समय आत्मनिरीक्षण और गहरे बदलाव का समय होता है, जिसमें हम अपनी पुरानी धारणाओं और सोच के तरीकों को पुनः विचारने की स्थिति में होते हैं। यह समय है, जब हम अपनी भावनाओं, रिश्तों और जीवन के गहरे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और कुछ महत्वपूर्ण आत्म परिवर्तन कर सकते हैं। 

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बता दें कि बुध जल्द ही वृश्चिक राशि में वक्री हो रहे हैं। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको “बुध वृश्चिक राशि में वक्री” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं बुध वक्री की तिथि और समय पर। 

बुध वृश्चिक राशि में वक्री: तिथि और समय 

बुध महाराज 10 नवंबर 2025 की मध्यरात्रि 12 बजकर 03 मिनट पर वृश्चिक राशि में वक्री हो जाएंगे। आइए अब जानते हैं वक्री का क्या अर्थ है और वक्री बुध का क्या प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है।

वक्री ग्रह का अर्थ

ज्योतिष में वक्री ग्रह उस स्थिति को कहते हैं, जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से उल्टा चलता हुआ प्रतीत होता है। यह वास्तव में ग्रह की वास्तविकता उल्टी चाल नहीं होती, बल्कि पृथ्वी की गति के कारण उत्पन्न एक दृश्य भ्रम होती है। जब पृथ्वी किसी ग्रह को अपनी कक्षा से आगे निकल जाती है, तो उस ग्रह की चाल हमें पीछे की ओर जाती हुई दिखाई देती है इसी अवस्था को वक्री कहा जाता है। 

वक्री ग्रहों का ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत गहरा महत्व होता है। जब कोई ग्रह वक्री होता है, तो उसकी ऊर्जा बाहरी रूप से प्रकट होने के बजाय अंतर्मुखी रूप में कार्य करती है। इसका अर्थ है कि उस ग्रह से जुड़े जीवन के क्षेत्र में व्यक्ति को पुनर्विचार, आत्मनिरीक्षण और सुधार के अवसर मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब बुध वक्री होता है, तो विचार, संवाद, तकनीक और यात्रा से जुड़ी परिस्थितियों में रुकावटें या भ्रम उत्पन्न हो सकते हैं, पर यह समय पुराने विचारों और योजनाओं की समीक्षा करने के लिए भी उत्तम होता है। 

इसी प्रकार, शुक्र वक्री होने पर संबंधों, प्रेम और मूल्य प्रणाली पर पुनर्विचार करने का समय आता है, जबकि शनि वक्री व्यक्ति को अपने कर्म, जिम्मेदारी और अनुशासन से जुड़े सबक सिखाता है। कुल मिलाकर, वक्री ग्रह किसी बाधा का संकेत नहीं, बल्कि एक आत्मिक पुनर्संतुलन की प्रक्रिया है, जो हमें भीतर झांककर अपनी गलतियों को सुधारने और जीवन की दिशा को स्पष्ट करने का अवसर प्रदान करती है।

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बुध वृश्चिक राशि में वक्री: ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

ज्योतिष में बुध ग्रह को ज्ञान, बुद्धि, तर्क, संवाद और व्यापार का प्रतीक माना गया है। यह ग्रह व्यक्ति की मानसिक क्षमता, सोचने की शैली, बोलचाल की कला, समझदारी और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को नियंत्रित करता है। बुध को “विवेक का ग्रह” कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति को तार्किक निर्णय लेने और परिस्थितियों का बारीकी से विश्लेषण करने की क्षमता प्रदान करता है। बुध ग्रह का संबंध मिथुन और कन्या राशियों से है, इनमें मिथुन राशि को यह अधिक संवादात्मक बनाता है, जबकि कन्या राशि में यह विश्लेषणात्मक और सूक्ष्म दृष्टि देता है।

यदि किसी कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति में चतुराई, तेज दिमाग और व्यावसायिक की संभावना अधिक होती है। ऐसे लोग नई जानकारी को जल्द ग्रहण करते हैं और दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

इसके विपरीत यदि बुध कमजोर या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो व्यक्ति में भ्रम, असमंजस, संचार में गलती, या मानसिक अस्थिरता देखी जा सकती है। यह व्यक्ति के निर्णयों को प्रभावित कर सकता है और बोलचाल या लेखन में कठिनाइयां ला सकता है।

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वक्री बुध का प्रभाव

बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, संचार, शिक्षा, व्यापार और निर्णय लेने की क्षमता के कारक है इसलिए इसके वक्री होने पर व्यक्ति की सोच, बोलचाल और निर्णय पर असर पड़ता है। इस समय लोगों की बातों को गलत समझा जा सकता है या आपकी बात का गलत अर्थ निकाला जा सकता है। कार्यस्थल पर गलतफहमी या संचार की कमी से तनाव बढ़ सकता है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मोबाइल या इंटरनेट से जुड़ी रुकावटें भी आम रहती हैं। यात्रा या दस्तावेजों से संबंधित कामों में अड़चनें आ सकती हैं। साथ ही, पुराने रिश्ते या अधूरे काम फिर से सामने आ जाते हैं, जिससे व्यक्ति को अतीत की बातें याद आने लगती हैं। हालांकि यह समय केवल नकारात्मक नहीं होता, यह आत्ममंथन और सुधार का भी अवसर देता है। 

पुराने कामों की समीक्षा कर उन्हें बेहतर बनाने का मौका मिलता है। जो रिश्ते पहले बिगड़ गण थे, उन्हें सुधारने का भी सही समय होता है। कुल मिलाकर वक्री बुध का समय धैर्य, सावधानी और सोच-समझकर चलने की सलाह देता है ताकि गलतफहमियों से बचते हुए व्यक्ति अपने अनुभवों से सीख सके।

बुध कमज़ोर होने पर मिलते हैं ये संकेत

  • व्यक्ति को अपनी बात सही तरीके से कहने में दिक्कत होती है, वाणी में अस्पष्टता रहती है।
  • छोटी-छोटी बातें याद नहीं रहती। ध्यान व एकाग्रता की कमी महसूस होती है।
  • बुद्धि भ्रमित रहती है, जिससे व्यक्ति जल्दबाजी या बिना सोचे-समझे फैसले ले लेता है।
  • विद्यार्थियों को याद करने या समझने में परेशानी होती है।
  • बिज़नेस से जुड़ी बातें बार-बार बदलना, गलत सौदे करना या धोखा खाना — ये सब कमजोर बुध के संकेत हैं।
  • कमजोर बुध से त्वचा, नसों, गले और नींद से जुड़ी परेशानियां भी देखी जाती हैं।
  • मन हर बात पर सोचता रहता है, जिससे बेचैनी और मानसिक अस्थिरता बढ़ती है।

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कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति

  • ऐसा व्यक्ति तुरंत निर्णय लेने में सक्षम होता है, उसका दिमाग तेज़ और तार्किक होता है। 
  • व्यक्ति बहुत समझदारी से बोलता है, उसकी बातों में आकर्षण होता है, लोग उसकी राय को महत्व देते हैं।
  • मजबूत बुध वाले लोग पढ़ाई, लेखन, अध्यापन, गणना या तकनीकी कार्यों में निपुण होते हैं।
  • व्यापार, शेयर मार्केट या सेल्स में ऐसे व्यक्ति समझदारी से सौदे करते हैं और धन अर्जित करते हैं।
  • किसी भी परिस्थिति में शांत रहना और विवेक से काम लेना इनकी पहचान होती है।
  • ये लोग सामाजिक रूप से लोकप्रिय रहते हैं, बातचीत में विनोद और आकर्षण होता है।
  • बुध ग्रह तंत्रिका और त्वचा का कारक है, इसलिए मजबूत बुध वाले व्यक्ति मानसिक रूप से सतर्क और शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं।

बुध की स्थिति को मजबूत करने के आसान प्रभावी उपाय

  • बुधवार के दिन भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही, “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • बुधवार को हरी मूंग, हरी सब्जियां, हरा कपड़ा या हरे फल दान करें। इसे विद्यार्थियों, गायों या गरीबों को देना अत्यंत शुभ माना गया है।
  • बुध ज्ञान और शिक्षा का कारक है। इसलिए पढ़ाई कर रहे बच्चों को किताबें, पेन या कॉपी दान करना शुभ होता है।
  • क्रोध या कटु शब्दों से बचें। बुध ग्रह वाणी का स्वामी है, इसलिए मधुर और सच्ची वाणी रखने से इसका प्रभाव तेज़ी से बढ़ता है।
  • आहार में हरी मूंग, धनिया, पुदीना, पालक, अमरूद, सेब, तुलसी आदि शामिल करें।
  • बुध ग्रह “हरापन” से जुड़ा है, इसलिए हरा रंग शुभ माना जाता है।
  • रोज़ाना ध्यान, योग और मस्तिष्क को शांत रखने वाले कार्य करें। इससे बुध की ऊर्जा स्थिर होती है और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
  • यह बुध ग्रह को प्रसन्न करने का बहुत सरल और प्रभावी उपाय माना गया है।

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बुध वृश्चिक राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली के तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। बुध वृश्चिक राशि में वक्री आपके…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे और पांचवे भाव के स्वामी हैं। बुध वृश्चिक राशि में वक्री…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए, बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। बुध…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

करियर के क्षेत्र में, साथ काम करने वालों और सहकर्मियों से काम को लेकर बहस…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

व्यापार में, आपको अपने बिजनेस पार्टनर के साथ तालमेल बनाने में दिक्कत आ सकती …(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

व्यापार में, ग्रोथ धीमी रहेगी, जिससे मुनाफा कम मिलेगा। इसलिए धैर्य…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

आर्थिक जीवन के मामले में, आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है और इस…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

जिन जातकों का खुद का व्यापार है, उन्हें इस समय चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

आर्थिक जीवन के मामले में, आमदनी में उतार-चढ़ाव रहेगा, जिससे…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए बुध छठे और नौवें दोनों भावों के स्वामी हैं और…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

करियर में, नौकरी में बदलाव के योग बन रहे हैं, खासतौर से अगर आप…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

करियर के क्षेत्र में कामकाज को लेकर मन में असंतोष रह सकता है और…(विस्तार से पढ़ें)

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

बुध ग्रह कमजोर क्यों होता है?

बुध ग्रह तब कमजोर होता है जब यह जन्म कुंडली में नीच राशि (मीन) में हो, पाप ग्रहों (राहु, केतु, शनि या मंगल) के साथ स्थित हो, या अशुभ दृष्टि से प्रभावित हो।

कमजोर बुध से क्या नुकसान होते हैं?

कमजोर बुध से व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित रहती है, बोलने में गलती होती है, निर्णय गलत होते हैं, और व्यापार या शिक्षा में अड़चनें आती हैं। कभी-कभी चिंता, तनाव या नींद की दिक्कत भी हो सकती है।

कमजोर बुध को कैसे पहचानें?

अगर व्यक्ति भूलने लगता है, बातों में अस्पष्टता आती है, लोगों से गलतफहमी होती है, या हर छोटी बात पर अधिक सोचने की आदत हो जाए, तो ये कमजोर बुध के संकेत हैं।