मीन राशि में वक्री बुध इन राशि वालों की छीन सकता है नौकरी, जानें कौन सी हैं वह राशियां!

मीन राशि में वक्री बुध इन राशि वालों की छीन सकता है नौकरी, जानें कौन सी हैं वह राशियां!

बुध मीन राशि में वक्री: वैदिक ज्योतिष में बुध देव को ऐसे ग्रह का दर्जा प्राप्त है जिनका शुभ-अशुभ प्रभाव मनुष्य जीवन को गहराई से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। कुंडली में इनकी शुभ स्थिति जहाँ जातक को तेज़ बुद्धि और बेहतरीन संचार कौशल का आशीर्वाद देती है। वहीं, इनके अशुभ या कमज़ोर होने पर व्यक्ति अपनी भावनाओं या बात को दूसरे के सामने नहीं रख पाता है या फिर वह हकलाने लगता है। अब बुध देव मीन राशि में वक्री होने जा रहे हैं जो कि इनकी नीच राशि भी है और ऐसे में, इनकी चाल में होने वाला बदलाव का असर संसार और समस्त राशियों पर दिखाई देगा।  

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एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको बुध मीन राशि में वक्री से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जैसे वक्री बुध का समय और तिथि आदि। यदि आप भी यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि मीन राशि में बुध वक्री होने से किस राशि के जातकों को मिलेगी नौकरी में तरक्की? किन राशियों को होगा आर्थिक लाभ? किन राशियों का प्रेम जीवन बना रहेगा खुशहाल? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस ब्लॉग में मिलेंगे जो कि हमारे विद्वान और अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा बुध ग्रह की स्थिति, चाल और दशा का विश्लेषण करके तैयार किया गया है। चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध मीन राशि में वक्री के बारे में।

बुध मीन राशि में वक्री: तिथि और समय 

ज्योतिष शास्त्र में बुध देव को नवग्रहों का युवराज कहा जाता है इसलिए इनकी चाल, दशा या स्थिति में होने वाला बदलाव विशेष मायने रखता है। बता दें कि यह एक तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है जिन्हें एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग 23 दिन का समय लगता है। अब  15 मार्च 2025 की सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर मीन राशि में वक्री हो जाने जा रहे हैं। ऐसे में, बुध की वक्री चाल का प्रभाव राशि चक्र की 12 राशियों के साथ-साथ विश्व पर भी दिखाई देगा। साथ ही, इस अवधि में कई ग्रह बुध के साथ युति और योगों का निर्माण करेंगे। लेकिन, सबसे पहले जान लेते हैं कि क्या होता है बुध का वक्री होना। 

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क्या होता है ग्रह का वक्री होना?

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि नवग्रहों में से सूर्य ग्रह को छोड़कर सभी ग्रह अपनी चाल या दशा    में बदलाव करते हुए उदय, अस्त और वक्री होते हैं। अगर हम बात करें ग्रह के वक्री होने की, तो ज्योतिष में किसी ग्रह का वक्री होना एक ऐसी घटना होती है जब कोई ग्रह अपनी सामान्य दिशा की बजाय उल्टी दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है, तो इसको ही ग्रह का वक्री होना कहते हैं। आपको बता दें कि वास्तव में कोई ग्रह उल्टा नहीं चलता है, लेकिन वह दूर से देखने पर उल्टा चलता हुआ प्रतीत होता है। वैदिक ज्योतिष की मानें तो, ग्रह की वक्री अवस्था जातक के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है।

ज्योतिष में वक्री बुध का महत्व और प्रभाव 

सामान्य रूप से वक्री शब्द के साथ कई तरह के मिथक जुड़े हैं। शायद ही आप जानते होंगे कि  किसी भी ग्रह की वक्री अवस्था को शुभ नहीं माना जाता है। प्रत्येक ग्रह की वक्री चाल जातक को  अच्छे और बुरे दोनों तरह के परिणाम देने में सक्षम होती है। हालांकि, ग्रह के वक्री होने पर मिलने वाले परिणाम कुंडली में उस ग्रह की स्थिति पर निर्भर करते हैं। 

बता दें कि जब बुध देव वक्री हो जाते हैं, तो उस समय मनुष्य की सोचने समझने की क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है और वाणी में कठोरता एवं रूखापन देखने को मिलता है। इसके अलावा, इस अवधि में गैजेट्स जैसे कि लैपटॉप, मोबाइल,  स्पीकर, कैमरा आदि खराब होने लगते हैं। व्यक्ति को जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आपसे कागजी काम और दस्तावेज़ों में भी गलतियां हो सकती हैं और काम के सिलसिले से की गई यात्राएं भी असफल रहने की संभावना होती हैं।

आइए अब आपको रूबरू करवाते हैं कुंडली में बुध ग्रह से बनने वाले शुभ योगों से। 

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कुंडली में बुध की स्थिति करती है इन शुभ योगों का निर्माण 

कुंडली में जब कोई ग्रह किसी विशेष भाव या दूसरे ग्रह के साथ उपस्थित होता है, तब शुभ योग का निर्माण होता है। यहां हम चर्चा करेंगे बुध ग्रह की उपस्थिति से कौन-कौन से शुभ योगों का निर्माण होता है, चलिए जानते हैं। 

बुधादित्य योग 

बुधादित्य राजयोग को एक बहुत ही शुभ योग माना जाता है जिसके निर्माण में सूर्य और बुध ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक तरफ, जहां सूर्य ग्रह को आत्मा, सम्मान और पिता का कारक माना जाता है जबकि बुध देव ज्ञान, बुद्धि, और व्यापार के कारक माने गए हैं। साथ ही, एक नवग्रहों के राजा हैं और दूसरे नवग्रहों के युवराज हैं। ऐसे में, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह और बुध ग्रह एक साथ एक भाव में बैठे होते हैं, तब बुधादित्य योग का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडली में बुधादित्य योग जन्म लेता है, उन्हें समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और वह व्यापार में अपार सफलता हासिल करता है। 

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पंच महापुरुष योग

कुंडली में निर्मित होने वाले पंच महापुरुष योग को अत्यंत शुभ माना जाता है और इसकी तुलना राजयोग से की जाती है। ज्योतिष के अनुसार, किसी व्यक्ति की कुंडली में जब गुरु, मंगल,  बुध, शनि और शुक्र में से कोई भी एक ग्रह या एक से ज्यादा ग्रह अपनी ही राशि में उच्च अवस्था में केंद्र में स्थित होता है, तो उस समय पंच महापुरुष योग निर्मित होता है। कुंडली में पंच महापुरुष योग जातक को धनवान बनाता है इसलिए इन्हें अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।

लक्ष्मी नारायण योग

लक्ष्मी नारायण योग को अति शुभ और फलदायी माना जाता है जो किसी इंसान की कुंडली में बुध और शुक्र ग्रह के एक साथ मौजूद होने पर बनता है। बुद्धि एवं वाणी के कारक बुध और सौंदर्य व विलासिता के ग्रह शुक्र जब एक साथ एक भाव में विराजमान होते हैं, तब इन दोनों ग्रहों की युति से लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है। ऐसा कहते हैं जिन जातकों की कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग मौजूद होता है,  उनके जीवन में धन-ऐश्वर्य बना रहता है। साथ ही, आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है। 

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बुध मीन राशि में वक्री: इन उपायों से पाएं बुध ग्रह से शुभ परिणाम 

दान

अगर आप कुंडली में बुध को बलवान करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन गरीब या जरूरतमंदों को हरी सब्जियां, हरी मूंग की दाल और हरे वस्त्र आदि दान करें। 

गणेश जी की पूजा

बुध ग्रह की शुभ स्थिति के लिए बुधवार का व्रत रखें और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें। साथ ही, श्री गणेश को प्रसाद के रूप में मूंग के लड्डू का भोग लगाएं।

तुलसी का पौधा लगाएं 

बुध ग्रह के नकारात्मक परिणामों को कम करने के लिए बुधवार के दिन घर में तुलसी का पौधा लगाएं तथा इसकी पूजा नियमित रूप से करें। 

पन्ना रत्न

बुध महाराज को शांत करने के लिए पन्ना रत्न धारण करना फलदायी रहता है, लेकिन आप किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह के बाद ही रत्न धारण करें। 

बुध मीन राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब इस राशि के बारहवें…(विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके ग्‍यारहवें…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के पहले और चौथे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके दसवें… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध मीन राशि में वक्री… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके… (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि के पहले और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध मीन राशि में… (विस्तार से पढ़ें)

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तुला राशि

तुला राशि के नौवें और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके छठे भाव…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के आठवें और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध मीन राशि में … (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के छठे और नौवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के पांचवे और आठवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध मीन राशि में वक्री होने…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि के पांचवे और आठवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध मीन राशि… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बुध मीन राशि में कब वक्री होंगे?

बुध ग्रह 15 मार्च 2025 को मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। 

2. ग्रह का वक्री होना किसे कहते हैं?

जब कोई ग्रह अपनी परिक्रमा पथ पर चलते हुए पीछे की तरफ या उल्टा चलता हुआ प्रतीत होता है, तो इसे ग्रह का वक्री होना कहते हैं।

3. बुध की उच्च राशि कौन सी है? 

ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह मीन राशि में नीच अवस्था में होते हैं।

गुरु की राशि में आएंगे सूर्य, इन राशियों की बदल सकती है किस्मत; धन-संपदा का मिलेगा आशीर्वाद!

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सूर्य का मीन राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव को प्रमुख एवं महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हम सभी इस बात को भली-भांति जानते हैं कि धरती पर सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह एकमात्र ऐसे हिंदू देवता है जो अपने भक्तों को प्रतिदिन साक्षात दर्शन देते हैं। साथ ही, नौ ग्रहों के जनक होने के नाते सूर्य की स्थिति में बदलाव देश-दुनिया को प्रभावित करता है। ऐसे में, जब सूर्य ग्रह की दशा, चाल और राशि में परिवर्तन होता है, तो उसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी क्रम में, आज हम अपने इस विशेष लेख में जल्द ही होने वाले सूर्य के गोचर के बारे में बात करेंगे और इससे संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेंगे।

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आपको बता दें कि मार्च के महीने में सूर्य मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। हालांकि, सूर्य महाराज का यह गोचर कई मायनों में ख़ास होगा क्योंकि इस दौरान कई शुभ योगों का निर्माण होगा और मीन राशि में गोचर के साथ ही सूर्य अपना राशि चक्र पूरा कर लेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इनका यह राशि परिवर्तन सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगा और सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए आप किन उपायों को कर सकते हैं? यह सारी जानकारी आपको इस लेख में विस्तारपूर्वक दी जा रही है। तो चलिए बिना देर किए शुरुआत करते हैं हमारा यह ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं सूर्य गोचर का समय और तिथि। 

सूर्य का मीन राशि में गोचर: तिथि और समय 

सूर्य का गोचर मीन राशि में हो रहा है जिसके अधिपति देव गुरु ग्रह हैं। ज्योतिष में गुरु ग्रह को सूर्य देव का मित्र माना जाता है इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि सूर्य का गोचर मित्र ग्रह की राशि में हो रहा है। बात करें सूर्य गोचर की, तो सूर्य महाराज अपने पुत्र शनि देव की राशि कुंभ से निकलकर 14 मार्च 2025 की शाम 06 बजकर 32 मिनट पर मीन राशि में गोचर कर जाएंगे। सूर्य की मीन राशि में उपस्थिति देश-दुनिया और विभिन्न राशियों के जातकों को प्रभावित करेंगी। वहीं, इनका यह गोचर कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ रह सकता है। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते है सूर्य के महत्व के बारे में। 

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ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रह 

सनातन धर्म में सूर्य देव को मंत्रिमंडल में राजा का दर्जा दिया गया है जबकि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का संबंध उच्च पद, मान-सम्मान और नेतृत्व क्षमता से माना जाता है। सभी 12 राशियों में सूर्य ग्रह के पास सिंह राशि का स्वामित्व है और इनकी उच्च राशि मेष है जबकि यह तुला राशि में नीच अवस्था में होते हैं।

कुंडली में सूर्य देव की स्थिति को लेकर विद्वान एवं अनुभवी ज्योतिषियों का मानना है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य देव उच्च अवस्था में होते हैं या फिर मजबूत स्थिति में होते हैं, ऐसे जातकों को करियर के क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होती हैं, समाज में ख़ूब मान-सम्मान हासिल करते हैं, जीवन में सभी तरह के लाभों की प्राप्ति होती हैं, प्रशासनिक लाभ भी मिलते हैं, इनका स्वास्थ्य उत्तम रहता है और सबसे महत्वपूर्ण अपने पिता के साथ इनके रिश्ते मधुर और मज़बूत रहते हैं।

वहीं दूसरी तरफ, ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य महाराज कमजोर होते हैं या फिर दुर्बल अवस्था में मौजूद होते हैं, इन लोगों को जीवन में दिल और आंखों से जुड़ी समस्याएं परेशान करती हैं। साथ ही, पित्त और हड्डियों से संबंधित रोग भी बने रहते हैं और ऐसे में, आपको सूर्य ग्रह को शांत और मज़बूत करने के लिए कुछ सरल एवं अचूक उपाय करने की सलाह दी जाती है।

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कमज़ोर सूर्य कैसे करता है जीवन को प्रभावित?

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में प्रत्येक ग्रह के मज़बूत और कमज़ोर अवस्था में होने का सीधा असर मनुष्य जीवन पर पड़ता है। लेकिन, अगर किसी की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में होता है, तो जातक को अपने जीवन में ऐसी कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जिनके आधार पर सूर्य के कमज़ोर होने की आप पहचान कर सकते हैं। सूर्य की दुर्बल अवस्था आपको जीवन में किस तरह के परिणाम देती है, उसके बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। 

  • कुंडली में सूर्य देव के कमज़ोर होने पर समाज में जातक के मान-सम्मान में कमी आती है और अकारण ही समाज में इनकी छवि खराब होने लगती है। 
  • चाहे यह जातक सरकारी नौकरी पाने के लिए कितनी भी मेहनत और प्रयत्न कर लें, इनके हाथ असफलता ही लगती है। 
  • ऐसे लोगों के रिश्ते अपने पिता के साथ बिगड़ने शुरू हो जाते हैं। 
  • मान्यता है कि कुंडली में सूर्य ग्रह की अशुभ या कमज़ोर अवस्था पितृ दोष को जन्म देती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य पीड़ित होता है, उन्हें अपने जीवन में पितृ दोष जैसे अशुभ दोष का सामना करना पड़ता है। हालांकि, ज्योतिष में पितृ दोष को शांत करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय बताए गए हैं जिससे आप इस दोष से मुक्ति पा सकते है। 

आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं कि पितृ दोष कैसे बनता है और इसे कैसे शांत किया जा सकता है।

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कुंडली में कब और कैसे बनता है पितृ दोष? 

पितृ दोष का नाम ही लोगों को भयभीत करने के लिए काफ़ी होता है। अगर इसके अर्थ की बात करें, तो पितृ अर्थात पूर्वज और दोष यानी कि नकारात्मक कर्म। सामान्य शब्दों में कहें तो, पितृ दोष वह होता है जो व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में पूर्वजों के लिए किए गए कर्मों से बनता है जिससे आपके पूर्वज नाराज़ हो गए हों। इस प्रकार, पूर्वजों की नाराज़गी से जो दोष उत्पन्न होता है, उसे पितृ दोष कहा जाता है। चलिए अब नज़र डालते हैं कुंडली में कब बनता है पितृ दोष। 

  • जब कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और राहु नौवें भाव में होते हैं, तो जातक को पितृ दोष लग जाता है। 
  • कुंडली के चौथे भाव में केतु ग्रह की मौजूदगी पितृ दोष का सूचक होती है। 
  • सूर्य, चंद्रमा, राहु या केतु, मंगल या शनि जैसे अशुभ ग्रह पीड़ित होते हैं, तो कुंडली में पितृ दोष बनता है। 
  • अगर किसी परिवार पर पितृ दोष का प्रभाव होता है, तो घर-परिवार में विवाद, मतभेद और गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं और आर्थिक समस्याएं तंग करने लगती हैं। 
  • पितृ दोष की वजह से जातक पुराने रोग या स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से परेशान रहता है और करियर में भी बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। 
  • व्यक्ति की मानसिक शांति भंग हो जाती है। 

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पितृ दोष को दूर करने के लिए करें ये उपाय 

  • प्रतिदिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • पितृ पक्ष के दौरान नियमित रूप से अपने पूर्वजों को भोजन अर्पित करें। साथ ही, पितृ तर्पण भी करें। 
  • जातक अपने सामर्थ्य के अनुसार पीले या लाल रंग के वस्त्र, गेहूं, गुड़, तांबे के बर्तन, लाल चंदन और माणिक्य दान करें।  
  • पितृ दोष से मुक्ति के लिए जातक अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लें और उनसे जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। 
  • अगर आप चाहें तो, कुंडली में पितृ दोष के अशुभ प्रभावों से राहत या फिर सूर्य ग्रह को बलवान बनाने के लिए किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से भी सलाह ले सकते हैं ।
  • प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। 
  • रोज़ाना भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए 11 बार उनके मंत्र का जाप करें। 

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सूर्य का मीन राशि में गोचर राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

2025 में सूर्य का मीन राशि में गोचर कब होगा? 

इस साल सूर्य देव का मीन राशि में गोचर 14 मार्च 2025 को होगा। 

ज्योतिष में सूर्य ग्रह कौन हैं?

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को नवग्रहों के राजा, आत्मा और पिता के कारक ग्रह माना गया है।

मीन राशि का स्वामी कौन है?

गुरु ग्रह को मीन राशि पर स्वामित्व प्राप्त है।

होली 2025 पर बनेंगे 4 बेहद शुभ योग, राशि अनुसार लगाएं ये रंग; धन-समृद्धि की होगी वर्षा!

होली 2025 पर बनेंगे 4 बेहद शुभ योग, राशि अनुसार लगाएं ये रंग; धन-समृद्धि की होगी वर्षा!

हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है होली जिसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। यह रंगों, ख़ुशियों, उमंग और उत्साह का पर्व है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है जो लगातार दो दिनों तक चलता है। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है और इसके बाद, होली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग जोश एवं उत्साह के साथ एक-दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं। हालांकि, होली से 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित होता है। एस्ट्रोसेज एआई के इस लेख में आपको होली 2025 से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त होगी। 

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होली का इंतज़ार लोगों को सालभर रहता है और इसे न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व खुशहाली और अपनापन लेकर आता है। होली 2025 के इस लेख में हम आपको बताएंगे होलिका दहन की तिथि और कब है रंग वाली होली? इस पर्व का धार्मिक महत्व और सबसे ख़ास होली 2025 पर राशि अनुसार किस रंग से होली खेलकर आप अपने जीवन में सुख- सौभाग्य लेकर आ सकते हैं, इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें। 

2025 में कब है होली?

होली उत्सव का पहला दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है जिसे होलिका दहन कहते हैं। इसके अगले दिन यानी कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर रंगों वाली होली खेली जाती है। हालांकि, साल 2025 में इस दिन चंद्र ग्रहण भी लगेगा, लेकिन भारत में न दिखाई देने के कारण होली का पर्व बिना किसी समस्या के मनाया जा सकेगा। होली 2025 बेहद शुभ रहेगी क्योंकि इस दिन कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं जिनके बारे में आगे बात करेंगे।

होली 2025 तिथि: 14 मार्च 2025, शुक्रवार

होलिका दहन 2025 की तिथि: 13 मार्च 2025, गुरुवार  

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 13 मार्च 2025 की सुबह 10 बजकर 38 मिनट से, 

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 की दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक। 

चलिए अब नज़र डालते हैं होली 2025 पर बन रहे शुभ संयोगों पर। 

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होली पर बनेंगे ये बेहद शुभ योग

ज्योतिष में किसी विशेष दिन या त्योहार पर कोई शुभ योग बनता है, तो उस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसी क्रम में, होली 2025 कई मायनों में विशेष रहने वाली है क्योंकि इस दिन  एक नहीं अनेक शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। बता दें कि होली पर त्रिग्रही योग, बुधादित्य राजयोग, नीच भंग राजयोग और लक्ष्मी नारायण राजयोग बन रहे हैं। 

मीन राशि में शुक्र, बुध और सूर्य के एक साथ होने से त्रिग्रही योग बनेगा जबकि इसी राशि में शुक्र और बुध के युति करने से लक्ष्मी नारायण राजयोग बनेगा। हालांकि, सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही सिर्फ एक दिन के लिए बुधादित्य योग का निर्माण होगा जो कि होलिका दहन के अगले दिन छोटी होली अर्थात 14 मार्च 2025 को बनेगा। होली 2025 पर बन रहे शुभ योगों की वजह से जातकों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा और सफलता आपके कदम चूमेगी। वहीं, यह अवधि नए काम को शुरू करने या नए व्यापार का आरंभ करने के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगी। साथ ही, जातकों की बुद्धि भी तेज़ होगी। 

होली 2025 का धार्मिक महत्व 

साल भर में आने वाले सबसे बड़े और प्रमुख पर्वों में से एक है होली का त्योहार। धार्मिक दृष्टि से, होलिका दहन और होली दोनों ही दिन अत्यंत विशेष होते हैं। पहले दिन होलिका दहन करने का विधान है और दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, होली का पर्व भगवान श्रीकृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है इसलिए इस दिन देशभर और विशेष कर श्रीकृष्ण की जन्म स्थान ब्रज और मथुरा में रंगवाली होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। एक महीने पहले से ही यहां होली की शुरुआत हो जाती है। 

इसके अलावा, होली को वसंत ऋतु में मनाया जाता है जो कि सर्दियों के अंत का प्रतीक मानी जाती है। बदलते समय के साथ अब होली विश्वभर में मनाई जाने लगी है। इस दिन बुराई पर अच्छाई ने विजय प्राप्त की थी इसलिए इस दिन अग्नि जलाई जाती है और भगवान विष्णु के प्रति भक्त प्रहलाद की निस्वार्थ भक्ति की विजय का जश्न मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं की बात करें, तो होली का पर्व देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने और मंत्रों का जाप करने के लिए उत्तम होता है, इससे जातक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही, आपके जीवन से समस्याओं का अंत होता है।

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होली का सांस्कृतिक महत्व 

होली का पर्व सच्चाई और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है क्योंकि इसके बल पर ही अच्छाई ने बुराई पर जीत प्राप्त की थी। हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से यह संदेश मिलता है कि भगवान की भक्ति सदैव अपने सच्चे भक्त की रक्षा करती है। साथ ही, लोगों को अपने जीवन में अच्छाई और सच्चाई का पालन करने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके अलावा, होली के समय खेत में फसल खिलखिला रही होती है और अच्छी फसल लोगों को होली की खुमारी में डूबने का एक अच्छा कारण देती है। 

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कैसे मनाया जाता है होली का त्योहार?

  • देश भर में होली के नामों के साथ-साथ इसको मनाने के तरीकों में भी अंतर देखने को मिलता है। भारत के ही विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो, मध्यप्रदेश के मालवा में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है जो कि होली से भी कई गुना अधिक उत्साह से खेली जाती है। 
  • रंग पंचमी के बाद होली की असली रौनक भगवान कृष्ण की ब्रज भूमि में दिखाई देती है, विशेष रूप से बरसाना की लट्ठमार होली हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है। मथुरा और वृंदावन में एक माह पहले से होली शुरू हो जाती है। 
  • हरियाणा में भाभी के देवर को सताने की परंपरा है और वहीं, महाराष्ट्र में रंगपंचमी पर सूखे गुलाल से होली खेली जाती है। 
  • दक्षिण गुजरात में रहने वाले आदिवासियों के लिए होली प्रमुख पर्व है। छत्तीसगढ़ में होली पर लोक-गीत गाए जाते हैं जबकि मालवांचल में भगोरिया मनाया जाता है।

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होली 2025 पर राशि अनुसार रंगों से खेलें होली, चमक उठेगी तकदीर 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए होली 2025 पर लाल रंग से होली खेलना फलदायी रहेगा और आपके भाग्य को बढ़ाएगा। 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वाले इस होली अगर आप सुख-सौभाग्य को पाना चाहते हैं, तो आपको पीले और पीले से मिलते-जुलते रंगों से होली खेलनी चाहिए। 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए होली के दिन हरे रंग से होली खेलना शुभ रहेगा और आपको हर कदम पर किस्मत का साथ मिलेगा। 

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों को लाल और गुलाबी रंग से होली खेलनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपके धन-समृद्धि में वृद्धि होगी।

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातक अपने जीवन से समस्याओं के अंत के लिए ऑरेंज या संतरी रंग से होली खेलें।

कन्या राशि

कन्या राशि वालों को अपनी ज़िन्दगी में खुशहाली बनाए रखने के लिए पीले और हरे रंग से होली खेलना उत्तम रहेगा।

तुला राशि

तुला राशि के जो जातक जीवन के किसी भी क्षेत्र में आ रही बाधाओं से परेशान हैं, तो गुलाबी रंग से होली खेलने की सलाह दी जाती है। 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों को सुख-शांति से पूर्ण जीवन का आनंद लेने के लिए लाल रंग से होली खेलनी चाहिए।

धनु राशि 

धनु राशि के जिन जातकों को करियर या व्यापार में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें पीले रंग से होली खेलने से उत्तम परिणामों की प्राप्ति होगी।

मकर राशि

मकर राशि वाले होली 2025 पर अपने प्रियजनों और करीबियों को रंग लगाने के लिए नीले रंग का इस्तेमाल करें। इससे आपको लाभ की प्राप्ति होगी।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों को धन-धान्य एवं समृद्धि की प्राप्ति के लिए गहरे नीले रंग से होली खेलनी चाहिए। ऐसा करने से आपको शुभ फल प्राप्त होंगे। 

मीन राशि 

मीन राशि के जातक करियर में तरक्की पाने के लिए होली पर गोल्डन या पीले रंग का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपको सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होगी। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. होली क्यों मनाई जाती है?

होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। 

2. इस साल कब है रंग वाली होली?

वर्ष 2025 में रंग वाली होली 14 मार्च 2025, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। 

3. धुलेंडी कब है 2025 में?

साल 2025 में धुलेंडी का पर्व 13 मार्च 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा।

होली के शुभ दिन लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें अपने जीवन पर इसका प्रभाव?

होली के शुभ दिन लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें अपने जीवन पर इसका प्रभाव!

एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए “चंद्र ग्रहण 2025” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसके अंतर्गत आपको चंद्र ग्रहण से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त होगी जैसे तिथि, समय आदि। बता दें कि यह साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण होगा। हम इस लेख में चंद्र ग्रहण के शुरू और समाप्त होने के समय के साथ-साथ यह ग्रहण भारत सहित देश-दुनिया में कहां-कहाँ दिखाई देगा और क्या सूतक काल मान्य होगा, इस बारे में भी विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच क्या है अंतर? इस दौरान किन सावधानियों को बरतना चाहिए और किन उपायों को करके आप ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं, इससे भी हम आपको रूबरू करवाएंगे। बता दें कि वर्ष 2025 का यह चंद्र ग्रहण होली के दिन लगने जा रहा है और इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। आइए तो बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं चंद्र ग्रहण 2025 स्पेशल इस लेख की। 

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चंद्र ग्रहण 2025: तिथि और समय 

साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को लगने जा रहा है और यह ग्रहण सुबह 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 18 मिनट पर ख़त्म होगा। इस ग्रहण के समय चंद्र ग्रह कन्या राशि में और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में विराजमान होगा।

चंद्र ग्रहण 2025: क्या होता है चंद्र ग्रहण? 

जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और इससे सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है, तो इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। सूर्य और चंद्रमा के मध्य पृथ्वी के आने की वजह से चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया बनती है। बता दें कि सामान्य रूप से चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं जो कि इस प्रकार हैं:

पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा का पूरा हिस्सा पृथ्वी द्वारा ढक लिया जाता है, तो इस स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं। इस दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है क्योंकि पृथ्वी सूर्य की रोशनी को फैला देती है और चन्द्रमा तक सूर्य का प्रकाश लाल तरंगों के बीच पहुंचता है।

आंशिक चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी चंद्रमा के केवल आंशिक भाव को ही ढक पाती है, तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया से होकर गुजरता है, तो इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी कुछ अपूर्ण होती है और इस समय चंद्रमा का प्रकाश कुछ धुंधला पड़ जाता है, तो इसको ही उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। 

हालांकि, आपको बता दें कि चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन सूर्य ग्रहण को देखने के लिए सुरक्षा बरतनी होती है। अगर चंद्र ग्रहण आपके देश में लग रहा है, तो आप इसे रात के समय देख सकते हैं। 

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चंद्र ग्रहण 2025: दृश्यता और सूतक काल 

तिथिदिन तथा दिनांकचंद्र ग्रहण चंद्र ग्रहण शुरू होने का समय चंद्र ग्रहण समाप्त होने का समयकहाँ-कहाँ दिखाई देगा
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमातिथि 14 मार्च 2025, शुक्रवारसुबह 10: 41 बजे सेदोपहर 02:18 बजे तकऑस्ट्रेलिया का अधिकांश भाग, यूरोप, अफ्रीका का अधिकांश भाग, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका(भारत में दिखाई नहीं देगा)

चंद्र ग्रहण 2025: सूतक काल

हिंदू धर्म में सूतक काल को महत्वपूर्ण माना जाता है और संभव है कि हमारा यह लेख पढ़ने वाले कुछ पाठकों को सूतक के विषय में जानकारी न हो। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां हम चंद्र ग्रहण 2025 के सूतक काल के बारे में विस्तार से बात करेंगे। सूतक काल ऐसा समय होता है जिसका आरंभ चंद्र ग्रहण से कुछ समय (09 घंटे) पहले हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति के साथ ही सूतक समाप्त हो जाता है। सूतक को अशुभ माना गया है इसलिए इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता है क्योंकि इस अवधि में शुभ एवं मांगलिक काम वर्जित होते हैं। इस दौरान देवी-देवताओं की प्रतिमा को स्पर्श करना, मंदिर जाना और शादी या मुंडन जैसे मांगलिक कार्य करना निषेध होता है। हालांकि, यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

चंद्र ग्रहण 2025: होली पर बनेंगे ये चार बेहद दुर्लभ योग 

लक्ष्मी नारायण योग

कुंडली में जब बुध ग्रह और शुक्र देव या फिर गुरु ग्रह और बुध महाराज एक साथ एक राशि में बैठे होते हैं, उस समय लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है। अब बुध और शुक्र ग्रह दोनों एक साथ मीन राशि में साथ मौजूद होंगे जिसका सीधा लाभ मिथुन राशि, वृषभ राशि, धनु राशि के साथ-साथ कन्या राशि पर पड़ेगा। इन राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। 

ज्योतिष में लक्ष्मी नारायण योग को बहुत शुभ राजयोग माना गया है। जो जातक अपने कार्यों में ईमानदारी और समर्पण के साथ प्रयास करते हैं, उनके  जीवन में धन-समृद्धि में वृद्धि होने की प्रबल संभावना है। 

त्रिग्रही योग

मार्च माह में एक ऐसी स्थिति बनेगी जब मीन राशि में तीन ग्रह सूर्य, बुध और शुक्र ग्रह मौजूद होंगे। इसी क्रम में, होली यानी कि 14 मार्च, 2025 के दिन मीन राशि में एक साथ तीन ग्रह उपस्थित होंगे और ऐसे में, यह तीन ग्रह त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। यह योग अगर कुंडली के केंद्र भावों (1,4,7,10) में बनता है, तो जातक को सफल करियर, करियर में अच्छे अवसर, सुखी वैवाहिक जीवन और एक स्थिर एवं मज़बूत आर्थिक स्थिति प्रदान करता है। लेकिन, यहां गौर करने वाली बात है कि मीन राशि में चंद्र ग्रहण नहीं लग रहा है, इसलिए इन योगों से मिलने वाले परिणामों पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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बुधादित्य योग

ज्योतिष शास्त्र में बुधादित्य योग को बहुत ही शुभ और शक्तिशाली योग माना जाता है। यह योग कुंडली में उस समय बनता है जब बुध और सूर्य एक राशि में एक भाव में साथ बैठे होते हैं। बुधादित्य योग को शुभ योग का दर्जा प्राप्त है क्योंकि सूर्य और बुध दोनों ही ग्रह बुद्धि, संचार कौशल और शक्ति को दर्शाते हैं और ऐसे में, बुधादित्य योग के निर्माण से इन गुणों के प्रभाव में वृद्धि होती है।

नीचभंग राजयोग

नीचभंग राजयोग को ऐसा योग माना जाता है जो कुंडली में किसी ग्रह की नीच अवस्था को भंग करता है। इस योग से जातक को जीवन में शक्ति, धन-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। इस साल नीचभंग राजयोग का निर्माण मीन राशि में बुध (नीच अवस्था) और शुक्र (उच्च अवस्था) द्वारा हो रहा है।

चंद्र ग्रहण 2025: सभी 12 राशियों के लिए राशि अनुसार भविष्यवाणी 

मेष राशि

साल का पहला चंद्र ग्रहण कन्या राशि के अंतर्गत उत्तराफालुनी नक्षत्र में लगने जा रहा है। मेष राशि उन राशियों में से है जिनके जातकों को ग्रहण सबसे ज्यादा नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। इस अवधि में मेष राशि वालों को सिरदर्द, माइग्रेन, उल्टी, मूड स्विंग और तनाव जैसी समस्याएं घेर सकती हैं। साथ ही, घर-परिवार में भी अशांति का माहौल बन सकता है। आपकी माता के साथ आपके टकराव की स्थिति जन्म ले सकती है। इसके अलावा, ग्रहण के पहले, ग्रहण के दौरान और ग्रहण के बाद इस राशि के छात्रों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या का अनुभव हो सकता है। ऐसे में, आपको ध्यान करने की सलाह दी जाती है। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों की कुंडली में चंद्र ग्रहण 2025 का असर आपके रचनात्मकता और कार्य-व्यापार के भाव यानी कि पांचवें भाव पर पड़ेगा। इस अवधि में आपको मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, इन जातकों को अपनी पुरानी इच्छाओं और नीतियों को छोड़कर एक नए दृष्टिकोण को अपनाना होगा। इस समय आपको दूसरों के सामने खुद को व्यक्त करने में परेशानी हो सकती है इसलिए आप रचनात्मक कार्यों या फिर मार्केटिंग से संबंधित कामों को अपने हाथ में लेने से बचें। 

मिथुन राशि

चंद्र ग्रहण 2025 का प्रत्यक्ष प्रभाव मिथुन राशि वालों के चौथे भाव पर पड़ेगा जो कि लक्ज़री, सुख-सुविधाओं और माता का भाव होता है। इस दौरान आपको अपनी माता की सेहत को लेकर सावधान रहना होगा और उनका ध्यान रखना होगा। आपकी माता को सर्दी, एलर्जी, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज जैसे रोग अपना शिकार बन सकता है। इसके अलावा, इन जातकों के घर-परिवार का माहौल ख़राब रह सकता है इसलिए आपको अपने व्यवहार पर ध्यान देना होगा कि आप घर पर कैसा व्यवहार करते हैं। साथ ही, परिवार में प्रेम और सौहार्द बनाए रखने की कोशिश करें। इस ग्रहण का असर आपके पेशेवर जीवन के भाव यानी कि दसवें भाव पर भी पड़ेगा इसलिए आपको बॉस और सहकर्मियों के साथ बात करते समय बहुत सतर्कता बरतनी होगी। 

कर्क राशि

चंद्र ग्रहण और कुंडली में बन रही चंद्रमा-केतु की युति का प्रभाव कर्क राशि वालों के तीसरे भाव को प्रभावित कर सकता है जो कि साहस को दर्शाता है। ऐसे में, आपको जीवन के बड़े फैसले लेने से बचना होगा क्योंकि इस समय आपका आत्मविश्वास कमज़ोर रहेगा और आप खुद पर संदेह करते हुए दिखाई दे सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपके द्वारा सही निर्णय लेने की संभावना बहुत कम है। कर्क राशि के जातकों का मन इस समय उदासीनता से भरा रह सकता है और ऐसे में, आपका अपनी पसंद का काम करने का भी मन नहीं करेगा, इसलिए आपको खुद को और अपनी पसंद की चीज़ों को वक़्त देने की सलाह दी जाती है।

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों की कुंडली में चंद्र देव और केतु ग्रह आपके दूसरे भाव में मौजूद होंगे। ऐसे में, इस स्थिति का नकारात्मक प्रभाव आपकी बचत और धन से जुड़े मामलों पर पड़ सकता है। साथ ही, इन लोगों के खर्चे भी बेतहाशा बढ़ने की संभावना है और आपको अपने शब्दों को लेकर बहुत सावधान रहना होगा क्योंकि आपकी बातों का गलत अर्थ निकाला जा सकता है या फिर समाज में आपके इरादों पर सवाल खड़े किये जा सकते हैं। आपकी राशि में दरिद्र योग भी बन रहा है। 

कन्या राशि

कन्या राशि वालों की कुंडली में केतु और चंद्र ग्रह की युति का निर्माण आपके लग्न/पहले भाव में हो रहा है। इसके फलसवरप, इन जातकों को जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, सिर दर्द और माइग्रेन जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं इसलिए अपना ध्यान रखें।  

तुला राशि

चंद्र ग्रहण 2025 तुला राशि वालों को जीवन में विदेश से व्यापार और धर्म-कर्म के कार्यों से संतुष्टि देने का काम करेगा। इस अवधि में आपका आत्मविश्वास मज़बूत होगा और आप अपनी चमक बिखेरते हुए दिखाई देंगे। हालांकि, इन लोगों को परिवार के सदस्यों की सेहत पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। हालांकि, आपका आत्मविश्वास आपको इन सभी समस्याओं से बाहर आने में सहायता करेगा। इसके अलावा, तुला राशि के लोगों को अपने सामाजिक जीवन के साथ-साथ अपने बड़े भाई-बहनों के साथ रिश्ते पर भी ध्यान देने की सलाह दी जाती है क्योंकि आपको कुछ उतार-चढ़ावों का सामान करना पड़ सकता है। 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों को चंद्र ग्रहण के दौरान चोरी, रोग, कर्ज़ या फिर अज्ञात शत्रुओं की तरफ से समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है। बता दें कि वृश्चिक राशि के जातकों के लिए चंद्र देव आपके नौवें भाव के स्वामी हैं और ऐसे में, आपको भाग्य का साथ न मिलने की आशंका है। आप पर कर्ज़ बढ़ सकता है और आर्थिक समस्याएं भी आप पर हावी हो सकती है। कार्यक्षेत्र में भी आपको सहकर्मियों या प्रतिद्वंदियों की तरह से परेशानियां बढ़ सकती हैं। साथ ही, इन जातकों का पिता, टीचर या मेंटर के साथ विवाद हो सकता है और ऐसे में, आपको सावधान रहना होगा। 

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धनु राशि 

चंद्र ग्रहण 2025 की अवधि में धनु राशि के जातकों को मानसिक और मूड स्विंग जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं क्योंकि चंद्र देव आपकी कुंडली के आठवें भाव के स्वामी हैं जो आपके दसवें भाव में मौजूद होंगे। ऐसे में, यह आपको नकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे। इस दौरान कार्यक्षेत्र में आपको कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है या फिर आपको वरिष्ठों के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव झेलना पड़ सकता है। ऐसे में, आप तनाव में दिखाई दे सकते हैं। इस समय आपका पेशेवर या निजी जीवन चिंता का विषय बन सकता है।

मकर राशि 

मकर राशि वालों के लिए चंद्र ग्रह आपके विवाह और साझेदारी के भाव यानी कि सातवें भाव के स्वामी हैं जो कि आपके नौवें भाव में केतु के साथ युति करेंगे। कुंडली के नौवें भाव में चंद्र और केतु ग्रह की एक साथ मौजूदगी को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है। यह आपको अध्यात्म के रास्ते पर लेकर जा सकते हैं, लेकिन चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान पिता के साथ संबंध आपको तनाव देने का काम कर सकते हैं या फिर पिता या मेंटर के साथ विचारों को लेकर आपको असहमति देखने को मिल सकती है। अगर आप किसी भी तरह के मानसिक रोग से जूझ रहे हैं, तो आपको चंद्र ग्रहण के दौरान बहुत सावधानी बरतनी होगी। साथ ही, आपके पिता का स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहने की संभावना है इसलिए उनकी सेहत का ध्यान रखें। 

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए चंद्र देव आपके छठे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके आठवें भाव में केतु के साथ उपस्थित होंगे। हालांकि, आप ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपने जीवन में आराम और सुख-सुविधाओं को महत्व देते हैं, लेकिन कुंडली के आठवें भाव में केतु और चंद्र की युति के प्रभाव की वजह से आप निराश महसूस कर सकते हैं। 

इस अवधि में कभी-कभी आप ख़ूब मेहनत करेंगे और कभी-कभी आप चीज़ों को उनके हाल पर छोड़ सकते हैं। ऐसे में, आप लक्ष्यों से भटक सकते हैं। साथ ही, इस समय आपके रिश्ते भाई-बहन के साथ थोड़े ख़राब हो सकते हैं और आप अपने कार्यों पर संदेह करते हुए नज़र आ सकते हैं क्योंकि आपमें साहस की कमी रह सकती है। इसके अलावा, आर्थिक जीवन में भी समस्याएं जन्म ले सकती हैं। 

मीन राशि 

मीन राशि के उन जातकों के लिए चंद्र ग्रहण 2025 अनुकूल रहेगा जिनका संबंध ज्योतिष, टैरो रीडिंग और हीलिंग आदि से है। साथ ही, यह अवधि ट्रेवल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के लिए भी फलदायी रहेगी। चंद्र ग्रहण 2025 नाविकों और मर्चेंट नेवी से संबंध रखने वाले लोगों के लिए लाभदायक साबित होगा। साथ ही, इस अवधि को लेखकों के लिए भी शुभ कहा जाएगा क्योंकि उनकी रचनात्मकता में वृद्धि होगी जिसकी झलक आपके काम में भी दिखाई देगी।

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चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं बरतें ये सावधानियां 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण का प्रभाव मनुष्य जीवन को गहनता से प्रभावित करता है, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को। ऐसे में, ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। हालांकि, ग्रहण काल में बरती जाने वाली सावधानियां परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। यहां हम आपको ज्योतिषियों द्वारा बताई गई उन सावधानियों के बारे में बताएंगे जिनका गर्भवती महिलाओं को पालन करना चाहिए।

स्वयं की देखभाल करें:

  • आराम करें: गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान आराम करना चाहिए और बहुत ज्यादा मेहनत करने से बचना चाहिए। चंद्र ग्रहण के दौरान निकलने वाली ऊर्जा काफ़ी तीव्र होती है इसलिए आपको आराम के साथ-साथ ध्यान करने की सलाह दी जाती है। 
  • ख़ूब पानी पिएं: गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ और हाइड्रेट रहने के लिए ख़ूब पानी पीना चाहिए।

जल्दबाज़ी में निर्णय लेने से बचें 

  • चंद्र ग्रहण काल को परिवर्तन की अवधि माना जाता है  इसलिए इस दौरान जीवन से जुड़े बड़े फैसले लेने से परहेज़ करें या फिर कोई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू करने से बचें क्योंकि ग्रहण काल की ऊर्जा में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है इसलिए इस समय को बड़े फैसलों के लिए सही नहीं कहा जा सकता है।
  • जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें इस अवधि में ऐसे लक्ष्य निर्धारित करने से बचना होगा जो आपके जीवन में बड़े बदलाव लेकर आ सकते हैं। 

नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए घर में रहें 

  • गर्भवती महिलाओं को तनाव और नकारात्मक परिस्थितियों से दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसकी वजह से आप भावनात्मक रूप से परेशान रह सकती हैं। ऐसे में, आप शांत रहें और सकारात्मक लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
  • भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहने और अपने एवं संतान की भलाई के लिए मतभेद या विवाद से बचें।

 धार्मिक अनुष्ठान 

  • कई ज्योतिषियों द्वारा ग्रहण के दौरान अनेक कार्यों जैसे कि मोमबत्ती जलाना, अगरबत्ती का उपयोग करना या फिर मूनस्टोन, एमेथिस्ट या रोज़ क्वार्ट्ज आदि का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है ताकि आप नकारात्मकता से सुरक्षा प्राप्त कर सकें और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहें।
  • वहीं, आप चाहे तो ग्रहण काल के दौरान किसी पवित्र स्थान पर ध्यान कर सकते हैं या फिर आराम कर सकते हैं।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

व्रत करने से बचें 

  • मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान कुछ विशेष खाद्य वस्तुओं या खानपान का त्याग करने से नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को व्रत नहीं करना चाहिए और व्रत करने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। 

ग्रहण नग्न आँखों से देखने से बचें 

  • ज्योतिष शास्त्र किसी भी इंसान को चंद्र ग्रहण बिना किसी सावधानी के नग्न आंखों से देखने की सलाह नहीं देता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण की तीव्र ऊर्जा आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के संपर्क में आने से बचने और घर में आराम करने की सलाह दी जाती है। 

चंद्र ग्रह की ऊर्जा से जुड़ें

  • कुछ गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण की ऊर्जा से जुड़ने का चुनाव करती हैं।  इस अवधि का उपयोग व्यक्तिगत सोच-विचार करने या स्वयं और अपनी संतान को स्वस्थ रखने के लिए धार्मिक कार्य कर सकती हैं। ऐसे में, इस दौरान आप ध्यान,  अफर्मेशन और जर्नल लिखना आदि काम कर सकती हैं जिससे ग्रहण की परिवर्तनकारी ऊर्जा का उपयोग आप सही दिशा में कर सकेंगी। 

शांत रहें और तनाव से बचें 

  • चंद्र ग्रहण के दौरान अक्सर भावनाओं में उफ़ान देखने को मिलता है। ऐसे में, गर्भवती महिलाओं को इस दौरान मूड स्विंग हो सकते हैं इसलिए आपको एकाग्र रहने के साथ-साथ शांत रहना होगा। साथ ही, तनाव से बचते हुए भरपूर आराम करने की सलाह दी जाती है। 
  • जैसे कि हम सभी जानते हैं कि ज्योतिष, विज्ञान की बजाय विश्वास और मान्यताओं पर आधारित है। ऐसे में, ज्योतिष की विभिन्न मान्यताएं गर्भवती महिलाओं के लिए फलदायी साबित होती हैं जिसके माध्यम से वह अपनी सेहत को अच्छा रख सकती हैं। हालांकि, आप स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी परामर्श के लिए डॉक्टर की राय ले सकते हैं। 

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. चंद्र ग्रहण क्या होता है?

जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और ऐसे में, चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है, इसे ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

2. किस राशि में चंद्र ग्रहण 2025 लगेगा?

साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण कन्या राशि में लगने जा रहा है। 

3. चंद्र ग्रहण 2025 किस नक्षत्र में लगेगा?

इस साल का पहला चंद्र ग्रहण उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। 

होलिका दहन पर अग्नि में अर्पित करें ये चीज़ें, जीवन से नकारात्मकता का हो जाएगा अंत!

होलिका दहन पर अग्नि में अर्पित करें ये चीज़ें, जीवन से नकारात्मकता का हो जाएगा अंत!

होलिका दहन 2025 एक हिंदू त्योहार है जो एकता, परंपराओं और आनंद का भव्य उत्सव है। हिंदू धर्म में दिवाली के बाद मनाया जाने वाला दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पर्व है होली जिसे क्षमा और बुराई पर अच्छाई की जीत प्रतीक माना गया है। पंचांग के अनुसार, होलिका दहन को प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है और अगले दिन रंगों की होली पूरे उत्साह से मनाई जाती है। होलिका दहन के दिन जलने वाली अग्नि से आपके जीवन और वातावरण में फैली नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है। यह त्योहार पर्यावरण में सकारात्मकता का संचार करता है। सिर्फ इतना ही नहीं, होली के पहले दिन यानी कि होलिका दहन से ही फिजाओं में गुलाल उड़ने की शुरुआत हो जाती है। 

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होलिका दहन 2025 का यह विशेष ब्लॉग एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए लेकर आया है जिसके माध्यम से हम आपको होलिका दहन की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताएंगे। साथ ही, होलिका दहन पर आप राशि अनुसार अग्नि में किन वस्तुओं को डाल करके नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, इससे भी आपको अवगत करवाएंगे। तो आइए बिना रुके शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं होलिका दहन 2025 की तिथि और समय। 

होलिका दहन 2025: तिथि और समय

हिंदू पंचांग की बात करें तो, होली पर्व का आरंभ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है और इस पर्व के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है। इसके दूसरे दिन रंग वाली होली खेलने की परंपरा है। बता दें कि होलिका की अग्नि बुराई पर अच्छाई और भक्ति की शक्ति को दर्शाती है। इस साल कब मनाया जाएगा होलिका दहन का पर्व और क्या रहेगा शुभ मुहूर्त? चलिए जानते हैं। 

होलिका दहन की तिथि: 13 मार्च 2025, गुरुवार

होलिका दहन शुभ मुहूर्त :रात 11 बजकर 30 मिनट से रात 12 बजकर 24 मिनट तक

अवधि: 0 घंटे 53 मिनट

भद्रा पुँछा का समय: शाम 07 बजकर 13 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक

भद्रा मुखा का समय: रात 08 बजकर 30 मिनट से रात 10 बजकर 38 मिनट तक

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 13 मार्च 2025 की सुबह 10 बजकर 38 मिनट से, 

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 की दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक। 

होलिका दहन का अचूक उपाय

एस्ट्रोसेज एआई के अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषी गोपाल अ होली पर समस्याओं के निवारण के लिए एक सरल एवं अचूक उपाय प्रदान कर रहे हैं। यदि आप समस्याओं से ग्रस्त और परेशानियों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो होली पर यह प्रयोग जरूर करें क्योंकि इससे आपको समस्याओं से राहत मिलेगी जो कि इस प्रकार हैं: 

“जिस दिन होली की पूजा होती है, उस दिन 5 नारियल श्रीफल और पांच खारक छुआरे लेकर एक काले कपड़े में बांध ले और अपने इष्ट देव से प्रार्थना करें। शाम को जब भी होलिका का दहन हो, तब वहां पर नारियल और खारक छुआरे से बंधी हुई पोटली को लेकर 11 या 21 बार परिक्रमा करें। इस बीच अपने मन में प्रभु का ध्यान करते हुए समस्याओं को भी मन ही मन में बोलते रहें और परिक्रमा पूरी करें। परिक्रमा पूर्ण होने के बाद उसे पोटली को होलिका दहन के बाद जलती हुई होली में डाल दें और प्रणाम कर के घर वापस आ जाएं।”

धार्मिक दृष्टि से होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन युगों से युगों से लोगों को अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय और बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देती आई है। नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में   होली पर्व का वर्णन किया गया है। होली 2025 के महत्व का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि संस्कृत और अवधि भाषा के कई प्रसिद्ध एवं प्राचीन महाकवियों ने भी अपनी कविताओं और काव्यों में होली को वर्णित किया है।

धर्मग्रंथों में वर्णित होलिका दहन का संबंध भक्त प्रहलाद, असुर नरेश हिरण्यकश्यप और होलिका से माना गया है। कहते हैं कि राक्षस राज हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र प्रहलाद की विष्णु भक्ति पसंद नहीं थी, इसलिए अपने पुत्र पर उसने तरह-तरह के अत्याचार किए और कष्ट दिए। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे भस्म नहीं कर सकती थी इसलिए अंत में अपने पुत्र की हत्या के लिए हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई जिससे उसकी मृत्यु हो जाए। लेकिन, भगवान विष्णु ने अपने भक्त की रक्षा की और होलिका उस अग्नि में जलकर राख हो गई और तब से ही होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। 

बांके बिहारी और मथुरा में कब मनाई जाएगी होली?

रंगों का त्योहार होली भगवान श्रीकृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है इसलिए ब्रज, मथुरा और वृंदावन में होली का अलग ही जश्न देखने को मिलता है। यहाँ होली का पर्व 40 दिनों तक चलता है और इसमें रंगों के साथ-साथ फूलों, लड्डू और लट्‌ठमार होली खेली जाती है। इस बार वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में होली 12 मार्च 2025 को खेली जाएगी जबकि बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन 8 मार्च, 2025 को किया जाएगा और नंदगांव में 09 मार्च 2025 को होली खेली जाएगी। 

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होलिका दहन 2025: पूजा विधि

  • होलिका दहन की पूजा करने के लिए जातक प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • स्नान करने के पश्चात होलिका पूजन के स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।
  • होलिका दहन की पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा का निर्माण करें। 
  • इसके बाद, इस पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे कि रोली, फूलों की माला, फूल, गुड़, कच्चा सूत, मूंग, गुलाल, साबुत हल्दी, 5 से 7 तरह के अनाज, नारियल और एक लोटे में पानी लें।
  • अब इन सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करके पूरे विधि-विधान से होलिका दहन की पूजा करें। प्रसाद के रूप में मिठाइयां और फल आदि अर्पित करें। 
  • होलिका दहन की पूजा संपन्न करने के साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूरी विधि-विधान से पूजा करें। इसके उपरांत, होलिका के चारों तरफ सात बार परिक्रमा करें। 

चलिए अब आपको अवगत करवाते हैं होलाष्टक 2025 के बारे में। 

होलाष्टक 2025: इस दौरान न करें शुभ कार्य

जहां होली खुशियों, उत्साह और उमंग का पर्व है, वहीं इसके पहले के आठ दिन बेहद अशुभ माने जाते हैं। फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है। यह आठ दिन किसी भी काम के लिए शुभ नहीं होते हैं और इस दौरान मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए। मान्यता है कि होलाष्टक के आठ दिनों में भक्त प्रहलाद पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए गए थे और इस वजह से इन दिनों में ग्रह-नक्षत्र काफी उग्र हो जाते हैं। यह सभी ग्रह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर शांत होते हैं। 

ज्योतिष की मानें तो, होलाष्टक पर सभी आठ ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं। इस समय अष्टमी तिथि पर चंद्रमा, नवमी पर सूर्य, दशमी पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि पर राहु उग्र हो जाते हैं इसलिए होलाष्टक के दौरान शुभ काम करना वर्जित होता है। कहते हैं कि इस अवधि में किए गए कार्य के सफल होने की संभावना बेहद कम होती है। वर्ष 2025 में होलाष्टक की शुरुआत 07 मार्च 2025, शुक्रवार को होगी और इसका अंत होलिका दहन के साथ अर्थात 13 मार्च 2025 को पूर्णिमा तिथि पर हो जाएगा।

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होलिका दहन को भूल से भी न देखें ये 3 लोग 

होलाष्टक के बारे में आपको बताने के बाद अब हम बात करेंगे ऐसे 3 लोगों की जिन्हें होलिका दहन देखने से बचना चाहिए।   

गर्भवती महिलाएं: ऐसा माना जाता है कि होलिका की परिक्रमा गर्भवती स्त्रियों को नहीं करनी चाहिए क्योंकि होलिका दहन की अग्नि मां और शिशु दोनों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। 

नवजात शिशु: होलिका दहन का बुरा असर नवजात शिशु पर भी पड़ता है इसलिए इनको भी होलिका दहन नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। होलिका दहन वाले स्थान पर नकारात्मक शक्तियां उपस्थित होती हैं इसलिए इस जगह से शिशु को दूर रखें। 

सास-बहू: सदियों से मान्यता चली आ रही है कि नव विवाहित महिलाओं को अपनी सास के साथ होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से सास-बहु के रिश्ते में खटास आ जाती है। शादी के बाद की पहली होली मायके में ही खेलनी चाहिए। मायके में बेटी और दामाद के मायके में होली खेलने की परंपरा काफ़ी पुराने समय से चली आ रही है।

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नकारात्मकता से सुरक्षा के लिए होलिका दहन पर राशि अनुसार अग्नि में अर्पित करें ये चीज़ें

मेष राशि

मेष राशि वाले होलिका दहन की अग्नि में गुरु ग्रह से जुड़ी वस्तुओं जैसे शहद या हल्दी अर्पित करें। ऐसा करना आपके लिए फलदायी सिद्ध होगा। 

वृषभ राशि 

होलिका दहन की अग्नि में वृषभ राशि के जातक के लिए चावल या शहद डालना शुभ रहेगा। इससे आपले जीवन की समस्याएं दूर होंगी।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों को होलिका दहन की अग्नि में तिल या काले चने जैसी वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए।

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों को होलिका दहन की अग्नि में दूध से बनी मिठाई या फिर खीर आदि चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। 

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों को होलिका दहन के दिन अग्नि में गुरु ग्रह से संबंधित वस्तुओं जैसे कि गाय का घी और केसर अर्पित करना चाहिए। साथ ही, पीले रंग के अपने पुराने वस्त्र दान करें।

कन्या राशि

कन्या राशि वालों को होलिका दहन की अग्नि में बताशे और केसर अर्पित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। 

तुला राशि

तुला राशि वाले होलिका दहन के समय अग्नि में शुक्र ग्रह से जुड़ी वस्तुएं जैसे कि चावल, बूरा या पनीर आदि डाल सकते हैं।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातक होलिका दहन के दिन बुध देव से संबंधित चीज़ें कपूर या हरी मिर्च आदि अग्नि में डालें। 

धनु राशि 

धनु राशि वाले होलिका दहन पर दो लौंग घी में भिगोकर एक पान के पत्ते पर रखकर अग्नि में अर्पित करें।

मकर राशि

मकर राशि के जातक होलिका दहन की संध्या के समय एक सूखा नारियल लेकर उसे अपने सिर के ऊपर से दो बार घुमाकर अग्नि में डालें। 

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों को जीवन में उत्पन्न बाधाओं के निवारण के लिए होलिका दहन की अग्नि में काली उड़द की दाल और बताशे अर्पित करने चाहिए।

मीन राशि 

मीन राशि के जातक होलिका दहन की अग्नि में नारियल से बनी मिठाई या फिर साबुत नारियल अर्पित करें। 

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

होलिका दहन 2025 में कब है?

साल 2025 में होलिका दहन का पर्व 13 मार्च 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। 

2025 में रंग वाली होली कब खेली जाएगी?

इस वर्ष छोटी होली 14 मार्च 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। 

साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण कब है?

वर्ष 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को होली पर लगेगा। 

शुक्र मीन राशि में अस्‍त: जानें 12 राशियों समेत देश-दुनिया और स्‍टॉक मार्केट पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव!

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शुक्र मीन राशि में अस्‍त: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं जल्द ही अस्‍त होने वाले शुक्र से संबंधित यह खास ब्लॉग। इस ब्‍लॉग में हम आपको 18 मार्च, 2025 को सुबह 07 बजकर 34 मिनट पर मीन राशि में अस्‍त हो रहे शुक्र से जुड़ी सारी जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि शुक्र के अस्‍त होने पर देश-दुनिया और शेयर मार्केट पर इसका क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

शुक्र का मीन राशि में होना एक ऐसी स्थिति है जो रिश्‍ते, प्रेम और सौंदर्य में करुणा, रचनात्‍मकता और आदर्शवाद को दर्शाती है। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र मीन राशि में स्थित होते हैं, वे जातक अक्‍सर प्‍यार को सपनों की दुनिया की तरह देखते हैं, रोमांटिक होते हैं और कभी-कभी प्‍यार या प्रेम संबंध को अलौकिक रूप में अनुभव करते हैं। ये प्‍यार के आदर्श स्‍वरूप पर अधिक ध्‍यान देते हैं और इस वजह से कभी-कभी अपने पार्टनर की खामियों को भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ये बहुत ज्‍यादा रोमांटिक होते हैं, सच्‍चा जीवनसाथी ढूंढते हैं एवं रिश्‍ते में आध्‍यात्मिक जुड़ाव चाहते हैं।

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शुक्र मीन राशि में अस्‍त: विशेषताएं

जब शुक्र ग्रह मीन राशि में अस्‍त होते हैं, तो इसका मतलब होता है कि शुक्र सूर्य के 8 डिग्री के अंदर है। इसका शुक्र की ऊर्जा एवं प्रभाव पर असर पड़ता है। वैदिक ज्‍योतिष में किसी ग्रह को तब अस्‍त माना जाता है, जब वह सूर्य के बहुत नज़दीक होता है। इससे उस ग्रह की ऊर्जा बहुत कम या क्षीण हो जाती है। शुक्र को प्रेम, सौंदर्य और संबंधों का कारक माना गया है और इस ग्रह के खासतौर पर भावनात्‍मक राशि मीन में अस्‍त होने पर जातक को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

शुक्र ग्रह प्‍यार, आकर्षण और सौंदर्य की भावना को दर्शाता है लेकिन जब यह ग्रह अस्‍त होता है, तो इसकी ऊर्जा मंद हो जाती है। शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने पर खासतौर पर प्रेम संबंधों में कभी-कभी आत्‍म-सम्‍मान और अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त करने के मामले में चुनौतियां देखनी पड़ सकती हैं। इन जातकों को अपनी ज़रूरतों को व्‍यक्‍त करने में संघर्ष करना पड़ सकता है, इन्‍हें पता नहीं होता है कि अपने प्रेम संबंध में इनका क्‍या मूल्‍य है या प्‍यार में इन्‍हें क्‍या मिलना चाहिए। इन्‍हें अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त करने या खुलकर बताने में दिक्‍कत आ सकती है।

मीन राशि में शुक्र का होना प्‍यार के आध्‍यात्मिक या रहस्‍यमयी पहलू से जुड़ा होता है। आप प्‍यार को एक अलौकिक शक्‍ति या आध्‍यात्मिक मार्ग की तरह देखते हैं। ये जातक अपने पार्टनर से आध्‍यात्मिक रूप से जुड़ने की चाहत रखते हैं या सच्‍चा जीवनसाथी पाना चाहते हैं और प्‍यार को आध्‍यात्मिक विकास की एक यात्रा के रूप में देखते हैं। मीन राशि में शुक्र के अस्‍त होने पर व्‍यक्‍ति में आदर्शवाद आता है, वह भावनात्‍मक रूप से मज़बूत और रचनात्‍मक बनता है लेकिन इसके साथ ही उसे आत्‍म-मूल्‍य, रिश्‍ते में सीमा निर्धारित करने और अवास्‍तविक अपेक्षाओं को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इन्‍हें खासतौर पर प्‍यार में भावनात्‍मक उतार-चढ़ाव देखना पड़ सकता है और ये अक्‍सर रहस्‍यमयी और सच्‍चे जीवनसाथी की तलाश में रहते हैं। हालांकि, इन्‍हें इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि वे अपने रिश्‍ते में खुद को ही न खो दें या प्‍यार को लेकर बहुत ज्‍यादा आदर्शवादी न बन जाएं। शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने पर जातक को अपने रोमांटिक सपनों के साथ वास्‍तविकता को बनाए रखने और रिश्‍ते में सीमा निर्धारित करने की ज़रूरत होती है।

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शुक्र मीन राशि में अस्‍त: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्‍मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के दूसरे और सातवें भाव के स्‍वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह इस राशि के बारहवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने पर आप अपनी संचित संपत्ति का अधिकतर हिस्‍सा विलासिता या सुख-सुविधाओं पर खर्च कर सकते हैं लेकिन आपको इन खर्चों से कोई परेशानी नहीं होगी। आपको इन खर्चों से कुछ मिलने की उम्‍मीद रहेगी और इसी से आप खुश महसूस करेंगे। विवाहित जातक अपने जीवनसाथी के साथ कहीं बाहर घूमने जा सकते हैं। शुक्र के अस्‍त होने के दौरान आपको मनोरंजन और यात्रा जैसे क्षेत्रों में सकारात्‍मक परिणाम मिलने के आसार हैं।

मेष राशिफल 2025

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मिथुन राशि

मिथुन राशि के पांचवे और बारहवें भाव के स्‍वामी शुक्र ग्रह हैं और अब अस्‍त होने के दौरान शुक्र आपके दसवें भाव में रहेंगे। भले ही शुक्र उच्‍च अवस्‍था में रहें लेकिन दशम भाव में इसके अस्‍त होने को शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान शुक्र से मिथुन राशि के जातकों को लाभ न मिल पाने के संकेत हैं। कुछ परिस्थितियों में, जो जातक विदेश में काम कर रहे हैं या अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनियों के लिए काम करते हैं, उन्‍हें कुछ नकारात्‍मक परिणाम मिल सकते हैं।

चूंकि, शुक्र शिक्षा के भाव यानी पांचवे घर के भी स्‍वामी हैं इसलिए छात्रों को अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं। शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने के दौरान छात्रों को मनोरंजन के बजाय पढ़ाई पर ध्‍यान देने की ज़रूरत है। हालांकि, अगर आप अपने प्रेम संबंधों में सावधानी बरतते हैं, तो आपको सकारात्‍मक परिणाम मिल सकते हैं।

मिथुन राशिफल 2025

कन्‍या राशि

कन्या राशि के दूसरे और नौवें भाव के स्‍वामी शुक्र देव हैं और अब वह आपके सातवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। शुक्र का सातवें भाव में अस्‍त होना शुभ नहीं माना जाता है। मीन राशि में शुक्र के अस्‍त होने और राहु की उपस्थिति के कारण वैवाहिक और निजी संबंधों में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने के दौरान कन्‍या राशि के जातकों को यौन अंगों से संबंधित बीमारी होने की आशंका है। इस समय आपको यात्रा करने से बचना चाहिए और महिलाओं के साथ किसी भी तरह का मतभेद या विवाद नहीं करना चाहिए। आपको अपने काम के प्रति अधिक प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

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तुला राशि 

तुला राशि के पहले और आठवें भाव के स्‍वामी शुक्र देव हैं जो कि अब आपके छठे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र का अस्‍त होना अशुभ हो सकता है और इन्‍हें जीवन के विभिन्‍न क्षेत्रों में नकारात्‍मक परिणाम मिलने के संकेत हैं। शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने पर विवाहित जातकों को नकारात्‍मक प्रभाव मिल सकते हैं। शुक्र के छठे भाव में अस्‍त होने के कारण आपके शत्रु सक्रिय हो सकते हैं। हालांकि, इस दौरान आपको स्‍वास्‍थ्य समस्‍याएं भी परेशान कर सकती हैं। आपको इस समय महिलाओं से बहस न करने की सलाह दी जाती है।

तुला राशिफल 2025

मीन राशि

मीन राशि के तीसरे और आठवें भाव के स्‍वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह इस राशि के पहले भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने के दौरान जातक को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। राहु और अष्‍टमेश शुक्र के पहले भाव में होने के कारण जातक को कमज़ोर या थका हुआ महसूस हो सकता है। 

शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने के दौरान ये जातक उत्‍साहित रहेंगे। इन्‍हें लघु यात्रा से अत्‍यधिक लाभ होने के आसार हैं। शिक्षा की बात करें, तो इस समय छात्रों को सकारात्‍मक परिणाम मिलने के संकेत बहुत कम हैं। साहित्‍य या कला के क्षेत्र में काम करने वाले जातकों को अपने करियर में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

मीन राशिफल 2025

शुक्र मीन राशि में अस्‍त: ज्‍योतिषीय उपाय

अगर आप शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने पर सकारात्‍मक या शुभ परिणाम पाना चाहते हैं, तो आप एस्‍ट्रोसेज एआई के अनुभवी ज्‍योतिषियों द्वारा बताए गए निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • आप शुक्र देव को प्रसन्‍न करने के लिए बीज मंत्र ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।
  • नकारात्‍मक ऊर्जाओं से छुटकारा पाने और शुद्धिकरण के लिए अपने घर पर हवन करवाएं।
  • आप कुष्‍ठ रोगियों को दान करें और किसी न किसी तरह से उनकी सेवा करें।
  • आप सफेद या गुलाबी रंग के कपड़े अधिक पहनें।
  • आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें।

शुक्र मीन राशि में अस्‍त: वैश्विक स्तर पर प्रभाव

सरकार और शुक्र से संबंधित क्षेत्र

  • शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने पर सरकारी प्रशासन अधिक प्रभावी नहीं रहेगा और सार्वजनिक सेवाओं में अचानक गिरावट देखने को मिल सकती है।
  • वस्‍त्र उद्योग, शिक्षा क्षेत्र, थिएटर कला, आयात-निर्यात का व्‍यवसाय, लकड़ी के हस्‍तशिल्‍प और हैंडलूम जैसे कुछ क्षेत्रों में मंदी आ सकती है।
  • सरकार गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नई योजनाएं लेकर आ सकती है लेकिन शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने के दौरान इससे अधिक बदलाव नहीं आ पाएगा।
  • शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने का असर सरकार भी पड़ेगा और वह लघु व्‍यवसायों के लिए कुछ सख्‍त नियम बना सकती है जिससे व्‍यवसाय को नुकसान हो सकता है।
  • इस दौरान धार्मिक वस्‍तुओं की मांग में गिरावट आने की वजह से भारत से अन्‍य देशों में धार्मिक वस्‍तुओं के निर्यात में गिरावट देखने को मिल सकती है।

मीडिया, अध्‍यात्‍म, परिवहन आदि

  • दुनियाभर में आध्‍यात्मिक कार्य और धार्मिक अनुष्‍ठान अधिक होंगे।
  • शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने पर जिन क्षेत्रों या नौकरियों में बोलने का काम है जैसे कि काउंसलिंग, लेखन, संपादन और पत्रकारिता आदि, उनमें काम कर रहे जातकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
  • शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने का रेलवे, शिपिंग, परिवहन और ट्रैवल कंपनियों पर नकारात्‍मक असर पड़ सकता है।
  • इस दौरान दुनियाभर में किसी न किसी रूप में अशांति या प्रतिकूल परिस्थितियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं।
  • दुनियाभर के विभिन्‍न देश बड़े आयोजनों या कला, संगीत और नृत्‍य पर आधारित महोत्‍सवों के ज़रिए एक-दूसरे से जुड़ने और बात करने में असमर्थ हो सकते हैं।

शुक्र मीन राशि में अस्‍त: स्‍टॉक मार्केट पर असर

18 मार्च, 2025 को सुबह 07 बजकर 34 मिनट पर शुक्र मीन राशि में अस्‍त हो जाएंगे। सुख-सुविधाओं के कारक शुक्र का स्‍टॉक मार्केट पर गहरा प्रभाव होता है। आगे जानिए कि शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने का स्‍टॉक मार्केट पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

  • वस्‍त्र उद्योग और इससे जुड़े व्‍यवसायों के लिए यह समय अनुकूल नहीं रहने वाला है।
  • शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने के दौरान फैशन एक्‍सेसरीज़, वस्‍त्र और परफ्यूम उद्योग में मंदी देखी जा सकती है।
  • इस समयावधि में शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
  • प्रकाशन, टेलीकम्‍युनिकेशन और प्रसारण उद्योग की बड़ी कंपनियों के साथ-साथ कंसल्‍ट करने, लेखन, मीडिया विज्ञापन या पब्लिक रिलेशन सर्विसेस देने वाले व्‍यवसायों को प्रतिकूल परिणाम मिलने के संकेत हैं।

शुक्र मीन राशि में अस्‍त: मूवी रिलीज़ पर प्रभाव

फिल्‍म का नाम स्‍टार कास्‍टरिलीज़ की तारीख
जाटसन्‍नी देओल और रणदीप हुड्डा10 अप्रैल, 2025
तेरी मेहरबानियांविकास खत्री और तनवी वर्मा15 अप्रैल, 2025

शुक्र मीन राशि में अस्‍त होने का प्रभाव फिल्‍मों के व्‍यवसाय पर भी पड़ेगा। मनोरंजन और फिल्‍म उद्योग को प्रभावित करने वाला प्रमुख ग्रह शुक्र ही है। शुक्र के मीन राशि में अस्‍त होने का मनोरंजन उद्योग पर नकारात्‍मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. शुक्र किन राशियों के स्‍वामी हैं?

उत्तर. वृषभ और तुला राशि पर शुक्र का आधिपत्‍य है।

प्रश्‍न 2. क्‍या कालपुरुष की कुंडली में शुक्र मारक होता है?

उत्तर. हां, शुक्र कालपुरुष की कुंडली में दूसरे और सातवें भाव का स्‍वामी है और यहां पर मारक ग्रह होता है।

प्रश्‍न 3. शुक्र कितनी डिग्री पर अस्‍त होता है?

उत्तर. सूर्य के 6 से 7 डिग्री के आसपास शुक्र अस्‍त हो जाता है।

मीन राशि में ग्रहों के युवराज होंगे अस्त, किन राशियों को मिलेंगे शुभ-अशुभ परिणाम? जानें

मीन राशि में ग्रहों के युवराज होंगे अस्त, किन राशियों को मिलेंगे शुभ-अशुभ परिणाम? जानें

एस्ट्रोसेज एआई का यह ख़ास ब्लॉग आपको “बुध मीन राशि में अस्त”  से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि। वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को ग्रहों के युवराज का दर्जा प्राप्त है जो मनुष्य जीवन के साथ-साथ देश-दुनिया को गहनता से प्रभावित करते हैं। ऐसे में, अब बुध महाराज 17 मार्च 2025 की शाम 07 बजकर 31 मिनट पर गुरु ग्रह की राशि मीन में अस्त हो जाएंगे। इनकी अस्त अवस्था का प्रभाव कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ रहेगा। हमारे इस लेख में हम बुध मीन राशि में अस्त राशि चक्र की राशियों, विश्व सहित शेयर बाजार को किस तरह प्रभावित करेगा, इस बारे में विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध अस्त के बारे में सब कुछ।  

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बता दें कि मीन बुध ग्रह की नीच राशि मानी जाती है। हालांकि, जब बुध महाराज मीन राशि में विराजमान होते हैं, तो लोग अपनी भावनाओं और विचारों को बहुत रचनात्मक तरीके से दूसरों के सामने रखते हैं जैसे कि कविता के माध्यम से। इन लोगों की सोच अन्य राशि के जातकों की तरह सीमित नहीं होती है इसलिए इनके पास नए आइडिया की कमी नहीं होती है। ऐसे लोग काफ़ी हद तक अपनी इंटुइशन को महत्व देते हैं और बिना कहे ही दूसरों की भावना को समझने में सक्षम होते हैं। इस वजह से इन लोगों के बातचीत करने का तरीका मधुर, कल्पनाशील और अस्पष्ट हो सकता है।

बुध की मीन राशि में उपस्थिति को अक्सर कलात्मकता से जोड़ा जाता है क्योंकि यह आपको अपने दायरे से बाहर आकर सोचने के लिए प्रेरित करता है और आपके इन विचारों को दूसरों द्वारा अनदेखा किया जा सकता है। साथ ही, यह लोग अपनी भावनाओं को शब्दों, संगीत या कला के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं। हालांकि, इन जातकों का ध्यान अपने काम से आसानी से भटक जाता है या यह जीवन में संघर्ष करते हुए देखे जा सकते हैं।

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बुध मीन राशि में अस्त: विशेषताएं 

बुध मीन राशि में अस्त होने की बात करें तो, यह एक ऐसी स्थिति होती है जब बुध ग्रह सूर्य के बेहद करीब चला जाता है या यूं कहें कि 08 डिग्री के भीतर चला जाता है, तो इस अवस्था को बुध ग्रह का अस्त होना कहते हैं। सामान्य शब्दों में, सूर्य की तीव्र ऊर्जा से प्रभावित होने पर कोई ग्रह अस्त हो जाता है और ऐसे में, अस्त ग्रह के लिए अपनी शक्तियों का पूरी तरह से इस्तेमाल करना असंभव हो जाता है। इसी क्रम में, बुध ग्रह के अस्त होने से बुद्धि, तर्क और संचार कौशल जैसी क्षमताएं सूर्य देव के प्रभाव से कमज़ोर पड़ सकती हैं क्योंकि मीन राशि एक भावनात्मक राशि है। ऐसे में, बुध ग्रह की अस्त अवस्था के दौरान किसी व्यक्ति के भावनात्मक विचार आपके तार्किक फैसलों पर हावी हो सकते हैं। 

बुध मीन राशि में होने पर जातक जो भी कुछ बोलता या सोचता है उस पर भावनाएं हावी हो सकती हैं और उसमें तर्क की कमी रह सकती है। बुध ग्रह के तार्किक गुण सूर्य की ऊर्जा के आगे दुर्बल पड़ जाते हैं। ऐसे में, आपको प्रैक्टिकल सोच से संबंधित मामलों जैसे कि आर्गेनाइजेशन, योजना बनाना या किसी काम पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है।  साथ ही, यह लोग किसी महत्वपूर्ण जानकारी को भूल सकते हैं या फिर अपने जरूरी कामों को करने के बजाय दिन में सपने देखते हुए दिखाई दे सकते हैं। बुध के मीन राशि में होने पर जातकों का झुकाव गूढ़ विज्ञान या ज्योतिष में होता है। इनकी सोच दार्शनिक हो सकती है और ऐसे में, इन लोगों को अचेत मन, स्वप्न या अध्यात्म से जुड़ी मान्यताओं आदि के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है। इस प्रकार, बुध मीन राशि में अस्त होने से आपके भीतर आत्म-संदेह या भ्रम की स्थिति बनी रह सकती है। इसके अलावा, आपको सच को गहराई से समझने या फिर स्वयं को गुमराह होने से बचाने में समस्या का अनुभव हो सकता है।

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बुध मीन राशि में अस्त: विश्व पर प्रभाव 

व्यापार एवं वित्त 

  • एक्सपोर्ट का व्यापार करने वाले जातकों को बिज़नेस में सफलता की प्राप्ति होने की संभावना है, लेकिन आपको विदेश से धन पाने की राह में देरी का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारत समेत दुनियाभर के आर्टिस्ट और रचनात्मकता से संबंधित व्यापार करने वाले जातकों को व्यापार में मंदी देखने को मिल सकती है।
  • बुध मीन राशि में अस्त के दौरान गलतफ़हमी, बातचीत की कमी और अव्यवस्था जैसी समस्याएं बड़ी कंपनियों में नज़र आ सकती हैं।

राजनेता, मीडिया और स्पीकर 

  • सरकार के बड़े नेताओं द्वारा गलत बयान दिए जा सकते हैं जिसकी वजह से उनकी समस्याएं बढ़ सकती हैं या फिर आपको माफ़ी मांगनी पड़ सकती है।
  • कुछ विदेशी देश भारत की समस्याएं बढ़ाने का काम कर सकते हैं, लेकिन सरकार को बहुत सोच-विचार करने के बाद ही कदम उठाने की सलाह दी जाती है क्योंकि बुध की अस्त अवस्था को काफ़ी अच्छा नहीं कहा जा सकता है। 
  • सरकार के स्पोकपर्सन और अधिकारियों द्वारा गलत बयानबाजी की जा सकती है और ऐसे में, इनकी परेशानी बढ़ सकती है या फिर आपको भारी विरोध झेलना पड़ सकता है।
  • बुध अस्त के दौरान कुछ मशहूर हस्तियां और बड़े पदों पर आसीन लोग मीडिया द्वारा अलग-अलग विषयों पर सवाल पूछे जाने से चिढ़ सकते हैं या फिर थोड़े असहज महसूस कर  सकते हैं।
  • जिन जातकों का संबंध कम्युनिकेशन जैसे कि जर्नलिज्म, काउन्सलिंग आदि क्षेत्रों से है, उन्हें अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों की तरफ से कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए आपको अपने शब्दों का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना होगा।
  • इस अवधि के दौरान काउंसलर और मोटिवेशनल स्पीकर को अपने करियर में गिरावट देखने को मिल सकती है। 

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बुध मीन राशि में अस्त: शेयर बाजार भविष्यवाणी 

बुध महाराज 17 मार्च 2025 को मीन राशि में अस्त होने जा रहे हैं। बता दें कि वर्तमान समय में भी बुध ग्रह गुरु देव की राशि मीन में विराजमान हैं। जैसे कि हम जानते हैं कि बुध मीन राशि में अस्त हो रहे हैं और ऐसे में, वह अपनी शक्तियों के कमज़ोर पड़ने की वजह से आपको 100% परिणाम देने में नाकाम रह सकते हैं। आइए अब जानते हैं कि बुध ग्रह की अस्त अवस्था शेयर बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करेगी। 

  • देशहित की कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करने वाली रिसर्च फर्म नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है जिसकी वजह से योजना में देरी होने की आशंका है।
  • इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स, पावर, चाय-कॉफी इंडस्ट्री, सीमेंट, केमिकल, हीरा, और हैवी इंजीनियरिंग आदि का प्रदर्शन शानदार रहेगा।
  • बुध अस्त की अवधि में कुछ क्षेत्रों में मंदी आ सकती है, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी सेक्टर में। 

बुध मीन राशि में अस्त: इन राशियों को हर कदम पर रहना होगा सावधान 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए बुध महाराज तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके बारहवें भाव में अस्त होने जा रहे हैं। ऐसे में, बुध मीन राशि में अस्त होकर इन जातकों की नौकरी में समस्याएं पैदा करने का काम करेगा। इन जातकों को नौकरी में बढ़ते दबाव की वजह से एक के बाद एक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है इसलिए आपको सावधान रहना होगा। बुध अस्त के दौरान आपके नौकरी छूटने की भी आशंका है। साथ ही, यह लोग मौजूदा नौकरी में अपने पद और काम से असंतुष्ट दिखाई दे सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप, वह अपने करियर में बदलाव करने का मन बना सकता है। आपको नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं। 

अगर आप विदेश में नौकरी करने का मन बना रहे हैं और आपको ऐसा कोई अवसर मिलता भी है, तो बता दें कि मेष राशि के जातकों को इस अवसर से ज्यादा लाभ न होने की संभावना है। जो जातक अपने करियर को नए स्तर पर लेकर जाना चाहते हैं या फिर करियर के माध्यम से लाभ प्राप्त करने के इच्छुक हैं, उनके हाथ इस समय निराशा लग सकती है। साथ ही, आपको थोड़ा सावधान रहना होगा क्योंकि कार्यक्षेत्र में सहकर्मी आपके भोलेपन या फिर आपकी दोस्ती का फायदा उठा सकते हैं। ऐसे में, आपको कार्यों में मिलने वाले सकारात्मक परिणामों में कमी आ सकती हैं। 

कर्क राशि

कर्क राशि वालों की कुंडली में बुध देव आपके तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके नौवें भाव में अस्त होने जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप, बुध मीन राशि में अस्त होने से आपके लिए करियर में आने वाली परेशानियों को संभालना मुश्किल हो सकता है। वहीं, इस राशि के जो जातक नौकरीपेशा हैं, उनके बार-बार अलग-अलग जगहों पर ट्रांसफर होने की आशंका है। ऐसे में, करियर के क्षेत्र में होने वाले इन बदलावों की वजह से आप निराश और परेशान नज़र आ सकते हैं। 

इसके फलस्वरूप, कर्क राशि के जातक अपनी नौकरी में बदलाव करने का मन बना सकते हैं। दूसरी तरफ, अगर आप नई नौकरी की शुरुआत करना चाहते हैं, तो आपको नौकरी में सफलता मिलने की संभावना बहुत कम है इसलिए फिलहाल ऐसा करने से बचें। इस अवधि में करियर को लेकर आपकी भावनाओं में बार-बार उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। ऐसे में, यह जातक कभी संतुष्ट और कभी असंतुष्ट दिखाई दे सकते हैं। 

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सिंह राशि

बुध मीन राशि में अस्त के दौरान सिंह राशि के जातकों को अपने करियर को लेकर बहुत सतर्क रहना होगा क्योंकि बुध आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके आठवें भाव में अस्त होने जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप, बुध मीन राशि में अस्त होने की अवधि में इन लोगों के हाथ से नौकरी के कुछ बेहतरीन अवसर निकल सकते हैं और यह अवसर आपके भविष्य के लिए फलदायी साबित हो सकते हैं। इन मौकों को निकलने की वजह से आप निराश और हताश नज़र आ सकते हैं। साथ ही, आपको इस समय कुछ बेकार की यात्राएं करनी पड़ सकती हैं जिसमें आपका समय और मेहनत दोनों बर्बाद हो सकते हैं। इस अवधि में आप नौकरी बदलने का मन बना सकते हैं, लेकिन आपको सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बेहद कम है।

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय में यह आपके आठवें भाव में अस्त हो रहे हैं। बुध मीन राशि में अस्त होने से इन जातकों को करियर के क्षेत्र में बहुत सोच-समझकर और सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना होगा। इस दौरान आप अपनी नौकरी और करियर से असंतुष्ट नज़र आ सकते हैं। कुछ बेकार के कारणों की वजह से आपको नौकरी में बदलाव करना पड़ सकता है और करियर में होने वाले परिवर्तन आपकी चिंता का विषय बन सकते हैं। ऐसे में, आपको काम में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। 

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कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों को अपने पेशेवर जीवन को लेकर बहुत सतर्क रहना होगा क्योंकि आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बुध की अस्त अवस्था के दौरान आपकी नौकरी भी जा सकती है जो आपके दुर्भाग्य को बढ़ाने का काम कर सकती है। साथ ही, आपके हाथ से कुछ बेहतरीन अवसर निकलने की वजह से आप दुखी या निराश नज़र आ सकते हैं। इसके अलावा, बुध मीन राशि में अस्त की अवधि में आपको कुछ बेकार की यात्राएं करनी पड़ सकती हैं जिसमें आपका समय और मेहनत दोनों व्यर्थ जा सकती है। दूसरी तरफ, कुंभ राशि वाले अपने करियर में बदलाव करने का मन बना सकते हैं, परंतु आपका यह फैसला आपके लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहने की आशंका है। 

बुध मीन राशि में अस्त के दौरान ज़रूर करें ये उपाय 

रत्न: बुध को मज़बूत करने के लिए जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं।

मंत्र: बुध ग्रह के लिए “ॐ बुधाय नमः” मंत्र जाप करें।

व्रत: बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित होता है इसलिए इस दिन व्रत करना शुभ रहता है। 

दान: जातकों के लिए हरे रंग की वस्तुओं का दान करना फलदायी साबित होता है।

पूजा: बुध देव को प्रसन्न करने के लिए भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की पूजा करने की सलाह दी जाती है। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बुध ग्रह की नीच राशि कौन सी है?

मीन राशि में बुध नीच अवस्था में होते हैं।

किस डिग्री पर बुध मीन राशि में नीच अवस्था में आ जाते हैं?

बुध मीन राशि में 15 डिग्री पर नीच के हो जाते हैं।

कौन सा ग्रह मीन राशि में उच्च अवस्था में होता है?

शुक्र ग्रह की उच्च राशि मीन है।

आमलकी एकादशी का व्रत करने से मिलेगा धन-संपत्ति और सुख का आशीर्वाद, जानें राशि अनुसार उपाय!

आमलकी एकादशी का व्रत करने से मिलेगा धन-संपत्ति और सुख का आशीर्वाद, जानें राशि अनुसार उपाय!

आमलकी एकादशी 2025: प्रत्‍येक वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं और हर माह दो एकादशी आती हैं। हर महीने में आने वाली प्रत्‍येक एकादशी का अपना एक अलग महत्‍व होता है। फाल्‍गुन मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

मान्‍यता है कि इस एकादशी पर स्‍वयं भगवान विष्‍णु मां लक्ष्‍मी के साथ आंवले के वृक्ष पर वास करते हैं। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको आमलकी एकादशी 2025 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन भगवान विष्‍णु को प्रसन्‍न करने के लिए आप अपनी राशि के अनुसार क्‍या उपाय कर सकते हैं। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार से आमलकी एकादशी व्रत 2025 के बारे में।

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आमलकी एकादशी 2025: तिथि व मुहूर्त

इस बार 10 मार्च को आमलकी एकादशी पड़ रही है। 09 मार्च को सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर एकादशी तिथि आरंभ होगी। 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्‍त होगी। 

पारण का समय: 11 मार्च को 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 58 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 22 मिनट।

आमलकी एकादशी 2025 का महत्व

हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी का बहुत महत्‍व है। मान्‍यता है कि इस एकादशी का संबंध आंवले के वृक्ष की उत्‍पत्ति से होता है। सनातन धर्म के अनुसार आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-संपत्ति और खुशियां आती हैं। जो व्‍यक्‍ति इस एकादशी पर व्रत एवं पूजन करता है, उसे अपने पिछले जन्‍म के पाप कर्मों से मुक्‍ति मिल जाती है।

आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने के अलावा आंवले का पौधा लगाने और इसका दान करने का भी बहुत महत्‍व है। ऐसा करने से जातक को धन, संपत्ति और सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है इस एकादशी तिथि पर आंवले का उबटन शरीर पर लगाना चाहिए और आंवले के पानी से नहाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्‍न होते हैं।

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आमलकी एकादशी 2025 की पूजन विधि

आमलकी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान आदि से निवृत्त हो जाएं। अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और फिर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। आमलकी एकादशी 2025 पर विष्‍णु जी का पूजन करने के लिए आपको पीले रंग के फूल, माला, पीला चंदन, भोग के रूप में मिठाई चाहिए होगी। ये सभी चीज़ें भगवान विष्‍णु को अर्पित करें और इसके साथ ही, तुलसी ज़रूर अर्पित करें क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय हैं।

अब आप घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा, चालीसा आदि का पाठ करें। दिनभर व्रत रखने के बाद दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

आमलकी एकादशी पर कैसे करें आंवले के पेड़ की पूजा

आमलकी एकादशी 2025 पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से भी सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। सबसे पहले तो पेड़ की चारों तरफ से अच्छे से सफाई कर लें। अब आप पेड़ के नीचे सफेद रंग की रंगोली बनाएं और उसमें एक पानी भरा हुआ कलश स्थापित कर दें। इसके बाद आप कलश के कंठ में श्रीखंड चंदन का लेप लगाएं। आंख बंद करके कलश में सभी देवी-देवताओं, तीर्थों और सागर को आमंत्रित करें।

इसके बाद कलश में इत्र और पंचरत्न रखें और फिर इस पर मिट्टी का ढक्कन रख दें। इसके ऊपर एक घी का दीपक जलाएं। अब आप कलश के ऊपर पीले रंग का वस्त्र डालें और फिर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। द्वादश तिथि को ब्राह्मणों को विधिवत भोजन कराने के बाद दक्षिणा आदि के साथ ही कलश भी दे दें। इसके बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए।

आमलकी एकादशी की व्रत कथा

आमलकी एकादशी 2025 कथा की बात करें, तो पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, वैदिश नाम का एक नगर था और उस नगर में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र रहते थे। वहां रहने वाले सभी लोग भगवान विष्णु के भक्त थे और सब उनकी पूजा में लीन रहते थे। वैदिश नगर के राजा चैतरथ बहुत बड़े विद्वान और धार्मिक व्‍यक्‍ति थे। उनके नगर में कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं था।

नगर में रहने वाला हर शख्स साल में पड़ने वाली सभी एकादशी का व्रत करता था। एक बार फाल्गुन महीने में आमलकी एकादशी आई। सभी नगरवासी और राजा ने यह व्रत किया और मंदिर जाकर आंवले के पेड़ की पूजा की और वहीं पर पूरी रात जागरण किया। तभी उस रात एक बहेलिया वहां पहुंचा जो बहुत ही पापी था और वह बहुत अधिक भूखा व प्यासा था। भूख की तलाश में वह मंदिर पहुंचा और मंदिर के कोने में बैठकर जागरण को देखने लगा। साथ ही, सबके साथ विष्णु भगवान व एकादशी महात्म्य की कथा सुनने लगा। इस तरह पूरी रात बीत गई।

नगर वासियों के साथ बहेलिया भी पूरी रात जागा रहा। सुबह होने पर सभी नगरवासी अपने घर चले गए। बहेलिया ने भी घर जाकर भोजन किया। लेकिन कुछ समय के बाद बहेलिया की मौत हो गई। हालांकि, उसने आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनी थी और जागरण भी किया था, जिसके चलते उसका अगला जन्म राजा विदूरथ के घर हुआ। राजा ने उसका नाम वसुरथ रखा। बड़ा होकर वह नगर का राजा बना। एक दिन वह शिकार पर निकला, लेकिन बीच में ही रास्ता भूल गया। रास्ता भूल जाने के कारण वह एक पेड़ के नीचे सो गया। थोड़ी देर बाद वहीं म्लेच्छ आ गए और राजा को अकेला देखकर उसे मारने की योजना बनाने लगे। उन्होंने कहा कि इसी राजा के कारण उन्हें देश निकाला दिया गया। इसलिए इसे हमें मार देना चाहिए। इस बात से अनजान राजा सोता रहा। म्लेच्छों ने राजा पर हथियार फेंकना शुरू कर दिया। लेकिन उनके शस्त्र राजा पर फूल बनकर गिरने लगे।

कुछ देर के बाद सभी म्लेच्छ जमीन पर मृत पड़े थे। वहीं जब राजा की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग जमीन पर मृत पड़े हैं। राजा समझ गया कि वह सभी उसे मारने के लिए आए थे, लेकिन किसी ने उन्हें ही मौत के घाट उतार दिया। यह देखकर राजा ने सोचा कि जंगल में आखिर कौन उसकी जान बचा सकता है। तभी आकाशवाणी हुई कि ‘हे राजन भगवान विष्णु ने तुम्हारी जान बचाई है। तुमने पिछले जन्म में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनी था और उसी का फल है कि आज तुम्हारे शत्रु तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाए। इसके बाद राजा ने भी विधि-विधान से एकादशी का व्रत करना शुरू कर दिया।

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आमलकी एकादशी 2025 पर करें ये ज्‍योतिषीय उपाय

आप आमलकी एकादशी पर अपनी समस्‍या एवं मनोकामना के अनुसार निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • यदि आप संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, तो आमलकी एकादशी पर 11 छोटे बच्‍चों को आंवले की कैंडी या आंवले का मुरब्‍बा खाने को दें। आप मंदिर में भी आंवले की कैंडी या मुरब्‍बे का एक पैकेट दान या भेंट करें।
  • जीवन में सफलता पाने की कामना के लिए आप आमलकी एकादशी पर 21 ताज़ा पीले रंग के फूल लें और उनकी माला बनाकर भगवान विष्‍णु को अर्पित करें। भगवान विष्‍णु को खोए से बनी मिठाई का भोग भी लगाएं।
  • अगर किसी की शादी नहीं हो पा रही है या मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है, तो वह व्‍यक्‍ति आमलकी एकादशी पर विष्‍णु जी का पूजन करे और उन्‍हें आंवला अर्पित करें।
  • जो जातक अपने जीवन में सुख-समृद्धि और संपन्‍नता की कामना रखते हैं, वे आमलकी एकादशी पर भगवान विष्‍णु का पूजन करें। इसके बाद एकाक्षी नारियल को पीले रंग के वस्‍त्र में बांधकर अपने पास या तिजोरी में रख लें।
  • करियर में सफलता पाने या अपने प्रतिद्वंदियों को परास्‍त करने के लिए आप आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष में जल चढ़ाएं। इस पेड़ की जड़ से थोड़ी मिट्टी लेकर अपने माथे पर तिलक लगा लें। आपकी मनोकामना ज़रूर पूरी होगी।
  • परिवार में अशांति या लड़ाई-झगड़ा रहता है, तो इस समस्‍या से निजात पाने के लिए आप आमलकी एकादशी पर भगवान विष्‍णु के मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र है – ॐ नमो भगवते नारायणाय।
  • जिन लोगों का स्‍वास्‍थ्‍य खराब रहता है या जो अपनी सेहत में सुधार लाना चाहते हैं, वे आमलकी एकादशी 2025 पर आंवले के वृक्ष की पूजा करें और इस दिन आंवले का फल खाएं।
  • जो छात्र पढ़ाई में कमज़ोर हैं या किसी परीक्षा में सफलता पाना चाहते हैं, वे आमलकी एकादशी पर दूध में केसर और चीनी डालकर विष्‍णु जी को भोग लगाएं। छात्र भगवान विष्‍णु का आशीर्वाद लेकर विद्या यंत्र भी धारण कर सकते हैं।
  • व्‍यापारी अपने बिज़नेस को बढ़ाने और अधिक मुनाफा कमाने के लिए आमलकी एकादशी पर आंवले का वृक्ष लगाएं और पूरे एक महीने तक लगातार उसकी देखभाल करें।
  • नौकरी बदलना चाहते हैं लेकिन कोई अच्‍छा अवसर नहीं मिल पा रहा है, तो आप आमलकी एकादशी 2025 पर दामोदर मंत्र – ‘ॐ दामोदराय नम:’ का 108 बार जाप करें।
  • शत्रुओं पर विजय पाने की कामना से आप आमलकी एकादशी पर ब्राह्मण को पीले रंग के वस्‍त्र भेंट कर सकते हैं।

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आमलकी एकादशी पर राशि अनुसार उपाय

इस आमलकी एकादशी पर आप अपनी राशि के अनुसार निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • मेष राशि: आप लाल रंग के पुष्‍पों से भगवान विष्‍णु की उपासना करें। इसके अलावा गाय के घी का दीपक जलाएं। इससे आपके धन में वृद्धि होगी।
  • वृषभ राशि: आप आंवले के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं। इसके अलावा आप दूध और मिठाई का दान करें।
  • मिथुन राशि: अगर आपकी मिथुन राशि है, तो आप विष्‍णु सहस्‍त्रनाम का पाठ करें। आप हरे रंग के वस्‍त्र पहनें और हरा चना दान करें।
  • कर्क राशि: इस राशि वाले जल में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्‍य दें। आप शिवलिंग पर कच्‍चा दूध और जल भी चढ़ा सकते हैं।
  • सिंह राशि: आप आंवले के पेड़ की पूजा कर के उसकी परिक्रमा करें। आप तांबे के पात्र में जल भरकर भगवान विष्‍णु को अर्पित करें।
  • कन्‍या राशि: भगवान विष्‍णु को तुलसी के पत्ते और पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं। आप आमलकी एकादशी 2025 पर गरीबों को खिचड़ी दान करें।
  • तुला राशि: आप मां लक्ष्‍मी की पूजा करें और उन्‍हें कमल का पुष्‍प अर्पित करें। तुला राशि वाले धूप या अगरबत्ती जलाकर भगवान विष्‍णु की उपासना करें।
  • वृश्चिक राशि: आप गरीब को गुड़ और तिल का दान करें। आप लाल रंग के वस्‍त्र पहनें और भगवान विष्‍णु को लाल रंग के पुष्‍प अर्पित करें।
  • धनु राशि: आप आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। इस दिन आप चने की दाल और गुड़ का दान भी करें।
  • मकर राशि: आप शनि देव की उपासना करें और भगवान विष्‍णु को नीले रंग के फूल अर्पित करें। मकर राशि वाले भगवान विष्‍णु को काले तिल चढ़ाएं।
  • कुंभ राशि: आप जल में तिल मिलाकर भगवान विष्‍णु को अर्घ्‍य दें। आप गरीबों को तिल-गुड़ और कंबल का दान करें।
  • मीन राशि: इस राशि वाले भगवान विष्‍णु को पीले रंग के वस्‍त्र अर्पित करें और हल्‍दी का तिलक लगाएं। आप गरीब लोगों को पीली मिठाई और फल दान में दें।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. आमलकी एकादशी 2025 पर किसकी पूजा की जाती है?

उत्तर. इस दिन भगवान विष्‍णु एवं आवंले के पेड़ की पूजा की जाती है।

प्रश्‍न 2. आमलकी एकादशी पर क्‍या करना है?

उत्तर. इस दिन भगवान विष्‍णु को आंवले का भोग लगाना चाहिए।

प्रश्‍न 3. एकादशी के दिन शाम को क्‍या करना चाहिए?

उत्तर. शाम को सूर्यास्‍त से पहले फलों का सेवन किया जाता है।

मार्च के इस सप्ताह मनाए जाएंगे होली जैसे बड़े त्योहार, नोट कर लें तिथि!

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एस्ट्रोसेज एआई का साप्ताहिक राशिफल का यह विशेष ब्लॉग आपको मार्च 2025 के दूसरे सप्ताह यानी कि 10 मार्च से लेकर 16 मार्च के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा। बता दें कि मार्च महीने का यह सप्ताह कई मायनों में बेहद ख़ास रहने वाला है फिर चाहे वह हिन्दू धर्म की दृष्टि से हो या ज्योतिषीय दृष्टि से। एक तरफ, जहां इस हफ़्ते कुछ बड़े पर्व मनाए जाएंगे, तो वहीं इस सप्ताह कुछ बड़े ग्रहों के गोचर एवं उनकी स्थिति में भी परिवर्तन देखने को मिलेगा। ऐसे में, आपके मन में अनेक तरह के सवाल उठ रहे होंगे कि इस हफ़्ते आपको कैसे परिणाम मिलेंगे? बिज़नेस में होगा मुनाफा या उठेगा पड़ेगा नुकसान? स्वास्थ्य करेगा परेशान या रहेंगे एकदम फिट? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे साप्ताहिक राशिफल के इस ख़ास ब्लॉग में प्राप्त होंगे। तो आइए जानते हैं कैसा रहेगा यह सप्ताह आपकी राशि के लिए।

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सिर्फ इतना ही नहीं, साप्ताहिक राशिफल ब्लॉग में हम आपको 10 मार्च से 16 मार्च 2025 के बीच पड़ने वाले व्रत, त्योहार, ग्रहण एवं गोचर सहित बैंक अवकाशों के बारे में भी जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, इस सप्ताह जन्म लेने कुछ मशहूर हस्तियों से भी आपको रूबरू करवाएंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और राशि अनुसार जानते हैं कि मार्च महीने का यह सप्ताह आपके जीवन में किस तरह के परिवर्तन लेकर आएगा। 

इस सप्ताह के ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना

मार्च 2025 का दूसरा सप्ताह बेहद ख़ास रहने वाला है क्योंकि इस हफ़्ते प्रेम एवं खुशियों का पर्व होली मनाया जाएगा। बात करें हिंदू पंचांग की, तो इस सप्ताह की शुरुआत पुष्य नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि अर्थात 10 मार्च 2025 को होगी। वहीं, इस हफ़्ते का अंत चित्रा नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि यानी कि 16 मार्च 2025 को हो जाएगा। बता दें कि एकादशी के साथ यह हफ़्ता शुरू होगा और इसमें अनेक बड़े पर्व पड़ेंगे। अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं मार्च 2025 के दूसरे सप्ताह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के बारे में। 

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इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की पूरी सूची 

अगर आप भी उन लोगों में से है जो अपनी व्यस्त ज़िन्दगी की वजह से व्रत-त्योहारों की सही तिथि को याद नहीं रख पाते हैं। इस वजह से आप बड़े पर्वों को मनाने से चूक जाते हैं, तो आप चिंता न करें क्योंकि साप्ताहिक राशिफल के इस ब्लॉग में हम आपको मार्च के तीसरे सप्ताह यानी कि 10 मार्च से 16 मार्च के बीच पड़ने वाले व्रत-त्योहार की पूरी लिस्ट नीचे दे रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं:

आमलकी एकादशी (10 मार्च 2025, सोमवार): वर्ष भर में आने वाली समस्त एकादशी तिथियों में से एक होती है आमलकी एकादशी जिसे आमलक्य एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आमलकी के अर्थ की बात करें तो, इसका संबंध आंवला से होता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि भगवान विष्णु को आंवले का वृक्ष अत्यंत प्रिय होता है इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है जिसमें भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी का वास माना गया है। 

प्रदोष व्रत (शुक्ल) (11 मार्च 2025, मंगलवार): प्रदोष व्रत को हर माह में दो बार किया जाता है जो कि त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि इस व्रत को करने से भक्त को उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। 

होलिका दहन (13 मार्च 2025 गुरुवार): होलिका दहन को बुराई पर अच्छे की जीत का प्रतीक माना जाता है जिसे होली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। दो दिनों तक मनाए जाने वाले होली पर्व का यह पहला दिन होता है होलिका दहन और इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। 

होली (14 मार्च 2025 शुक्रवार): होली सनातन धर्म का ऐसा पर्व है जिसका इंतज़ार सभी को बेसब्री से रहता है क्योंकि यह अपने साथ ख़ुशियां, प्रेम और उमंग लेकर आता है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष होली चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस पर्व की एक अलग ही रौनक ब्रज और मथुरा में देखने को मिलती है। 

मीन संक्रांति (14 मार्च 2025 शुक्रवार): सामान्य शब्दों में कहें तो, संक्रांति वह तिथि होती है जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, इसे संक्रांति कहते हैं। इस प्रकार, जब सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब इस घटना को मीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह तिथि सभी तरह के शुभ कार्यों, दान एवं पुण्य के लिए शुभ होती है। 

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत (14 मार्च 2025 शुक्रवार): फाल्गुन माह को अत्यंत विशेष माना जाता है। हर साल फाल्गुन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को फाल्गुन पूर्णिमा कहते हैं। सनातन धर्म की प्रत्येक पूर्णिमा की तरह इस पूर्णिमा का भी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है। भक्तों द्वारा पूर्णिमा तिथि पर उपवास रखा जाता है और ऐसा करने से जातक के जीवन से सभी दुखों का नाश होता है। 

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इस सप्ताह (10 मार्च से 16 मार्च, 2025) पड़ने वाले ग्रहण और गोचर

ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह का गोचर एक निश्चित अवधि के बाद होता है। सामान्य शब्दों में कहें तो. हर ग्रह अपने निर्धारित समय के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है और इसे ही गोचर कहते हैं। मार्च 2025 के इस सप्ताह में एक बड़ा ग्रह अपनी राशि में बदलाव करेगा जबकि एक ग्रह की स्थिति में परिवर्तन होगा। वहीं, ग्रहण भी मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं और इस दौरान एक ग्रहण भी लगने जा रहा है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं इस सप्ताह के प्रमुख ग्रहण एवं ग्रह-गोचर की तिथियों से।

सूर्य का मीन राशि में गोचर (14 मार्च 2025 शुक्रवार): ग्रहों के राजा के नाम से विख्यात सूर्य देव 14 मार्च 2025 की शाम 06 बजकर 32 मिनट पर गुरु ग्रह की राशि मीन में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में, सूर्य के इस गोचर का प्रभाव राशि चक्र की सभी राशियों पर दिखाई देगा।

बुध मीन राशि में वक्री (15 मार्च 2025, शनिवार): ज्योतिष शास्त्र में बुध देव को ग्रहों के युवराज कहा जाता है जो अब जल्द ही अपनी स्थिति में परिवर्तन करते हुए 15 मार्च 2025 की सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर मीन राशि में वक्री होने जा रहे हैं। इनकी वक्री अवस्था देश-दुनिया में बड़े परिवर्तन लेकर आ सकती है। 

 ग्रहण की बात करें तो, होली के दिन साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह खग्रास चंद्रग्रहण होगा जो भारत में दृश्यमान नहीं होगा। 

इस सप्ताह में पड़ने वाले बैंक अवकाश

अगर आपको बैंक से संबंधित कोई काम है या किसी काम के लिए आपको बैंक जाना है, लेकिन आपको यह नहीं पता है कि कब बैंक खुला है? तो यहाँ हम आपको मार्च के दूसरे सप्ताह (10 मार्च से 16 मार्च, 2025) में पड़ने वाले बैंक अवकाशों की सही तिथियां नीचे प्रदान कर रहे हैं जिससे आप अपने कामों को सही समय पर निपटा सकें। 

तिथि दिनपर्वराज्य
14 मार्च 2025शुक्रवारहोलीसभी राज्य सिवाय कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप,मणिपुर, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल

10 से 16 मार्च के बीच विवाह के शुभ मुहूर्त 

अगर आप 10 मार्च से लेकर 16 मार्च के बीच विवाह बंधन में बंधने के लिए शुभ मुहूर्त देख रहे हैं, तो आपको बता दें कि इस सप्ताह में विवाह का सिर्फ़ एक मुहूर्त उपलब्ध हैं जो कि इस प्रकार हैं:

दिनांक एवं दिननक्षत्रतिथिमुहूर्त का समय
12 मार्च 2025, बुधवारमाघचतुर्दशीसुबह 08 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 04 बजकर 05 मिनट तक

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इस सप्ताह जन्मे मशहूर सितारें

10 मार्च 2025: शहाब खान, साक्षी गुलाटी, पद्मा खन्ना

11 मार्च 2025: पार्थ समथान, कॉलिन मुनरो, कप्तान अमरिंदर सिंह

12 मार्च 2025: टॉम कर्रन, श्रेया घोषाल, आतिफ असलम

13 मार्च 2025: मोहम्मद सिराज, निम्रत कौर, वरुण गांधी

14 मार्च 2025: रंजीत बावा, इंदु मल्होत्रा, अल्बर्ट आइंस्टीन

15 मार्च 2025: आलिया भट्ट, केली मिल्स, हनी सिंह

16 मार्च 2025: गुलाबदीन नायब, जो डेनली, कुंवर अमर

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साप्ताहिक राशिफल 10 मार्च से 16 मार्च, 2025

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. 2025 में होली कब है?

वर्ष 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। 

2. होलिका दहन 2025 में कब है?

मार्च माह में होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा। 

3. आमलकी एकादशी कब है?

साल 2025 में आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025 को पड़ेगी।

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025: भारत जीतेगा या न्‍यूजीलैंड को मिलेगा कप?

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आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025: एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग के ज़रिए हम आपको चैंपियंस ट्रॉफी मैच के ज्‍योतिषीय विश्‍लेषण की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। इस विश्‍लेषण के ज़रिए आप जान सकते हैं कि आज होने वाले आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल मैच में भारत और न्‍यूज़ीलैंड में से किस टीम को जीत हासिल हो सकती है। यह ज्‍योतिषीय गणना टैरो और आज के दिन की ऊर्जा के आधार पर की गई है।

भारत और न्‍यूज़ीलैंड के बीच हो रहे इस मैच का विश्‍लेषण पूरी तरह से ज्‍योतिष के आधार पर शैक्षिक एवं अनुसंधान के उद्देश्‍य से किया गया है।

आज 09 मार्च, 2025 को दुबई में दोपहर 02 बजकर 30 मिनट (IST) पर दुबई इंटरनेशनल स्‍टेडियम में भारत और न्‍यूज़ीलैंड के बीच यह मैच खेला जाएगा।

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आज के मैच के लिए रोहित शर्मा की कुंडली का विश्‍लेषण

जन्‍म तिथि: 29 अप्रैल, 1987

जन्‍म का समय: 12:00:00

जन्‍म स्‍थान: नागपुर, भारत

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्‍तान रोहित शर्मा की कुंडली देखें, तो वह कर्क लग्‍न के हैं और लग्‍न भाव का स्‍वामी चंद्रमा दसवें भाव में है। यह लग्‍नेश के लिए उत्तम स्थिति है। रोहित की कुंडली में सूर्य उच्‍च का है और वह दसवें भाव में बुध के साथ युति कर बुधादित्‍य योग का निर्माण कर रहे हैं।

वर्तमान में रोहित की राहु की महादशा के साथ चंद्रमा की अंर्तदशा चल रही है और कुंडली में बैठे राहु के ऊपर से राहु का गोचर हो रहा है। यह अपने आप में एक विशेष गोचर होता है और यदि राहु शुभ स्थिति में हो, तो यह शानदार सफलता दिला सकता है। रोहित शर्मा की जन्‍मकुंडली में नौवें भाव में राहु (रणनीति का भाव) बैठा है और इसी भाव में नवम भाव का स्‍वामी बृहस्‍पति और उच्‍च का शुक्र भी मौजूद है। शुक्र चौथे भाव का स्‍वामी है जिसे सिंहासन या शासन का भाव माना जाता है। 09 मार्च, 2025 को चंद्रमा रोहित के बारहवें भाव में मिथुन राशि में गोचर करेंगे जो कि विदेश में सफलता के संकेत दे रहा है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

तो चलिए अब आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में न्‍यूज़ीलैंड की टीम के कप्‍तान मिचेल सैंटनर की कुंडली का विश्‍लेषण देखते हैं।

आज के मैच के लिए मिचेल सैंटनर की कुंडली का विश्‍लेषण

जन्‍म तिथि: 05 फरवरी, 1992

जन्‍म का समय: 00:00:00

जन्‍म स्‍थान: हैमिलटन, न्‍यूज़ीलैंड

मिचेल सैंटनर वृश्चिक लग्‍न के हैं और उनके लग्‍न भाव का स्‍वामी मंगल दूसरे भाव में बैठा है जो कि एक अच्‍छा संकेत है लेकिन यहां पर मंगल के साथ शुक्र और राहु भी विराजमान हैं। अब राहु और शुक्र दोनों का ही मंगल के साथ मैत्री संबंध नहीं है और शुक्र उनके लिए मारक ग्रह भी हैं जिससे मंगल कमज़ोर हो रहा है। नवम भाव का स्‍वामी चंद्रमा सूर्य के नज़दीक होने की वजह से अस्‍त हो रहा है।

चंद्रमा का शत्रु शनि भी अष्‍टमेश बुध के साथ उसी भाव में उपस्थित है। आठवां भाव आकस्मिक घटनाओं का कारक होता है। वर्तमान में मिचेल की बृहस्‍पति की महादशा चल रही है और दसवें भाव में बृहस्‍पति शुभ स्थिति में है। उनके आठवें भाव में चंद्रमा का गोचर होना शुभ संकेत नहीं दे रहा है। इसलिए कहा जा सकता है कि न्‍यूज़ीलैंड की टीम मैच में आखिर तक बने रहने के लिए भरपूर प्रयास करेगी लेकिन मैदान में देर तक खड़ी नहीं रह पाएगी।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

क्‍या होगा परिणाम

ग्रह-नक्षत्र तो टीम इंडिया के पक्ष में नज़र आ रहे हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 भारत ही जीतेगा।

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