रामनवमी और हनुमान जयंती से सजा अप्रैल का महीना, इन राशियों के सुख-सौभाग्य में करेगा वृद्धि

रामनवमी और हनुमान जयंती से सजा अप्रैल का महीना, इन राशियों के सुख-सौभाग्य में करेगा वृद्धि

अप्रैल 2025: एस्ट्रोसेज एआई हर बार की तरह अपने पाठकों के लिए इस बार भी अप्रैल 2025 का यह विशेष ब्लॉग लेकर हाज़िर हैं। इस लेख में आपको अप्रैल माह से जुड़ी सभी जानकारी विस्तारपूर्वक प्राप्त होगी। हालांकि, अब हम मार्च को अलविदा कहते हुए अप्रैल में प्रवेश के लिए पूरी तरह से तैयार हैं जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, साल का चौथा महीना होता है। अप्रैल महीने की शुरुआत दर्शाती है कि साल के पहले तीन महीने बीत चुके हैं और अब वर्ष की दूसरी तिमाही दस्तक देने जा रही है। अप्रैल 2025 में धीरे-धीरे गर्मी अपना प्रचंड रूप धारण करने लगती है, लेकिन इस माह में कई बड़े पर्वों और व्रतों को भी मनाया जाता है जिससे इस माह का महत्व बढ़ जाता है इसलिए आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आने वाला महीना हमारे लिए कौन सी सौगात लेकर आएगा। 

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सिर्फ़ इतना ही नहीं, अप्रैल 2025 में कब और कौन से व्रत एवं त्योहार मनाए जाएंगे? कौन सा ग्रह कब अपनी राशि या दशा में बदलाव करेगा? क्या अप्रैल में कोई ग्रहण लगेगा? शेयर बाज़ार में निवेश करना कैसा रहेगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में प्राप्त होंगे। साथ ही, आपको यह भी बताएंगे कि वर्ष 2025 का चौथा महीना अप्रैल सभी 12 राशियों के करियर, व्यापार एवं प्रेम जीवन के लिए कैसा रहेगा। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले बात करते हैं अप्रैल माह के पंचांग की। 

अप्रैल 2025 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना 

आगे बढ़ने से पहले हम जान लेते हैं अप्रैल 2025 का पंचांग, इस महीने का आगाज़ भरणी नक्षत्र के तहत शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात 01 अप्रैल 2025 को होगा जबकि इस महीने की समाप्ति मृगशिरा नक्षत्र के अंतर्गत शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी कि 30 अप्रैल 2025 को हो जाएगी। इस माह के पंचांग से आपको रूबरू करवाने के बाद हम अप्रैल महीने के तीज-त्योहारों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

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अप्रैल 2025 में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार की तिथियां  

 जैसे कि यह बात हम आपको बताते आये हैं कि हर माह अपने आप में ख़ास होता है और उस माह में मनाये जाने वाले व्रत-त्योहार इसे और ख़ास बना देते हैं। इसी प्रकार, अप्रैल में राम नवमी, हनुमान जयंती जैसे कई बड़े पर्व मनाए जाएंगे। इस माह में आने वाले हर व्रत-त्योहार को आप यादगार बना सकें इसलिए हम आपको अप्रैल 2025 में पड़ने वाले व्रत और पर्वों की पूरी सूची नीचे दे रहे हैं। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं इस माह के व्रत-त्योहारों पर। 

तिथिदिनपर्व व व्रत
06 अप्रैल 2025रविवाररामनवमी
07 अप्रैल 2025सोमवारचैत्र नवरात्रि पारणा
08 अप्रैल 2025मंगलवारकामदा एकादशी
10 अप्रैल 2025गुरुवारप्रदोष व्रत (शुक्ल)
12 अप्रैल 2025शनिवारहनुमान जयंती
12 अप्रैल 2025शनिवारचैत्र पूर्णिमा व्रत
14 अप्रैल 2025सोमवारमेष संक्रांति
16 अप्रैल 2025बुधवारसंकष्टी चतुर्थी
24 अप्रैल 2025गुरुवारवरुथिनी एकादशी
25 अप्रैल 2025शुक्रवारप्रदोष व्रत (कृष्ण)
26 अप्रैल 2025शनिवारमासिक शिवरात्रि
27 अप्रैल 2025रविवारवैशाख अमावस्या
30 अप्रैल 2025बुधवारअक्षय तृतीया

अप्रैल 2025 के बैंक अवकाशों की सम्पूर्ण सूची

अप्रैल 2025 में कब और किस दिन रहेंगे बैंक बंद? इसकी जानकारी भी हम आपको प्रदान कर रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं:

तिथिदिनअवकाशराज्य 
01 अप्रैल 2025मंगलवारसरहुलीझारखंड
01 अप्रैल 2025मंगलवारउड़ीसा दिवसउड़ीसा 
01 अप्रैल 2025मंगलवारईद-उल-फ़ितरतेलंगाना
05 अप्रैल 2025शनिवारबाबू जगजीवन राम जयंतीआंध्र प्रदेश, तेलंगाना
06 अप्रैल 2025रविवाररामनवमीइन राज्यों के अलावा अरुणाचल प्रदेश,  असम, गोवा,  झारखंड, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप,,  मणिपुर,  मेघालय,  मिजोरम, नागालैंड, पांडिचेरी, तमिलनाडु, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल पूरे देश में राष्ट्रीय दिवस
10 अप्रैल 2025गुरुवारमहावीर जयंतीचंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब , राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, लक्षद्वीप,
13 अप्रैल 2025रविवारबैसाखीहरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब 
13 अप्रैल 2025रविवारमहा विशुबा संक्रांतिउड़ीसा
14 अप्रैल 2025सोमवारबोहाग बिहू अवकाशत्रिपुरा
14 अप्रैल 2025सोमवारडॉ अंबेडकर जयंतीअंडमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, असम, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, दिल्ली, लक्षद्वीप,, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा आदि राज्यों के अलावा राष्ट्रीय अवकाश
14 अप्रैल 2025सोमवारतमिल नव वर्षतमिलनाडु
14 अप्रैल 2025सोमवारविषुकेरल
14 अप्रैल 2025सोमवारबोहाग बिहूअसम
14 अप्रैल 2025सोमवारबंगाली नव वर्षत्रिपुरा, पश्चिम बंगाल
14 अप्रैल 2025सोमवारचीराओबामणिपुर
15 अप्रैल 2025मंगलवारबोहाग बिहूअरुणाचल प्रदेश
15 अप्रैल 2025मंगलवारहिमाचल प्रदेश स्थापना दिवसहिमाचल प्रदेश
16 अप्रैल 2025रविवारबोहाग बिहूअसम
18 अप्रैल 2025शुक्रवारगुड फ्राइडेहरियाणा और झारखंड के अलावा राष्ट्रीय अवकाश 
19 अप्रैल 2025शनिवारईस्टर सैटरडेनागालैंड
20 अप्रैल 2025रविवारईस्टर संडेकेरल, नागालैंड
21 अप्रैल 2025सोमवारगरिया पूजात्रिपुरा
29 अप्रैल 2025मंगलवारमहर्षि परशुराम जयंतीगुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान
30 अप्रैल 2025बुधवारबसवा जयंतीकर्नाटक

अप्रैल 2025 में अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त

जो माता-पिता अपनी संतान का अन्नप्राशन संस्कार संपन्न करने की सोच रहे हैं, लेकिन कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है, तो यहां हम आपको अप्रैल 2025 के लिए अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं। 

तिथिमुहूर्त 
2 अप्रैल 202513:02-19:56
10 अप्रैल 202514:51-17:0919:25-25:30
14 अप्रैल 202510:01-12:1514:36-21:29
25 अप्रैल 202516:10-22:39
30 अप्रैल 202507:02-08:5811:12-15:50

अप्रैल 2025 में मुंडन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त

तिथिदिनमुहूर्त 
14 अप्रैल 2025सोमवार08:27:45-24:13:56
17 अप्रैल 2025गुरुवार15:26:27-29:54:14
23 अप्रैल 2025बुधवार05:48:11-29:48:11
24 अप्रैल 2025गुरुवार, 05:47:1-10:50:29

अप्रैल में कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त

अप्रैल में आप कब और किस समय कर सकते हैं अपनी संतान का कर्णवेध संस्कार, आइए जानते हैं। 

तिथिमुहूर्त
03 अप्रैल, 202507:32-10:4412:58-18:28
05 अप्रैल, 202508:40-12:5115:11-19:45
13 अप्रैल, 202507:02-12:19,14:40-19:13
21 अप्रैल, 202514:08-18:42
26 अप्रैल, 202507:18-09:13

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अप्रैल माह के ग्रहण और गोचर

ज्योतिष की नज़रों में अप्रैल 2025 को ख़ास कहा जाएगा क्योंकि इस माह में हर माह की तरह कई ग्रह अपनी चाल, दशा और राशि में परिवर्तन करेंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि अप्रैल 2025 में कब और कौन सा ग्रह गोचर और स्थिति में बदलाव करेगा।

मंगल का कर्क राशि में गोचर (03 अप्रैल 2025): साहस, शौर्य एवं पराक्रम के कारक ग्रह मंगल हैं जो अब 03 अप्रैल 2025 की देर रात 01 बजकर 32 मिनट पर अपनी नीच राशि कर्क में गोचर करने जा रहे हैं। 

बुध मीन राशि में मार्गी (07 अप्रैल 2025): बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क और व्यापार के कारक कहा जाता है और अब यह 07 अप्रैल 2025 की शाम 04 बजकर 04 मिनट पर मीन राशि में मार्गी हो जाएंगे। 

शुक्र मीन राशि में मार्गी (13 अप्रैल 2025): प्रेम और ऐश्वर्य के ग्रह शुक्र 13 अप्रैल 2025 की सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर मार्गी होने जा रहे हैं जो कि इनकी उच्च राशि है। 

सूर्य का मेष राशि में गोचर (14 अप्रैल 2025): नवग्रहों के राजा के नाम से प्रसिद्ध सूर्य देव अपनी राशि में बदलाव करते हुए मंगल ग्रह की मेष राशि में 14 अप्रैल 2025 की देर रात 03 बजे गोचर करने जा रहे हैं। 

अप्रैल 2025 में पड़ने वाले व्रत-त्योहार का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और पर्व का अपना महत्व है जो उसे दूसरों पर्वों से अलग बनाते हैं। आपको अप्रैल माह के व्रत-त्योहार की तिथियों से अवगत करवाने के बाद अब हम आपको इन त्योहारों का धार्मिक महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।

रामनवमी (6 अप्रैल 2025, रविवार): हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है रामनवमी और इसे भारत सहित दुनियाभर में पूरी भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। रामनवमी का दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि राम जी के भक्तों के लिए बहुत ख़ास होती है। 

चैत्र नवरात्रि पारणा (7 अप्रैल, 2025 सोमवार): चैत्र नवरात्रि देवी शक्ति को समर्पित शक्तिशाली 9 दिन होते हैं। इन नौ दिनों तक की जाने वाली माता दुर्गा की पूजा और व्रत का पारणा चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। पारणा के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन हो जाता है। 

कामदा एकादशी (08 अप्रैल 2025 मंगलवार): कामदा एकादशी व्रत प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। कामदा एकादशी पर भगवान वासुदेव और श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि कामदा एकादशी व्रत को करने से जातक की सभी  मनोकामनाओं पूर्ण होती हैं।

प्रदोष व्रत (शुक्ल) (10 अप्रैल 2025, गुरुवार): सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को विशेष स्थान प्राप्त है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने किया जाता है। इस व्रत में महादेव और देवी पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रदोष व्रत को सच्चे हृदय से करने पर शिव जी अपने सभी भक्तों के मनोरथ पूर्ण करते हैं। 

हनुमान जयंती (12 अप्रैल, 2025, शनिवार): संकटमोचन हनुमान को भगवान राम का परम भक्त कहा जाता है और इन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में हनुमान जयंती को मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे भारत में बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ भक्तजन मनाते हैं। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दिन साहस और शक्ति के प्रतीक माने जाने वाले हनुमान जी का जन्म हुआ था।

चैत्र पूर्णिमा (12 अप्रैल 2025, शनिवार):  बता दें कि चैत्र माह में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को कुछ लोग चैती पूनम भी कहते हैं। हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा व्रत को पुण्यकारी माना गया है और इस दिन भगवान सत्यनारायण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र पूर्णिमा व्रत करने से भक्त को जीवन में सभी तरह की सुख-समृद्धि के साथ-साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।

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मेष संक्रांति (14 अप्रैल 2025, सोमवार): सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है। सनातन धर्म में हर महीने आने वाली संक्रांति तिथि को पुण्यदायी और लाभकारी माना जाता है क्योंकि सूर्य का गोचर हर माह होता है। जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे मेष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह तिथि  दान-पुण्य और शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ होती है।

संकष्टी चतुर्थी (16 अप्रैल 2025, बुधवार): संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट हरने वाली चतुर्थी। यह व्रत प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है और इस दिन बप्पा की पूजा भक्त सच्चे मन से विधिपूर्वक करते हैं। कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से भक्त के जीवन से सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। 

वरुथिनी एकादशी (24 अप्रैल 2025, गुरुवार): सामान्य रूप से, वरुथिनी एकादशी का व्रत अप्रैल और मई के महीने में किया जाता जो कि जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी व्रत से भक्त के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

मासिक शिवरात्रि (26 अप्रैल 2025, शनिवार):  मासिक शिवरात्रि व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष होता है जो कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। शिव जी की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए भक्तजन शिवरात्रि का व्रत करते हैं।

वैशाख अमावस्या (27 अप्रैल 2025, रविवार): हिंदू वर्ष के दूसरे माह वैशाख में आने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, वैशाख माह में त्रेता युग की शुरुआत हुई थी और इस दिन को दक्षिण भारत में शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया (30 अप्रैल 2025, बुधवार): अक्षय तृतीया को बहुत शुभ और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है जो कि हर माह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह तिथि अखा तीज के नाम से भी जानी जाती हैं। अक्षय तृतीया को सोना खरीदने के साथ-साथ दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, आदि कार्यों के लिए भी शुभ माना जाता है। 

ज्योतिषीय एवं धार्मिक दृष्टि से अप्रैल 2025 

अप्रैल का महीना न सिर्फ धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि देश के लिए भी अप्रैल बेहद ख़ास होता है क्योंकि इस महीने से ही नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होता है। सामान्य शब्दों में कहें तो, देश के एक नए आर्थिक वर्ष का आरंभ होता है। धार्मिक रूप से अप्रैल में जहां राम नवमी, हनुमान जयंती, महाष्टमी जैसे पर्वों को मनाया जाएगा। दूसरी तरफ, ज्योतिष के अनुसार, अप्रैल 2025 में कई बड़े ग्रहों के गोचर होने जा रहे हैं। वहीं, धार्मिक रूप से अप्रैल का माह विशेष होता है क्योंकि अधिकतर इस महीने में ही चैत्र माह का आगमन होता है। 

बात करें अप्रैल 2025 के पंचांग की, तो हिन्दू धर्म के अनुसार अप्रैल माह की शुरुआत चैत्र माह से होगी जबकि इसका समापन वैशाख माह के अंतर्गत होगा। हालांकि, चैत्र माह का आगाज़ 15 मार्च 2025 हो गया है जो 12 अप्रैल 2025 को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद, हिन्दू वर्ष का दूसरा महीना वैशाख 13 अप्रैल 2025 को शुरू होकर 12 मई 2025 तक रहेगा। विक्रम संवत के अनुसार, हिन्दू नववर्ष चैत्र से शुरू होता है और इसको ही संवत्सर कहा जाता है।

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शायद ही आप जानते होंगे कि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नया विक्रम संवत शुरू हो जाता है। वर्ष 2025 में नया विक्रम संवत 2082 लगेगा। चैत्र माह पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होता है इसलिए इस मास के दौरान देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए अनेक व्रत किए जाते हैं। कहते हैं कि चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इस दिन ही विष्णु जी पहला मत्स्य अवतार लेकर धरती को प्रलय से बचाने के लिए प्रकट हुए थे। कहते हैं कि चैत्र महीने से ही सतयुग का आरंभ हुआ था। इस माह में ही राजा राम का राज्यभिषेक हुआ था इसलिए चैत्र माह का महत्व बढ़ जाता है।  

इसी क्रम में, चैत्र माह के बाद वैशाख माह लग जाएगा जो कि हिंदू नव वर्ष का दूसरा महीना होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, वैशाख हर साल सामान्य तौर पर अप्रैल या मई में आता है। वैशाख महीने का संबंध विशाखा नक्षत्र से माना गया है और यह नक्षत्र व्यक्ति को जीवन में धन-संपदा पाने और पुण्य कर्मों में वृद्धि के अवसर प्रदान करता है। वैशाख मास में श्रीहरि विष्णु और भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करना कल्याणकारी माना गया है। इस महीने में ही एक बार भक्तों को अपने आराध्य बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं। 

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अप्रैल मासिक भविष्यवाणी 2025: 12 राशियों का राशिफल 

मेष राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मेष राशि के जातकों के लिए मध्यम रूप से……(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना वृषभ राशि के जातकों के लिए अनुकूल……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मिथुन राशि के लोगों के लिए उतार-चढ़ाव से…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 कहता है कि यह महीना कर्क राशि के जातकों के लिए कुछ हद तक…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना सिंह राशि वालों के लिए उतार-चढ़ाव से भरा…(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना मध्यम रूप से फलदायी रहने की संभावना है। आपकी…(विस्तार से पढ़ें)

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

तुला राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, तुला राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह महीना कुछ हद तक अनुकूल रहने की संभावना है। लेकिन,…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना धनु राशि के जातकों के लिए औसत रूप…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मकर राशि में जन्म लेने वाले जातकों के लिए…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना आर्थिक मामलों के लिए बहुत ज्यादा अनुकूल रहने की…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मीन राशि के जातकों के लिए उतार-चढ़ाव से…(विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. 2025 में रामनवमी कब है?

वर्ष 2025 में रामनवमी का पर्व 06 अप्रैल 2025 का है।

2. अप्रैल 2025 में बुध मार्गी कब हो रहे हैं?

इस महीने बुध मीन राशि में मार्गी 07 अप्रैल 2025 को हो रहे हैं। 

3. अप्रैल में संकष्टी व्रत कब है?

वर्ष 2025 के अप्रैल माह में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 अप्रैल 2025 को किया जाएगा।

बुध का मीन राशि में उदय होने से, सोने की तरह चमक उठेगा इन राशियों का भाग्य!

बुध का मीन राशि में उदय होने से, सोने की तरह चमक उठेगा इन राशियों का भाग्य!

बुध का  मीन राशि में उदय: बुध देव को ग्रहों के राजकुमार का दर्जा प्राप्त है जो मनुष्य जीवन को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं इसलिए इन्हें नवग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान हासिल है। वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को वाणी, बुद्धि, तर्क-वितर्क, व्यापार और गणित का कारक ग्रह माना जाता है। बुद्धि एवं व्यापार के कारक ग्रह होने के नाते जब भी बुध एक निश्चित अवधि के बाद अपनी राशि में परिवर्तन या फिर चाल में बदलाव करते हैं, तो इसका असर सभी राशियों के जातकों पर नज़र आता है। मार्च का महीना बुध ग्रह के लिए विशेष है क्योंकि इस अवधि में इन्होंने बार-बार अपनी चाल और स्थिति में बदलाव किया है। अब यह एक बार दोबारा मीन राशि में उदित होने जा रहे हैं जिसका असर न सिर्फ़ राशियों को बल्कि देश-दुनिया को भी प्रभावित करेगा। 

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यह हम सब भली-भांति जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और बुध दोनों को ही विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्य देव को जहां “नवग्रहों के जनक” का पद हासिल है, तो वहीं बुध को “ग्रहों के राजकुमार” कहा जाता है। आपको बता दें कि बुध के अस्त होने में सूर्य ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग के माध्यम से आप जान सकेंगे कि बुध का मीन राशि में उदय आपको कैसे परिणाम देगा? किन राशियों की चमकेगी किस्मत और किन्हें उठानी पड़ेगा परेशानी? क्या करियर और व्यापार से दूर होंगी समस्याएं? इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। सिर्फ इतना ही नहीं, अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा बुध ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय भी हम आपको प्रदान करेंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं। 

बुध का मीन राशि में उदय: कब और क्या रहेगा समय?

ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह अपने निर्धारित समय पर राशि परिवर्तन करता है जो ग्रह की चाल पर निर्भर करता है। हालांकि, बुध देव को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए यह तक़रीबन 23 दिन तक एक राशि में रहते हैं और समय-समय अपनी चाल एवं स्थिति में बदलाव करते रहते हैं। इसी क्रम में, अब बुध महाराज 31 मार्च 2025 की शाम 05 बजकर 57 मिनट पर मीन राशि में अपनी अस्त अवस्था से बाहर आकर उदित हो जाएंगे। बता दें कि बुध देव 17 मार्च 2025 को मीन राशि में अस्त हो गए थे। हालांकि, मीन राशि में एक साथ बुध, सूर्य, शुक्र, शनि और राहु के मौजूद होने से पंचग्रही योग बनेगा जो कि बुध के उदित होने से थोड़े बेहतर परिणाम देने में सफल हो सकता है। लेकिन, बुध की उदित अवस्था का असर संसार के साथ-साथ सभी राशियों पर भी दिखाई देगा। इस बारे में हम विस्तार से बात करेंगे, परंतु सबसे पहले जानते हैं बुध ग्रह के महत्व के बारे में। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

ज्योतिष की दृष्टि से बुध ग्रह

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को महत्वपूर्ण माना जाता है जिन्हें एक शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। नौ ग्रहों में चार ग्रहों को विशेष पद प्राप्त हैं जैसे सूर्य को राजा, चद्रंमा को रानी, मंगल को सेनापति और बुध देव को “ग्रह के युवराज” कहा जाता है। सौरमंडल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट स्थित है। ज्योतिष में बुध महाराज को बुद्धि, तर्कशास्त्र, वाणी, गणित, संवाद, अकाउंट और व्यापार के कारक ग्रह कहा गया है। इन्हें द्विस्वभाव का ग्रह माना जाता है अर्थात कुंडली में बुध जिस ग्रह के साथ मौजूद होते हैं, उन्हीं के अनुरूप आपको फल देने लगता है। 

सामान्य शब्दों में कहें तो, शुभ ग्रहों के साथ बुध के बैठे होने पर आपको शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं, यह अशुभ ग्रहों के साथ होने पर आपको अशुभ फल प्रदान करता है। उदाहरण के रूप में, यदि बुध देव गुरु, शुक्र और बली चंद्रमा के साथ स्थित होंगे, तो आपको शुभ फल ही देंगे जबकि क्रूर एवं पापी ग्रहों शनि, राहु, केतु, मंगल और सूर्य के साथ होंगे, तो आपको मिलने वाले परिणाम अशुभ हो सकते हैं।

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जीवन पर बुध ग्रह का प्रभाव 

जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि बुध देव को शुभ ग्रह माना जाता है। ऐसे जातक जिन की कुंडली के बुध ग्रह लग्न भाव/पहले भाव में विराजमान होते हैं, वह बेहद सुंदर होते हैं और अपनी आयु से कम दिखाई देते हैं। 

इसी प्रकार, कुंडली के लग्न भाव में बुध ग्रह के मौजूद होने पर जातक की बुद्धि तेज़, तर्क से बातचीत करने वाला और कुशल वक्ता होता है। लग्न भाव में बुध महाराज की उपस्थिति से जातक दीर्घायु और कई भाषाओं का ज्ञाता होता है। साथ ही, ऐसा व्यक्ति व्पापार में सफलता हासिल करता है। 

आइए अब नज़र डालते हैं कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर और मज़बूत होने पर वह आपको किस तरह के परिणाम देते है।  

मजबूत बुध का प्रभाव

  • वाणी, तर्क, संचार, त्वचा और व्यापार के कारक ग्रह के तौर पर कुंडली में बुध ग्रह की मज़बूत स्थिति आपको बुद्धिमान और तीव्र शक्ति वाला बनाती है। 
  • ऐसे व्यक्ति का संचार कौशल शानदार होता है और वह बातचीत करने में माहिर होता है। 
  • बलवान बुध होने पर जातक व्यापार में अपार सफलता हासिल करता है।  
  • इन्हें संवाद और गणित के क्षेत्र में महारत प्राप्त होती है। 

कमजोर बुध का प्रभाव

  • अगर किसी जातक की कुंडली में बुध दुर्बल या कमजोर होता है या क्रूर एवं पापी ग्रहों से पीड़ित होता है या फिर कुंडली के अशुभ भाव में बैठा होता है, तो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • बुध ग्रह के दुर्बल होने पर जातक की वाणी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है और कई बार वह हकलाने लग जाता है। 
  • दुर्बल बुध होने पर व्यक्ति में बुद्धि की कमी होती है और वह चीजों को देरी से समझता है। 
  • बुध के कमजोर अवस्था में होने पर व्यापार करने वाले जातक को नुकसान उठाना पड़ सकता है।  

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बुध देव से जुड़ी 7 रोचक बातें 

  1. बुध ग्रह एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो सूर्य के सबसे निकट स्थित हैं इसलिए अधिकतर यह अस्त अवस्था में रहते हैं। साथ ही, बुध देव सूर्य से एक भाव आगे या एक भाव पीछे रहते हैं।\
  2. ज्योतिष में बुध ग्रह को नपुसंक ग्रह माना जाता है। 
  3. बुध महाराज स्वग्रही, मूल त्रिकोण और मित्र ग्रह की राशि में उपस्थित होने पर अच्छे परिणाम देते हैं जबकि नीच राशि और शत्रु राशि में जातक को कष्ट उठाने पड़ते हैं। 
  4. करियर के क्षेत्र में बुध ग्रह लेखन, साहित्य, पत्रकारिता, सलाहकार, अकाउंटेंट और वकील आदि को दर्शाते हैं।
  5. कुंडली में किसी राशि या भाव में सूर्य-बुध की युति होने पर बुधादित्य राजयोग का निर्माण होता है।
  6. बुध ग्रह द्वारा निर्मित योग केंद्र त्रिकोण में बेहद फलदायी माना जाता है।
  7. जब शुक्र देव और बुध ग्रह एक साथ युति करते हैं, तब लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है।

बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए करें ये सरल उपाय 

  • कुंडली में बुध को बलवान करने के लिए बुधवार के दिन व्रत करें और भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही, गणेश जी को मूंग के लड्डू का प्रसाद के रूप भोग लगाएं। 
  • बुध को मज़बूत बनाने के लिए बुधवार के दिन हरी वस्तुओं का दान करें और गाय को हरा चारा खिलाएं। इसके अलावा, किसी जरूरतमंद ब्राह्मण को हरी सब्जियां, हरे फल, कांसे का बर्तन और हरे वस्त्र आदि दान कर सकते हैं। 
  • बुध देव की कृपा पाने के लिए पूजा के समय बुध स्तोत्र का पाठ करना फलदायी होता है। 
  • बुधवार को पूजा करते समय बुध देव के मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” या “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का जाप करें। 

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बुध का मीन राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

आपकी वर्तमान स्थि‍ति को देखें, तो बुध मेष राशि के जातकों के लिए शुभ ग्रह नहीं है। तीसरे और…(विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध एक शुभ ग्रह है लेकिन वर्तमान में नीच स्थि‍ति में होने…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को बुध का मीन राशि में उदय होने पर अपनी सेहत में सुधार देखने…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। हालांकि, आपके बारहवें भाव…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध उनके दूसरे और ग्‍यारहवें भाव का स्‍वामी है। बुध का मीन…(विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्‍या राशि की बात करें, तो बुध इस राशि के लग्‍न और दसवें भाव के स्‍वामी हैं। बुध का मीन…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि के नौवें और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। नौवें भाव के स्‍वामी के…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए बुध बहुत अनुकूल ग्रह नहीं है क्‍योंकि यह आपके आठवें और ग्‍यारहवें…(विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के लिए बुध बहुत शुभ और अत्‍यंत अनुकूल ग्रह हैं क्‍योंकि वह इस राशि के नौवें…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के पांचवे और आठवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जिससे आपकी वैज्ञानिक रूप…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि के चौथे और सातवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध आपके पहले…(विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बुध मीन राशि में कब उदित होंगे?

मीन राशि में बुध का उदय 31 मार्च 2025 को होगा। 

2. बुध और सूर्य की युति से कौन सा योग बनता है?

ज्योतिष के अनुसार, बुध और सूर्य की युति से बुधादित्य योग बनता है। 

3. अस्त होना किसे कहते हैं?

जब कोई ग्रह सूर्य के बेहद करीब चला जाता है, तब वह ग्रह अपनी शक्तियां खो देता है और इसे ही ग्रह का अस्त होना कहते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन: आज मां चंद्रघंटा की इस विधि से होती है पूजा!

चैत्र नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन: आज मां चंद्रघंटा की इस विधि से होती है पूजा!

चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन: चैत्र नवरात्रि 2025 नौ दिनों का पर्व है जिसमें मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है और उनके हर रूप के लिए अलग एवं विशेष अनुष्‍ठान, प्रार्थनाएं और रंग निर्धारित हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन को तृतीया के नाम से जाना जाता है जो कि मां चंद्रघंटा को समर्पित है। मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं। तीसरा नवरात्रि अत्‍यंत धार्मिक महत्‍व रखता है एवं यह साहस, शांति और आध्‍यात्मिक जागृति का प्रतीक है।

इस बार चैत्र नवरात्रि तृतीया और द्वितीया तिथि दोनों एक ही दिन पड़ रही हैं। एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में हम आपको नवरात्रि के तीसरे दिन की तिथि और समयावधि के बारे में बता रहे हैं। इसके साथ ही जानेंगे मां चंद्रघंटा का आध्‍यात्मिक महत्‍व क्‍या है और इस दिन किस विधि से देवी मां का पूजन किया जाता है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नवरात्रि के तीसरे दिन के बारे में।

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चैत्र नवरात्रि 2025 तीसरा दिन: तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन यानी 31 मार्च, 2025 को है और इसकी समयावधि निम्‍न प्रकार से है:

द्वितीया तिथि का समय: 30 मार्च, 2025 को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 31 मार्च, 2025 को सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर समाप्‍त।

तृतीया तिथि का समय: 31 मार्च, 2025 को सुबह 09 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 01 अप्रैल, 2025 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर समाप्‍त है।

इस प्रकार आप 31 मार्च, 2025 को सुबह 09 बजकर 13 मिनट के बाद तृतीया तिथि की पूजा कर सकते हैं।

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चैत्र नवरात्रि 2025 तीसरा दिन: महत्‍व

माना जाता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में सुख और शांति आती है। मां चंद्रघंटा अपने भक्‍तों पर शीघ्र कृपा दिखाती हैं और उन्‍हें चिंताओं एवं परेशानियों से मुक्‍त करती हैं। शेर पर सवार मां चंद्रघंटा दया, साहस और शांति प्रदान करती हैं जिससे भक्‍तों को अड़चनों को पार करने एवं आंतरिक शांति प्राप्‍त करने में मदद मिलती है। कहते हैं कि उनकी घंटी जैसी प्रतिध्‍वनि नकारात्‍मक ऊर्जाओं और बुरी आत्‍माओं को दूर भगाती है और अपने भक्‍तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।

जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से मां चंद्रघंटा की पूजा करता है, उसे शांति मिलती है एवं अपने निजी जीवन और करियर में सफलता प्राप्‍त होती है।

मां चंद्रघंटा का महत्‍व

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है जो कि मां दुर्गा का तीसरा रूप है। मां चंद्रघंटा को दया, साहस और दिव्‍य ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। उनके मस्‍तक पर अर्धचंद्र घंटी के आकार में सुशोभित रहता है और इसी वजह से उन्‍हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। वह उग्र होने के साथ-साथ दयालु भी हैं। वह शांति प्रदान करने के साथ-साथ बुरी शक्‍तियों का नाश करने के लिए हमेशा तत्‍पर रहती हैं।

मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार रहती हैं जो कि साहस और शक्‍ति का प्रतीक है। उनका यह स्‍वरूप भक्‍तों को जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने की प्रेरणा देता है। उनका सुनहरा स्‍वरूप दिव्‍य तेज से आलोकित होता है। देवी के दस हाथ हैं जिनमें तलवार, त्रिशूल, धनुष, बाण, गदा और कमंडल सहित अनेक अस्‍त्र-शस्‍त्र सुशोभित हैं जो कि उनकी अपने भक्‍तों की रक्षा करने की तत्‍परता और पराक्रम को दर्शाते हैं। उनके एक हाथ में कमल का फूल भी रहता है जो कि पवित्रता और आध्‍यात्मिकता का प्रतीक है। वहीं उनका एक हाथ अभय मुद्रा में रहता है जो कि आश्‍वासन और सुरक्षा का संकेत देता है।

रौद्र रूप होने के बावजूद देवी चंद्रघंटा शांति और करुणा का प्रतीक हैं। जो भक्‍त सच्‍चे मन से मां चंद्रघंटा की आराधना करते हैं, उन्‍हें आंतरिक शांति, भावनात्‍मक स्थिरता और मानसिक स्‍पष्‍टता मिलती है जिससे वे अपने जीवन में सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। मां चंद्रघंटा का संबंध मणिपुर चक्र से है जो कि आत्‍मविश्‍वास, इच्‍छाशक्‍ति और खुद में बदलाव लाने को नियंत्रित करता है। ऐसा माना जाता है कि उनकी उपासना से दिव्‍य चेतना जागृत होती है, आध्‍यात्मिक ज्ञान प्राप्‍त होता है और ब्रह्मांड के साथ मज़बूत संबंध स्‍थापित होता है।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

मां चंद्रघंटा की पूजा का ज्‍योतिषीय महत्‍व

शुक्र ग्रह से संबंध होने के कारण मां चंद्रघंटा का ज्‍योतिषीय महत्‍व बहुत अधिक है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में शुक्र कमज़ोर या नीच का होता है, उन्‍हें सुख-सुविधाओं, रिश्‍तों, रचनात्‍मक कार्यां में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शुक्र के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है और उसके नकारात्‍मक प्रभाव में कमी आती है एवं व्‍यक्‍ति के जीवन में सुख-शांति, सौंदर्य और समृद्धि का आगमन होता है। जो जातक संतुलन, प्रेम और कला के क्षेत्र में सफलता पाना चाहते हैं, वे मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं।

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चैत्र नवरात्रि 2025: मां चंद्रघंटा को क्‍या चढ़ाएं

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को अर्पित की जाने वाली चीज़ों का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्‍योंकि ऐसा माना जाता है कि कुछ चीज़ें मां चंद्रघंटा की दिव्‍य कृपा को आकर्षित करती हैं। इनमें से दूध अत्‍यधिक महत्‍व रखता है और इसे मां चंद्रघंटा के पूजन में ज़रूर शामिल करना चाहिए। देवी को दूध अर्पित करने के बाद इसे किसी ब्राह्मण या ज़रूरतमंद व्‍यक्‍ति को दान करना अत्‍यंत शुभ माना जाता है।

दूध के अलावा मां चंद्रघंटा को सफेद रंग की चीज़ें जैसे कि खीर, मिश्री और सफेद रंग के फूल भी चढ़ा सकते हैं क्‍योंकि ये चीज़ें पवित्रता और आस्‍था का प्रतीक मानी जाती हैं। इसके अलावा शहद भी चढ़ा सकते हैं जो कि मिठास, आरोग्‍यता और दिव्‍य ऊर्जा से संबंधित है। मां चंद्रघंटा को शहद चढ़ाने से समृद्धि और ज्ञान मिलता है एवं जीवन में सुख-शांति आती है।

इसके अलावा देवी मां की मूर्ति या तस्‍वीर पर चंदन लगाने और उन्‍हें लाल एवं पीले रंग के पुष्‍प अर्पित करने की सलाह दी जाती है। ये चीज़ें आध्‍यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती हैं और पूजा के लिए शांत वातावरण निर्मित करती हैं।

मां चंद्रघंटा के लिए मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

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चैत्र नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन के लिए राशि अनुसार उपाय

मेष राशि: आप सुबह और शाम के समय मां चंद्रघंटा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ध्‍यान रखें कि दीपक बुझे नहीं क्‍योंकि इससे घर में सकारात्‍मकता बनी रहेगी।

वृषभ राशि: मां चंद्रघंटा को वृषभ राशि वाले फल और चमेली का फूल अर्पित करें।

मिथुन राशि: इस राशि वाले मां चंद्रघंटा की उपासना करें और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें।

कर्क राशि: आप रोज़ लक्ष्‍मी सहस्‍त्रनाम का पाठ करने के साथ मां चंद्रघंटा की पूजा करें और उन्‍हें लाल रंग के पुष्‍प चढ़ाएं।

सिंह राशि: इस राशि वाले दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और मां चंद्रघंटा को तांबे के सिक्‍के या तांबे का छत्र चढ़ाएं।

कन्‍या राशि: जिनकी कन्‍या राशि है, वे मां लक्ष्‍मी की पूजा करें और नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक कनकधारा स्‍तोत्र का पाठ करें।

तुला राशि: मां चंद्रघंटा को चावल और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं।

वृश्चिक राशि: आप मां चंद्रघंटा की पूजा करें। आप गरीब लोगों को लाल रंग के वस्‍त्र या दालें दान में दें।

धनु राशि: इस राशि वाले दूध और गुड़ से बनी मिठाई देवी मां को चढ़ाएं और उनके आगे दीपक जलाएं। इससे जीवन में सकारात्‍मकता आती है। माथे पर हल्‍दी का तिलक लगाना भी शुभ रहेगा।

मकर राशि: शाम के समय मकर राशि वाले साफ वस्‍त्र पहनें और देवी मां को भोग चढ़ाएं एवं भोग में सेब और केला अर्पित करें।

कुंभ राशि: आपको मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए और देवी कवच का पाठ करना चाहिए। आप मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं।

मीन राशि: इस राशि वाले मां चंद्रघंटा की हल्‍दी की माला से पूजा करें और उन्‍हें घर पर सूजी से मिठाई बनाकर चढ़ाएं।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. चैत्र नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन कब है?

उत्तर. 31 मार्च, 2025 को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है।

प्रश्‍न 2. नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती है?

उत्तर. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना होती है।

प्रश्‍न 3. मां चंद्रघंटा से कौन-सा ग्रह संबंधित है?

उत्तर. मां चंद्रघंटा से शुक्र ग्रह का संबंध है।

चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां दुर्गा के इस रूप की होती है पूजा!

चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां दुर्गा के इस रूप की होती है पूजा!

चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन: चैत्र नवरात्रि 2025 के नौ दिनों के उत्‍सव में दूसरा दिन मां ब्रह्माचारिणी को समर्पित होता है जो कि मां दुर्गा का दूसरा एवं अविवाहित रूप है। ब्रह्माचारिणी नाम संस्‍कृत शब्‍द ‘ब्रह्म’ से आया है जिसका अर्थ तपस्‍या होता है एवं चारिणी का मतलब होता है महिला अनुयायी। इस प्रकार मां ब्रह्माचारिणी तपस्‍या, भक्‍ति और संयम का प्रतीक हैं। नवरात्रि का दूसरा दिन अत्‍यंत महत्‍व रखता है क्‍योंकि इस अवसर पर भक्‍‍त बुद्धि, धैर्य और आत्‍म-अनुशासन की कामना के लिए मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करते हैं।

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इस साल चैत्र नवरात्रि 2025 का दूसरा और तीसरा नवरात्रि एक ही दिन पड़ रहा है। एस्‍ट्रोसेज एआई के इस ब्‍लॉग के ज़रिए हम आपको बता रहे हैं कि नवरात्रि का दूसरा दिन कब है और इसका समापन किस समय होगा। इसके साथ ही मां ब्रह्माचारिणी के महत्‍व एवं दूसरे नवरात्रि की पूजन विधि के बारे में भी आगे बताया गया है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजन विधि एवं महत्‍व क्‍या है।

चैत्र नवरात्रि 2025 दूसरा दिन: समय और तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल द्वितीया और तृतीया तिथि दोनों एक ही दिन पड़ रहे हैं। 31 मार्च को द्वितीया और तृतीया तिथि हैं और इनका समय निम्‍न है:

द्वितीया तिथि का समय : 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 31 मार्च, 2025 को सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर समाप्‍त।

तृतीया तिथि का समय: 31 मार्च को सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर शुरू होकर 01 अप्रैल, 2025 को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट पर समाप्‍त।

मां ब्रह्माचारिणी की पूजा का ज्‍योतिषीय महत्‍व

ज्‍योतिषीय मान्‍यताओं के अनुसार मां ब्रह्माचारिणी का संबंध मंगल ग्रह से होता है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में मंगल कमज़ोर या नीच का होता है, उन्‍हें मां ब्रह्माचारिणी की पूजा ज़रूर करनी चाहिए।

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मां ब्रह्माचारिणी का महत्‍व

मां ब्रह्माचारिणी का बहुत गहरा आध्‍यात्मिक महत्‍व है और इसी के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा होती है। वह सांसारिक और दिव्‍य ज्ञान दोनों का प्र‍तिनिधत्‍व करती हैं एवं वह बुद्धि का भी प्रतीक हैं। शांत और संयमित स्‍वरूप में मां ब्रह्माचारिणी सफेद रंग के वस्‍त्र धारण किए होती हैं और उनके एक हाथ में अष्‍टदल की माला एवं दूसरे हाथ में कमंडल होता है। ये चीज़ें उनकी कठोर तपस्‍या और तप की भावना को दर्शाते हैं। मां दुर्गा के इस स्‍वरूप में उन्‍हें पवित्र ग्रंथों, अनुष्‍ठानों एवं आध्‍यात्मिक ज्ञान के लिए पूजा जाता है।

भक्‍तों का मानना है कि सच्‍चे मन से मां ब्रह्माचारिणी की उपासना करने से उनकी दिव्‍य कृपा प्राप्‍त होती है। उनकी पूजा से खासतौर पर बुद्धि एवं ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। उनका स्वरूप शांत और दिव्‍य है एवं अत्‍यंत सौम्‍य और करुणामयी होने की वजह से वे मां दुर्गा के अन्‍य रूपों से एकदम भिन्‍न हैं। मां अपने भक्‍तों पर कभी भी क्रोध नहीं करती हैं और जो भी उनकी शरण में आता है, उस पर शीघ्र अपनी कृपा बरसाती हैं।

ब्रह्माचारिणी नाम दो संस्‍कृत शब्‍दों से बना है जिसमें से एक ब्रह्म और दूसरा चारिणी है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्‍या और चारिणी का अर्थ होता है उसका पालन करने वाला। इस तरह ब्रह्माचारिणी नाम का अर्थ बनता है ‘जो तपस्‍या के मार्ग पर चलता हो’। मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से सुख-समृद्धि, उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य, आत्‍मविश्‍वास, दीर्घायु और साहस का आशीर्वाद मिलता है।

मां दुर्गा के दूसरे स्‍वरूप को ‘ब्राह्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। जो जातक चिंता, भावनात्‍मक तनाव या नकारात्‍मक परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, उन्‍हें मां ब्रह्माचारिणी की पूजा एवं व्रत करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि उनकी दिव्‍य उपस्थिति बेचैन मन को शांति, स्थिरता एवं आंतरिक शांति मिलती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां दुर्गा ने पर्वतों के शासक राजा हिमावत की पुत्री पार्वती के रूप में जन्‍म लिया था। महर्षि नारद की सलाह से मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्‍त करने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्‍या की थी। माता ने कई वर्षों तक पूरी लगन और सच्‍ची भक्‍ति के साथ तप किया जिसकी वजह से उन्‍हें ‘तपश्चारिणी’ या ‘ब्रह्माचारिणी’ नाम मिला। तपस्‍या के दौरान मां पार्वती ने कठोर व्रत किया और भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए गहन ध्‍यान में लीन रहीं।

उनकी इस तपस्‍या और भक्‍ति को सम्‍मान देने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के इस तपस्विनी रूप की पूजा की जाती है जो भक्‍तों को अपनी आध्‍यात्मिक यात्रा में अनुशासन, धैर्य और अटूट विश्‍वास रखने के लिए प्रेरित करता है।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

चैत्र नवरात्रि 2025 दूसरा दिन: मां ब्रह्माचारिणी की पूजन विधि

  • नवरात्रि के दूसरे दिन आप प्रतिपदा तिथि को स्‍थापित किए गए कलश की पूजा करें और इसके साथ ही भगवान गणेश का भी पूजन करें।
  • पूजन के दौरान पुष्‍प, चंदन और रोली अर्पित करें।
  • इस दिन पीले या सफेद रंग के वस्‍त्र पहनने चाहिए। मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने से पहले उनकी मूर्ति या तस्‍वीर को गंगाजल से स्‍नान करवाएं।
  • मां ब्रह्माचारिणी की पूजा में कमल का फूल ज़रूर रखें। इसके अलावा उन्‍हें दूध से बना भोग या मिठाई चढ़ाएं।
  • चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन भक्‍तों को दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करना चाहिए। यदि आप पूरा पाठ नहीं कर सकते हैं, तो इस ग्रंथ में से कीलक, अर्गला और कवच का पाठ ज़रूर करें।
  • पूजन के आखिर में मां ब्रह्माचारिणी की आरती करें और ज्ञान, शक्‍ति एवं शांति की कामना करें।

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन के लिए शुभ रंग

नवरात्रि के दूसरे दिन के लिए पीले रंग को शुभ माना जाता है। इस दिन माता रानी को पीले रंग के वस्‍त्र पहनाने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही भक्‍तों को भी पूजन के दौरान पीले रंग के वस्‍त्र ही पहनने चाहिए। पूजन में पीले रंग के पुष्‍प, मिठाई और पीले रंग की अन्‍य वस्‍तुओं को शुभ माना जाता है। यह रंग मां ब्रह्माचारिणी के पालन-पोषण करने वाले स्‍वरूप को दर्शाता है और इसका संबंध ज्ञान, बुद्धिमत्ता, उत्‍साह, आनंद और बुद्धि से होता है।

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मां ब्रह्माचारिणी का आशीर्वाद पाने के लिए मंत्र

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्माचारिणी रूपेण समस्थितल नमस्‍तस्‍यै नमतस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:।।

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चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन के लिए उपाय

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार मां दुर्गा के दूसरे स्‍वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कुंडली में मौजूद मंगल दोष से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों को मंगल के अशुभ प्रभावों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से काफी राहत मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर अगर मंगल कुंडली में मजबूत स्थिति में है, तो मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जमीन और प्रॉपर्टी से संबंधित क्षेत्रों में लाभ होता है और शारीरिक मजबूती मिलती है।

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन निम्न उपाय करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

  • नवरात्रि के दूसरे दिन मंदिर जाएं और मां पार्वती एवं भगवान शिव को जल चढ़ाएं और पुष्प अर्पित करें। इनकी पंचोपचार से पूजा करें।
  • इसके बाद शिव और पार्वती जी को मौली बांधे। इस उपाय को करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
  • रामायण काल में माता सीता ने भी विवाह से पूर्व मां गौरी की पूजा की थी और बाद में उनका भगवान राम से मिलन हुआ था। जो स्त्रियां मनचाहा या योग्‍य वर चाहती हैं, उनके लिए मां गौरी का पूजन करना बहुत महत्‍व रखता है।
  • नवरात्रि के दसूरे दिन स्‍नान करने के बाद दुर्गा सप्‍तशती के मंत्रों का जाप करें। इससे मनचाहा जीवनसाथी मिलने के योग बनते हैं और ईश्‍वर का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।
  • अपने ज्ञान को बढ़ाने और जीवन में सुख-शांति की कामना से आप मां ब्रह्माचारिणी का निम्‍न श्‍लोक पढ़ सकते हैं:
    “तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारिणी, ब्रह्मरूपा धारा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।” शंकर प्रिया त्वं हि भुक्ति-मुक्ति दायिनी, शांतिदा ज्ञान दा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्”।।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. चैत्र नवरात्रि 2025 का दूसरा नवरात्रि किस तिथि पर पड़ रहा है?

उत्तर. 31 मार्च, 2025 को दूसरा नवरात्रि है।

प्रश्‍न 2. नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती है?

उत्तर. दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा होती है।

प्रश्‍न 3. मां ब्रह्माचारिणी का किस ग्रह से संबंध है?

उत्तर. मां ब्रह्माचारिणी का मंगल ग्रह से संबंध है।

मार्च का आख़िरी सप्ताह रहेगा बेहद शुभ, नवरात्रि और राम नवमी जैसे मनाए जाएंगे त्योहार!

मार्च का आख़िरी सप्ताह रहेगा बेहद शुभ, नवरात्रि और राम नवमी जैसे मनाए जाएंगे त्योहार!

साप्ताहिक राशिफल के इस ब्लॉग के साथ ही हम मार्च 2025 के अंतिम सप्ताह में कदम रख देंगे और अब जल्द ही अप्रैल माह का भी आगाज़ हो जाएगा। लेकिन, यहाँ हम बात करेंगे मार्च के इस अंतिम सप्ताह की, तो बता दें कि एस्ट्रोसेज एआई के साप्ताहिक राशिफल के इस विशेष ब्लॉग में आपको जीवन से जुड़े कई प्रमुख सवालों के सही एवं सटीक जवाब प्राप्त होंगे जैसे कि करियर और व्यापार में कैसे मिलेंगे आपको परिणाम? किन राशियों को मिलेगा इस हफ़्ते भाग्य का साथ? निवेश से होगा लाभ या उठाना पड़ेगा नुकसान? प्रेम जीवन में मिलेगा साथी का साथ? वैवाहिक जीवन का कैसा रहेगा हाल? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस लेख में मिलेंगे।

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बता दें कि साप्ताहिक राशिफल का यह ब्लॉग एस्ट्रोसेज एआई के अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषियों द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की चाल, दशा एवं स्थिति की गणना करके तैयार किया गया है। यहाँ हम आपको ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के अचूक उपाय भी बताएंगे। साथ ही, 31 मार्च से 06 अप्रैल 2025 के बीच पड़ने वाले व्रत-त्योहार, ग्रहण, गोचर के साथ-साथ इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर हस्तियों के जन्मदिन से भी रूबरू करवाएंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और राशि अनुसार जानते हैं कि मार्च का यह आख़िरी सप्ताह आपके लिए कौन सी सौगात लेकर आएगा। 

इस सप्ताह के हिंदू पंचांग की गणना और ज्योतिषीय तथ्य

मार्च के अंतिम सप्ताह की शुरुआत अश्विनी नक्षत्र के तहत शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी कि 31 मार्च 2025 को होगी। वहीं, इस हफ़्ते का समापन पुष्य नक्षत्र के तहत शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी कि 06 अप्रैल 2025 को होगा। हालांकि, व्रत-त्योहार और ग्रहण-गोचर की दृष्टि से इस हफ्ते को विशेष माना जाएगा क्योंकि इस दौरान कुछ बड़े पर्वों को मनाया जाएगा। तो आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस सप्ताह में कब-कब कौन से व्रत-त्योहार किया जाएगा।

 

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इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार

बदलते समय के साथ इंसान के जीवन जीने के तरीके में भी बदलाव हुआ है और इसी के साथ, वह अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में इतना व्यस्त हो गया है कि वह जीवन की महत्वपूर्ण बातों को भी भूल जाता है और इन्हीं में व्रत-त्योहार भी शामिल हैं। साप्ताहिक राशिफल के इस ब्लॉग में हम 31 मार्च से 06 अप्रैल, 2025 के बीच पड़ने वाले त्योहारों की तिथियों और उनके महत्व के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे। चलिए नज़र डालते हैं इस सप्ताह के व्रत-त्योहारों की तिथियों पर। 

चेटी चंड (31 मार्च 2025, सोमवार): हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चेटीचंड  मनाया जाता है। यह सिंधी समुदाय के लोगों का प्रमुख पर्व होता है जो कि सिंधी समाज के भगवान झूलेलाल के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे झूलेलाल जयंती भी कहा जाता है। 

राम नवमी (06 अप्रैल 2025, रविवार): राम नवमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है और यह भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की नवमी तिथि को श्रीराम का जन्म हुआ था इसलिए यह दिन श्री राम के भक्तों के लिए विशेष होता है। 

हम आशा करते हैं कि यह व्रत-त्योहार आपके जीवन में खुशियाँ और आशा की नई किरण लेकर आयेंगे।

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इस सप्ताह (31 मार्च से 06 अप्रैल 2025) पड़ने वाले ग्रहण और गोचर

मार्च के इस अंतिम सप्ताह में मनाए जाने वाले व्रत-त्योहार के बारे में जानने के बाद अब हम बात करेंगे इस अवधि में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर के बारे में। इस सप्ताह केवल एक ग्रह का गोचर होगा जबकि दो ग्रह अपनी स्थिति में बदलाव करते हुए दिखाई देगा। बात करें ग्रहण की, तो इस हफ़्ते में कोई ग्रहण नहीं लगने जा रहा है। आइए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं कि कब और कौन सा ग्रह अपनी चाल और राशि में परिवर्तन करेगा।

बुध का मीन राशि में उदय (31 मार्च 2025): व्यापार के कारक ग्रह कहे जाने वाले बुध देव अपनी अस्त अवस्था से बाहर आते हुए 31 मार्च 2025 की शाम 05 बजकर 57 मिनट पर मीन राशि में उदित हो जाएंगे। 

शनि का मीन राशि में उदय (31 मार्च 2025): सूर्य पुत्र शनि देव को न्याय एवं कर्मफल दाता कहा गया है जो लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल देते हैं। अब यह 31 मार्च की देर रात 12 बजकर 43 मिनट पर मीन राशि में उदित हो जाएंगे। 

मंगल का कर्क राशि में गोचर (03 अप्रैल 2025): मंगल देव साहस एवं पराक्रम के ग्रह हैं जिन्हें लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। मंगल अब 03 अप्रैल 2025 की देर रात 01 बजकर 32 मिनट पर कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे जो कि इनकी नीच राशि है।

नोट: मार्च के इस अंतिम सप्ताह में कोई ग्रहण नहीं लगेगा। 

इस सप्ताह में पड़ने वाले बैंक अवकाश

यहां हम आपको 31 मार्च से लेकर 06 अप्रैल 2025 के बीच आने वाले बैंक अवकाशों की सूची दे रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं: 

तिथि दिनपर्वराज्य
31 मार्च 2025 सोमवारईद उल-फ़ित्रराष्ट्रीय अवकाश
1 अप्रैल 2025मंगलवारउड़ीसा दिवसउड़ीसा
1 अप्रैल 2025मंगलवारईद उल-फ़ित्र छुट्टियांतेलंगाना
1 अप्रैल 2025मंगलवारसरहुलझारखंड
5 अप्रैल 2025शनिवारबाबू जगजीवन राम जयंतीतेलंगाना, आंध्र प्रदेश
6 अप्रैल 2025रविवाररामनवमीसभी राज्य सिवाय अरुणाचल प्रदेश , असम, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय , मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल

इस सप्ताह जन्मे मशहूर सितारे

31 मार्च 2025: जनानी अय्यर, शीला दीक्षित, एडम ज़म्पा

01 अप्रैल 2025: माही विज, जग्गी सिंह, मैकेंज़ी डेविस

02 अप्रैल 2025: रेमो डी सूजा, जेसी प्लेमोंस, अजय देवगन

03 अप्रैल 2025: अरिश्फा खान, तस्किन अहमद, जोस मारिया बसंता

04 अप्रैल 2025 शाम, गौरव चोपड़ा, परवीन बाबी

05 अप्रैल 2025: क्रिस्टा एलेन, सबा कमर, किंशुक वैद्य

06 अप्रैल 2025: इंद्रपाल सिंह, रोहित सुचांती, मर्ले हैगर्ड

एस्ट्रोसेज इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं देता है। यदि आप अपने पसंदीदा सितारे की जन्म कुंडली देखना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं। 

साप्ताहिक राशिफल 31 मार्च से 06 अप्रैल, 2025

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मेष साप्ताहिक राशिफल 

मेष राशि वालों आपकी चंद्र राशि से राहु के बारहवें भाव में विराजमान होने के कारण…..(विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

इस सप्ताह भाग्य आपके साथ होगा, जिससे आपकी शोहरत तो बढ़ेगी….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके स्वास्थ्य राशिफल को देखें तो, आपका स्वास्थ्य….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

यदि आप अभी तक सिंगल हैं और सच्चे प्रेमी की प्रतीक्षा कर रहे हैं तो….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

मिथुन राशि वालों को इस सप्ताह कुछ जातकों को अपनी आपको सेहत….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

ये सप्ताह आपके प्रेम जीवन के लिए, बहुत ही अच्छा रहने वाले….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

कर्क राशि वालों के लिए इस समय आपके द्वारा खेल-कूद जैसी गतिविधियों में भाग…. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

आप इस सप्ताह अपने प्रेम संबंधों में जुनून और रोमांस की….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि वालों को इस सप्ताह आपको, अपने शरीर को आराम देने की ज़रूरत ….(विस्तार से पढ़ें)

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अपनी भावनाओं को यदि आप केवल खुद तक ही सीमित……(विस्तार से पढ़ें)

कन्या साप्ताहिक राशिफल

कन्‍या राशि वालों, आपकी चंद्र राशि से शनि के छठे भाव में होने के दौरान….(विस्तार से पढ़ें)

कन्या प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपको अपने प्रेम संबंध की जिम्मेदारियों के प्रति….(विस्तार से पढ़ें)

तुला साप्ताहिक राशिफल

तुला राशि वालों, आपकी चंद्र राशि से बृहस्‍पति के आठवें भाव में विराजमान होने पर…..(विस्तार से पढ़ें)

तुला प्रेम राशिफल

इस सप्ताह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही उठापटक के बाद….. (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

वृश्चिक राशि वालों को इस सप्ताह अत्यधिक खाने की आपकी आदत…..(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपके जीवन में मुहब्बत और रोमांस, आपको ख़ुश…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु साप्ताहिक राशिफल

धनु राशि वालों, आपकी चंद्र राशि से शनि के तीसरे भाव में मौजूद होने पर…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आप अपने प्रेमी को, अपने दोस्तों या करीबियों से मिलवाने…..(विस्तार से पढ़ें)

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मकर साप्ताहिक राशिफल

मकर राशि वालों, आपकी चंद्र राशि से बृहस्‍पति के पांचवे भाव में विराजमान….(विस्तार से पढ़ें)

मकर प्रेम राशिफल

यदि आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो, इस सप्ताह आपको प्रेम जीवन ….(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

कुंभ राशि वाले इस सप्ताह आप शारीरिक और मानसिक रूप से, बेहतर …. (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ प्रेम राशिफल

यदि आप अपने प्यार के रिश्ते को और मजबूत करना चाहते हैं तो….(विस्तार से पढ़ें)

मीन साप्ताहिक राशिफल 

मीन राशि वालों इस सप्ताह आपकी सेहत में सुधार आएगा, इसलिए …..(विस्तार से पढ़ें)

मीन प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आप महसूस करेंगे कि, आपका प्रेमी/प्रेमिका….(विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. मार्च 2025 में शनि कब उदित होंगे? 

शनि देव 31 मार्च 2025 को मीन राशि में उदित हो जाएंगे।

2. 2025 में रामनवमी कब है?

इस साल रामनवमी 06 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी।

3. क्या मार्च के इस सप्ताह में कोई ग्रहण लगेगा?

नहीं, 31 मार्च से 06 अप्रैल, 2025 के बीच कोई ग्रहण नहीं लगेगा।

मीन राशि में उदित होकर शनि इन राशियों के करेंगे वारे-न्यारे!

मीन राशि में उदित होकर शनि इन राशियों के करेंगे वारे-न्यारे!

शनि का मीन राशि में उदय: वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को न्याय के देवता या न्यायाधीश का पद प्राप्त है क्योंकि यह मनुष्य को उनके कर्मों के अनुसार अच्छे-बुरे फल प्रदान करते हैं। हालांकि, यह एक शुष्क और ठंडा ग्रह है जिन्हें नवग्रहों में सबसे मंद और धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। इनका संबंध अधिकतर पुरानी चीज़ों से जोड़ा जाता है। बता दें कि शनि महाराज को क्रूर ग्रह माना गया है जो किसी इंसान के जीवन में समस्याओं और परेशानियों को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। इसके विपरीत, यदि किसी जातक की कुंडली में इनकी स्थिति मज़बूत होती है, तो यह आपको जीवन में हर तरह का सुख प्रदान करते हैं। शायद ही आप जानते होंगे कि शनि ग्रह एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो किसी इंसान को राजा से रंक और रंक से राजा बनाने की क्षमता रखते हैं। अब यह जल्द ही अपनी स्थिति में बदलाव करते हुए मीन राशि में उदित होने जा रहे हैं। 

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दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको “शनि का मीन राशि में उदय” के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि और समय आदि। अब एक लंबे समय तक शनि अस्त रहने के बाद पुनः उदित होने जा रहे हैं और ऐसे में, यह देखना होगा कि राशि चक्र की किन राशियों को शनि की उदित अवस्था शुभ परिणाम देगी? किन जातकों को करियर में उतार-चढ़ाव का सामना करना होगा या फिर बनेंगे आपके रुके हुए काम? आर्थिक जीवन, प्रेम वैवाहिक और पारिवारिक जीवन के लिए कैसा रहेगा शनि का मीन राशि में उदय? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए इस लेख को पढ़ना जारी रखें जिसे हमारे अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों-नक्षत्रों की चाल, दशा और स्थिति के आधार पर तैयार किया गया है। तो आइए बिना रुके आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं शनि उदित का समय। 

शनि का मीन राशि में उदय: तिथि और समय

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि शनि ग्रह से मिलने वाले परिणामों में देर अवश्य हो सकती है, लेकिन यह देर-सवेर अवश्य फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह समस्याओं, देरी, परंपराओं, प्रतिबंध, दुख, दुर्भाग्य और आयु का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अब लगभग एक महीने के बाद 31 मार्च 2025 की रात 12 बजकर 43 मिनट पर मीन राशि में उदित होने जा रहे हैं। बता दें कि शनि देव 22 फरवरी 2025 को मीन राशि में अस्त हो गए थे। 

हालांकि, शनि ग्रह के उदित होने से कुछ राशियों को सकारात्मक और कुछ राशियों को नकारात्मक परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे। कौन सी हैं वह राशियां? इस बारे में हम विस्तार से बात करेंगे, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं उदित अवस्था के बारे में। 

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किसे कहते हैं ग्रह का उदय होना?

ज्योतिष की दुनिया में ग्रहों की चाल या दशा में होने वाले बदलाव को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी क्रम में, ग्रहों का अस्त होना और उदित होना दोनों ही मनुष्य जीवन को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं। हालांकि, ग्रह का उदित होना किसे कहते हैं, इस बात को समझने के लिए आपको अस्त अवस्था के बारे में जानना होगा। बता दें कि जब कोई ग्रह परिक्रमा पथ पर चलते हुए सूर्य के बेहद करीब चला जाता है, तो सूर्य के तेज़ प्रभाव से अस्त हो जाता है। ऐसे में, वह अपनी सभी शक्तियां खोकर कमज़ोर हो जाता है। 

ठीक इसी प्रकार, जब अस्त अवस्था में ग्रह चलता हुआ पुनः सूर्य देव से एक निश्चित दूरी पर आ जाता है, तो इसे ग्रह का उदय होना कहते हैं। इसके साथ ही, जैसे ही ग्रह उदित होता है, वह अपनी सारी शक्तियां दोबारा हासिल कर लेता है और एक बार फिर से जातक को अपनी पूरी क्षमता के साथ परिणाम देने लगता है। 

चलिए अब नज़र डालते हैं और जानते हैं शनि ग्रह का महत्व। 

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह 

  • शनि ग्रह को वैदिक ज्योतिष में एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रमुख ग्रह का स्थान प्राप्त है। यह व्यक्ति को उनकी सीमाओं, प्रतिबद्धता और जिम्मेदारियों की याद दिलाते हैं। 
  • मनुष्य जीवन में शनि महाराज दुख, आयु, पीड़ा, रोग, तकनीकी, विज्ञान आदि के कारक ग्रह माने जाते हैं। 
  • राशि चक्र में मकर और कुंभ राशि को शनि देव की राशि माना गया है। वहीं, तुला इनकी उच्च राशि है जबकि मेष में शनि देव नीच अवस्था में होते हैं। 
  • मंद गति से चलने की वजह से शनि ग्रह एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं और इसको ही शनि की ढैया कहा जाता है। 
  • वहीं, शनि ग्रह की दशा साढ़े सात साल तक चलती है और इसे ही शनि की साढ़े साती कहते हैं। 

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मनुष्य जीवन पर शनि ग्रह का प्रभाव

  • ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शनि ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं, उन्हें अपने जीवन में तमाम तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। 
  • मज़बूत शनि वाले लोग इरादों के पक्के होते हैं और कार्यों को करने से पीछे नहीं हटते हैं। साथ ही, यह न्याय प्रिय भी होते हैं। 
  • जिन लोगों की कुंडली में शनि दुर्बल अवस्था में उपस्थित होते है, उन्हें अपने जीवन में अनेक प्रकार के दुखों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • इनके जीवन में अप्रिय घटनाएं होने के योग बनने लगते हैं जिसके चलते आपके जेल जाने की नौबत आ सकती है या फिर आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। 

हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को मज़बूत करने और इनके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं जिनके बारे में आगे बात करेंगे। 

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शनि का मीन राशि में उदय के दौरान करें ये उपाय 

  • शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का सात बार पाठ करें।
  • शनि देव का आशीर्वाद पाने के लिए आप मछली, चिड़िया और पशुओं को दाना, पानी और चारा आदि खिलाएं। ऐसा करना फायदेमंद साबित होता है।
  • कुंडली में कुपित शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए भगवान हनुमान की पूजा करें। साथ ही, प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। 
  • शनिवार को संध्या के समय पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं।
  • साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान मांस-मदिरा के सेवन से बचें। 

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शनि का मीन राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शनि देव आपके दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में नौवें भाव और दसवें भाव के स्वामी हैं। ऐसे…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि महाराज आपके आठवें और नौवें भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके सातवें भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब यह…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए शनि महाराज आपकी कुंडली में छठे भाव और सातवें भाव…(विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि वालों की कुंडली में शनि देव आपके पांचवें भाव और छठे भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए शनि ग्रह आपके चौथे और पांचवें भाव के अधिपति देव हैं। इस…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि देव आपके तीसरे भाव और चौथे भाव के स्वामी हैं जो अब…(विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए शनि ग्रह आपके दूसरे भाव और तीसरे भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि वालों की कुंडली में शनि ग्रह आपके लग्न भाव और दूसरे भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए शनि देव आपकी कुंडली में लग्न भाव और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों की कुंडली में शनि देव आपके ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. शनि का उदय कब होगा?

मीन राशि में शनि देव 31 मार्च 2025 को उदित होंगे। 

2. मीन राशि में शनि का गोचर कब हुआ था?

शनि ग्रह 29 मार्च 2025 को मीन राशि में गोचर कर गए थे।

2. मीन राशि किसकी है?

राशि चक्र की बारहवीं राशि मीन के स्वामी गुरु ग्रह हैं। 

चैत्र नवरात्रि 2025 में नोट कर लें घट स्‍थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि!

चैत्र नवरात्रि 2025 में नोट कर लें घट स्‍थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि!

चैत्र नवरात्रि 2025: हिंदू त्‍योहारों में चैत्र नवरात्रि अत्‍यंत महत्‍व रखते हैं। पूरे देश में इस पर्व को श्रद्धा और आध्‍यात्मिक उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। भारत के कई हिस्‍सों में चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा और उनके नौ स्‍वरूपों को समर्पित होते हैं। शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में आते हैं जबकि चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में आते हैं। हिंदू पंचांग के चैत्र के महीने या‍नी मार्च या अप्रैल में चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। इस बार रविवार को 30 मार्च, 2025 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इनका समापन सोमवार को 07 अप्रैल, 2025 को होगा।

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्‍वपूर्ण होता है क्‍योंकि इससे पूरे नौ दिनों के लिए आध्‍यात्मिक माहौल तैयार होता है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है जो कि मां दुर्गा का पहला स्‍वरूप है। इन दिनों में श्रद्धालु समृद्धि, उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य और सफलता के लिए अनुष्‍ठान और विशेष पूजा करते हैं एवं मां दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं।

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एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में नौ दिनों तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि 2025 के पहले दिन की तिथि के बारे में बताया गया है। साथ ही घट स्‍थापना की विधि, महत्‍व आदि की जानकारी भी दी गई है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन के बारे में।

चैत्र नवरात्रि 2025 प्रथम दिन: घट स्‍थापना के लिए समय और तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत चैत्र के महीने की प्रतिपदा तिथि से यानी 30 मार्च, 2025 से होगी। घट स्‍थापना के लिए शुभ समय है:

घट स्‍थापना मुहूर्त

घट स्‍थापना मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक

समयावधि: 4 घंटे 8 मिनट

घट स्‍थापना अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 01 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक

समयावधि: 50 मिनट

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चैत्र नवरात्रि 2025: मां दुर्गा का वाहन

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा किसी विशेष वाहन पर बैठकर पृथ्‍वी पर आती हैं और हर एक वाहन का अलग अर्थ एवं महत्‍व होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 2025 का पर्व रविवार से शुरू हो रहा है इसलिए इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं।

मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना विकास, शांति और सकारात्‍मक बदलाव को दर्शाता है। यह संकेत देता है कि इस बार वर्षा अच्‍छी होगी जिससे फसल भी अच्‍छी आएगी और भूमि समृद्ध होगी। यह कृषि के लिए अनुकूल परिस्थितियों और भक्‍तों को कष्‍टों से मुक्‍ति दिलाने का भी प्रतीक  है।

चैत्र नवरात्रि 2025: घट स्‍थापना के लिए पूजन विधि

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पर्व की शुरुआत के लिए कलश स्‍थापना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि कलश स्‍थापना करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की कलश स्‍थापना या घट स्‍थापना करने की पूजन विधि क्‍या है:

  • शारीरिक और आध्‍यात्मिक रूप से शुद्ध होने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान कर लें।
  • एक पात्र में मिट्टी डालें। यह प्रजनन और विकास का प्रतीक है।
  • अब इस मिट्टी में जौ के बीज बोएं जो घर के अंदर समृद्धि और संपन्‍नता को दर्शाते हैं।
  • अब मिट्टी के पात्र के ऊपर एक मिट्टी का कलश रखें। कलश संपन्‍नता और दिव्‍य ऊर्जा का प्रतीक होता है।
  • वातावरण को पवित्र बनाने के लिए कलश के अंदर गंगाजल भर दें।
  • कलश के अंदर सुपारी, सिक्‍का और पुष्‍प डाल दें। ये चीज़ें संपन्‍नता, समृद्धि और भक्‍ति का प्रतीक हैं।
  • इस कलश को मिट्टी के ढक्‍कन से ढक दें और उसके ऊपर अक्षत रखें। यह शुद्धता और पूर्णता को दर्शाता है।
  • प्रमुख देवी के रूप में कलश के सामने मां दुर्गा की मूर्ति या तस्‍वीर स्‍थापित करें।
  • वैदिक अनुष्‍ठान के अनुसार पूजन एवं पवित्र मंत्रों का जाप करें। आप मां दुर्गा को धूप-दीप, पुष्‍प, फल एवं मिठाई अर्पित करें।
  • नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार पूजा की जाती है और माता रानी को रोज़ प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  • नौवें दिन नवरात्रि की नवमी तिथि को भगवान राम के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन नवरात्रि के समापन का प्रतीक है।
  • नवरात्रि के अंतिम दिन पर कन्‍या पूजन का बहुत महत्‍व है। इस दिन छोटी कन्‍याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्‍हें भोजन खिलाकर उपहार दिए जाते हैं।

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चैत्र नवरात्रि 2025 के प्रथम दिन का महत्‍व

संस्‍कृत में नवरात्रि का अर्थ नौ दिन होता है जो कि मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों को समर्पित होते हैं। नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक अलग अवतार की पूजा की जाती है जो दिव्‍य स्‍त्री के विभिन्‍न गुणों एवं शक्‍तियों को दर्शाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि से हिंदुओं के नववर्ष की शुरुआत होती है इसलिए यह पर्व अत्‍यधिक महत्‍व रखता है। नए काम की शुरुआत करने, फसल बोने और धार्मिक यात्रा पर जाने के लिए इस समय को शुभ माना जाता है।

मां दुर्गा के नौ स्‍वरूप

  • शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री पर्वत की बेटी हैं और ब्रह्मा, विष्‍णु एवं महेश की शक्‍ति का प्रतीक हैं।
  • ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है जो कि तपस्‍या और कठोर साधना का प्रतीक हैं। इस रूप में मां आध्‍यात्मिक ज्ञान का प्रतिनिधित्‍व करती हैं।
  • चंद्रघंटा: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है जो साहस और दृढ़ता का प्रतीक हैं।
  • कूष्‍मांडा: ऐसा माना जाता है कि मां कूष्‍मांडा की दिव्‍य मुस्‍कान से ब्रह्मांड की रचना हुई थी और उनका यह स्‍वरूप रचनात्‍मकता और ऊर्जा को दर्शाता है।
  • स्‍कंदमाता: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्‍कंदमाता की पूजा होती है जो कि भगवान कार्तिकेय यानी स्‍कंद की मां हैं। मां दुर्गा का यह रूप मां की शक्‍ति का प्रतीक है।
  • कात्‍यायनी: छठे दिन मां कात्‍यायनी की आराधना होती है। इस रूप में मां दुर्गा योद्धा के रूप में दिखाई देती हैं एवं वह साहस का प्रतीक है।
  • कालरात्रि: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है जो अंधकार और अज्ञानता का नाश करने के लिए उग्र एवं विनाशकारी रूप रखती हैं।
  • महागौरी: आठवें दिन मां गौरी की उपासना होती है जो कि पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं।
  • सिद्धिदात्री: मां दुर्गा का नौवां स्‍वरूप अलौकिक शक्‍तियां प्रदान करने के साथ-साथ सभी इच्‍छाओं की पूर्ति करता है।

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नवरात्रि के प्रथम दिन पर मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है जो कि मां दुर्गा का प्रथम स्‍वरूप है। चूंकि, मां दुर्गा ने देवी पार्वती के रूप में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्‍म लिया था इसलिए उन्‍हें ‘पर्वत की पुत्री’ के रूप में मां शैलपुत्री के नाम से पूजा जाता है। वे नंदी पर सवार रहती हैं और उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है।

देवी शैलपुत्री का संबंध मूलाधार चक्र से होता है जो कि स्थिरता, संतुलन और शक्‍ति का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले दिन पर मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्‍तों की आत्‍मा शुद्ध होती है, उनके सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं एवं आध्‍यात्मिक रूप से आगे बढ़ने के लिए असीम शक्‍ति प्राप्‍त होती है। मां शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है इसलिए ऐसा कहा जाता है कि सच्‍चे मन से मां शैलपुत्री की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मज़बूत होती है, सकारात्‍मकता आती है और चंद्रमा से संबंधित क्षेत्रों में अनुकूल परिणाम मिलते हैं।

मां शैलपुत्री के लिए मंत्र

बीज मंत्र: ‘या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण समस्थितल नमस्‍तस्‍यै नमतस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:।।

ॐ ऐं ह्रीं क्‍लीं चामुण्‍डायै विच्‍चै ॐ शैलपुत्री देवै नम:।।

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है जो कि मां दुर्गा का प्रथम स्‍वरूप हैं। शैलपुत्री नाम का मतलब होता है पर्वत की पुत्री। उन्‍हें भगवान शिव की पहली पत्‍नी सती का पुर्नजन्‍म माना जाता है। देवी शैलपुत्री को एक दिव्‍य रूप में दर्शाया गया है जो नंदी पर सवार रहती हैं। उनके माथे पर चंद्रमा विराजमान है और एक हाथ में त्रिशूल एवं दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है।

पुनर्जन्‍म में मां शैलपुत्री ने राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप में जन्‍म लिया था जो कि भगवान शिव की पहली पत्‍नी थीं। सती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन उनके पिता दक्ष प्रजापति भगवान शिव का तिरस्‍कार किया करते थे और उन्‍होंने शिव के साथ अपनी पुत्री के विवाह को स्‍वीकार नहीं किया था।

एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया था और इसमें उन्‍होंने सभी देवी-देवताओं, ऋषियों को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रण नहीं भेजा। सती इस यज्ञ में शामिल होना चाहती थीं लेकिन भगवान शिव ने उन्‍हें चेतावनी दी थी कि अगर वे बिना बुलाए यज्ञ में गईं, तो वहां पर उनका तिरस्‍कार होगा। सती ने भगवान शिव के परामर्श को नज़रअंदाज़ किया और राजा दक्ष के महल में पहुंच गईं। यज्ञ के दौरान सती को देखकर राजा दक्ष ने उनका बहुत तिरस्‍कार किया और भगवान शिव की अत्‍यंत निंदा की। अपने पति के बारे में अपमानजनक शब्‍दों को सती सहन नहीं कर पाई और उन्‍होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि में ही स्‍वयं को भस्‍म करने का निर्णय ले लिया।

सती के अंत से भगवान शिव अत्‍यंत दुखी और क्रोधित हुए थे। उन्‍होंने सती के मृत शरीर को उठाया और तांडव करने लगे। यह संपूर्ण सृष्टि के विनाश का संकेतक था। शिव के इस प्रलयंकारी रूप से सृष्टि के विनाश का खतरा उत्‍पन्‍न हो गया। 

इस महाविनाश को रोकने के लिए भगवान विष्‍णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए जो कि भारतीय महाद्वीप के कई हिस्‍सों में जाकर गिरे। जिस भी जग‍ह मां सती के अंग गिरे थे, उन्‍हें शक्‍तिपीठ का नाम दिया गया और ये मां दुर्गा के पवित्र तीर्थस्‍थान बन गए।

इसके बाद पर्वतों के राजा हिमालय के घर माता सती ने देवी शैलपुत्री के रूप में दोबारा जन्‍म लिया और यहां उन्‍हें पार्वती नाम मिला। कम उम्र से ही देवी पार्वती भगवान शिव की परम भक्‍त थीं और शिव से मिलन के लिए देवी पार्वती ने कठोर तपस्‍या की थी। उनकी असीम भक्‍ति से प्रसन्‍न होकर भगवान शिव ने एक बार फिर से उन्‍हें अपनी पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया।

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चैत्र नवरात्रि 2025: देवी के नौ रूपों से संबंधित ग्रह

नवरात्रि का दिनदेवी का रूपसंबंधित ग्रह
पहला दिन : प्रतिपदामां शैलपुत्रीचंद्रमा
दूसरा दिन : द्व‍ितीयामां ब्रह्माचारिणीमंगल
तीसरा दिन : तृतीयामां चंद्रघंटाशुक्र
चौथा दिन : चतुर्थीमां कूष्‍मांडासूर्य
पांचवां दिन : पंचमीमां स्‍कंदमाताबुध
छठा दिन: षष्‍ठीमां कात्‍यायनीबृहस्‍पति
सातवां दिन : सप्‍तमीमां कालरात्रिशनि
आठवां दिन : अष्‍टमीमां महागौरीराहु
नौवां दिन : नवमीमां सिद्धिदात्रीकेतु

चैत्र नवरात्रि 2025 पर क्‍या करें और क्‍या न करें

क्‍या करें

  • सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें।
  • घर और पूजन स्‍थल की साफ-सफाई करें।
  • रोज़ दुर्गा सप्‍तशती या देवी महात्‍मय का पाठ करें।
  • माता रानी को ताज़े पुष्‍प और भोग चढ़ाएं।
  • पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखें और केवल सात्विक भोजन ही करें।

क्‍या न करें

  • नवरात्रि के दिनों में नाखून और बाल नहीं कटवाने चाहिए।
  • मांसाहारी भोजन, शराब या तंबाकू इत्‍यादि का सेवन न करें।
  • नकारात्‍मक विचारों, गुससे और निंदा करने से बचें।
  • नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्‍त्र नहीं पहनने चाहिए क्‍योंकि इन्‍हें अशुभ माना जाता है।
  • दिन के समय सोने से बचें क्‍योंकि इससे व्रत के आध्‍यात्मिक लाभ नहीं मिल पाते हैं।

मां दुर्गा को प्रसन्‍न करने के लिए चैत्र नवरात्रि 2025 के उपाय

  • नवरात्रि के पहले दिन अपने घर के बाहर स्‍वास्तिक बनाएं। इससे नकारात्‍मक ऊर्जा खत्‍म होती है और घर के अंदर सकारात्‍मकता आती है।
  • घर के अंदर सुख-शांति के आगमन के लिए लाल रंग के पुष्‍प और लाल रंग की चुनरी मां दुर्गा को अर्पित करें।
  • नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की सप्‍तशती का पाठ करें। इससे सभी इच्‍छाओं की पूर्ति होती है और जीवन में आ रही सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं।
  • मां दुर्गा की कृपा पाने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कमल के पुष्‍प अर्पित करें।
  • नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक अखंड ज्‍योत जलाएं। यह दिव्‍य ऊर्जा का प्रतीक है और इससे सभी इच्‍छाओं की प‍ूर्ति होती है।
  • छोटी कन्‍याओं की अष्‍टमी या नवमी के दिन पूजा करें। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
  • हवन करने से नकारात्‍मक दूर होती है, वास्‍तु दोष का नाश होता है एवं बुरी नज़र से रक्षा होती है। यदि आप रोज़ हवन नहीं कर सकते हैं, तो अष्‍टमी, नवमी या दशमी तिथि पर हवन कर सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 पर राशि अनुसार उपाय

चैत्र नवरात्रि 2025 पर आप अपनी राशि के अनुसार निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • मेष राशि: मां दुर्गा को लाल रंग के चमेली  के फूल अर्पित करें और गरीब लोगों को मसूर की दाल का दान करें।
  • वृषभ राशि: मां लक्ष्‍मी की पूजा करें और छोटी कन्‍याओं को परफ्यूम एवं श्रृंगार की चीज़ें दान में दें।
  • मिथुन राशि: ‘ॐ बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करें और हरे रंग के फल एवं सब्जियों जैसे कि अमरूद और पालक आदि का दान करें।
  • कर्क राशि: मां ब्रह्माचारिणी की उपासना करें और गरीब लोगों को दूध एवं चावल से बनी चीज़ें दान में दें।
  • सिंह राशि: इस राशि वाले गायत्री मंत्र का जाप करें और मंदिर में गुड़ का दान करें।
  • कन्‍या राशि: सुख-समृद्धि के लिए कन्‍या राशि वाले मां सरस्‍वती की उपासना करें, उन्‍हें लाल रंग के पुष्‍प अर्पित करें और छोटी कन्‍याओं को हरे रंग के वस्‍त्र उपहार में दें।
  • तुला राशि: मां लक्ष्‍मी और मां दुर्गा की पूजा करें। गरीब लोगों को चावल, दूध, चीनी, सेवईयां दान में दें या हल्‍वा एवं खीर बांटें।
  • वृश्चिक राशि: आप मां चंद्रघंटा की पूजा करें एवं गरीब लोगों को तांबे के बर्तन दान में दें।
  • धनु राशि: आप ‘ॐ बृहस्‍पताये नम:’ मंत्र का जाप करें एवं मां सरस्‍वती का पूजन करें।
  • मकर राशि: अपने घर के पूजन स्‍थल में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और गरीब एवं अनाथ लोगों को अन्‍न का दान करें।
  • कुंभ राशि: काले तिलों का दान करें और भाग्‍य में वृद्धि के लिए गरीब लोगों को अन्‍न एवं जल दें।
  • मीन राशि: मां स्‍कंदमाता की उपासना करें, वंचित बच्‍चों के स्‍कूल जाएं और उन्‍हें किताबें या पढ़ाई की अन्‍य चीज़ें दान में दें।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. 2025 में चैत्र नवरात्रि कब हैं?

उत्तर. इस साल 30 मार्च, 2025 को रविवार को चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और इनका समापन 07 अप्रैल, 2025 को होगा।

प्रश्‍न 2. इस साल मां दुर्गा किस वाहन पर आ रही हैं?

उत्तर. इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं।

प्रश्‍न 3. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा होती है?

उत्तर. नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है।

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 30 मार्च से 05 अप्रैल, 2025

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 30 मार्च से 05 अप्रैल, 2025

कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक)? 

अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप- आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 यानी 1 होगा। 

इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है। इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं।

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अपनी जन्मतिथि से जानें साप्ताहिक अंक राशिफल (30 मार्च से 05 अप्रैल, 2025)

अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग-अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं। 

जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनिदेव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।

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मूलांक 1

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अनुशासन में रहना पसंद करते हैं। ये जातक व्‍यवस्थित होते हैं और महत्‍वपूर्ण निर्णय लेने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने जीवनसाथी के साथ ईमानदार रहेंगे। ऐसा आपके व्‍यवहार के कारण हो सकता है।

शिक्षा: आप शिक्षा के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करेंगे और शानदार सफलता हासिल करने में सक्षम होंगे। इस समय आप बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन और लॉ जैसी प्रोफेशनल स्‍टडीज़ में अच्‍छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं और इनमें आपको सफलता एवं अधिकार प्राप्‍त हो सकता है। वहीं व्‍यापारियों के लिए रणनीतियां लाभदायक सिद्ध होंगी।

सेहत: इस समय आपका स्‍वास्‍थ्‍य उत्तम रहने वाला है और ऐसा आपकी हिम्‍मत एवं साहस की वजह से होगा। इस सप्‍ताह आप अपनी क्षमता को और अधिक विकसित कर सकते हैं।

उपाय: आप शनिवार के दिन शनि ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 2

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)

यदि आपका मूलांक 2 है, तो इस समय आप कंफ्यूज़ रह सकते हैं और इसकी वजह से आप निर्णय लेने में संकोच कर सकते हैं। यह आपकी अपेक्षाओं के विरूद्ध हो सकता है।

प्रेम जीवन: आप अपने पार्टनर से बात करते समय असहज नज़र आ सकते हैं जिसकी वजह से आप आगे नहीं बढ़ सकेंगे और इसका असर आपके रिश्‍ते पर पड़ सकता है।

शिक्षा: आप शिक्षा के क्षेत्र में सफल होने के लिए अधिक दृढ़ता दिखा सकते हैं। इससे आप अपने साथी छात्रों से आगे निकल सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को नौकरी के नए अवसर मिलने की संभावना है। इससे आपके करियर को प्रगति मिलेगी। व्‍यापारियों के लिए अधिक मुनाफा कमाने के योग बन रहे हैं।

सेहत: इस समय आपकी सेहत उत्तम रहने वाली है और यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के मज़बूत होने की वजह से संभव हो पाएगा।

उपाय: आप सोमवार के दिन मां पार्वती के लिए यज्ञ-हवन करें।

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मूलांक 3

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अधिक व्‍यवस्थित और सिद्धांतों पर चलना पसंद करते हैं। ये लोग समय-समय पर अपने सिद्धांतों में बदलाव भी करते रहते हैं।

प्रेम जीवन: अहंकार की वजह से इस सप्‍ताह आपके रिश्‍ते में खटास आने की आशंका है। इस वजह से आप अपने पार्टनर के साथ खुश नज़र नहीं आएंगे।

शिक्षा: आप अपने साथी छात्रों के मुकाबले अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे और उनसे अधिक अंक लेकर आएंगे। इससे पढ़ाई के मामले में आपकी प्रगति होगी।

पेशेवर जीवन: कार्यक्षेत्र में आपको सफलता मिलने के संकेत हैं। आपको नौकरी के नए अवसर भी मिल सकते हैं। वहीं व्‍यापारियों को इस सप्‍ताह अपनी रणनीतियों की वजह से अधिक मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा।

सेहत: साहस और इम्‍युनिटी मज़बूत रहने के कारण आप शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ रहेंगे।

उपाय: आप बृहस्‍पतिवार के दिन बृहस्‍पति ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 4

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अधिक कुशल हो सकते हैं और इनकी लंबी यात्रा करने की अधिक इच्‍छा रहती है। ये जातक जीवन के प्रति जोश से भरे रह सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने जीवनसाथी में अधिक रुचि नहीं दिखा पाएंगे और इस वजह से आप दोनों के बीच दूरियां बढ़ सकती हैं और आपका रिश्‍ता खराब हो सकता है। इससे आपके रिश्‍ते को नुकसान पहुंच सकता है।

शिक्षा: इस समय छात्र पढ़ाई में उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में असफल रह सकते हैं। आपको इस सप्‍ताह पढ़ाई को लेकर कोई महत्‍वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए। साथ ही प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी यह समय अनुकूल नहीं है।

पेशवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है जिस वजह से कार्यक्षेत्र में उनके प्रदर्शन में गिरावट आने की आशंका है। वहीं व्‍यापारियों की रणनीतियां पुरानी होने के कारण, उन्‍हें नुकसान हो सकता है।

सेहत: इस सप्‍ताह आप शारीरिक रूप से अस्‍वस्‍थ रह सकते हैं। आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमज़ोर होने की वजह से आपके बीमार होने का खतरा है।

उपाय: आप रोज़ 22 बार ‘ऊं राहवे नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 5

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अधिक बुद्धिमान होते हैं। ये हमेशा व्‍यवसाय पर ध्‍यान केंद्रित कर सकते हैं और इससे लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके और आपके जीवनसाथी के बीच अच्‍छे संबंध रहेंगे एवं आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा। आप दोनों एक-दूसरे का सहयोग करते हुए नज़र आएंगे।

शिक्षा: छात्र पढ़ाई में उच्‍च कौशल विकसित करने और अधिक अंक प्राप्‍त करने में सक्षम हो सकते हैं। प्रोफेशनल स्‍टडीज़ जैसे कि सॉफ्टवेयर, फाइनेंशियल अकाउंटिंग आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह नौकरीपेशा जातकों को आसानी से सफलता मिल सकती है। वहीं आपको अपने उच्‍च अधिकारियों से पहचान और सराहना मिलने के योग हैं। यदि आप व्‍यवसाय करते हैं, तो इस समय आप अपने बिज़नेस के लिए एक टीम लीडर के रूप में उभर कर सामने आ सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है। आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मज़बूत रहेगी जिससे आप फिट रहने वाले हैं।

उपाय: आप रोज़ 41 बार ‘ऊं नमो नारायण’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 6

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक जोश से भरपूर होते हैं। इनकी घूमने-फिरने और ललित कला में अधिक रुचि हो सकती है।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ अधिक जोश और उत्‍साह के साथ पेश आएंगे। आप अपने पार्टनर से रोमांटिक बातें कर सकते हैं।

शिक्षा: पढ़ाई के मामले में छात्रों के कौशल की सराहना होगी। मल्‍टीमीडिया, ग्राफिक्‍स और सॉफ्टवेयर टेस्टिंग जैसे विषय आपके लिए अच्‍छे साबित होंगे।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह नौकरीपेशा जातकों को अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलने के संकेत हैं। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो आपको लाभ और हानि दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

सेहत: इस समय आपकी सेहत अच्‍छी रहने वाली है। आपको कोई बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या परेशान नहीं करेगी। हालांकि, आपको सिरदर्द जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं।

उपाय: आप रोज़ 33 बार ‘ऊं शुक्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 7 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 7 वाले जातकों का अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकता है और ये ऊंचे लक्ष्‍य निर्धारित कर सकते हैं। ये लोग दूसरों से अलग-थलग रह सकते हैं।

प्रेम जीवन: आपके और आपके जीवनसाथी के बीच आपसी समझ की कमी के कारण आप अपने पार्टनर के साथ आगे नहीं बढ़ सकेंगे।

शिक्षा: हो सकता है कि आपको पढ़ाई के बारे में पूरी जानकारी न हो। मुमकिन है कि आप शिद्वाा के क्षेत्र में प्रगति करने के लिए सही निर्णय लेने की स्थिति में न हों।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह नौकरीपेशा जातकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है और इस वजह से वे सफलता प्राप्‍त करने में असफल रह सकते हैं। गलत पद्धति के कारण व्‍यापारियों के हाथ से अधिक मुनाफा छूट सकता है।

सेहत: इम्‍युनिटी कमज़ोर होने की वजह से आपकी त्‍वचा धूप से जल सकती है या त्‍वचा पर जलन हो सकती है। त्‍वचा पर दाने होने के कारण आप परेशान हो सकते हैं।

उपाय: आप रोज़ 41 बार ‘ऊं केतवे नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 8 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक इस सप्‍ताह अधिक अनुशासन में रह सकते हैं और इसी पर उनका ध्‍यान केंद्रित रह सकता है। ये जातक अपने करियर में कुछ बड़ा करने के लिए अपने लक्ष्‍यों पर ध्‍यान केंद्रित कर सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस समय आप अपने जीवनसाथी के साथ खुले विचार नहीं रख पाएंगे। इस वजह से आप अपने पार्टनर के करीब जाने से चूक सकते हैं।

शिक्षा: मैकेनिकल और ऑटामोबाइल इंजीनियरिंग जैसे विषयों की पढ़ाई कर रहे छात्रों को इस सप्‍ताह सफलता मिल पाने की संभावना कम बनी हुई है।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह आपको अपने सहकर्मियों और उच्‍च अधिकारियों के साथ कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। आप अपनी नौकरी से भी असंतुष्‍ट रहने वाले हैं। वहीं व्‍यापारियों के लिए उनके प्रतिद्वंदी परेशानियां खड़ी कर सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह मूलांक 8 वाले जातकों को पैरों और जांघों में अकड़न के साथ दर्द हो सकता है। इम्‍युनिटी के कमज़ोर होने की वजह से ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप रोज़ 11 बार ‘ऊं हनुमते नम:’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 9

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 9 वाले जातक अधिक भाग्‍यशाली हो सकते हैं और अधिक संपत्ति प्राप्‍त कर सकते हैं। ये जातक व्‍यवस्थित होते हैं और इनका अपने रिश्‍तों पर अधिक ध्‍यान केंद्रित रहता है।

प्रेम जीवन: आपके और आपके पार्टनर के बीच अहंकार से संबंधित समस्‍याएं हो सकती हैं और इसकी वजह से आप अपने जीवनसाथी के साथ खुशनुमा पल नहीं बिता पाएंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह पढ़ाई में छात्रों का प्रदर्शन कमज़ोर रह सकता है। कभी-कभी आपकी पढ़ाई में रुचि कम हो सकती है और इसके कारण आप पीछे रह सकते हैं।

पेशेवर जीवन: आप कार्यक्षेत्र में अच्‍छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे और इसकी वजह से आप पीछे रह सकते हैं। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो इस सप्‍ताह आपके लिए अधिक मुनाफा कमाना मुश्किल हो सकता है।

सेहत: इस सप्‍ताह अधिक तनाव लेने के कारण आपको जांघों और कंधों में दर्द हो सकता है। आपको ध्‍यान करने की ज़रूरत है।

उपाय: मंगलवार के दिन मंगल ग्रह के लिए पूजा करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1.  इस सप्‍ताह मूलांक 8 वालों की सेहत कैसी रहेगी?

उत्तर. उन्‍हें पैरों और जांघों में अकड़न के साथ दर्द हो सकता है।

प्रश्‍न 2. कौन-सा नंबर बहुत लकी होता है?

उत्तर. 7 अंक को भाग्‍यशाली माना जाता है।

प्रश्‍न 3. मूलांक 6 वाले लोग कैसे होते हैं?

उत्तर. ये मिलनसार होते हैं।

चैत्र अमावस्‍या पर राशि अनुसार करें दान, खुल जाएंगे बंद किस्‍मत के दरवाज़े!

एकसाथ पड़ रही है चैत्र और शनि अमावस्‍या, आज कर लिया ये काम तो फिर कभी नहीं सताएंगे शनि महाराज!

सनातन धर्म एवं वैदिक ज्‍योतिष में अमावस्‍या का बहुत महत्‍व है। हर महीने की कृष्‍ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्‍या पड़ती है। एक साल में कुल 12 अमावस्‍या पड़ती हैं और हर महीने में एक अमावस्‍या तिथि आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र अमावस्‍या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। इसे भूतड़ी अमावस्‍या के नाम से भी जाना जाता है। अमूमन यह मार्च के आखिर या अप्रैल की शुरुआत में आती है।

आज एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में हम आपको चैत्र अमावस्‍या 2025 के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन राशि अनुसार क्‍या दान करना चाहिए एवं चैत्र अमावस्‍या का क्‍या महत्‍व है और इस दिन किन बातों का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं चैत्र अमावस्‍या की तिथि एवं पूजन विधि के बारे में।

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कब है चैत्र अमावस्‍या 2025

28 मार्च, 2025 को शाम को 07 बजकर 57 मिनट पर अमावस्‍या तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 29 मार्च को शाम 04 बजकर 29 मिनट पर होगा। इस प्रकार चैत्र अमावस्‍या 29 मार्च को पड़ रही है।

शनि अमावस्‍या भी है इस दिन

चूंकि, यह अमावस्‍या शनिवार के दिन पड़ रही है इसलिए इस दिन शनिश्‍चरी अमावस्‍या भी मनाई जाएगी। शनि अमावस्‍या पर शनि देव को प्रसन्‍न करने एवं उनकी कृपा प्राप्‍त करने के लिए उनसे संबंधित वस्‍तुओं जैसे कि लोहा, तेल और काले वस्‍त्र दान करने का बहुत महत्‍व है। इस दिन काले तिल और काली उड़द की दाल का भी दान कर सकते हैं। इस दिन पितरों को प्रसन्‍न एवं शांत करने के लिए पूजा-पाठ एवं पिंडदान करना चाहिए। इसके अलावा शनि देव की मूर्ति के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

चैत्र अमावस्‍या पर बन रहा है शुभ योग

इस दिन ब्रह्म योग बन रहा है जिसकी शुरुआत 28 मार्च को 02 बजकर 06 मिनट पर होगी और 29 मार्च को रात 10 बजकर 02 मिनट पर यह योग खत्‍म होगा। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार ब्रह्म योग एक शक्‍तिशाली योग है जो कि अपार धन, बुद्धि, स्‍वास्‍थ्‍य, दीर्घायु और साहस प्रदान करता है।

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चैत्र अमावस्‍या का क्‍या महत्‍व है

पितरों का तर्पण करने के लिए अमावस्‍या तिथि को उपयुक्‍त माना जाता है। इस तरह चैत्र अमावस्‍या पर भी पितरों की शांति के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। इससे पितृ दोष से मुक्‍ति मिलती है और सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं। चैत्र अमावस्‍या पर कौवे, गाय, कुत्ते या गरीब लोगों को खाना खिलाया जाता है या उन्‍हें अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दान दिया जाता है।

गरुण पुराण में वर्णित है कि अमावस्‍या तिथि पर पूर्वज अपने वंशजों के घर आते हैं। इसलिए इस दिन पितरों के नाम पर दान करने से उच्‍च फल प्राप्‍त होता है। इस दिन व्रत रखने का भी बहुत महत्‍व है। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्‍ति मिल सकती है। इसमें अमावस्‍या तिथि से व्रत शुरू करके प्रतिपदा तिथि पर चंद्रमा के दर्शन करने पर व्रत संपूर्ण होता है।

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चैत्र अमावस्‍या 2025 की पूजन विधि

  • अगर आप चैत्र अमावस्‍या पर व्रत रखना चाहते हैं, तो इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान आदि से निवृत्त हो जाएं। अगर संभव हो, तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्‍नान भी कर सकते हैं या फिर आप अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्‍नान करें।
  • इसके बाद आप अपने घर के पूजन स्‍थल में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्‍प लें। फिर एक लोटे जल में गंगाजल डालकर सूर्य देव को अर्घ्‍य दें।
  • इस दिन पितरों के नाम पर दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितर प्रसन्‍न होते हैं एवं मनुष्‍य के जीवन के सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं।
  • चैत्र अमावस्‍या पर अपने इष्‍ट देव का ध्‍यान करना भी शुभ होता है।

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चैत्र अमावस्‍या 2025 पर करें ये ज्‍योतिषीय उपाय

पितृ दोष से मुक्‍ति के लिए

  • अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है, तो इससे मुक्‍ति पाने के लिए आप चैत्र अमावस्‍या के दिन काले तिलों का दान कर सकते हैं। माना जाता है कि इस उपाय को करने से पितृ दोष दूर होता है और शनि देव की कृपा प्राप्‍त होती है।
  • पितरों की शांति के लिए ब्राह्मण को भोजन करवाना ज़रूरी होता है। इससे पितरों की आत्‍मा को तृप्ति मिलती है।
  • इसके अलावा पीपल के वृक्ष की पूजा करें, जल चढ़ाएं और शाम के समय दीपक जलाएं।

दरिद्रता दूर करने के लिए

  • अमावस्‍या तिथि पर तांबे के लोटे में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करते सूर्य देव को अर्घ्‍य दें। इस उपाय को करने से गरीबी दूर हो जाती है।
  • इस दिन पितरों के नाम पर असहाय और गरीब लोगों को भोजन कराएं। इससे पैसों की तंगी दूर होती है और धन-संपत्ति की प्राप्‍ति होती है।

चंद्रमा कमज़ोर हो तो क्‍या करें

यदि किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर है, तो वह जातक अमावस्‍या के दिन गाय को दही और चावल खिलाए। इससे मन शांत रहता है।

चैत्र अमावस्‍या पर न करें ये गलतियां

  • सनातन धर्म में चैत्र अमावस्‍या का बहुत महत्‍व है इसलिए इस दिन तामसिक भोजन एवं मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन प्‍याज़ और लहसुन से भी परहेज़ करना चाहिए।
  • इसके अलावा अमावस्‍या तिथि पर घर आए भिक्षुक या ब्राह्मण को खाली हाथ नहीं भोजना चाहिए।
  • अमावस्‍या पर देर तक सोने से बचना चाहिए बल्कि सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि कर लेना चाहिए एवं रातभर ईश्‍वर का ध्‍यान करना चाहिए।
  • इस तिथि पर बाल एवं नाखून भी नहीं काटने चाहिए। ऐसा करना बहुत अशुभ होता है।
  • अमावस्‍या पर आप गरीबों को दान करें एवं बड़ों का सम्‍मान करें और किसी से भी अपशब्‍द न कहें।

चैत्र अमावस्‍या 2025 पर राशि अनुसार क्‍या दान करें

आप चैत्र अमावस्‍या पर राशि अनुसार निम्‍न चीज़ों का दान कर सकते हैं:

  • मेष राशि: आप मसूर की दाल, गुड़, लाल रंग के वस्‍त्र और तांबे के बर्तनों का दान करें। ऐसा करने से आपका कर्ज़ खत्‍म होगा, शत्रुओं का नाश और मानसिक शांति मिलेगी।
  • वृषभ राशि: चैत्र अमावस्‍या पर वृषभ राशि के जातक सफेद रंग के वस्‍त्र, दही चावल, मिश्री और शंख का दान करें। इससे आपके परिवार में सुख और धन में वृद्धि होगी।
  • मिथुन राशि: इस राशि वाले हरे रंग के कपड़े, मूंग की दाल, पान के पत्ते और हरे रंग का फूल दान में दें। इससे आपको अपने करियर में प्रगति मिलेगी।
  • कर्क राशि: आप चैत्र अमावस्‍या पर दूध, चावल, चांदी, सफेद रंग की मिठाई और मोती का दान करें। इस उपाय से आपके घर में शांति आएगी और आपकी मां की सेहत में सुधार आएगा।
  • सिंह राशि: आप गेहूं, गुड़, तांबे के बर्तन, लाल रंग के फल जैसे कि सेब और अनार का दान करें। इससे आपको करियर में उन्‍नति मिलेगी और आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होगी।
  • कन्‍या राशि: चैत्र अमावस्‍या पर कन्‍या राशि वाले तुलसी, किताबों, स्‍टेशनरी, अनाज और हरी मूंग का दान करें। इससे आपको आर्थिक समृद्धि मिलेगी।
  • तुला राशि: आप इत्र, चंदन, सफेद रंग के वस्‍त्र, दही और सुगंधित फूल आदि का दान करें। इससे वैवाहिक जीवन में सुख आता है और प्रेम संबंध मज़बूत होते हैं।
  • वृश्चिक राशि: आप लाल मसूर की दाल, तांबे का सिक्‍का, बेलपत्र और लाल रंग के कपड़ों का दान करें।
  • धनु राशि: पीले रंग के वस्‍त्र, हल्‍दी, केले, घी, चने की दाल का दान करने से आपको लाभ होगा।
  • मकर राशि: इस राशि वाले सरसों के तेल, लोहे की वस्‍तुओं, उड़द की दाल और काले तिल का दान करें।
  • कुंभ राशि: आप चैत्र अमावस्‍या पर नीले रंग के कपड़ों, छाता, जूते और तिल आदि का दान करें।
  • मीन राशि: ये जातक मानसिक शांति के लिए अमावस्‍या तिथि पर पीले रंग की मिठाई, हल्‍दी, केसर, चंदन का दान करें और गाय को चारा खिलाएं।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. 2025 में चैत्र अमावस्‍या कब है?

उत्तर. चैत्र अमावस्‍या 29 मार्च को पड़ रही है।

प्रश्‍न 2. चैत्र अमावस के दिन क्‍या करना चाहिए?

उत्तर. इस दिन स्‍नान और दान करना चाहिए।

प्रश्‍न 3. अमावस्‍या की रात को क्‍या नहीं करना चाहिए?

उत्तर. इस दिन क्रोध, ईर्ष्‍या और मास मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

शनि गोचर के साथ ही लग रहा है सूर्य ग्रहण, इन राशियों को भुगतने पड़ेंगे भयंकर परिणाम

शनि गोचर के साथ ही लग रहा है सूर्य ग्रहण, इन राशियों को भुगतने पड़ेंगे भयंकर परिणाम

सूर्य ग्रहण 2025: एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य ग्रहण 2025 से संबंधित यह खास ब्लॉग।

29 मार्च, 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। इसी दिन एक और दिलचस्‍प एवं प्रभावशाली ज्‍योतिषीय घटना देखने को मिलेगी जो कि शनि का मीन राशि में गोचर है। आप पंचांग 2025 में भी इसे देख सकते हैं।

ज्‍योतिष में सूर्य ग्रहण को एक शक्‍तिशाली घटना के रूप में देखा जाता है जो कि बदलाव और परिवर्तन का समय होता है। जब चंद्रमा पृथ्‍वी और सूर्य के बीच आ जाता है, तब वह कुछ क्षणों के लिए सूर्य की रोशनी को अवरूद्ध कर देता है जिसे सूर्य ग्रहण के रूप में जाना जाता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार इस समय जो चीज़ें अज्ञात या गुप्‍त होती हैं, वे सामने आ सकती हैं और जीवन में बड़े बदलाव ला सकती हैं। इस समय लोगों को अपने स्‍वास्‍थ्‍य खासतौर पर आंखों और हृदय को लेकर अधिक सतर्क रहने की ज़रूरत होती है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि ज्‍योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रहण 2025 का क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

सूर्य ग्रहण 2025: समय एवं कहां पर दिखेगा

(भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार)

पहला सूर्य ग्रहण 2025 – आंशिक सूर्य ग्रहण
तिथिसमय और दिनसूर्य ग्रहण प्रारंभ होने का समय(भारतीय स्‍टैंडर्ड टाइम के अनुसार)सूर्य ग्रहण समाप्‍त होने का समयदृश्‍यता का क्षेत्र
चैत्र मासकृष्‍ण पक्षअमावस्‍या तिथिशनिवार, 29 मार्च, 2025दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से शुरूशाम 06 बजकर 14 मिनट तकबरमूड़ा, बारबदोस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, उत्तरी ब्राज़ील, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्‍को, ग्रीनलैंड, पूर्वी कनाडा, लिथुआनिया, नीदरलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्‍पेन, सूरीनाम, स्‍वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्‍लैंड और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का पूर्वी क्षेत्र)(यह ग्रहण भारत में दृश्‍यमान नहीं है)

नोट: सूर्य ग्रहण 2025 की बात करें, तो उपरोक्‍त तालिका में बताया गया समय भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार है।

सूर्य ग्रहण 2025: सभी राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के बारहवें भाव में मीन राशि में सूर्य राहु के साथ विराजमान रहेंगे। ये अपनी योग्‍यता और वित्तीय समझ का सही उपयोग कर के अपनी आय और खर्चों को संभालने में सक्षम होंगे। इससे इनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। आपको अपनी जान-पहचान के लोगों के सहयोग से अपने लक्ष्‍यों को पूरा करने में मदद मिलेगी। आज आपको अपने भाई-बहनों और अपने अधीन काम करने वाले लोगों से अत्‍यधिक सहयोग मिलने की संभावना है। आप अपने परिवार को किसी तीर्थस्‍थल की यात्रा पर लेकर जा सकते हैं।

मेष राशिफल 2025

वृषभ राशि

वृषभ राशि के चौथे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और यह भाव मां एवं सुख का होता है। सूर्य वृषभ राशि के ग्‍यारहवें भाव में राहु के साथ युति में बैठे हैं। इस समय काम को लेकर आपके फोकस में कमी आ सकती है जिससे आपके लिए अपने लक्ष्‍यों पर ध्‍यान केंद्रित कर पाना मुश्किल हो सकता है। इसका प्रभाव कार्यक्षेत्र में आपकी उत्‍पादकता पर भी देखने को मिलेगा। आपके लिए धार्मिक स्‍थल की यात्रा करने के योग बन रहे हैं। हालांकि, शाम तक चीज़ें आपके नियंत्रण में आ जाएंगी और आप अपनी गलतियों को पहचानने में सक्षम होंगे। आप आगे के लिए योजना बना सकते हैं। आपको अपने माता-पिता की सेहत का ख्‍याल रखने की सलाह दी जाती है। आज के दिन प्रेमियों को बेवजह की बातों पर झगड़ा करने से बचना चाहिए।

वृषभ राशिफल 2025

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

मिथुन राशि

मिथुन राशि के तीसरे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब वह इस राशि के दसवें भाव में उपस्थित हैं। आपको एहसास होगा कि आपके अंदर धैर्य की कमी है जिसका असर आपके काम करने के तरीके पर पड़ सकता है। हालांकि, शाम तक या सूर्य ग्रहण 2025 के बाद कुछ दिनों के अंदर परिस्थिति बेहतर होने लगेगी। आपको अपनी संतान के स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। आप अपने शत्रुओं और प्रतिद्वंदियों पर हावी रहेंगे। हालांकि, मुश्किल निर्णय लेते समय निवेशकों को सावधान रहने की ज़रूरत है। यदि आप कहीं और जाना चाहते हैं, तो आपको कुछ दिनों के लिए अपने इस निर्णय को टाल देना चाहिए।

मिथुन राशिफल 2025

कर्क राशि

कर्क राशि के दूसरे भाव के स्‍वामी सूर्य ग्रह हैं जो कि अब राहु के साथ आपके नौवें भाव में रहेंगे। कर्क राशि वाले अपने करियर और नौकरी को लेकर महत्‍वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होंगे जिससे उन्‍हें भविष्‍य में लाभ होने की उम्‍मीद है। आप कहीं घूमने की योजना बना सकते हैं। आपके अधीन काम करने वाले लोग आपके लिए सहायक साबित होंगे। आपको अपने भाई-बहनों की उपलब्धियों को लेकर कोई शुभ समाचार मिल सकता है। इसके अलावा अगर कोई कानूनी मुकदमा चल रहा है, तो आप उसमें जीत हासिल कर सकते हैं। अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए इस समय छात्र अधिक एकाग्र नज़र आएंगे।

कर्क राशिफल 2025

सिंह राशि

सिंह राशि के पहले भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब वह आपके आठवें भाव में विराजमान रहेंगे। बातचीत करने में कुशल होने के कारण आपको अपने करियर में सफलता प्राप्‍त होगी। सभी से विनम्रता से बात करने की वजह से आपकी प्रतिष्‍ठा में इज़ाफा होगा। खर्चे बढ़ने के कारण आपकी बचत प्रभावित हो सकती है। आपके सहकर्मी आपके निर्णयों में आपका समर्थन करेंगे जिससे आपके कार्य और तेजी से आगे बढ़ेंगे। प्रेमी एक-दूसरे से सकारात्‍मक विचार साझा कर सकते हैं जिससे उनके रिश्‍ते की नींव मज़बूत होगी।

सिंह राशिफल 2025

कन्या राशि

कन्या राशि के बारहवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं जो कि अब आपके सातवें भाव में बैठे हैं। ये जातक अपने जीवनसाथी पर हावी होने की कोशिश कर सकते हैं जिससे इनके वैवाहिक जीवन पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकता है। आपको अपनी नौकरी और कार्यक्षेत्र में दिए गए दायित्‍व बोझ लग सकते हैं। इस समय आपकी ऊर्जा काफी कम रह सकती है। आपको अपनी कड़ी मेहनत की वजह से आर्थिक स्‍तर पर सफलता मिलने के योग हैं। आप अपनी गरिमा को बनाए रखकर नकारात्‍मक लोगों से खुद को दूर रख सकते हैं।

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तुला राशि

तुला राशि के ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं जो कि अब इस राशि के छठे भाव में राहु के साथ युति में बैठे हैं। कुंडली का छठा भाव कर्ज़ और रोग का कारक होता है। चूंकि, यह भाव सरकार को भी दर्शाता है इसलिए जो जातक सरकारी नौकरी करते हैं, उनके ऊपर उच्‍च अधिकारी सवाल उठा सकते हैं या उन्‍हें अन्‍य समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। अत्‍यधिक कठोर बनने या दूसरों पर हावी होने की प्रवृत्ति के कारण आपकी अपने सहकर्मियों, परिवार के सदस्‍यों या अन्‍य लोगों से मतभेद होने की आशंका है। इससे आपके विकास में बाधा आ सकती है और आप अपने भविष्‍य के बारे में सोच पाने में असमर्थ हो सकते हैं। इससे आपके विचार और सफल होने की प्रेरणा पर प्रभाव पड़ सकता है। यह समय अपने शब्‍दों और कार्यों पर विचार करने एवं उनकी समीक्षा करने के लिए है।

तुला राशिफल 2025

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के दसवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं जो कि अब आपके शिक्षा, व्‍यवसाय और रचनात्‍मकता के भाव यानी पंचम भाव में विराजमान रहेंगे। वृश्चिक राशि के जातकों को अपने अज्ञात शत्रुओं, बीमारी और पैसों की तंगी या चोरी होने जैसी समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। चूंकि, सूर्य आपके दशम भाव के स्‍वामी हैं इसलिए सूर्य गोचर 2025 की समयावधि आपके लिए ज्‍यादा अनुकूल नहीं रहने वाली है। आपके ऊपर कर्ज़ एवं वित्तीय समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। इन्‍हें कार्यक्षेत्र में अपने सहकर्मियों या प्रतिद्वंदियों से खतरा हो सकता है। आपके अपने पिता, प्रोफेसर या सलाहकार से विवाद होने के संकेत हैं। ऐसे में आपको सावधान रहने की आवश्‍यकता है।

वृश्चिक राशिफल 2025

धनु राशि

धनु राशि के नौवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य गोचर 2025 के दौरान वह राहु के साथ आपके चौथे भाव में विराजमान रहेंगे। अत्‍यधिक काम करने की वजह से आप थका हुआ महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा आपकी एकाग्रता में भी कमी आने के संकेत हैं। इस गोचर के प्रभाव के कारण आप लापरवाह और सुस्‍त हो सकते हैं इसलिए आपको इस समय धैर्य बनाए रखने की सलाह दी जाती है। आप अपनी लंबी दूरी की यात्राओं को कुछ समय के लिए टाल दें। आपके सभी पुराने निवेश घाटे में जा सकते हैं। छात्रों को अत्‍यधिक प्रयास करने की ज़रूरत है। वहीं विवाहित जातकों को किसी भी बात पर अपने जीवनसाथी से बहस करने से बचना चाहिए।

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मकर राशि

मकर राशि वाले जातक अपने काम और करियर में बहुत ज्‍यादा व्‍यस्‍त रहने वाले हैं। आपको कम मेहनत करने पर भी सफलता मिलने के योग हैं। आपको पूर्व में किए गए अपने निवेश से अच्‍छा लाभ मिलने की संभावना है। आप अपने निजी जीवन और करियर दोनों का आनंद ले पाएंगे। आपकी लोकप्रियता में इज़ाफा देखने को मिलेगा। आप कोई नया व्‍यवसाय शुरू सकते हैं। आप इस समय अपने जीवनसाथी के साथ अपने विवादों को सुलझा सकते हैं। 

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कुंभ राशि

पहले की चुनौतीपूर्ण स्थितियों के ठीक होने की वजह से कुंभ राशि के जातक सूर्य ग्रहण 2025 के दौरान राहत महसूस कर सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आपको अपने नेटवर्क से फायदा हो सकता है। आपको काम के सिलसिले में विदेश यात्रा पर जाने का मौका मिल सकता है। इस समयावधि में पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी और प्रेम संबंध भी फल-फूलेंगे। आप अपने परिवार के लिए कलात्‍मक या रचनात्‍मक वस्‍तुएं ला सकते हैं। आप अपने परिवार या दोस्‍तों को कहीं बाहर घुमाने भी लेकर जा सकते हैं।

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मीन राशि

मीन राशि के छठे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं जो कि अब आपके पहले भाव में रहेंगे। यह स्थिति आपको नकारात्‍मक लग सकती है लेकिन इससे आपको अशुभ परिणाम प्राप्‍त नहीं होंगे बल्कि कुछ हद तक इससे आपको मदद ही मिलेगी। इस समय आपके अंदर रचनात्‍मकता बढ़ सकती है जिससे आपकी अपने घर को रेनोवेट करने की इच्‍छा हो सकती है। आप अपने घर या ऑफिस को बेहतर बनाने के लिए कुछ सामान खरीद सकते हैं। इससे समाज में आपकी प्रतिष्‍ठा बढ़ेगी। इसके अलावा आपके और आपके जीवनसाथी के बीच अच्‍छे संबंध रहेंगे। इससे आपको अपने निजी जीवन में संतोष महसूस होगा। आपके अपने पार्टनर, सहकर्मियों और दोस्‍तों के साथ चल रहे मतभेद अब सुलझ सकते हैं। यदि पहले से कोई मुकदमा या विवाद चल रहा है, तो आपको इस संबंध में शुभ समाचार मिल सकता है।

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सूर्य ग्रहण 2025: ज्‍योतिषीय उपाय

  • ग्रहण के दौरान शरीर पर तेल लगाने या स्‍पा जाने या मालिश करवाने से बचें।
  • यदि संभव हो, तो ग्रहण के दौरान कहीं भी यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • ग्रहण शुरू होने से पहले तुलसी के पत्ते का सेवन करना चाहिए।
  • आप ग्रहण के दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ और मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मंत्र ‘ॐ सूर्याय नम:’ का जाप करना भी लाभकारी होता है।
  • सूर्य ग्रहण के समय ईश्‍वर का ध्‍यान करें और आप शुभ कार्य जैसे कि दान आदि भी कर सकते हैं। आप अपनी इच्‍छा के अनुसार दान कर सकते हैं।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान गेहूं का दान करने से आर्थिक लाभ होता है।
  • सूर्य आत्‍मा के कारक हैं इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान योग और ध्‍यान करना लाभकारी रहता है। इससे शांति मिलती है एवं आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होती है।
  • ग्रहण के समाप्‍त होने पर स्‍नान करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण 2025: गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान दुनियाभर के लोगों पर नकारात्‍मक ऊर्जाएं हमला करने लगती हैं। इसलिए विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए क्‍योंकि गर्भावस्‍था में महिला के शरीर के अंदर कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं जिसके कारण नकारात्‍मक ऊर्जाएं आसानी से इन पर हमला कर सकती हैं। ग्रहण के दौरान खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए स्‍वस्‍थ रहना बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। आगे सूर्य ग्रहण 2025 के दौरान गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं।

  • कभी भी सूर्य ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से सूर्य की ओर नहीं देखना चाहिए क्‍योंकि इससे आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। चूंकि, आजकल ज्‍यादातर महिलाएं कामकाजी होती हैं और अगर आप गर्भवती हैं और आपको काम के लिए घर से बाहर निकलना है, तो आपको अधिक सावधान रहना चाहिए।
  • अगर आप गर्भवती हैं और आपका ग्रहण के दौरान बाहर जाना ज़रूरी है, तो आप सुरक्षा मानकों को पूरा करने वाले चश्‍मे या ग्रहण को देखने वाले अन्‍य उपकरणों का प्रयोग करें। 
  • जिन महिलाओं की कुंडली में सूर्य कमज़ोर होता है, उन्हें अत्‍यधिक सावधानी बरतनी चाहिए क्‍योंकि सूर्य आंखों की रोशनी एवं आरोग्‍य बल या स्‍वास्‍थ्‍य के कारक हैं।
  • यदि आप गर्भवती हैं, तो ग्रहण के दौरान और सूतक काल में सुईं का इस्‍तेमाल करने से बचें। इसके अलावा इस समय सोना भी नहीं चाहिए।
  • परंपरा के अनुसार ग्रहण के समय कुछ भी खाना-पीना वर्जित है, हालांकि गर्भवती महिलाओं को हाइड्रेट रहना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए। किसी भी तरह की समस्‍या से बचने के लिए आप खीरे जैसे फल खा सकती हैं।
  • अगर आपको काम को लेकर सार्वजनिक स्‍थान पर जाना पड़ रहा है, तो आप लोगों से दूरी बनाकर रखें और खासतौर पर भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहें। अगर आपकी प्रेग्‍नेंसी के आखिरी महीने चल रहे हैं, तो आप किसी भी ऐसी परिस्थिति से बचें जहां पर धक्‍का-मुक्‍की होने या तनाव होने का डर रहे।
  • कुछ गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान होने वाली उत्तेजना या तनाव से चिंता हो सकती है। अगर आपको तनाव या असहज महसूस हो रहा है, तो आप घर से बाहर न निकलें और आराम करें।
  • यदि आप थका हुआ या असहज महसूस कर रही हैं, तो आपको अपने शरीर पर ध्‍यान देना चाहिए और आराम करना चाहिए। प्रेग्‍नेंसी में थकान होना आम बात है इसलिए काम से ब्रेक लेने में हिचकिचाएं नहीं और ज्‍यादा थकान न होने दें।
  • यदि संभव हो, तो सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ भी खाएं-पिएं नहीं।
  • ग्रहण के समय नुकीली चीज़ों का इस्‍तेमाल करने से बचें।
  • कुछ परंपराओं के अनुसार ग्रहण के दौरान मंत्र जाप या प्रार्थना करना शुभ माना जाता है।
  • मान्‍यता है कि ग्रहण से पहले और बाद में स्‍नान करना चाहिए।
  • पूरे ढ़के हुए कपड़े पहनें या विशेष ताबीज़ पहनना लाभकारी हो सकता है।

सूर्य ग्रहण 2025: स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव

वैदिक चिकित्‍सा ज्‍योतिष में सूर्य ग्रहण को इम्‍युनिटी के कमज़ोर होने और जीवनशैली में कुछ बदलाव करने को दर्शाता है। यह महत्‍वपूर्ण घटनाओं जैसे कि नई नौकरी शुरू करने या किसी रिश्‍ते को खत्‍म करने का संकेत भी दे सकता है। सूर्य हृदय, हड्डियों, मांसपेशियों और आंखों आदि का कारक है और सूर्य ग्रहण 2025 के दौरान लोगों को इन अंगों से संबंधित समस्‍याएं होने का खतरा अधिक रहता है। यदि किसी व्‍यक्‍ति को पहले से ही इन अंगों से जुड़ी कोई समस्‍या है, तो उन जातकों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।

सूर्य ग्रहण का स्‍वास्‍थ्‍य पर क्‍या असर पड़ता है

  • सूर्य ग्रहण स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए बदलाव लाने की प्रेरणा दे सकता है।
  • यह लोगों को अपनी ऐसी पुरानी आदतों, धारणाओं और भावनाओं को छोड़ने के लिए प्रोत्‍साहित कर सकता है जो अब उनके विकास में सहायक नहीं हैं।
  • सूर्य ग्रहण छिपी हुई बातों या रहस्‍यों को उजागर कर सकता है।

सूर्य ग्रहण का लाभ कैसे उठाएं

  • अतीत को पीछे छोड़कर विकास और नवीनीकरण के नए अवसरों को अपनाएं।
  • स्‍पष्‍ट उद्देश्‍य निर्धारित करें, अपने लक्ष्‍यों पर विचार करें, अपनी राशि के अनुसार मार्गदर्शन के लिए किसी ज्‍योतिषी से परामर्श लें और ध्‍यान करें।
  • अपने लक्ष्‍यों को निर्धारित कर उन्‍हें प्राप्‍त करने का प्रयास करें।
  • अपने जीवन के बारे में सोचें और जो चीज़ें आपको रोक रही हैं, उन्‍हें छोड़ने की कोशिश करें।
  • आप सच्‍चाई का सामना करें जिससे आपको विकास करने और विश्‍वसनीय बनने में मदद मिले।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. सूर्य ग्रहण को सकारात्‍मक क्‍यों नहीं माना जाता है?

उत्तर. सूर्य ग्रहण को नकारात्‍मक माना जाता है क्‍योंकि इस दौरान सूर्य राहु या केतु की छाया में आ जाता है और ग्रहण के समय सूर्य की किरणों का प्रभाव नकारात्‍मक पड़ सकता है।

प्रश्‍न 2. किस राशि में सूर्य ग्रहण 2025 लगेगा?

उत्तर. यह ग्रहण मीन राशि में लगेगा।

प्रश्‍न 3. किस महीने में सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है?

उत्तर. चैत्र मास, कृष्‍ण पक्ष।