सिंह संक्रांति पर किसकी पूजा करने से दूर होगा हर दुख-दर्द, देख लें अचूक उपाय!

सिंह संक्रांति 2025 पर किसकी पूजा करने से दूर होगा हर दुख-दर्द, देख लें अचूक उपाय!

सिंह संक्रांति 2025: सूर्य ग्रह लगभग हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। सूर्य के गोचर या संचरण को संक्रांति के नाम से जाना जाता है और जब सूर्य देव सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, तब इस संचरण को सिंह संक्रांति कहते हैं।

संक्रांति शब्‍द संस्‍कृत भाषा के संक्रमण शब्‍द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है गति या परिवर्तन। यह सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने का प्रतीक है। सूर्य के सिंह राशि में गोचर करने को सिंह संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

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सिंह संक्रांति दक्षिण भारत का एक महत्‍वपूर्ण पर्व है। इस दिन से सिंह मास की भी शुरुआत होती है जो कि भारतीयों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्‍न सौर कैलेंडरों का एक हिस्‍सा है। मलयाली कैलेंडर के अनुसार इस दिन से चिंगा मास की शुरुआत होती है, तमिल कैलेंडर में अवनी मास की और बंगाली कैलेंडर में भाद्र के महीने का आरंभ होता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कर्क राशि में उपस्थित है या जिनकी सूर्य की दशा चल रही है, उन्‍हें सिंह संक्रांति पर सूर्य पूजा करवानी चाहिए। इस पूजा के दौरान भगवान विष्‍णु के विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। आगे जानिए कि इस बार सिंह संक्रांति 2025 कब पड़ रही है।

सिंह संक्रांति 2025 कब है

साल 2025 में 17 अगस्‍त, रविवार को सिंह संक्रांति मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में संक्रांति के समय को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी या तालाब में स्‍नान किया जाता है और गरीबों एवं जरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है। इसे आप वैदिक त्‍योहार कह सकते हैं। इस पर्व का संबंध प्रकृति, मौसम और कृषि से होता है।

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वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार संक्रांति क्‍या है?

वैदिक ज्‍योतिष में संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करना। चूंकि, सूर्य एक ही राशि में लगभग 30.4 दिनों तक रहते हैं इसलिए यह महीने में एक बार राशि परिवर्तन जरूर करते हैं। सूर्य को ग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है और उनके गोचर करने का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है इसलिए सूर्य का गोचर अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण होता है।

12 संक्रांति हैं:

  • मेष संक्रांति
  • वृषभ संक्रांति
  • मिथुन संक्रांति
  • कर्क संक्रांति
  • सिंह संक्रांति
  • कन्‍या संक्रांति
  • तुला संक्रांति
  • वृ‍श्चिक संक्रांति
  • धनु संक्रांति
  • मकर संक्रांति
  • कुंभ संक्रांति
  • मीन संक्रांति

सिंह संक्रांति 2025 पर सूर्य पूजा

सिंह संक्रांति के दिन सूर्य भगवान की विशेष पूजा करने का विधान है। इस अवसर पर भक्‍तगण सूर्य भगवान, विष्‍णु जी और नरसिम्‍हा भगवान की उपासना करते हैं।

सिंह संक्रांति 2025 का म‍हत्‍व

पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्र राजवंश के शासनकाल के दौरान सिंह संक्रांति के दिन महल के अंदर कारीगर अपनी बनाई हुई चीजों का प्रदर्शन किया करते थे। राजा इन कारीगरों की मेहनत और कला के लिए उन्‍हें प्रमाण पत्र दिया करते थे। राजवंश के अन्‍य पुरुष और महिलाएं भी इस उत्‍सव में हिस्‍सा लेते थे और राजपरिवार के सदस्‍यों को फल एवं फूल उपहार में दिया करते थे। राज परिवार के लोगों को फल और फूल भेंट में देने की इस परंपरा को ओलाग संस्‍कार कहा जाता था।

सिंह संक्रांति 2025 के दिन पूरे कुमाऊं क्षेत्र में कुलथी की रोटी पर मक्‍खन और घी लगाकर खाया जाता था। सिंह संक्रांति पर घी के अधिक उपयोग एवं सेवन के कारण उत्तराखंड के कुमाॐ में बागेश्‍वर क्षेत्र में इसे घृत संक्रांति का नाम दिया गया है।

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सिंह संक्रांति 2025 पर क्‍या होता है

  • इस दिन सूर्य देव, भगवान विष्‍णु और भगवान नरसिंह स्‍वामी की पूजा की जाती है।
  • इस शुभ दिन पर मैंगलोर शहर के पास कुलई के विष्‍णुमूर्ति में बड़ी संख्‍या में लोग दर्शन करने जाते हैं।
  • सिंह संक्रांति के दिन भगवान गणेश को प्रसन्‍न करने के लिए अप्‍पा पूजा की जाती है।

सिंह संक्रांति 2025 की पूजन विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान कर लें। संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्‍नान करने का बहुत महत्‍व है। यदि ऐसा संभव न हो, तो आप घर पर ही अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्‍नान कर सकते हैं।
  • अब एक तांबे का लोटा लें और उसमें जल भरने के बाद उसके अंदर लाल चंदन और लाल रंग के पुष्‍प डालें। पूर्व की ओर मुख कर के सूर्य मंत्र का जाप करते हुए धीरे-धीरे सूर्य देव को अर्घ्‍य दें। इस दिन नारियल का पानी और दूध भी अर्पित किया जाता है।
  • सूर्य देव को प्रसन्‍न करने के लिए सूर्य चालीसा और आदित्‍य हृदय स्रोत का पाठ करें।
  • घी का दीपक एवं कपूर जलाकर सूर्य देव की आरती करें।
  • सूर्य देव से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से सभी प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा को नष्‍ट कर के आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि दें एवं आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि करें।

सिंह संक्रांति 2025 पर क्‍या करते हैं

  • सिंह संक्रांति के अवसर पर नारियल अभिषेक किया जाता है।
  • भगवान विष्‍णुमूर्ति की हूविना पूजा एक महीने तक चलती है और सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने पर इसका समापन होता है।

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सिंह संक्रांति 2025 पर करें मंत्र जाप

सिंह संक्रांति पर सूर्य देव को प्रसन्‍न करने के लिए आप निम्‍न मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

  • ॐ सूर्याय नम:।।
  • ॐ भास्‍कराय नम:।।
  • ॐ घृणि सूर्याय नम:।।

सिंह संक्रांति 2025 पर किए जाने वाले शुभ कार्य

  • सिंह संक्रांति पर प्रदोष व्रत करने से सुख-समृद्धि, शांति, उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य और दीर्घायु की प्राप्‍ति होती है।
  • प्रदोष व्रत का संबंध सूर्य नारायण से है और चंद्रमा के साथ-साथ सूर्य का भी मानव जीवन पर गहरा प्रभाव होता है।
  • जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उन्‍हें सिंह संक्रांति पर व्रत रखने से सूर्य से संबंधित क्षेत्रों में आ रही सभी समस्‍याओं से छुटकारा मिल जाता है।
  • जो व्‍यक्‍ति प्रदोष व्रत रखता है, उसकी सारी परेशानियां खत्‍म हो जाती हैं।

सिंह संक्रांति 2025 पर पुण्‍य काल

  • प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शाम के समय को उपयुक्‍त माना जाता है।
  • पंचांग के अनुसार सिंह संक्रांति पर शाम के समय शिव मंदिर में जाकर प्रदोष मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • भोलेनाथ की बेलपत्र, अक्षत, दीपक, धूप और गंगाजल से पूजा करनी चाहिए।
  • प्रदोष व्रत में अन्‍न का सेवन नहीं किया जाता है। पूरा दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्‍त से पहले स्‍नान कर के सफेद रंग के वस्‍त्र धारण किए जाते हैं।
  • अब घर के पूजन स्‍थल को गंगाजल से साफ और शुद्ध किया जाता है।
  • इसके बाद गाय के गोबर से मंडप तैयार किया जाता है।
  • 5 अलग-अलग रंगों से मंडप के अंदर रंगोली बनाई जाती है।
  • पूजा की सारी तैयारियां करने के बाद भगवान शिव की उपासना की जाती है और ॐ नम: शिवाय का जाप किया जाता है।
  • मंत्र जाप करते समय भगवान शिव को जल अर्पित किया जाता है।

सिंह संक्रांति 2025 के लिए ज्‍योतिषीय उपाय

  • सिंह संक्रांति पर प्रात: काल सूर्य देव को अर्घ्‍य दें। इस उपाय को आप रोज़ कर सकते हैं।
  • सूर्य की सकारात्‍मक ऊर्जा प्राप्‍त करने के लिए अपने पिता या पिता समान व्‍यक्‍ति के साथ अपने रिश्‍ते को मजबूत करें।
  • कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक्‍य रत्‍न पहन सकते हैं।
  • यदि आप चिंता या अवसाद से ग्रस्‍त हैं, तो रोज़ सुबह सूर्योदय के समय सूर्य नमस्‍कार करें। इससे मानसिक शांति मिलती है।
  • सुबह पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। इससे सूर्य मजबूत होता है।
  • नियमित रूप से 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करें। आप दिन में एक बार आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ कर के भी सूर्य देव को प्रसन्‍न कर सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. सिंह संक्रांति 2025 कब है?

उत्तर. 17 अगस्‍त, 2025 को।

प्रश्‍न 2. सिंह संक्रांति पर सूर्य किस राशि में प्रवेश कर रहे हैं?

उत्तर. सिंह राशि में।

प्रश्‍न 3. सिंह राशि के स्‍वामी कौन हैं?

उत्तर. इस राशि के स्‍वामी सूर्य देव ही हैं।

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बारह महीने बाद होगा सूर्य का सिंह राशि में गोचर, सोने की तरह चमक उठेगी इन राशियों की किस्मत!

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: नवग्रहों के जनक के नाम से विख्यात सूर्य ग्रह मनुष्य जीवन में विशेष महत्व रखते हैं जो पुरुष स्वभाव के उग्र ग्रह हैं। ऐसे में, मानव जीवन के साथ-साथ संसार के लिए भी सूर्य को महत्वपूर्ण माना जाता है। इनकी राशि और स्थिति में होने वाला हर बदलाव भी विशेष मायने रखता है और अब जल्द ही हमें इनकी राशि में परिवर्तन देखने को मिलेगा।

बता दें कि सूर्य देव सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई का यह लेख आपको “सूर्य का सिंह राशि में गोचर” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, सूर्य की राशि में होने वाला यह परिवर्तन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे करियर, व्यापार, प्रेम और वैवाहिक जीवन पर अपना प्रभाव डालेगा। इस बारे में भी हम विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं आपके जीवन पर पड़ने वाले सूर्य के प्रभाव को। 

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यह हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि सूर्य को ग्रहों के राजा कहा जाता है, पर क्यों? इसके पीछे का कारण है कि यह संसार को अपनी रोशनी से रोशन करते हैं और इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती हैl साथ ही, सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं जो उनकी ऊर्जा का स्रोत है। इसके अलावा, सभी नवग्रहों में सूर्य एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो कभी भी उदित, अस्त, वक्री और मार्गी नहीं होते हैं। सूर्य देव की इन ख़ूबियों को जानने के बाद आइए अब हम नज़र डालते हैं सूर्य गोचर के समय पर।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: तिथि और समय 

सूर्य महाराज के सिंह राशि में गोचर को बहुत ख़ास माना जाता है क्योंकि इस राशि में इनकी स्थिति मज़बूत होती है। बता दें कि सूर्य ग्रह का गोचर हर महीने होता है। सरल शब्दों में कहें तो, सूर्य देव हर 30 दिन में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं।

अब सूर्य 17 अगस्त 2025 की रात 01 बजकर 41 मिनट पर कर्क राशि से निकलकर अपने स्वामित्व वाली सिंह राशि में प्रवेश कर जाएंगे और अगले एक महीने इसी राशि में रहेंगे। ऐसे में, सूर्य इस राशि में बैठकर अनेक युतियों और योगों का निर्माण करेंगे। साथ ही, कुछ राशियों को शुभ फल भी प्रदान करेंगे। आइए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं सूर्य की सिंह राशि में उपस्थिति के बारे में।

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: विशेषताएं

सूर्य अग्नि तत्व के उग्र ग्रह हैं जिन्हें एथलीट, मनोरंजन और रचनात्मकता का कारक माना गया है। सूर्य का सिंह राशि में गोचर अपनी स्वयं की राशि में होता है जो राशि चक्र की पांचवीं राशि है। वहीं, काल पुरुष कुंडली में सिंह पांचवें भाव के अंतर्गत आती है और सूर्य ग्रह का संबंध रचनात्मकता से होता है। ऐसे में, सूर्य की सिंह राशि में मौजूदगी जातक के जीवन को कुछ इस तरह प्रभावित करती है।

  • सूर्य की सिंह राशि में उपस्थिति जातक को एक अच्छा चित्रकार, डॉक्टर या सर्जन बनाने का काम करती है। 
  • ऐसे लोग प्रतिद्वंदियों पर अपना दबदबा बनाए रखते हैं और ये लोग विरोधियों पर आसानी से जीत हासिल करने में माहिर हैं।
  • यह लोग आत्मविश्वास से भरे होते हैं और इनमें नेतृत्व करने की क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है।
  • कुंडली में सूर्य ग्रह पिता के भी कारक माने गए हैं, इसलिए इन लोगों को हर कदम पर अपने पिता का साथ मिलता है। 
  • ऐसे जातक उन लोगों के प्रति समर्पित रहते हैं जो इनके दिल के करीब होते हैं। इनका सारा ध्यान उनको अपनी तरफ आकर्षित करने पर होता है।
  • यह लोग जिनकी परवाह करते हैं, उनकी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने से चूकते नहीं हैं।
  • सूर्य की सिंह राशि में मौजूदगी व्यक्ति को सरकारी अधिकारी बनाने का भी काम करते हैं।

आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं उन योगों के बारे में जिनका निर्माण सूर्य ग्रह द्वारा किया जाता है। 

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: सूर्य ग्रह द्वारा निर्मित शुभ योग 

शायद ही आप जानते होंगे कि जब सूर्य देव कुंडली में मित्र ग्रहों के साथ बैठे होते हैं या फिर युति करते हैं, तो उस समय अनेक शुभ योग बनते हैं।

बुधादित्य योग: ज्योतिष में बुधादित्य राजयोग को बेहद शुभ माना जाता है। कुंडली में यह राजयोग तब बनता है, जब किसी राशि या भाव में सूर्य और बुध एक साथ बैठकर युति करते हैं। जहाँ सूर्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो वहीं बुध देव को बुद्धि, वाणी और व्यापार के कारक कहा गया है। ऐसे में, इन दोनों की युति से बनने वाला बुधादित्य राजयोग जातक की बुद्धि को तेज़ बनाता है और सरकारी क्षेत्र में अच्छी नौकरी की संभावनाओं को मज़बूत करता है। 

वेशी योग: वेशी योग सूर्य से बनने वाला एक बहुत ही शुभ योग है जिसका निर्माण कुंडली में उस समय होता है जब चंद्र ग्रह के अलावा कुंडली में सूर्य से दूसरे भाव में कोई ग्रह बैठ होता है। वेसी योग के प्रभाव से इंसान देखने में सुंदर और आकर्षक होता है। साथ ही, यह सुयोग्य, साहसी, धनवान और गुणवान होते हैं।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: सूर्य गोचर से बनने वाले अशुभ योग  

सूर्य ग्रह भले ही नवग्रहों के जनक कहे जाते हैं, लेकिन कुंडली में इनकी नकारात्मक स्थिति में या पापी ग्रहों के साथ बैठे होने पर सूर्य कई अशुभ योगों को भी जन्म देते हैं।      

सूर्य ग्रहण योग: कुंडली में बनने वाला सूर्य ग्रहण योग अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कुंडली में ये योग उस समय बनता है जब सूर्य देव, पापी ग्रह राहु या केतु के साथ युति करते है। सूर्य ग्रहण योग के प्रभाव से जातक को पूर्व जन्म के कर्मों के प्रभाव से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

वैधृति योग: सूर्य ग्रहण योग की तरह ही वैधृति योग को भी अशुभ माना गया है। इस योग का निर्माण कुंडली में उस समय होता है जब सूर्य और चंद्रमा पापी ग्रहों जैसे राहु-केतु और शनि के साथ बैठ हों। वैधृति योग आपके जीवन को कठिन बनाने का काम करता है और आपको हर कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

अब हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं सूर्य देव से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों के बारे में। 

दिल टूटा… लेकिन क्यों? इस पॉडकास्ट में बताएंगे हमारे ज्योतिष

सूर्य ग्रह से जुड़े रोचक ज्योतिषीय तथ्य  

ज्योतिष की दुनिया में सूर्य देव की स्थिति का उपयोग व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। साथ ही, सूर्य संसार के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं और इसी क्रम में हम आपको नीचे सूर्य ग्रह से जुड़ी विशेष बातें बताने जा रहे हैं। 

  • ग्रहों के राजा सूर्य देव को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है और धातुओं में यह सोने और तांबे के स्वामी हैं।
  • कुंडली में सूर्य देव आत्मा, पिता, नेतृत्व क्षमता, मान-सम्मान, सरकारी पद और अधिकारी के कारक होते हैं। 
  • सूर्य ग्रह स्त्री की कुंडली में पति और पुरुष की कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • सप्ताह में सूर्य देव को रविवार का दिन समर्पित होता है और इस दिन इनकी पूजा करना बहुत कल्याणकारी होता है।
  • किसी व्यक्ति पर सूर्य की महादशा लगातार 6 वर्षों तक चलती है।
  • राशि चक्र में सूर्य ग्रह सिंह राशि के शासक हैं। वहीं, इनकी स्थिति मेष राशि में उच्च होती है जबकि तुला राशि में सूर्य नीच अवस्था में होते हैं।   
  • जिनकी कुंडली में सूर्य लग्न भाव में बैठे होते हैं, तो ऐसे जातक का चेहरा गोल और बड़ा होता है। साथ ही, सूर्य देव पुरुषों में दायीं और महिलाओं में बायीं आंख दर्शाते हैं। 
  • कालपुरुष की कुंडली में सूर्य महाराज ह्रदय के भी कारक माने गए हैं। साथ ही, कुंडली में सूर्य को मज़बूत करने के लिए माणिक्य धारण करना चाहिए। 
  • बता दें कि मकर राशि से मिथुन राशि तक सूर्य ग्रह उत्तरायण होते हैं जबकि कर्क से धनु राशि में इनका गोचर दक्षिणायन होता है।

आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं सूर्य को मज़बूत करने के उपायों से। 

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय

पिता और बड़ों का करें आदर 

पिता के कारक माने जाने वाले सूर्य देव को मज़बूत करने के लिए अपने पिता और बड़े बुजुर्गों का आदर करें। साथ ही, नियमित रूप से उनका आशीर्वाद लेने से सूर्य कृपा की प्राप्ति होती है। 

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: रविवार को करें व्रत और दान

रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन व्रत रखने से सूर्य ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, रविवार को तांबा, गुड़, माणिक्य और लाल रंग से जुड़ी वस्तुओं का दान फलदायी होता है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का करें पाठ

आदित्य हृदय स्तोत्र को बहुत शक्तिशालो माना जाता है जिसको मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम ने ऋषि अगस्त्य से प्राप्त किया था। इसकी नियमित रूप से पूजा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और जीवन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही, साहस और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। 

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: माणिक्य रत्न धारण करें 

माणिक्य को सूर्य का रत्न माना जाता है, इसलिए इस रत्न को धारण करने से सूर्य की ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। हालांकि, इस रत्न को पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।  

सूर्य को दें अर्घ्य

रोज़ाना सुबह के समय सूर्य को तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, लाल फूल और चावल मिलाकर अर्घ्य दें। साथ ही, जल देते समय “ऊं सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। 

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

सूर्य आपकी कुंडली में पंचम भाव के स्वामी होते हैं और सूर्य का सिंह राशि में गोचर आपके पंचम भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

सूर्य आपकी कुंडली में चौथे भाव के स्वामी होते हैं तथा सूर्य का सिंह राशि में गोचर… (विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

सूर्य आपकी कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी होते हैं तथा ये गोचरवश… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

सूर्य आपकी कुंडली में धन भाव अर्थात दूसरे के स्वामी होकर आपके दूसरे भाव … (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सूर्य आपके लग्न या राशि के स्वामी होते हैं तथा वर्तमान में सूर्य का सिंह… (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

सूर्य आपकी कुंडली में द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और द्वादश भाव के… (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि के लिए सूर्य आपके लाभेश होकर लाभ भाव में ही गोचर करने वाले हैं। लाभ भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

दशम भाव के स्वामी होकर सूर्य आपके दशम भाव में ही गोचर कर रहे हैं। सूर्य… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

भाग्य भाव के स्वामी होकर सूर्य आपके भाग्य भाव में ही गोचर करने वाले हैं। वैसे… (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

सूर्य आपके अष्टमेश होते हैं और वर्तमान में ये आपके अष्टम भाव ही गोचर कर रहे हैं। अष्टम…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

सप्तमेश सूर्य आपके सप्तम भाव में ही गोचर करने वाले हैं। सप्तम भाव में सूर्य… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

सूर्य आपके छठे भाव के स्वामी हैं और सूर्य का सिंह राशि में गोचर  आपके छठे भाव… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सूर्य का सिंह राशि में गोचर कब होगा?

सूर्य देव अपने स्वामित्व वाली राशि सिंह में 17 अगस्त 2025 को गोचर कर जाएंगे। 

सूर्य कब अस्त होंगे?

ग्रहों के राजा सूर्य कभी अस्त नहीं होते हैं। 

सूर्य ग्रह का मित्र कौन है?

सूर्य ग्रह के मित्र चंद्र देव को माना जाता है।

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 17 अगस्‍त से 23 अगस्‍त, 2025

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अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक)? 

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप- आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 यानी 1 होगा। 

इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है। इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं।

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अपनी जन्मतिथि से जानें साप्ताहिक अंक राशिफल (17 अगस्‍त से 23 अगस्‍त, 2025)कैसे 

अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग-अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं। 

जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनिदेव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।

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मूलांक 1

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है)

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 17 अगस्‍त से 23 अगस्‍त के अनुसार इस मूलांक वाले जातकों में अधिक प्रशासनिक कौशल होते हैं। इनकी नेतृत्‍व करने की क्षमता भी उत्‍कृष्‍ट होती है। इसके साथ ही ये जातक अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं।

प्रेम जीवन: इस समय आपको अपने पार्टनर के साथ ईमानदारी के साथ पेश आना चाहिए। ऐसा करने से आपकी जिम्‍मेदारी बढ़ सकती है। इसके अलावा आप अपने पार्टनर को लेकर प्रतिबद्ध रह सकते हैं।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप पढ़ाई के मामले में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे और आप उच्‍च अंक प्राप्‍त कर सकते हैं। आप अपने साथी छात्रों के साथ प्रतिस्‍पर्धा करने में सक्षम होंगे। आपका पढ़ाई में रुझान बढ़ सकता है।

पेशेवर जीवन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो इस सप्‍ताह आप अपने सहकर्मियों से अच्‍छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इस दौरान आप अपने मानकों को दिखा सकते हैं। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो आप अपनी पेशेवर रणनीतियों की वजह से अधिक मुनाफा कमाने में सफल हो सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है। आप दृढ़ संकल्‍प के साथ ऊर्जा से भरपूर रहेंगे जिससे आपकी सेहत भी दुरुस्‍त रहेगी।

उपाय: आप नियमित रूप से 19 बार ‘ॐ रुद्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 2

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 17 अगस्‍त से 23 अगस्‍त बताता है कि इस मूलांक वाले जातकों की यात्रा या घूमने-फिरने में अधिक रुचि हो सकती है । इनमें घूमने को लेकर अधिक उत्‍साह देखने को मिल सकता है। इसके अलावा इन जातकों के मन में उलझन भी हो सकती है जिसकी वजह से ये कोई बड़ा निर्णय नहीं ले पाएंगे।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ सहयोगी और शांत व्‍यवहार कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने जीवनसा‍थी के साथ कहीं बाहर घूमने भी जा सकते हैं।

शिक्षा: पढ़ाई में अच्‍छा प्रदर्शन करने के लिए आप उच्‍च कौशल विकसित करने में सक्षम होंगे। इस समय आप अधिक पेशेवर तरीके से पढ़ाई करेंगे। यदि आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह सप्‍ताह उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करने के लिए बेहतरीन हो सकता है।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और आप ॐचाईयों को छूने में सक्षम हो सकते हैं। आपको नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं एवं आपको विदेश से भी अवसर मिलने की संभावना है। अगर आप व्‍यापार करते हैं, तो अब आप अधिक मुनाफा कमाने में अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी प्रतिस्‍पर्धा देने में सक्षम हो सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आप साहस और दृढ़ निश्‍चयी होने की वजह से स्‍वस्‍थ महसूस करेंगे।

उपाय: शनिवार के दिन राहु ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

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मूलांक 3

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है)

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 17 अगस्‍त से 23 अगस्‍त का कहना है कि इस सप्‍ताह मूलांक 3 वाले जातकों की बातों में मज़ाकिया अंदाज़ दिख सकता है। ये सीधी बात करना पसंद करेंगे। इसके अलावा ये जातक सिद्धांतों पर चल सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ खुश नहीं रह पाएंगे। ऐसा अपने पार्टनर के प्रति आपकी रुचि कम होने के कारण हो सकता है। इसकी वजह से आपका रिश्‍ता कमज़ोर पड़ सकता है।

शिक्षा: इस समय छात्र पढ़ाई के मामले में काफी पीछे रह सकते हैं। इस दौरान अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने में आपको रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक लंबे समय से जिस समृद्धि की कामना कर रहे हैं, उन्‍हें वह नहीं मिल पाएगी। आप अपनी उम्‍मीदों को पूरा करने में असमर्थ रह सकते हैं। व्‍यापारी अपने प्रतिद्वंदियों से हार सकते हैं और उनके हाथ से मुनाफा भी छूट सकता है।

सेहत: असंतुलित आहार के कारण आपको पाचन तंत्र से संबंधित समस्‍याएं होने की आशंका है। इस समय आप मोटापे का शिकार भी हो सकते हैं और इसकी वजह से आपको अपना वजन कम करने के लिए कुछ एक्‍सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।

उपाय: आप नियमित रूप से 21 बार ‘ॐ बृहस्‍पताये नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 4

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक जीवन के प्रति जोश से भरपूर होते हैं। इन्‍हें विदेश में लंबी दूरी की यात्राएं करने का अवसर मिल सकता है।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके और आपके जीवनसाथी के बीच अधिक रोमांस देखने को मिलेगा। आप अपने पार्टनर से अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त करने और अपने पार्टनर के सामने अपनी रुचियों को सकारात्‍मक तरीके से रखने में सक्षम होंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह छात्र पढ़ाई में आगे रहेंगे। आप अपने उत्‍कृष्‍ट कौशल और प्रदर्शन को दिखाने के लिए कोई फॉर्मूला अपना सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक काम के मामले में अपने बेहतरीन कौशल और श्रेष्‍ठता को दिखाने में सक्षम होंगे। आप अपने सहकर्मियों से आगे रह सकते हैं। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो आप अच्‍छा मुनाफा कमा सकते हैं और एक सफल उद्यमी बन सकते हैं।

सेहत: जोश और साहस रहने की वजह से इस सप्‍ताह आप स्‍वस्‍थ महसूस करेंगे। यदि आपके अंदर आत्‍मविश्‍वास है, तो आप शारीरिक रूप से फिट रह सकते हैं।

उपाय: आप नियमित रूप से 22 बार ‘ॐ दुर्गाय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 5

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अधिर्क तर्कशील, प्रतिभाशाली और समय की अच्‍छी समझ रखने वाले होते हैं। अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 17 अगस्‍त से 23 अगस्‍त के अनुसार ये कुछ अलग करने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा ये जातक हंसमुख स्‍वभाव के हो सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ हंसमुख व्‍यवहार करते हुए नज़र आएंगे। आप अपने जीवनसाथी के प्रति अपने प्‍यार को व्‍यक्‍त करने में अधिक ईमानदारी दिखा सकते हैं।

शिक्षा: इस समय आप पढ़ाई में अच्‍छा प्रदर्शन कर सकते हैं। सामान्‍य विषय हो या प्रोफेशनल स्‍टडीज़ जैसे कि एमबीए या फाइनेंशियल अकाउंटिंग, आप उत्‍कृष्‍टता प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को सफलता प्राप्‍त करने और करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने में सक्षम होंगे। आपको इसके लिए प्रमोशन और अन्‍य कोई पुरस्‍कार भी मिल सकता है। यदि आप व्‍यवसाय करते हैं, तो आपको पर्याप्‍त मुनाफा होने की उम्‍मीद है।

सेहत: इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है। इम्‍युनिटी और स्‍वास्‍थ्‍य के मजबूत होने की वजह से ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप नियमित रूप से 41 बार ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।

मूलांक 6

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 6 वाले जातक अधिक लापरवाह हो सकते हैं। इस समय आपको लंबी दूरी की यात्रा पर जाने का मौका मिल सकता है।

प्रेम जीवन: इस समय आप अपने पार्टनर के साथ अधिक ईमानदार हो सकते हैं जिससे आप दोनों का रिश्‍ता मजबूत होगा।

शिक्षा: आप इस सप्‍ताह प्रोफेशनल स्‍टडीज़ जैसे कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर टेस्टिंग और कम्‍युनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकते हैं। आप पढ़ाई के मामले में प्रगति हासिल करेंगे।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक अपने काम के प्रति विशेष रुचि रख सकते हैं। इस समय आप अपने करियर में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे। वहीं व्‍यापारियों को उच्‍च मुनाफा होने की उम्‍मीद है। आपके लिए यह अनुभव सहज होगा।

सेहत: आपके मन में सकारात्‍मक भावनाएं रहेंगी जिसकी वजह से आप शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ और मानसिक रूप से ऊर्जावान महसूस करेंगे। इस समय आपको अपने मजबूत दृष्टिकोण से मार्गदर्शन मिल सकता है।

उपाय: आप शुक्रवार के दिन मां लक्ष्‍मी के लिए यज्ञ-हवन करें।

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मूलांक 7 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है)

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल कहता है कि इस मूलांक वाले जातक दिव्‍य चीज़ों के प्रति अधिक निष्‍ठा रख सकते हैं। इस वजह से इन जातकों की भौतिक कार्यों के बजाय अध्‍यात्‍म में अधिक रुचि हो सकती है।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के प्रति अधिक समर्पित रहने वाले हैं। इस वजह से आपके और आपके जीवनसाथी के बीच की नज़दीकियां बढ़ जाएंगी और आप दोनों का रिश्‍ता मजबूत होगा।

शिक्षा: आप धर्म, फिलॉस्‍फी आदि जैसे विषयों में सफलता प्राप्‍त करेंगे। प्रतियोगी परीक्षा में पेशेवर तरीका अपनाकर आप सफल हो सकते हैं।

पेशेवर जीवन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो इस सप्‍ताह आपको काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है और आप इसमें व्‍यस्‍त रह सकते हैं। आप अपने सकहर्मियों को पीछे छोड़ने में सक्षम रहेंगे। इस समय व्‍यापारी कोई नया व्‍यवसाय शुरू करने में सफल हो सकते हैं।

सेहत: इस समय आपकी सेहत अच्‍छी रहने वाली है और ऐसा आपके अंदर मौजूद जोश, ऊर्जा एवं उत्‍साह के कारण होगा।

उपाय: आप मंगलवार के दिन केतु ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

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मूलांक 8 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अपने जीवन में प्रतिबद्ध नज़र आते हैं। इन्‍हें अपने काम के सिलसिले में यात्रा पर जाना पड़ सकता है।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपको अपने पार्टनर को मनाने में सफलता मिल सकती है। आप अपने जीवनसाथी को अधिक खुश रखने और उन्‍हें अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए मनाने में सक्षम होंगे।

शिक्षा: इस समय छात्र पढ़ाई के मामले में शानदार प्रदर्शन करेंगे एवं अपने प्रदर्शन से उत्‍कृष्‍टता प्राप्‍त करेंगे। आप पेशेवर तरीके से पढ़ाई कर सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को सफलता मिलने की संभावना है। इसके साथ ही आपको पदोन्‍नति भी मिल सकती है। आप जिस भी लाभ की अपेक्षा कर रहे थे, अब आपको वह सब मिल सकते हैं। व्‍यापारियों को उच्‍च मुनाफा होने के योग हैं।

सेहत: इस समय आपकी सेहत अच्‍छी रहने वाली है। आपकी इम्‍युनिटी मजबूत रहने की वजह से ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप नियमित रूप से 11 बार ‘ॐ वायुपुत्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 9

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है)

इस सप्‍ताह मूलांक 9 वाले जातक अधिक तेजी से कार्य करते हुए नज़र आएंगे। इनमें अपने विचारों को क्रियान्‍वित करने की जबरदस्‍त क्षमता होती है। इसके साथ ही इस मूलांक वाले जातकों में प्रशासनिक कौशल भी अधिक होता है।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ अधिक ईमानदार रह सकते हैं। आपको अपने जीवनसाथी के साथ कहीं बाहर घूमने जाने का मौका भी मिल सकता है।

शिक्षा: इस समय आप पढ़ाई के मामले में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे।। आप प्रोफेशनल स्‍टडीज़ में भी बेहतरीन करेंगे और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर सकते हैं। आप बहुत तेज गति से आगे बढ़ेंगे।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक अपनी ईमानदारी की वजह से अपने प्रयासों में सफलता हासिल कर सकते हैं और शीर्ष पर पहुंच सकते हैं। ऐसा आपके दृष्टिकोण के कारण संभव हो सकता है। वहीं व्‍यापारी पेशेवर तरीके से काम करने की वजह से अधिक मुनाफा कमाने में सफल होंगे।

सेहत: इस समय आपका स्‍वास्‍थ्‍य बहुत अच्‍छा रहने वाला है और ऐसा आपके अंदर उच्‍च स्‍तर की ऊर्जा और उत्‍साह के कारण होगा।

उपाय: आप नियमित रूप से 27 बार ‘ॐ मंगलाय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1.  अंक ज्‍योतिष से भविष्‍य कैसे जान सकते हैं?

उत्तर. मूलांक के आधार पर भविष्‍य के बारे में जाना जा सकता है।

प्रश्‍न 2. अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल के अनुसार पैसे के लिए लकी नंबर क्‍या है?

उत्तर. 5 और 6 अंक धन को आकर्षित करते हैं।

प्रश्‍न 3. हनुमान जी का लकी नंबर क्‍या है?

उत्तर. 9 अंक है।

जन्माष्टमी स्पेशल धमाका, श्रीकृष्ण की कृपा के साथ होगी ऑफर्स की बरसात!

जन्माष्टमी स्पेशल धमाका, श्रीकृष्ण की कृपा के साथ होगी ऑफर्स की बरसात!

जन्माष्टमी का त्योहार भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है जिसे भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व की खुशियों, उत्साह और आनंद को बढ़ाने के लिए एस्ट्रोसेज एआई आपके लिए जन्माष्टमी स्पेशल ऑफर्स लेकर आया है, जिससे यह त्योहार आपके लिए और भी ख़ास बन सकें।

आइए बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जन्माष्टमी स्पेशल इन ऑफर्स के बारे में जानते हैं।

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जन्माष्टमी 2025: तिथि, मुहूर्त एवं योग 

जन्माष्टमी 2025 तिथि: 16 अगस्त 2025

निशीथ काल पूजा मुहूर्त: रात 12 बजकर 03 मिनट से रात 12 बजकर 47 मिनट तक 

अवधि: 47 मिनट 

जन्माष्टमी 2025 पारण मुहूर्त: 17 अगस्त 2025 की सुबह 05 बजकर 50 मिनट के बाद

जन्माष्टमी का ज्योतिषीय महत्व 

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस तिथि का विशेष महत्व है। जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण को ज्ञान, धर्म और नकारात्मकता से सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। वहीं, जन्माष्टमी की रात आसमान में दिखाई देने वाले चांद का संबंध मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन से होता है इसलिए कुछ भक्त जन्माष्टमी की रात ध्यान और जप आदि करते हैं।

भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और यह वैदिक ज्योतिष में चौथा नक्षत्र है जिसके अधिपति देव चंद्र ग्रह हैं। इस नक्षत्र का प्रतीक रथ है जो सौंदर्य और धन-समृद्धि को दर्शाता है। बता दें कि सभी 27 नक्षत्रों में रोहिणी नक्षत्र को सबसे शुभ माना जाता है और इसके संबंध रचनात्मकता, आकर्षण और सकारात्मक ऊर्जा से है। ऐसे में, भगवान कृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में जन्म होना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र के अंतर्गत जन्म लेने वाले जातक बेहद आकर्षक, मज़बूत संचार कौशल वाले और दैवीय कृपा से पूर्ण होते हैं।

रोहिणी नक्षत्र वैभव और रचनात्मकता से जुड़ा है जो श्रीकृष्ण के मनोहर व्यक्तित्व और लीलाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसी प्रकार, चंद्रमा के वृषभ राशि में उच्च का होने से सामंजस्य और भावनात्मक गहराई में वृद्धि होती है और ऐसे में, यह नक्षत्र सांसारिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता के लिए अनुकूल होता है। कई ज्योतिषी भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करते हुए उनकी पूजा करने की सलाह देते हैं क्योंकि ऐसा कहते हैं कि श्रीकृष्ण की पूजा से कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह की स्थिति मज़बूत होती है। जन्माष्टमी की तिथि आध्यात्मिकता के साथ-साथ व्यक्तिगत प्रगति और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

जन्माष्टमी 2025 पर एस्ट्रोसेज एआई ही क्यों चुनें?

एस्ट्रोसेज एआई ज्योतिष की कोई साधारण ऐप नहीं है, बल्कि इस ऐप को आपकी कुंडली का गहराई से विश्लेषण करके आपको सही मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए बनाया गया है। जन्माष्टमी के दिन दैवीय ऊर्जा बहुत मज़बूत होती है और ऐसे में, एस्ट्रोसेज एआई के अनुभवी ज्योतिषियों से सलाह लेकर आप अपने कार्यों को शुभ समय में संपन्न करके ग्रहों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस प्लेटफ़ॉर्म पर आपको दैनिक राशिफल, कुंडली विश्लेषण, रत्न, पर्सनलाइज्ड कुंडली और ज्योतिष में रुचि रखने वालों को मार्गदर्शन की प्राप्ति होती है। सामान्य शब्दों में कहें तो, यहां आपको हर त्योहार की जानकारी से लेकर जीवन में मार्गदर्शन और परामर्श तक मिल जाएगा। 

एस्ट्रोसेज एआई पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक जरूरतों को आपस में जोड़ता है। एआई और ज्योतिष के संगम के माध्यम से एस्ट्रोसेज यह सुनिश्चित करता है कि जन्माष्टमी 2025 आप सिर्फ़ भक्ति नहीं, बल्कि विचारों की स्पष्टता और लक्ष्यों को पाने की दृढ़ता के साथ मनाएं। यह सर्वश्रेष्ठ समय होता है अपनी आंतरिक शक्ति को जानने-समझने और बेहतर भविष्य की तरफ कदम बढ़ाने के लिए। 

भक्ति के पर्व जन्माष्टमी को ख़ास बनाएं एस्ट्रोसेज एआई के साथ, और पाएं जीवन में सही मार्गदर्शन!   

जन्माष्टमी 2025 कब है? जानें भगवान कृष्ण के जन्म का पावन समय और पूजन विधि

जन्माष्टमी 2025 कब है? जानें भगवान कृष्ण के जन्म का पावन समय और पूजन विधि

जन्माष्टमी 2025 का पर्व हर साल पूरे भारत में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पावन दिन उस घड़ी की याद दिलाता है, जब द्वापर युग में कंस के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात्रि के समय रोहिणी नक्षत्र में जन्मे नंदलाल की लीलाएं आज भी जन-जन के हृदय में जीवित है। 

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ऐसे में, हर भक्त की इच्छा रहती है कि वह इस शुभ दिन को सही तिथि और शुभ मुहूर्त में मनाए, ताकि पूजा, व्रत और आराधना का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। लेकिन हर वर्ष की तरह इस बार भी लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि इस साल जन्माष्टमी कब है? अष्टमी किस दिन पड़ेगी? क्या इस बार रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी का योग बनेगा? अगर आप भी इन सभी सवालों के उत्तर ढूंढ रहे हैं तो आगे पढ़िए, हम आपको बताने जा रहे हैं जन्माष्टमी 2025 की सटीक तिथि, पूजन मुहूर्त और इस दिन बन रहे विशेष योगों की पूरी जानकारी।

जन्माष्टमी 2025 शुभ योग और मुहूर्त 

जन्माष्टमी तिथि: 16 अगस्त, 2025 

निशीथ पूजा मुहूर्त : मध्यरात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक।

अवधि : 0 घंटे 43 मिनट

जन्माष्टमी पारण मुहूर्त : 17 अगस्त की सुबह 05 बजकर 50 मिनट के बाद ।

इस वर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 अगस्त शनिवार के दिन पड़ रही है और इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कि इस दिन वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और ज्वालामुखी योग का महासंयोग बन रहा है।

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025: पूजन विधि व व्रत नियम

व्रत नियम

  • जन्माष्टमी के एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को सात्विक भोजन करें और मन शांत रखें।
  • व्रती को पूरे दिन निर्जला या फलाहार उपवास रखना चाहिए। 
  • यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे, तो फल, दूध या केवल जल से उपवास कर सकते हैं।
  • प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, तंबाकू, अधिक बोलना या किसी से विवाद करने से बचें। यह दिन भक्ति और संयम का होता है।
  • सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान श्री कृष्ण के व्रत का संक्ल लें।

पूजन विधि

  • घर के मंदिर या साफ स्थान पर बाल गोपाल की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें झूला, पालना, बांसुरी, मोर पंख, मक्खन आदि से सजाएं।
  • भगवान श्रीकृष्ण को पीले वस्त्र, कुंदन या फूलों का मुकुट और तुलसी की माला पहनाएं।
  • बाल गोपाल को झूले में विराजमान करें। 
  • जल, रोली, अक्षत, धूप, दीपक, घी, फूल, पंचामृत, मिश्री, माखन, तुलसी पत्ता, फल, नारियल, नैवेद्य, झांझ-मंजीरे इत्यादि अर्पित करें।
  • धूप-दीप जलाकर श्री कृष्ण जी का ध्यान करें।
  • पंचामृत से स्नान कराएं।
  • वस्त्र अर्पित करें, फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं।
  • इसके साथ ही ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • आरती करें श्री कृष्ण राधा रानी की।
  • ठीक रात्रि 12 बजे बाल गोपाल का फिर से अभिषेक करें, भोग अर्पित करें और झूला झुलाएं। शंख और घंटी बजाकर जन्मोत्सव मनाएं।  

जन्माष्टमी का महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म के प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह उत्सव रात्रि 12 बजे धूमधाम से मनाया जाता है, क्योंकि इस समय मथुरा नगरी में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण का जन्म एक विशेष उद्देश्य से हुआ था। जब पृथ्वी पर कंस जैसे अत्याचारी और पापी राजा बढ़ते जा रहे थे, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब उन्होंने श्री कृष्ण रूप में अवतार लेकर अन्याय, अहंकार और अधर्म का अंत किया।

श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश, रासलीला , बाल लीलाएं और नीति संगठन के माध्यम से जीवन को जीने की नई दिशा दी। इसलिए उनका जन्म सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक दैविक चेतना का उदय है।

जन्माष्टमी केवल व्रत या पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन और कृष्ण भावनाओं से जुड़ने का दिन है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि धैर्य, प्रेम, करुणा, नीति और भक्ति भाव से जीवन के हर संघर्ष को जीता जा सकता है। इस दिन घरों में भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है, भजन-कीर्तन किए जाते हैं, व्रत रखे जाते हैं और विशेष पूजा की जाती है। परिवार में एकता, प्रेम और भक्ति का वातावरण बनता है। बाल गोपाल बनते हैं और मंदिर में झांकियां सजाई जाती हैं।

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कृष्ण को लगने वाले छप्पन भोग का महत्व

भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग का विशेष महत्व है और यह परंपरा सिर्फ श्रद्धा का ही नहीं, बल्कि भक्त की पूर्ण समर्पण भावना का प्रतीक भी मानी जाती है। छप्पन भोग की परंपरा की शुरुआत गोवर्धन पूजा और एक अद्भुत घटना से जुड़ी मानी जाती है। कथा के अनुसार जब इंद्रदेव ने ब्रजवासियों पर लगातार वर्षा कर आपदा ला दी थी, तब बाल स्वरूप श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सात दिन तक बिना रुके सभी गांव वालों को उसकी छाया में सुरक्षित रखा।

इन सात दिनों तक नंद बाबा और यशोदा माता सहित ब्रजवासियों ने श्रीकृष्ण को अन्न भोजन नहीं दिया, क्योंकि वे व्यस्त थे और मौसम के प्रकोप से बचने में लगे थे। जब वर्षा रुकी और सब कुछ सामान्य हुआ, तब माता यशोदा ने श्रद्धा से आठ प्रहर  × 7 दिन = 56 भोजन की थालियां श्रीकृष्ण को भोग रूप में अर्पित कीं। तभी से भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।

छप्पन भोग यह दर्शाता है कि भक्त अपने इष्ट के लिए हर स्वाद, हर व्यंजन समर्पित करना चाहता है, जो प्रेम और समर्पण की चरम सीमा है। इस भोग में नमकीन, मीठा, फल, मिष्ठान, पेय, पराठा, चावल, दाल,पापड़, मिठाई, ड्राई फ्रूट्स, खीर, लड्डू आदि जैसे सभी प्रकार के व्यंजन होते हैं, जिससे यह सम्पूर्ण अर्पण का प्रतीक बनता है।

दिल टूटा… लेकिन क्यों? इस पॉडकास्ट में बताएंगे हमारे ज्योतिष

जन्माष्टमी 2025 की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, पृथ्वी पर अधर्म और पाप बढ़ गया था। अत्याचारी राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को बंदी बना लिया था। एक आकाशवाणी ने कंस को बताया कि देवकी की आठवीं संतान ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। यह सुनकर कंस ने देवकी के सभी बच्चों को एक-एक करके जन्म के तुरंत बाद ही मार डाला। जब देवकी के आठवें पुत्र के जन्म का समय आया, तब भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, मध्यरात्रि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग था। 

उसी समय भगवान श्रीकृष्ण ने वासुदेव और देवकी के बंदीगृह में दिव्य रूप में अवतार लिया। चारों ओर प्रकाश फैल गया वासुदेव और देवकी को उनका ईश्वर स्वरूप दिखाई दिया। भगवान ने वासुदेव से कहा कि वे उन्हें गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के घर छोड़ आएं और वहां की नवजात कन्या को वापस ले आएं। तभी चमत्कारिक रूप से करागार के सभी द्वार खुल गए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए और यमुना नदी का जल रास्ता दे गया। 

वासुदेव ने टोकरी में श्रीकृष्ण को रखा और उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां यशोदा मैया जी गहरी नींद में थीं और एक कन्या ने जन्म लिया था। वासुदेव ने कन्या को लेकर लौटकर कारागार में वहीं स्थिति बना दी। सुबह होते ही कंस को कन्या के जन्म की सूचना दी गई। जैसे ही उसने कन्या को मारने की कोशिश की, वह कन्या दुर्गा देवी के रूप में प्रकट होकर आकाश में उड़ गई और बोली- हे कंस! तेरा संहार करने वाला जन्म ले चुका है और सही समय पर तुम्हारा अंत निश्चित है। इसके बाद श्रीकृष्ण ने बाल रूप में गोकुल में बाल लीलाएं रचीं। उन्होंने कालिया नाग, पुत्रा, तृणावर्त, बकासुर, अघासुर, आदि राक्षसों का संहार किया और आखिरी में मथुरा लौटकर कंस का वध किया।

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जन्‍माष्‍टमी 2025: श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेश

उपदेश: कर्म ही धर्म है

अर्थ: श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि इंसान को सिर्फ कर्म करने का अधिकार है, फल पर नहीं। अच्छे कर्म करते रहो, फल अपने-आप मिलेगा।

उपदेश: आत्मा अमर है

अर्थ: श्री कृष्ण ने बताया कि शरीर नाशवान है, लेकिन आत्मा कभी नहीं मरती। वह जन्म नहीं लेती, न मरती है, बस शरीर बदलती है।

उपदेश: स्थिर बुद्धि और संतुलन बनाए रखना चाहिए

अर्थ: सच्चा योगी वही है, जो सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय में समान रहता है। जीवन में संतुलन बनाए रखना ही आध्यात्मिक सफलता है।

उपदेश: कायरता छोड़ो, अपने कर्तव्य पर अडिग रहो

अर्थ: अर्जुन युद्ध से भाग रहा था, तब श्रीकृष्ण ने कहा- यह समय पीछे हटने का नहीं, धर्म और न्याय के लिए लड़ने का है। जीवन में जब कठिनाइयां आएं, तो डरकर पीछे हटने की बजाय साहस से सामना करो।

उपदेश: माया से ऊपर उठो

अर्थ: श्रीकृष्ण ने कहा कि जो इस संसार की माया (लोभ, मोह, अहंकार) में उलझा है, वह सच्चे सुख को नहीं पा सकता। माया से ऊपर उठकर ही आत्मा को शांति मिलती है।

उपदेश: भक्ति सबसे सरल मार्ग है

अर्थ: श्री कृष्ण ने कहा कि जो मन, प्रेम और श्रद्धा से मुझे भजता है, मैं उसका हर संकट हर लेता हूं। भक्ति मार्ग सबसे सरल और प्रभावी साधना है।

उपदेश: हर जीव में मैं ही हूँ

अर्थ:  श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, जो कुछ तू देखता है, महसूस करता है, हर जीव में वही मैं हूं। इसलिए सबके साथ प्रेम और करुणा से पेश आओ।

जन्माष्टमी 2025 पर श्री कृष्ण को लगाएं राशि अनुसार भोग

मेष राशि

मेष राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को गुड़ और बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से कार्य में तेजी आएगी और रुके कार्य पूरे होंगे। साथ ही, मानसिक बल बढ़ेगा।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को माखन मिश्री और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ मिलता है और दांपत्य में मधुरता आती है। साथ ही श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को सेवई, खीर और पिस्ता-बादाम मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से वाणी में मधुरता, परिवार में प्रेम और शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है ।

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों को श्री कृष्ण को केसर वाली खीर या रसगुल्ला का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से मन की शांति, प्रेम संबंधों में सुधार और घर-परिवार में सुख आता है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों को भगवान श्री कृष्ण को मालपुआ या जलेबी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति होगी और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों को भगवान को साबूदाने की खीर या फलाहार व्यंजन का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ, सोच में स्पष्टता और बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

तुला राशि

तुला राशि के जातकों को नंदलाल को रबड़ी या मावा से बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही, उसके आकर्षण में वृद्धि होती है।

वृश्चिक राशि

तिल के लड्डू या गुड़-चावल का भोग लगाएं। इससे मानसिक मजबूती, बुरी दृष्टि से रक्षा, आध्यात्मिक उन्नति होती है।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों को मूंग दाल का हलवा या चने का प्रसाद भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से पढ़ाई में सफलता मिलती है। भाग्य का साथ मिलता है और गुरु कृपा बनी रहती है।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों को सूखा मेवा और नारियल मिठाई भोग में लगानी चाहिए। इससे, नौकरी में लाभ, मेहनत का फल, आर्थिक मजबूती मिलती है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों को मिश्री, तुलसी दल और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से चिंता से मुक्ति मिलती है, भाग्य जागरण और मनोबल में वृद्धि होती है।।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों को दूध से बनी मिठाई और केले का प्रसाद भोग में लगाना चाहिए। ऐसा करने से प्रेम जीवन में मिठास और मन में शुद्धता आती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. जन्माष्टमी 2025 में कब है?

जन्माष्टमी 2025 में 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।

2. जन्माष्टमी व्रत कैसे रखा जाता है?

भक्तजन उपवास रखते हैं, फलाहार करते हैं, दिनभर भजन-कीर्तन और पूजा करते हैं, और रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय विशेष आरती एवं भोग अर्पण करते हैं।

3. श्रीकृष्ण को कौन-सा भोग सबसे प्रिय है?

श्रीकृष्ण को माखन, मिश्री, पंचामृत, दूध, और छप्पन भोग अत्यंत प्रिय हैं। विशेष रूप से माखन-मिश्री का भोग अर्पित किया जाता है।

भारत का 79वां स्‍वतंत्रता दिवस, जानें आने वाले समय में क्‍या होगी देश की तस्‍वीर!

भारत का 79वां स्‍वतंत्रता दिवस, जानें आने वाले समय में क्‍या होगी देश की तस्‍वीर!

एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं। इस ब्‍लॉग में हम आपको स्‍वतंत्रता दिवस 2025 और जीवन पर इसके ज्‍योतिषीय प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

हर साल 15 अगस्‍त को पूरे भारत में स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। साल 1947 में भारत को ब्रिटिशों की गुलामी से आज़ादी मिली थी और उसी का जश्‍न मनाने के लिए हर साल 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस बार भारत अपना 79वां स्‍वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन राष्‍ट्रीय अवकाश होता है और पूरे देश में परेड, सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों और ध्‍वजारोहण समारोह आयोजित किए जाते हैं।

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स्‍वतंत्रता दिवस 2025 की मुख्‍य बातें और पंचांग की जानकारी

  • तिथि: 15 अगस्‍त, 2025
  • महत्‍व: ब्रिटिश शासन से भारत की स्‍वतंत्रता का जश्‍न।
  • इस दिन परेड, सांस्‍कृतिक त्‍योहार, ध्‍वजारोहण र्कायक्रम और देशभक्‍ति के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • राष्‍ट्रीय अवकाश: देशभर में इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है।
  • 79वीं वर्षगांठ: 15 अगस्‍त, 2025 को भारत का 79वां स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।
  • तिथि: रात्रि के 11 बजकर 49 मिनट तक सप्‍तमी है और उसके बाद अष्‍टमी तिथि लग जाएगी।
  • नक्षत्र: सुबह 07 बजकर 36 मिनट तक अश्विनी नक्षत्र है और उसके बाद भरणी नक्षत्र लग जाएगा।
  • योग: पंचांग के अनुसार सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक गंड योग है और फिर वृद्धि योग लग जाएगा।
  • दिन: शुक्रवार

भारत दुनिया के सबसे महत्‍वपूर्ण लोकतंत्रों में से एक है और वर्तमान में भारत बढ़ती हुई वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था का एक अभिन्‍न अंग बन चुका है। चूंकि, भारत की ज्‍यादातर आबादी युवा है इसलिए इसे कभी-कभी ‘युवाओं का देश’ भी कहा जाता है। 15 अगस्‍त या स्‍वतंत्रता दिवस के अवसर पर युवाओं के अंदर देशभक्‍ति और भी ज्‍यादा बढ़ जाती है जिससे उन्‍हें अपने राष्‍ट्र के इतिहास को समझने, उसकी सभ्‍यता और संस्‍कृति को अपनाने एवं उसके समर्थन में कोई कदम उठाने का साहस मिलता है।

अब हम ज्‍योतिष और राशिफल की सहायता से 79वे स्‍वतंत्रता दिवस पर भारत के भविष्‍य के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। क्‍या आने वाले समय में भारत विश्‍व गुरु बन पाएगा (जैसे कि कई ज्ञानी और अनुभवी ऋषियों ने भविष्‍यवाणी की है), क्‍या भारत का बड़े स्‍तर पर आर्थिक विकास हो पाएगा, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और अर्थव्‍यवस्‍था का विकास होगा या भारत को कई तरह की समस्‍याओं का सामना करना पड़ेगा? इन सभी सवालों का जवाब आगे इस ब्‍लॉग में दिया गया है।

इससे आपको यह अंदाज़ा हो जाएगा कि 15 अगस्‍त, 2025 के बाद से आने वाले वर्षों में भारत में किस तरह की परिस्थितियां बनेंगी और हमारा देश किस दिशा में जाएगा। 79 साल पहले इसी दिन 15 अगस्‍त, 1947 की आधी रात को भारत ने आज़ादी की सांस ली थी। लगभग एक शताब्‍दी तक ब्रिटिशों की गुलामी सहने के बाद भारत आज़ाद हो पाया था। अब हमारे पास अपनी चुनी हुई सरकार और एक ऐसा झंडा है जो भारत की विविधता में एकता को दर्शाता है।

हमें इस सम्‍मान और भारत पर गर्व है। स्‍वतंत्रता दिवस का अवसर एकजुटता और ईमानदारी का एक सूत्र है जो हमारे देश को एक साथ बांधकर रखता है। आज प्रत्‍येग नागरिक 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है और तिरंगा झंडा लहराता है। यह हमें इस बात की याद दिलाता है कि जब हम तैयार हों, तो जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। इसके अलावा हमें एक विशेष उद्देश्‍य की ओर निरंतर काम और प्रयास करते रहना होगा।

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स्‍वतंत्रता दिवस पर भारत के प्राचीन और नवीन युग का तुलनात्‍मक अध्‍ययन

तकनीक और नए विचारों में उन्‍नति

प्राचीन भारत: उस समय कृषि और शारीरिक श्रम पर निर्भरता थी। तकनीक तक पहुंच कम थी, लैंडलाइन एक लग्‍ज़री हुआ करता था और इंटरनेट सुविधा तो बहुत ही कम थी।

नए युग का भारत: अब भारत विश्‍व स्‍तर पर आईटी केंद्र बन चुका है। यहां पर कई स्‍टार्टअप, एआई इनोवेशन, फिनटेक, डिजीटल इकोनॉमी शुरू हुई है। स्‍मार्टफोन और इंटरनेट देश के कोने-कोने तक पहुंच चुके हैं।

स्‍वतंत्रता दिवस 2025 पर शिक्षा व्‍यवस्‍था और नागरिकों की सोच में बदलाव

प्राचीन भारत: पढ़ाई में रटने पर ध्‍यान दिया जाता था, करियर जैसे कि डॉक्‍टर, इंजीनियर या सरकारी नौकरी ही करनी होती है। शिक्षा एक विशेषाधिकार हुआ करता था।

नए युग का भारत: अब कोई कौशल सीखने पर ज़ोर दिया जाता है, कई तरह की कला, एड-टेक और रचनात्‍मक सोच रखने को बढ़ावा दिया जाता है। अब छात्र गेमिंग, ज्‍योतिष, साइकोलॉजी और व्‍यवसायी बनने जैसे अलग करियर विकल्‍प भी चुन रहे हैं।

स्‍वतंत्रता दिवस 2025 अर्थव्‍यवस्‍था और रोज़गार

प्राचीन भारत: कृषि आधारित, सीमित जॉब सेक्‍टर, लघु उद्योगों पर निर्भरता।

नए युग का भारत: सेवाएं, आईटी, स्‍टार्टअप, ग्‍लोबल आउटसोर्सिंग, गिग इकोनॉमी और रिमोर्ट वर्क का चलन बढ़ा है। अब बड़ी संख्‍या में महिलाएं और युवा काम करने लगे हैं।

राजनीति और शासन

प्राचीन भारत: स्‍वतंत्रता संग्राम, आजादी के बाद देश बनाने और केंद्रीकृत शासन पर ध्‍यान था।

नए युग का भारत: डिजीटल शासन जैसे कि आधार, यूपीआई, युवाओं की भागीदारी और सोशल मीडिया पर राजनेताओं की बहस में वृद्धि हुई है।

संस्‍कृति और पहचान

प्राचीन भारत: रीति-रिवाज़, परंपराएं और अध्‍यात्‍म जीवन में गहराई से निहित थे। उस समय भारत पर क्षेत्रवाद हावी था।

नए युग का भारत: परंपरा और आधुनिकता का संगम जिसमें अध्‍यात्‍म (जैसे कि योग, ज्‍योतिष और आयुर्वेद) भी शामिल है। वहीं वैश्‍विक सांस्‍कृतिक प्रभाव (संगीत, फैशन और जीवनशैली) भी देखा जा रहा है।

स्‍वतंत्रता दिवस 2025 पर महिलाएं और सशक्तिकरण

प्राचीन भारत: उस समय भारत में महिलाओं और पुरुषों की भूमिकाएं तय की गई थीं, सीमित अधिकार थे और महिलाओं के लिए अवसर बहुत कम थे।

नए युग का भारत: अब महिलाएं सीईओ, राजनेता, सिपाही और इंफ्लूएंसर हैं। घरेलू हिंसा, कार्यस्‍थल पर सुरक्षा को लेकर नए कानून बनाए गए हैं और एक समानाधिकार को मज़बूती मिली है।

इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और शहरी जीवन

प्राचीन भारत: बुनियादी सड़कें, सीमित पब्लिक ट्रांसपोर्ट और खराब कनेक्टिविटी।

नए युग का भारत: स्‍मार्ट इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के साथ मेट्रो सिटीज़, एक्‍सप्रेसवे, बुलेट ट्रेन और तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ते हुए महानगर। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अभी भी तेजी लाने की जरूरत है।

स्‍वतंत्रता दिवस 2025: ज्‍योतिषीय महत्‍व

  • स्‍वतंत्र भारत की कुंडली में वृषभ लग्‍न उदित हो रहा है और लग्‍न भाव का स्‍वामी शुक्र तीसरे भाव में बैठा है।
  • लग्‍न में राहु की स्थिति एक मज़बूत अवस्थिति का संकेत कर रही है। लेकिन अक्‍सर यह दर्शाता है कि हम कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
  • वृषभ स्थिर राशि है। वृषभ लग्‍न के जातक दूसरों के लिए मुश्किलें खड़ी करने के बजाय अपनी सभी जिम्‍मेदारियों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए जाने जाते हैं।
  • जो भी इन्‍हें परेशान या प्रताड़ित करता है, तो उसे ये अनुशासित करते हैं। इस समय हमारे देश में भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनी हुई हैं। हालांकि, भारत पहले खुद किसी देश पर हमला नहीं करता है लेकिन जो भी देश के अंदर परेशानी पैदा करने की कोशिश करता है, उसे सही सबक सिखाया जाएगा।
  • लग्‍न में स्थिर राशि का उदय होना देश की अखंडता और एकता पर ज़ोर देता है। यह इसके अस्तित्‍व को निरंतर समर्थन करता है।
  • कुंडली का दूसरा भाव बैंक और वित्तीय संस्‍थानों के बारे में बताता है। दूसरे घर में ग्रहों का सेनापति मंगल बैठा है, जो कि सातवें और द्वादश भाव का स्‍वामी है। यह विदेशी निवेश का समर्थन करता है और लोगों एवं वित्तीय संगठनों की सहायता करता है। इसके अलावा मंगल की वजह से हमारे सबसे लोकप्रिय राजनेता गौरवान्वित बयान देते हुए नज़र आते हैं।
  • कुंडली का तीसरा भाव मित्र राष्‍ट्रों और सहयोगियों के बारे में बताता है। सूर्य, बुध, शुक्र और शनि के साथ चंद्रमा अपनी स्‍वराशि कर्क में तीसरे भाव में उपस्थित है। इस तरह तीसरे घर में पंचग्रह योग बन रहा है। इतने सारे ग्रहों के प्रभाव के कारण भारत के कई पड़ोसी देश हैं और कई देशों के साथ भारत की सीमता मिलती है।
  • चूंकि, तीसरे घर में अलग-अलग तरह के कई ग्रह हैं, इसलिए पड़ोसी देशों में हमारे कुछ मित्र देश नकारात्‍मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं जबकि कुछ तटस्‍थ व्‍यवहार कर सकते हैं।
  • कुंडली के छठे भाव में बृहस्‍पति बैठा है जो कि आठवें और ग्‍यारहवें भाव का स्‍वामी है।
  • सातवें भाव में केतु वृश्चिक राशि में है।
  • लग्‍न कुंडली से तुलना करें, तो नवमांश कुंडली में एकादश भाव मीन राशि में उदित हो रहा है। इससे देश आर्थिक विकास करने के लिए अच्‍छी स्थिति में है और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान बनाने के साथ-साथ नई ऊंचाईयों को छूने की क्षमता रखता है।
  • तीसरे भाव में सूर्य का होना दर्शाता है कि भारत को सम्‍मान मिलेगा और हमारा देश दुनियाभर में प्रसिद्ध होगा। हालांकि, छठे भाव में चंद्रमा, केतु और राहु के प्रभाव के कारण हम अपने विरोधियों पर हमेशा जीत ह‍ासिल करेंगे।
  • लग्‍न कुंडली में मंगल के दूसरे भाव से नवमांश कुंडली में दसवे भाव में जाना यह दर्शाता है कि हम अपने प्रयासों से विश्‍व को बेहतर बनने की ओर लेकर जा सकते हैं।
  • नवमांश कुंडली में शनि और शुक्र ग्‍यारहवें भाव में हैं। यह दर्शाता है कि भारत किसी भी चुनौती का सामना करने से नहीं डरता है और किसी भी काम को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार है। इससे हमारी सेना और अर्थव्‍यवस्‍था को मज़बूती मिल सकती है।
  • अब हम यह निष्‍कर्ष निकाल सकते हैं कि भारत को वर्तमान में बृहस्‍पति, शनि और राहु के गोचर से लाभ मिल रहा है। यह आने वाले वर्षों में भारत को प्रगति की ओर आगे बढ़ने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, हमें सावधानी बरतनी चाहिए और अपने कुछ मित्र एवं पड़ोसी देशों के साथ शत्रुता को बढ़ने से रोकना चाहिए। कुछ पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर तनाव बढ़ सकता है लेकिन कुछ देशों के साथ नई मित्रता भी शुरू हो सकती है।
  • देश में अधिक व्‍यावसायिक संस्‍थान बनेंगे और बैंकों की स्थिति बेहतर हो सकती है।
  • चंद्रमा की महादशा और सूर्य की अंतर्दशा का प्रभाव आर्थिक रूप से अस्थिरता ला सकता है और सरकार एवं जनता को परेशान कर सकता है।
  • मंगल की महादशा सितंबर 2025 में शुरू होगी और सितंबर 2032 तक आने वाले सात वर्षों तक चलेगी।

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स्‍वतंत्रता दिवस पर भारत पर मंगल की महादशा का ज्‍योतिषीय प्रभाव

सितंबर 2025, के आसपास भारत मंगल की महादशा से गुज़रेगा। यह समयावधि लगभग अगले सात वर्षों तक चलेगी और इसकी समाप्‍ति सितंबर 2032 में होगी। भविष्‍यवाणी के अनुसार इस समय देश में तेज बदलाव और विकास होगा एवं देश अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी पहचान बनाने के अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करेगा।

  • मंगल ग्रह का संबंध ऊर्जा, अनुशासन और युद्ध से है। ऐसा माना जाता है कि यह ग्रह सेना पर अधिक खर्च, सशस्‍त्र बलों के आधुनिकीकरण और नई संधियों या गठबंधनों का प्रत‍िनिधित्‍व करता है।
  • भारत वैश्विक मामलों पर अधिक मुखर रुख अपना सकता है और किसी भी तरह के आक्रमण से खुद की रक्षा करने में सक्षम होगा।
  • सीमा पर तनाव और पड़ोसी देशों के साथ मतभेद होने की आशंका है।
  • अनुमान है कि रक्षा उद्योग जिसमें स्‍टार्टअप भी शामिल हैं और इनसे संबंधित शेयर में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
  • विरोध प्रदर्शन और आंतरिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इसके साथ ही समुदायों के बीच तनाव बढ़ने की भी आशंका है। इससे पुलिस बल अत्‍‍यधिक कठोर हो सकता है और अधिक आधिकारिक उपाय किए जा सकते हैं।
  • आ‍त्‍मनिर्भर भारत बनने के लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, अंतरिक्ष और परिवहन के क्षेत्रों में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के प्रोजेक्‍ट पर तेजी से काम होगा।
  • पहचान की चेतना में वृद्धि के साथ एक अधिक सशक्‍त और प्रभुत्‍वशाली भारत की आशा की जा सकती है।
  • अन्‍य लोगों के अनुसार मंगल जो कि भारत की कुंडली में दूसरे भाव में संचित धन और परिवार का प्रतिनिधित्‍व करता है, वह देश के भंडार, संपत्ति और स्‍नेह एवं सद्भाव पर नकारात्‍मक प्रभाव डाल सकता है।
  • कुछ स्रोतों के अनुसार मंगल की महादशा के दौरान भारत दुनिया के सबसे शक्‍तिशाली वित्तीय राष्‍ट्रों की सूची में शामिल हो सकता है। इसके बाद आने वाली राहु की महादशा के दौरान भी विकास जारी रहेगा।
  • वहीं मंगल की स्थिति के कारण राष्‍ट्रीय सद्भाव और शांत‍ि के मार्ग में व्‍यवधान देखने पड़ सकते हैं।
  • आर्थिक संकट, वित्तीय कठिनाइयों और कृषि संकट चिंता का विषय बन सकते हैं।
  • भूमि और रियल एस्‍टेट इंडस्‍ट्री में तेजी आएगी जिससे निवेशकों को लाभ हो सकता है।
  • कुछ लोगों का मानना है कि इस समयावधि में भूमि, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, कृषि, रक्षा और फार्मास्‍यूटिकल इंडस्‍ट्री अच्‍छा प्रदर्शन करेंगी। मंगल भूमि, रक्षा और रसायनों का प्रतीक है।
  • आपसी शत्रुता, आंतरिक हिंसा, सीमा पर विवाद, जंग की बात एवं सैन्‍य गतिविधियां बढ़ेंगी। ये सभी मंगल की महादशा के नकारात्‍मक पहलू हैं।
  • मंगल की महादशा में भारत को कई बदलाव और कठिनाइयां देखनी पड़ सकती हैं लेकिन इसके साथ ही उन्‍नति के अवसर भी प्राप्‍त होंगे। इस उग्र लेकिन परिवर्तनकारी दौर से निपटने के लिए रणनीति बनाने, नेतृत्‍व करने और आंतरिक एवं बाहरी दोनों स्‍तर पर चुनौतियों पर फोकस करने की आवश्‍यकता होगी।

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भारत की ताजिक कुंडली और भविष्‍यफल

  • भारत के लिए इस साल मुंथा सप्‍तम भाव में रहेगी जिससे अशांति और विदेशी देशों के साथ संघर्ष हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि सातवां भाव युद्ध और बाहरी संघर्ष का प्रतीक होता है।
  • मुंथा मंगल की राशि वृश्चिक में स्थित है। यह सूर्य का वर्ष है और भारत के लिए मंगल की महादशा शुरू हो रही है जो कि इस साल रियल एस्‍टेट में तेजी आने के संकेत दे रहा है लेकिन यह आंतरिक और बाहरी मतभेद और अशांति की ओर भी इशारा कर रहा है। इससे भारत के विकास में बड़ी चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
  • इस दौरान आतंकवाद जैसे विदेशी तत्‍व खतरा बन सकते हैं।
  • देश के अंदर अशांति और बाहरी संघर्ष भारत पर हावी होने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन भारत इनका मुकाबला करने में सक्षम होगा। हालांकि, सरकारी के लिए यह समय मुश्किल हो सकता है क्‍योंकि उन्‍हें इस दौर में देश पर नकारात्‍मक प्रभाव डालने वाले कई आंतरिक और बाहरी कारकों से निपटना पड़ेगा एवं देश को इन समस्‍याओं से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत होगी।
  • शनि के मजबूत स्थिति में होने से शेयर मार्केट, करेंसी और कॉमर्स जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा जिससे बदलते वैश्विक परिदृश्‍य में भारत की एक खास और मजबूत पहचान बनेगी। भारत की लीडरशिप को भी पहचान मिलेगी।
  • दसवें भाव में राहु की उपस्थिति से विरोधी देशों को दबाने और जनता की नज़रों में लगातार बने रहने के संकेत हैं। भारत कई क्षेत्रों में विकास करेगा और अपने विरोधियों को कड़ी टक्‍कर देने में सक्षम होगा।
  • तीसरे भाव में शुक्र और बृहस्‍पति मीडिया एवं सोशल मीडिया, शिक्षा और देश के व्‍यवसायों में अभूतपूर्व बदलावों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं।
  • तीसरे भाव में सूर्य की बुध के साथ स्थिति बताती है कि इस समय कुछ ऐसे देशों का अहंकार सामने आ सकता है जो भारत को अपना दोस्‍त तो मानते हैं लेकिन मन ही मन उसकी उपलब्धियों से ईर्ष्‍या रखते हैं। अब उनकी वास्‍तविकता दुनिया के सामने आ सकती है और इससे भारत की प्रतिष्‍ठा को ठेस पहुंच सकती है।
  • तृतीय भाव के स्‍वामी चंद्रमा के द्वादश भाव में विराजमान होने से भारत कई देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध स्‍थापित करेगा। ऐसे में भारत के व्‍यवसाय में वृद्धि होगी और उसे कई महत्‍वपूर्ण संगठनों में अधिमान्‍य प्रतिनिधित्‍व मिल सकता है।
  • राजनीति की बात करें, तो इस साल ग्रहों की स्थिति मोदी सरकार के लिए आंतरिक मुश्किलें पैदा कर सकती है। इसके अलावा विपक्ष की ओर से बार-बार चुनौतियां पैदा करने की वजह से सरकार की समस्‍याएं बढ़ सकती हैं और उनकी जवाबदेही भी बढ़ जाएगी। इसके बावजूद केंद्र सरकार अपने कई पुराने वादों को पूरा करने में सफल हो सकती है।
  • इस साल सरकार यूनिवर्सल टैक्‍स सिस्‍टम स्‍थापित करने जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर फैसला ले सकती है।
  • कुछ जगहों पर जीएसटी को घटाया या किसी पक्ष को बदला जा सकता है।

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भारत के मौसम, नागरिकों और अन्‍य विभिन्‍न क्षेत्रों में बदलाव

  • अगले साल अप्रैल और मई के बीच में प्राकृतिक असंतुलन के कारण फसल में गिरावट और कृषि उद्योग को बड़ा वित्तीय नुकसान होने की आशंका है। इससे देश में खाद्यान्‍न की कमी का खतरा मंडरा सकता है।
  • इस साल संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है।
  • कुछ जीवाणुओं या छोटे परजीवियों की वजह से शारीरिक समस्‍याएं और ज्‍यादा बदतर बन सकती हैं।
  • अगस्‍त से सितंबर के बीच प्राकृतिक आपदाएं, बारिश और बाढ़ जैसी समस्‍याएं उत्‍पन्‍न हो सकती हैं।
  • इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम खराब होने की वजह से प्राकृतिक आपदाएं और अन्‍य समस्‍याएं आ सकती हैं।
  • हिंसक घटनाओं, देश के अंदर सामुदायिक विवाद होने और आग लगने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। इससे निपटने के लिए सरकार की ओर से महत्‍वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

हमें भारत के नागरिक होने के नाते देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने पर ध्‍यान देना चाहिए। जातिवाद से अपने देश को कमजोर करने के बजाय हमें भारत को एक मजबूत और सशक्‍त एवं सक्षम देश बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. भारत को आज़ाद हुए कितने साल हो चुके हैं?

उत्तर. 79 वर्ष।

प्रश्‍न 2. भारत को आज़ादी कब मिली थी?

उत्तर. 15 अगस्‍त, 1947

प्रश्‍न 3. भारत से ठीक एक दिन पहले किस देश को स्‍वतंत्रता मिली थी?

उत्तर. पाकिस्‍तान।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर, इन राशि वालों की होगी चांदी ही चांदी!

सूर्य का सिंह राशि में गोचर, इन राशि वालों की होगी चांदी ही चांदी!

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य का सिंह राशि में गोचर से संबंधित यह खास ब्लॉग। 17 अगस्‍त, 2025 को अर्ध रात्रि को 01 बजकर 41 मिनट पर सूर्य ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।

एस्‍ट्रोसेज के इस ब्‍लॉग में विस्‍तार से बताया गया है कि सूर्य के सिंह राशि में गोचर करने का सभी राशियों पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा और देश-दुनिया में क्‍या बदलाव आने की संभावना है। यहां पर दी गई भविष्‍यवाणी लग्‍न राशि पर आधारित है। यदि आप अपनी लग्‍न राशि के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो एस्‍ट्रोसेज एआई के लग्‍न राशि कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।

वैदिक ज्‍योतिष में सूर्य को सबसे शक्‍तिशाली ग्रहों में से एक माना गया है और इसे आत्‍मा का कारक कहा जाता है। यह प्रशासन, शक्‍ति, अहंकार, आत्‍म-सम्‍मान, उत्‍साह और पिता को दर्शाता है। सूर्य के प्रभाव से व्‍यक्‍ति के अंदर नेतृत्‍व करने की क्षमता आती है, वह आत्‍मविश्‍वास से भरपूर रहता है और उसका तेजस्‍वी व्‍यक्‍तित्‍व होता है। वह आधिकारिक पद पर आसीन रहता है। उसे समाज में सम्‍मान मिलता है एवं वह सरकारी पद पर बैठ सकता है। इनकी जीवन की दिशा स्‍पष्‍ट होती है, ये अनुशासित और श्रेष्‍ठ चरित्र वाले होते हैं।

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: विशेषताएं

जिन लोगों की कुंडली में सिंह राशि में सूर्य होता है, उन्‍हें आत्‍मविश्‍वास, आकर्षण और नेतृत्‍व करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। ये उत्‍साहित और उदार होते हैं एवं इन्‍हें अपनी तारीफ सुनना पसंद होता है जिससे ये लोगों का ध्‍यान आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। अपने जूनून और असीम ऊर्जा के कारण ये अपने लक्ष्‍यों को पूरे उत्‍साह और दृढ़ता के साथ प्राप्‍त करते हैं।

पेशेवर और निजी जीवन दोनों में ही ये दूसरों को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। ये महत्‍वाकांक्षी होते हैं जिनका ध्‍यान अपने लक्ष्‍य पर केंद्रित रहता है और इन्‍हें पता होता है कि इन्‍हें अपनी इच्‍छाओं को किस तरह से पूरा करना है। कार्यक्षेत्र में भी इन्‍हें आकर्षण का केंद्र बनना और दूसरों से बातचीत करना पसंद होता है। चूंकि, ये हर किसी से सहजता से बात कर पाते हैं और किसी भी विषय पर चर्चा करने में निपुण होते हैं, इसलिए इनकी मौजूदगी में कभी कोई बोरियत महसूस नहीं करता है। इनकी बातें दूसरों को सहज महसूस करवाती हैं।

इन्‍हें आकर्षण का केंद्र बनना पसंद होता है और ये अपने हंसमुख स्‍वभाव, समझदारी और विशिष्‍ट नज़रिए से लोगों का मनोरंजन करते हैं। इनका दृष्टिकोण सकारात्‍मक होता है और ये अपने कार्यों के प्रति आत्‍मविश्‍वास से भरपूर रहते हैं। हालांकि, इनका दबंग स्‍वभाव एक बड़ा नुकसान है क्‍योंकि यह इनकी व्‍यग्रता और अति आत्‍मविश्‍वास के कारण इनके व्‍यक्‍तिगत और पेशेवर जीवन में बाधाएं डाल सकता है। दूसरों से ज्‍यादा उम्‍मीदें रखने की वजह से इन्‍हें दिक्‍कतें हो सकती हैं।

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर : इन रा‍शि वालों को होगा लाभ

मेष राशि

मेष राशि के पांचवे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं जो कि अब आपके पंचम भाव में ही गोचर करने जा रहे हैं। यह आपके लिए अत्‍यंत सकारात्‍मक गोचर रहने वाला है और जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अच्‍छी स्थिति में है, उन्‍हें सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त होंगे। ऐसे में आप प्रगति करेंगे और अधिक सहज महसूस कर सकते हैं। आपका आत्‍मविश्‍वास बढ़ सकता है।

करियर की बात करें, तो सूर्य का सिंह राशि में गोचर का समय आपके लिए उन्‍नति करने और अधिक लाभ प्राप्‍त करने के लिए अनुकूल होगा। अगर आप प्रमोशन का इंतज़ार कर रहे हैं, तो वह आपको मिल सकता है। व्‍यापार के मामले में आप अपनी आय को बढ़ाने में समर्थ होंगे और मुनाफा कमा सकते हैं। वित्त की बात करें, तो आप पैसों की बचत करने और अधिक धन संचय कर पाने में भी सक्षम हो सकते हैं। आपने जो कमाया है, इस समय उसे बनाए और बचाए रखने में सफल होंगे।

मेष साप्ताहिक राशिफल

वृषभ राशि

वृषभ राशि के चौथे भाव में सूर्य का गोचर होने जा रहा है जो कि आपके चौथे भाव का भी स्‍वामी है। इसके परिणामस्‍वरूप आपकी भौतिक सुख-सुविधाओं में सुधार आ सकता है और आप पारिवारिक विकास पर अधिक ध्‍यान दे सकते हैं। करियर के लिहाज़ से आपके पद में बढ़ोतरी हो सकती है और आप प्रगति कर सकते हैं। आपको नौकरी के नए अवसर भी मिल सकते हैं।

आप कॉर्पोरेट जगत में कड़ी प्रतिस्‍पर्धा कर सकते हैं और खूब पैसा कमा सकते हैं। इस समय आपका फोकस अपने प्रयासों में सफलता पाने पर रहेगा। आप एक सम्‍मानजनक जीवन जीने में सक्षम होंगे और संभवत: अपना खुद का घर भी बना सकते हैं।

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

मिथुन राशि

मिथुन राशि के तीसरे भाव के स्‍वामी सूर्य देव अब इस राशि के तृतीय भाव भाव में गोचर करने जा रहे हैं। सूर्य का सिंह राशि में गोचर होने के दौरान आपको अपने प्रयासों में सफलता मिल सकती है। करियर की बात करें, तो आपको विदेश से नौकरी के अवसर मिलने की संभावना है। ऐसे अवसर पाकर आप प्रसन्‍न और आनंदित महसूस करेंगे।

इस समयावधि में व्‍यापारी अपने प्रयासों से अधिक धन कमाने में सक्षम होंगे। आप अपने व्‍यवसाय में नई रणनीतियां भी अपना सकते हैं। वित्त के मामले में आप इस समय खूब धन कमाने वाले हैं और अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। निजी स्‍तर पर कहीं घूमने-फिरने जा सकते हैं और अपने जीवनसाथी के साथ संतुष्‍ट महसूस करेंगे।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि

सिंह राशि के पहले भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और सूर्य का सिंह राशि में गोचर होने के दौरान वह आपके प्रथम भाव में ही रहने वाले हैं। इस दौरान आपको अनचाहे कारणों से अधिक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं जिसमें आपका समय और ऊर्जा दोनों खर्च होंगे। करियर के लिहाज़ से विदेश में काम करने से सफलता मिलने के योग हैं या फिर आपको काम के सिलसिले में विदेश जाना पड़ सकता है।

व्‍यवसाय की बात करें, तो आपको अपने प्रतिद्वंदियों से खतरा और नुकसान होने का डर है। इससे आपके मौजूदा क्‍लाइंट भी जा सकते हैं। आर्थिक स्‍तर पर आप विदेश से अधिक पैसा कमा सकते हैं। निजी जीवन में आपके और आपके जीवनसाथी के बीच मतभेद होने की आशंका है। इससे आपके और आपके पार्टनर को कम संतुष्टि महसूस होगी।

सिंह साप्ताहिक राशिफल

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तुला राशि

आपके ग्‍यारहवें भाव पर सूर्य का आधिपत्‍य है और अब सूर्य आपके इसी भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस समय आपका सारा ध्‍यान अपनी आमदनी को बढ़ाने पर रहने वाला है। करियर के क्षेत्र में आप अपनी कड़ी मेहनत और लगन की वजह से सफलता प्राप्‍त कर सकते हैं।

व्‍यवसाय की बात करें, तो आपको नए कॉन्‍ट्रैक्‍ट मिल सकते हैं, आप अच्‍छा पैसा कमाएंगे और लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। निजी जीवन में खुश रहने की वजह से आप अपने जीवनसाथी के साथ सुखद समय बिताएंगे। वित्तीय स्‍तर पर आप अधिक पैसा कमा सकते हैं, आपकी जरूरतें पूरी होंगी और आप बचत करने में भी सफल हो सकते हैं।

तुला साप्ताहिक राशिफल

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लोगों के लिए यह गोचर लाभदायक रहने वाला है। आपके दसवें भाव में सूर्य स्थित है और वह इसी भाव के स्‍वामी भी हैं। कुंडली में दशमेश का दशम भाव में होना अत्‍यंत लाभकारी होता है। इस समय आप अपने काम पर अधिक ध्‍यान दे पाएंगे। आपको अपने प्रयासों में भी सफलता मिलेगी। करियर के क्षेत्र में आपको अपने प्रयासों के लिए बेहतर लाभ और पहचान मिल सकती है।

व्‍यापार की बात करें, तो आपके मुनाफे में वृद्धि होगी और आपको अपनी कंपनी के पार्टनर से सहयोग मिल सकता है। प्रेम जीवन में आपके और आपके जीवनसाथी के बीच प्‍यार और आपसी समझ बढ़ सकती है।

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धनु राशि

धनु राशि के नौवें भाव में सूर्य देव उपस्थित हैं जो कि आपके नौवें भाव के स्‍वामी भी हैं। आपको विदेशी स्रोतों से मुनाफा और लाभ होने की संभावना है। करियर के क्षेत्र में आप अपनी नौकरी से पैसा कमा सकते हैं और आपको विदेश में भी काम करने के अवसर मिल सकते हैं जो कि आपके लिए भाग्‍यशाली साबित होंगे। व्‍यवसाय के क्षेत्र में आपको अपने बिज़नेस पार्टनर से सहयोग मिल सकता है और सूर्य का सिंह राशि में गोचर के दौरान आप अधिक धन कमाएंगे।

इस समयावधि में आप अपने प्रेम संबंध में खुशियों को बरकरार रखने के लिए अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्‍ते को मजबूत बनाए रखने में सक्षम होंगे। आर्थिक जीवन में आपको इंसेंटिव के ज़रिए अधिक धन लाभ होने के आसार हैं। यह प्रमोशन के रूप में आपको मिल सकता है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के सातवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का सिंह राशि में गोचर होने के दौरान वह आपके सातवें भाव में ही रहेंगे। इस दौरान आपको अपने दोस्‍तों के साथ अधिक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं एवं आपकी उनसे अधिक मुलाकात हो सकती है। आप अपने भविष्‍य पर ज्‍यादा ध्‍यान दे सकते हैं। करियर की बात करें,तो आपको नौकरी में तरक्‍की मिलने और विदेश में काम करने का अवसर मिल सकता है।

व्‍यवयाय के क्षेत्र में आप नया बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। आपके लिए लाभ कमाने के योग भी बन रहे हैं। रिश्‍तों की बात करें, तो सूर्य का सिंह राशि में गोचर करने के दौरान आप अपनी दोस्‍ती का सम्‍मान करेंगे और नए दोस्‍त बना सकते हैं। आर्थिक स्‍तर पर आप शेयर मार्केट से अधिक पैसा कमा सकते हैं।

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मीन राशि

मीन राशि के छठे भाव में सूर्य का गोचर होगा और इस राशि के छठे भाव के स्‍वामी भी सूर्य देव ही हैं। आपको जरूरत पड़ने पर लोन और पैतृक संपत्ति से लाभ मिल सकता है। आपको अपनी कड़ी मेहनत की वजह से सफलता मिलने के योग हैं। करियर के क्षेत्र में आपके अंदर दूसरों की सेवा करने की प्रवृत्ति आ सकती है और यह भावना आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। आपको नौकरी के नए अवसर मिलने की भी संभावना है।

व्‍यवसाय के मामले में आप कोई नया बिज़नेस शुरू कर सकते हैं और आपको इससे अच्‍छे परिणाम मिलने के संकेत हैं। आप अपने जीवनसाथी के साथ गहरा जुड़ाव और अपनापन महसूस कर सकते हैं। वित्त की बात करें, तो सूर्य का सिंह राशि में गोचर होने के दौरान आपको लोन से लाभ होने के आसार हैं। आपको शेयर से धन प्राप्‍त‍ि होने की भी संभावना है।

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों को होगा नुकसान

कर्क राशि

कर्क राशि के दूसरे भाव में सूर्य विराजमान रहेंगे और सूर्य इस राशि के दूसरे भाव के स्‍वामी हैं। आपके साहस और दृढ़ संकल्‍प में कमी आ सकती है जिससे आपके आत्‍मविश्‍वास में भी गिरावट देखने को मिलेगी। आप करियर में अपनी वर्तमान स्थिति को नापसंद कर सकते हैं और अपना करियर बदलना चाहते हैं तो आपको करियर में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।

व्‍यवसाय के क्षेत्र खराब संचालन और प्रतिद्वंदियों से खतरे की वजह से पैसों का अधिक नुकसान हो सकता है। आपको अपने खर्चों को कम करने की जरूरत है क्‍योंकि इसका आपकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। इस समय आप अधिक धन कमाने में असमर्थ हो सकते हैं। निजी जीवन की बात करें, तो सूर्य का सिंह राशि में गोचर के दौरान अहंकार के कारण जीवनसाथी के साथ आपकी बातचीत तनावपूर्ण हो सकती है।

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कन्या राशि

कन्या राशि के बारहवें भाव में सूर्य देव विराजमान हैं और इस भाव के स्‍वामी भी सूर्य ग्रह ही हैं। इस दौरान आपको लाभ के साथ-साथ खर्चे भी देखने पड़ सकते हैं। आपको आय और खर्चों के बीच संतुलन बनाकर रखना होगा। करियर के क्षेत्र में आपके ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है लेकिन इसके साथ ही आप अपनी नौकरी में खुश भी रहेंगे। मौजूदा हालातों में आए कुछ बदलावों से आपकी दिशा तय हो सकती है।

आपको बिज़नेस में लाभ और नुकसान दोनों होने की आशंका है। वहीं दूसरी ओर, आपको कड़ी प्रतिस्‍पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय जीवन में आपके लिए पैसों की बचत कर पाना मुश्किल हो सकता है और सूर्य का सिंह राशि में गोचर करने के दौरान आपके खर्चों में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है। अगर आप खुद को अपने जीवनसाथी की वर्तमान की परस्थितियों के अनुकूल ढ़ाल लेते हैं, तो आपके रिश्‍ते में खुशियां आ सकती हैं।

कन्या साप्ताहिक राशिफल

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: ज्‍योतिषीय उपाय

  • रोज़ सूर्योदय के समय सूर्य नमस्‍कार करें। इससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलेगी, आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होगी और आपके शरीर में सूर्य की ऊर्जा संतुलित रहेगी।
  • आप सूर्य के बीज मंत्र ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जाप करें।
  • इसके अलावा आप सूर्योदय के समय 108 बार गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
  • सूर्य मंत्र का जाप करते हुए तांबे के लोटे से उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य दें। पूर्व की दिशा की ओर मुख करें और सोचें कि सूर्य की रोशनी आपके शरीर में प्रवेश कर रही है।
  • रविवार के दिन व्रत रखें। नमक और मांसाहार का सेवन न करें। सूर्यास्‍त के बाद सिर्फ एक बार खाना खाएं, वो भी सात्विक भोजन।
  • सूर्य को प्रसन्‍न करने के लिए अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली में माणिक्‍य रत्‍न धारण करें। ज्‍योतिषी से परामर्श करने और कुंडली का विश्‍लेषण करवाने के बाद ही रत्‍न पहनें।
  • रविवार के दिन गरीबों या ब्राह्मणों को लाल रंग की चीजें जैसे कि गेहूं, गुड़, लाल रंग के वस्‍त, तांबा या लाल चंदन दान करें।
  • नेत्रहीन और पिता तुल्‍य लोगों की मदद करने से भी सूर्य का आशीर्वाद मिलता है।
  • अपने कार्यक्षेत्र या समाज में नेतृत्‍व करने का कार्यभार संभालें।
  • अपने अंदर अनुशासन लेकर आएं, समय के पाबंद और जिम्‍मेदार बनें। इससे सूर्य की ऊर्जा आकर्षित होती है।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: विश्‍व पर प्रभाव

राजनीति और सरकार

  • भारत सरकार के प्रवक्‍ता और महत्‍वपूर्ण पदों पर बैठे राजनेता समझदारी से बात करेंगे। सरकार नेतृत्‍व के अच्‍छे गुणों को प्रदर्शित करेगी और जनता की समस्‍याओं पर राजनीति करने के बजाय उनका हल निकालने का प्रयास करेगी।
  • राजनीति के क्षेत्र से कई लोग आगे आकर अपनी भूमिका और जिम्‍मेदारियां निभाएंगे।
  • सरकार समझदारी और होशियारी से समस्‍याओं को निपटाने में सक्षम होगी। विदेशों के साथ संबंध बेहतर होंगे।

मीडिया, पत्रकारिता और काउंसलिंग/टीचिंग

  • भारत और विश्‍व की अन्‍य प्रमुख जगहों पर मीडिया, पत्रकारिता, शिक्षण, फाइनेंस, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा और शिक्षा जैसे उद्योगों के व्‍यवसाय में वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • भारत समेत विदेशों में पर्यटकों और यात्रियों की संख्‍या में वृद्धि होगी। दोनों देशों में ट्रैवल और टूरिज्‍म के क्षेत्र में तेजी से प्रगति होने की संभावना है।
  • यह गोचर पब्लिक स्‍पीकर, मोटिवेशनल स्‍पीकर और ट्रांसलेटर के लिए लाभकारी रहने वाला है।
  • मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में तेजी आएगी, जो सोचने-समझने और बातचीत करने की क्षमता पर आधारित होते हैं।
  • काउंसलिंग और नर्सिंग आदि जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लोग सूर्य का सिंह राशि में गोचर के दौरान शानदार प्रदर्शन करेंगे।
  • शिक्षक और लेखक आदि इस समय उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करेंगे।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: स्‍टॉक मार्केट रिपोर्ट

चूंकि, सूर्य का गोचर अपनी ही राशि में होने जा रहा है, इसलिए स्‍टॉक मार्केट और शेयर बाज़ार में निवेश करने वाले ट्रेडर्स के लिए यह गोचर अनुकूल लग रहा है। आगे जानिए शेयर मार्केट भविष्‍यवाणी 2025 के अनुसार किसे फायदा होगा।

  • रेणुका शुगर, जेके सीमेंट, जिंदल वर्ल्‍ड वाइड, बिड़ला सॉफ्ट, इंडस टॉवर, हिटाची एनर्जी, आरती ड्रग्‍स, पीवीआर और अन्‍य कंपनियों के शेयर में निवेश करने से लाभ होगा।
  • अगस्‍त के आखिरी सप्‍ताह में मोटर, स्‍टील, बैंकिंग, टेलिकॉम, मशीनरी, सीमेंट, कॉफी, कंप्‍यूटर और केमिकलों सहित कई उद्योगों के शेयरों की कीमत में उल्‍लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • औद्योगिक कंपनियों के शेयर्स में निवेश करने से आगे चलकर अच्‍छा रिटर्न मिल सकता है।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: नई फिल्‍मों की रिलीज़ और उनका प्रदर्शन

मूवी रिलीज़स्‍टार कास्‍टतारीख
बाघी 4टाइगर श्रॉफ और संजय दत्त05 सितंबर, 2025
द बंगाल फाइल्‍समिथुन चक्रवर्ती और अनुपम खेर05 सितंबर, 2025
सन्‍नी संस्‍कारी की तुलसी कुमारीजाह्नवी कपूर, वरुण धवन12 सितंबर, 2025

शुक्र और सूर्य की स्थिति को देखें तो इन फिल्‍मों के रिलीज़ होने के बाद अच्‍छा प्रदर्शन करने की उम्‍मीद है। सूर्य और शुक्र, इन दोनों ही ग्रहों का संबंध रचनात्‍मकता, मनोरंजन और फैशन से होता है और ये दोनों ही ग्रह अनुकूल स्थिति में हैं जिससे यह समय फिल्‍मों के लिए अच्‍छा रहने वाला है। इन तीन फिल्‍मों में से बाघी 4 और द बंगाल फाइल्‍स ज्‍यादा अच्‍छा प्रदर्शन कर सकती हैं।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. सूर्य किस राशि में अच्‍छा प्रदर्शन करते हैं?

उत्तर. मेष, सिंह, धनु, ये सभी अग्नि तत्‍व की राशियां हैं।

प्रश्‍न 2. कौन सा ग्रह प्राकृतिक रूप से आत्‍मा का कारक है?

उत्तर. सूर्य ग्रह।

प्रश्‍न 3. किन ग्रहों का सूर्य के साथ मैत्री संबंध है?

उत्तर. बुध, बृहस्‍पति और मंगल।

जन्माष्टमी 2025 पर दुर्लभ संयोग, इन राशियों पर बरसेगी श्रीकृष्ण की विशेष कृपा!

जन्माष्टमी 2025 पर बना दुर्लभ संयोग, इन राशियों पर बरसेगी श्रीकृष्ण की विशेष कृपा!

भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 न सिर्फ एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि हर भक्त के हृदय की सबसे मधुर भावना है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की दिव्य स्मृति को समर्पित होता है, जिनका अवतरण द्वापर युग में अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए साधक अष्टमी का व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

सिर्फ इतना ही नहीं इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व कई मायनों में खास रहने वाला है, क्योंकि इस बार दुर्लभ ग्रह योगों और शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि जब-जब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दुर्लभ नक्षत्रों और योगों में आती है, तब वह विशेष फलदायी और पुण्य दायक मानी जाती है। इस दिन देशभर के मंदिरों में झूलों की सजावट, रासलीला, मटकी फोड़ और रात्रि जागरण का आयोजन होता है। भक्त व्रत रखते हैं, कथा सुनते हैं और मध्यरात्रि के समय श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं। 

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अब इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं अपने इस खास ब्लॉग की तरफ और जन्माष्टमी के विषय पर जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही, जानेंगे वर्ष 2025 में जन्माष्टमी का पर्व किस दिन मनाया जाएगा, इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं, इस दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं। साथ ही जानेंगे कि इस योग से किन जातकों को लाभ होगा।

जन्माष्टमी 2025 शुभ योग और मुहूर्त 

जन्माष्टमी तिथि: 16 अगस्त, 2025

निशीथ पूजा मुहूर्त : मध्यरात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक।

अवधि : 0 घंटे 43 मिनट

जन्माष्टमी पारण मुहूर्त : 17 अगस्त की सुबह 05 बजकर 50 मिनट के बाद ।

इस वर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 अगस्त शनिवार के दिन पड़ रही है और इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। बात करें शुभ पूजा मुहूर्त की तो,

ज्योतिष दृष्टि से भी जन्माष्टमी का दिन खास है क्योंकि 16 अगस्त 2025 को वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और ज्वालामुखी योग का महासंयोग बन रहा है।

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जन्माष्टमी 2025 पूजन विधि

  • जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन श्रीकृष्ण का नामस्मरण करते रहें- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
  • पूजा स्थल को साफ करके गंगा जल से शुद्ध करें। 
  • एक चौकी पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर लड्डू गोपाल या बाल कृष्ण की मूर्ति या चित्र रखें।
  • उन्हें झूले में विराजमान करें, यदि झूला हो अन्यथा सुंदर आसन पर रखें।
  • पूजन सामग्री रखें जैसे- गंगाजल पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) तुलसी पत्र माखन-मिश्री पीले फूल, धूप, दीप रोली, चावल, फल, नारियल बांसुरी, मोर पंख, पान-सुपारी।
  • दीप प्रज्वलित करें और श्री कृष्ण का ध्यान करें।
  • मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान के बाद साफ कपड़ा पहनाएं, श्रृंगार करें और बांसुरी-मोर पंख आदि अर्पित करें।
  • भगवान को माखन-मिश्री, फल व मिठाई का भोग लगाएं। 
  • तुलसी पत्र अर्पित करना अनिवार्य है क्योंकि भगवान कृष्ण बिना तुलसी के भोग स्वीकार नहीं करते।
  • भोग लगाने के बाद श्रीकृष्ण की आरती करें – “ॐ जय कन्हैया लाल की…”।
  • 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी” की कथा जरूर पढ़ें या सुनें।

भगवान श्री कृष्ण का प्रिय भोग

भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाना एक अत्यंत पवित्र और भावपूर्ण प्रक्रिया होती है। कृष्ण भक्तों के अनुसार, श्री कृष्ण को अन्न से ज्यादा प्रेम भाव, सरलता और सच्ची श्रद्धा प्रिय होती है। लेकिन उनकी बाल लीलाओं और जीवन चरित्र के अनुसार कुछ खास भोग हैं, जो उन्हें विशेष प्रिय माने जाते हैं।

माखन-मिश्री: श्रीकृष्ण को मक्खन और मिश्री अत्यंत प्रिय है। बचपन में वे मक्खन चुराते थे इसलिए भक्त उन्हें माखनचोर भी कहते हैं। जन्माष्टमी पर यह भोग जरूर लगाया जाता है।

दूध-दही पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत भगवान को स्नान और भोग दोनों में अर्पित किया जाता है। इसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।

मिठाई: श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार की मिठाइयां जैसे-पेड़ा, लड्डू, खीर, रबड़ी, गुड़-चना, बूंदी आदि का भोग लगाया जाता है। इनमें खीर और पेड़े विशेष प्रिय माने जाते हैं।

फल: ताजे मौसमी फल जैसे केला, अंगूर, अनार, सेब इत्यादि का भोग भी अर्पित किया जाता है।

इसके अलावा, चूरमा, धनिया, पंजीरी, लौकी की बर्फी और बेसन के लड्डू भी कई स्थानों पर कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। 56 भोग का आयोजन बड़े स्तर पर मंदिरों में होता है।

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जन्‍माष्‍टमी 2025 पर भगवान श्री कृष्ण के मंत्र व उनके लाभ

मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

लाभ: यह श्री कृष्ण का सर्वश्रेष्ठ और सर्वसिद्ध बीज मंत्र है। इस मंत्र के जाप से मन की शुद्धि, आत्मिक शांति और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है। जीवन में धैर्य, विश्वास और समाधान की शक्ति आती है।

मंत्र: कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥

लाभ: संकटों से मुक्ति, मानसिक शांति और क्लेशों का नाश होता है। यह मंत्र सांसारिक दुखों से राहत देता है और भगवान की शरण में ले जाता है। 

मंत्र: ॐ श्रीकृष्ण शरणं मम

लाभ: यह मंत्र पूर्ण समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। इसे जपने से ईश्वर के प्रति आस्था मजबूत होती है और जीवन की राह में आत्मबल प्राप्त होता है।

मंत्र: गोपाल गोविंद राम श्री माधव जनार्दन। वेणु माधव गोपाल केशव माधवाय नमः॥

लाभ: यह मंत्र श्री कृष्ण के विभिन्न नामों से युक्त है और हर नाम में विशेष शक्ति निहित है। मंत्र जाप से विचार शुद्ध होते हैं और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मंत्र: हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥

लाभ: यह कलयुग का मुक्तिदायक महामंत्र माना गया है। लगातार जप करने से सभी पापों का नाश, भक्ति में वृद्धि और श्री कृष्ण की अत्यंत कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र चिंता, अवसाद और मोह से छुटकारा दिलाता है।

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जन्माष्टमी 2025: जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपनाएं ये अचूक उपाय

धन वृद्धि के लिए

जन्माष्टमी की रात श्री कृष्ण को सफेद मिष्ठान्न का भोग लगाएं और भोग के बाद उस प्रसाद को तिजोरी या धन स्थान में रखें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी स्थिर होती है और आय में वृद्धि होती है।

शत्रु से बचाव के लिए

जन्माष्टमी की रात पांच तुलसी के पत्ते, श्री कृष्ण को अर्पित करें और फिर सुखाकर अपने पर्स या जेब में रखें। ऐसा करने से बुरी नजर, शत्रु बाधा और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए

रात 12 बजे श्री कृष्ण के सामने दीपक जलाकर ॐ क्लीं कृष्णाय गोविंदाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। शीघ्र विवाह और योग्य जीवनसाथी का योग बनता है।

जन्‍माष्‍टमी 2025 पर संतान सुख के लिए उपाय

माखन-मिश्री और तुलसी पत्र का भोग लगाकर, संतान प्राप्ति की मनोकामना करें। ऐसा करने से निसंतान दंपत्ति को संतान का योग बनता है।

करियर और नौकरी में सफलता के लिए

एक नारियल पर काजल से श्रीकृष्ण लिखें और उसे श्रीकृष्ण के मंदिर में अर्पित करें। ऐसा करने से नौकरी में तरक्की और करियर में स्थिरता आती है।

पारिवारिक शांति के लिए

जन्माष्टमी की रात घर के सभी सदस्यों को श्रीकृष्ण की आरती में शामिल करें और उन्हें तुलसी पत्र युक्त प्रसाद दें। ऐसा करने से घर में प्रेम, एकता और क्लेश का अंत होता है।

बुरी नजर हटाने के लिए

एक नींबू के चार टुकड़े करके, श्री कृष्ण के सामने रखकर प्रार्थना करें और फिर घर के चारों कोनों में रख दें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष से रक्षा होती है।

जन्माष्टमी 2025 पर तीन राशियों पर होगी श्रीकृष्ण की कृपा 

वृषभ राशि

वृषभ राशि को शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत प्रिय राशि माना गया है। इसका कारण यह है कि वृषभ राशि के स्वामी शुक्र हैं, जो सौंदर्य, प्रेम, सुख और कला के प्रतीक माने जाते हैं और ये सभी गुण भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व से गहराई से जुड़े हैं। यही कारण है कि जन्माष्टमी जैसे पवित्र पर्व पर वृषभ राशि के जातकों पर श्रीकृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है। जो जातक व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें लंबे समय से अटका हुआ पैसा या लेनदेन का मामला सुलझता दिखाई देगा, जिससे मानसिक राहत और आर्थिक स्थिरता मिलेगी। वहीं जो लोग नौकरीपेशा है, उनके लिए वेतन में वृद्धि या नई जिम्मेदारियों के साथ तरक्की के योग बन रहे हैं।

श्रीकृष्ण की कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य की वृद्धि होगी। यदि हाल ही में रिश्तों में थोड़ी खटास आई थी, तो वह भी इस शुभ समय में सुलझ सकती है। घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनेगा।

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कर्क राशि

कर्क राशि के जो जातक अब तक सच्चे प्रेम की तलाश में थे उनके लिए यह अवधि वरदान साबित होगी। कोई विशेष व्यक्ति आपके जीवन में प्रवेश कर सकता है, जिससे आपको न सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव मिलेगा, बल्कि जीवनसाथी के रूप में एक स्थायी रिश्ता बनने की भी संभावना है। यह समय सिंगल कर्क राशि वालों के लिए अत्यंत अनुकूल है। जिन लोगों की शादी हो चुकी है और जिनके परिवार में आपसी मनमुटाव या वाद-विवाद चल रहे थे, वहां अब शांति और समझदारी का वातावरण दिखाई देगा। श्री कृष्ण की कृपा से परिवारजनों के बीच प्रेम का संचार होगा और पुराने झगड़े खत्म होंगे।

पूर्व में किए गए निवेश अब फल देने लगेंगे। कोई लंबे समय से रुका हुआ मुनाफा अचानक प्राप्त होगा, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी। धन के साथ आत्मसंतोष भी बढ़ेगा। 

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों की बात करें तो, यदि आपके परिवार में किसी रिश्तेदार या सगे संबंधी से मतभेद या कोई पुराना झगड़ा चल रहा था, तो इस शुभ काल में वह आपसी समझदारी और प्रेम से सुलझने के पूरे योग बनेंगे। घर के माहौल में शांति, समझ और सामंजस्य देखने को मिलेगा, जिससे मन को शांति और संतोष मिलेगा। जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं या किसी विशेष करियर लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहे हैं, उनके लिए यह समय बहुत उत्साहजनक और उपलब्धियों से भरा होगा।

भगवान श्री कृष्ण की कृपा से मन में स्थिरता और पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ेगी। आर्थिक जीवन की बात करें तो, चाहे आप किसी नौकरी में हों या आपका व्यवसाय हो आपके आर्थिक पक्ष में थोड़ा-थोड़ा सुधार होना शुरू हो जाएगा। जो जातक लंबे समय से आर्थिक दबाव में थे, उन्हें कुछ राहत भरे समाचार मिल सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. जन्माष्टमी 2025 में कब मनाई जाएगी?

जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 शनिवार को मनाई जाएगी।

2. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कब हुआ था?

श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में, भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि, रात के 12 बजे, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

3. क्या बच्चे और बुज़ुर्ग उपवास कर सकते हैं?

यदि स्वास्थ्य ठीक न हो या उम्र के अनुसार उपवास कठिन हो, तो फलाहार या केवल जल-फल लेकर भी पूजा की जा सकती है।

अगस्‍त में इस दिन बन रहा है विष योग, ये राशि वाले रहें सावधान!

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मीन राशि में विष योग: एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं। इस ब्‍लॉग में हम आपको मीन राशि में विष योग के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि 12 अगस्‍त, 2025 को बनने जा रहा है। इस ब्‍लॉग में हम आपको विस्‍तार से बता रहे हैं कि इस योग के नकारात्‍मक प्रभावों को कम करने के लिए क्‍या उपाय कर सकते हैं। बता दें कि 12 अगस्‍त, 2025 को 06 बजकर 09 मिनट पर मीन राशि में इस योग का निर्माण होगा।

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क्‍या है विष योग

वैदिक ज्‍योतिष में विष योग को एक अशुभ योग माना जाता है जिससे मानसिक तनाव, भावनात्‍मक उतार-चढ़ाव, दुर्भाग्‍य या चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विष शब्‍द का अर्थ होता है ज़हर और कुंडली में इस योग के बनने पर जीवन में विषाक्‍त परिस्थितियां या नकारात्‍मक ऊर्जाएं उत्‍पन्‍न हो सकती हैं।

आमतौर पर चंद्रमा और शनि की युति या इनकी एक-दूसरे पर द‍ृष्टि पड़ने से कुंडली में विष योग का निर्माण होता है। चूंकि, चंद्रमा भावनाओं का कारक है और शनि की जिस भी चीज़ पर दृष्टि पड़ती है या वह जिसके साथ युति करता है, तो उसके प्रभाव को दबा देता है या खराब कर देता है। कुंडली के सबसे आम योगों में से एक विष योग भी है। जिन लोगों की कुंडली में यह योग होता है, उन्‍हें अपने रोज़मर्रा के जीवन में निम्‍न चीज़ों का सामना करना पड़ सकता है:

  • भावनात्‍मक स्‍तर पर अलगाव या अवसाद
  • मानसिक तनाव और भावनात्‍मक सहयोग की कमी
  • नींद न आना और कुछ गंभीर मामलों में अनिद्रा की समस्‍या होना
  • निजी जीवन या रिश्‍तों में मुश्किलें आना

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विष योग का सकारात्‍मक और नकारात्‍मक प्रभाव

चंद्रमा को अक्‍सर एक ऐसे बच्‍चे के रूप में देखा जाता है जो भावुक, हंसमुख और बच्‍चे की तरह एवं रचनात्‍मक हो और बड़ी तेजी से दुनिया को देखने की चाहत रखता हो। चंद्रमा हर ढ़ाई दिन में राशि परिवर्तन करता है। वहीं दूसरी ओर, शनि को एक वृद्ध पुरुष के रूप में दिखाया जाता है जिसे अनुशासन पसंद है, जो अनुभवी और सख्‍त है एवं उसे अलग रहना पसंद है।

शनि के साथ चंद्रमा की युति होने या चंद्रमा पर शनि की दृष्टि पड़ने पर चंद्रमा अक्‍सर एक लापरवाह बच्‍चे की तरह होता है जिसे जंजीर में जकड़ा गया हो और जिसे अनुशासन सिखाया जा रहा हो जबकि वो सभी बंधनों को तोड़कर आज़ादी से जीना चाहता है।

इसलिए यह युति गहराई से चंद्रमा को प्रभावित करती है और कुंडली में विष योग बनने पर व्‍यक्‍ति को इन समस्‍याओं से जूझना पड़ सकता है। हालांकि, इसका प्रभाव निम्‍न चीज़ों पर निर्भर करता है:

  • किस भाव में योग बन रहा है
  • किस राशि में है
  • बुध/शनि (या चंद्रमा/शनि) का बल और प्रतिष्‍ठा
  • शुभ ग्रहों जैसे कि बृहस्‍पति की युति या दृष्टि
  • दशा और गोचर

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कुंडली में विष योग दिखने पर सीधे किसी निष्‍कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। कभी-कभी शुभ ग्रहों के प्रभाव में यही विष योग सकारात्‍मक परिणाम भी दे सकता है। वैसे तो यह योग ज्‍यादातर नकारात्‍मक प्रभाव ही देता है लेकिन कुछ जातकों के लिए यह सकारात्‍मक हो सकता है। जब यह योग सकारात्‍मक होता है, तब निम्‍न लाभ मिल सकते हैं:

  • ये गहन विचारक होने के साथ-साथ तार्किक होते हैं।
  • शोध और तकनीकी क्षेत्र में अच्‍छे होते हैं।
  • कठिनाइयों का सामना कर के आध्‍यात्मिक विकास होना।

नकारात्‍मक प्रभाव

  • मानसिक बेचैनी, अधिक सोचना और चिंता।
  • कड़वा बोलना और गलतफहमियां होना।
  • शिक्षा या करियर में देरी होना।
  • विश्‍वास से संबंधित समस्‍याएं आना और मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं आना।
  • निराशावादी बनने की प्रवृत्ति।

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मीन राशि में विष योग: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्‍मक प्रभाव

कर्क राशि

कर्क राशि के नौंवे भाव में विष योग बनने जा रहा है कि जो भाग्‍य, पिता और अध्‍यात्‍म का कारक है। भले ही शुभ भाव में हो लेकिन फिर भी लग्‍न भाव के स्‍वामी चंद्रमा का शनि के साथ होना एक अशुभ युति मानी जाती है। इस समय कर्क राशि के लोगों को किसी को भी पैसे उधार देने से बचना चाहिए। इसके अलावा इस दौरान किसी बड़े निवेश से भी बचना चाहिए क्‍योंकि इस समय वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ सकता है।

आपके खुद के स्‍वास्‍थ्‍य में गिरावट आ सकती है। आपके और आपके सहकर्मियों के बीच गलफहमियां होने की वजह से आपका मैनेजर आपके काम से असंतुष्‍ट हो सकता है या आपके उद्देश्‍य को गलत समझ सकता है। ऑफिस पॉलीटिक्‍स से दूर रहें या बात आपसे जुड़ी नहीं है, तो आप किसी के बीच में न बोलें वरना आप परेशानी में फंस सकते हैं।

कर्क राशिफल 2025

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लोगों को इस समय किसी को भी पैसे उधार देने या कोई बड़ा निवेश करने से बचना चाहिए क्‍योंकि उन्‍हें वित्तीय अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। अपनी मां की सेहत का ध्‍यान रखें। आपकी खुद की सेहत भी खराब होने की आशंका है। हो सकता है कि आपका बॉस आपके काम से संतुष्‍ट न हो या फिर अधिकारियों या सहकर्मियों के साथ गलफहमियों की वजह से आपको गलत समझा जा सकता है। आप सावधान रहें और सोच-समझकर बोलें और अपने बात करने के तरीके पर भी ध्‍यान दें।

यह विष योग आपके पांचवे भाव में बनने जा रहा है इसलिए इस समय आपको अपने बच्‍चों या उनके स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा रचनात्‍मक लोगों को नए विचार के बारे में सोचने में बाधा हो सकती है। जिन जातकों का प्रेम संबंध चल रहा है, उन्‍हें अपने रिश्‍ते में उतार-चढ़ाव देखना पड़ सकता है।

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धनु राशि

धनु राशि के चौथे भाव में विष योग बनने जा रहा है। चौथे भाव में विष योग बनने से मां के साथ समस्‍याएं या अहंकार का टकराव देखना पड़ सकता है। इससे आपके लिए कार्यक्षेत्र में परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं। ऑफिस में शांत रहें और किसी से ज्‍यादा बात न करें। आपको ऑफिस पॉलीटिक्‍स से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

आपको नींद की कमी की शिकायत हो सकती है। इस दौरान आप अपनी मां की सेहत का ख्‍याल रखें। कुछ समय के लिए घर की सुख-शांति के भंग होने का डर है। घर-परिवार में शांति और प्‍यार भरा माहौल बनाए रखने के लिए आपको अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

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मीन राशि में विष योग: उपाय

  • बुध या शनि के मंत्रों का जाप करें (जैसे कि ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या ॐ शं शनैश्‍चराय नम:)
  • किसी अनुभवी ज्‍योतिषी के परामर्श से रत्‍न धारण करें।
  • शनिवार के दिन काले तिल, लोहे और उड़द की दाल का दान करें।
  • मानसिक रूप से शांत रहने के लिए ध्‍यान, मंत्र जाप और योग कर सकते हैं।
  • चंद्रमा को मजबूत करने के लिए चंद्र के मंत्र का जाप करें, मूनस्‍टोन धारण कर सकते हैं और गाय का दान कर सकते हैं।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

1. किन दो ग्रहों से विष योग बनता है?

उत्तर. शनि और चंद्रमा से।

2. कौन सा ग्रह हमारी भावनाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है?

उत्तर. चंद्रमा।

3. कौन सा ग्रह कानून और अनुशासन को दर्शाता है?

उत्तर. शनि ग्रह।

कजरी तीज 2025 पर करें ये विशेष उपाय, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान

कजरी तीज 2025 पर करें ये विशेष उपाय, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान

श्रावण माह के समापन और भाद्रपद मास की शुरुआत के साथ ही आता है कजरी तीज का पावन पर्व, जिसे उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जो मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए समर्पित होता है।

कजरी तीज को हरियाली तीज के बाद मनाया जाता है और इसे कजली तीज भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सौभाग्य की रक्षा, और दाम्पत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को माता पार्वती तथा भगवान शिव की विशेष पूजा करती है।

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साथ ही, कजरी गीतों के माध्यम से लोक संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है, जिसमें महिलाएं समूह में झूला झूलती है, गीत गाती हैं और मंगल कामनाएं करती हैं। इस व्रत का विशेष महत्व यह भी है कि यह भक्ति, प्रेम और परंपरा का सुंदर संगम है, जहां नारी शक्ति अपनी श्रद्धा से जीवन में सौंदर्य, संतुलन और शक्ति को आमंत्रित करती है।

तो चलिए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में जानेंगे कि वर्ष 2025 में कजरी तीज का पर्व किस तिथि को पड़ेगा, इस दिन कौन से उपाय करने चाहिए, इस पर्व का महत्व आदि के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

कजरी तीज 2025: तिथि व मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि की शुरुआत 11 अगस्त 2025 की सुबह 10 बजकर 35 मिनट से होगी। वहीं इस तिथि का समापन 12 जुलाई की सुबह 08 बजकर 43 मिनट पर होगी। ऐसे में कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त को किया जाएगा।

तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त 2025 की सुबह 10 बजकर 35 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्त: 12 अगस्त 2025 की सुबह  08 बजकर 43 मिनट पर।

कजरी तीज का महत्व

कजरी तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि नारी शक्ति की श्रद्धा, प्रेम और लोक संस्कृति का जीवंत उत्सव है। यह पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है। यह तीज श्रावण की हरियाली के बाद आती है और इसका जुड़ाव भक्ति, पारिवारिक सुख और लोकगायन से होता है। कजरी तीज का सबसे बड़ा महत्व यही है कि इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शिव और माता पार्वती से पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए उतना ही पवित्र और फलदायक है, जितना करवाचौथ या हरियाली तीज।

कजरी तीज पर महिलाएं पारंपरिक कजरी गीत गाती हैं। ये गीत वर्षा, प्रेम, विरह और जीवन की भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से व्यक्त करते हैं। गांवों में महिलाएं झूला झूलती हैं, समूह में गीत गाती हैं और त्योहार की खुशियां साझा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से न केवल वैवाहिक जीवन मजबूत होता है, बल्कि घर में सुख,समृद्धि और शांति भी आती है। देवी पार्वती की आराधना से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। 

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कजरी तीज में चंद्रमा की पूजा का महत्व

कजरी तीज का पर्व केवल व्रत और गीतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें चंद्रमा की पूजा का भी अत्यंत खास स्थान होता है। विशेषकर उत्तर भारत में मान्यता है कि इस दिन  चंद्रमा को अर्घ्य देना अनिवार्य है, क्योंकि इससे मन के दोषों की शुद्धि, विचारों की स्थिरता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष में चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक ग्रह माना गया है। व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर भूखी प्यासी रहकर मानसिक रूप से भी थोड़ी थकान अनुभव करती हैं। ऐसे में रात्रि में शीतल, सौम्य चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देना न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि यह भावनात्मक संतुलन भी स्थापित करता है। यह भी माना जाता है कि चंद्रमा स्त्रियों के स्वभाव और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है, इसलिए कजरी तीज के दिन चंद्र दर्शन विशेष रूप से पुण्य दायक होता है।

कजरी तीज 2025 पूजन विधि

  • इस दिन सुबह स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं।
  • घर के आंगन या पूजन स्थान पर गाय के गोबर से लीप कर पवित्र भूमि बनाई जाती है।
  • एक मिट्टी का तालाब या कुंड बनाया जाता है, जिसे कजली माता का प्रतीक माना जाता है।
  • उसमें नीम की डाल, आम की टहनी, कजली की प्रतिमा या चित्र, फल-सब्जी, पत्ते आदि अर्पित किए जाते हैं।
  • घी का दीपक जलाकर पूजी की जाती है और कजरी माता की आरती उतारी जाती है।
  • कजरी गीत गाए जाते हैं, महिलाएं समूह में बैठकर ढोलक के साथ पारंपरिक गीतों के माध्यम से पर्व का आनंद लेती हैं।
  • रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। पहले पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।

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कजरी तीज कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी एक गांव में रहते थे। वे अत्यंत गरीब थे, लेकिन महिला बहुत धर्मपरायण और भगवान शिव-पार्वती की उपासक थी। श्रावण के बाद जब भाद्रपद का महीना शुरू हुआ, तब उस स्त्री ने कजरी तीज का व्रत करने का संकल्प लिया। उसका विश्वास था कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और सुख-शांति आती है। व्रत के दिन वह प्रात: काल स्नान कर, निर्जल उपवास रख भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने लगी। लेकिन उसकी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि पूजा में भगवान को भोग में क्या अर्पित करें क्योंकि घर में खाने को कुछ भी नहीं था।

 बहुत खोजने के बाद उसे एक कच्चा पेठा मिला। उसने वही पेठा धोकर साफ किया और पूरी श्रद्धा से भगवान को भोग लगा दिया। उसी गांव की रानी भी उस दिन कजरी तीज का व्रत कर रही थी। उसी गांव की रानी भी उस दिन कजरी तीज का व्रत कर रही थी। उसने सोने-चांदी के बर्तनों में भव्य पकवान बनाए, रत्नों से सजे मंदिर में पूजा की, लेकिन उसका मन दिखावे और अहंकार से भरा था। शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती ने दोनों भक्तों की भक्ति की परीक्षा ली। 

वे ब्राह्मण स्त्री के घर एक साधु के वेश में पहुंचे और वह कच्चा पेठा मांगा जो उसने भोग में चढ़ाया था। उसी स्त्री ने मुस्कुराते हुए प्रेमपूर्वक वह पेठा उन्हें दे दिया। साधु रूप में आए भगवान ने कहा- हे देवी! तुम्हारी श्रद्धा, समर्पण और सच्चे भाव से हम अत्यंत प्रसन्न हैं। तुम्हारा घर शीघ्र ही धन-धान्य से भर जाएगा और पति की दीर्घायु सुनिश्चित होगी। इसके बाद उस गरीब दंपत्ति के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन हुआ। घर में समृद्धि आई, पति स्वस्थ और दीर्घायु रहे और दंपत्ति सुखमय जीवन बिताने लगे।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

कजरी तीज 2025 पर क्या करें क्या न करें

क्या करें

  • सात्विक जीवन शैली अपनाएं। मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक रहें। निर्जल व्रत रखें इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए बिना जल पिए उपवास करती हैं। 
  • सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहने। इस दिन हरे या पीले रंग के कपड़े पहनें।
  • इस दिन झूला झूलें और कजरी गीत गाएं।
  • इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद सुहागन को सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि देने से पुण्य मिलता है।
  • रात्रि में चंद्र दर्शन करके दूध और जल से अर्घ्य जरूर दें। इससे मन की शांति और पति के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • इस दिन मन में सकारात्मक भावनाएं लाएं और मधुर वाणी में बात करें।
  • कजरी तीज पर सोलह श्रृंगार करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे सौभाग्य स्थायी रहता है।

क्या न करें

  • इस दिन कोई भी बहस, तनाव या कठोर शब्दों से बचना चाहिए। यह व्रत शांत और प्रेमपूर्ण मन से करना चाहिए।
  • यदि व्रत नहीं भी कर रही हैं, तो भी इस दिन लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब के सेवन से पूरी तरह परहेज करें।
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार, व्रतधारी महिला को कजरी तीज के दिन झाड़ू या पोछा नहीं लगाना चाहिए।
  • इस दिन काले व नीले रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि यह रंग इस दिन अशुभ माने जाते हैं। कोशिश करें हरा, पीला या गुलाबी रंग पहनें।

कजरी तीज 2025 पर राशि अनुसार उपाय

राशिउपाय
मेष राशिनीम की डाली से बनी झूले पर कजरी गीत गाएं, मनोकामना पूरी होगी।
वृषभ राशिकाले चने का भोग चढ़ाएं, घर में सुख-शांति बढ़ेगी।
मिथुन राशिकेले के पत्ते पर भोग अर्पित करें, वाणी में मधुरता आएगी।
कर्क राशिचांदी का छोटा दीपक जलाएं, दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।
सिंह राशिपीले वस्त्र पहनें, मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
कन्या राशितांबे के लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य दें, मानसिक शांति मिलेगी।
तुला राशिसुहाग सामग्री का दान करें, भाग्य मजबूत होगा।
वृश्चिक राशिलाल फूल चढ़ाएं, रुके काम बनेंगे।
धनु राशिमीठा भोग बनाएं और चंद्रमा को दिखाएं, आर्थिक लाभ होगा।
मकर राशितिल से दीपक जलाएं, रोगों से मुक्ति मिलेगी।
कुंभ राशिपंचामृत से चंद्रमा को अर्घ्य दें, विवेक में वृद्धि होगी।
मीन राशितुलसी पत्र और मिश्री का भोग चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी।

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कजरी तीज पर जरूर करें ये खास उपाय

रिश्तों में प्रेम बढ़ाने के लिए

कजरी तीज की शाम को शिव-पार्वती की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। हाथ में सात साबुत काली मिर्च लें और पति के नाम का स्मरण करते हुए एक-एक करके आग में डालें। हर मिर्च डालते समय मन ही मन कहें- हे महादेव, हमारे दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बना रहे।

ससुराल में सम्मान व सुख के लिए

कजरी तीज की पूजा के बाद पांच नारियल, पांच सुहाग की सामग्री (चूड़ी, सिंदूर, बिंदी आदि) और कुछ मिठाई किसी सुहागन स्त्री को दान करें। दान करते समय यह न कहें कि दान ले लीजिए, बल्कि आदरपूर्वक उन्हें सम्मान बैठाकर दें। इससे ससुराल पक्ष में प्रतिष्ठा और सिख बना रहता है।

मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए

चंद्रमा को अर्घ्य देते समय मिश्री और तुलसी पत्ता जल में डालें। अर्घ्य देते हुए मन में प्रार्थना करें-हे चंद्रदेव, मुझे मेरे योग्य सच्चा जीवनसाथी प्रदान करें। इसके बाद मंदिर में 11 तुलसी पत्ते चढ़ाएं और ॐ सोम सोमाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।

घर में कलह खत्म करने के लिए

कजरी तीज की रात घर के मुख्य दरवाजे पर गाय के घी का दीपक जलाएं। दीपक में सात काली मिर्च डालें और जलता हुआ दीपक चुपचाप घर के किसी कोने में रख दें। ऐसा मानना है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर का वातावरण शांत होता है।

आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए

एक नींबू को चार टुकड़ों में काटें। हर टुकड़े को घर के चारों कोनों में रख दें और अगले दिन सुबह उन्हें बहते जल में प्रवाहित करें। ऐसा तीन शुक्रवार लगातार करें। धन की रुकवटें दूर होंगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कजरी तीज 2025 कब मनाई जाती है? 

कजरी तीज हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह हरियाली तीज के लगभग 15 दिन बाद आती है, और आमतौर पर रक्षाबंधन के बाद होती है।

कजरी तीज का व्रत कौन रखता है?

यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियां रखती हैं। वे अपने पति की लंबी उम्र, दांपत्य सुख और परिवार की समृद्धि के लिए उपवास करती हैं।

कजरी तीज पर व्रत रखने पर क्या पूरा दिन निर्जल रहना होता है?

हां, अधिकतर महिलाएं निर्जल उपवास करती हैं। ले यदि स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो, तो फलाहार या जल ग्रहण कर सकते हैं, नियमपूर्वक।