वर्ष 2024 भविष्यवाणी: नए साल में इन राशियों के लोग खरीदेंगे बंगला-गाडी, प्रॉपर्टी में होगी वृद्धि
हर कोई चाहता है कि उनके पास अपना घर हो, घूमने-फिरने के लिए गाड़ी हो और अच्छा जीवन जीने के लिए खूब धन-संपदा हो। नए साल के आगमन के साथ ही इन सपनों को जैसे पंख से लग जाते हैं और जिन लोगों के पास अपना घर नहीं है या जो नया वाहन लेने की सोच रहे हैं, उनके मन में आशा की एक किरण जागने लगती है।
अगर आप भी लंबे समय से अपना घर बनाने या वाहन आदि खरीदने की सोच रहे हैं लेकिन किसी न किसी वजह से आपका यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है और अब आप नववर्ष में अपने इन सपनों के पूरा होने की उम्मीद लगाकर बैठे हैं, तो इस ब्लॉग के ज़रिए आप जान सकते हैं कि वर्ष 2024 में किन राशियों के जातकों को धन और वाहन के साथ-साथ खूब संपत्ति प्राप्त होगी।
तो चलिए जानते हैं उन खास राशियों के बारे में जिन्हें वर्ष 2024 में घर, संपत्ति और वाहन का सुख प्राप्त होगा।
आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा आने वाला साल? विद्वान ज्योतिषियों से जानें इसका जवाब
मेष राशि: आपके लिए वर्ष 2024 अनुकूल रहने वाला है। साल की शुरुआत का समय आपके लिए अच्छा रहेगा। वाहन खरीदने के लिए जुलाई का महीना शुभ रहेगा। सफेद या सिल्वर रंग का वाहन आपके लिए शुभ रहेगा। इस साल आप अपनी किसी बड़ी संपत्ति को बेच सकते हैं और अगर आप अपना घर बनाने की सोच रहे हैं, तो मई के बाद का समय आपके लिए उत्तम रहेगा। फरवरी और मार्च के दौरान आप कोई संपत्ति खरीद सकते हैं। वहीं जून और जुलाई में भी आपको अचल संपत्ति प्राप्त करने का मौका मिलेगा।
कर्क राशि: संपत्ति और वाहन खरीदने के मामले में साल के पहले तीन महीने आपके लिए बहुत अनुकूल रहेंगे। इस साल आपके नया वाहन खरीदने के भी योग बन रहे हैं। हालांकि, आपको18 जनवरी से 12 फरवरी और 12 फरवरी से 7 मार्च के बीच वाहन खरीदने से बचने की सलाह दी जाती है। यह समय व तिथियां आपके लिए शुभ नहीं हैं। वहीं संपत्ति खरीदने के लिए भी साल की शुरुआत का समय अच्छा साबित होगा। जनवरी से मार्च के बीच आप किसी खूबसूरत जगह पर जमीन या घर खरीद सकते हैं। अगस्त, नवंबर और दिसंबर में आप किसी बड़ी संपत्ति के क्रय-विक्रय से लाभ कमा सकते हैं।
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सिंह राशि: साल की शुरुआत सिंह राशि के लोगों के लिए अच्छी साबित होगी। शुक्र और बुध के आपके चौथे भाव में रहने की वजह से आपको वाहन का सुख प्राप्त होगा। यह वाहन आपको सुख सुविधाओं से सुसज्जित मिलेगा और आप उसकी खूबियों पर अधिक ध्यान देंगे। आपके लिए जनवरी से फरवरी और फिर अगस्त से लेकर नवंबर तक नया वाहन खरीदने के योग बन रहे हैं। जून अगस्त के बीच आप कोई बड़ी संपत्ति खरीद सकते हैं। आपको संपत्ति के क्रय-विक्रय से भी लाभ हाेगा जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी।
कन्या राशि: जनवरी का महीना संपत्ति को लेकर बहुत ज्यादा शुभ साबित होगा। आपको सरकार की ओर से भी कोई लाभ मिलने की संभावना है। आप अगस्त और सितंबर तथा नवंबर के महीने में संपत्ति खरीद सकते हैं। वाहन खरीदने के लिए फरवरी का महीना सही रहेगा। मई, जून और सितंबर से अक्टूबर तक का समय भी वाहन लेने के लिए उपयुक्त रहेगा।
तुला राशि: वाहन और संपत्ति के मामले में तुला राशि के लोगों के लिए यह साल फलदायी साबित होगा। वर्ष के पूर्वार्ध में वाहन खरीदना उत्तम रहेगा। इस समय वाहन लेने के लिए आपका लोन भी आसानी से हो जाएगा। 5 फरवरी से 15 मार्च के बीच वाहन खरीदना और भी ज्यादा शुभ रहेगा। जमीन की बजाय बना बनाया मकान लेना ज्यादा अच्छा रहेगा। आपके लिए फरवरी, अप्रैल और अक्टूबर से नवंबर के बीच संपत्ति खरीदने के योग बन रहे हैं।
वृश्चिक राशि: संपत्ति और वाहन के मामले में वृश्चिक राशि के लोगों के लिए यह साल अच्छा साबित होगा। आपको अचल संपत्ति प्राप्त होगी। पुराने घर की मरम्मत, घर की सजावट या घर में कोई बदलाव लाने का काम करवा सकते हैं। बैंक से लोन लेकर घर खरीदना है, तो 15 मार्च से 23 अप्रैल तक का समय अनुकूल रहेगा। आप खाली प्लॉट पर अपना घर बनवाने का काम शुरू कर सकते हैं। 7 मार्च 31 मार्च के बीच वाहन खरीदना शुभ रहेगा।
मकर राशि: आपके लिए चल-अचल संपत्ति के योग बन रहे हैं। जनवरी से अप्रैल तक का समय संपत्ति में लाभ पाने के लिए शुभ रहेगा। आपको पैतृक संपत्ति मिलने की भी संभावना है जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी। मार्च से लेकर मई तक का समय वाहन खरीदने के लिए अनुकूल रहेगा।
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कुंभ राशि: साल की शुरुआत में आपको वाहन या संपत्ति खरीदने का मौका मिलेगा। जनवरी का महीना वाहन और संपत्ति की दृष्टि से बहुत ज्यादा शुभ रहने वाला है। अगर आप कोई बढ़िया संपत्ति खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए जून से अगस्त तक का समय अत्यंत अनुकूल रहने रहेगा।
मीन राशि: साल की शुरुआत में मीन राशि के जातकों के लिए अचल संपत्ति खरीदने के योग बन रहे हैं। आप कोई बड़ी संपत्ति खरीद सकते हैं जिससे आपको आर्थिक लाभ भी होगा। जनवरी, मार्च, जून से जुलाई, अक्टूबर और नवंबर में आपको संपत्ति के क्रय-विक्रय से लाभ होने की संभावना है। वहीं जनवरी, अप्रैल और जून तथा नवंबर के महीने वाहन लेने के लिए उपयुक्त रहेंगे।
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गणतंत्र दिवस 2024 विशेष: धूमधाम से मनेगा भारत का 75 वां गणतंत्र दिवस
26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था और इस तरह से भारत गणराज्य बन गया है। इस साल भारतवासी 75 वां गणतंत्र दिवस 2024 मनाएंगे। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भारत का गणतंत्र दिवस पूरे जोश खरोश से मनाया जाएगा। इसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभिन्न राज्यों की विशेष झांकियां सभी का मनमोह लेने को तैयार दिखेंगी। सेना की विभिन्न टुकड़ियों को अलग-अलग रूपों में देखना और उनके रोमांच से रोंगटे खड़े हो जाने की स्थिति प्रत्येक भारतवासी को अपने आप पर गर्व करने का मौका प्रदान करती है।
यह एक जोश और रोमांच की पराकाष्ठा का समय होता है और यही वजह है कि देश के नौजवान, देश के किसान, देश के जवान और आम जनता के साथ-साथ विदेशी देशों में बसे भारतीयों और अनेक विदेशी देशों की दृष्टि भी भारत के इस गणतंत्र दिवस पर बनी रहती है क्योंकि वे सभी जानना चाहते हैं कि इस बार की गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में खास आकर्षण क्या-क्या हो सकते हैं। वैसे भी यह भारत का 75 वां गणतंत्र दिवस होगा तो कुछ न कुछ विशेष की तो आप उम्मीद कर ही सकते हैं। आने वाला प्रत्येक वर्ष हमारे लिए उत्तम भविष्य की एक अच्छी और नई उम्मीद लेकर आता है। ऐसे में जब चारों तरफ युद्ध की विभीषिका की स्थिति उत्पन्न हो रही है तो लिए इस लेख के माध्यम से हम जानने की कोशिश करते हैं कि कैसा रहने वाला है यह गणतंत्र दिवस 2024 और यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि वैदिक ज्योतिष वर्ष 2024 में भारत के भविष्य के विषय में क्या कुछ विशेष बताने का प्रयास कर रहा है।
भारत एक ऐसा देश है जिसने लंबे समय से विदेशी आक्रांताओं के अत्याचार को सहा और उसके बावजूद वह अपनी क्षमता और प्रदर्शन के कारण सभी चुनौतियों को दरकिनार करते हुए फिर से उठ खड़ा हुआ और अपना एक अलग मुकाम प्राप्त किया है। यह कोई आसान बात नहीं कि हमने जिस प्रकार से अनेक कठिन चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए अपने गणतंत्र को बचाए रखा और सारी दुनिया के लिए एक मिसाल पेश की है। यह हमारे लिए एक गौरव को प्रदान करने वाला वह विशेष पल है, जब हमें अपने देश के सम्मान, देश की नीतियों और अपनी सेना पर गर्व का अनुभव होता है। हमने क्या विकास किया है, यह हमारे लिए फक्र से सीना चौड़ा करने वाला पल होता है। आज हमारी सेना का ही यह दम है कि हम आज भी अपने घरों में अत्यंत सुरक्षित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस बार गणतंत्र दिवस 2024 में भी कुछ विशेष बातें सभी के आकर्षण का केंद्र होने वाली हैं। चलिए एक नजर डालते हैं कि ऐसा क्या विशेष होने वाला है इस बार के 75 वें गणतंत्र दिवस समारोह में:
इस बार के गणतंत्र दिवस की मुख्य थीम नारी शक्ति होगी। 7 फरवरी 2023 को एक डी ब्रीफिंग बैठक आयोजित की गई थी। इसमें विचार विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया कि आने वाले गणतंत्र दिवस के मौके पर यानी की 26 जनवरी 2024 को कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में शामिल मार्चिंग और बैंड टुकड़ियों, झांकियां और अन्य प्रदर्शनों में केवल महिला प्रतिभागी ही दिखाई देंगी। हालांकि यह कुछ और समय बाद ही पता चल पाएगा कि क्या ऐसा वास्तव में हो पाएगा या अभी इसमें कुछ संशय है।
एक अन्य संभावना यह भी है कि भारत द्वारा क्वॉड देशों यानी कि ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के प्रमुखों को भारत के इस महान पर्व का साक्षी बनने के लिए मुख्य अतिथि बनाए जाने की कोशिशें जारी हैं।
देश की सेनो में महिलाओं को विशेष महत्व दिया जा रहा है। आज भारतीय सेना में महिलाओं के लिए आर्टिलरी रेजिमेंट भी खोली गई है। इसके अतिरिक्त लड़ाकू भूमिकाओं में भी महिलाओं की तैनाती हुई है। अनेक महिला अधिकारी सर्वाधिक संवेदनशील पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर भी नियुक्त की गई हैं। इससे पता चलता है कि भारत में नारी शक्ति को एक विशेष महत्व दिया जा रहा है।
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इस बार के गणतंत्र दिवस के दौरान होने वाली परेड को भरपूर चाक चौबंद और सुरक्षा व्यवस्था से लैस किया जाएगा और अनेक सीसीटीवी कैमरों की मदद से चप्पे चप्पे पर नजर रखी जाएगी, जिससे किसी भी प्रकार की सामाजिक गतिविधि और संवेदनशील गतिविधि से बचा जा सके और परेड निर्विघ्न संपन्न हो।
इस दौरान अपने देश की विभिन्न झांकियां और सेना के विशेष विमानों और आयुधों को देखने का मौका प्राप्त होगा और देश में ही निर्मित अनेक प्रकार के अत्याधुनिक संसाधनों का प्रदर्शन किया जाएगा।
इस बार 26 जनवरी 2024 की परेड के लिए मुख्य अतिथि के रूप में भारत की केंद्र सरकार द्वारा और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन को मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रण भेजा गया है। यदि वे इस निमंत्रण को स्वीकार कर लेते हैं तो भारत की सक्षम और शक्तिशाली सेना और भारत के विकास के प्रदर्शन के साक्षी बनेंगे। इससे पहले साल 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे। 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था लेकिन आने की इच्छा के बावजूद अपनी घरेलू प्रतिबद्धताओं के कारण वह शामिल नहीं हो सके थे।
26 जनवरी 2024 की परेड की शुरुआत करने से पहले देश के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट पर जाकर अमर जवान ज्योति और उसके बाद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया जाएगा और शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
यह भारतीय गणतंत्र का 75 वां गणतंत्र दिवस होगा इसलिए इसमें विशेष प्रकार की झांकियों को सम्मिलित किया जा सकता है और उत्साह और रोमांच से भरपूर यह गणतंत्र दिवस समारोह सभी के आकर्षण का केंद्र होने की प्रबल संभावना है। अंतरिक्ष और सैन्य क्षेत्र में बढ़ते भारत के महत्वपूर्ण कदमों को इंगित करते हुए प्रदर्शन की भी विशेष उम्मीद है।
वैदिक ज्योतिष की दृष्टि से 2024 का भारत
वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत वर्ष 2024 में गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर भारत के लिए जो मुख्य भविष्यवाणी की गई हैं, वे भारतवर्ष के बारे में अनेक प्रकार की स्थितियों से अवगत कराने में सक्षम हैं। वे भारतवर्ष के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों के बारे में बहुत कुछ संकेत दे रही हैं। आइए जानते हैं कि सितारों की गणना और ग्रहों की चाल देश की धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियों को किस प्रकार प्रभावित कर सकती हैं। इस भविष्यवाणी को अच्छी तरह से समझने के लिए हमने स्वतंत्र भारत की कुंडली नीचे दी है:
(स्वतंत्र भारत की कुंडली)
वैसे तो भारत प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है और भारत की प्रभाव राशि मकर राशि को माना जाता है लेकिन आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत को अंग्रेजों की दास्तां से 15 अगस्त 1947 को मुक्ति मिली और तब से स्वतंत्र भारत अस्तित्व में आया। इस कुंडली से अनेक प्रकार की गतिविधियों का आंकलन किया जाता है इसलिए हमने भी इस कुंडली को आपके समक्ष प्रस्तुत किया है।
स्वतंत्र भारत की इस कुंडली में वृषभ लग्न उदित हो रहा है जिसमें राहु महाराज विराजमान हैं और सप्तम भाव में वृश्चिक राशि में केतु उपस्थित हैं। दूसरे भाव में मिथुन राशि में मंगल हैं तथा तीसरे भाव में कर्क राशि में चंद्रमा के साथ सूर्य, शनि, बुध और शुक्र विराजमान हैं। देवगुरु कहे जाने वाले बृहस्पति ग्रह तुला राशि में इस कुंडली के छठे भाव में स्थित हैं।
इस प्रकार स्वतंत्र भारतवर्ष की कुंडली वृषभ लग्न और कर्क राशि तथा पुष्य नक्षत्र की है। इस कुंडली के लिए शनि एक बहुत महत्वपूर्ण और योगकारक ग्रह हैं क्योंकि वह भाग्य और कर्म भाव यानी कि नवम और दशम भाव के स्वामी हैं।
स्वतंत्र भारतवर्ष की कुंडली के अनुसार चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का प्रभाव वर्ष 2024 के दौरान दिखाई पड़ने वाला है क्योंकि जुलाई 2023 से लेकर मार्च 2025 तक चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का प्रभाव रहने वाला है। यदि मुख्य ग्रहों की बात की जाए तो शनि महाराज पूरे वर्ष दशम भाव में डेरा जमाए रखेंगे। देवगुरु बृहस्पति मई तक द्वादश भाव में और उसके बाद प्रथम भाव में गोचर करेंगे तथा राहु और केतु क्रमश: पूरे वर्ष एकादश और पंचम भाव में बने रहेंगे।
आइये अब यह जानते हैं कि स्वतंत्र भारतवर्ष की कुंडली और ग्रहों का गोचर भविष्य के भारत की कैसी तस्वीर गढ़ते हैं:
2024 में भारत का राजनीतिक परिदृश्य
वर्ष 2024 भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष साबित होगा क्योंकि इसी वर्ष लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों के दौरान विभिन्न प्रकार की उथल-पुथल से भरा माहौल रहने वाला है। राजनीतिक दृष्टिकोण से सामाजिक और धार्मिक कार्यों में बढ़ोतरी होगी। शनि की दशम भाव में स्थिति होने से कुछ नए घोटाले प्रकाश में आ सकते हैं लेकिन सरकार की योजनाओं से मजदूर वर्ग और रेलवे कर्मचारियों में असंतोष की भावना बढ़ सकती है और देश में धरने प्रदर्शन और हड़ताल आदि की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
देश में सत्तासीन वर्तमान सरकार को सफलता मिल सकती है लेकिन आंतरिक कलह का सामना करना पड़ सकता है। कुछ अपने ही निकटतम व्यक्ति विश्वासघात कर सकते हैं और कई राजनीतिक निर्णयों पर विवाद खड़े हो सकते हैं। सबसे सफल कहीं जाने वाली विदेश नीति पर भी प्रश्न खड़े होने के संभावना बनेगी। इस वर्ष विपक्ष सशक्त होने के योग बनेंगे और सरकार को अपने कुछ निर्णयों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
यदि कुछ विशिष्ट राजनीतिक दलों की बात की जाए तो भारतीय जनता पार्टी को इस वर्ष विपक्षी दलों द्वारा कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। कुछ अपने बागी हो जाएंगे और कुछ दूसरे दल भाजपा में आकर मिल जाएंगे। बागियों को साथ लाने की दिशा में प्रयास होंगे। विदेश व्यापार बढ़ाने और पिछड़े लोगों के हित में काम होंगे। धार्मिक संस्थाओं की उन्नति होगी। कुछ योजनाएं विलंब के कारण अटक सकती हैं। कुछ नए राजनीतिक समीकरणों में भी जाना पड़ेगा। आवासीय योजनाओं को गति मिलेगी और पिछड़े वर्ग के लोगों को समर्थन प्राप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।
यदि कांग्रेस की बात की जाए तो कई जगह पर गठबंधन असफल होगा लेकिन कई क्षेत्रों में यह दल राजनीतिक सफलता का कुछ नया अध्याय लिखने में कामयाब हो सकता है। समाजवादी पार्टी अन्य पार्टियों से गठबंधन से लाभान्वित हो सकती है। वरिष्ठ नेताओं और युवा कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद हो सकते हैं और विरोधी प्रबल होंगे। इस दल के लोगों को आरोपों और आक्षेपों का प्रतिवाद करने के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि सरकार के गठन में भागीदारी कर सकते हैं।
इस वर्ष भारत को चीन से विशेष रूप से संबंधों पर विचार विमर्श करने पर ध्यान देना होगा क्योंकि चीन से संबंध बिगड़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त पाकिस्तानी गुप्तचर गतिविधियों को बारीक दृष्टि से देखने पर कई नई बातें सामने आ सकती हैं।
2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था
यदि वर्ष 2024 के दौरान भारत के अर्थव्यवस्था की बात की जाए तो विश्व के अनेक देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से उन्नति करेगी। हालांकि महंगाई दर में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने के बावजूद वह थम जाएगी और भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इस बार औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी जिससे देश की जीडीपी में सुधार हो सकता है। सरकार और रिजर्व बैंक आफ इंडिया की कुछ योजनाओं के कारण बैंकों से लेनदेन कुछ कठिन हो सकते हैं लेकिन ब्याज आदि पर कुछ लाभ मिलने के योग बनेंगे, जिससे लोगों का रुझान बैंकों से लोन लेने पर रहेगा और इससे भी लाभ होगा। अर्थव्यवस्था में और अधिक फायदे के लिए अनेक स्वदेश निर्मित वस्तुओं के उत्पादन में बढ़ोतरी होने से देश को लाभ होगा। वर्ष 2024 की पहली तिमाही अधिक तेजी से आगे बढ़ेगी। दूसरी और तीसरी तिमाही में अपेक्षाकृत कुछ कमी आएगी लेकिन चौथी तिमाही आर्थिक रूप से और अच्छी सफलता प्रदान कर सकती है।
शेयर मार्केट उतार-चढ़ाव के बाद नए कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब हो सकता है। इस वर्ष विदेशी निवेशकों का बोलबाला अधिक रहने की संभावना रहेगी। इस बार का बजट विशेष रूप से सैन्य उपकरणों, ऑटोमोबाइल सेक्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित हो सकता है। इसके अतिरिक्त देश के मजदूरों, किसानों और गरीब तबके के लोगों के लिए किसी विशेष आर्थिक योजना की शुरुआत हो सकती है।
2024 में भारत और धर्म
चंद्र राशि से बृहस्पति का गोचर दशम भाव में हो रहा है और मई के महीने से यह चंद्रमा से एकादश भाव में होगा जिससे धर्म के मामले में इस वर्ष बढ़-चढ़कर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सर्वप्रथम तो जनवरी के महीने में ही श्री राम मंदिर में रामलला विराजमान होने से ही यह वर्ष राममय हो जाएगा। वर्ष के मध्य में इन गतिविधियों में और तेजी आएगी और कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा विशेष रूप से उठ सकता है। हालांकि देश में अनेक धार्मिक कार्यक्रमों के संपन्न होने के बावजूद दशम भाव में शनि का भी गोचर कुंभ राशि में होने के कारण न ही कोई अप्रिय घटना होने के योग बनेंगे और न ही कोई बहुत अच्छी स्थिति होगी यानी कि यह समय सामान्य समय की भांति व्यतीत होगा, फिर भी आंतरिक संघर्ष के प्रति सावधानी रखनी होगी।
26 जनवरी 1950 के बाद अब साल 2024 में जब भारत अपना 75 वां गणतंत्र दिवस मनाएगा तो अनेक चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए भारत अनेक परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश करेगा। कुंडली के व्यय भाव से गुरु का गोचर हो रहा है जो देश में विरोधी तत्वों और आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के सफल प्रयासों की ओर इशारा करता है। देश में अनेक धार्मिक कार्यक्रम संपन्न होंगे जिसमें राम मंदिर की स्थापना भी शामिल है। यह देशवासियों के दिल में भगवान श्री राम के प्रति आस्था को और भी अधिक बढ़ाएंगे। देश में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विशेष रूप से तरक्की होने के योग बन सकते हैं। देश की जीडीपी में भी अच्छा सुधार देखने को मिलेगा और औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों को और ज्यादा बजट में स्थान देकर उन पर अधिकांश व्यय किया जाएगा। हालांकि देश के खाद्यान्न भंडारों और आर्थिक मुद्दों पर चिंताजनक स्थिति का सामना भी करना पड़ सकता है।
भारत के पड़ोसी और मित्र देशों से संबंध उतार-चढ़ाव से भरे रहेंगे। आम जनता के लिए मानसिक संघर्ष का समय हो सकता है और आपस में कोर्ट कचहरी में विवादों की संख्या बढ़ सकती है। कई कंपनियों का विलय हो सकता है और बड़े बैंकों का भी आपस में विलय होने के योग बन सकते हैं। जो बड़े औद्योगिक घराने हैं, वे छोटी कंपनियों का अधिग्रहण करने में सक्षम होंगे और ऐसा करेंगे। कुछ नए घोटाले के भी सामने आने के योग बनेंगे। समुद्री सीमाओं और समुद्री क्षेत्र में दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं। इस प्रकार भारत को अनेक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करना होगा।
26 जनवरी 1950 के दिन भारत का संविधान लागू होते ही भारत एक महान गणतंत्र देश बन गया था, तब से प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने की परंपरा चली आ रही है। भारत में इसे एक राजपत्रित अवकाश के रूप में मान्यता दी गई है और राष्ट्रीय पर्व के रूप में इसे मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह 75 वां गणतंत्र दिवस होगा जो कि एक विशेष अवसर और प्रत्येक भारतवासी के लिए गर्व का पल होगा। हमें इस अवसर पर यह याद रखना चाहिए कि यह आजादी हमें आसानी से नहीं मिली बल्कि अनेक रणबांकुरों ने अपने जीवन को न्योछावर कर दिया, तब हमें अंग्रेजों से आजादी मिली और तभी हम सक्षम हो पाए कि हम अपना अलग संविधान बनाने में कामयाब हों इसलिए हमें भारतीय गणतंत्र में आस्था रखनी चाहिए और देश के संविधान को हृदय से स्वीकार करते हुए उसके अनुसार अपने जीवन में बदलाव लाने चाहिए।
एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को गणतंत्र दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोसेज के साथ। धन्यवाद !
महाकुंभ मेला 2025: कुंभ मेले में इस तिथि से शुरू होगा शाही स्नान
कुंभ मेले को विश्व के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव के रूप में जाना जाता है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग कोने से लोग कुंभ मेले में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। मान्यता है कि जाे भी व्यक्ति कुंभ के मेले में पवित्र नदी में स्नान करता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप भी इस बार महाकुंभ 2025 में शाही स्नान कर के अपने पापों से मुक्ति पा सकते हैं। कुंभ का अर्थ घड़ा होता है और भारत में इस मेले का बहुत ज्यादा महत्व है। ऋषि-मुनियों के युग से ही कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता रहा है।
आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा आने वाला साल? विद्वान ज्योतिषियों से जानें इसका जवाब
ऐस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आगे बताया गया है कि अगले कुंभ मेले का आयोजन कब और किस स्थान पर किया जाएगा, महाकुंभ 2025 का क्या महत्व है और आप किन तिथियों पर शाही स्नान कर सकते हैं।
महाकुंभ मेला 2025
वर्ष 2025 में कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है। इस मेले की शुरुआत 29 जनवरी से होगी। हर तीन साल में भारत के चार स्थानों पर कुंभ का मेला लगता है इसलिए अब 12 वर्षों के बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इस पवित्र उत्सव में हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। कुंभ के मेले की इतनी मान्यता है कि हर उम्र के लोग, बूढ़े से लेकर बच्चे तक कुंभ स्नान में डुबकी लगाने के लिए आते हैं।
महाकुंभ मेले का महत्व
जब मेष राशि के चक्र में सूर्य, देवताओं के गुरु बृहस्पति और चंद्रमा मकर राशि के अंदर प्रवेश करते हैं, तब महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। आखिरी बार यह संयोग 2013 में बना था और तब प्रयागराज में कुंभ मेला लगा था। अब 12 सालों के बाद यह संयोग 29 जनवरी को 2025 में बनने जा रहा है। इसी तिथि से कुंभ के मेले का आयोजन किया जाएगा। 29 जनवरी से लेकर 08 मार्च तक आप कुंभ के मेले में जाकर पवित्र नदी में डुबकी लगा सकते हैं।
महाकुंभ 2025 के शाही स्नान की तिथियां
इस बार प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ के शाही स्नान की तिथियां इस प्रकार हैं:
महाकुंभ के मेले के शाही स्नान की शुरुआत 13 जनवरी से होगी। इस दिन पौष पूर्णिमा पड़ रही है और पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है।
इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर शाही स्नान का आयोजन किया जाएगा।
29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भी शाही स्नान किया जाएगा।
03 फरवरी को वसंत पंचमी पर भी श्रद्धालु शाही स्नान करने का लाभ उठा सकते हैं।
04 फरवरी को अचला सप्तमी पर भी शाही स्नान किया जाएगा।
12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन भी श्रद्धालु कुंभ के मेले में आकर शाही स्नान करेंगे।
08 मार्च को महाशिवरात्रि है और इस दिन भी शाही स्नान का प्रंबंध किया जाएगा।
29 जनवरी को सिद्धि योग भी बन रहा है जो कि 28 जनवरी को 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 29 जनवरी को रात 09 बजकर 21 मिनट पर समाप्त। वैदिक ज्योतिष में सिद्धि योग को बहुत ही शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। सिद्धि योग में कुंभ स्नान करने से श्रद्धालुओं को असीम पुण्य की प्राप्ति होगी।
इस दिन अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 07 बजकर 38 मिनट से होगी जो कि 29 जनवरी को शाम 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
कैसे तय होती है महाकुंभ की तिथि
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों और राशियों की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद महाकुंभ की तिथि निर्धारित की जाती है। कुंभ मेले की तिथि निर्धारित करने के लिए सूर्य और बृहस्पति को महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुंभ का स्थान चुना जाता है, जो कि निम्न प्रकार से है:
प्रयागराज: जब बृहस्पति वृषभ राशि में होते हैं और सूर्य मकर राशि में विराजमान होते हैं, तो मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है।
हरिद्वार: जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तब कुंभ का मेला हरिद्वार में लगता है।
नासिक: जिस समय सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में विराजमान होते हैं, तो उस दौरान कुंभ का मेला महाराष्ट्र के नासिक में लगता है।
उज्जैन: बृहस्पति के सिंह राशि में और सूर्य के मेष राशि में होने पर उज्जैन में महाकुंभ होता है।
महाकुंभ 2025 का इतिहास
मान्यता है कि कुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से है। इस मेले की कथा के बारे में कहा जाता है कि एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्य देवता कमज़ोर पड़ गए थे। इसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी। तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें सारी बात बताई। भगवान विष्णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी।
सभी बारह राशियों का सबसे विस्तृत 2024 फलादेश: राशिफल 2024
जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया। यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्यों के हाथ में अमृत कलश आ गया। इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था।
समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं इसलिए इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। हर 3 साल में महाकुंभ होता है और इस तरह 2013 के बाद 12 सालों के बाद वर्ष 2025 में कुंभ का मेला प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है।
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बुध के मकर में गोचर से देश-दुनिया में आएंगे अहम बदलाव-7 राशियों पर भी पड़ेगा विशेष असर!
ऐस्ट्रोसेज की हमेशा से यही कोशिश रही है कि हम किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की जानकारी आपको समय से पहले दे सकें और इसी कड़ी में हम आपके लिए यह खास ब्लॉग लेकर आए हैं जिसमें हम जानेंगे जल्द होने वाले बुध के गोचर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों की जानकारी। आपकी जानकारी के लिए बता दें 1 फरवरी 2024 को बुध मकर राशि में गोचर कर जाएगा। यह खास ब्लॉग इसी विषय पर तैयार किया गया है।
तो चलिए अपने इस खास ब्लॉग के माध्यम से जान लेते हैं कि बुध के मकर राशि में गोचर का राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानेंगे बुध के इस गोचर का देश दुनिया पर क्या असर पड़ने की संभावना है, कुंडली में मजबूत बुध जीवन में क्या सुख जातक को प्रदान करता है, आदि बातों की जानकारी।
सबसे पहले बात करें मजबूत बुध की तो, अगर कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो इससे जातक के जीवन में सभी आवश्यक संतुष्टि, उत्तम स्वास्थ्य और मजबूत दिमाग व्यक्ति को प्राप्त होता है। कुंडली में मजबूत बुध व्यक्ति को ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने में उच्च सफलता के साथ सभी सकारात्मक परिणाम भी प्रदान करता है और यह ज्ञान जातकों को व्यवसाय के संबंध में अच्छे निर्णय लेने में मददगार साबित होता है।
जिन जातकों की कुंडली में बुध मजबूत होता है ऐसे लोग सट्टेबाजी और व्यापार में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ऐसे जातक ज्योतिष, रहस्यवाद आदि जैसी गुण विद्याओं में ज्यादा सफलता प्राप्त करते हैं।
बात करें मकर राशि की तो, यह राशि मुख्यतः सुरक्षा, आत्मा, आश्वासन से जुड़ी हुई राशि मानी जाती है और यह शनि द्वारा शासित होती है। ऐसे में शासक शनि की गंभीरता भी मकर राशि में देखने को मिलती है। बुध शनि के साथ मित्रता वाले संबंध रखते हैं इसलिए मकर राशि में अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम प्रदर्शन करते हुए अधिकतर अच्छा व्यवहार करते हैं।
सबसे पहले बात करें समय की तो, बुध का यह गोचर 1 फरवरी 2024 को होने वाला है। जब 14:08 पर बुध शनि द्वारा शासित मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। बुध और शनि एक दूसरे के मित्र हैं और मकर राशि में गोचर के दौरान बुध ज्यादातर राशियों के लिए अनुकूल ही रहने वाले है। चलिए अब जान लेते हैं इसका राशियों, देश, दुनिया पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा।
बुध का मकर राशि में गोचर: विशेषताएं
सबसे पहले बात करें मकर राशि की तो यह एक चर पृथ्वी राशि मानी जाती है जिसका स्वामित्व शनि ग्रह के पास है जबकि शनि और बुध मैत्रीपूर्ण संबंध साझा करते हैं लेकिन फिर भी यह गोचर शनि की सर्वव्यापी उपस्थिति के चलते कुछ बाधाएँ लेकर आ सकता है। मकर राशि में बुध वाले जातक व्यवस्थित और सतर्क स्वभाव के होते हैं। यह जातक कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह से सोच विचार कर लेते हैं।
बुध और मकर दोनों का तत्व पृथ्वी ही है इसलिए मकर राशि में बुध वाले जातक काफी यथार्थवादी और जमीन से जुड़े हुए होते हैं और वह ख्याली पुलाव नहीं पकाते हैं। उनके पास औसत से बेहतर व्यवसाय कौशल देखने को मिलता है और उनकी संगठन क्षमता भी शानदार होती है। इसे स्वाभाविक रूप से उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ाने के मौके प्राप्त होते हैं। इस स्थान का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति को स्वभाव से कठोर धोखेबाज चतुर और आरक्षित बनता है।
बुध का मकर राशि में गोचर- क्या पड़ेगा विश्व पर असर
अनुसंधान एवं विकास
मकर राशि में बुध का यह गोचर कई क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दे सकता है। खासकर इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में।
इसके अलावा यह गोचर निश्चित रूप से अनुसंधान और विकास में भी मददगार साबित होगा और वैज्ञानिकों को उनके आविष्कार के लिए कोई ठोस आधार बनाने में मदद करेगा क्योंकि बुध ग्रह शिक्षा और ज्ञान से संबंधित ग्रह माना गया है।
दुनिया भर में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों, शोधकर्ताओं और मेडिकल छात्रों, डॉक्टर को इस गोचर से लाभ मिलने वाला है।
उपचार एवं चिकित्सा
मकर राशि में बुध का गोचर उपचार के पेशे से जुड़े लोगों जैसे हीलर्स, चिकित्सक, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, टैरो रीडर के करियर को बढ़ावा दे सकता है क्योंकि बुध चीजों को याद रखने में मददगार साबित होता है और साथ ही यह ज्ञान का कारक भी है। ऐसे में इन व्यवसाययों को बढ़ावा मिल सकता है।
डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, नर्स आदि अपने पेशे में वृद्धि देखेंगे। विशेष रूप से चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे नए शोध और नवाचारों से निकट चिकित्सा क्षेत्र को लाभ मिलने की संभावना है।
उच्च अध्ययन जैसे पीएचडी और अन्य उच्च डिग्री कर रहे लोगों को भी लाभ मिलेगा। इसके अलावा जो लोग आगे पढ़ाई करना चाहते हैं या अपने कौशल को बढ़ाना चाहते हैं उन्हें भी इस गोचर का शुभ लाभ प्राप्त होगा।
व्यवसाय एवं परामर्श
किसी भी तरह की काउंसलिंग में शामिल लोगों को इस गोचर से लाभ प्राप्त होगा।
मकर राशि में बुध उन व्यापारियों को भी मदद करेगा जो आध्यात्मिक उत्पादों जैसे की अगरबत्ती, हवन सामग्री आदि के निर्यात में शामिल है।
इस गोचर से शिक्षकों और गुरुओं को लाभ मिलने की संभावना है। आप अपने ज्ञान और बुधिमत्ता को असीमित रूप से फैलने में कामयाब रहेंगे।
मकर राशि में बुध के गोचर से इन राशियों को मिलेगा लाभ
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके दसवें घर में आ जाएगा। बुध के इस गोचर के फल स्वरुप आप अपने करियर के संबंध में जबरदस्त लाभ प्राप्त करने में कामयाब रहेंगे। आप इस दौरान प्रसन्न और संतुष्ट नजर आएंगे। आपको विदेश में नई नौकरी के अवसर प्राप्त हो सकते हैं और ऐसे मौके आपके लिए लाभदायक साबित होंगे। आपको अपनी नौकरी में की गई कड़ी मेहनत के लिए पहचान प्राप्त होगी लेकिन मुमकिन है कि आप पूरी तरह से संतुष्ट ना हों।
इस अवधि में आपको अपनी नौकरी में कोई बड़ा बदलाव प्राप्त हो सकता है। साथ ही इस गोचर के दौरान आपको अपने करियर के संबंध में ज्यादा यात्राएं भी करनी पड़ सकती हैं। मुमकिन है कि, आप अपनी नौकरी में मौजूद कौशल से अपनी बुधिमत्ता का परिचय देते भी नजर आयें। अगर आप व्यवसाय कर रहे हैं तो व्यावसायिक साझेदारों के सहयोग से आप अच्छा मुनाफा प्राप्त करने में कामयाब रहेंगे। आप अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ अच्छी प्रतिस्पर्धा करने में भी सफल रहेंगे।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके नवम भाव में आ जाएगा। आमतौर पर बुध का यह गोचर जातकों को विकास और सफलता प्रदान करने वाला साबित हो सकता है।
इस गोचर के दौरान आप अपनी धन संभावनाओं को बढ़ाने और इन्हें और आगे ले जाने में ज्यादा इच्छुक नजर आएंगे।
साथ ही आप अपने भाग्य पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे। करियर के मोर्चे पर बात करें तो इस दौरान आपको नए मौके प्राप्त हो सकते हैं और ऐसे मौके आपकी इच्छाओं को पूरा करने वाले साबित होंगे। वृषभ राशि के जातकों को इस दौरान पदोन्नति और प्रोत्साहन प्राप्त होगा जो आपके कौशल की प्रशंसा करने के लिए आपको दिया जा सकता है।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए बुध लग्न स्वामी और दशम भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके चतुर्थ भाव में आ जाएगा। बुध के इस गोचर के फल स्वरुप आपको अपने जीवन में नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं जो आपके जीवन में समृद्धि लेकर आएंगे। इसके अलावा इस गोचर के दौरान आप अपने काम के संबंध में कोई बड़ी सफलता हासिल करते या उसके बारे में केंद्रित होते भी नजर आ सकते हैं।
करियर के मोर्चे पर बात करें तो आप जो भी काम कर रहे हैं या जो भी प्रयास कर रहे हैं उसमें शानदार रुचि पैदा करने की स्थिति में नजर आएंगे। बुध के इस गोचर के दौरान आपको लंबी दूरी की यात्रा भी करनी पड़ सकती है या फिर आपको ऑनसाइट नौकरी के अवसर भी प्राप्त हो सकते हैं। आप अपने काम को इस तरह भी व्यवस्थित कर सकते हैं कि आप अगले स्तर पर आसानी से जा सकें और कार्य क्षेत्र में एक टीम लीडर के रूप में उभर सकें।
तुला राशि के जातकों के लिए बुध नवम भाव और 12वें भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके तीसरे भाव में आने वाला है। इसके चलते आपके जीवन में सुख सुविधाओं में वृद्धि देखने को मिलेगी। आप अपने परिवार और परिवार के सदस्यों के साथ खुशहाल वक्त का आनंद उठाएंगे। आप घर खरीदने में पैसा भी लगा सकते हैं और आपके घर में कोई शुभ अवसर भी देखने को मिल सकता है। इस गोचर के दौरान आपको लंबी दूरी की यात्रा से सौभाग्य प्राप्त होने की उच्च संभावना बन रही है।
करियर के मोर्चे पर बात करें तो आपको नई नौकरी के मौके प्राप्त हो सकते हैं और ऐसे मौके आपके लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायक साबित होंगे। करियर के संबंध में आपके जीवन में काफी कुछ अनुकूल होने वाला है और आप अच्छी ऊंचाइयों तक पहुंचेंगे और संतुष्टि प्राप्त करेंगे। अगर आप व्यवसाय कर रहे हैं तो यह गोचर आपके लिए भाग्यशाली साबित होगा और इस दौरान आप उच्च स्तर का लाभ प्राप्त करने की स्थिति में नजर आएंगे।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पांचवें और आठवें घर का शासक स्वामी है और कुंभ राशि के जातकों के लिए इस गोचर के दौरान आपके ग्यारहवें घर में प्रवेश कर जाएगा जिससे इन व्यक्तियों के लिए धन योग बनने वाला है। ऐसे में आपके लिए यह गोचर बेहद ही शुभ साबित होने वाला है। इसके चलते कुंभ राशि के जातकों को विरासत और सट्टेबाजी के रूप से अप्रत्याशित लाभ मिलने की संभावना है।
ग्यारहवें भाव में मौजूद बुध जातकों को अच्छे और मजबूत सामाजिक रिश्ते बनाने और उनके माध्यम से लाभ कमाने के मौके देगा। कार्यक्षेत्र में भी इस राशि के जातक अपने लीक से हटकर सोचने, समझने और काम करने के हुनर से अपने वरिष्ठों का मान सम्मान प्राप्त करेंगे। आपको भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा साथ ही इस समय आप पदोन्नति या कार्यक्षेत्र में कोई बड़ा पद अपने नाम करने में कामयाब भी हो सकते हैं।
बुध का मकर राशि में गोचर- इन राशियों पर डालेगा नकारात्मक प्रभाव
कर्क राशि
बुध कर्क राशि के जातकों के तीसरे घर का स्वामी और 12वें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके सातवें घर में आ जाएगा। यूं तो यह मित्र राशि में स्थित है फिर भी लग्न के लिए यह मित्र ग्रह नहीं माना गया है इसीलिए यहां बुध व्यापार करने वाले जातकों और अन्य व्यावसायिक संपर्कों के बीच विवाद पैदा कर सकता है। इस दौरान आपको पैसों और अन्य कीमती सामान के खोने का डर भी लगा रहेगा।
बुध के इस गोचर के दौरान काम या व्यवसाय के सिलसिले में यात्रा करने से आपको बचाने की सलाह दी जाती है। अपनी यात्रा योजनाओं के लिए कुछ समय के लिए स्थगित करना आपके लिए अनुकूल रहेगा। आप कार्यस्थल पर प्रयास करते भी नजर आएंगे लेकिन चीज़ें उस तरह से काम नहीं करेंगी जैसा आप चाहते हैं।
धनु राशि
बुध आपके लिए सातवें और दसवें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके दूसरे घर में आ जाएगा। बुध के इस गोचर के परिणाम स्वरुप आपके परिवार में कम संतुष्टि और मध्यम धन लाभ का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा आपको अपने जीवनसाथी के साथ भी रिश्ते में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आपके लिए व्यवसाय में दिक्कतें आने की आशंका है जिससे आपको चिंता हो सकती है।
इसके साथ ही आपको अपने जीवनसाथी के साथ सुख प्राप्त करने में कुछ रूकावटों का सामना करना पड़ सकता है। करियर के मोर्चे पर बात करें तो आपको अपने काम के संबंध में प्रगति हासिल करने में कुछ बाधाएँ और देरी उठानी पड़ सकती है। जीवन में विकास की कमी आपको इस दौरान महसूस होगी और यह सभी बातें आपके लिए चिंता की वजह बन सकती हैं।
बुध का मकर राशि में गोचर- नोट कर लें प्रभावशाली उपाय
बुध की पूजा करने के लिए सबसे सर्वोत्तम तरीकों में से एक है भगवान बुध के जप के मंत्र ‘ॐ ब्राम ब्रीम ब्रौम सः बुधाय नमः’ का जाप करना।
बुध ग्रह को शांत करने के लिए तोता, कबूतर और अन्य पक्षियों को दाना खिलाएँ।
खाने से पहले दिन में काम से कम एक बार गाय को खाना अवश्य खिलाएं। इससे बुध संतुलित बना रहता है।
हरी सब्जियां जैसे पालक और अन्य पत्तेदार सब्जियां विशेष रूप से गरीब बच्चों को दान करें या फिर उन्हें खिलाएँ।
पक्षियों को भीगे हुए हरे चने खिलाने से भी कुंडली में मौजूद कमजोर बुध मजबूत बनता है।
बुध के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए अपने मौखिक स्वच्छता का ध्यान दें। यह भी एक कारगर उपाय माना गया है।
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इन राशियों के लिए फरवरी लाएगा ‘गुड-लक’- बुध-शुक्र युति से राजाओं जैसा चमकेगा भाग्य!
ग्रहों की युति का अर्थ होता है जब दो ग्रह या दो से ज्यादा ग्रह एक साथ किसी राशि या भाव में आ जाते हैं। फरवरी के महीने में ऐसा ही होने वाला है। दरअसल इस दौरान मकर राशि में बुध और शुक्र जैसे दो शुभ ग्रह युति करने वाले हैं। जब भी बुध और शुक्र की युति होती है तो इससे लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है।
आज अपने इस खास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे कि फरवरी में बनने वाले लक्ष्मी नारायण योग का किन राशियों के जीवन पर शुभ प्रभाव पड़ेगा जिससे उनकी किस्मत चमकने वाली है। इसके अलावा लक्ष्मी नारायण योग क्या होता है और इसके शुभ फल प्राप्त करने के लिए आप क्या कुछ उपाय कर सकते हैं इसकी जानकारी भी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से देंगे।
सबसे पहले बात करें समय की तो, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुख और विलासिता का कारक शुक्र 12 फरवरी 2024 को मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। यहां पर बुद्धि के दाता बुध पहले से ही विराजमान हैं। ऐसे में 12 फरवरी को मकर राशि में दोनों ग्रहों की युति होने वाली है जिससे लक्ष्मी नारायण योग का शुभ संयोग बनेगा।
अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि इस लक्ष्मी नारायण योग से किन राशियों को लाभ मिलेगा।
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लक्ष्मी नारायण योग
ज्योतिष के अनुसार लक्ष्मी नारायण योग को बेहद ही उत्तम योगों में से एक माना गया है। यह योग तब बनता है जब शुक्र और बुध ग्रह की युति होती है। यह योग जिसकी भी कुंडली में बनता है उनके जीवन में सफलता अवश्य मिलती है साथ ही यह योग आर्थिक संपन्नता भी दिलाता है। जिन लोगों की भी कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है ऐसे लोग हमेशा सफलता प्राप्त करते हैं।
लक्ष्मी नारायण योग उपाय
जिस भी व्यक्ति की कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग बनता है उन्हें तो लाभ प्राप्त होते हैं लेकिन अगर आपको इस योग का लाभ नहीं मिल रहा है या आपकी कुंडली में यह योग नहीं बन रहा है तो भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि आपको भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु के लिए गुरुवार और मां लक्ष्मी के लिए शुक्रवार का उपवास रखना चाहिए। ऐसा करके भी आप अपने जीवन में सफलता और आर्थिक संपन्नता का वरदान प्राप्त कर सकते हैं
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मकर राशि में बुध-शुक्र की युति इन राशियों के लिए वरदान
मेष राशि: पहली जिस राशि की बात हम यहां करने जा रहे हैं वह है मेष राशि। लक्ष्मी नारायण योग मेष राशि के जातकों के दशम भाव में बनेगा। ऐसे में मेष राशि के जातकों को अपार धन लाभ के योग बन रहे हैं। आपके जीवन में इस दौरान आय के नए स्रोत भी प्राप्त होने वाले हैं। इसके अलावा अगर आप व्यवसाय से जुड़े हुए हैं तो आपको अपार सफलता मिलेगी। अगर आप कहीं निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो इसके लिए भी यह समय बेहद अनुकूल रहेगा ।आप इस दौरान निवेश कर सकते हैं। शुक्र क्यूंकि रिश्तो का कारक भी है ऐसे में इस दौरान आपके रिश्ते में प्रगाढ़ता आएगी और आपके जीवन के तमाम पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। मेष राशि के जातकों का स्वास्थ्य भी इस दौरान उत्तम रहने वाला है।
कन्या राशि: दूसरी राशि के लिए लक्ष्मी नारायण योग बेहद ही शुभ रहेगा वह है कन्या राशि। इस दौरान कन्या राशि के जातकों का अध्यात्म की तरफ झुकाव बढ़ेगा। अगर आप नया व्यापार शुरू करते हैं तो आपको शुभ परिणाम हासिल होंगे। इसके अलावा आर्थिक लाभ के भी शुभ योग बनते नजर आ रहे हैं। जो लोग नौकरी के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उन्हें अपार सफलता और नौकरी में तरक्की मिलेगी। आपके काम से आपके बॉस प्रसन्न होंगे जिससे भविष्य में आपको प्रमोशन के योग भी बन सकते हैं। इसके अलावा सैलरी में भी वृद्धि मिलने की संभावना है। पारिवारिक जीवन भी अनुकूल रहेगा। आपको संतान पक्ष की तरफ से कोई बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। इसके अलावा कन्या राशि के जातकों का स्वास्थ्य इस दौरान उत्तम रहने वाला है।
मकर राशि: तीसरी जिस राशि के लिए लक्ष्मी नारायण योग बेहद ही शुभ साबित होगा वह है मकर राशि। लक्ष्मी नारायण योग आपके लग्न भाव में बनने जा रहा है। ऐसे में करियर में आपको सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। बात करें करियर की तो आपको यहां पर वृद्धि और उन्नति दोनों प्राप्त होगी। आपके काम की हर तरफ प्रशंसा होगी, कार्य क्षेत्र में आपकी लगन और मेहनत को देखते हुए आपके बॉस आपकी पदोन्नति या वेतन वृद्धि का विचार बना सकते हैं। अगर आप व्यापार के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो निश्चित तौर पर इस दौरान आपको उन्नति मिलेगी और बड़ा लाभ भी प्राप्त होगा। आप कोई बड़ी डील साइन कर सकते हैं जिससे आपको लाभ मिलेगा। मां लक्ष्मी की कृपा से आपका व्यवसाय फले फूलेगा और आप वृद्धि प्राप्त करेंगे। इसके अलावा आर्थिक लाभ के भी योग बन रहे हैं। पारिवारिक जीवन शानदार रहेगा। परिवार और दोस्तों के साथ आप अनुकूल वक्त व्यतीत करेंगे। जीवनसाथी या फिर पार्टनर के साथ आपके रिश्ते बेहद ही मजबूत बनेंगे।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
सालों बाद पौष पूर्णिमा पर बन रहा है अद्भुत संयोग, इन उपायों से जाग उठेगी सोई किस्मत!
एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको पौष पूर्णिमा 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही, इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर चंद्रमा और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से पौष पूर्णिमा के बारे में।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए पौष माह की पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन स्नान, दान और सूर्यदेव को अर्घ्य भी दिया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ चंद्रमा की भी पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, व्रत कर घर में सत्यनारायण की कथा करने से व्यक्ति जीवन में सुख भोगता है और मृत्यु के बाद अगले जन्म में भी धन, शांति और समृद्धि पाता है। खास बात यह है कि इस दिन बेहद खास संयोग बन रहा है। यह संयोग कई सालों बाद बन रहा है, जो विशेष मायनों में खास साबित होगा और इस वजह से इस पूर्णिमा तिथि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पौष पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त व इस दिन किए जाने वाले आसान उपायों के बारे में और भी बहुत कुछ।
इस साल पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 जनवरी 2024 गुरुवार के दिन पड़ रही है।
पूर्णिमा आरम्भ: 24 जनवरी 2024 की रात 09 बजकर 52 मिनट से
पूर्णिमा समाप्त: 25 जनवरी 2024 की रात 11 बजकर 26 मिनट तक
पौष पूर्णिमा 2024 पर खास संयोग
पौष पूर्णिमा 2024 तिथि के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग और प्रीति योग। इन चारों योग का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि यदि आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करती हैं तो आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य के कामों से भी आपको लाभदायक परिणाम प्राप्त होंगे।
पौष पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म के अनुसार, पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है इसलिए इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ सूर्य देव की पूजा आराधना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। पौष पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा नदी में लोग स्नान के लिए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा, जप, तप और दान से न केवल चंद्र देव, बल्कि भगवान श्रीहरि की भी कृपा मिलती है और व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं।
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पौष पूर्णिमा की पूजा विधि
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा विधि के बारे में:
पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद गेहूं और अनाज की पांच ढेर बनाएं इनपर भगवान विष्णु, सूर्य, रुद्र, ब्रह्मा और देवी लक्ष्मी को स्थापित करेंगे।
जिनकी तस्वीर या मूर्ति न हो उनका ध्यान करते हुए उनके नाम से एक फूल उस ढेर पर रख दें।
इसके बाद पूरी विधि से पूजा करें। घी का दीप जलाएं और तिल, गुड़ और फल का प्रसाद भगवान को अर्पित करें और फिर आरती करें।
अगले दिन यह अनाज किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद को दान करें। शाम के समय खीर का प्रसाद बनाकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें। आरती करें और कथा पढ़ें।
माता लक्ष्मी को साफ सफाई बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन घर को पूरी तरह साफ रखें और ध्यान रहें कि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाएं। माना जाता है कि रात में झाड़ू लगाने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें। इससे घर आई लक्ष्मी रूठ जाती है।
पूर्णिमा के दिन माता-पिता या फिर बुजुर्गों से झगड़े न करें और न उनका अपमान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्र दोष लगता है।
इस दिन यदि घर पर कोई गरीब या असहाय व्यक्ति आए तो उसे खाली हाथ न जाने दें। उसे अपनी क्षमता अनुसार कुछ न कुछ जरूर दें।
वैसे तो झूठ कभी भी नहीं बोलना चाहिए लेकिन पौष पूर्णिमा के दिन गलती से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
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पौष पूर्णिमा के दिन पढ़ें ये कथा
कटक नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण और उनकी पत्नी रूपवती रहते थे। इस ब्राह्मण जोड़े के पास धन, संपत्ति, विलासिता की हर चीज़ें थी। उन्हें किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी लेकिन वे निसंतान थे। एक दिन इनके शहर में एक योगी आए। योगी ने वहां पर मौजूदा हर घर से दान दक्षिणा मांगी लेकिन धनेश्वर के घर से उन्होंने कुछ भी नहीं मांगा। ऐसे में धनेश्वर ने ब्राह्मण से पूछा कि, आखिर आपने हमसे कुछ क्यों नहीं मांगा। धनेश्वर की बात सुनकर योगी ने उन्हें बताया कि हम निःसंतान लोगों से दान दक्षिणा नहीं लेते हैं। योगी जी की बात सुनकर धनेश्वर को बहुत दुख हुआ लेकिन उन्होंने योगी जी का आशीर्वाद लिया और उनसे पूछा कि, हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे हमें संतान की प्राप्ति हो? तब योगी ने धनेश्वर को बताया कि आप प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा करें। ब्राह्मण ने योगी की बात मानकर ऐसा ही किया जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।
इस बारे में श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा था कि 32 पूर्णिमा का व्रत करने के परिणाम स्वरूप ही धनेश्वर पिता बन पाए। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है और ऐसे लोग भाग्यशाली भी होते हैं। साथ ही, यह व्रत व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं और इच्छा की पूर्ति के लिए भी जाना जाता है।
पौष पूर्णिमा पर करें ये आसान उपाय
नीचे कुछ सरल उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें पौष पूर्णिमा के दिन जरूर करने चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए
पौष पूर्णिमा की पूजा के दौरान माता लक्ष्मी के प्रभावशाली मंत्र ‘ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:’ का जाप करें। इस मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से करें। माना जाता है कि ऐसा करने से जातक आर्थिक जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पा सकता है।
पौष पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा करें। सबसे पहले माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं। यह खीर आप मखाने की बना सकते हैं या फिर चावल की भी बना सकते हैं। भोग लगाने के बाद खीर सब में प्रसाद के रूप में बांट दें। माना जाता है कि ऐसा करने धन धान्य की कमी नहीं होती है।
विवाह के लिए
यदि किसी कारणवश शादी नहीं हो रही है या विवाह में अड़चन आ रही है तो पौष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को हरसिंगार के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से जल्द की शादी के योग बनते हैं और जल्द शादी होती है।
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए
माता लक्ष्मी की असीम कृपा पाने के लिए पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को 11 या 21 पीले रंग की कौड़ियां अर्पित करें। इसके बाद इन्हें लाल या फिर पीले रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी या अपनी अलमारी में रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति कर्ज मुक्त होता है।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए
यदि पति-पत्नी के बीच किसी न किसी बात पर झगड़े या वाद-विवाद होता रहता है और नतीजन बात अलगाव तक पहुंच जाती है तो इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होंगी और भगवान विष्णु का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा।
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पौष पूर्णिमा 2024: इन उपायों से मिल सकता है देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद
हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या का अत्यंत महत्व है। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है, तो वहीं शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है। श्रद्धालु इन दोनों ही तिथियों को भिन्न तरीके से मनाते हैं। पूर्णिमा पर चंद्रमा पूर्ण दिखाई देते हैं, तो वहीं अमावस्या पर चांद नज़र नहीं आता है। हिंदू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा तिथि को कोई न कोई पर्व पड़ता है।
वैसे तो साल में कई पूर्णिमा तिथियां आती हैं लेकिन पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का अधिक महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष में पौष पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। आगे जानिए कि वर्ष 2024 में पौष पूर्णिमा कब पड़ रही है, इसका महत्व क्या है और पौष पूर्णिमा के दिन कौन-से ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं।
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पौष पूर्णिमा 2024 कब है
25 जनवरी, 2024 को पौष पूर्णिमा पड़ रही है। 24 जनवरी, 2024 को रात्रि 09 बजकर 52 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 25 जनवरी, 2024 को रात्रि 11 बजकर 26 मिनट पर होगा।
इस दिन प्रीति योग भी बन रहा है जो 25 जनवरी की सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। ज्योतिषशास्त्र में प्रीति योग को बहुत शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस योग में कोई भी मंगल कार्य शुरू किया जा सकता है। प्रीति योग में कोई भी नया काम, प्रोजेक्ट या गृह प्रवेश करना आदि शुभ रहता है। यह योग वैवाहिक सुख का आशीर्वाद भी देता है।
पाैष मास के समाप्त होने के बाद माघ का महीना आता है। पौष पूर्णिमा से माघ के महीने में पवित्र नदी में स्नान करने का रिवाज़ शुरू होता है। जो लोग मोक्ष की प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनके लिए पौष पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पौष पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करता है और पूरे विधि-विधान से पूजन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा से किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
पौष पूर्णिमा के दिन दान करने का भी बहुत महत्व है। ऐसा भी कहा जाता है पौष का महीना सूर्य देव को समर्पित होता है और इसकी पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की चमक अपने चरम पर होती है। इस प्रकार चंद्रमा और सूर्य का एकसाथ आना आपकी सभी मनोकामाओं को पूरा करने और आपके जीवन की अड़चनों को दूर कर सकता है।
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पौष पूर्णिमा 2024 की पूजन विधि
कई लोग पौष पूर्णिमा पर व्रत और पूजन करते हैं। इस दिन निम्न विधि से सूर्य देव की उपासना की जाती है:
पौष पूर्णिमा के दिन प्रात:काल जल्दी उठें और व्रत करने का संकल्प लें।
इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और वरुण देवता की उपासना करें।
इसके पश्चात् सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
अब भगवान मधुसुदन की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
पौष पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाएं और अपने सामर्थ्यानुसार दान दें।
इस दिन तिल, गुड़, कंबल और ऊनी कपड़े भी दान में दे सकते हैं।
पौष पूर्णिमा 2024 पर क्या करें
पौष पूर्णिमा के दिन शरीर पर सरसों का तेल लगाकर स्नान करें और अपने नहाने के पानी में थोड़ा-सा परफ्यूम डालकर उस पानी से स्नान करें।
लड्डू गोपाल की मूर्ति पर घी चढ़ाएं।
श्री विष्णु, देवराज और बृहस्पति देव के मंत्रों का जाप करें।
पौष पूर्णिमा के दिन आप अपनी मनोकामना के अनुसार निम्न उपाय कर सकते हैं:
जिन लोगों की चंद्रमा की महादशा चल रही है या जो मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं, वे पौष पूर्णिमा के दिन नौ रत्ती का मोती रत्न अपने दाएं हाथ की कनिष्ठिका उंगली में चांदी की धातु में जड़वाकर पहनें।
इस दिन व्रत रखने का संकल्प लें और पवित्र नदी में स्नान कर के देवताओं का पूजन एवं पितरों का तर्पण करें।
इस पूर्णिमा की रात्रि को मां लक्ष्मी का पूजन करें और श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपके जीवन से दरिद्रता दूर होती है।
पौष पूर्णिमा साल की पहली पूर्णिमा भी है। इस दिन मां लक्ष्मी को चावल की खीर का भोग लगाएं। इसे आप और आपका परिवार प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। इस उपाय को करने से परिवार में सुख-शांति का आगमन होता है।
शीघ्र विवाह करने के इच्छुक हैं या आपके विवाह में कोई अड़चन आ रही है, तो आप पौष पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी को हरसिंगार के फूल चढ़ाएं।
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए पौष पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। इससे आपको मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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सूर्यदेव का नक्षत्र गोचर: इन राशियों पर दिखेगी विशेष कृपा, आकस्मिक धनलाभ के बन रहे हैं योग
सभी नौ ग्रहों में सूर्य को बेहद ही महत्वपूर्ण और एक विशेष ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसे ग्रहों का राजा माना जाता है। ऐसे में सूर्य का कोई भी परिवर्तन हो वैदिक ज्योतिष में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। बात करें सूर्य के एक और परिवर्तन की तो 24 जनवरी के दिन सूर्य का नक्षत्र गोचर होने वाला है।
अपने इस खास ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे सूर्य का यह नक्षत्र गोचर कब होने वाला है, इस दौरान सूर्य किस नक्षत्र में प्रवेश कर जाएगा, और साथ ही जानेंगे कि सूर्य के इस नक्षत्र गोचर का किन राशियों के जीवन पर विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा।
सबसे पहले बात करें समय और नक्षत्र की तो, सूर्य का यह अहम परिवर्तन 24 जनवरी 2024 को होने वाला है जब सूर्य श्रवण नक्षत्र में गोचर कर जाएंगे। इसके बाद 7 फरवरी तक सूर्य इसी नक्षत्र में रहने वाले हैं।
इसके अलावा बात करें समय की तो, सूर्य का यह नक्षत्र परिवर्तन 24 जनवरी को सुबह 8:10 पर हो जाएगा। श्रवण नक्षत्र के बारे में बता दें कि इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और इस नक्षत्र का संबंध मकर राशि से भी जोड़कर देखा जाता है जिसके चलते शनि का प्रभाव भी देखने को मिलेगा।
सूर्य का यह महत्वपूर्ण नक्षत्र गोचर कुछ राशियों के लिए बेहद ही शुभ साबित होने वाला है, कौन-कौन सी हैं ये राशियाँ चलिए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
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सूर्य के नक्षत्र गोचर से मालामाल होंगी ये राशियाँ
मेष राशि: मेष राशि के जातकों को सूर्य के इस नक्षत्र गोचर का विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा। इस दौरान मेष जातकों के जीवन में ढेरों सकारात्मक परिवर्तन होने की संभावना है। उन्हें नौकरी, व्यापार या अन्य किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहेगा। इस राशि के जो जातक अपनी नौकरी में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं उनके लिए सूर्य के नक्षत्र गोचर की अवधि शानदार रहने वाली है। इसके अलावा मेष राशि के बेरोजगार जातकों को भी इस दौरान रोजगार मिल सकता है।
वृषभ राशि: दूसरी जिस राशि को सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन का विशेष लाभ होने वाला है वह है वृषभ राशि। वृषभ राशि के जातकों को सूर्य के इस अहम परिवर्तन के फल स्वरुप करियर में सफलता प्राप्त होगी। साथ ही आपको अपार धन लाभ के भी योग बनेंगे।
सिंह राशि: तीसरी जिस राशि के लिए सूर्य का यह नक्षत्र परिवर्तन बेहद ही खास रहने वाला है वह है सिंह राशि। सिंह राशि के जातकों को नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त होने की उच्च संभावना बन रही है। इसके अलावा सूर्य का यह अहम परिवर्तन सिंह राशि के जातकों के मान सम्मान में वृद्धि की भी वजह बनेगा।
तुला राशि: अगली जिस राशि के लिए सूर्य का यह परिवर्तन बेहद ही खास और शुभ रहने वाला है वह है तुला राशि। सूर्य का श्रवण नक्षत्र में गोचर तुला जातकों को करियर में सफलता दिलाएगा। साथ ही आपको आर्थिक लाभ भी मिलने की उच्च संभावना बन रही है। तुला राशि के कुछ जातकों को सूर्य के इस नक्षत्र गोचर के दौरान सुख सुविधा के गुप्त स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। इसके अलावा समाज में आपका मान सम्मान और रुतबा भी बढ़ने वाला है। इस अवधि में तुला राशि के जातकों को कहीं से कोई सुखद समाचार मिल सकता है और आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर भी जा सकते हैं।
धनु राशि: धनु राशि के जातकों को सूर्य के इस नक्षत्र परिवर्तन का बेहद ही शुभ परिणाम प्राप्त होगा। धनु राशि के जातक इस गोचर के दौरान नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त करेंगे। समाज में आपके मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलेगी। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी आपका पूरी तरह से सहयोग करेगा।
सूर्य का नक्षत्र गोचर: इन राशियों के लिए बनेगा परेशानी की वजह
सकारात्मक परिणाम के बाद बात करें नकारात्मक परिणाम की तो, दो ऐसी भी राशियाँ हैं जिन पर सूर्य का यह नक्षत्र गोचर ज्यादा अनुकूल परिणाम नहीं डालता नजर आ रहा है। यह राशियाँ हैं कर्क राशि और मकर राशि।
कर्क राशि: सूर्य के इस नक्षत्र परिवर्तन के दौरान कर्क राशि के जातकों के जीवन में कुछ चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। आपका स्वास्थ्य आपको परेशान कर सकता है। साथ ही आपको अपने कार्य में रुकावटें भी उठानी पड़ सकती हैं।
मकर राशि: इसके अलावा मकर राशि के जातकों के जीवन में भी सूर्य के इस गोचर का ज्यादा अनुकूल परिणाम नहीं मिलता दिख रहा है। आपके जीवन में भी कुछ चुनौतियां खड़ी होने वाली हैं। इसके अलावा इस अवधि के दौरान मकर राशि के जातकों के खर्च बेहिसाब होने वाले हैं। साथ ही आपके अंदर धैर्य की भी कमी हो सकती है।
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25 जनवरी है बेहद खास- आर्थिक संपन्नता के लिए अवश्य घर खरीद लाएँ ये चीज़ें
जनवरी में जहां 22 तारीख का बेसब्री से सभी को इंतजार था अब इसके बाद 25 जनवरी का दिन भी उतना ही खास और महत्वपूर्ण रहने वाला है। दरअसल 25 जनवरी को बेहद ही अद्भुत योग बन रहे हैं और इस दिन एक दो नहीं पूरे पांच अद्भुत योग बनने वाले हैं। ऐसे में ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि अगर इस दिन आप घर में कुछ विशेष वस्तु ले आयें तो इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद आपको अवश्य प्राप्त होगा।
चलिए इस खास ब्लॉक के माध्यम से जान लेते हैं क्या कुछ है वो वस्तुएं जिन्हें इस दिन अपने घर में लाने से आप अपने जीवन में मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
25 जनवरी को पौष पूर्णिमा है। पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में विशेष मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को तमाम पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पौष पूर्णिमा के साथ-साथ इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग और प्रीति योग के साथ-साथ गुरु पुष्य योग का भी निर्माण हो रहा है।
ये सभी योग बेहद ही शुभ माने जाते हैं। कहा जाता है इन योगों में अगर कोई भी शुभ काम शुरू किया जाए तो व्यक्ति को सफलता अवश्य मिलती है। बात करें समय की तो,
सर्वार्थ सिद्धि योग इस दिन पूरे दिन रहने वाला है।
रवि योग सुबह 7:13 से शुरू होकर 8:16 तक रहेगा।
गुरु पुष्य और अमृत सिद्धि योग 8:16 से अगले दिन यानी 26 जनवरी को सुबह 7:12 तक रहेगा। ऐसे में 25 तारीख विशेष महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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गुरु पुष्य नक्षत्र ख़रीदारी का समय
अगर आप भी गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन चीजों की खरीददारी करके मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो सबसे पहले जान लेते हैं समय की जानकारी। इस दिन 25 जनवरी 2024 की सुबह 8:16 से लेकर अगले दिन की सुबह 10:28 तक गुरु पुष्य नक्षत्र रहने वाला है। ऐसे में आपको तकरीबन 24 घंटों का समय मिलने वाला है जब आप नीचे दी गई चीजों की खरीदारी कर सकते हैं।
इसके अलावा अगर आप कोई शुभ या मांगलिक कार्य करना चाहते हैं तो उसके लिए भी यह समय बेहद ही शुभ रहेगा।
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि इस दिन गुरु पुष्य योग का शुभ संयोग बन रहा है ऐसे में अगर आप गुरु पुष्य नक्षत्र में,
चने की दाल: चने की दाल खरीद कर लाते हैं तो इसे बेहद ही शुभ माना जा रहा है। चने की दाल गुरु से संबंधित होती है। ऐसे में इससे कुंडली में मौजूद गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सकता है।
सोना-चांदी: इसके अलावा आप सोना चांदी भी खरीद सकते हैं। सोना चांदी की खरीद से मां लक्ष्मी बेहद ही प्रसन्न होती हैं। सोना चांदी की खरीद को सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में अगर मुमकिन हो तो इस दिन सोना चांदी अवश्य खरीदें।
वाहन या संपत्ति: अगर आप लंबे समय से वाहन या संपत्ति खरीदने की योजना बना रहे थे तो आप 25 जनवरी को बन रहे हैं इन शुभ योग में यह काम कर सकते हैं। इससे भी मां लक्ष्मी की प्रसन्नता अवश्य प्राप्त होगी।
पूजा से संबंधित चीज़ें: 25 जनवरी के दिन आप इन शुभ मुहूर्त में अगर पूजा पाठ से संबंधित कोई भी चीज जैसे सिंदूर, अक्षत, धार्मिक किताबें, देवी देवताओं की तस्वीर, मंदिर से जुड़ा कोई भी सामान, खरीद के लाते हैं तो इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी आपके जीवन पर बनी रहेगी।
इसके अलावा अगर किन्हीं भी कारणवश आप 25 जनवरी के दिन कोई भी वस्तु नहीं खरीद सकते हैं तो भी दिल छोटा करने की आवश्यकता नहीं है। आप इन अद्भुत योगों में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और उनसे संबंधित श्री सूक्त का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से भी आपको शुभ फलों के प्रति होगी।
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Magha Maah 2024: हज़ारों अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल दिलाता है यह माह-जान लें इसका महत्व और नियम!
हिंदू धर्म में माघ के महीने को भक्ति का महीना कहा जाता है। मान्यता है कि इस महीने में अगर स्नान, दान किया जाए तो इससे व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि इस दौरान देशभर की पवित्र नदियों में स्नान करने, अपने जीवन में कुछ पुण्य शामिल करने और अपने पाप से छुटकारा पाने के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि इस दौरान अगर तीर्थ स्थान और तीर्थ दर्शन किया जाए तो इससे भी व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
हालांकि यहां हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप किसी भी कारण वश पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं तो भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसी स्थिति में, इस विषय की जानकार मानते हैं कि, अगर आप नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें तो इससे भी पवित्र नदी में स्नान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
इन सब जानकारी के बाद चलिए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं वर्ष 2024 में माघ का महीना कब से प्रारंभ हो रहा है? इस महीने का क्या महत्व होता है? इस दौरान राशि अनुसार क्या कुछ करना आपके लिए शुभ रहेगा? साथ ही जानेंगे माघ के महीने में कौन-कौन से व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं।
सबसे पहले बात करें माघ के महीने की तो वर्ष 2024 में माघ का महीना 26 जनवरी से प्रारंभ हो जाएगा। माना जाता है कि इस दौरान अगर पवित्र नदियों में स्नान किया जाए तो व्यक्ति को पुण्य मिलता है। इसके अलावा इस दौरान भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है इन दोनों की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप दूर होते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हालांकि यहां यह जानना बेहद आवश्यक है कि माघ के महीने में क्या कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। तो चलिए जान लेते हैं माघ के महीने में क्या कुछ करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है और क्या कुछ कार्य आपको भूलकर भी नहीं करने चाहिए।
माघ माह का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि, माघ मास में गौतम ऋषि ने इंद्रदेव को श्राप दिया था। इस दौरान इंद्रदेव माघ मास में गंगा स्नान किया था तब जाकर उन्हें श्राप से मुक्ति मिली थी। यही वजह है कि इस दौरान पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर विशेष तौर पर गंगा स्नान को बेहद ही पवित्र और फलदाई माना गया है।
इस महीने में मां गंगा, सूर्य देव, भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। दान करने से व्यक्ति को मृत्यु काल में लाभ मिलता है। मन की ग्रंथियां खुलती हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से दस हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
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माघ माह के नियम
माघ मास के कुछ नियम भी बताए गए हैं जिनका अनुसरण करना बेहद ही अनिवार्य होता है। क्या कुछ हैं येनियम चलिए जान लेते हैं।
इस महीने अगर आपके दरवाजे पर कोई भी व्यक्ति आए तो उसे खाली हाथ वापिस ना भेजे।
दान पुण्य करना इस महीने में बेहद शुभ होता है।
इस महीने में किसी भी तरह का व्यसन नहीं करना चाहिए।
इस महीने तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए।
माघ महीने में पुण्य कमाने और साधना करने का विशेष महत्व बताया गया है और इसीलिए इस दौरान झूठ ना बोलें, किसी को कड़वा वचन ना बोलें, किसी से ईर्ष्या ना करें, आदि।
इस महीने में रोजाना स्नान करना, खुद को पवित्र बनाए रखना भी बेहद अनिवार्य होता है।
माघ महीने में तिल और गुड़ का सेवन करना शुभ माना गया है।
कहते हैं अगर इस महीने में व्यक्ति केवल एक समय ही भोजन करें तो इससे आप की काया सुंदर बनती है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है और एकाग्रता बढ़ती है।
माघ माह में क्या करें-क्या ना करें
माघ के महीने में क्या करें
अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो आप माघ के महीने में काले तिल का दान अवश्य करें।
राहु से संबंधित दोष है तो गर्म कपड़े या कंबल का जरूरतमंद व्यक्तियों को दान करें।
इस महीने में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें तो शुभ फल की प्राप्ति होती है।
माघ के महीने में आलस्य त्याग दें, देर तक सोने से बचें और रोजाना स्नान करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां आपके जीवन से दूर होने लगेगी।
माघ के महीने में तुलसी की पूजा करें और मुमकिन हो तो गीता का पाठ करें या किसी के मुख से सुनें।
इसके अलावा अगर मुमकिन हो तो गंगा स्नान करें। इससे व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
हालांकि जैसे हमने पहले भी बताया कि अगर आप गंगा नदी में जाकर स्नान नहीं कर सकते हैं तो आप स्नान के जल में थोड़ा सा गंगाजल डालकर इससे नहाए तो भी आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी। इसके अलावा माघ के महीने में कल्पवास की शुरुआत तुलसी या भगवान शालिग्राम की पूजन से हो जाती है।
अगर आप अपनी कुंडली से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं या यह जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में भी कहीं कोई दोष तो नहीं या है तो उसका निवारण कैसे किया जाए तो आप विद्वान ज्योतिषों से अभी परामर्श कर सकते हैं।
माघ के महीने में क्या काम भूल से भी ना करें
माघ के महीने में मूली का सेवन वर्जित बताया गया है।
इसके अलावा इस महीने में तामसिक भोजन और मदिरा का सेवन बिलकुल भी ना करें।
माघ के महीने को क्योंकि हिंदू धर्म में बेहद ही पावन पवित्र और फलदाई माना गया है ऐसे में इस महीने में झूठ बोलने से बचें।
किसी का अपमान ना करें तो ही आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
क्या होता है कल्पवास? दरअसल माघ महीने में कल्पवास का बहुत महत्व बताया गया है। कल्पवास का मतलब होता है कुछ समय के लिए या फिर संपूर्ण महीने अर्थात पूरे माघ महीने के दौरान किसी नदी के तट पर कुटिया बनाकर रहना, साधुओं के साथ व्रत करना, उनके साथ उपवास करना, सत्संग करना, यही कल्पवास कहलाता है। कल्पवास पौष महीने के 11वें दिन से माघ महीने से 12 वें दिन तक चलता है। कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक भी कल्पवास करते हैं। माना जाता है कि कल्पवास करने से व्यक्ति के शरीर के रोग और मानसिक विकार आदि दूर होते हैं। माघ के महीने में मेलों का आयोजन होता है। इस दौरान भारत की पवित्र नदियां जैसे नर्मदा, गंगा, जमुना, सरस्वती, कावेरी, आदि के तट पर माघ मेला लगता है।
यह भी जानना है बेहद ज़रूरी: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है ऐसे में बात करें माघी पूर्णिमा की तो पद्म पुराण के अनुसार कहा जाता है कि, अगर माघ पूर्णिमा वाले दिन व्यक्ति स्नान करें, इसके बाद ध्यान, तप, दान करें तो इससे श्री हरि की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।
इसके अलावा इस दौरान दान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आप चाहें तो इस दिन गोदान, तिल, गुड़ और कंबल का दान कर सकते हैं। इसके साथ ही आप वस्त्र, गुड, घी, कपास, लड्डू, फल, आदि का भी दान कर सकते हैं। इसके साथ ही माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अगर आपके लिए मुमकिन हो तो इस दिन गंगा स्नान अवश्य करें, गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
माघ माह के व्रत-त्योहार
2024 माघ के महीने में हिंदू पंचांग के अनुसार कौन-कौन से व्रत और त्योहार आएंगे अगर आप इसकी जानकारी जानना चाहते हैं तो चलिए आगे बढ़ते हैं और इस पर भी एक नज़र डाल लेते हैं।
वर्ष 2024 में माघ का महीना 26 जनवरी से प्रारंभ हो जाएगा और यह 24 फरवरी तक रहेगा। बात करें इस दौरान आने वाले व्रत और त्योहारों की तो,
24 फरवरी 2024, पूर्णिमा , सत्य व्रत , माघ पूर्णिमा , रविदास जयंती , माघस्नान समाप्त , सत्य व्रत , पूर्णिमा व्रतमाघ पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा, गुरु रविदास जयन्ती, ललिता जयन्ती
अब वर्ष 2024 में क्योंकि माघ का महीना 24 फरवरी तक रहेगा ऐसे में इस दौरान पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहा जाएगा। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 24 फरवरी 2024 को अर्थात शनिवार के दिन पड़ रही है। बात करें इसकी शुभ मुहूर्त की तो,
फरवरी 23, 2024 को 15:36:47 से पूर्णिमा आरम्भ
फरवरी 24, 2024 को 18:03:09 पर पूर्णिमा समाप्त
(अधिक जानकारी: अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।)
इसके साथ ही बहुत से लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं जिसे बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन का व्रत फलाहार खाकर या जल पीकर रहा जाता है। मान्यता है की माघी पूर्णिमा के दिन पूजा पाठ, जप, तप करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं श्री हरि पूरी करते हैं और उनके जीवन में आने वाले सभी कष्टों को भी दूर करते हैं।
क्या यह जानते हैं आप? दरअसल जब हिंदू पंचांग की बात करें तो सनातन पंचांग में सभी महीना के नाम नक्षत्र पर आधारित होते हैं। ऐसे में जब महीना बदलता है तो चंद्र चक्र पर जो भी नक्षत्र होता है उसी के अनुसार महीने का नाम रखा जाता है। माघ मास की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा माघ और अश्लेषा नक्षत्र में रहता है इसीलिए इस महीने को माघ मास कहा जाता है। सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों और इसका अनुसरण करने वालों के लिए विक्रम संवत में माघ मास 11 महीना कहलाता है। माघ मास की अमावस्या शुक्रवार 9 फरवरी को पड़ेगी और माघी पूर्णिमा शनिवार 24 फरवरी को होगी।
माघ महीने में कुछ महत्वपूर्ण व्रत भी आते हैं जैसे षटतिला एकादशी, तिल चतुर्थी, रथ सप्तमी, भीम अष्टमी, मौनी अमावस्या, जया एकादशी, संकष्टी चतुर्थी आदि। इनका पालन करने से व्यक्ति को श्री हरि का आशीर्वाद मिलता है।
माघ माह के महा उपाय
इस महीने रोज भगवान कृष्ण की पूजा करें। उन्हें पूजा में पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें।
इसके अलावा आप चाहें तो मधुराष्टक का पाठ भी कर सकते हैं।
इस महीने अपनी क्षमता के अनुसार अगर आप रोज किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं तो इससे भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
माघ के महीने में स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से अगर आप जल चढ़ाते हैं तो उससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि माघ के महीने में अगर कोई व्यक्ति शुभ काम करें तो उसके जीवन में आ रही बाधा दूर होती है और काम में सफलता मिलती है।
अब आगे बढ़ते हो जान लेते हैं कि इस महीने राशि अनुसार क्या कुछ शुभ काम करके आप अपनी कुंडली से संबंधित ग्रह दोष शांत कर सकते हैं।
मेष राशि: मेष राशि के जातक माघ के महीने में जल में लाल फूल डालकर स्नान करें और मुमकिन हो तो लाल मसूर का दान करें।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक पानी में दूध डालकर स्नान करें। साथ ही भगवान शिव को खीर का भोग लगाएँ।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक पानी में गन्ने का रस मिलाकर स्नान करें। जरूरतमंद लोगों को हरी मूंग की दाल का दान करें।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक जल में गाय का दूध मिलाकर स्नान करें। जरूरतमंद लोगों को आटे का दान करें।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातक पानी में केसर मिलाकर स्नान करें साथ ही तांबे के लोटे का और अनाज का दान करें।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातक पानी में शहद मिलाकर स्नान करें। साथ ही किसी मंदिर में हरी मूंग का दान करें।
तुला राशि: तुला राशि के जातक पानी में दूध मिलाकर स्नान करें और मुमकिन हो तो खीर का दान करें।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक पानी में लाल चंदन मिलाकर स्नान करें और जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन कराएं।
धनु राशि: धनु राशि के जातक पानी में हल्दी मिलाकर स्नान करें और चने की दाल का दान करें।
मकर राशि और कुंभ राशि: मकर और कुंभ राशि के जातक पानी में काले तिल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद गरीब व्यक्तियों को पूरी सब्जी खिलाएँ।
मीन राशि: मीन राशि के जातक पानी में हल्दी मिलाकर स्नान करें। उसके बाद किसी गरीब व्यक्ति को हल्दी और पीले वस्त्र का दान करें।